Sunday, November 8, 2020

अमेरिका संक्रमितों का आंकड़ा 1 करोड़ पार करने वाला पहला देश बना, महामारी की तीसरी लहर की चपेट में November 08, 2020 at 07:46PM

कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा एक करोड़ पार करने वाला अमेरिका दुनिया का पहला देश बन गया है। रॉयटर्स न्यूज एजेंसी के मुताबिक, अमेरिका में कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो चुकी है। बीते 10 दिन में अमेरिका में लाखों मामले सामने आए हैं। वॉशिंगटन में 293 दिन पहले कोरोना का पहला केस आया था। अमेरिका में शनिवार को 1 लाख 31 हजार 420 मामले दर्ज किए गए थे।

अमेरिका में बीते सात दिन में कोरोना के नए मामले आने का औसत 1 लाख 5 हजार 600 रहा। इसमें 29% की बढ़ोतरी देखी गई। अमेरिका के कुल मामले भारत (85 लाख से ज्यादा) और फ्रांस (17 लाख से ज्यादा) केसों से ज्यादा हैं।

अब तक कोरोना से दुनिया में 5 करोड़ 7 लाख 37 हजार 875 केस सामने आ चुके हैं। 12 लाख 62 हजार 130 लोगों की मौत हो चुकी है। अच्छी बात यह है कि 3 करोड़ 57 लाख 95 हजार 252 लोग ठीक भी हो चुके हैं।

इन 10 देशों में कोरोना का असर सबसे ज्यादा

देश

संक्रमित मौतें ठीक हुए
अमेरिका 10,288,480 243,768 6,483,420
भारत 8,553,864 126,653 7,917,373
ब्राजील 5,664,115 162,397 5,064,344
फ्रांस 1,787,324 40,439 128,614
रूस 1,774,334 30,537 1,324,419
स्पेन 1,388,411 38,833 उपलब्ध नहीं
अर्जेंटीना 1,242,182 33,560 1,062,911
यूके 1,192,013 49,044 उपलब्ध नहीं
कोलंबिया 1,143,887 32,791 1,038,082
मैक्सिको 967,825 95,027 715,977

फिलीपींस: पौधों का क्रेज बढ़ा

पूरे फिलीपींस में लोग घरों में ग्रीनरी बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।

कोरोना काल में प्रतिबंधों के चलते देश में पौधों की बिक्री तेजी से बढ़ी है। पौधों की कीमतें भी काफी बढ़ी हैं। इसके चलते लोग पार्कों से भी पौधे चोरी कर रहे हैं। महामारी के दौरान तनाव और बोरियत से बचने के लिए लोग घरों में पौधे लगाने को जोर दे रहे हैं। महामारी के पहले पौधों की कीमत 800 पेसो हुआ करती थी, जो अब बढ़कर 55 हजार पेसो पहुंच चुकी है। मनीला की एक प्लांट सेलर अरलीन गुमेरा-पाज कहती हैं कि लॉकडाउन के दौरान रोज का टर्नओवर तिगुना हो चुका है।

फ्रांस: 24 घंटे में 38,619 मामले आए
फ्रांस में कुल मामले 18 लाख के करीब हैं। अस्पताल में मरीजों की संख्या 30 हजार 243 हो गई है। 118 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए फ्रांस ने 30 अक्टूबर को नया लॉकडाउन किया है। इसके तहत गैर-जरूरी दुकानों, कैफे, रेस्तरां आदि को बंद कर दिया गया है। इसके अलावा लोगों को घर में रहने का आदेश दिया गया है। केवल जरूरी वस्तुएं, स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थितियों में ही बाहर निकलने की छूट दी गई है। स्वास्थ्य मंत्री ओलिवर वेरन ने रविवार को बताया कि उपायों से महामारी को कम करने में मदद मिली है लेकिन इसके प्रभावों का तुरंत अनुमान लगाना करना जल्दबाजी होगी।

ब्रिटेन ने डेनमार्क से आने वाले यात्रियों पर लगाए कड़े प्रतिबंध
डेनमार्क में कोरोना संक्रमण में इजाफे के बाद रविवार को ब्रिटेन ने नए उपाय किए हैं। ब्रिटिश नागरिक डेनमार्क से वापस आ सकते हैं, लेकिन उन्हें और उनके घर के सभी सदस्यों को 14 दिनों के लिए आइसोलेशन में रहना होगा। बीबीसी के अनुसार, केबिन क्रू को भी अब नियमों में छूट नहीं दी गई है। 5 नवंबर से इंग्लैंड में दूसरा लॉकडाउन लागू हुआ है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
फोटो अमेरिका के कैस्ट्रो शहर की है। राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन की जीत के जश्न में लोगों ने मास्क का ध्यान तो रखा, लेकिन डिस्टेंसिंग भूल गए।

ईरान में महामारी की तीसरी लहर, बीते 24 घंटे में सबसे ज्यादा 440 मौतें यहीं हुईं November 08, 2020 at 07:26PM

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामनेई का कहना है कि देश में महामारी की तीसरी लहर चल रही है। यह देश मिडिल ईस्ट में कोरोना का एपीसेंटर बन चुका है। सोमवार को यहां रिकॉर्ड 440 लोगों की मौत हुई। ईरान में अब तक कोरोना के 6,20,491 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 35,298 लोग जान गंवा चुके हैं।

उधर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने चेतावनी दी है कि ठंड के मौसम में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों की संख्या महामारी की पहली लहर के मुकाबले दोगुनी हो सकती हैं। ब्रिटिश सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को काबू करने के लिए देश में दूसरी बार लॉकडाउन लागू करते हुए चार सप्ताह के लिए कड़ी पाबंदियां लगा दी हैं। हाउस ऑफ कॉमन्स में दिए भाषण में जॉनसन ने कहा कि इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है।

