Friday, November 20, 2020

अफगानिस्तान के काबुल में 14 रॉकेट दागे गए, 28 लोग घायल, 5 की मौत November 20, 2020 at 08:45PM

अफगानिस्तान के काबुल में शनिवार सुबह कुछ इलाकों में 14 रॉकेट दागे गए। इस हमले में 5 लोगों की मौत हो गई जबकि 28 लोग घायल हो गए। स्थानीय मीडिया टोलो न्यूज ने यह जानकारी गृह मंत्रालय के हवाले से दी है।

मंत्रालय के मुताबिक, ये रॉकेट्स काबुल के वजीर अकबर खान और शेर-ए-नॉ एरिया, गुल-ए-सुर्ख, स्पाइंजर रोड, नेशनल आर्काइव रोड, लैजी मरियम मार्केट और पंज्साद एरिया में गिरे। रॉकेट हमले से पहले चेहल सुतून और अजान कीमत एरिया में दो विस्फोट भी हुए थे। घायलों को शेर-ए-नॉ एरिया में मौजूद अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। तालिबान ने कहा है कि वह इस हमले में शामिल नहीं है।



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काबुल के कुछ इलाकों में शनिवार सुबह रॉकेट से हमला किया गया। घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

ओबामा बोले- अगर कोई व्हाइट हाउस में छिप जाए तो हम नेवी सील कमांडो भेजकर उसे खदेड़ देंगे November 20, 2020 at 07:35PM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प चुनाव हार चुके हैं। हालांकि, उन्होंने हार कबूल नहीं की है और वे कानूनी पैंतरे आजमा रहे हैं। 3 नवंबर के बाद से ट्रम्प व्हाइट हाइस से ज्यादा बाहर नहीं निकले। अब पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उनकी जिद पर तंज कसा है। एक इंटरव्यू के दौरान ओबामा ने कहा- अगर कोई व्हाइट हाउस के किसी कोने में छिपकर बैठ जाता तो मैं उसे अपने नेवी सील कमांडो की टीम भेजकर बाहर निकलवा देता।

अमेरिका ही नहीं दुनिया में नेवी सील्स को सबसे खतरनाक कमांडो दस्ता माना जाता है। नेवी सील कमांडोज ने ही 2 मई 2011 की रात पाकिस्तान के ऐबटाबाद में अल कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था।

ओबामा का तंज
ओबामा शुक्रवार को अपनी किताब ‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’के प्रमोशन के सिलसिले में मशहूर टीवी शो ‘जिमी किमेल लाइव’में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कई सवालों के जवाब दिए। ज्यादातर सवाल मनोरंजक किस्म के थे। इसी दौरान जिमी ने ओबामा से पूछा- क्या व्हाइट हाउस में ऐसी कोई जगह है, जहां कोई निकाले जाने के डर से छिप जाए और उसे खोजना मुश्किल हो? बराक ने हंसते हुए जवाब दिया- मुझे लगता है कि वहां छिपने वाले किसी भी व्यक्ति को हम अपने नेवी सील कमांडो भेजकर खदेड़ सकते हैं।

ट्रम्प का नाम नहीं लिया
शो के दौरान कई बार ऐसे मौके आए जब ओबामा को ट्रम्प का नाम लेना चाहिए था, लेकिन पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ने इससे परहेज किया। हालांकि, छिपने वाले सवाल के बाद ओबामा कुछ संजीदा हुए और उम्मीद जताई कि सत्ता हस्तांतरण का काम आसानी और शांति से पूरा हो जाएगा।

सत्ता हस्तांतरण कब शुरू होगा
अमेरिका में सरकार बदलने पर कामकाज की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी जनरल सर्विस एडमिनिस्ट्रेशन की होती है। यही टीम ट्रांजिशन कराती है। अब तक इसने कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। माना जा रहा है कि 14 दिसंबर को इलेक्टोरल कॉलेज की मीटिंग की बाद यह नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। इसके बाद ट्रम्प के पास व्हाइट हाउस छोड़ने के अलावा कोई संवैधानिक रास्ता नहीं होगा। उनके द्वारा चुनावी धांधली के मामलों पर फैसला भी तब तक आ जाएगा।

ओबामा ने एक सवाल के जवाब में कहा- 2008 में जब मैं राष्ट्रपति बना तो जॉर्ज बुश जूनियर ने अपने अफसरों को आदेश दिया था कि वे ट्रांजिशन के काम को तेजी से पूरा करें। तब आर्थिक मंदी का दौर था। हमें एक-दूसरे का सम्मान करना होगा।



