Sunday, July 19, 2020

भारतवंशी अमेरिकियों ने चीनी दूतावास के सामने प्रदर्शन किया, कहा- चीन के साथ आर्थिक रिश्ते तोड़ें दुनिया के बड़े देश July 19, 2020 at 07:46PM

भारतवंशी अमेरिकियों ने रविवार को वॉशिंगटन में चीनी दूतावास के सामने प्रदर्शन किया। लोगों ने लद्दाख में एलएसी पार करने की चीन की कोशिशों पर नाराजगी जाहिर की। प्रदर्शनकारियों के मुताबिक, चीन एशिया में दादागिरी दिखाकर दबदबा कायम करने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में दुनिया के शक्तिशाली देशों को उसके साथ आर्थिक संबंध तोड़ लेना चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने चीन पर संक्रमण फैलाने का भी आरोप लगाया।

लोगों ने चीन विरोधी पोस्टर बैनर लहराए औरनारेबाजी की। संक्रमण के खतरे को देखते हुए प्रदर्शनकारी मास्क लगाकर पहुंचे और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया। इससे पहले 26 जून को भी अमेरिका के भारतीय लोगों ने शिकागोमें प्रदर्शन किया था।

लद्दाख में चीन की हरकत की निंदा

प्रदर्शन में शामिल मनोज श्रीनिलयम ने कहा- हम बिना किसी उकसावे के चीन की ओर से लद्दाख के भारतीय जमीन पर कब्जा और भारतीयों की हत्या की निंदा करते हैं। चीन यह सब ऐसे वक्तमें कर रहा है जब पूरी दुनिया महामारी से लड़ रही है।एक और प्रदर्शनकारी महिन्द्र सापा ने कहा- चीन पिछले कई दशकोंसे भारत और दूसरे छोटे देशों को परेशान कर रहा है। दक्षिण चीन सागर में वो छोटे देशों के द्वीप और जमीन हड़प रहा है। हम यहां पर चीन की हरकतों पर दुनिया का ध्यान दिलाने के लिए पहुंचे हैं।

चीनी दूतावास के बाहर प्रदर्शन करते अमेरिका में रहने वाले भारतीय। इनमें से कुछ अमेरिका के नेशनल फ्लैग के साथ इसमें शामिल हुए।

प्रदर्शन में कई संगठनों के सदस्य शामिल हुए

प्रदर्शन में मेरीलैंड, वर्जीनिया और वॉशिंगटन डीसी समेत अमेरिका के कई शहरों में रहने वाले भारतीय शामिल हुए। इनमें केरल एसोसिएशन ऑफ ग्रेटर वॉशिंगटन, तमिल कल्चर ग्रुप्स, इंडियन कल्चरल एसोसिएशन ऑफ हॉवार्ड काउंटी, नेशनल काउंसिल ऑफ एशियन इंडियन एसोसिएशन और विश्व हिंदू परिषद अमेरिका के सदस्य शामिल थे। हाल ही में गठित अपोज चाइनीज इंपीरियलिज्म (ओसीआई) के सदस्य भी विरोध करने पहुंचे।

प्रदर्शन में शामिल हुए लोगों ने दुनिया भर में संक्रमण फैलाने के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया। इनमें से कुछ लोगों ने ऐसे पोस्टर लहराए।

कनाडा के टोरंटो में भी चीन का विरोध हुआ
कनाडा के टोरंटो स्थित चीनी दूतावास के बाहर रविवार को सैकड़ों लोगों ने चीन के खिलाफ प्रदर्शन किया। लोगों ने चीन की सरकार के आदेश पर गिरफ्तार किए गए कनाडा के दो लोगों की रिहाई के लिए दुनिया के देशों से आगे आने की अपील की। प्रदर्शनकारियों ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से तिब्बत और हॉन्गकॉन्ग को आजाद करने की मांग की। इन लोगों ने लद्दाख में चीन की ओर से दिखाए जा रहे अड़ियल रवैये की भी आलोचना की। प्रदर्शनकारियों ने कनाडा सरकार से देश में चीन के उत्पादों का बायकॉट करने को कहा।



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अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी स्थित चीनी दूतावास के सामने रविवार को प्रदर्शन करते भारतीय अमेरिकी। इससे पहले 26 जून को अमेरिका के शिकागो में भी चीन के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे।

इमरान के 4 स्पेशल असिस्टेंट्स के पास दोहरी नागरिकता, विपक्ष बोला- दागदार लोगों को हटाएं प्रधानमंत्री July 19, 2020 at 07:26PM

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के चार स्पेशल असिस्टेंट्स के पास दोहरी नागरिकता है। इसका खुलासा खुद सरकार ने किया है। इनकी प्रॉपर्टीज और नागरिकता की जानकारी सरकारी वेबसाइट पर अपलोड की गई है। इस खुलासे के बाद विपक्ष ने सरकार के रवैये पर सवाल उठाए हैं। दूसरी तरफ, सरकार ने सफाई में कहा है कि उसने कुछ भी छिपाने की कोशिश नहीं की है।

इमरान के 20 सलाहकार
पाकिस्तान सरकार ने बताया है कि प्रधानमंत्री के 20 सलाहकार हैं। इनमें से 19 नॉन इलेक्टेड यानी वे लोग हैं जो चुनकर नहीं आए। चार स्पेशल असिस्टेंट्स ऐसे हैं जिनके पास पाकिस्तान के अलावा एक और देश की नागरिकता है।

