Saturday, September 5, 2020

बर्मिंघम में कई लोगों को चाकू मारा गया; पुलिस ने कहा- बड़ी घटना, लेकिन कितने घायल अभी पता नहीं September 05, 2020 at 08:31PM

ब्रिटेन के बर्मिंघम में शनिवार- रविवार की रात चाकूबाजी की घटना हुई। यहां के बर्मिंघम शहर में कई लोगों को चाकू मारा गया।
वेस्ट मिडलैंड पुलिस ने कहा कि पहले एक घटना की जानकारी मिली थी। मौके पर पहुंचने पर कई जगहों पर चाकूबाजी का पता चला है। पुलिस ने कहा कि हमें कई घायलों का पता चला है, लेकिन यह नहीं बता सकते कि कितने लोगों को चाकू मारा गया है और वे कितने गंभीर हैं। पुलिस के मुताबिक अभी चाकूबाजी की वजह का भी पता नहीं चल पाया है। ऐसे में कोई अनुमान लगाना मुश्किल है।

पुलिस ने कहा- अभी कुछ भी कहना मुश्किल
पुलिस ने कहा- जांच जारी है। हम घटना का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि चाकूबाजी क्यों हुई? अभी कुछ भी कहना मुश्किल है। पुलिस ने बताया कि घटना वाली जगह को सील कर दिया गया है और रोड भी बंद कर दी गई हैं। सभी आपातकालीन सेवाएं साथ मिलकर काम कर रही हैं। घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है।

जून में दो बार चाकूबाजी में 6 लोगों की हत्या हुई थी
इसी साल जून में चाकूबाजी की दो घटनाएं हुईं थीं। 20 जून को रीडिंग शहर में तीन लोगों की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने इसे आतंकी घटना बताया था। इसके बाद 25 जून को स्कॉटलैंड के ग्लास्गो शहर में भी तीन लोगों की हत्या की गई थी। इसमें पुलिस ने आरोपी को मार गिराया था।

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1. ब्रिटेन में 6 दिन बाद फिर चाकूबाजी:स्कॉटलैंड के ग्लास्गो शहर में तीन लोगों की चाकू मारकर हत्या, आरोपी को मार गिराया गया; पुलिस ने कहा- यह आतंकी घटना नहीं



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पुलिस ने बर्मिंघम की हर्स्ट स्ट्रीट के जंक्शन पर घटना की जगह को घेरा बनाकर कवर किया है। फोटो सोर्स- बीबीसी

टेक्सॉस में ट्रम्प की बोट रैली के दौरान चार नावें डूबीं, सभी लोगों को बचाया गया- देखें फोटोज September 05, 2020 at 06:44PM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के इलेक्शन कैंपेन के दौरान शनिवार को बड़ा हादसा टल गया। टेक्सॉस की लेक ट्रैविस में बोट परेड निकाली जा रही थी। इस दौरान करीब चार नाव झील में डूब गईं। हालांकि, फौरन रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया और सभी लोग बचा लिए गए।

ट्रैविस काउंटी की प्रवक्ता क्रिस्टेन डार्क ने बताया कि हादसा दोपहर 12 बजे करीब हुआ।
माना जा रहा है कि बोट बहुत ज्यादा थीं। जब वे एक साथ चलीं तो लहरें पैदा हुईं, जिससे हादसा हुआ। नेशनल वेदर सर्विस के मुताबिक लेक के पास हवा 10 मील प्रति घंटा ( 16 किमी/घंटा) की रफ्तार से चल रही थी।
रेस्क्यू टीम ने बताया कि पानी में बहुत तेज लहरें उठ रहीं थीं। इससे बचाव कार्य में परेशानी हुई। शुरुआत में पता भी नहीं था कि कितने लोग डूबे हैं।
ट्रम्प के इस इवेंट को मैनेज करने वाले स्टीव सैलिनास ने कहा कि बोट परेड में सभी आकार (8 फीट से 60 फीट तक) की बोट मौजूद थीं।
स्टीव ने कहा कि पहले पानी शांत था, लेकिन जैसे ही उसमें बोट उतारी गईं। अचानक लहरें उठने लगीं, जिससे हादसा हो गया।


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टेक्सास के लेक ट्रैविस में की तेज लहरों में फंसी ट्रम्प समर्थकों की नावें।

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा- कोरोना के दौर में दोस्तों ने भी साथ नहीं दिया, अमेरिका कुछ तो इंसानियत दिखाए September 05, 2020 at 06:38PM