यूनाइटेड किंगडम में कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या पूरे यूरोप में सबसे ज्यादा है। यहां एक दिन में 20,000 से ज्यादा नए मामले आ रहे हैं। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि इस सर्दी में मौतों का आंकड़ा 80,000 को पार कर सकता है। कुल मरीजों की संख्या 10 लाख हो चुकी है।

दूसरी ओर रूस में कोरोना के 18,257 नए मामले सामने आए हैं। इनमें 4,796 मरीज मॉस्को में मिले हैं। पूरे देश में अब मरीजों की संख्या 16,55,038 पहुंच गई है। प्रशासन के मुताबिक, बीते 24 घंटों में 238 मरीजों की मौत हो गई। अब तक यहां 28,473 लोग कोरोना से जान गंवा चुके हैं।

WHO महानिदेशक ने खुद को क्वारैंटाइन किया

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम गेब्रेयसेस ने कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद खुद को क्वारैंटाइन कर लिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा है कि उनमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं हैं, लेकिन कोरोना प्रोटोकॉल के तहत खुद को घर में ही क्वारैंटाइन कर लिया है।

इटली में फिर सख्ती, ग्रीस का एक शहर लॉक

यूरोप में अब तक कोरोना के 1,02,66,615 मरीज मिल चुके हैं। जबकि 2,68,330 मौतें हो चुकी हैं। इटली में 24 नवंबर तक मूवी थिएटर, पब्लिक पूल, जिम बंद करने के आदेश दिए गए हैं। ग्रीस में दूसरे सबसे बड़े शहर थेसालोनिकी में दो हफ्ते का लॉकडाउन किया गया है। उधर, अमेरिका में 30 अक्टूबर को एक लाख से ज्यादा मरीज मिलने के बाद अब नए मरीज घटने लगे हैं। यहां पिछले दो दिनों में 87 हजार से कम नए मरीज मिले हैं।

गेब्रयेसस ने कहा कि मैं ठीक हूं, चिंता की बात नहीं है। मैंने यह कदम ऐहतियातन उठाया है।

अब तक दुनिया में कोरोना के 4 करोड़ 68 साल 9 हजार 252 मामले सामने आ चुके हैं। 12 लाख 5 हजार 194 मौतें हो चुकी हैं। 3 करोड़ 37 लाख 53 हजार 770 लोग ठीक भी हो चुके हैं।

इन 10 देशों में कोरोना का असर सबसे ज्यादा

देश

संक्रमित मौतें ठीक हुए
अमेरिका 94,73,911 2,36,471 61,03,605
भारत 82,29,322 1,22,622 75,42,905
ब्राजील 55,45,705 1,60,104 49,80,942
रूस 16,36,781 28,235 12,25,673
फ्रांस 14,13,915 37,019 1,18,227
स्पेन 12,64,517 35,878 उपलब्ध नहीं
अर्जेंटीना 11,73,533 31,140 9,85,316
कोलंबिया 10,83,321 31,515 9,77,804
ब्रिटेन 10,34,914 46,717 उपलब्ध नहीं
मैक्सिको 9,29,392 91,895 6,82,044

अमेरिका: कोरोना टास्क फोर्स के प्रमुख को हटा सकते हैं ट्रम्प

बीते कुछ समय से डॉ. फॉसी और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच तनातनी की खबरें आ रही हैं।

अमेरिका में चुनावी सरगर्मी चरम पर है। 3 नवंबर को फाइनल वोटिंग है। इस बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रविवार को फ्लोरिडा में कर्फ्यू तोड़कर रैली की। इसमें हजारों सपोर्टर भी शामिल हुए। ट्रम्प ने कहा, ‘चुनाव के बाद डॉ. एंथनी फॉसी को पद से हटाया जा सकता है। अभी ये बात किसी से नहीं कहिएगा।’ कोरोना टास्क फोर्स के प्रमुख और संक्रामक बीमारियों के जानकार डॉ. फॉसी कई मौकों पर ट्रम्प का विरोध कर चुके हैं। ट्रम्प उन्हें डेमोक्रेट तक करार दे चुके हैं।

ब्रिटेन: प्रिंस विलियम अप्रैल में पॉजिटिव निकले थे

पत्नी केट मिडलटन के साथ प्रिंस विलियम। (फाइल फोटो)

बीबीसी के मुताबिक, ब्रिटेन के प्रिंस विलियम अप्रैल में कोरोना पॉजिटिव आए थे। यह तभी हुआ था, जब उनके पिता प्रिंस चार्ल्स संक्रमित निकले थे। यह भी बताया गया है कि देश में हड़कंप न मचे, इसलिए विलियम ने चुपचाप इलाज करा लिया। हालांकि, इस पर प्रिंस विलियम के ऑफिस और घर केन्सिंगटन पैलेस ने कोई भी कमेंट करने से इनकार कर दिया है। ‘सन’ के मुताबिक, विलियम ने किसी को भी अपने पॉजिटिव होने की जानकारी नहीं दी थी, क्योंकि वे किसी को परेशानी में नहीं डालना चाहते थे। अप्रैल में विलियम ने 14 फोन और वीडियो कॉल किए थे।

साउथ कोरिया: मास्क नहीं लगाया तो फाइन लगेगा
साउथ कोरिया ने ऐलान किया है कि मास्क नहीं लगाने वाले लोगों पर जुर्माना लगाया जाएगा। इस महीने के अंत तक यह नियम लागू हो जाएगा। दूसरे देशों की तुलना में साउथ कोरिया में हालात बेहतर हैं। पिछले कुछ दिनों से रोज 100 मामले सामने आ रहे हैं। देश में अब तक 26 हजार 732 केस हैं और महज 468 मौतें हुई हैं।