इनके पास दोहरी नागरिकता
नदीम बाबर : पेट्रोलियम मामलों के सलाहकार। अमेरिकी नागरिकता भी है।
सैयद जुल्फिकार अब्बास बुखारी : विदेशी मामलों के सलाहकार। ब्रिटेन की सिटीजनशिप भी है।
शहजाद कासिम : पावर सेक्टर मामलों के सलाहकार। अमेरिकी नागरिकता भी है।
तानिया एस. अरदौस : डिजिटल मामलों की सलाहकार। कनाडा की भी नागरिकता है।

इन तीन के पास रेसीडेंस परमिट
शहबाज गिल : राजनीतिक सलाहकार। अमेरिका में अस्थायी निवास का परमिट।
मोईद यूसुफ : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार। अमेरिका के अस्थायी नागरिक।
नदीम अफजल गोंदल : संसदीय मामलों के सलाहकार। कनाडा के अस्थायी नागरिक।

विपक्ष ने क्या कहा?
नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन और बिलावल भुट्टो की पार्टी ने इस खुलासे पर सरकार को घेरा। पीएमएल-एन के सांसद मुख्तार आसिफ ने कहा- ये किस तरह के प्रधानमंत्री और किस तरह की सरकार है। अगर देश के मुखिया के चार सलाहकार दो देशों के नागरिक हैं तो इससे क्या मुल्क खतरे में नहीं पड़ जाएगा। ये देश की सुरक्षा पर बड़ा खतरा है। पीपीपी की सांसद शेरी रहमान ने कहा- अगर कोई विदेशी सांसद नहीं बन सकता तो देश के प्रधानमंत्री का विशेष सलाहकार कैसे हो सकता है।

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इमरान खान के चार स्पेशल असिस्टेंट्स ऐसे हैं जिनके पास पाकिस्तान के अलावा एक और देश की नागरिकता है। खास बात ये है कि इमरान जब विपक्ष में थे तो दोहरी नागरिकता का खुलकर विरोध करते थे। (फाइल फोटो)

Anti-Pakistan protest held outside 10 Downing Street to demand justice for Baloch victims July 19, 2020 at 06:01PM

Saudi King Salman, 84, admitted to hospital July 19, 2020 at 05:37PM

Saudi Arabia's 84-year-old ruler, King Salman bin Abdulaziz, has been admitted to hospital in the capital Riyadh, suffering from inflammation of the gall bladder, state news agency SPA said on Monday.

डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा- जो बिडेन इतने सक्षम नहीं कि देश की कमान संभाल सकें, वे दिमागी तौर पर थके हुए हैं July 19, 2020 at 05:38PM

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव से पहले डोनाल्ड ट्रम्प और उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे डेमोक्रेट कैंडिडेट जोबिडेन के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। ट्रम्प ने कहा है कि बिडेन इस लायक नहीं हैं कि वो अमेरिका के राष्ट्रपति बन सकें या देश की कमाम संभाल सकें। ट्रम्प ने बिडेन को दिमागी तौर पर थका हुआ इंसान करार दिया।
इसके कुछ दिन पहले बिडेन ने कहा था कि ट्रम्प की नीतियों का खामियाजा देश को उठाना पड़ रहा है। इस डेमोक्रेट प्रत्याशी ने कोरोनावायरस की रोकथाम में लापरवाही के लिए ट्रम्प की आलोचना भी की थी। इसके बाद से ही ट्रम्प बिडेन पर व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं।

देश को तबाह कर देंगे बिडेन
अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले महामारी के चलते पब्लिक रैली बंद हो चुकी हैं। अब सोशल मीडिया या इंटरव्यू के जरिए बयानबाजी हो रही है। ट्रम्प ने फॉक्स न्यूज को एक लंबा इंटरव्यू दिया। इसमें कहा, “बिडेन मेरी आलोचना करते हैं। जबकि, उनको ऐसा करने का हक नहीं है। पहले वो अपने गिरेबां में झांकें। वे इस लायक नहीं हैं कि देश की कमान संभाल सकें या राष्ट्रपति बन सकें। मानसिक तौर पर वो थके हुए व्यक्ति हैं। अगर ऐसा व्यक्ति देश का राष्ट्रपति बनता है तो वो देश को तबाह कर देगा।”

उनकी दलीलें समझ से परे
बिडेन के हालिया भाषण का जिक्र करते हुए ट्रम्प ने कहा, “आप उनकी बातें जरा गौर से सुनें। वे क्या कहते हैं। क्या हम लोगों पर लगाए जा रहे टैक्स को तीन गुना बढ़ा सकते हैं। या क्या हम पुलिस की फंडिंग को रोक सकते हैं। वो कहते हैं कि देश में मजहब के कोई मायने नहीं बचे। क्या लोग इसे मानेंगे।”

क्या बढ़त ले रहे हैं बिडेन?
ट्रम्प से एक सवाल कुछ सर्वे के बारे में भी पूछा गया। इनमें कहा गया था कि बिडेन को ट्रम्प पर थोड़ी बढ़त हासिल है। इस सवाल पर ट्रम्प भड़क गए। उन्होंने कहा, “जिन सर्वे की बात की जा रही है, वे सब फर्जी हैं। व्हाइट हाउस ने भी सर्वे कराया है। हम इनमें काफी आगे चल रहे हैं। तमाम अहम राज्यों में हमें बढ़त हासिल है। इसलिए, इन सर्वे पर ध्यान नहीं देना चाहिए। ये लोगों को गुमराह करने के इरादे से किए जा रहे हैं।

