Saturday, December 21, 2019

एफएटीएफ ने इमरान सरकार को भेंजे 150 सवाल, अब तक आतंकवाद के खिलाफ हुई कार्रवाई की जानकारी मांगी December 21, 2019 at 08:49PM

इस्लामाबाद. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने इमरान सरकार को 150 सवाल भेजकर अब तक आतंकवाद के खिलाफ हुई कार्रवाई का ब्यौरा मांगा है। यह जानकारी पाकिस्तान सरकार की उस अनुपालन रिपोर्ट के बाद मांगी गई है, जिसमें एफएटीएफ द्वारा पहले पूछे गए 22 सवालों के जवाब दिए गए हैं। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने भी इसकी पुष्टि की है। सरकार को 8 जनवरी तक जवाब भेजने हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एफएटीएफ ने पाकिस्तानी अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि आतंकी संगठनों से जुड़े व्यक्ति दोषी ठहराया जाएं।वहीं, मदरसों को नियमित करने के लिए क्या कानूनी कदम उठाए, उसकी जानकारी भी मांगी है।

पाकिस्तान को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर जानकारी देनी होगी

पाकिस्तान को एफएटीएफ को टेरर फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और सीमा पार नोटों की तस्करी रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देनी होगी।इस संबंध में पाकिस्तान सरकार ने 7 दिसंबर को भी एक अनुपालन रिपोर्ट भेजी थी। इसमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी समूहों और उन्हें कोर्ट द्वारा दी गई सजा की जानकारी दी गई थी।

पाकिस्तान को उम्मीद 27 सूत्रीय योजना की डेडलाइन 4 महीने बढ़ जाएगी

इससे पहले 2018 में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को 27 सूत्रीय योजना को क्रियान्वित करने के लिए 15 महीने की डेडलाइन दी गई थी, जो सितंबर 2019 में समाप्त हो गई। इसके बादअक्टूबर में संस्था की बैठक हुई, जिसमेंपाकिस्तान को एक और मौका देते हुए फरवरी 2020 तक 'ग्रे-लिस्ट' में रखने का फैसला किया था। हालांकि, पाकिस्तान 27 सूत्रीययोजना को पूरा करने की मियाद को कम मान रहा है। उसे उम्मीद हैटेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाकी आगामी समीक्षा बैठक में यह डेडलाइन फरवरी 2020 से बढ़ाकर जून कर दी जाएगी।

अगर संस्था को लगता है कि पाकिस्तान ने एक्शन प्लान को सही तरीके से लागू नहीं किया तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा।



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पाकिस्तान ने एक्शन प्लान ठीक से लागू नहीं किया तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा। (फाइल)

ईशनिंदा के आरोप में मुस्लिम प्रोफेसर को मौत की सजा, 6 साल से सेंट्रल जेंल में बंद था December 21, 2019 at 08:21PM

लाहौर. पाकिस्तान के कोर्ट ने शनिवार को एक मुस्लिम प्रोफेसर को ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई है। जुनैद हाफिज पंजाब प्रांत के मुल्तान शहर में बहाउद्दीन जकारिया विश्वविद्यालय (बीजेडयू) के अंग्रेजी विभाग में लेक्चरर थे। ईश निंदा के आरोप में पुलिस ने उन्हें 13 मार्च 2013 को गिरफ्तार किया था।

मामले की सुनवाई 2014 में शुरू हुई थी। हाफिज को मुल्तान के न्यू सेंट्रल जेल के हाई-सिक्योरिटी वार्ड में रखा गया था। डॉन न्यूज के मुताबिक, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश काशिफ कय्यूम ने हाफिज को मौत की सजा सुनाई। पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) की धारा 295-सी के तहत उन पर 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। कोर्ट ने हाफिज को धारा 295-बी और 10 साल के कारावास और पीपीसी की धारा 295-ए के तहत एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा भी दी। फैसले में कहा गया कि सभी सजाएं लगातार चलेंगी।

मामले को देखने वाले कई जजों का ट्रांसफर हुआ

डॉन के मुताबिक, हाफिज के वकील राशिद रहमान की मई 2014 में उनके कार्यालय में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद काफी बवाल हुआ था। हाफिज के माता-पिता ने इस साल की शुरुआत में पूर्व चीफ जस्टिस आसिफ सईद खोसा से अपने बेटे के मामले को देखने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि उनका बेटा ईशनिंदा के झूठे आरोप में पिछले छह साल से मुल्तान के सेंट्रल जेल में सजा काट रहा है। इस मामले को देखने वाले कई जजों का ट्रांसफर भी कर दिया गया। इसकी वजह से मामले में देरी भी हुई है।