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा है कि कोरोनावायरस की वजह उनका देश मुश्किल में है, और ऐसे वक्त में भी उन्हें मित्र देशों से मदद नहीं मिल सकी। राजधानी तेहरान में शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान हसन ने कहा- हमारे मित्र देशों को इस वक्त अमेरिकी प्रतिबंधों की फिक्र छोड़कर हमारा साथ देना चाहिए। अमेरिका को भी कुछ इंसानियत दिखाना चाहिए थी।

ईरान में अब तक 3 लाख 80 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इसी दौरान 22 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। ईरान और अमेरिका के बीच 2015 में न्यूक्यिर प्रोग्राम आगे न बढ़ाने के डील हुई थी। दो साल पहले ट्रम्प सरकार ने करार रद्द कर दिया। इसके बाद ईरान पर सख्त प्रतिबंध लगे। हालांकि, दवाएं और दूसरी जरूरी चीजें ईरान इम्पोर्ट कर सकता है।

दोस्तों ने मायूस किया
रूहानी ने किसी मित्र देश का नाम तो नहीं लिया, लेकिन ये जरूर साफ कर दिया कि इन देशों के रवैये से ईरान बेहद मायूस है। रूहानी ने कहा- कुछ महीनों पहले कोरोनावायरस ईरान पहुंचा। कोई हमारी मदद के लिए आगे नहीं आया। हमारे मित्र देश भी अमेरिकी प्रतिबंधों के डर की वजह से मदद को तैयार नहीं हुए। कम से कम इस वक्त तो उन्हें हमारी मदद करनी चाहिए थी। ईरान कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में से एक है।

अमेरिका को मानवता दिखानी चाहिए
अमेरिका को लेकर रूहानी के तेवर पहले की तरह सख्त नहीं थे। उन्होंने कहा- अमेरिकी सरकार को इस मुश्किल दौर में मानवता के नाते हमारी मदद करनी चाहिए थी। उनके दिमाग में कुछ तो इंसानियत होगी। उसे कम से कम एक साल के लिए ईरान पर से प्रतिबंध हटा लेना चाहिए। लेकिन, अब तक तो ऐसा नहीं हुआ। हम सात महीने से महामारी झेल रहे हैं। अमेरिका की वजह से एक भी देश हमारे साथ नहीं आया।

लेकिन, झूठ बोल रहे हैं रूहानी
रूहानी ने शनिवार को अमेरिका के बारे में जो कहा, वो सफेद झूठ है। और इसके तमाम सबूत मौजूद हैं। मार्च में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक डिप्लोमैटिक नोट और प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा था कि वो ईरान की मदद को तैयार है। ट्रम्प सरकार ने कहा था कि यह मदद यूएन के जरिए भी पहुंचाई जा सकती है। लेकिन, ईरान के सबसे बड़े धर्मगुरू अयातुल्लाह खमैनी ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था- अमेरिका पर भरोसा नहीं किया जा सकता।



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ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के मुताबिक, कोरोनावायरस की वजह से उनका देश मुश्किल में है। रूहानी ने कहा कि इस दौर में भी मित्र देशों ने ईरान की मदद नहीं की। (फाइल)

सरकारी टीवी चैनल की 27 साल की एंकर को गोली मारी; 28 साल में देश में 61 पत्रकारों की हत्या हुई September 05, 2020 at 06:03PM

पाकिस्तान में शनिवार को एक महिला जर्नलिस्ट की गोली मारकर हत्या कर दी गई। शाहीना शाहीन सरकारी टीवी चैनल पाकिस्तान टीवी में एंकर और रिपोर्टर थीं। कुछ दिनों पहले ही उनका बलूचिस्तान के तुरबत में ट्रांसफर किया गया था। शाहीन के पहले पिछले साल मई में उरूज इकबाल नामक महिला पत्रकार की भी गोली मारकर हत्या की गई थी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1992 से अब तक यानी 28 साल में पाकिस्तान में 61 पत्रकारों की हत्या की जा चुकी है। इसी हफ्ते प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक इंटरव्यू में पाकिस्तान में पत्रकारों को सुरक्षित बताया था।

युवा पत्रकार थीं शाहीन
शाहीन पहले इस्लामाबाद में एक निजी टीवी चैनल के लिए काम करतीं थीं। इसके बाद उनका चयन सरकारी टीवी चैनल में हो गया। इस्लाबाद में कुछ महीने रहने के बाद शाहीन का ट्रांसफर बलूचिस्तान के तुरबत में हो गया। वे एक लोकल मैगजीन की एडिटर भी थीं। 27 साल की शाहीन क्वेटा यूनिवर्सिटी से पीएचडी भी कर रहीं थीं।