मम्मी-मम्मी चिल्लाने लगेंगे बिडेन
ट्रम्प ने कहा, “आप जिस तरह के सवाल मुझसे पूछ रहे हैं। या जिस तरह का इंटरव्यू ले रहे हैं। वैसा कभी बिडेन का कीजिए। वो थोड़ी ही देर में मम्मी-मम्मी चिल्लाने लगेंगे। वे कहेंगे कि मुझे घर ले चलो। सवाल ये है कि क्या बिडेन इतने सक्षम हैं कि देश चला सकें। अगर नहीं तो फिर लोगों को सोचना होगा।”

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डोनाल्ड ट्रम्प ने डेमोक्रेट कैंडिडेट जोए बिडेन पर तंज कसा है। उन्होंने कहा- बिडेन सख्त सवालों का सामना करना नहीं जानते। अगर वे जीते तो देश तबाह हो जाएगा। (फाइल)

पाकिस्तान में खुदाई के दौरान 1700 साल पुरानी बुद्ध प्रतिमा मिली, कट्टरपंथियों ने इसे हथौड़े से तुड़वा दिया July 19, 2020 at 05:14PM

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध की एक प्राचीन प्रतिमा मिली। कुछ लोगों ने इसे हथौड़े से तोड़ दिया। बताया जाता है कि यह मूर्ति तीन सदी पुरानी है। घटना के मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किए जाने का भी दावा किया गया है। सरकार ने इस बारे में कोई बयान जारी नहीं किया।

स्थानीय नेता ने उकसाया
मीडिया रिपोर्ट्स के दौरान, तख्त-ए-बही इलाके में कुछ दिनों पहले मकान बनाने के पहले खुदाई की जा रही थी। इसी दौरान ठेकेदार और उसके तीन मजदूरों को एक लेटी हुई बुद्ध प्रतिमा नजर आई। बात फैली तो एक वहां एक लोकल कट्टरपंथी नेता पहुंचा। उसने मजदूरों से प्रतिमा को तोड़ने को कहा। स्थानीय पुलिस ने कहा- अभी यह साफ नहीं कहा जा सकता कि किसके कहने पर प्रतिमा तोड़ी गई।

वीडियो भी सामने आया
इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है। इसमें एक शख्स मजदूर से मूर्ति तोड़ने को कह रहा है। वह हाथ से मूर्ति पर लगी मिट्टी भी हटाता है। पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद चार लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि इस बारे में पहले आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट को जानकारी दी जानी थी। लेकिन, संबंधित लोगों ने ऐसा नहीं किया। लिहाजा, इनकी गिरफ्तारी की गई है।वीडियो स्थानीय भाषा में है। लिहाजा, इसमें बातचीत समझ नहीं आती।

1700 साल पुरानी मूर्ति
पुलिस ने पूरे इलाके को अपने कब्जे में ले लिया है। जानकारी के मुताबिक, यह मूर्ति करीब 1700 साल पुरानी है। तोड़े जाने से पहले यह काफी अच्छी हालत में थी। पुलिस ने आर्कियोलॉजीडिपार्टमेंट को इसकी जानकारी दी है। अब यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इस इलाके में कुछ ऐसी ही और प्रतिमाएं तो नहीं दबीं। खैबर में पहले श्रीलंका, जापान और दक्षिण कोरिया से लोग आते रहे हैं।



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फोटो उस वीडियो से लिया गया है जो सोशल मीडिया पर वायरल है। इसमें कुछ लोग बेशकीमती बुद्ध प्रतिमा को तोड़ते नजर आ रहे हैं।

जापान के तानेगशिमा स्पेस सेंटर से मंगल के लिए पहला सैटेलाइट भेजा गया, रॉकेट से अलग होने के बाद सही सिग्नल्स भेजे July 19, 2020 at 04:30PM

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का मार्स मिशन ‘होप’ रविवार को जापान के तानेगशिमा स्पेस सेंटर से लॉन्च हुआ। इसे स्थानीय समयानुसार सुबह 6.58 बजे मित्सुबिशी हैवी इंडस्ट्रीज के एच-आईआईए रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया। मित्सुबिशी के मुताबिक, स्पेसक्राफ्ट रॉकेट से अलग हो गया है और सही ढंग से काम कर रहा है। खराब मौसम की वजह से इसकी लॉन्चिंग में पांच दिन की देरी हुई।
रविवार को दुबई के मोहम्मद बिन राशिद स्पेस सेंटर में भी लोगों ने लॉन्चिंग को बड़े स्क्रीन के जरिए देखा। जैसे ही आर्बिटर रॉकेट से अलग हुआ सभी साइंटिस्ट्स ने ताली बजाकर खुशी जाहिर की। इमिरेट्स के मार्स मिशन के डायरेक्टर ओमरान शराफ ने लिफ्ट ऑफ के डेढ़ घंटे बताया कि यह सही सिग्नल्स भेज रहा है।
यह यूएई के स्पेस सेक्टर के लिए अहम
होप मिशन यूएई के स्पेस सेक्टर के लिए अहम माना जा रहा है। यूएई के 450 से ज्यादा इंजीनियर्स और टेक्नीशियन्स करीब 6 साल से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। अब तक देश ने सिर्फ तीन सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में भेजे हैं। ये तीनों पृथ्वी के वायुमंडल में होने वाले बदलावों और इसके असर पर नजर रखने के मकसद से भेजी गएहैं। इनमें से दो दक्षिण कोरिया ने तैयार किए और रूस ने लॉन्च किया था। पहली बार है जब यूएई ने देश मेंतैयार ऑर्बिटर अंतरिक्ष में भेजा है।