ईशनिंदा पाकिस्तान में संवेदनशील मुद्दा

हाफिज ने अमेरिका के जैक्सन स्टेट यूनिवर्सिटी से मास्टर किया है। उन्होंने फुलब्राइट स्कॉलरशिप हासिल की है। पाकिस्तान लौटने के बाद, वह बीजेडयू के अंग्रेजी विभाग से जुड़ गए थे। ईशनिंदा पाकिस्तान में एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है। ऐसे मामलों में कई बार भीड़ भी आरोपी को निशाना बनाती है। कुरान या पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने पर आजीवन कारावास या मौत की सजा हो सकती है। अधिकार समूहों का कहना है कि व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए ईशनिंदा कानून दुरुपयोग किया जाता है।



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2013 में जुनैद हाफिज को गिरफ्तार किया गया था।

ईशनिंदा के आरोप में मुस्लिम प्रोफेसर को मौत की सजा, 6 साल से सेंट्रल जेंल में बंद था December 21, 2019 at 08:21PM

लाहौर. पाकिस्तान के कोर्ट ने शनिवार को एक मुस्लिम प्रोफेसर को ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई है। जुनैद हाफिज पंजाब प्रांत के मुल्तान शहर में बहाउद्दीन जकारिया विश्वविद्यालय (बीजेडयू) के अंग्रेजी विभाग में लेक्चरर थे। ईश निंदा के आरोप में पुलिस ने उन्हें 13 मार्च 2013 को गिरफ्तार किया था।

मामले की सुनवाई 2014 में शुरू हुई थी। हाफिज को मुल्तान के न्यू सेंट्रल जेल के हाई-सिक्योरिटी वार्ड में रखा गया था। डॉन न्यूज के मुताबिक, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश काशिफ कय्यूम ने हाफिज को मौत की सजा सुनाई। पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) की धारा 295-सी के तहत उन पर 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। कोर्ट ने हाफिज को धारा 295-बी और 10 साल के कारावास और पीपीसी की धारा 295-ए के तहत एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा भी दी। फैसले में कहा गया कि सभी सजाएं लगातार चलेंगी।

मामले को देखने वाले कई जजों का ट्रांसफर हुआ

डॉन के मुताबिक, हाफिज के वकील राशिद रहमान की मई 2014 में उनके कार्यालय में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद काफी बवाल हुआ था। हाफिज के माता-पिता ने इस साल की शुरुआत में पूर्व चीफ जस्टिस आसिफ सईद खोसा से अपने बेटे के मामले को देखने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि उनका बेटा ईशनिंदा के झूठे आरोप में पिछले छह साल से मुल्तान के सेंट्रल जेल में सजा काट रहा है। इस मामले को देखने वाले कई जजों का ट्रांसफर भी कर दिया गया। इसकी वजह से मामले में देरी भी हुई है।

ईशनिंदा पाकिस्तान में संवेदनशील मुद्दा

हाफिज ने अमेरिका के जैक्सन स्टेट यूनिवर्सिटी से मास्टर किया है। उन्होंने फुलब्राइट स्कॉलरशिप हासिल की है। पाकिस्तान लौटने के बाद, वह बीजेडयू के अंग्रेजी विभाग से जुड़ गए थे। ईशनिंदा पाकिस्तान में एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है। ऐसे मामलों में कई बार भीड़ भी आरोपी को निशाना बनाती है। कुरान या पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने पर आजीवन कारावास या मौत की सजा हो सकती है। अधिकार समूहों का कहना है कि व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए ईशनिंदा कानून दुरुपयोग किया जाता है।



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2013 में जुनैद हाफिज को गिरफ्तार किया गया था।

Chile: We may never know what happened to lost Hercules December 21, 2019 at 08:19PM

CHILE-AIRFORCE/Chile´s air force chief: 'We may never know' what happened to lost Hercules

अमेरिका के फेशियल रिकग्निशन सिस्टम नस्लभेदी, अश्वेतों की पहचान में ज्यादा गलतियां करते हैं December 21, 2019 at 06:14PM

