Monday, May 11, 2020

Tesla CEO Elon Musk restarts California factory amid lockdown May 11, 2020 at 08:11PM

Tesla CEO Elon Musk confirmed Monday that the company has restarted its California factory, a move that defied local government orders involving measures to contain the coronavirus.

एच-1बी वीजा पर काम करने वाले लोगों के बच्चों को देश आने पर रोक, कहा जा रहा- वे अमेरिकी नागरिक May 11, 2020 at 06:08PM

अमेरिका में कई भारतीय या तो एच-1बी वर्क वीजा या ग्रीन कार्ड काम करतेपर हैं। वहीं, उनके बच्चेजन्म से अमेरिकी नागरिक हैं, इसकी वजह सेउन्हें भारत जाने से रोका जा रहा है। वंदे भारत मिशन के तहत एयर इंडिया कई देशों से अपने नागरिकों को निकाल रही है।

भारत सरकार द्वारा जारी किए गए नियमके मुतबिक,विदेशी नागरिकों के लिए जारी सभी वीजा और विदेशों में रहने वाली भारतीय मूल के लोगों के लिए ओआईसी कार्ड वीजा मुक्त यात्रा को अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंध लागू रहने तक निलंबित कर दिया गया है।

न्यू जर्सी में रहने वाले पांडे जैसे दंपती (नाम और जगह बदला हुआ है) के लिए यह बुरी खबर है। अपनी नौकरी खोने के बाद, उन्हें नियमों के तहत 60 दिनों के भीतर भारत वापस जाना होगा। उनके दो बच्चे हैं, जिनकी उम्र एक और छह साल है। दोनों जन्म से अमेरिकी नागरिक हैं।

‘अधिकारियों के हाथ बंधे’

सोमवार को दोनों को नेवार्क हवाई अड्डे से वापस लौटना पड़ा। क्योंकि वैध भारतीय वीजा होने के बावजूद एयर इंडिया ने उनके बच्चों को उनके साथ भारत जाने के लिए टिकट देने से इनकार कर दिया। रतना पांडे ने बताया कि एयर इंडिया और (भारतीय) वाणिज्य दूतावास (न्यूयॉर्क में) के अधिकारी बहुत सहयोगी थे। लेकिन वे कुछ भी नहीं कर सके। क्योंकि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए नए नियमों के तहत उनके हाथ बंधे थे।

रतना ने कहा,‘‘मैं भारत सरकार से मानवीय आधार पर उनके फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह करूंगी।’’ उन्होंने यहां अपनी नौकरी खो दी है, लेकिन 60 दिनों के भीतर वे अमेरिका नहीं छोड़ सकते। अब वह इस अवधी को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिकी सिटिजनशिप और इमिग्रेशन सर्विस में अपील करने की योजना बना रही हैं।

60 दिनों में देश छोड़ने की अवधी को बढ़ाने का आग्रह

पिछले महीने एच-1बी वीजा धारकों, इनमें ज्यादातर भारतीयों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से आग्रह किया था कि नौकरी खोने के बाद 60 दिनों के भीतर देश छोड़ने की अवधी को 180 दिन बढ़ाया जाए। हालांकि, व्हाइट हाउस की ओर से अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं किया गया है।हालांकि इस बात का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि कितने भारतीय एच-1बी वीजा धारकों ने अपनी नौकरी खोयी है।

अमेरिका में बेरोजगारी दर बढ़ी

कोरोनावायरस के चलते अमेरिका में बेरोजगारी दर काफी बढ़ गई है। दो महीनों में 3.3 करोड़ से ज्यादा अमेरिकी नागरिक बेरोजगार हुए हैं। बड़े पैमाने पर बेरोजगारी को देखते हुए जिन भारतीय ने अपनी नौकरी खोयी है, उन्हें दोबारा मिलने की संभावना नहीं है। इसके चलते उनके पास वापस लौटने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।

‘अब अमेरिका में नहीं रहना चाहती’

सिंगल मदर ममता (बदला हुआ नाम) की स्थिति और भी गंभीर है। क्योंकि उनका बेटा अभी तीन महीने का है। लेकिन सिर्फ उन्हें टिकट दिया गया। उनके बच्चे को उनके साथ जाने की अनुमति नहीं दी गई, क्योंकि वह अमेरिकी नागरिक था। उन्होंने कहा- मैं भारत सरकार से घर जाने देने का अनुरोध करूंगी। मैं अब यहां नहीं रहना चाहती। यहां स्थिति खराब होती जा रही है औरमैं अकेली हूं। वे रविवार को अहमदाबाद जाने के लिए नेवार्क पहुंची थीं।

‘वंदे भारत एकअमानवीय मिशन बन गया है’

वॉशिंगटन डीसी के राकेश गुप्ता (बदला हुआ नाम) ने कहा- वंदे भारत मिशन एक मानवीय मिशन है। लेकिन यह निश्चित रूप से अमानवीय हो गया है। गुप्ता ने भी अपनी नौकरी खो दी है और 60 दिनों के भीतर भारत लौटने की जरूरत है। उन्हें और उनकी पत्नी, गीता (बदला हुआ नाम) को जाने की अनुमति मिली, लेकिन उनकी ढ़ाई साल की बेटी को रोक दिया गया। गुप्ता ने कहा कि मुझे इस पर विश्वास नहीं हुआ।

तीनों भारतीय नागरिकों ने भारत सरकार से अनुरोध किया कि वे मौजूदा नियमों में जरूरी बदलाव कर उन्हें घर वापस आने में मदद करें।



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अमेरिका में फंसे भारतीय देश जाने के लिए नेवार्क हवाई अड्डा पहुंचे। वंदे भारत मिशन के तहत भारत सरकार विदेशों में फंसे अपने नागरिकों को निकाल रही है।

ब्रिटेन के पीएम जॉनसन बोले- उम्मीद है कि वैक्सीन तैयार होगा, लेकिन इसकी गारंटी नहीं; 18 साल बाद भी हमारे पास सार्स वायरस का वैक्सीन नहीं May 11, 2020 at 06:40PM

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कोरोना वैक्सीन को लेकर अहम बात कही है। उन्होंने सोमवार की रात कहा कि मैं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीन तैयार करने बारे में कुछ उत्साहित करने वाली बातें सुन रहा हूं, लेकिन इसकी किसी तरह की गारंटी नहीं है। मुझे यकीन है कि मैं सही कह रहा हूं कि 18 साल के बाद भी हमारे पास सार्स वायरस का वैक्सीन नहीं है।

जॉनसन ने कहा मैं आपसे इतना ही कह सकता हूं कि ब्रिटेन वैक्सीन बनाने की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों में अग्रिम पंक्ति में है। उन्होंने कोरोना वैक्सीन तैयार करने में ब्रिटेन की भूमिका के बारे में पूछने पर यह बात कही।

सरकार वैक्सीन बनाने में भारी रकम निवेश कर रही: जॉनसन
ब्रिटिश पीएम ने कहा कि सरकार वैक्सीन तैयार करने के लिए भारी रकम भी लगा रही है। अगर आप मुझसे पूछेंगे कि क्या मैं लंबे समय तक ऐसी स्थिति नहीं रहने के बारे में निश्चित हूं तो मैं यह नहीं कह सकता। हो सकता है हमें इससे ज्यादा नर्म या सख्त रवैया अपनाना हो। हमें इससे निपटने के लिए और स्मार्ट तरीके अपनाने पड़े। यह सिर्फ एक संक्रमण नहीं है बल्कि भविष्य में भी इससे संक्रमण फैलने का खतरा है।