हत्यारे फरार
शाहीन की हत्या उनके घर में घुसकर की गई। पुलिस के मुताबिक, दो हमलावर उनके घर पहुंचे। दरवाजा खोलते ही शाहीन पर गोलियां चलाई गईं। शाहीन को पांच गोलियां लगीं। पुलिस के मुताबिक, एक अज्ञात व्यक्ति शाहीन को कार में लेकर अस्पताल पहुंचा। लेकिन, वो कुछ देर बाद गाड़ी वहीं छोड़कर फरार हो गया। पुलिस घटना की जांच कर रही है। शाहीन के परिवार ने कुछ लोगों के खिलाफ नामजद केस दर्ज कराया है। इनमें शाहीन का पति भी शामिल है। शाहीन की पांच महीने पहले ही शादी हुई थी।

सरकार ने दुख जताया
बलूचिस्तान सरकार के प्र‌वक्ता लियाकत शाहवानी ने घटना पर दुख जताया। कहा- हम शाहीन का कत्ल करने वालों की तलाश कर रहे हैं और बहुत जल्द हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। मीडिया वॉचडॉग फ्रीडम नेटवर्क ने भी घटना पर दुख जताते हुए कातिलों को जल्द गिरफ्तार करने की मांग की है।

पाकिस्तान में पत्रकार महफूज नहीं
पिछले साल मई में महिला पत्रकार उरूज इकबाल की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वे एक निजी टीवी चैनल के लिए काम करती थीं। परिवार ने एक स्थानीय नेता पर हत्या करवाने का आरोप लगाया था। पुलिस ने इसे खारिज कर दिया था। अब तक कातिलों का पता नहीं लगाया जा सका है। उरूज की हत्या उनके ऑफिस के बाहर की गई थी। हमलावर कार से आए थे और बाद में आराम से फरार भी हो गए थे। 1992 से अब तक पाकिस्तान में 61 पत्रकारों की हत्या की जा चुकी है।



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शाहीना शाहीन पत्रकार होने के साथ ही एक अच्छी पेंटर भी थीं। फरवरी में उनकी पेंटिंग्स की एक प्रदर्शनी क्वेटा में लगाई गई थी। यह फोटो उसी दौरान ली गई थी। -फाइल फोटो

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा- रूस में विपक्षी नेता नेवल्नी के साथ जो हुआ, उसकी निंदा नहीं करूंगा; मेरे पास पुतिन के खिलाफ सबूत नहीं September 05, 2020 at 04:47PM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रुस के विपक्षी नेता एलेक्सी नेवल्नी को कथित तौर पर जहर देकर मारने की घटना की निंदा करने से भी इनकार कर दिया। ट्रम्प ने कहा- मैं पुतिन सरकार की निंदा इसलिए नहीं कर सकता क्योंकि इस घटना को कोई सबूत मेरे पास नहीं है।

हाल ही में अमेरिका में कुछ इंटेलिजेंस रिपोर्ट सामने आईं थीं। इनमें कहा गया था कि रूस और चीन अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में दखलंदाजी की कोशिश कर रहे हैं। रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया था कि रुस चाहता है कि ट्रम्प फिर चुनाव जीतें।

घटना परेशान करने वाली
ट्रम्प ने शनिवार को मीडिया से बातचीत की। इस दौरान रूस में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम और खासकर नेवल्नी पर सवाल भी पूछे गए। इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा- नेवल्नी के साथ क्या हुआ, क्या उनको वास्तव में मारने की कोशिश की गई या जहर दिया गया। मैं इसकी निंदा कैसे कर सकता हूं। मेरे पास अपनी बात के पक्ष में कोई सबूत नहीं है और न ही कोई सबूत फिलहाल, मेरे सामने रखे गए हैं।

दुनिया को मालूम है कि नेवल्नी के साथ क्या हुआ
बीबीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के सहयोगी नाटो और जर्मनी को अच्छी तरह से मालूम है कि नेवल्नी को नोवीचोक नामक नर्व एजेंट दिया गया। यह खतरनाक कैमिकल है और इससे जान जा सकती है। जर्मनी ने साफ तौर पर कहा कि नेवल्नी को क्रेमलिन के आदेश पर यह जहर दिया गया है।

रूस का इनकार
रूस ने नेवल्नी को किसी तरह का जहर दिए जाने से इनकार कर दिया। शनिवार को विदेश मंत्रालय ने कहा- अगर नेवल्नी को नोवीचोक नर्व एजेंट दिया भी गया है तो इसका मतलब यह नहीं है कि इसे रूस में ही तैयार किया गया है। नेवल्नी ने पुतिन सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने में अहम भूमिका निभाई थी। बताया जाता है कि नेवल्नी का बर्लिन के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है और वे इस वक्त कोमा में हैं। खास बात ये है कि नेवल्नी ने रूस और चीन के बीच गठजोड़ पर भी सवाल उठाए थे।