केड मेट्ज (नताशा सिंगर). अमेरिका में इस्तेमाल किए जा रहे ज्यादातर फेशियल रिकग्निशन सॉफ्टवेयर नस्लभेदी हैं। इनकी पहचान प्रणालियों में पूर्वाग्रह झलकता है। यह दावा अमेरिका की फेडरल एजेंसी की जांच में किया गया है। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल संदिग्ध अपराधियों की पहचान करने के लिए पुलिस और जांच एजेंसियां करती हैं।नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने स्टडी में बताया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर गोरे लोगों को पहचानने में 10 बार गलती करता है, तो अफ्रीकी-अमेरिकी (अश्वेतों) और एशियाई की पहचान में 100 बार गलतियां करता है।

स्टडी के अनुसार, अमेरिकी मूल के लोगों की पहचान के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली तस्वीरों के डेटाबेस में भयानक गलतियां पाई गईं। इस टेक्नोलॉजी में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को पहचानने में ज्यादा समस्या देखी गई। वहीं, युवाओं के मुकाबले अधेड़ लोगों को पहचानने में भी गलतियां ज्यादा हुईं।

फिलहाल ये आतंकियों की पहचानने के लिए महत्वपूर्ण टूल है
अमेरिकी सांसद और नागरिक अधिकार संस्थाएं इस पर लंबे समय से चिंता जता रही थी, स्टडी ने उनकी इस चिंता पर मुहर लगा दी है। समर्थक इसे अपराधियों और आतंकियों की पहचानने के लिए महत्वपूर्ण टूल के तौर पर देखते हैं। टेक कंपनियों ने इसे लोगों की सुविधा के लिए स्मार्टफोन में भी लॉन्च किया, ताकि लोग इसे पासवर्ड के रूप में या फोन अनलॉक करने के लिए इस्तेमाल कर सकें।

तकनीक का इस्तेमाल ट्रैकिंग के लिए होता है
नागरिक स्वतंत्रता विशेषज्ञ पहले से ही चेतावनी देते हैं कि इस टेक्नोलॉजी के नुकसान भी हैं। इसका इस्तेमाल लोगों की जानकारी बिना उन्हें ट्रैक करने में होता है। उन पर कहीं भी-कभी भी नजर रखी जाती है। इसी कारण सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया और मैसाचुसेट्स की दो काउंटी ने इस साल इसे बैन कर दिया। पॉलिसी एनालिस्ट जे स्टेनले कहते हैं कि एक गलत पहचान लोगों की फ्लाइट मिस करवा सकती है, लंबी पूछताछ, तनाव पैदा कर सकती है। गलत गिरफ्तारी भी हो सकती है। इसलिए इसमें सुधार की जरूरत है।

85 लाख लोगों के 1.8 करोड़ फोटो की जांच की गई
अमेरिका में इस मामले में यह अब तक की सबसे बड़ी स्टडी है। शोधकर्ताओं ने इस दौरान अमेरिका के 85 लाख लोगों के मग शॉट, वीसा आवेदन पर लगे फोटो और बॉर्डर क्रॉसिंग डेटाबेस के करीब 1.8 करोड़ फोटो की जांच की। साथ ही 99 डेवलपर के 189 फेशियल रिकॉग्निशन अल्गोरिदम को भी जांचा गया। इसमें माइक्रोसॉफ्ट, कॉग्निटेक जैसी कंपनियों के सॉफ्टवेयर भी टेस्ट किए गए।



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इस टेक्नोलॉजी में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को पहचानने में ज्यादा समस्या देखी गई।

विदेश मंत्री जयशंकर आज दो दिन के दौरे पर ईरान जाएंगे, तेल-चाबहार पोर्ट के मुद्दे पर चर्चा संभव December 21, 2019 at 05:20PM

नई दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर रविवार को दो दिन के ईरान दौरे पर जाएंगे। जयशंकर ईरान में संयुक्त आयोग की बैठक में हिस्सा लेंगे। इस दौरान वे अपने समकक्ष मोहम्मद जावेद जरीफ के साथ चर्चा करेंगे। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, जयशंकर की ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के साथ भी बात हो सकती है।