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फोटो 23 नवंबर 2010 की है। इस दिन नॉर्थ कोरिया ने साउथ कोरिया के सैनिकों पर हमला किया था। ओबामा ने इस बारे में अफसरों से जानकारी ली थी।

60 साल में पहली बार तिब्बत के PM को व्हाइट हाउस आने के न्योता, जिनपिंग सरकार इससे भड़क सकती है November 20, 2020 at 06:38PM

अमेरिका ने 60 साल बाद तिब्बत को लेकर एक ऐसा कदम उठाया है, जिससे चीन से उसके रिश्ते ज्यादा खराब हो सकते हैं। व्हाइट हाउस ने सेंट्रल तिब्बत एडमिनिस्ट्रेशन (CTA) के प्रेसिडेंट लोबसांग सेन्गे को यहां आने का न्योता दिया है। माना जा रहा है कि छह दशक बाद ही सही अब अमेरिका तिब्बत की निर्वासित सरकार को मान्यता दे रहा है। तिब्बत की इस निर्वासित सरकार का मुख्यालय भारत के धर्मशाला शहर में है।

चीन हमेशा से तिब्बत को अपना हिस्सा बताता रहा है। अमेरिका ने पहले कभी तिब्बत सरकार या इसके नेताओं को कूटनीतिक तौर पर अहमियत नहीं दी। लेकिन, पिछले कुछ साल से अमेरिकी अफसर तिब्बती नेताओं के साथ गुप्त बातचीत करते रहे हैं। अब अमेरिका के इस कदम से दोनों देशों के रिश्तों में नया तनाव पैदा हो सकता है।

सीटीए के प्रवक्ता ने न्योते की पुष्टि की
धर्मशाला में मौजूद सीटीए प्रवक्ता ने भी पुष्टि की है कि प्रेसिडेंट सेन्गे को व्हाइट हाउस आने का इनविटेशन मिला है। पिछले महीने सेन्गे को पहली बार अमेरिकी विदेश विभाग में बतौर मेहमान बुलाया गया था। यहां उन्होंने तिब्बत मामलों के स्पेशल डायरेक्टर रॉबर्ट डेस्ट्रो से मुलाकात की थी। इसके पहले कोई तिब्बती नेता स्टेट डिपार्टमेंट नहीं गया था। सीटीए के स्पोक्सपर्सन ने कहा- हमें खुशी है कि दो लोकतंत्र एक दूसरे को मान्यता दे रहे हैं। सीटीए और इसके नेता को व्हाइट हाउस से न्योता मिलना अहम शुरुआत कही जा सकती है। सेन्गे यहां व्हाइट हाउस के अफसरों से मुलाकात करेंगे।

गुप्त मुलाकातों का सिलसिला
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सेन्गे 2011 में सीटीए के राष्ट्रपति बने। पिछले करीब 10 साल से अमेरिकी अफसर उनसे गुप्त मुलाकातें करते रहे हैं। लेकिन, अमेरिका ने इस बार चौंकाने वाला फैसला लेते हुए उन्हें सीधे व्हाइट हाउस आने का न्योता दिया। हाल के कुछ महीनों में सेन्गे काफी एक्टव रहे। उन्होंने कई नेताओं से मुलाकातें कीं। अमेरिका के रिपब्लिकन सीनेटर्स से भी वे बातचीत कर चुके हैं। तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरू दलाई लामा 1959 से भारत में रह रहे हैं।



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प्रेसिडेंट लोबसांग सेन्गे 2011 से सेंट्रल तिब्बत एडमिनिस्ट्रेशन (CTA) के प्रेसिडेंट हैं। उन्हें पहली बार व्हाइट हाउस आने का न्योता मिला है। (फाइल)

Joe, Harris meet House Speaker Nancy Pelosi, Senate leader Schumer November 20, 2020 at 06:23PM

Global Covid-19 cases surpass 57m mark: Johns Hopkins November 20, 2020 at 05:25PM

The overall number of global coronavirus cases has surpassed the 57 million mark, while the deaths have surged to more than 1.36 million, according to the Johns Hopkins University.

Pompeo to meet Taliban negotiators in Qatar: State Department November 20, 2020 at 05:11PM

Michigan election staff recommend certification of Biden win November 20, 2020 at 05:06PM

Michigan's election agency on Friday recommended that the Nov. 3 results be certified next week by state canvassers, a decision that would bless Joe Biden's victory over President Donald Trump but likely not cool partisan strife over the vote.