चीन: 24 नए केस


चीन में रविवार को 24 नए केस सामने आए, जिसमें 21 विदेशों से आए लोग हैं। ये सभी लोग शिनजियांग में सामने आए। अफसरों ने कहा है कि काशगर समेत दो अन्य शहरों में दूसरे राउंड की टेस्टिंग शुरू की जा रही है। एक 17 साल के फैक्ट्री वर्कर के पॉजिटिव मिलने के बाद 47.5 लाख टेस्ट किए गए, जिसमें ज्यादातर एसिम्प्टोमैटिक (जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं) पाए गए।

सिंगापुर-हॉन्गकॉन्ग: जल्द शुरू होगी हवाई यात्रा

हॉन्गकॉन्ग में पर्यटकों का टेम्परेचर चैक करता टूर गाइड।

हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर में जल्द ही हवाई यात्रा शुरू हो सकती है। हॉन्गकॉन्ग के मंत्री एडवर्ड याउ ने बताया कि नवंबर के मध्य तक उड़ानें शुरू की जा सकती हैं। ट्रैवल एजेंसियां टिकटों की बिक्री शुरू कर सकती हैं। वहीं, सिंगापुर के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर ओंग ये कुंग के मुताबिक, हम मलेशिया से ट्रैवल बबल शुरू करेंगे। वहां काफी केस सामने आए हैं, लेकिन उन्होंने अच्छा कंट्रोल किया है। सिंगापुर में पिछले महीने से एक दिन में 20 से कम लोग संक्रमित निकल रहे हैं।

मैक्सिको: 4430 नए केस

मैक्सिको में रविवार को डेड डे सेलिब्रेट (मृतकों के लिए उत्सव) किया गया। इस दौरान राजधानी मैक्सिको सिटी के एक ग्रेवयार्ड में पिता की कब्र पर फूल चढ़ाता व्यक्ति।

मैक्सिको के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 4430 नए केसों और 142 अतिरिक्त मौतों की पुष्टि हुई है। सरकार ने कहा है कि संक्रमित लोगों का आंकड़ा, संक्रमित मामलों से आगे निकल सकता है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने कहा है कि देश महामारी की तीसरी लहर से गुजर रहा है। - फाइल फोटो

Car bomb blast in Kandahar kills at least 4 November 08, 2020 at 06:30PM

A car bomb has exploded in Afghanistan's second-largest city, Kandahar, leading to several deaths, including among civilians, local sources told Sputnik on Monday.

Kamala Harris in a white suit, dressing for history November 08, 2020 at 05:23PM

The white pantsuit: a nod to the struggle to break the final glass ceiling, stretching from the suffragists through Geraldine Ferraro, Hillary Clinton, Nancy Pelosi and the women of Congress.

प्रेसिडेंट इलेक्ट बाइडेन कोरोना और क्लाइमेट चेंज पर बड़ा फैसला ले सकते हैं, पर ट्रम्प हार मानने को तैयार नहीं November 08, 2020 at 05:06PM

अमेरिकी चुनावों में डेमोक्रेट जो बाइडेन और कमला हैरिस की जीत हो चुकी है। 20 जनवरी को बाइडेन शपथ लेंगे। डेमोक्रेट्स ने सत्ता हस्तांतरण की तैयारी भी शुरू कर दी है। बाइडेन और हैरिस ने इसके लिए वेबसाइट BuildBackBetter.com और ट्विटर अकाउंट @Transition46 भी बनाया है। वहीं, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अभी भी हार मानने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्हें नतीजों पर अब भी शक है। बाइडेन को 279 और ट्रम्प को 214 इलेक्टर्स वोट मिले हैं। जीत के लिए 270 वोट जरूरी होते हैं।

न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक, बाइडेन की कोरोना से लड़ने के लिए एक टास्क फोर्स बनाने की योजना है। कोरोना से लड़ाई में ट्रम्प की नाकामी को बाइडेन ने प्रमुख मुद्दा बनाया था। वहीं, बाइडेन पेरिस क्लाइमेट समझौते दोबारा से जॉइन करने पर भी विचार कर रहे हैं। साथ ही वे मुस्लिम देशों पर लगाए ट्रैवल बैन के ट्रम्प के ऑर्डर को उलट सकते हैं।

ट्रम्प के बर्ताव पर ज्यादातर रिपब्लिकन दिग्गज खामोश
पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश (74) ने कहा है कि चीजें तय हो चुकी हैं। अलग तरीके से अपनी बात रखते हुए बुश बोले कि मैंने प्रेसिडेंट इलेक्ट बाइडेन और कमला हैरिस को कहा था कि उन्हें मिल रही शुभकामनाओं को और विस्तार देना चाहिए। क्या ट्रम्प को दोबारा गिनती का हक है, इस पर बुश ने कहा कि अमेरिकियों को भरोसा है कि चुनाव निष्पक्ष तरीके से हुए हैं। हमारी मजबूती बरकरार रहेगी। चीजें साफ हो चुकी हैं।

बुश के मुताबिक, ‘राजनीतिक मतभेद होना अलग बात है, पर मैं जानता हूं कि बाइडेन अच्छे व्यक्ति साबित होंगे और देश को एकजुट करेंगे। हमें अपने परिवार, पड़ोसियों, देश और भविष्य के लिए साथ आना होगा।’



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन रविवार को विल्मिंगटन के कब्रगाह में परिवार के लोगों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

Astronauts arrive at launch site for 2nd SpaceX crew flight November 08, 2020 at 04:22PM

Four astronauts arrived at Kennedy Space Center on Sunday for SpaceX's second crew launch, coming up next weekend. The crew of three Americans and one Japanese are scheduled to rocket away Saturday night, provided approaching Tropical Storm Eta doesn't interfere.