इसके बाद जयशंकर ओमान भी जाएंगे। ओमान की राजधानी मस्कट में जयशंकर भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे। साथ ही यहां के विदेश मंत्री यूसुफ बिन अलावी बिन अब्दुल्ला के साथ सामुद्रिक व्यापार में सहयोग समेत कई समझौतों पर दस्तखत करेंगे।

चाबहार पर भारत को छूट मिली
जयशंकर का दौरा इसलिए अहम है क्योंकि हाल ही में भारत और अमेरिका के बीच 2+2 बैठक हुई थी। इसमें भारत को ईरान के चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट के लिए छूट दी गई। चाबहार पोर्ट से भारत, बिना पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान को मदद पहुंचा सकता है।

भारत ने 2018 में ईरान के साथ चाबहार पोर्ट विकसित करने के लिए 85 मिलियन डॉलर (करीब 600 करोड़ रुपए) का समझौता किया था। इस पोर्ट से भारत और अफगानिस्तान के बीच ओमान की खाड़ी होकर व्यापार हो सकेगा।

‘भारत कई मुद्दों पर चर्चा कर सकता है’
पूर्व राजनयिक एनएन झा के मुताबिक, ‘‘अमेरिका ने जरूर ईरान पर प्रतिबंध लगाए हैं, हाल ही में भारत-अमेरिका के बीच हुई 2+2 वार्ता में भारत को चाबहार प्रोजेक्ट को लेकर छूट मिली है। ये भारत की जीत है। जयशंकर ईरान जा रहे हैं तो निश्चित रूप से राजनीतिक मुद्दों पर भी चर्चा होगी। भारत अपने आंतरिक मसलों मसलन नागरिकता संशोधन कानून और कश्मीर मसले को समझाने की कोशिश करेगा। सबसे अहम तेल है। गुजरात के किसी पोर्ट तक तेल लाने पर बात हो सकती है। रेलवे लाइन बनाने की पाबंदी भी हट गई है। भारत ईरान को ये प्रस्ताव भी दे सकता है कि आप अभी पैसे ले लीजिए, बाद में स्थिति सामान्य होने पर इन्हें तेल के निर्यात में इस्तेमाल कर सकते हैं।’’



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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके ईरानी समकक्ष जावेद जरीफ। -फाइल फोटो

भारतीय मूल की मोनीषा घोष अमेरिकी संचार आयोग में पहली महिला चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर नियुक्त December 21, 2019 at 04:59PM

ह्यूस्टन. ट्रम्प प्रशासन ने भारतीय मूल की डॉक्टर मोनीषा घोष को अमेरिका के फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन (संघीय संचार आयोग) में चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (सीटीओ) नियुक्त किया है। वे इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला हैं। वे 13 जनवरी को पद संभालेंगी। भारतीय मूल के अजीत पाई इस वक्त कमीशन के चेयरमैन हैं। मोनीषा घोष उन्हें तकनीक और इंजीनियरिंग के मुद्दे पर सलाह देंगी। इसके अलावा वे आयोग के टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के साथ करीब से काम करेंगी।

वायरलेस टेक्नोलॉजी की विशेषज्ञ हैं डॉक्टर घोष

मोनीषा घोष ने 1986 में आईआईटी खड़गपुर से बी.टेक किया था। इसके बाद 1991 में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की। एफसीसी में नियुक्ति से पहले वे नेशनल साइंस फाउंडेशन के कम्प्यूटर नेटवर्क डिविजन में प्रोग्राम डायरेक्टर के तौर पर काम कर रही थीं। यहां वे वायरलेस रिसर्च पोर्टफोलियो देखने के साथ वायरलेस नेटवर्किंग सिस्टम्स में मशीन लर्निंग के प्रोग्राम्स पर भी काम कर रही थीं। डॉक्टर घोष यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में रिसर्च प्रोफेसर भी रही हैं। यहां वे वायरलेस टेक्नोलॉजी पर रिसर्च में शामिल रहीं। उन्होंने इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 5जी और मॉडर्न वाई-फाई सिस्टम पर शोध किया है।

संचार से जुड़े कानून लागू करने में एफसीसी की अहम भूमिका
फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन अमेरिका के सभी 50 राज्यों में रेडियो, टेलीविजन, वायर, सैटेलाइट और केबल के संचार को नियंत्रित करता है। यह एक स्वतंत्र सरकारी एजेंसी है, जो संचार से जुड़े कानून और नियम लागू करने में अहम भूमिका निभाती है।