Indian-American Mala Adiga named Jill Biden's policy director November 20, 2020 at 04:25PM

Adiga has served as a senior advisor to Jill and a senior policy advisor on the Biden-Kamala Harris campaign. Previously, Adiga was director for Higher Education and Military Families at the Biden Foundation.

15 साल के लड़के ने घर में घुसकर अहमदिया समुदाय के डॉक्टर का कत्ल किया, परिवार के दूसरे सदस्य भी घायल November 20, 2020 at 05:32PM

पाकिस्तान के ननकाना साहिब में मजहबी मामले को लेकर अहमदिया समुदाय के एक डॉक्टर की हत्या कर दी गई। कत्ल का आरोप 15 साल के लड़के पर है। उसे हिरासत में लिया गया है। लड़के ने युवा डॉक्टर के घर में घुसकर उन पर ऑटोमैटिक पिस्टल से कई गोलियां दागीं। डॉक्टर की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। उनके कुछ परिजन घायल हैं। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पाकिस्तान के संविधान में अहमदिया समुदाया को मुसलमान नहीं माना जाता। हर हुकूमत ने उनके बुनियादी अधिकार सीमित किए हैं। इन समुदाय के लोगों पर बाकी अल्पसंख्यकों की तरह अकसर हमले होते हैं।

31 साल के थे डॉक्टर ताहिर महमूद
घटना शुक्रवार शाम की है। डॉक्टर ताहिर और उनका परिवार घर में था। तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया। डॉक्टर ताहिर ने दरवाजा खोला तो सामने एक लड़का था। उसके हाथ में पिस्टल थी। उसने बिना कोई बात किए डॉक्टर पर कई गोलियां चलाईं। ताहिर गिर पड़े और कुछ ही देर में दम तोड़ दिया। बचाव के लिए पहुंचे ताहिर के पिता और चाचा के अलावा एक बहन को भी गोलियां लगी हैं। उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।

मजहबी विवाद के बाद हत्या
इलाके के पुलिस अफसर मोहम्मद शमशेर ने कहा- आरोपी को हमने फिलहाल पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। उसने माना है कि मजहबी विवाद के चलते उसने डॉक्टर तारिक की हत्या की है। हम इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रह हैं कि आरोपी ने किसी के बहकावे पर डॉक्टर की हत्या की या अपनी मर्जी से इस कत्ल को अंजाम दिया। अहमदिया समुदाय ने एक बयान में कहा- अब हमारे लोग अपने घरों में महफूज नहीं हैं। क्या उन्हें कोई मजहबी अधिकार नहीं दिए जाएंगे। सरकार और लोकल एडमिनिस्ट्रेशन खुलेआम कातिलों का साथ दे रहे हैं।

पाकिस्तान में 40 लाख अहमदिया
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, पाकिस्तान में करीब 40 लाख अहमदिया हैं। इन्हें संवै‌धानिक तौर पर भी मुस्लिम नहीं माना जाता। इन्हें मस्जिदों में जाने की इजाजत नहीं है। पिछले दिनों इस समुदाय ने अपना मुख्यालय इस्लामाबाद से लंदन शिफ्ट किया है। नवाज शरीफ सरकार के दौर में इन्हें देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए अहम पदों से हटा दिया गया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 40 लाख की आबादी में से महज 1200 लोग ही सरकारी नौकरी में हैं।



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31 साल के ताहिक महमूद अहमदिया समुदाय से थे। वे ननकाना साहिब के एक अस्पताल में सर्जन थे। शुक्रवार शाम उनकी घर में हत्या कर दी गई। (फाइल)

बाइडेन की पत्नी जिल की पॉलिसी एडवाइजर होंगी भारतीय मूल की माला अडिगा, ओबामा के साथ भी काम कर चुकीं November 20, 2020 at 05:17PM

प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस के लिए कुछ नई नियुक्तियां की हैं। भारतीय मूल की अमेरिकी माला अडिगा को प्रेसिडेंट इलेक्ट की पत्नी जिल बाइडेन का पॉलिसी डायरेक्टर बनाया गया है। खास बात ये है कि माला राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी बाइडेन और कमला हैरिस के साथ लगातार थीं। उस दौरान माला ने बतौर कैम्पेन पॉलिसी एडवाइजर काम किया था। माला एकेडमिक स्ट्रैटजिस्ट हैं। इसके अलावा उन्हें फॉरेन पॉलिसी के बारे में गहरी जानकारी है। बराक ओबामा के दूसरे कार्यकाल में माला बतौर एडवाइजर काम कर चुकी हैं।