कमला हैरिस ने हमेशा अपने पूर्वजों का जिक्र किया; अश्वेतों और बाहरी लोगों पर हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई November 08, 2020 at 03:15PM

(लीसी रेरर, सिडनी एम्बर) अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति भारतीय मूल की कमला हैरिस ने अश्वेतों और बाहरी लोगों के अधिकारों की आवाज हमेशा उठाई है। उन्हें बचपन से सिखाया गया कि अश्वेतों के लिए न्याय पाने का रास्ता बहुत लंबा है।

वे चुनाव अभियान के दौरान अक्सर अपने पूर्वजों, माता-पिता और अमेरिका में बाहर से आकर बसे लोगों के नागरिक अधिकारों की चर्चा करती रहीं। उन्होंने, मतदान से कुछ दिन पहले फोर्ट विथ, टेक्सास में कहा, कई बार लगता है कि हम उस कमरे में अकेले हैं। लेकिन, हम जानते हैं कि अकेले नहीं हैं। हम सब साथ हैं।
रंग और नस्ल के आधार पर विभाजित देश में 56 साल की कमला का उपराष्ट्रपति बनना बहुत महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। वे अब नस्ली तौर पर अधिक विविध हो रहे देश के भविष्य का सूचक हैं। जीत के बाद उन्होंने पहले भाषण में अपनी मां और उन महिलाओं को याद किया जिन्होंने इस अवसर के लिए रास्ता बनाया है। उनकी मां भारतीय और पिता जमैका के हैं।

स्तन कैंसर की शोधकर्ता उनकी मां का 2009 में निधन हो गया। कमला बहुत कम आयु से ओकलैंड और बर्कले में रंगभेद से जुड़े मसले उठाती रहीं। उन्होंने, 2016 में पहली बार सीनेटर चुने जाने के बाद सीनेट की सुनवाई में आक्रामक लहजे से पहचान बनाई। माट्रियल में कई साल रहने के बाद कमला ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। इसके बाद घरेलू हिंसा और बाल शोषण के मामलों में प्रोसीक्यूटर के बतौर करिअर शुरू किया।
कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रारंभिक चुनावों से अश्वेतों की आवाज उठाई। ओकलैंड में उनकी एक सभा में बीस हजार लोगों की भीड़ थी। इसके साथ वे राष्ट्रपति प्रत्याशी की दौड़ में आगे आ गई थीं। लेकिन, बाद में ज्यादा समर्थन मिलने के कारण वे होड़ से बाहर हट गईं।

वे अपनी नीतियां और एजेंडा पेश करने में विफल रहीं। उस समय बाइडेन पर अपने तीखे हमलों को भी स्पष्ट नहीं कर पाई थी। वैचारिक दृढ़ता के अभाव ने उनके लिए उपराष्ट्रपति प्रत्याशी बनने का रास्ता खोला। उपराष्ट्रपति से राष्ट्रपति के अनुरूप चलने की अपेक्षा होती है।
बाइडेन द्वारा उन्हें उपराष्ट्रपति प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद कमला ने चुनाव अभियान के दौरान अश्वेतों और इमिग्रांट्स को पार्टी की ओर आकर्षित करने के लगातार प्रयास किए। कई लोग कहते थे, कमला हैरिस की उम्मीदवारी उन्हें अपने राजनीतिक प्रतिनिधित्व का आभास कराती है। उनके खिलाफ रिपब्लिकन समर्थकों ने लगातार नस्लवादी हमले किए।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प उनके नाम का गलत उच्चारण करते थे। उन्होंने, रिपब्लिकनों के हमलों का स्वाभाविक रूप से सामना किया। हैरिस की मित्र सीनेटर कोरी बुकर कहती हैं, कमला को अहसास था कि अश्वेत महिला को लोग आसानी से स्वीकार नहीं करेंगे। कैलिफोर्निया से डेमोक्रेटिक सांसद बारबरा ली कहती हैं, मुझे हमेशा विश्वास था कि व्हाइट हाउस में किसी अश्वेत महिला को जगह मिलेगी।
कमला हैरिस ने स्पष्ट तौर से स्वयं को राष्ट्रपति के उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित कर लिया है। किसी अन्य उपराष्ट्रपति की तुलना में उनकी संभावनाएं अधिक उजली लगती हैं। बुकर कहती हैं, निर्वाचित राष्ट्रपति बाइडेन इस बात को समझते हैं। सांसद प्रमिला जयपाल का कहना है, हैरिस का उपराष्ट्रपति बनना दक्षिण एशियाइयों के लिए गौरव की बात है।

वे कल्पना करेंगे कि अमेरिका के सार्वजनिक जीवन में किस ऊंचाई तक पहुंचा जा सकता है। जयपाल ने अगस्त में लॉसएंजिलिस टाइम्स में एक लेख लिखकर नई उपराष्ट्रपति से अपने स्वयं के संबंधों का जिक्र किया है। प्रमिला दक्षिण भारत की हैं। उन्होंने कहा, हैरिस जानती हैं कि बाहरी लोगों की संतान और अश्वेत होने का क्या अर्थ है।

वे घरेलू कामगारों और मुस्लिम इमिग्रांट्स की मदद करेंगी। राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय अश्वेत महिलाएं हैरिस को सहयोगी और अपना नेता मानती हैं। सांसद लॉरेन अंडरवुड बताती हैं, जब वे शिकागो से कांग्रेस का चुनाव लड़ रही थीं तब हैरिस ने आकर उनका हौसला बढ़ाया था।