आर्बिटर के फरवरी 2021 में मंगल तक पहुंचने की उम्मीद

होप आर्बिटर के फरवरी 2021 तक मार्स की कक्षा में पहुंचने की उम्मीद है। यह मिशन यूएई के लिए अहम माना जा रहा है। आर्बिटर कम से कम दो साल तक मंगल की कक्षा के चक्कर लगाएगा। इसमें तीन ऐसे इंस्ट्रूमेंट लगे हैं जो मंगल ग्रह के ऊपरी वायुमंडल का अध्ययन करेंगे और क्लाइमेट चेंज के बारे में जानकारी जुटाएंगे। यूएई ने कहा कि यह पहली बार अलग-अलग मौसम में मंगल के वायुमंडल की पूरी तस्वीर सामने रखेगा।

पहली बार यूएई के अंतरिक्ष मिशन की कमान महिला संभाल रही

पहली बार यूएई ने अंतरिक्ष मिशन की कमान महिला साइंटिस्ट सारा अल अमीरी को सौंपी है। सारा ने एक इंटरव्यू में बताया कि इस मिशन की लान्चिंग के शुरुआती 24 घंटे में वह खुद इस पर नजर रखेंगी। क्योंकि इसी समय में उन्हें मिशन की सफलता से जुड़े शुरुआती नतीजे मिलेंगे। सारा पहले दुबई के राशिद स्पेस सेंटर में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर काम करतीं थीं। उन्होंने शारजाह की अमेरिकन यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में डिग्री ली है।

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दुबई के मोहम्मद बिन राशिद स्पेस सेंटर में एक बड़ी स्क्रीन के जरिए मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों ने लॉन्च की लाइव तस्वीरें देखी। लिफ्ट ऑफ के बाद वैज्ञानिकों ने ताली बजाकर खुशी जाहिर की।

नाइजीरिया के विदेश मंत्री की रिपोर्ट पॉजिटिव, राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा- अमेरिका की मृत्यु दर सबसे कम; दुनिया में अब तक 1.46 करोड़ संक्रमित July 19, 2020 at 04:12PM

दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 1 करोड़ 46 लाख 40 हजार 349 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 87 लाख 34 हजार 789 ठीक हो चुके हैं। 6 लाख 8 हजार 856 लोगों की जान जा चुकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि देश में मृत्यु दर सबसे कम है। यहां अब तक 1 लाख 43 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं, जबकि 38.98 लाख संक्रमित हैं।

नाइजीरिया के विदेश मंत्री जीयोफ्फरे ओनेयामा पॉजिटिव पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी चौथी रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है। पश्चिमी अफ्रीकी देश में अब तक 36,107 मरीज हैं, जबकि 778 मौतें हुईं हैं।

10 देश जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा

देश

कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 38,98,550 1,43,289 18,02,338
ब्राजील 20,99,896 79,533 13,71,229
भारत 11,18,107 27,503 7,00,399
रूस 7,71,546 12,342 5,50,344
द.अफ्रीका 3,64,328 5,033 1,91,059
पेरू 3,53,590 13,187 2,41,955
मैक्सिको 3,44,224 39,184 2,17,423
चिली 3,30,930 8,503 3,01,794
स्पेन 3,07,335 28,420 उपलब्ध नहीं
ब्रिटेन 2,94,792 45,300 उपलब्ध नहीं

ब्राजील: 79 हजार से ज्यादा मौतें
लैटिन अमेरिकी देश ब्राजील में 24 घंटे में 23,529 नए मामले सामने आए हैं। यहां संक्रमितों की संख्या 21 लाख पहुंच गई है। देश में अब तक करीब 21 लाख मामलों की पुष्टि हो चुकी है। एक दिन में यहां 716 लोगों की जान गई है। यह मरने वालों की संख्या 79,488 पहुंच गई है। ब्राजील में 14 लाख से ज्यादा लोग संक्रमण से पूरी तरह ठीक भी हुए हैं। देश के सबसे ज्यादा प्रभावित शहर साओ पाउलो में अब तक 4 लाख मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 19,732 लोगों की मौत हो चुकी है।

इजराइल: 50 हजार से ज्यादा मरीज
इजरायल में 24 घंटे में संक्रमण के 670 नए मामले मिले हैं। इसके साथ ही मरीजों की संख्या 50,035 हो गई है। इजरायल दुनिया के उन चुनिंदा देशों में है, जिसने महामारी पर काफी हद तक काबू पा लिया है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में नए मामलों में तेजी देखी गई है। यहां मरने वालों की संख्या 409 हो गई है। देश में अब तक 21,589 लोग पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने देश में बने सामानों को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं, जिससे अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिल सके।



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यह फोटो न्यूयॉर्क के एक पार्क की है। महामारी के बीच बढ़ती गरमी के बाद लोग पार्क में बैठकर इंजॉय करते नजर आ रहे हैं। राज्य में अब तक 32 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।

पिछड़े समाज की सबसे बड़ी निशानी- वहां महिलाओं के फैसले पुरुष करते हैं, बदलाव लाने का सबसे सशक्त तरीका प्रेम ही है   July 19, 2020 at 02:54PM

मेलिंडा गेट्स की किताब-’द मोमेंट ऑफ लिफ्ट- हाउ एम्पॉवरिंग वुमन चेंज द वर्ल्ड’ न्यू यॉर्क टाइम्स की बेस्ट सेलिंग बुक है। किताब में मेलिंडा ने उन महिलाओं के बारे में लिखा है, जिन्होंने किसी दौर में उन्हें प्रभावित और प्रेरित किया। मेलिंडा ने महिलाओं की व्यक्तिगत उपलब्धियों से कई निष्कर्ष निकाले हैं। पढ़िए उनके कुछ चुनिंदा कोट्स-