अहम भूमिका होगी
जिल बाइडेन पहले ही साफ कर चुकी हैं कि वे व्हाइट हाउस में आने के बाद यानी फर्स्ट लेडी बनने के बाद भी प्रोफेसर के तौर पर अपना काम करती रहेंगी। यानी फर्स्ट लेडी बनने के बाद भी नौकरी करती रहेंगी। इसलिए माला की जिम्मेदारी ज्यादा होगी। क्योंकि, जिल नौकरी में व्यस्त रहेंगी। माला के बाइडेन परिवार से काफी करीबी रिश्ते रहे हैं। वे बाइडेन फाउंडेशन में हायर एजुकेशन और मिलिट्री फैमिली विंग की डायरेक्टर भी हैं। हालांकि, ताजा नियुक्ति के बाद उन्हें फाउंडेशन से हटना पड़ेगा। क्योंकि, जिल की टीम में आने के बाद वे फेडरल एडमिनिस्ट्रेशन का हिस्सा बन जाएंगी।

ओबामा के दौर में भी व्हाइट हाउस में रहीं
माला 2008 में बराक ओबामा एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़ीं। उस दौरान वे एजुकेशन सेक्रेटरी थीं। इसके अलावा स्टेट डिपार्टमेंट यानी विदेश विभाग में भी उन्होंने कुछ वक्त बिताया। महिलाओं से जुड़े वैश्विक मामलों पर बनी कमेटी में भी माला की अहम भूमिका थी।

अडिगा नेशनल सिक्युरिटी में ह्यूमन राइट्स डिपार्टमेंट को भी लीड कर चुकी हैं। माला इलिनोइस में रहती हैं और उन्होंने मिनेसोटा कॉलेज से पब्लिक हेल्थ और शिकागो लॉ स्कूल से ह्यूमन राइट्स में उपाधियां हासिल की हैं।

कुछ और अपॉइंटमेंट्स होंगे
माना जा रहा है कि बाइडेन की ट्रांजिशन टीम जल्द ही कुछ और नियुक्तियों की घोषणा करेगी। सोमवार या मंगलवार को चार से पांच अपॉइंटमेंट्स का ऐलान किया जा सकता है। माना जा रहा है कि इनमें भी भारतीय मूल के कुछ अफसर हो सकते हैं। डॉ. विवेक मूर्ति को बाइडेन का स्पेशल एडवाइजर हेल्थ बनाया जा सकता है। इसके अलावा वे फेडरल हेल्थ सेक्रेटरी भी बनाए जा सकते हैं।



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भारतीय मूल की माला अडिगा एजुकेशन और फॉरेन पॉलिसी एक्सपर्ट हैं। बराक ओबामा के दौर में भी वे व्हाइट हाउस में काम कर चुकी हैं। (फाइल)

UK: Johnson backs Priti Patel after probe declares her 'bully' November 20, 2020 at 03:31PM

UK PM Boris Johnson on Friday backed Priti Patel, one of his most senior ministers, after a damning inquiry into allegations that she bullied her staff concluded she had broken rules, including shouting and swearing at them. Johnson's defence of the Indian-origin home secretary prompted the author of the report, independent adviser Alex Allan, to resign.

अमेरिका में मई के बाद एक दिन में सबसे ज्यादा 2 हजार 15 मौतें, ट्रम्प का बड़ा बेटा भी संक्रमित November 20, 2020 at 03:31PM

दुनियाभर में अब तक 5.78 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 4.03 करोड़ लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 13.76 लाख लोगों की जान जा चुकी है। अब 1.64 करोड़ मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है, यानी एक्टिव केस। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिका में हालात किस कदर बिगड़ रहे हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 24 घंटे में यहां 2 हजार 15 लोगों की मौत हो गई। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए भी अच्छी खबर नहीं है। उनका बड़ा बेटा भी पॉजिटिव हो गया है।

और खराब होंगे हालात
अमेरिका में संक्रमितों का आंकड़ा बेहद तेजी से बढ़ रहा है। इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि संक्रमण से मरने वालों की संख्या में भी तेज बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। 24 घंटे के दौरान यहां 2 हजार 15 मरीजों ने दम तोड़ दिया। मई के बाद एक दिन में हुई मौतों का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी द्वारा जारी डेटा में यह जानकारी दी गई है। इस बीच अमेरिका के ही कुछ जानकारों ने आशंका जताई है कि अगर अब भी आजादी के नाम पर सख्त उपायों को टाला जाता रहा तो अस्पतालों में जगह नहीं बचेगी।