‘वैक्सीन नहीं बनता है तो मुझे हैरानी होगी’

ब्रिटेन के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार पैट्रिएक वैलेंस ने कहा कि वैक्सीन तैयार करने की संभावना ज्यादा है। उन्होंने कहा कि अगर ब्रिटेन में वैक्सीन नहीं बनतातो मुझे हैरानी होगी। हालांकि, वेभी इस मुद्दे पर अपने प्रधानमंत्री से सहमत नजर आए। उन्होंने कहा कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी कोरोना का टीका तैयार कर रहीहै। यहां टीके का इंसानों पर परीक्षण 25 अप्रैल को शुरू हुआ था। माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट एलिसा ग्रैनेटो को कोविड-19 का पहला टीका लगाया गया था।

देश को दोबारा खोलने की प्रधानमंत्री की योजना की आलोचना
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सोमवार को देश से पाबंदियां हटाने की योजना संसद में पेश की। इसके लिए उन्होंने ‘स्टे होम’ से ‘स्टे अलर्ट’ के संदेश पर शिफ्ट होने की बात कही। इस योजना की आलोचना की जा रही है। लोगों का कहना है कि नए नियम स्पष्ट नहीं है। जॉनसन पर मौजूदा लॉकडाउन के नियमों को कठिन बनाने का आरोप लगाया जा रहा है। इसमें खुलने और न खोले जाने वाली सुविधाओं को लेकर भ्रम है। हालांकि जॉनसन ने इन आरोपों को दरकिनार किया है। उन्होंने कहा कि नए नियम में भी लोगों को ज्यादा घर पर ही रहना होगा।



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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि ब्रिटेन कोरोना का वैक्सीन तैयार करने में जुटा है। हालांकि, यह कब बनकर तैयार होगा, इस बारे में कुछ कहने से इनकार किया। -फाइल फोटो

US says Chinese hacking vaccine research: Reports May 11, 2020 at 04:48PM

The FBI and Department of Homeland Security are planning to release a warning about the Chinese hacking as governments and private firms race to develop a vaccine for COVID-19, the Wall Street Journal and New York Times reported.

Coronavirus: White House directs staff to wear masks May 11, 2020 at 04:15PM

The White House on Monday directed all people entering the West Wing, where the daily operations of President Donald Trump's administration are carried out, to wear masks after two aides tested positive for the coronavirus. The new guidelines reflect a tightening of procedures over fears that Trump and Vice President Mike Pence could be exposed to the virus.

डब्ल्यूएचओ की सलाह- पाबंदिया हटाने वाले देश ज्यादा सतर्क रहें, सावधानी नहीं बरती तो संक्रमण दोबारा फैलने का खतरा May 11, 2020 at 04:48PM

दुनिया के कई देशों ने कोरोना की वजह से लगाई गई पाबंदियां हटानी शुरू कर दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ऐसे देशों को ज्यादा सतर्क रहने के लिए कहा है। डब्ल्यूएचओ के इमरजेंसी प्रोग्राम के प्रमुख डॉ माइक रैयान ने सोमवार को कहा, ‘’अब हमें कुछ उम्मीद नजर आ रही है।दुनिया के कई देश तथाकथित लॉकडाउन हटा रहे हैं, लेकिन इसके लिए अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है।
उन्होंने कहा अगर बीमारी कम स्तर में मौजूद रहती है और इसके क्ल्सटर्स की पहचान करने की क्षमता नहीं हो तो हमेशा वायरस के दोबारा फैलने का खतरा रहता है। जो देश बड़े पैमाने पर संक्रमण रोकने की क्षमता नहीं होने के बावजूद पाबंदिया हटा रहे हैं, उनकी गणना खतरनाक है।’’

बेहतर सर्विलांस दोबारा वायरस को फैलने से रोकने में अहम
रैयान ने कहा कि मुझेउम्मीद है कि जर्मनी और दक्षिण कोरिया नए क्लसटर्स की पहचान कर सकेंगे। इन दोनों देशों में लॉकडाउन हटाने के बाद दोबारा संक्रमण फैल गया है। उन्होंने इन दोनों देशों के सर्विलांस की सराहना की। रैयान ने कहा कि बेहतर सर्विलांस वायरस को दोबारा फैलने से रोकने के लिए जरूरी है। यह अहम है कि हम ऐसे देशों का उदाहरण दें जो अपनी आंखें खोल रही हैं और इन्हें खुला रखने की इच्छुक हैं। वहीं, कुछ ऐसे देश भी हैं जो आंखें मूंद कर इस बीमारी से बचने की कोशिश में हैं।

पाबंदिया हटाना मुश्किल और कठिन: डॉ. टेड्रॉस गीब्रियेसस

डब्ल्यूएचओ के निदेशक डॉ. टेड्रॉस गीब्रियेसस ने कहा कि पाबंदिया हटाना मुश्किल और कठिन है। अगर इसे धीरे-धीरे और लगातार हटाया जाए तो इससे जान और रोजगार बचाए जा सकेंगे। संक्रमण की दूसरी लहर देख रहे जर्मनी, दक्षिण कोरिया और चीन जैसे देशों के पास इससे निपटने की सभी प्रणाली मौजूद है। जब तक वैक्सीन उपलब्ध न हो, बचाव के उपाय अपनाना ही वायरस से निपटने का प्रभावी हथियार है।



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डब्ल्यूएचओ के इमरजेंसी प्रोग्राम के प्रमुख डॉ. माइक रैयान ने कहा है कि लॉकडाउन हटाने वाले देश अधिक सावधानी बरतें। अगर नए मामलों की पहचान में चूक हुई तो वायरस संक्रमण की दूसरी लहर शुरू हो सकती है।(फाइल फोटो)

अब तक 42.54 लाख संक्रमित: रूस आज से पाबंदियों में ढील देगा, यहां एक हफ्ते से हर दिन 10 हजार से ज्यादा केस मिल रहे May 11, 2020 at 04:39PM

दुनिया में कोरोनावायरस के अब तक 42 लाख 54 हजार 131 मामले सामने आ चुके हैं। दो लाख 87 हजार की मौत हो चुकी है, जबकि 15 लाख 27 हजार 105 लोग ठीक हो चुके हैं। उधर, रूस में एक हफ्ते से संक्रमण के 10 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। इसके बावजूद सरकार मंगलवार से यहां ढील देने की योजना बना रही है। एक दिन पहले यहां 11 हजार 656 केस मिले थे।

कोरोनावायरस : सबसे ज्यादा प्रभावित 10 देश

देश कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 13,85,834 81,795 2,62,225
स्पेन 2,68,143 26,744 1,7,846
ब्रिटेन 2,23,060 32,065 उपलब्ध नहीं
रूस 2,21,344 2,009 39,801
इटली 2,19,814 30,739 1,06,587
फ्रांस 1,77,423 26,643 56,724
जर्मनी 1,72,576 7,661 1,45,617
ब्राजील 1,69,143 11,625 67,384
तुर्की 1,39,771 3,841 95,780
ईरान 1,09,286 6,685 87,422