पाई ने कहा- 5जी में अमेरिका को आगे बढ़ाने में मदद करेंगी घोष
एफसीसी के चेयरमैन अजीत पाई के मुताबिक, मोनीषा घोष 5जी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अमेरिका को बढ़त दिलाने में मदद करेंगी। घोष की वायरलेस टेक्नोलॉजी की गहरी समझ काफी कीमती साबित होगी। पाई ने आगे कहा, “डॉक्टर घोष ने इंडस्ट्री में वायरलेस से जुड़े कई मुद्दों पर रिसर्च की है। उनकी विशेषज्ञता काफी ज्यादा है। वे इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) से लेकर मेडिकल टेलिमेटरी और प्रसारण के मानकों तक की जानकारी रखती हैं। इसमें कोई शक नहीं कि उनकी नियुक्ति ऐतिहासिक साबित होगी। हमें गर्व है कि वे एफसीसी की पहली महिला सीटीओ होंगी। उम्मीद है कि उनका उदाहरण युवा महिलाओं को विज्ञान क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरणा देगा।”



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Indian-American Dr Monisha Ghosh 1st woman Chief Technology Officer of US' communications commission

इमरान खान ने कहा- भारत घरेलू परिस्थितियों से ध्यान भटकाने के लिए हमारे खिलाफ कार्रवाई कर सकता है December 21, 2019 at 04:59PM

इस्लामाबाद. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शनिवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के कारण हमें भारत से खतरा बढ़ता जा रहा है। उन्होंने आशंका जताई है कि भारत अपनी घेरलू परिस्थितियों से ध्यान भटकाने के लिए उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। इमरान ने कहा कि वह भारत के किसी भी फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन का मुंहतोड़ जवाब देगा।

इमरान खान ने कई ट्वीट किए। उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा था कि नियंत्रण रेखा पर कभी भी स्थिति बिगड़ सकती है। भारत में नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध बढ़ता जा रहा है। भारतीय सेना प्रमुख के बयान के बाद छद्म कार्रवाई को लेकर हमारी चिंता बढ़ गई है। वह हमारे खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।

‘हमारे पासभारत को जवाब देने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा’

इमरान ने ट्वीट किया- मैं पिछले कुछ समय से वहां के पूरे समुदाय को चेतावनी दे रहा हूं और फिर इसे दोहरा रहा हूं। अगर भारत अपने घरेलू अराजकता से ध्यान हटाने और हिंदू राष्ट्रवाद के लिए युद्ध को बढ़ावा देता है तो पाकिस्तान के पास भारत को जवाब देने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।



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प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा- नागरिकता कानून के विरोध के कारण पाकिस्तान को खतरा

Man who inspired social media passes away at 74 December 21, 2019 at 05:08PM

Randy Suess, a computer hobbyist who helped build the first online bulletin board, anticipating the rise of the internet, messaging apps and social media, died on December 10 at a hospital in Chicago. He was 74. His death was confirmed by his daughter Karrie.

Pak court awards death to university lecturer for blasphemy December 21, 2019 at 07:46AM

Bill in US House seeks promotion of Gandhi legacy December 21, 2019 at 05:22PM

America’s legendary civil rights leader Congressman John Lewis has introduced a bill in the House of Representatives to promote the legacy of Mahatma Gandhi and Martin Luther King Jr and sought a budgetary allocation of $150 million for next five years.

Muslim nations mull gold trading to beat sanctions December 21, 2019 at 05:26PM

At the end of an Islamic summit in Malaysia, Mahathir praised Iran and Qatar for withstanding economic embargoes and said it was important for the Muslim world to be selfreliant to face future threats.

Trump unveils America’s sixth military branch: Space Force December 21, 2019 at 05:04PM

Acting on an ambition by President Donald Trump that had met resistance at first, the White House signalled its determination to not cede superiority in a Star Wars-like future of killer satellites and satellite-killer weapons.

Macron says French forces killed 33 'terrorists' in Mali December 21, 2019 at 04:20AM

He said in a speech to the French community in Ivory Coast that French soldiers had also released two Malian gendarmes being held by jihadists in the city of Mopti. Macron is visiting Ivory Coast to celebrate Christmas with French troops and said on Friday that Paris would work to give "new force" to the fight against Islamist militants in Africa's Sahel region.