24 घंटे के दौरान अमेरिका में संक्रमितों का आंकड़ा एक लाख 87 हजार और बढ़ गया। अब कुल संक्रमितों की संख्या एक करोड़ 22 लाख से ज्यादा हो चुकी है। 2 लाख 60 हजार संक्रमितों की मौत हो चुकी है। अमेरिका में जनवरी में पहला मामला सामने आया था। दो हफ्ते में हर रोज यह फिगर औसतन 1.5 लाख की रफ्तार से बढ़ रहा है।

न्यूयॉर्क के अस्पताल में मरीज का ब्लड सैम्पल लेने के बाद उसे देखतीं दो हेल्थ स्टाफर। इस राज्य में लॉकडाउन की चर्चा है। हालांकि, ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन इसका विरोध कर रही है।

ट्रम्प का बेटा भी संक्रमित
राष्ट्रपति चुनाव हार चुके लेकिन कुर्सी न छोड़ने की जिद पर अड़े डोनाल्ड ट्रम्प और पत्नी मेलानिया के बाद बेटा ट्रम्प जूनियर भी पॉजिटिव पाया गया है। द गार्डियन ने यह खबर दी है। ट्रम्प के स्पोक्समैन ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा- राष्ट्रपति के बेटे ने इस हफ्ते की शुरुआत में टेस्ट कराया था। उनकी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी। हमारे लिए यह चिंता की बात है। हालांकि, उनमें किसी तरह के लक्षण फिलहाल दिखाई नहीं दिए हैं।

पिछले महीने राष्ट्रपति और उनकी पत्नी के साथ ही सबसे छोटा बेटा पॉजिटिव पाए गए थे। तब इलेक्शन कैम्पेन का आखिरी दौर चल रहा था। ट्रम्प तीन दिन में रैलियां करने लगे थे।

सीडीसी की अपील
अमेरिका में सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन यानी सीडीसी ने देश के नागरिकों से अपील में कहा है कि वे थैंक्सगिविंग डे पर यात्रा करने से बचें। सीडीसी के डायरेक्टर डॉक्टर हेनरी वेक ने कहा- हम जितना ज्यादा सफर करेंगे, महमारी का खतरा उतनी ही तेजी से फैलता जाएगा और यह सबके लिए खतरनाक है। फिर भी अगर आप यात्रा करना ही चाहते हैं तो हर उस गाइडलाइन का पालन करें जो हमने जारी की हैं। हम जानते हैं कि छुटि्टयों का हर कोई लुत्फ उठाना चाहता है, लेकिन कुछ खतरों को किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। माना जा रहा है कि आज देर रात सीडीसी कुछ नई गाइडलाइन्स जारी कर सकता है।



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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का बेटा ट्रम्प जूनियर भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। व्हाइट हाउस के मुताबिक , ट्रम्प जूनियर पिछले हफ्ते पॉजिटिव पाए गए थे। उनमें किसी तरह के लक्षण दिखाई नहीं दिए।

अफगानिस्तान की पहाड़ियों में छिपे अल जवाहिरी की अस्थमा से मौत, इलाज नहीं मिला November 20, 2020 at 04:21AM

दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन अल कायदा के चीफ अल जवाहिरी की अस्थमा से मौत हो गई है। अल जवाहिरी अफगानिस्तान की पहाड़ियों में छिपा हुआ था। वहां उसे सही इलाज नहीं मिला। अरब न्यूज ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मौजूद सूत्रों के हवाले से यह दावा किया है।

अल कायदा से जुड़े सूत्र ने अरब न्यूज को बताया कि 68 साल के अल जवाहिरी ने गजनी में पिछले सप्ताह दम तोड़ा। उसकी मौत अस्थमा से हो गई, क्योंकि उसे इलाज नहीं मिला। जवाहिरी को सांस लेने में तकलीफ रहती थी। वह बुरी तरह बीमार था। उसके जनाजे में बहुत कम लोग शामिल हुए।

अमेरिकी खुफिया एजेंसी इस दावे की पड़ताल कर रही हैं। अल जवाहिरी और अब्दुल्ला अमेरिकी खुफिया एजेंसी FBI की मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की लिस्ट में शामिल थे। अल जवाहिरी पर ढाई करोड़ डॉलर का इनाम घोषित था।