बाइडेन ने कैसे राष्ट्रपति चुनाव में विजय हासिल की

  • निर्वाचित राष्ट्रपति जोसफ बाइडेन ने एक विनम्र और परंपरागत राजनेता के रूप में अभियान चलाया।
  • वायरस महामारी से निपटने में राष्ट्रपति ट्रम्प की विफलता और उग्र व्यवहार को प्रचार की मुख्य थीम बनाया। उन्होंने बाकी सभी मुद्दों को किनारे रखा।
  • उनका अभियान जोश-खरोश और शोर-शराबे से दूर था। उन्होंने अनुशासन और संयम का परिचय दिया। देश की आत्मा और सम्मान की रक्षा के लिए लड़ने वाले योद्धा का आभास कराया।
  • कुछ डेमोक्रेट नेता कई महत्वपूर्ण राज्यों में सघन अभियान पर जोर दे रहे थे। लेकिन, बाइडेन ने पेनसिल्वानिया, विस्कांसिन, मिशिगन, ओहायो, मिनेसोटा, इलिनॉय, इंडियाना पर अधिक ध्यान दिया।
  • बाइडेन को विश्वास था कि वोटर के लिए व्हाइट हाउस की ट्रम्प में मौजूदगी से बड़ा कोई मुद्दा नहीं है। उन्होंने, ट्रम्प से अलग हटकर अपनी इमेज पेश की।
  • बाइडेन ने देश का व्यापक दौरा नहीं किया। वे इस तरह वायरस से बचाव के लिए भीड़ से बचने का संदेश देते रहे। यह ट्रम्प से विपरीत था।

© The New York Times



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
कमला बहुत कम आयु से ओकलैंड और बर्कले में रंगभेद से जुड़े मसले उठाती रहीं।

5 महीने से चीन में खड़ा है जग-आनंद, 23 क्रू मेंबर बेहाल; कई की हालत खराब, दवा और खाना भी खत्म होने की कगार पर November 08, 2020 at 03:06PM

भारतीय मर्चेंट शिप जग-आनंद बीते जून से चीन के जिंगटैंक बंदरगाह पर खड़ा हुआ है। जहाज में 23 क्रू मेंबर्स भी फंसे हैं और इनमें से कई की तबियत खराब है। जहाज में पर्याप्त दवाइयां भी नहीं हैं और खाने-पीने का सामान भी खत्म होने की कगार पर है। हाल ही में क्रू ने एक न्यूज एजेंसी से बात कर भारत सरकार से मदद की अपील की है।

बता दें जग आनंद मुंबई की कंपनी ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग लिमिटेड का जहाज है और इसमें ऑस्ट्रेलिया का 1.70 लाख टन कोयला भरा है। बंदरगाह के अधिकारियों ने अब तक जहाज अनलोड करने की अनुमति नहीं दी है। एक क्रू मेंबर ने बताया कि हम मई में ऑस्ट्रेलिया से कोयला लेकर चले थे और 13 जून को जिंगटैंक पहुंच गए, लेकिन चीनी अधिकारी जहाज से माल उतारने की अनुमति नहीं दे रहे।

हम घर जाना चाहते हैं, लेकिन कोई सुनवाई ही नहीं हो रही। वहीं इस बारे में शिपिंग कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि हम चीन के अधिकारियों से बात कर रहे हैं, लेकिन अब तक हल नहीं निकला है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
जग आनंद मुंबई की कंपनी ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग लिमिटेड का जहाज है और इसमें ऑस्ट्रेलिया का 1.70 लाख टन कोयला भरा है।

इमरान खान ने कहा- बोलने की आजादी के नाम पर ईशनिंदा बर्दाश्त नहीं, जवाब-मानवाधिकार संगठन में रहने लायक नहीं पाकिस्तान November 08, 2020 at 02:40PM

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और संयुक्त राष्ट्र समर्थित एनजीओ यूएन वॉच के बीच मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर जुबानी जंग हुई है। इमरान ने पांच नवंबर को लिखा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ईश निंदा बर्दाश्त के बाहर है। उनका इशारा संभवतः फ्रांस में चल रहे विवाद को लेकर था।
यूएन वॉच ने इमरान के इस संदेश को शेयर करते हुए जवाब दिया कि आपकी संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन (यूएनएचआरसी) में मौजूदगी बर्दाश्त के बाहर है। पाकिस्तान के ऊपर देश के अंदर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं। यूएन वॉच ने 28 सितंबर का अपना एक बयान भी साझा किया है, पाकिस्तान काे यूएनएचआरसी में शामिल किए जाने का विराेध किया गया है।

फ्रांस में शिक्षक की हत्या का समर्थन किया है पाकिस्तानी नेताओं ने

फ्रांस में कार्टून विवाद के कारण एक शिक्षक की गला काटकर हत्या कर दी गई थी। इमरान खान सहित कई पाकिस्तानी नेताओं ने इस हत्या को परोक्ष रूप से सही करार दिया था। वे बार-बार कहते रहे हैं कि बोलने की आजादी के नाम पर धर्म की आलोचना या ईश निंदा नहीं होनी चाहिए।
भारत भी पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन के मामले उठाता रहा है। भारत का आरोप है कि पाकिस्तान सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में लगातार लोगों को प्रताड़ित कर रहा है।

चीन के मुसलमानों को लेकर क्यों नहीं बोलता पाकिस्तान
इमरान खान के मीडिया सलाहकार अर्सलान खालिद ने यूएन वाच पर मुसलमानों के खिलाफ पूर्वाग्रही हाेने का आराेप लगाया है और कहा कि यह इजरायल समर्थक एनजीओ है। इस एनजीओ का संयुक्त राष्ट्र से कोई लेना-देना नहीं है। इस पर पलटवार करते हुए यूएन वॉच ने कहा कि पाकिस्तान मुसलमानों का रक्षक होने का ढोंग करता है। वह चीन के शिनझियांग प्रांत में 10 लाख से ज्यादा वीगर मुसलमानों के मानवाधिकारों के हनन पर कुछ नहीं बाेलता।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
इमरान ने पांच नवंबर को लिखा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ईश निंदा बर्दाश्त के बाहर है। (फाइल फोटो)