संसाधनों के रास्ते सबके लिए खोलने के लिए खुद को अलग और श्रेष्ठ मानना छोड़ना होगा

  • हर समुदाय में यह बुराई है कि महिलाओं को उनके ही घरों में बाहरी समझा जाता है। यह सोच इस समय की सबसे बड़ी चुनौती है। जिन लोगों को हम हाशिये पर धकेल देते हैं, उनसे ही हमें डर लगता है।
  • एक पिछड़े समाज की सबसे बड़ी निशानी यह है कि वहां महिलाओं के लिए निर्णय पुरुष करते हैं।
  • दुनिया में बदलाव लाने का सबसे सशक्त तरीका प्रेम है। प्यार, दूसरों को पनपने में मदद करने का माध्यम है। किसी को सशक्त बनाने की शुरुआत उसमें आत्मबल पैदा करने से होती है। यानी वह सबसे पहले अपनी इज्जत करना सीखे।
  • संसाधनों के रास्ते सभी के लिए खोलने होंगे। हमें खुद को अलग और श्रेष्ठ मानना छोड़ना होगा।
  • बहुत सारा धन, कई भ्रम पैदा करता है। यह स्वयं को श्रेष्ठ समझने के विचार को भड़काता है और विकृत बना देता है। खासतौर पर तब, जब आपको यह लगने लगता है कि पैसा कमा लेना, योग्यता कमा लेना है।
  • बुद्धिमानी अधिक से अधिक तथ्य जुटाने में नहीं है। बल्कि सत्य को गहराई में जाकर दिल से स्वीकार करने और समझने में है।
  • अपने अनुभव से मैंने जाना है कि दुनिया में गरीबी और बीमारी के पीछे सबसे बड़ा कारण महिलाओं पर वित्तीय और कानूनी प्रतिबंध लगाने की संस्कृति है।
  • जब आप यह समझने की कोशिश करते हैं कि दूसरे क्या महसूस कर रहे हैं, तो आप वह देखने लगते हैं जो वो देख रहे हैं। तब आप एक-दूसरे को समझ सकते हैं।
  • यदि आप अपना एजेंडा खुद सेट नहीं करेंगे, तो कोई और यह काम आपके लिए कर देगा। अगर मैंने अपने लिए महत्वपूर्ण चीजों के मुताबिक अपने काम तय नहीं किए, तो कोई और उसके लिए महत्वपूर्ण चीजों के अनुसार मेरे काम तय कर देगा।


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अपनी किताब द मोमेंट ऑफ लिफ्ट के साथ मेलिंडा गेट्स। इसमें उन्होंने कई प्रेरक कोट्स लिखे हैं।

Nigerian Foreign Minister tests positive for coronavirus July 19, 2020 at 07:22AM

13 people injured in Syria terror attack July 19, 2020 at 07:02AM

ओली और प्रचंड समझौते के लिए राजी, प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग छोड़ने को भी तैयार प्रचंड July 19, 2020 at 05:51AM

नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में टूट का खतरा फिलहाल टल गया है। नेपाल की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी के सह-अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे की मांग को फिलहाल छोड़ने का फैसला किया है। ओली और प्रचंड रविवार को आपसी समझौते के लिए राजी हो गए हैं। माना जा रहा है कि समझौते में राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी की भूमिका अहम रही।

साल के अंत तक आम सम्मेलन बुलाने पर राजी हुए
काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, ओली और प्रचंड इस साल के अंत में पार्टी का आम सम्मेलन बुनाने की शर्त पर राजी हुए हैं। समझौते का मतलब साफ है कि प्रचंड अब प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की अपनी मांग को छोड़ देंगे। प्रचंड की मांग की वजह से एनसीपी में आंतरिक गतिरोध के चलते टूट का खतरा मंडरा रहा था।

प्रचंड को सीनियर नेताओं का समर्थन भी था
प्रचंड ने ओली के इस्तीफे मांग तब और तेज कर दी थी, जब उन्हें पार्टी के सीनियर लीडर माधव कुमार नेपाल और झाला नाथ खनल का समर्थन मिल गया था। सभी ओली से प्रधानमंत्री और पार्टी चेयर दोनों से इस्तीफा मांग रहे थे। स्टैंडिंग कमेटी के 44 में से 30 सदस्यों ने भी ओली के इस्तीफे की मांग की थी।

दो दिन के लिए टली स्टैंडिंग कमेटी की बैठक
वहीं एनसीपी की रविवार को होने वाली स्टैंडिंग कमेटी की बैठक ने सातवीं बार टालनी पड़ी। एनसीपी के केंद्रीय कार्यालय की ओर से जारी बयान में बताया गया कि रविवार को दोपहर 3 बजे होने वाली स्टैंडिंग कमेटी की बैठक को मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए टाल टाल दिया गया है।

ओली से इसलिए नाराजगी
पार्टी नेता कई मुद्दों पर ओली से नाराज हैं। प्रधानमंत्री कोविड-19 से निपटने में नाकाम साबित हुए। भष्टाचार के आरोपों पर कार्रवाई नहीं की। एक बेहद अहम मुद्दा भारत से जुड़ा है। पार्टी नेता मानते हैं कि सीमा विवाद पर उन्होंने भारत से बातचीत नहीं की। वैसे भी ओली पार्टी के तीनों प्लेफॉर्म्स पर कमजोर हैं। सेक्रेटेरिएट, स्टैंडिंग कमेटी और सेंट्रल कमेटी में उनको समर्थन नहीं हैं। पार्टी के नियमों के मुताबिक, अगर इन तीन प्लेटफॉर्म पर नेता कमजोर होता है तो उसका जाना तय है।