ओसामा की मौत के बाद बना था मुखिया

जवाहिरी ने अमेरिकी हमले में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद संगठन की कमान अपने हाथ में ली थी। इजिप्ट का रहने वाला जवाहिरी आंखों का डॉक्टर था। 2011 में वह अल कायदा का मुखिया बना। दुनिया भर में कई जगह हुए आतंकी हमलों के पीछे उसका हाथ माना जाता है। 15 साल की उम्र में जवाहिरी को पहली बार गिरफ्तार किया गया था। 1974 में उसने केयरो यूनिवर्सिटी के मेडिकल स्कूल से ग्रैजुएशन किया था। यहां उसके पिता प्रोफेसर थे।

इन हमलों की साजिश में शामिल था

  • केन्या और तंजानिया में 1998 में अमेरिकी दूतावास में हुए आतंकी हमले की साजिश रचने वालों में जवाहिरी भी शामिल था। इस हमले में 224 लोगों की मौत हो गई थी।
  • 2005 में लंदन में हुए बम धमाकों के पीछे भी जवाहिरी का ही दिमाग माना जाता है। इसमें 56 लोगों ने जान गंवाई थी। जवाहिरी ब्रिटेन को इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन बताता था।

अगस्त में नंबर दो कमांडर मारा गया था

अल जवाहिरी के मरने की खबर अल कायदा के दूसरे नंबर के कमांडर अब्दुल्ला अहमद अब्दुल्ला उर्फ अबु मोहम्मद अल मासरी की मौत के कुछ दिन बाद आई है। 7 अगस्त को ईरान की राजधानी तेहरान में एक शूटआउट में अबु मोहम्मद मारा गया था। मासरी नैरोबी में 1998 में अमेरिकी दूतावास पर हमले का जिम्मेदार था।

हमले में उसकी बेटी मरियम भी मारी गई थी। मरियम ओसामा बिन लादेन की बहू थी। लादेन के बेटे हमजा से उसका निकाह हुआ था। हमजा की 2019 में अमेरिका के एक काउंटर ऑपरेशन में मौत हो गई थी। एक के बाद एक टॉप के दोनों कमांडरों की मौत से अल कायदा की ताकत काफी कम हो सकती है।

9/11 हमले की बरसी पर जारी वीडियो में दिखा था

अल-जवाहिरी आखिरी बार अमेरिका में 9/11 के हमलों की बरसी पर एक वीडियो मैसेज में दिखाई दिया था। 45 मिनट का यह वीडियो सितंबर में रिलीज किया गया था। इसमें आतंकी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले की कामयाबी का जश्न मनाते दिखे थे। इस हमले में 2,996 लोग मारे गए थे। जवाहिरी हर साल हमले की बरसी पर वीडियो जारी करता था।

इससे पहले उसने इसी मौके पर जारी वीडियो में मुस्लिमों को पश्चिमी देशों पर हमला करने के लिए उकसाया था। उसने कहा था कि अमेरिका, यूरोप, इजराइल और रूस जैसे पश्चिमी देशों पर हमला करके उन्हें तबाह कर दो।



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अल जवाहिरी 2011 में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अल कायदा का मुखिया बना था। दुनिया भर में कई जगह हुए आतंकी हमलों के पीछे उसका हाथ माना जाता है।

Mike Pompeo visits Israel museum honoring Christian Zionists November 20, 2020 at 01:33AM

South Australia says man's 'lie' caused Covid lockdown as curbs eased November 20, 2020 at 01:03AM

South Australia's drastic six-day coronavirus lockdown was triggered by a "lie" to contact tracers from a man who tested positive and restrictions across the state are set to be lifted much sooner than first planned, authorities said on Friday. ​​​​The shock announcement came just two days after the state government ordered people to stay at home and shut many businesses to combat what was considered a highly contagious outbreak of coronavirus.

ट्रम्प के अड़ियल रवैये से अफसर भी परेशान, कई पूर्व और वर्तमान सहयोगी अब बाइडेन खेमे में पहुंचे November 19, 2020 at 11:00PM

राष्ट्रपति चुनाव में स्पष्ट हार के बावजूद इसे कबूल करने से इनकार कर रहे डोनाल्ड ट्रम्प अब अकेले पड़ते जा रहे हैं। व्हाइट हाउस में उनके कई पूर्व सहयोगी इससे न सिर्फ नाराज हैं, बल्कि अब पाला भी बदलने लगे हैं। इनमें ज्यादातर वे अफसर या सियासी सहयोगी हैं जिन्हें ट्रम्प ने बर्खास्त किया। ये अफसर अब जो बाइडेन की ट्रांजिशन टीम (सत्ता हस्तांतरण करने वाली टीम) में शामिल होने लगे हैं। ट्रम्प को एक और झटका तब लगा जब जॉर्जिया में उनकी जिद की वजह से हुए रि-काउंट में भी उन्हें मात खानी पड़ी।