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अमेरिका: कोरोना अदृश्य दुश्मन: ट्रम्प
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कोरोना को अदृश्य दुश्मन बताया है। उन्होंने कहा कि कि इस हफ्ते देश में 1 करोड़ लोगों का टेस्ट कर लिया जाएगा। यह संख्या किसी भी दूसरे देश से दोगुनी है। ट्रम्प ने व्हाइट हाउस ब्रीफिंग में कहा कि हम दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, स्वीडन, फिनलैंड और कई अन्य देशों की तुलना में प्रति व्यक्ति ज्यादा लोगों का टेस्ट कर रहे हैं। सोमवार सुबह तक देश में 90 लाखटेस्ट किया जा चुका है।

  • जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक, अमेरिका में लगातार दूसरे दिन एक दिन में मरने वालों की संख्या 900 से कम।
  • अमेरिका में अब तक 81,795 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 13 लाख 85 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं।
  • अमेरिका के सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य न्यूयॉर्क में अब तक 27 हजार लोगों की जान गई और तीन लाख से ज्यादा संक्रमित हैं।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति पेंस का टेस्ट निगेटिव

अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस का कोरोना टेस्ट निगेटिव आया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसकी जानकारी दी। पेंस ने सोमवार और मंगलवार दोनों दिन टेस्ट कराया और उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई। शुक्रवार को ट्रम्प ने पेंस कीप्रवक्ता कैटी मिलर के कोरोना से संक्रमित होने की जानकारी दी थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि पेंस अन्य लोगों से दूरी बनाकर चलेंगे, लेकिन उनके कार्यक्रम पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।

ब्रिटेन: 32 हजार से ज्यादा मौतें
ब्रिटेन में 24 घंटे में 210 लोगों की मौत हुई है और 3877 संक्रमित हुए हैं। देश में अब तक 32 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। वहीं, अमेरिका और स्पेन के बाद ब्रिटेन तीसरा सबसे ज्यादा प्रभावित देश बन गया है। यहां सरकार ने 1 जून से सभी खेल शुरू करने की मंजूरी दे दी है। हालांकि, इस दौरान दर्शक मौजूद नहीं रह सकेंगे। इन सभी खेलों का लाइव टेलिकास्ट किया जा सकेगा।

रूस: मॉस्को में एक दिन में 55 की मौत
रूस की राजधानी मॉस्को में 24 घंटों में कोरोना से 55 लोगों की मौत हुई है। कोरोना प्रतिक्रिया केंद्र ने इसकी जानकारी दी। प्रतिक्रिया केंद्र ने कहा कि मॉस्को में 55 मरीज जो कोरोना से संक्रमित थे उनकी मृत्यु हो गई है। मॉस्को में रविवार को 56 लोगों की मौत हुई थी। देश में 24 घंटे में वायरस से 94 मरीजों की मौत हुई है और यहां अब तक 2009 लोगों की जान जा चुकी है।

पेरू: 68,822 मामले
पेरूमें मंगलवार को कोरोना के 1515 नए मामले सामने आए। यहां संक्रमितों की संख्या 68 हजार 822 हो गई है। वायरस से मरने वालों की संख्या बढ़कर 1961 हो चुकी है। संक्रमितों में से 6648 मरीज अस्पताल में भर्ती है। राजधानी लीमा में कोरोना का सबसे ज्यादा कहर है। यहां कुल 44,333 संक्रमित हैं। पेरूमें कोरोना के खतरे को देखते हुए 24 मई तक लॉकडाउन बढ़ाया गया है।



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रूस के एक कब्रिस्तान में शव दफनाते परिजन। यहां अब तक 2009 लोगों की मौत हो चुकी है।

Russia virus cases now 4th highest May 11, 2020 at 03:56PM

Restart or re-stop? Countries reopen amid 2nd-wave fears May 11, 2020 at 03:49PM

ब्रिटेन में 45 दिन तक सिर्फ लक्षण से तय होते रहे कोरोना के मरीज; भारत-ब्रिटेन में संक्रमण साथ शुरू हुआ, पर हालात अलग May 11, 2020 at 02:45PM

ब्रिटेन में 45 दिन तक बिना जांच के सिर्फ लक्षण के आधार पर कोरोना मरीज तय होते रहे। ब्रिटेन में पहला मरीज जनवरी के आखिरी हफ्ते में आया था, लेकिन इसकी पहचान आरटी-पीसीआर जांच से नहीं हुई थी। लक्षण के आधार पर सीटी स्कैन और चेस्ट एक्स-रे कर कोरोना की पुष्टि की गई थी। ऐसा 15 मार्च तक चलता रहा। तब तक 1100 मरीज मिले थे। 21 की मौत हो चुकी थी।

मार्च के आखिरी में आरटी-पीसीआर किट पहुंची। भारत में पहला कोरोना मरीज 30 जनवरी को मिला था। भारत ने आरटी-पीसीआर जांच कर मरीज की पहचान की। आज भारत में 67 हजार से ज्यादा मामले हैं। जबकि ब्रिटेन में करीब 2.20 लाख केस आ चुके हैं। ब्रिटेन में पहले दो कोरोना मरीज चीन के दो यात्री थे। इसके बाद एक व्यापारी, जो चीन और हॉलैंड की यात्रा कर लौटे थे, उन्हें यह बीमारी हुई।

मार्च के मध्य में सरकार ने इस बीमारी को कम्युनिटी ट्रांसमिशन बताया। शुरू में यहां के विशेषज्ञ मान रहे थे कि संक्रमण भयावह नहीं होगा। इसी से लॉकडाउन नहीं किया गया। हर्ड इम्युनिटी का रिस्क लिया गया, जो खतरनाक साबित हुआ। भले ही मरीजों की संख्या दो लाख के पार चली गई है, लेकिन इसे अब भी पीकनहीं कहा जा रहा है।

कोरोना योद्धा: स्वास्थ्य कर्मियों के लिए रेस्तरां मुफ्त खाना पहुंचाते हैं
सरकार ने 20 दिन में एक स्टेडियम में 4000 आईसीयू बेड वाला अस्थायी अस्पताल बनाया। आईसीयू में करीब 70 फीसदी मरीजों की मौत हो रही है। हालांकि यहां करीब 1500 मरीज ही गंभीर हैं। कोरोना मरीजों के इलाज में जुटे स्वास्थ्यकर्मी घर नहीं जा रहे हैं। वे अस्पताल के आसपास के आवास में रह रहे हैं। रेस्तरां इनके लिए मुफ्त में खाना पहुंचाते हैं। खाना पहुंचाने की तारीख पहले ही तय कर दी जाती है।

मरीजों की खुशी: हर बेड के साथ मॉनिटर, ताकि मनोरंजन भी होता रहे
मरीजों को परिजन से मिलने की इजाजत नहीं है। उनके मनोरंजन के लिए हर बेड के साथ एक मॉनिटर लगा हुआ है। इस पर मरीज अपनी पसंद के कार्यक्रम देख सकते हैं। दूसरे मरीजों को परेशानी न हो, इसलिए हेड फोन भी देते हैं। ब्रिटेन में लोग किसी न किसी जनरल प्रैक्टिसनर के पास रजिस्टर्ड हैं। डॉक्टर लॉकडाउन में फोन पर ही परामर्श देकर मरीज के घर दवाएं पहुंचाने का इंतजाम करते हैं।