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ये फोटो शनिवार की है। पार्टी सचिवालय की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, पार्टी अध्यक्ष पुष्पा कमल दहल (लेफ्ट) और वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल (राइट) एक-दूसरे का अभिवादन करते हुए। (फोटो- काठमांडू पोस्ट)

Trump calls Biden 'not competent' to lead the country July 19, 2020 at 05:34AM

Donald Trump made several unfounded or highly speculative accusations against the former Vice President, saying he would "triple your taxes" and "defund the police." He added, "Religion will be gone," referring to Democratic officials banning large church services to stem the virus spread.

China reports 13 new confirmed coronavirus cases July 19, 2020 at 05:41AM

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Colleges win immigration battle but fear for US reputation July 19, 2020 at 04:19AM

Hong Kong leader says coronavirus now spreading 'out of control' July 19, 2020 at 04:44AM

दुबई में भारतीय मूल की समृद्धि ने छोटे से बॉक्स में 3 मिनट में योग के 100 आसन कर रचा इतिहास, एक महीने के अंदर बनाया दूसरा रिकॉर्ड July 19, 2020 at 03:05AM

भारतीय मूल की समृद्धि कालिया ने दुबई में इतिहास रच दिया। समृद्धि ने एक छोटे से बॉक्स में 3 मिनट में योग के 100 पोज देकर नया कीर्तिमान बनाया। समृद्धि का ये तीसरा योग टाइटल है, जिसमें से 2 टाइटल समृद्धि ने 1 महीने के अंदर ही अपने नाम किए हैं।

गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम
खलीज टाइम्स की रिपोर्ट के हवाले से न्यूज एजेंसी ने रविवार को बताया कि 11 साल की समृद्धि का नाम गुरुवार को 'फास्टेस्ट हंड्रेड योगा पोस्चर्स परफॉर्म्ड इन रिस्ट्रिक्टेड एरिया' के लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। समृद्धि ने ये चैलेंज 3 मिनट और 18 सेकंड में दुबई कीप्रसिद्ध इमारत बुर्ज खलीफा के व्यूइंग डेक पर पूरा किया।

एक हफ्ते पहले ही 40 योग पोश्चरकर बनाया था रिकॉर्ड
एक छोटे से बॉक्स के अंदर एक मिनट में करीब 40 योग आसन करने का रिकॉर्ड बनाने के कुछ हफ्तों बाद ही समृद्धि ने ये वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। समृद्धि ने दूसरा वर्ल्ड रिकॉर्ड अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर बनाया था, जो हर साल 21 जून को मनाया जाता है।

समृद्धि ने बताया सफलता का राज
दुबई के एंबेसडर स्कूल में 7वीं की स्टूडेंट समृद्धि कालिया का मानना है कि ऐसी उपलब्धियां कड़ी मेहनत और लगन के साथ ही हासिल की जा सकती हैं। समृद्धि ने बताया कि हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। मैं रोज प्रैक्टिस करती हूं। यह काफी अच्छा है, जब आपके आस-पास के हर किसी को आप पर गर्व होता है। यह आपको हमेशा अपना बेस्ट देने के लिए प्रेरित करता है।

योग के क्षेत्र में बेहतरीन उपलब्धियों के लिए समृद्धि को जनवरी 2020 में प्रवासी भारतीय दिवस पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।



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समृद्धि ने 3 मिनट और 18 सेकंड में दुबई की प्रसिद्ध इमारत बुर्ज खलीफा के व्यूइंग डेक पर योग के 100 आसन किए।

250 सीटों के लिए 1600 उम्मीदवार मैदान में, राष्ट्रपति असद की बाथ पार्टी को जीत मिलने की उम्मीद July 19, 2020 at 01:05AM

सीरिया में रविवार को संसदीय चुनाव के लिए सुबह 8 बजे से वोटिंग शुरू हुई। 250 सीटों के लिए 1600 से ज्यादा उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। 2011 में विवाद शुरू होने के बाद देश में यह तीसरा संसदीय चुनाव है। पहले अप्रैल में चुनाव कराने का ऐलान किया गया था, लेकिन महामारी की वजह से इसे टाल दिया गया।

पहली बार उन इलाकों में भी वोटिंग हो रही है जो देश के कब्जे में दोबारा आए हैं। इनमें दमिश्क के पास घौटा और इडलीब राज्य शामिल हैं। यहां पर पहले विद्रोहियों का कब्जा था। अभी भी देश के कई ऐसे इलाके ऐसे हैं जहां पर सरकार का कब्जा नहीं है।
वोटिंग से पहले दो धमाके हुए
सरकारी न्यूज एजेंसी साना के मुताबिक, वोटिंग से पहले शनिवार कोराजधानी दमिश्क में दो धमाके हुए। इनमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और एक घायल हो गया। वोटिंग को देखते हुए यहां बीते कुछ दिनों से सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