शक की कोई गुंजाइश नहीं
CNN की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प के हार न मानने की जिद अब उन पर भारी पड़ने लगी है। वक्त निकलता जा रहा है। 14 दिसंबर को इलेक्टोरल कॉलेज की मीटिंग होनी है। 20 जनवरी को इनॉगरेशन परेड यानी शपथ होनी है। ऐसे में जनरल एडमिनिस्ट्रेशन के अफसर परेशान हैं कि वे क्या करें, क्योंकि ट्रम्प हार मानने तैयार नहीं हैं। बाइडेन की टीम को फेडरल टीम्स से इनपुट नहीं मिल रहे हैं। इंटेलिजेंस एजेंसीज भी उन्हें जानकारी नहीं दे पा रही हैं। ब्यूरोक्रेट्स नाराज है। अफसरों का माना है कि अब शक की कोईं गुंजाइश नहीं है और ट्रम्प को हार मान लेनी चाहिए।

बाइडेन के संपर्क में अफसर
ताजा डेवलपमेंट्स के बाद अफसर बाइडेन खेमे से संपर्क करने लगे हैं। हालांकि, औपचारिक तौर पर इसका ऐलान नहीं किया गया है। कुछ अफसर ऐसे हैं जिन्हें ट्रम्प ने निकाल दिया था। अब ये बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन में फिर नजर आ रहे हैं। एक अफसर ने सीएनएन से कहा- हमें कोई लालच नहीं है। लेकिन, हम बाइडेन की मदद करने के लिए तैयार हैं। बाइडेन के एक एडवाइजर ने भी माना कि कुछ पूर्व और वर्तमान अफसरों ने उनसे संपर्क किया है। लेकिन, इस पर टिप्पणी से इनकार कर दिया। ट्रम्प की डिप्टी कैम्पेन मैनेजर केट बेडिंग्लेफील्ड ने कहा- हम चाहते हैं कि अमेरिकी नागरिकों को इफेक्टिव एडमिनिस्ट्रेशन मिले।

कर्मचारियों को धमकी
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प के सहयोगी व्हाइट हाउस के स्टाफ को धमकी दे रहे हैं कि वे बाइडेन की टीम से संपर्क न करें। हेल्थ डिपार्टमेंट के चीफ एलेक्स अजार ने गुरुवार को कहा- जब तक जनरल एडमिनिस्ट्रेशन हमें यह ऑर्डर जारी नहीं करती कि हम बाइडेन की टीम को जानकारी देना शुरू करें। तब तक हम ये नहीं कर सकते। इस बारे में फिलहाल फैसले का अधिकार तो राष्ट्रपति ट्रम्प के ही पास है।

एस्पर की वापसी मुमकिन
ट्रम्प ने पिछले दिनों डिफेंस सेक्रेटरी मार्क एस्पर को बर्खास्त कर दिया था। माना जाता है कि एस्पर ने ट्रम्प के कई फैसलों का विरोध किया था और ट्रम्प इससे नाराज थे। अब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि मार्क बाइडेन के भी डिफेंस सेक्रेटरी या एडवाइजर बनाए जा सकते हैं। इसकी वजह यह है कि उन्हें इस सेक्टर का ताजा अनुभव है।

पेंटागन पर भी नजरें
सीएनएन के मुताबिक, एक और पूर्व डिफेंस सेक्रेटरी जिम मैटिस को भी पेंटागन में अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। जरूरी हुआ तो इसके लिए एक अलग पोस्ट भी बनाई जा सकती है। खबरें तो यहां तक हैं कि बाइडेन की ट्रांजिशन टीम इस बारे में मैटिस से कई दौर की चर्चा कर चुकी है।

ये ड्रामा नहीं सोचा था
व्हाइट हाउस के एक अफसर ने सीएनएन से कहा- इसमें तो कोई दो राय नहीं कि हालात में बदलाव होगा। लेकिन, ये हमारी समझ से बाहर कि वेस्ट विंग में इस तरह का ड्रामा क्यों रचा जा रहा है। एक अन्य अफसर ने कहा- हम तो पहले ही दूसरी नौकरियों की तलाश में रिज्यूमे भेज चुके हैं। क्योंकि, अब बहुत हुआ। हम यहां से निकलने पर विचार कर रहे हैं।