सरकार ने निर्माण कार्य दोबारा शुरू करने को मंजूरी दी

सरकार ने सोमवार से निर्माण कार्य फिर शुरू करने को मंजूरी दे दी है। पीएम बोरिस जॉनसन ने कहा कि निर्माण कार्यों से जुड़े कर्मचारी अगर घर से काम नहीं कर पा रहे हैं, तो वे कार्यस्थल जा सकते हैं।



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पीएम बोरिस जॉनसन ने सोमवार को कहा कि निर्माण कार्यों से जुड़े कर्मचारी अगर घर से काम नहीं कर पा रहे हैं, तो वे कार्यस्थल जा सकते हैं।

अमेरिका में कोरोना के कारण 1.7 करोड़ लोगों के सामने भोजन संकट; 60 हजार एजेंसियां, दो लाख वॉलंटियर्स खाना पहुंचा रहे May 11, 2020 at 02:45PM

अमेरिका कोरोना से दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभावित देश है। यहां 13 लाख से ज्यादा मामले आ चुके हैं। 80 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। यहां कोरोना की वजह से दो महीने में करीब 1.7 करोड़ लोगों के सामने खाने का संकट आ गया है। दो महीने में यह संख्या करीब 46% बढ़ी है। जबकि अमेरिका में कोरोना और अन्य कारणों से भूखे रहने वाले लोग साढ़े पांच करोड़ हो चुके हैं।

ऐसे में फूड सिक्योरिटी और भुखमरी पर काम करने वाला राष्ट्रीय संगठन फीड अमेरिका लोगों तक खाना पहुंचा रहा है। फीड अमेरिका की सीईओ कैटी फिजगेराल्ड ने कहा कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखकर लगता है कि हालात हमारे नियंत्रण से बाहर हो गए हैं। ऐसी स्थिति में कोई भी खाद्य सुरक्षा के संकट में पड़ सकता है। स्थिति भयानक हो सकती है।

अमेरिका में 3.7 करोड़ लोग खाने के संकट से जूझ रहे थे

ऐसे लोगों की तादाद भी बढ़ रही है, जिनके सामने खाने-पीने का संकट पैदा हो गया है। कोरोना से पहले अमेरिका में 3.7 करोड़ लोग इस संकट से जूझ रहे थे। कोरोना, बेरोजगारी की वजह से महज दो महीने में इसमें 1.7 करोड़ लोग और जुड़ गए। यानी अभी करीब साढ़े पांच करोड़ लोग संकट में हैं।

अभी और भी बड़ी चुनौती यह है कि हमारे पास उतना भोजन नहीं है, जितना हमारे फूड बैंक को डिमांड पूरी करने के लिए चाहिए। अब 30% ज्यादा लोगों को मदद चाहिए, इनमें ज्यादातर ऐसे हैं, जिन्होंने जिंदगी में कभी खाने-पीने को लेकर मदद नहीं मांगी।' कैटी के मुताबिक, यह वक्त खाद्य पदार्थों को सहेजने का है।

60 हजार एजेंसियों के जरिए पहुंचा रहे मदद
फीड अमेरिका 60 हजार एजेंसियों के जरिए खाना पहुंचा रहा है। 200 फूड, दो लाख वॉलंटियर्स मदद कर रहे हैं। न्यू रिपोर्टिंग सिस्टम, वेबिनार और टेक्नोलॉजी के जरिए रियल टाइम मदद की जा रही है। इससे जरूरतमंद की लोकेशन शेयर की जाती है। फिर टीम तुरंत पहुंचकर मदद कर देती है।



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अमेरिका में कोरोना और अन्य कारणों से भूखे रहने वाले लोग साढ़े पांच करोड़ हो चुके हैं।

कोविड-19 ने भविष्यवक्ताओं की भी मुश्किलें बढ़ाईं, लोग पूछने लगे- क्या आपको इस बेरोजगारी का अंदाजा नहीं था? May 11, 2020 at 02:45PM

साल 2020 की शुरुआत होते-होते भविष्यवक्ता आने वाले समय की संभावनाओं का बढ़-चढ़कर बखान कर रहे थे, लेकिन कोविड संक्रमण ने सब बदल कर रख दिया। किसी ने भी कोरोना संक्रमण के चलते सबकुछ ठप पड़ने का जिक्र नहीं किया था और न ही बेरोजगारी का।

सीबीएस न्यूज पर एस्ट्रोलॉजर सुजैन मिलर ने कहा था कि साल 2020 मकर राशि वालों के लिए उत्तम होगा, कर्क राशि के लोग आसानी से विवाह कर पाएंगे, तुला राशि के लोग जमीन-जायदाद के मामले में अच्छा प्रदर्शन करेंगे वहीं वृषभ राशि के लोग पूरे साल अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में व्यस्त रहेंगे।

लेकिन, मार्च आते-आते उनके यूजर्स के आक्रोश का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि वास्तविकता भविष्यवाणी से बिल्कुल विपरीत थी। एस्ट्रोलॉजर चानी निकलस के मुताबिक, ‘वो जानती थीं कि 2020 एक मुश्किल साल साबित होगा। पर ये अनुमान उन्होंने ग्रहों की चाल से नहीं, अमेरिका में चुनावी साल की वजह से लगाया था।’

कुछ भविष्यवक्ताओं ने प्लूटो ग्रह पर आरोप मढ़ दिया

इधर, भविष्यवक्ताओं के फॉलोअर्स जब पूछने लगे कि आप कोविड-19 और बेरोजगारी का अनुमान क्यों नहीं लगा पाए, तो कुछ ने मार्च में कोरोनापर रिपोर्ट जारी कर सारा आरोप प्लूटो ग्रह पर मढ़ दिया, जो ज्योतिष में बड़े वित्तीय, बड़ी जनसंख्या और वायरस संक्रमण से संबंध रखता है।

इटली मिथुन राशि का देश, जिसका ताल्लुक फेफड़ों से है

इस रिपोर्ट के अनुसार, इटली जो मिथुन राशि का देश है और मिथुन का फेफड़ों से गहरा ताल्लुक होता है, इसीलिए कोरोना संक्रमण का इटली पर गहरा प्रभाव पड़ा। अमेरिका के लिए रिपोर्ट में कहा गया है कि ये देश कर्क राशि का है, इसलिए मई में इस वायरस का प्रकोप गहरा रहेगा, गर्मी में ये कमजोर पड़ेगा लेकिन सर्दियों की शुरुआत से बढ़ेगा और दिसंबर मध्य तक इसका प्रभाव देखा जाएगा।

विरोधियों ने कहा- भविष्यवाणी करने वाले भी भविष्य के बारे में नहीं जानते

दूसरी ओर, भविष्यवक्ताओं के विरोधी कहते हैं कि भविष्यवाणियां ऐसे लिखी जाती हैं ताकि हर व्यक्ति को उसके लायक कुछ न कुछ मिले। लेकिन, कोविड का उल्लेख किसी भविष्यवाणी में नहीं था। ऐसा इसलिए है क्योंकि अक्सर भविष्यवक्ता भूत और वर्तमान को देखते हुए भविष्यवाणी करते हैं लेकिन असल में भविष्य में क्या होने वाला है, उन्हें पता ही नहीं होता।