राष्ट्रपति असद की पार्टी को जीत मिलने की उम्मीद

इस इलेक्शन में कई पार्टियों के उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। हालांकि,राष्ट्रपति बशर-अल- असद की बाथ पार्टी और इसके गठबंधन में शामिल दूसरी पार्टियों का पलड़ा भारी रहने की उम्मीद है। असद पिछले 20 साल से देश के राष्ट्रपति हैं। सीरिया के चुनावी विशेषज्ञों के मुताबिक, ज्यादातर विपक्षी पार्टियां ऐसी हैं जाे इलेक्शन का बायकॉट कर रही हैं। वहीं, कुछ ऐसी भी हैं जो असद के पक्ष में हैं और बस खानापूर्ति के लिए चुनाव लड़ रही हैं।

पिछली बार 2016 में हुआ था चुनाव

पिछली बार सीरिया में 2016 में चुनाव में हुआ था। अमेरिका और रूस कीसीरिया में संघर्षविराम पर सहमति बनने के कुछ घंटों बाद इसका ऐलान किया गया था। इसमें राष्ट्रपति असद की बाथ पार्टी ने 250 सीटों में से 200 सीटें जीतीं थीं। बाकी सीटों परस्वतंत्रउम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। 2012 में ऐसे समय में संसदीय चुनाव हुआ था जब सीरिया में गृह यद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई थी।

गृह युद्ध के लिए असद को ठहराया जाता है जिम्मेदार

असद ने 2000 में अपने पिता हाफेज़ अल असद की जगह ली थी। हालांकि,देश में भ्रष्टाचार और असद शासन की नीतियों से लोग नाराज थे। 2011 में सीरिया के दक्षिणी शहर दाराआ में लोकतंत्र के समर्थन में आंदोलन शुरू हुआ। इसके एक साल के अंदर ही यहां कई विद्रोही गुट बन गए और देश गृह युद्ध की चपेट में आ गया। बाद में अमेरिका,रूस, सऊदी अरब और ईरान जैसे देशों को इसमें दखल देना पड़ा।



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सीरिया के अलेप्पो शहर में शनिवार को वोटिंग शुरू होने से पहले स्ट्रांग रूम में रखे गए बैलेट बॉक्स को देखता कर्मचारी। यहां रविवार को संसदीय चुनाव के लिए वोटिंग हुई।

भारतवंशी वोटर बड़ा फेरबदल कर सकते हैं; पिछली बार 77% डेमोक्रेटिक पार्टी के पक्ष में थे, इस बार रिपब्लिकन पार्टी की तरफ ज्यादा झुकाव  July 19, 2020 at 01:00AM

भारतवंशी समुदाय 3 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपतिचुनावों में बड़ा फेरबदल कर सकताहै।दोनोंही पार्टियों(डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन) के लिए इस समुदाय को लुभाना जरूरी हो गया है। अमेरिका मेंचुनावों के लिए करीब 100 दिन बचे हैं। इस बार रिपब्लिक पार्टी के डोनाल्ड ट्रम्प के सामने डेमोक्रेटजो बिडेन हैं।

2016 में 77% डेमोक्रेटिक के पक्ष में थे
अमेरिका के शीर्ष डेमोक्रेटिक नेता थॉमस पेरेज ने एक वर्चुअल इवेंट मेंबताया कि 2016 के चुनाव में 77% इंडियन-अमेरिकन डेमोक्रेटिक पार्टी के पक्ष में थे। मौजूदा समय में इस कम्युनिटी में डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रभाव कम हुआ है। हाल ही में हुए सर्वे में यह सामने आयाकि हिलेरी का जितना प्रभाव इंडियन-अमेरिकन कम्युनिटी में था, उतना बिडेन का नहीं है। हालांकि, पार्टी भारतवंशियों पर असर डालने की पूरी कोशिश में है।

इंडियन-अमेरिकन कम्युनिटी को साथ लिया तो बाजी पलट सकती है

थॉमस पेरेज ने बताया कि कई स्टेट में इंडियन-कम्युनिटी का वोट गेमचेंजिंग है। उन्होंने 2016 के चुनावों मिशिगन, पेंसिलवेनिया और विस्कॉन्सिन में डेमोक्रेट्स की हार का जिक्र किया। पेरेज ने कहा- अगर इन जगहों पर इंडियन-अमेरिकन वोटरों को पूरी तरह अपने पक्ष में कर लिया जाता है तोबाजी पलट सकती है।

  • मिशिगन में 1 लाख 25 हजार इंडियन-अमेरिकन वोटर हैं। यहां से हिलेरी क्लिंटन को 10 हजार 700 वोट्स से हार मिली थी।
  • पेंसिलवेनिया में 1 लाख 56 हजार इंडियन-अमेरिकन वोटर हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी यहां पर 42 से 43 हजार वोटों से हार गई थी।
  • विस्कॉन्सिन में 37 हजार इंडियन-अमेरिकन हैं। डेमोक्रेट्सको यहां से 21 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा।

अमेरिका के आठ राज्यों में 13 लाख इंडियन-अमेरिकन वोटर
अमेरिका में एएपीआई (एशियन-अमेरिकन और पैसिफिक आईलैंडर) के चेयरमैन शेखर नरसिम्हा ने कहा कि अमेरिका के आठ राज्यों में 13 लाख इंडियन-अमेरिकन वोटर हैं। ये राज्य एरिजोना (66000), फ्लोरिडा (193,000), जॉर्जिया (150,000), मिशिगन (125,000), नार्थ कैरोलिना (111,000), पेन्सिलवेनिया (156,000), टेक्सास (475,000) और विस्कॉन्सिन (37,000) हैं। यह जानकारी डेटा गुरु कार्तिक रामकृष्णन की नई रिसर्च ले ली गई है।