Biden goes to church, Trump hits golf course after US election result November 08, 2020 at 07:22AM

यरुशलम नगरपालिका ने लिखा- ट्रम्प, आपके लिए हमारे पास कई नौकरियां; कुछ देर बाद पोस्ट हटाई November 08, 2020 at 05:52AM

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की हार के बाद व्हाइट हाउस से उनकी विदाई तय हो चुकी है। इस बीच, यरुशलम की नगरपालिका ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए ट्रम्प को नौकरी का ऑफर दे दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नगरपालिका ने अपनी पोस्ट में लिखा- ट्रम्प ध्यान दें। आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। हमारे पास कई नौकरियां हैं और आप उनके लिए योग्य उम्मीदवार हो सकते हैं।

हालांकि दि यरूशलम पोस्ट के मुताबिक, इस पोस्ट को नगर पालिका के फेसबुक पेज से जल्द ही हटा भी लिया गया। नगर पालिका के प्रवक्ता ने मीडिया को बताया कि यह पोस्ट अनजाने में अपलोड हो गई थी। इसे तुरंत हटा दिया गया था।

पोस्ट के साथ जॉब का एक लिंक भी अटैच किया था

दरअसल, यरुशलम म्यूनिसिपैलिटी के फेसबुक पेज पर लिखा गया था कि ट्रम्प को चिंता करने की जरूरत नहीं है। हमारे नए यरुशलम जॉब बोर्ड को हर दिन बेहतर मौकों के साथ अपडेट किया जाता है। यह जेरुज को फिर से महान बनाएगा। इस पोस्ट के साथ जॉब का एक लिंक भी अटैच किया गया था।

2017 में यरुशलम को राजधानी के रूप में मान्यता दी

ट्रम्प प्रशासन ने दिसंबर 2017 में यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दी थी। ऐसा करके उन्होंने लगभग सात दशकों से चली आ रही अमेरिकी विदेश नीति को उलट दिया था। साथ ही तेल अवीव से अमेरिकी दूतावास को हटाने के लिए रास्ता खोल दिया था। ट्रम्प के इस कदम का अंतरराष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ अमेरिका में भी विरोध हुआ था।

2016 में चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था

डोनाल्ड ट्रम्प ने 2016 में चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि वे यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देंगे। उन्होंने कहा था कि वह अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम शिफ्ट करेंगे। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपना वादा पूरा किया। हालांकि इस बार ट्रम्प चुनाव में जो बाइडेन से हार चुके हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में मिली हार के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने वोटिंग में धांधली के आरोप भी लगाए थे। -फाइल फोटो

फ्रांस में कोरोना के कारण मारे गए भारतीय लोगों की राख उनके परिवार को देने भारत आया NRI November 08, 2020 at 05:12AM

फ्रांस में रहने वाले इकबाल सिंह भट्टी इन दिनों भारत में हैं। उनके आने की वजह खास है। इकबाल 10 भारतीयों की राख साथ लेकर आए हैं, जिनकी फ्रांस में मौत हो गई थी। इनमें से 7 की मौत कोरोना से हुई थी। वे इसे मरने वालों के परिवार को सौंपेंगे।

65 साल के इकबाल सिंह पिछले 29 साल से फ्रांस में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे पेरिस के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती भारतीयों की देखभाल कर रहे हैं। इकबाल कहते हैं कि रब का बहुत शुक्रिया जो उसने मुझे सुरक्षित रखा, ताकि मैं यह काम कर सकूं।

जब भी भारत आए, राख साथ लाए

भट्टी ने बताया कि मैं जब भी भारत आता हूं, ऐसे भारतीयों की राख साथ ले आता हूं, जिनकी मौत फ्रांस में अकेले रहते हुए हुई है। मैं उनके परिजन को यह राख सौंप देता हूं ताकि वे अंतिम संस्कार कर सकें। इस बार इकबाल सिंह 10 लोगों की राख लेकर आए हैं। दिल्ली में रहने वाले दो परिवारों को इसे सौंप चुके हैं। बाकी परिवारों से मिलने के लिए वे जालंधर जाएंगे।

परिवार की सहमति से अंतिम संस्कार

भट्टी ने बताया कि हम परिवार की अनुमति लेकर पेरिस में शव का दाह संस्कार करते हैं और भारत आकर उनकी राख परिवार को दे देते हैं। अब तक हम 22 लोगों की राख ला चुके हैं। फ्रांस में कोरोना महामारी के दौरान लगभग 13 भारतीयों की मौत हुई। भारतीय दूतावास की मदद से भट्टी ने दो शव भारत भेजे। उन्होंने साफ किया कि दोनों की मौत कोरोना वायरस के कारण नहीं हुई थी।

अब तक 178 शव भी ला चुके हैं

इकबाल सिंह भट्टी ने 2005 में एक संगठन बनाया। यह संगठन फ्रांस में मरने वाले भारतीयों के अवशेष उनके परिवारों को लौटाने का काम करता है। वे अब तक पेरिस से 178 शवों को भारत ला चुके हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
65 साल के इकबाल सिंह 29 साल से फ्रांस में रह रहे हैं। वे पेरिस के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती भारतीयों की देखभाल करते हैं।

Thai police use water cannon on protesters in Bangkok November 08, 2020 at 02:14AM

Queen Elizabeth II wears mask at tribute to Unknown Warrior November 08, 2020 at 01:14AM

On Wednesday, during Queen Elizabeth II 's first public engagement in London since March, she wore a black mask that was edged with white. Pictures of the ceremony were officially released late on Saturday.