UK's Johnson says he will keep pressing US over fatal crash December 21, 2019 at 03:44AM

इंटेलिजेंस रिपोर्ट में चीन-रूस को अंतरिक्ष में खतरा बताया गया, ट्रम्प ने इसी आधार पर स्पेस फोर्स का ऐलान किया December 21, 2019 at 02:28AM

इंटरनेशनल डेस्क. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को सेना की छठी शाखा- स्पेस फोर्स बनाने के लिए कानून पर हस्ताक्षर कर दिया। इसके तहत अब अमेरिका के पास 16 हजार सैनिकों की ताकत वाली अलग सैन्य बल होगा, जो सिर्फ अंतरिक्ष में पैदा होने वाले खतरों से निपटेगा। ट्रम्प ने बिल पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि अब अंतरिक्ष में काफी कुछ होने वाला है, क्योंकि वह अब दुनिया का सबसे नया युद्धक्षेत्र बनने जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा में बढ़ते खतरे के बीच अंतरिक्ष में हमारी श्रेष्ठता बेहद जरूरी है। हम काफी आगे हैं, लेकिन रूस और चीन के खतरे से निपटने के लिए हमें हर क्षेत्र का नियंत्रण हासिल करना होगा।

अंतरिक्ष में रूस और चीन कैसे बने खतरा?
इसी साल अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (डीईए) ने रिपोर्ट जारी की थी। इसमें कहा गया कि चीन और रूस ने अंतरिक्ष में खुफिया, जासूसी और सैन्य परीक्षण करने लायक सक्षम तकनीक विकसित कर ली है। दोनों ही देश साइबरस्पेस क्षमताएं विकसित करने में सफल हुए हैं। उनके पास एंटी-सैटेलाइट मिसाइल के अलावा हवा में लेजर से हमला करने की भी क्षमता है। रिपोर्ट में कहा गया था कि अमेरिका के पास इस वक्त सैकड़ों सैन्य सैटेलाइट हैं, जिनकी सुरक्षा के लिए कोई खास इंतजाम नहीं हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि रूस-चीन के अलावा ईरान और उत्तर कोरिया भी धीरे-धीरे अंतरिक्ष में अपनी पहुंच बना रहे हैं। इसके चलते अंतरिक्ष में चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं। अमेरिका को इनसे निपटने के लिए अपनी ताकत में इजाफा करना होगा। अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंसकह चुके हैं कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में बीते एक दशक में काफी बदलाव हुए हैं। इसलिए यहां किसी नए विकास को अलग से नहीं देखा जा सकता।

अंतरिक्ष में अमेरिका की सबसे ज्यादा सैटेलाइट, इसलिए उनकी सुरक्षा अहम
अमेरिका के पास इस वक्त अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा सैटेलाइट हैं। इनमें से ज्यादातर सैटेलाइट उसने संचार व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए ही लगाई हैं। इसके अलावा जीपीएस और सैन्य कार्यों के लिए भी अमेरिका के पास सबसे ज्यादा सैटेलाइट हैं। ऐसे में इनकी सुरक्षा को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प काफी समय से चिंता जताते रहे हैं। चीनी मिलिट्री सैटेलाइटों की बढ़ती संख्या और सोवियत संघ के टूटने के बाद रूस के दोबारा मिलिट्री सैटेलाइट प्रोग्राम शुरू करने को भी अमेरिका स्पेस में चुनौती के तौर पर देख रहा है।

चीन ने 11 साल पहले टेस्ट किया था एंटी सैटेलाइट मिसाइल
अमेरिका के ऑफिस ऑफ द डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने पिछले कुछ सालों में अपने ऑर्बिट में ऐसे कई टेस्ट किए हैं। सबसे पहले 2007 चीन ने केटी-1 रॉकेट लॉन्च किया था। इस रॉकेट ने चीन के मौसम उपग्रह फेंग युन 1-सी को धरती से 800 किलोमीटर की ऊंचाई पर लो अर्थ ऑर्बिट में मार गिराया। इस टेस्ट के बाद 2500 से 3000 टुकड़े बिखर गए। बताया जाता है कि 2013 में चीन ने एंटी सैटेलाइट मिसाइल डीएन-2 का परीक्षण कर लिया। इस टेस्ट के बाद अंतरिक्ष में तैर रहे चीनी उपग्रह के कुछ टुकड़े रूसी सैटेलाइट से टकरा गए थे। अमेरिकी नेशनल इंटेलिजेंस को शक है कि चीन ने अपनी मिलिट्री में एंटी सैटेलाइट मिसाइलों के लिए विशेष यूनिट बना ली है। उसने काउंटर स्पेस क्षमताओं को विकसित करने के लिए ट्रेनिंग भी शुरू की है।