अब यूजर्स के सवाल बदल गए, पूछ रहे हैं-संक्रमण कब खत्म होगा

ट्रेंड एनालिस्टलूसी ग्रीन के मुताबिक, उनकी वेबसाइट पर ट्रैफिक 22% बढ़ा है। लेकिन,यूजर्स के सवाल बदल गए हैं। वे पूछ रहे हैं कोविड कब खत्म होगा, स्थिति सामान्य हो पाएगी? वहीं, मीडिया विश्लेषक कॉमस्कोर ने कुछ चुनिंदा एस्ट्रोलॉजी वेबसाइट के अध्ययन के बाद कहा है कि इन वेबसाइट्स पर फरवरी की तुलना में मार्च में ट्रैफिक बढ़ गया है।



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मीडिया विश्लेषक कॉमस्कोर ने अध्ययन के बाद कहा कि इन वेबसाइट्स पर फरवरी की तुलना में मार्च में ट्रैफिक बढ़ गया है।

पहली नर्स फ्लोरेंस के सम्मान में यह दिन मनाया जाता है, आज उनका 200वां जन्मदिन है May 11, 2020 at 02:45PM

आधुनिक नर्सिंग की फाउंडर फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म इटली के फ्लोरेंस में हुआ। वे गणित और डेटा में जीनियस थीं। इस खूबी का इस्तेमाल उन्होंने अस्पतालों और लोगों की सेहत सुधारने में किया। फ्लोरेंस ने जब पहली बार नर्सिंग में जाने की इच्छा जाहिर की तो माता-पिता तैयार नहीं हुए। बाद में उनकी जिद के आगे झुके और ट्रेनिंग के लिए जर्मनी भेजा।

1853 में क्रीमिया युद्ध के दौरान उन्हें तुर्की के सैन्य हॉस्पिटल भेजा गया। यह पहला मौका था जब ब्रिटेन ने महिलाओं को सेना में शामिल किया था। जब वे बराक अस्पताल पहुंची, तो देखा कि फर्श पर गंदगी की मोटी परत बिछी है। सबसे पहला काम उन्होंने पूरे अस्पताल को साफ करने का किया। सैनिकों के लिए अच्छे खाने और साफ कपड़ों की व्यवस्था की।

ये पहली बार था कि सैनिकों की ओर इतना ध्यान दिया गया। उनकी मांग पर बनी जांच कमेटी ने पाया कि तुर्की में 18 हजार सैनिकों में से 16 हजार की मौत गंदगी और संक्रामक बीमारियों से हुई थी। फ्लोरेंस की कोशिशों से ही ब्रिटिश सेना में मेडिकल, सैनिटरी साइंस और सांख्यिकी के विभाग बने। अस्पतालों में साफ-सफाई का चलन इन्हीं की देन है।

इस अस्पताल में नाइट शिफ्ट में वे मशाल थाम कर मरीजों की सेवा करती थीं। इसलिए ‘द लेडी विद द लैम्प’ के नाम से मशहूर हुईं। आज भी उनके सम्मान में नर्सिंग की शपथ हाथों में लैम्प लेकर ली जाती है। इसे नाइटिंगेल प्लेज कहते हैं। 1860 में उनके नाम पर ब्रिटेन में नर्सिंग स्कूल की स्थापना हुई। 1910 में फ्लोरेंस 90 साल की उम्र में उनका निधन हुआ। वे ‘ऑर्डर ऑफ मेरिट’ सम्मान पाने वाली पहली महिला थीं।


कसाब का सामना करने वाली अब कोरोना वाॅरियर

मुंबई से मनीषा भल्ला...26/11 हमले के समय आतंकी कसाब का सामना करने वाली अंजलि कुलाथे कामा हॉस्पिटल में क्वारैंटाइन स्टॉफ की देखभाल कर रही हैं। वे कहती हैं कि इस वक्त 12 नर्स क्वारैंटाइन हैं। इनके खाने-पीने से लेकर स्वैव टेस्ट कराने का ध्यान रखना होता है। ये लोग निराश न हो, इसलिए इन्हें पॉजिटिव बनाए रखने के लिए मोटिवेशनल किस्से सुनाती हूं।

वे कहती हैं, ये लोग मुझसे मुंबई हमले के भी किस्से सुनते हैं। मुंबई हमले के दौरान अंजलि ने 20 प्रेग्नेंट महिलाओं को बचाया था। उस दिन को याद करते हुए कहती हैं- अचानक गोलियां चलने लगीं। मैंने बाहर झांका तो देखा कि जेजे स्कूल ऑफ आर्ट वाली रोड पर दो आतंकी फायरिंग करते हुए भाग रहे हैं। मैंने वॉर्ड की सभी पेशेंट को इकट्टा करना शुरू किया। एक महिला बाथरूम में थी। उसे लेने भागी।

इस बीच आतंकी अस्पताल में घुस आए। दो गोली मेरे पास से गुजरी, जिसमें से एक सर्वेंट को लगी। मैं उस महिला को लेकर वॉर्ड की तरफ भागी। मैंने सभी को एक पैंट्री में छुपा दिया। बाद में पुलिस ने कई बार कसाब की शिनाख्त के लिए मुझे बुलाया। जब मैंने पहली बार उसे पहचाना तो वह जोर से हंसने लगा और बोला हां मैडम, मैं ही अजमल कसाब हूं।

वे कहती हैं कि अस्पताल आने के बाद घर नहीं, परिवार नहीं, मरीज ही सब कुछ है। मैं यूनिफॉर्म को वर्दी मानती हूं। अंजलि के पति नेवी में ऑफिसर हैं।

84 की उम्र में भी कोरोना मरीजों को देखने का साहस

लंदन सेये कहानी... 84 साल की नर्स मार्गेट थेपली की। कोरोना की वजह से जान गंवाने वाली वे दुनिया की सबसे उम्रदराज वर्किंग नर्स हैं। ब्रिटेन के विटनी कम्यूनिटी हॉस्पिटल में मार्गेट नाइट शिफ्ट में लगातार काम करती रहीं और कोरोना संक्रमित मरीज के संपर्क में आने से संक्रमित हो गईं। सोशल मीडिया पर उन्हें सबसे परिश्रमी, केयरिंग और परिपूर्ण महिला के रूप में याद किया जा रहा है।

कोरोना बुजुर्गों के लिए सबसे घातक साबित हो रहा है। मार्गेट के पास भी विकल्प था कि वे अपनी ड्यूटी से मुक्त हो सकती थीं, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। डॉक्टर और साथी कहते हैं कि वे वार्ड में सबसे लोकप्रिय थीं। अस्पताल के चीफ एक्जीक्यूटिव स्टूअर्ट वेल कहते हैं कि अपने कॅरिअर में जितनी भी महिलाओं से मैं मिला हूं, मार्गेट उनमें सबसे प्रभावशाली थीं।