Azerbaijani leader: Forces seize key Nagorno-Karabakh city November 07, 2020 at 11:57PM

In a televised address to the nation, President Ilham Aliyev said "Shusha is ours - Karabakh is ours," using the Azerbaijani version of the city's name.

Mideast heads for policy revamp under Biden November 07, 2020 at 10:20PM

In his term in power, Trump's unconventional strategy produced a head-spinning sequence of signature achievements, risky moves and failed initiatives that have transformed the Middle East's political landscape.

'Pak presence in rights council intolerable' November 07, 2020 at 10:44PM

The NGO's, that monitors the performance of the United Nations, condemnation comes after Pakistan government defended the beheading of a French teacher in Paris by an Islamic terrorist by claiming that the blasphemy in the garb of freedom of expression is 'intolerable'.

कोरोना पर खुलकर सरकार के विरोध में आए, अपना मैसेज वोटर्स तक पहुंचाने में कामयाब रहे November 07, 2020 at 10:21PM

पॉलिटिक्स को जिंदगी के 50 साल देने वाले जो बाइडेन हमेशा अमेरिका का राष्ट्रपति बनने का सपना देखते रहे। उम्र के 77वें साल में उन्हें बतौर राष्ट्रपति व्हाइट हाउस की सीढ़ियां चढ़ने का मौका मिल रहा है। यह कोई ऐसा अभियान नहीं था, जिसकी किसी ने भविष्यवाणी की थी। उनकी यह कोशिश सदी की पहली महामारी और अमेरिकी समाज में अशांति के बीच जारी रही। वे ऐसे शख्स के साथ मुकाबले में थे, जो सारी परंपराएं तोड़ रहा था।

आखिर अपनी तीसरी कोशिश में बाइडेन और उनकी टीम ने राजनीतिक रुकावटों से पार पाने और जीत का दावा करने का रास्ता निकाल लिया। हम आपको वे 5 वजहें बता रहे हैं, जिनके चलते डेलावेयर में कार बेचने वाले का बेटा राष्ट्रपति चुनाव जीत गया।

कोरोना, कोरोना और कोरोना

बाइडेन की जीत का सबसे बड़ा कारण शायद ऐसा है, जिस पर किसी का काबू नहीं है। कोरोना वायरस से उपजी महामारी ने 2 लाख 30 हजार से ज्यादा जिंदगियां छीन लीं। इसने अमेरिकियों का जीवन और 2020 की राजनीति को भी बदल दिया। शुरुआत में नकारने के बाद चुनाव प्रचार के अंतिम दिनों में डोनाल्ड ट्रम्प खुद इस बात को मानने लगे थे।

ट्रम्प ने पिछले सप्ताह विस्कॉन्सिन में रैली की थी। यहां हाल के दिनों में नए केस काफी बढ़ गए हैं। इसके बावजूद रैली में ट्रम्प ने कहा कि फर्जी खबरों के साथ सब कुछ कोविड, कोविड, कोविड, कोविड है।

कोविड पर मीडिया का फोकस, इस महामारी के बारे में लोगों की चिंता का ही प्रतिबिंब था। वोटिंग में भी इसका असर नजर आया। पिछले महीने प्यू रिसर्च के पोल में बताया गया था कि बाइडेन के कोरोना से निपटने की योजना पर लोगों के भरोसे ने उन्हें ट्रम्प पर 17% पॉइंट की बढ़त दिला दी है।

बाइडेन से साफ कहा कि ट्रम्प प्रशासन का महामारी से निपटने का तरीका सही नहीं था। इससे देश में काफी ज्यादा मौतें हुईं। 92 लाख लोग संक्रमित हो गए।

महामारी और उसके कारण अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान ने ट्रम्प कैम्पेन के सबसे खास मैसेज तरक्की और समृद्धि को कमजोर कर दिया। इसने उन चिंताओं को भी उजागर किया, जो कई अमेरिकियों के मन में अपने राष्ट्रपति के बारे में थीं।

सधा हुआ प्रचार अभियान

अपने राजनीतिक करियर के दौरान कई मुश्किलों के बावजूद बाइडेन ने अपने लिए एक बेहतर जगह बनाई है। 1987 में एक झूठ ने उनके पहले राष्ट्रपति अभियान को पटरी से उतार दिया था। 2007 में भी वे इसकी दौड़ से बाहर हो गए थे। अपनी 40 साल की राजनीतिक महत्वाकांक्षा और व्हाइट हाउस के लिए तीन कोशिशों के दौरान वे खुद को बहुत मजबूती से सामने नहीं रख पाए।

इस बार उनके सामने ऐसे राष्ट्रपति थे, जो खुद जानकारी का भरोसेमंद जरिया नहीं थे। इसी दौरान देश में कई घटनाओं ने लोगों का ध्यान खींचा। इनमें कोरोना वायरस, पुलिस की प्रताड़ना से अश्वेत जॉर्ज फ्लायड की मौत और अर्थव्यवस्था का पटरी से उतर जाना शामिल है।

बाइडेन कैम्पेन को इसका थोड़ा श्रेय दिया जाना चाहिए कि उसने ठोस रणनीति के तहत अपने उम्मीदवार के प्रदर्शन को सीमित रखा। उन्होंने अपने प्रचार अभियान को सधी गति से चलाया। थकान और लापरवाही से होने वाले नुकसान की संभावनाओं को कम कर दिया। उन्होंने पूरे कैम्पेन को संतुलित रखने पर ध्यान दिया। दूसरी ओर ट्रम्प लगातार टिप्पणियां करते रहे। आखिर में उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ी।

(दौड़ते हुए मंच तक आए प्रेसिडेंट इलेक्ट, बोले- अब जख्मों को भरने का वक्त, देश को एकजुट करूंगा)