रूस पर लग चुका है अमेरिका-फ्रांस की सैटेलाइटों की जासूसी का आरोप

पिछले साल सिंतबर में फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने खुलासा किया था कि रूस की एक जासूसी सैटेलाइट लुक-ओलिम्प ने 2017 में फ्रेंच सैटेलाइट के सिग्नल तोड़ने की कोशिश की थी। फ्लोरेंस ने बताया था कि फ्रांस-इटली के साथ इसी सैटेलाइट के जरिए खुफिया सूचनाएं साझा करता है। रूस की सैटेलाइट की वजह से उन्हें अपनी सैटेलाइट को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना पड़ा। फ्रांस ने आरोप लगाया था कि रूस लुक सैटेलाइट के जरिए दूसरे देशों की सैटेलाइट के सिग्नल कैच करने की कोशिश में था।

इससे पहले अमेरिका ने 2015 में दावा किया था कि रूस की लुक सैटेलाइट ने करीब 11 बार उसकी दो इंटेलसैट सैटेलाइट के करीब आने की कोशिश की थी। एयरफोर्स अधिकारियों का कहना था कि इंटेलसैट सैटेलाइट सैन्य और ड्रोन मिशन के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसे में अधिकारी रूसी सैटेलाइट पर नजर रख रहे हैं। हालांकि, रूस का कहना था कि लुक सैटेलाइट गलती से अमेरिका की सैटेलाइट के बीच पहुंच गया। उसमें कम्युनिकेशन की दिक्कतें पैदा हो गईं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस ने अंतरिक्ष में सैटेलाइट मार गिराने की क्षमता 1970 के दशक में ही हासिल कर ली थी।

भारत के पास भी अंतरिक्ष में सैटेलाइट मार गिराने की क्षमता
भारत ने इसी साल मार्च में एंटी सैटैलाइट मिसाइल ए-सैट के जरिए सैटेलाइट को मार गिराने की क्षमता हासिल कर ली थी। इसे ‘मिशन शक्ति’ नाम दिया गया था। इसमें भारत ने पृथ्वी से करीब 300 किलोमीटर दूर स्थित सैटेलाइट को मार गिराया था। युद्ध की स्थिति में भारत इस तकनीक के जरिए दुश्मन देश की संचार और रक्षा व्यवस्था ध्वस्त कर ब्लैक आउट जैसी स्थिति पैदा कर सकताहै।

फ्रांस कर चुका है स्पेस डिफेंस कमांड बनाने का ऐलान
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने इसी साल जुलाई में स्पेस डिफेंस कमांड शुरू करने की घोषणा की थी। मैक्रों का कहना था कि इससे हम अपनी सैटेलाइटों की बेहतर सुरक्षा कर पाएंगे। साथ ही अंतरिक्ष में अपनी स्थिति को भी मजबूत करेंगे। मैक्रों ने कहा था कि सितंबर 2020 तक फ्रांस एक बड़ी स्पेस कमांड तैयार कर लेगा। इसके बाद एयरफोर्स का नाम बदलकर एयर-स्पेस फोर्स किया जाएगा।



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ट्रम्प ने 2020 स्पेस फोर्स के लिए 285 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया है।

विदेश मंत्री जयशंकर कल दो दिन के दौरे पर ईरान जाएंगे, तेल-चाबहार पोर्ट के मुद्दे पर चर्चा संभव December 21, 2019 at 02:22AM

नई दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर रविवार को दो दिन के ईरान दौरे पर जाएंगे। जयशंकर ईरान में संयुक्त आयोग की बैठक में हिस्सा लेंगे। इस दौरान वे अपने समकक्ष मोहम्मद जावेद जरीफ के साथ चर्चा करेंगे। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, जयशंकर की ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के साथ भी बात हो सकती है।

इसके बाद जयशंकर ओमान भी जाएंगे। ओमान की राजधानी मस्कट में जयशंकर भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे। साथ ही यहां के विदेश मंत्री यूसुफ बिन अलावी बिन अब्दुल्ला के साथ सामुद्रिक व्यापार में सहयोग समेत कई समझौतों पर दस्तखत करेंगे।