मैंने अपने जीवन में उनसे ज्यादा सशक्त महिला कभी नहीं देखी। वे इस उम्र में भी नाइट शिफ्ट में काम कर रही थीं। वे समर्पण की मिसाल थी और अस्पताल के लोगों को परिवार का हिस्सा मानती थीं। मार्गेट के पोते टॉम वुड कहते हैंं कि मुझे अपनी दादी पर गर्व है। उन्हीं को देखकर मैं भी नर्स बना। उन्हें तो बहुत पहले रिटायर हो जाना था, लेकिन उन्होंने अपना जीवन लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया था। वे कोरोना के खतरे से वाकिफ थीं, पर खुद को अस्पताल से दूर नहीं रख सकती थीं।

नर्स बहुत ज्यादा दर्द सहती है, मरीज से भी ज्यादा

न्यूयॉर्क से डा. ताजीन बेग...कुछ दिन पहले डाउन सिंड्रोम और कोरोना से पीड़ित अपनी मरीज को देखने आईसीयू में गई। मैंने देखा खिड़की में बहुत सुंदर डॉल रखी है। पता चला मरीज का मन बहलाने के लिए यह डॉल नर्स लेकर आई थी। मैं यहां 600 बेड वाले ब्रूक यूनिवर्सिटी अस्पताल में एनीस्थिसियोलॉजिस्ट हूं। यह लॉन्ग आइलैंड का सबसे बड़ा अस्पताल है। इसे अब कोविड अस्पताल में तब्दील कर दिया गया है।

मेरा काम आईसीयू के मरीजों को ब्रीदींग टयूब लगाना और वेंटिलेटर पर डालना है। मेरे साथ नर्सिंग स्टाफ भी होता है। मरीज के बारे में बेसिक जानकारी नर्स से ही मिलती है। डॉक्टर तो आईसीयू या वॉर्ड में आते-जाते रहते हैं, वे दिमाग से मरीज का इलाज करते हैं। लेकिन असली हीरो नर्स होती है। आईसीयू हो या फ्लोर चारों ओर पीपीई किट और मास्क लगाए नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर दिखते हैं।

नर्सें फौजियों की तरह दिन-रात काम कर रही हैं। बड़े-बड़े हॉल में वेंटिलेटर ही वेंटिलेटर, चारों ओर ब्रीदिंग ट्यूब, बीप-बीप की आवाजें, मरीजों की उखड़ती सांसें, इंफेक्शन का खतरा। मरीज कभी गुस्सा हो रहे हैं तो कभी रो रहे हैं। किसी के बदन पर सूजन है तो किसी की किडनी फेल हो गई है। नर्स उनकी बेडशीट बदल रही हैं, सफाई कर रही हैं, उन्हें खाना खिला रही हैं। उनकी बात परिजनसे करा रही हैं।

मरीजों के लिए इधर से उधर भाग रही हैं। कभी किसी मरीज को ड्रिप लगानी है, दवा देनी है, इंजेक्शन देना है, मरीजों को देखने भाग रही हैं। मास्क से उनका मुंह छिल जाता है। खाना नहीं खा पाती हैं। ऐसे वाॅर रूम में हर वक्त मुस्तैद रहती हैं। वे सच में मां होती हैं।

भारत में 30 लाख नर्स, हर नर्स पर 50 से 100 मरीज का जिम्मा

  • देश में करीब 30 लाख नर्स हैं। 1000 लोगों पर 1.7 नर्स। यह संख्या अंतरराष्ट्रीय मानक से 43% कम है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 1000 आबादी पर 3 नर्स होनी चाहिए।
  • भारत में हर नर्स रोज 50 से 100 मरीज देख रही है। इंडियन नर्सिंग काउंसिल के अनुसार तीन मरीजों पर एक नर्स होनी चाहिए। नाइट डयूटी में 5 मरीजों पर एक नर्स जरूर हो।
  • देश में करीब 30 लाख नर्स हैं, इसमें से 18 लाख केरल से हैं। केरल की 57% नर्सें विदेश चली जाती हैं। इसके बाद सबसे ज्यादा नर्स तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक में हैं।
  • देश में इस समय 20 लाख नर्सों की कमी है। 2030 तक देश को कुल 60 लाख नर्सों की जरूरत होगी। दुनिया मेें कुल 2 करोड़ नर्सें हैं। इसमें से 80% नर्स 50% देशों में ही हैं।

548 डॉक्टर-नर्स कोरोना की चपेट में हैं
देश में कोरोनावायरस से अब तक 548 डॉक्टर, नर्स और मेडिकल स्टॉफ संक्रमित हो चुके हैं। इनमें भी संक्रमित में होने वाली 90 फीसदी नर्सें हैं।नर्स 12 घंटे की शिफ्ट में औसतन 10 किमी चलती हैं, जबकि आम इंसान 18 घंटे में 5 किमी चलता है।



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आधुनिक नर्सिंग की फाउंडर फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म इटली के फ्लोरेंस में हुआ। वे गणित और डेटा में जीनियस थीं। (फाइल)

Boost for bikes as Europeans gear up for coronavirus commute May 11, 2020 at 04:56AM

Bicycles could play a central role in more major European cities as governments scramble to get commuters back to work without crowding buses or trains after coronavirus lockdowns are eased.

भारत और चीनी सैनिकों की झड़प के बाद चीन ने कहा- हमारे सैनिक शांति बनाए रखना चाहते हैं, अक्रामक रवैये की बात आधार हीन May 11, 2020 at 03:39AM

नॉर्थ सिक्किम के नाकु ला सेक्टर में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प की घटना सामने आने के बाद चीन ने कहा है कि उनके सैनिक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि चीन की सीमा के सैनिक हमेशा शांति और धैर्य बनाए रखते हैं। चीन और भारत में कोऑर्डिनेशन और कम्युनिकेशन अच्छा है। हम मौजूदा चैनलों के जरिए सीमा को लेकर चिंताओं पर साथ में हैं।

भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प मुगुथांग के आगे नाकु ला सेक्टर में एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर शनिवार को हुई। यह इलाका 5 हजार मीटर की ऊंचाई पर है। एक अफसर ने बताया कि 4 भारतीय और 7 चीनी सैनिकों को चोट लगी थी।

अक्रामक रवैये की बात को आधारहीन बताया

भारतीय सेना ने इस घटना का एक वीडियो भी बनाया था। इस वीडियों में चीनी सैनिकों का अक्रामक रवैया देखा जा सकता है। प्रेस कांफ्रेंस में जब पूछा गया कि चीन का रवैया अक्रामक था। इस पर चीनी राजदूत झाओ लिजियन ने कहा कि यह बात आधार हीन है। इस बारे में कोई धारणा नहीं बनानी चाहिए।

कहा- भारत और चीन के राजनयिक संबंधों के 70 साल हुए
उन्होंने कहा, ‘‘इस साल भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों के स्थापित होने के 70 साल हो गए हैं। दोनों देशों ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में हाथ मिलाया है। ऐसी परिस्थितियों में दोनों देशों को साथ मिलकर काम करना चाहिए और मतभेदों को ठीक से मैनेज करना चाहिए। सीमा क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बनाए रखना चाहिए ताकि हमारे द्विपक्षीय संबंध बेहतर होने के साथ कोविड-19 के खिलाफ मिलकर लड़ा जा सके।’’