कोई भी हो, लेकिन ट्रम्प नहीं

वोटिंग वाले दिन से एक सप्ताह पहले बाइडेन कैम्पेन ने टीवी पर विज्ञापनों की शुरुआत की। इसमें अगस्त में नॉमिनेशन के दौरान दी गई बाइडेन की स्पीच भी थी। इसमें उन्होंने कहा था कि यह चुनाव अमेरिका की आत्मा की लड़ाई है। यह एक मौका है कि देश पिछले चार साल से चली आ रही अराजकता और लोगों को बांटने की कोशिशों को नकार दे।

इस नारे के पीछे बहुत सामान्य बात थी। बिडेन ने इस शर्त पर अपने राजनीतिक भाग्य को दांव पर लगा दिया कि ट्रम्प बहुत ज्यादा ध्रुवीकरण करने वाले और भड़काऊ थे। वहीं, अमेरिकी शांत और स्थिर नेतृत्व चाहते थे। इसका एक उदाहरण फ्रांस के मूल निवासी थियरी एडम्स हैं। उनका कहना है कि मैं ट्रम्प के रवैये से बस थक गया हूं। 18 साल फ्लोरिडा में रहने के बाद उन्होंने मियामी में राष्ट्रपति चुनाव में अपना पहला वोट डाला।

डेमोक्रेट इस चुनाव को दो उम्मीदवारों के बीच मुकाबले के बजाय ट्रम्प के खिलाफ जनमत संग्रह बनाने में कामयाब रहे। बिडेन का विजयी संदेश बस इतना रहा कि वे ट्रम्प नहीं थे। डेमोक्रेट्स में एक आम धारणा यह थी कि बिडेन की जीत का मतलब था कि अब राजनीति के बारे में सोचे बिना अमेरिकी कई हफ्ते रह सकते हैं। यह मजाक के रूप में था, लेकिन इसमें सच्चाई भी थी।

(जो बाइडेन के प्रेसिडेंट बनने से अमेरिका और भारत के रिश्ते मजबूत ही होंगे, जानिए क्यों?)

हमेशा सेंटर में रहे

डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बनने के अभियान के दौरान बाइडेन का मुकाबला बर्नी सैंडर्स और एलिजाबेथ वॉरेन के साथ हुआ। दोनों बहुत संगठित अभियान चला रहे थे। उनके कार्यक्रमों में किसी रॉक-कंसर्ट की तरह भीड़ पहुंच रही थी।

अपनी उदारवादी पृष्ठभूमि के बावजूद बाइडेन कुछ मुद्दों पर फंस गए। इनमें सरकार की ओर से चलाए जा रहे हेल्थकेयर प्रोग्राम, फ्री कॉलेज एजुकेशन और वेल्थ टैक्स से इनकार शामिल था।

उपराष्ट्रपति पद के लिए कमला हैरिस को चुनना बाइडेन की रणनीति का हिस्सा था, जबकि वे पार्टी की लेफ्ट विंग से किसी मजबूत उम्मीदवार को चुन सकते थे। एक मुद्दे पर बाइडेन सैंडर्स और वारेन के करीब नजर आए। यह पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन का मसला था। शायद इसके पीछे ऊर्जा क्षेत्र पर निर्भर स्विंग स्टेट के युवा वोटर्स के दूर जाने का जोखिम था।

(भारतीय मूल की कमला हैरिस को बाइडेन की कट्टर विरोधी होने के बावजूद उम्मीदवारी मिली)

ज्यादा पैसा, कम समस्याएं

साल की शुरुआत में बिडेन कैम्पेन का खजाना खाली था। इन्हीं हालात में उन्होंने ट्रम्प से मुकाबले के लिए प्रचार अभियान में प्रवेश किया। हालांकि वे ट्रम्प की तुलना में नुकसान में थे, जिन्होंने अपने प्रचार पर करीब एक अरब डॉलर खर्च किए थे। अप्रैल के बाद बिडेन कैम्पेन ने खुद को पूरी तरह बदल

दिया। आर्थिक मदद जुटाने के मामले में उन्होंने अपने राइवल से बहुत मजबूती हासिल कर ली। अक्टूबर की शुरुआत में बिडेन कैम्पेन के पास ट्रम्प की तुलना में 1065 करोड़ रुपये ज्यादा थे। इससे उन्हें कड़ी टक्कर वाले लगभग हर प्रमुख प्रांत में विज्ञापन के मामले में रिपब्लिकन को पीछे छोड़ने में मदद मिली।

हालांकि, इस काम में पैसा ही सब कुछ नहीं था। 4 साल पहले भी हिलेरी क्लिंटन कैम्पेन के पास ट्रम्प के मुकाबले ज्यादा रकम थी। 2020 में जब देश भर में कोरोना वायरस के कारण अमेरिकी घरों में थे। मीडिया और टीवी को ज्यादा समय दे रहे थे। तब बाइडेन ने भरपूर पैसा खर्च कर आखिर तक अपना संदेश पहुंचाया। उन्होंने टेक्सास, जॉर्जिया, ओहियो और आयोवा जैसे बड़े राज्यों में इस काम में खूब पैसा खर्च किया।

इसका फायदा रिपब्लिकन की मजबूती वाले एरिजोना और टक्कर वाले जॉर्जिया में भी मिला। पैसे प्रचार अभियान को बेहतर बनाने और विकल्प तैयार करने में मदद करते हैं और बाइडेन ने इसका सही इस्तेमाल कर फायदा उठाया।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Openly opposed to the government on Corona, said that this election was a fight for the soul of America

Suu Kyi favoured to win as election gets underway November 07, 2020 at 09:41PM

Leader Aung San Suu Kyi's National League for Democracy (NLD) is expected to win a second term, following a 2015 landslide that ended more than a half-century of military and military-backed rule.