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Latest News Updates; Indian-American voters could make huge difference in battleground states in election

7 members of Imran's Cabinet dual nationals or PRs of other countries July 18, 2020 at 11:43PM

राजधानी बैंकॉक में हजारों लोग सड़कों पर उतरे, संविधान बदलने और दोबारा चुनाव कराने की मांग की July 18, 2020 at 09:25PM

थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में हजारों लोगों ने शनिवार को सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने देश में नया संविधान बनाने, दोबारा चुनाव कराने और ऐसे कानून खत्म करने की मांग की जो लोगों के खिलाफ हैं। यह प्रदर्शन लिबरेशन यूथ ग्रुप के बैनर तले किया गया। इसमें ज्यादातर युवा शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस ने बैंकॉक के डेमोक्रेसी मोनुमेंट के पास बैरिकेडिंग कर दी। इमरजेंसी कानून का हवाला देते हुए प्रदर्शन खत्म कराया गया।

देश के पूर्व प्रधानमंत्री प्रयुत्त चान-ओ-चा के खिलाफ 2014 से ही लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रयुत्त तख्ता पलट करके देश की सत्ता पर आए थे। लोग सरकार के कामकाज में सेना के बढ़ते दखल से नाराज हैं और प्रयुत्त ओ चान से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

देश में फिलहाल लागू है इमरजेंसी कानून

थाईलैंड में महामारी को देखते हुए इमरजेंसी कानून लागू किया गया है। इससे संक्रमण रोकने में मदद मिली है। इसके साथ ही सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भी कमी आई है। हालांकि, लोगों का आरोप है कि सरकार इमरजेंसी कानून को राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। फरवरी में यहां की अदालत ने एक पार्टी को भंग करने का आदेश दिया था। यह पार्टी अपने लोकतांत्रिक नीतियों के कारण युवाओं में लोकप्रिय थी। इसके बाद भी प्रदर्शन हुए थे।

क्यों सरकार के खिलाफ हो रहेहैं प्रदर्शन?
2014 में थाईलैंड में सरकार का तख्ता पलट किया गया था। इसके बाद सेना में जनरल रहे प्रयुत प्रधानमंत्री बने थे। इसके दो साल बाद 2016 में देश का नया संविधान तैयार हुआ और जनमत कराया गया। संविधान में ऐसे बदलाव किए गए कि लोकतंत्र बहाली के बाद भी सत्ता पर सेना की पकड़ बनी रहे। 2019 में यहां चुनाव भी हुआ। इसमें प्रयुत्त की पार्टी को जीत मिली। हालांकि, इसके बाद चुनाव में गड़बड़ी करने के आरोप भी लगे। अब यहां लोग संविधान और जन विरोधी कानून को बदलने की मांग कर रहे हैं।



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थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में शनिवार को डेमाेक्रेसी मोनुमेंट के पास लोगों ने सरकार के विरोध में प्रदर्शन किया।

पीओके का दौरा करने के बदले ब्रिटिश सांसदों को मिले 30 लाख रु, भारत से लौटाए जाने के बाद पीओके का दौरा किया था July 18, 2020 at 08:54PM

भारत से लौटाए जाने के बाद ब्रिटेन के सांसदों को पाकिस्तान का दौरा करने के बदले मोटी रकम मिली। ब्रिटिश सांसद डेबी अब्राहम्सकी अगुवाई में सांसदों के इस समूह ने इस साल फरवरी में पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का दौरा किया था। इसके बदले इन्हें मोटी रकम मिलने की बात अब 5 महीने बादसामने आई है। ब्रिटेन के ऑल पार्टी पार्लियामेंटी ग्रुप (एपीपीजी) और ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री कश्मीर ग्रुप के रजिस्टर के मुताबिक, इस दौरे के बदले सांसदों को 31 हजार पाउंड (करीब 30 लाख रु.) मिले। यह रकम सांसदों को 18 फरवरी को दी गई।

ब्रिटिश सांसद डेबी अब्राहम्सको फरवरी में दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से ही उनके देश वापस भेज दिया गया था। इसके कुछ ही दिनों बाद पाकिस्तान ने उन्हें और उनके दूसरे सांसद साथियों को अपने देश बुलाया था।

क्यों लौटाई गई थीं अब्राहम्स
डेबी अब्राहम्स फरवरी में 2 दिन के लिए भारत आई थीं। उन्हें पिछले साल 7 अक्टूबर को बिजनेस मीटिंग में शामिल होने के लिए ई-वीजा जारी किया गया था, जो अक्टूबर 2020 तक वैध था। लेकिन, देश विरोधी गतिविधियों की जानकारी मिलने के बाद सरकार ने वीजा रद्द कर दिया। वैध विजा के बिना भारत पहुंचने की वजह से उन्हें एयरपोर्ट से ही लौटा दिया गया था।

डेबी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध किया था
डेबी ने भारत के दौरे पर आने से पहले जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध किया था। वे अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कश्मीर के हालात का जायजा लेने के मकसद से ही भारत पहुंची थी। उन्होंने भारत से लौटाए जाने के बाद एयरपोर्ट अधिकारियों पर वैध वीजा को बिना वजह बताए अमान्य करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि उनके साथ अपराधियों जैसाबर्ताव हुआ।



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यह फोटो इस साल फरवरी की है, जब ब्रिटिश सांसद डेबी अब्राहम्स दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचीं थीं। उन्हें एयरपोर्ट अधिकारियों ने कुछ ही देर बाद दूसरे प्लेन से वापस भेज दिया था। -फाइल