ऐसी ही घटना अगस्त 2017 में भी सामने आई थी, जब भारतीय और चीनी सैनिक पैंगाग लेक के पूर्वी किनारे पर आमने-सामने आ गए थे। इससे पहले डोकलाम में भारत और चीन के बीचतनाव 72 दिनचला था। 16 जून 2017 को दोनों सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। दोनों सरकारों की कोशिशों के बाद यह 28 अगस्त 2017को खत्म हुआ।



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डोकलाम में भारत और चीन के बीच तनाव 72 दिन चला था। 16 जून 2017 को दोनों सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं।

अब्राहम लिंकन की बात के जरिए चीन ने अमेरिका के आरोपों को नकारा, लिखा- आप सभी लोगों को हमेशा बेवकूफ नहीं बना सकते May 11, 2020 at 02:13AM

कोरोनावायरस पर अमेरिका समेत दुनियाभर से लगाए जा रहे आरोपों के बीच चीन ने एक आर्टिकल के जरिए सफाई पेश की है।खास बात यह है कि इस लेख की प्रस्तावना में अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का फेमस कोट भी शामिल किया गया है। आर्टिकल मे लिखा है ‘‘जैसा कि लिंकन ने कहा था- आप कुछ लोगों को हमेशा बेवकूफ बना सकते हैं।सभी लोगों को कुछ समय के लिए बेवकूफ बना सकते हैं, लेकिन आप सभी लोगों को हमेशा के लिए बेवकूफ नहीं बना सकते।’’

30 पेज और 11 हजार शब्दों का आर्टिकल
चीन का विदेश मंत्रालय पिछले कई हफ्तों सेप्रेस कॉन्फ्रेंस मेंअमेरिकी राजनेताओं और विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ के आरोपों को लगातार खारिज करता रहा है। शनिवार को विदेश मंत्रालय ने वेबसाइट पर 30 पेज में 11 हजार शब्दों का आर्टिकल पोस्ट किया।

इस आर्टिकल में उन मीडिया रिपोर्ट्स का भी हवाला दिया गया है, जिनमें कहा गया है कि वुहान में पहला मामला आने से पहले ही अमेरिकी लोग वायरस की चपेट में आए थे। यह भी कहा गया कि यह वायरस मैन मेड नहीं है। वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी वायरस को एडिट नहीं कर सकता है।

आर्टिकल में एक टाइमलाइन भी दी गई है, इसमें कहा गया है कि चीन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को समय पर जानकारी दी थी। उसने सारी जानकारी पारदर्शी ही रखी थी।

जर्मनी की रिपोर्ट में चीन की गलती सामने आई
चीन पर आरोप लगे हैं कि उसके यहां वुहान की लैब से ही कोरोनावायरस निकला है और चीन ने जानबूझकर दुनिया को सही समय पर चेतावनी नहीं दी। पिछले शुक्रवार को डे स्पीगल मैगजीनकी एक रिपोर्ट में जर्मनी की बीएनडी स्पाई एजेंसी के हवाले से बताया गया था कि चीन ने शुरुआती चार से छह हफ्ते तक इस सूचना को दबाए रखा जबकि इस समय का इस्तेमाल वायरस से लड़ने में किया जा सकता था।

पश्चिम देशों की आलोचनाओं को भी नकारा
इस आर्टिकल में पश्चिमी देशों की उन आलोचनाओं को भी नकारा गया है, जिसमें कहा गया है कि वायरस की सबसे पहले सूचना देने वाले डॉक्टर ली वेनलियांग को जेल में डाल दिया गया। बाद में उनकी मौत भी वायरस से हो गई। आर्टिकल में कहा गया है कि डॉ.लीने सबसे पहले जानकारी नहीं दी थी और उन्हें कभी गिरफ्तार भी नहीं किया गया। आर्टिकल के मुताबिक, डॉ. ली कोअफवाह फैलाने के कारण पुलिस ने फटकार लगाई थी। उनकी मौत के बाद चीन ने उन्हें शहीदों में शामिल किया है।

वुहान वायरस या चीनी वायरस कहने पर विरोध किया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने हाल ही में सुझाव दिया था कि कोरोनावायरस को चीनी वायरस या वुहान वायरस कहना चाहिए। आर्टिकल में इसका विरोध किया गया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के हवाले से बताया गया है कि किसी भी वायरस का नाम देश के नाम पर नहीं रखा जा सकता है।



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बीजिंग में प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन। चीन लगातार अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिका के आरोपों को नकारता रहा है।

Local official sacked as coronavirus epicentre Wuhan reports six new cases May 11, 2020 at 12:11AM

'Coronavirus hairstyle' spikes in popularity in East Africa May 11, 2020 at 12:06AM

Sino-India border clashes: China says its troops committed to uphold peace May 10, 2020 at 11:18PM

China on Monday reacted guardedly to the recent clashes between the Chinese and Indian soldiers, saying its troops remained "committed to upholding peace and tranquillity" at the border areas. Both the countries should properly handle and manage their differences, Chinese foreign ministry spokesman Zhao Lijian told media when asked about the recent clashes.

माल्टा के राजदूत ने फेसबुक पर जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की तुलना हिटलर से की, बाद में इस्तीफा दिया May 10, 2020 at 10:50PM

फिनलैंड में माल्टा के राजदूत माइकल जमीत को अपने एक विवादास्पद फेसबुक पोस्ट के बाद इस्तीफा देना पड़ा। टाइम्स ऑफ माल्टा के मुताबिक, इस पोस्ट में उन्होंने जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की तुलना हिटलर से की थी। अपने पोस्ट में जमीत ने लिखा, ‘‘ 75 साल पहले हमने हिटलर को रोका था। एजेंला मर्केल को कौन रोकेगा? उन्होंने हिटलर के यूरोप को काबू करने के सपने को पूरा किया।’’
विवाद बढ़ने के बाद माल्टा के विदेश मंत्रालय की दखल के बादजमीत को अपना पोस्ट डिलीट करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने सरकार को अपना इस्तीफा सौंप दिया। जमीत 2014 से फिनलैंड में बतौर माल्टा के राजदूत तैनात थे।

माल्टा सरकार जर्मनी से माफी मांगेगी
माल्टा के विदेश मंत्री इवारिस्ट बर्तोलो ने कहा है कि जैसे ही मुझे जानकारी मिली हमने जमीत को पोस्ट डिलिट करने के लिए कहा। माल्टा सरकार इसके लिए जर्मनी से माफी मांगेगी। उन्होंने कहा कि राजदूतों को कहा जाएगा कि वे सोशल मीडिया का महत्व समझें। इस प्रकार के प्लेटफॉर्म पर जिम्मेदाराना व्यवहार करें।
नेशनलिस्ट पार्टी ने जमीत के बयान की निंदा की
माल्टा की नेशनलिस्ट पार्टी ने जमीत के बयान की निंदा की। पार्टी ने कहा कि जमीत के बयान माल्टा के राजदूत की तरह नहीं था। जर्मनी और खास तौर पर एंजेला मर्केल ने हमेशा माल्टा की मदद की है। लोगों के उनके बारे में अलग विचार हो सकते हैं लेकिन वह यूरोपीय राजनीति में स्थिरता लाने की कोशिश कर रही है। पार्टी ने पार्टी ने देश की सत्तारूढ़ लेबर सरकार पर जमीत को राजनीतिक मकसद से राजदूत नियुक्त करने का आरोप भी लगाया।



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माल्टा के फिनलैंड के राजदूत माइकल जमीत ने जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्कल के बारे में विवादास्पद पोस्ट किया। इसमें मर्केल की तुलना हिटलर से की।(फाइल फोटो)

China auto sales mark first gain in almost 2 years as virus curbs ease May 10, 2020 at 10:05PM

China's monthly auto sales rose for the first time in almost two years in April, industry data showed, as more customers visited showrooms after the economy began to open up and authorities loosened coronavirus-related travel restrictions.