चाबहार पर भारत को छूट मिली
जयशंकर का दौरा इसलिए अहम है क्योंकि हाल ही में भारत और अमेरिका के बीच 2+2 बैठक हुई थी। इसमें भारत को ईरान के चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट के लिए छूट दी गई। चाबहार पोर्ट से भारत, बिना पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान को मदद पहुंचा सकता है।

भारत ने 2018 में ईरान के साथ चाबहार पोर्ट विकसित करने के लिए 85 मिलियन डॉलर (करीब 600 करोड़ रुपए) का समझौता किया था। इस पोर्ट से भारत और अफगानिस्तान के बीच ओमान की खाड़ी होकर व्यापार हो सकेगा।

‘भारत कई मुद्दों पर चर्चा कर सकता है’
पूर्व राजनयिक एनएन झा के मुताबिक, ‘‘अमेरिका ने जरूर ईरान पर प्रतिबंध लगाए हैं, हाल ही में भारत-अमेरिका के बीच हुई 2+2 वार्ता में भारत को चाबहार प्रोजेक्ट को लेकर छूट मिली है। ये भारत की जीत है। जयशंकर ईरान जा रहे हैं तो निश्चित रूप से राजनीतिक मुद्दों पर भी चर्चा होगी। भारत अपने आंतरिक मसलों मसलन नागरिकता संशोधन कानून और कश्मीर मसले को समझाने की कोशिश करेगा। सबसे अहम तेल है। गुजरात के किसी पोर्ट तक तेल लाने पर बात हो सकती है। रेलवे लाइन बनाने की पाबंदी भी हट गई है। भारत ईरान को ये प्रस्ताव भी दे सकता है कि आप अभी पैसे ले लीजिए, बाद में स्थिति सामान्य होने पर इन्हें तेल के निर्यात में इस्तेमाल कर सकते हैं।’’



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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके ईरानी समकक्ष जावेद जरीफ। -फाइल फोटो

Pope denounces 'rigidity' as he warns of Christian decline December 21, 2019 at 02:01AM

Pope Francis warned Saturday that "rigidity" in living out the Christian faith is creating a "minefield" of hatred and misunderstanding in a world where Christianity is increasing irrelevant.

China criticizes US defense bill as interference December 21, 2019 at 01:58AM

You Wenze, a spokesperson for the Foreign Affairs Committee of China's National People's Congress (NPC), expressed "strong dissatisfaction" with the National Defense Authorization Act (NDAA), passed overwhelmingly in the US Senate this week.

Saudi threatened Pak with sanctions: Turkish President Erdogan at Islamic summit in Malaysia December 21, 2019 at 01:34AM

सीईओ सुंदर पिचाई को 1718 करोड़ रुपए का पैकेज; बेसिक सैलरी 14 करोड़, 1704 करोड़ के शेयर मिलेंगे December 20, 2019 at 10:47PM

कैलिफॉर्निया. अल्फाबेट का सीईओ बनने पर सुंदर पिचाई (47) को 24.2 करोड़ डॉलर (1718 करोड़ रुपए) का पैकेज मिला है। इसमें सालाना 20 लाख डॉलर (14.2 करोड़ रुपए) बेसिक सैलरी और 24 करोड़ डॉलर (1704 करोड़ रुपए) के शेयर शामिल हैं। पिचाई का नया सैलरी पैकेज 1 जनवरी से लागू होगा। हालांकि, 24 करोड़ डॉलर में से 12 करोड़ डॉलर का स्टॉक अवॉर्ड तिमाही किश्तों में मिलेगा। बाकी सालाना परफॉर्मेंस बेस्ड होगा, यानी पिचाई सभी टार्गेट पूरे करते हैं तो तीन साल में शेयर मिलेंगे। अल्फाबेट ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पिचाई को गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट का भी सीईओ बनाने का ऐलान 4 दिसंबर को हुआ था।

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सुंदर पिचाई।

North Korea warns US could 'pay dearly' for rights criticism December 20, 2019 at 09:53PM

North Korea on Saturday warned Washington would only aggravate tensions and "pay dearly" for criticising Pyongyang over human rights, with nuclear negotiations between the two deadlocked.