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व्हाइट हाउस के अपने ओवल ऑफिस की खिड़की से लॉन की तरफ देखते ट्रम्प। 20 जनवरी से इस ऑफिस में जो बाइडेन बैठेंगे। (फाइल)

अफगानिस्तान में ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों ने प्रैक्टिस के लिए 39 बेगुनाह लोगों को मारा, ऑस्ट्रेलिया के डिफेंस चीफ ने ही खुलासा किया November 19, 2020 at 09:51PM

ऑस्ट्रेलिया के डिफेंस फोर्स चीफ जनरल एंगस कैम्पबेल के एक खुलासे ने अफगानिस्तान में तैनात विदेशी सैनिकों की दरिंदगी उजागर कर दी। एंगस ने एक वॉर क्राइम रिपोर्ट जारी की है। इसमें माना गया है कि अफगानिस्तान में तैनात उनके सैनिकों ने करीब 39 बेकसूर नागरिकों का कत्ल किया। हैरान करने वाली बात यह है कि ज्यादातर सैनिक वे हैं जिन्हें पहली बार जंग के मैदान में तैनात किया गया था। इन सैनिकों ने सिर्फ प्रैक्टिस के नाम पर बेगुनाह लोगों को गोलियों से छलनी कर दिया। अफगानिस्तान में तैनात विदेशी फौजियों पर पहले भी इस तरह के आरोप लगे हैं।

‘ब्लडिंग’ का खेल
NBC ने कैम्पबेल के हवाले से एक रिपोर्ट पब्लिश की है। इसमें कैम्पबेल ने कहा- यह शर्मनाक है। कुल 39 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है। इनमें कुछ कैदी, किसान और आम नागरिक थे। सभी आरोपी सैनिकों की यह जंग के मैदान में पहली तैनाती थी। ये फौजी प्रैक्टिस के लिए कत्ल के आरोपी बनाए गए हैं। ऑस्ट्रेलिया में तैनाती के बाद जब कोई सैनिक पहली बार किसी अपराधी को मुठभेड़ में मार गिराता है तो इसे ‘ब्लडिंग’कहा जाता है।

फिर फर्जी दावा
कैम्पबेल ने ऑस्ट्रेलिया के फौजियों की शर्मनाक हरकत को अमानवीय और दरिंदगी करार देते हुए इससे जुड़ा एक राज और खोला। कहा- हमारे फौजियों ने कत्ल करने के बाद मारे गए लोगों के पास हथियार रख दिए। रेडियो सेट के जरिए संदेश भेजा कि हमने एनकाउंटर में दुश्मनों को मार गिराया है।

2009 से शुरू हुई दरिंदगी
कैम्पबेल ने बताया कि हत्याओं का यह सिलसिला 2009 में शुरू हुआ। लेकिन, ज्यादातर कत्ल 2012 और 2013 के बीच किए गए। ये फौजी खुद को जरूरत से ज्यादा बहादुर समझते हैं।

आगे क्या होगा?
ऑस्ट्रेलियाई डिफेंस डिपार्टमेंट ने चार साल तक इन आरोपों की जांच की। इसके लिए तीन लोगों की टीम बनाई गई थी। इसमें एक जज भी शामिल थे। इस दौरान 400 चश्मदीदों के बयान दर्ज किए गए। 19 सैनिकों को आरोपी बनाया गया है। इन सभी पर हत्या का आरोप दर्ज किया गया है और मुकदमा इसी से संबंधित धाराओं में चलेगा।

अफगानिस्तान से माफी मांगते हैं..
कैम्पबेल ने कहा- मुझे अहसास है कि हमारे सैनिकों ने इंसानियत का कत्ल किया है। हम अफगानिस्तान के नागरिकों से तहे दिल से माफी मांगते हैं। मैंने अफगानिस्तान के सुरक्षा अधिकारियों से बातचीत की और उनसे भी माफी मांगी। हमारे सैनिकों ने लोगों का भरोसा तोड़ा है।

कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि कत्ल की कुल 23 घटनाएं हुईं। इनमें 39 लोग मारे गए। हत्या का आरोप कुल 25 सैनिकों पर लगा है। ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन ने घटना की अलग से जांच कराने के लिए एक स्पेशल कमेटी बनाई है। आरोपी सैनिकों और उनके अफसरों के मैडल और बैज छीन लिए गए हैं।



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फोटो 2013 की है। तब ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों की तैनाती अफगानिस्तान के उरुजन जिले में थी। ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों ने सबसे ज्यादा हत्यायें 2012 से 2013 के बीच ही कीं।