कोलंबिया यूनिवर्सिटी का शोध- मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना में ज्यादा फायदेमंद नहीं, मरीज बच नहीं पा रहे May 10, 2020 at 09:47PM

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कोरोना संक्रमण के लिए बेहद उपयोगी मानी जा रही मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर सवाल उठाए हैं। यूनिवर्सिटी ने करीब 1400 मरीजों पर की गई एक स्टडी में दावा किया गया है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लेने वाले और न लेने वाले मरीजों की स्थिति में बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा,क्योंकि ये दवा गंभीर मरीजों को बचा नहीं पा रही।ये रिपोर्ट न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी है।

इस स्टडी में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की उस सलाह पर भी आपत्ति उठाई गई है जिसमें उन्होंने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल बढ़ाने पर जोर दिया था।अमेरिकी सरकारने 19 मार्च कोमलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली क्लोरोक्वीन कोकोरोना के लिए इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी थी।

1400 मरीजों पर दो समूहों मेंकी गई स्टडी

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लेने वाले 800 से अधिक मरीजों की तुलना ऐसे 560 मरीजों से की है जिनका इलाज इस दवा की बजाय दूसरे तरीके से किया गया। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन वाले मरीजों में से कुछ को सिर्फ यही दवा मिली जबकि कुछ मरीजों को एजिथ्रोमाइसिन के साथ मिलाकर दी गई थी।

इन दोनों समूहों के अलग-अलग नतीजों में पता चला कि करीब 1400 मरीजों में से 232 की मौत हो गई और 181 लोगों को वेंटिलेटर पर ले जाना पड़ा। दोनों ही समूहों में ये आंकड़े लगभग बराबर थे। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल के कारण न तो मरने का जोखिम कम हुआ और न ही वेंटिलेटर की जरूरत को कम किया जा सका।

इस स्टडी को को अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ से फंडिंग मिली थी। अप्रैल में शुरू हुई इस स्टडी का मकसद यह देखना था कि क्या ये दवा वायरस के संपर्क में आने वाले फ्रंटलाइन वर्कर्स में संक्रमण को रोकने में मदद कर सकती है।

चेतावनी- दवा का फायदा कम, नुकसान ज्यादा

अचानक जीवन रक्षक बनकर उभरी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर इन अमेरिकी शोधकर्ताओं की सलाह है कि ये दवा फायदे ज्यादा नुकसान कर सकती है। उन्होंने इसके संभावित गंभीर दुष्प्रभाव बताए हैं, जिसमें दिल की धड़कन का अचानक से बेकाबू हो जाना भी है और ये मौत का कारण भी बन सकता है।

एफडीए ने भी औपचारिक अध्ययन के अलावाकोरोनोवायरस संक्रमण के लिए इस दवा के इस्तेमाल को लेकर सचेत किया है। यह चेतावनी इस खबर के बाद आई कि अमेरिकी लोगों ने डर के मारे हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन जमा करना शुरू दिया है।

गंभीर मरीजों को दी जा रही ये दवा

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीनअमूमन ऐसे मरीजों को दी जा रही है जो ज्यादा संक्रमित हैं। इसके लिए दुनियाभर में व्यापक रूप से अपनाए जा रहे तरीकों पर ही अमल हो रहा है, लेकिन कोई बहुत अच्छे नतीजे नहीं मिल रहे क्योंकि मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।

इसका इस्तेमाल मरीज को भर्ती किए जाने के दो दिनों के भीतर शुरू हुआ। क्योंकि पहले के अध्ययनों के कुछ आलोचकों ने कहा था कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीनशुरुआत में ही दी जानी चाहिए, न कि मरीज की हालत बिगड़ने के बाद।

ट्रम्प के दबाव में शुरू हुआ इस्तेमाल

शुरुआती रिसर्च रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि मलेरिया और इम्यून सिस्टम की खतरनाक बीमारी ल्यूपस दवा का कॉम्बिनेशन कोरोना में भी प्रभावी हो सकता है। दुनियाभर से इस तरह के मामले सामने आने के राष्ट्रपति ट्रम्प भी इस दवा के समर्थन में कूद पड़े।

उन्होंने भारत को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन भेजने के लिए अपरोक्षधमकी भी दे डाली थी और इसके बाद भारत को अपनी पॉलिसी बदलकर अमेरिका को ये दवा भेजनी पड़ी थी। बताया गया है कि ट्रम्प ने इसके इस्तेमाल के लिएअपने देश की सबसे बड़ी नियंत्रक एजेंसी एफडीए पर भी दबाव बनाया।

भारतीयदवा की क्वालिटीपर भी सवाल

अमेरिकीवैज्ञानिक डॉ. रिक ब्राइट ने बीते दिनों देश के विशेष काउंसिल ऑफिस में भारत से पहुंचीहाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की क्वालिटी पर शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया थाकि ट्रम्प प्रशासन के स्वास्थ्य अधिकारियों को भारतसे मिल रही कम क्वालिटी वाली मलेरिया की दवाखासकर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीनको लेकर आगाह किया गया था।

डॉ. ब्राइट फिलहाल सेवा से हटा दिए गए हैं। इससे पहले वे बायोमेडिकल एडवांस्ड रिसर्च डेवलपमेंट अथॉरिटी के प्रमुख थे। यह अमेरिका के हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज (एचएचएस) विभाग की देखरेख में काम करने वाली शोध एजेंसी है।

कोई रामबाण दवा नहीं, वैज्ञानिक हताश हो रहे

यह अवलोकन आधारित स्टडी थी जिसमें हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और प्लेसिबो (कोई दवा नहीं) वाले मरीजों के समूह की तुलना की गई। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि इसके निष्कर्ष मरीजों और उनके परिवारों को उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि, "यह निराशाजनक है कि महामारी में इतने महीनों के बाद भी हमारे पास किसी भी इलाज में, कोईरामबाण दवा इस्तेमाल करने के संतुष्ट करने वालेनतीजे नहीं है।"



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Patients treated with Trump's coronavirus drug hydroxychloroquine fare no better than those who didn't get the malaria pills, Columbia University study finds

Afghan officials: 4 bombs go off in Kabul; 4 civilians hurt May 10, 2020 at 08:57PM

The roadside bombs were spaced within 10-20 meters (yards) of one another, said Kabul police spokesman Ferdaws Faramarz. The wounded child is a 12-year-old girl, he said and added that the police are searching the area where the bombs struck. No one immediately claimed responsibility for the bombings and their targets remained unknown.