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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि उनके पास इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि पुतिन सरकार ने वहां के विपक्षी नेता एलेक्सी नेवल्नी को जहर देकर मारने की कोशिश की। ट्रम्प के मुताबिक, सबूतों के अभाव में वे इस घटना की निंदा भी नहीं करेंगे। (फाइल)

ब्रिटेन में 1000 से ज्यादा डॉक्टर एनएचएस छोड़ना चाहते हैं, महामारी पर सरकार के रवैये से नाराज; दुनिया में 2.70 करोड़ केस September 05, 2020 at 04:24PM

दुनिया में कोरोनावायरस के अब तक 2 करोड़ 70 लाख 60 हजार 255 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 1 करोड़ 91 लाख 60 हजार 40 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 8 लाख 83 हजार 618 लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं।

ब्रिटेन में कोरोना महामारी से निपटने में सरकार के ढीले रवैये के चलते 1000 से ज्यादा डॉक्टर नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) छोड़ना चाहते हैं। एक सर्वे में यह बात सामने आई है। डॉक्टर या तो दूसरे देश या निजी अस्पतालों में जाना चाहते हैं।
ब्रिटेन के डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. समांथा बट-रॉडेन ने कहा- इस महामारी में एनएचएस डॉक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। कई डॉक्टरों का कहना है कि वे तीन साल के अंदर एनएचएस को छोड़ देंगे। इन्होंने कोरोना महामारी के समय अपनी जान दांव पर लगाई है, लेकिन सरकार के रवैये से नाराज हैं। ऑनलाइन सर्वे में 1758 डॉक्टर शामिल हुए। एनएचएस छोड़ने के सवाल पर 10 में से 7 यानी 69% ने हां कहा और 26% ने नहीं।

इन 10 देशों में कोरोना का असर सबसे ज्यादा

देश

संक्रमित मौतें ठीक हुए
अमेरिका 64,31,152 1,92,818 37,07,000
ब्राजील 41,23,000 1,26,203 32,96,702
भारत 41,10,839 70,679 31,77,673
रूस 10,20,310 17,759 8,38,126
पेरू 6,83,702 29,687 5,06,422
कोलंबिया 6,58,456 21,156 5,07,770
साउथ अफ्रीका 6,36,884 14,779 5,61,204
मैक्सिको 6,29,409 67,326 4,38,754
स्पेन 5,17,133 29,418 उपलब्ध नहीं
अर्जेंटीना 4,71,806 9,739 3,40,381

मैक्सिको: सरकार ने कहा, 1.22 लाख मौतें और हुईं
मैक्सिको की सरकार ने कहा है कि संक्रमण से देश के आधिकारिक रिकॉर्ड से कहीं ज्यादा मौतें हुई हैं। अभी तक देश में 67 हजार 326 लोगों की मौत हुई है और 6.23 लाख से ज्यादा संक्रमित हुए हैं। देशभर में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि मार्च से लेकर अगस्त तक कोरोना से 1 लाख 22 हजार 765 और लोगों की जान गई है। हालांकि, अभी इस आंकड़े को आधिकारिक आंकड़ों में नहीं जोड़ा गया है।

मैक्सिको में म्यूजियम फिर से खोल दिए गए हैं। यहां मेक्सिको सिटी के डिएगो रिवेरा म्यूरल म्यूजियम में मास्क लगाए एक विजिटर फोटो लेता हुआ।

ब्राजील: अब तक 1.25 लाख की मौत
ब्राजील में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 1.25 लाख को पार कर गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक यहां एक हफ्ते में 5 हजार से ज्यादा मौतें हुई हैं। पिछले 24 घंटे में 907 लोगों की जान गई और 51 हजार 194 नए मामले आए। यहां अभी तक 40 लाख से ज्यादा संक्रमित हो चुके हैं। देश में 32 लाख से ज्यादा लोग ठीक भी हो चुके हैं।



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ब्रिटेन में सरकार की नई एंप्लॉयमेंट स्कीम को लॉन्च करने के दौरान वित्त मंत्री को देखते मास्क लगाए कैटरिंग स्टॉफ। ब्रिटेन में कोरोना महामारी के चलते सरकार के ढीले रवैये पर लोग नाराज हैं।- फाइल फोटो

इन्हें एक्स्ट्रीम मौसमों में जाने की धुन; ज्वालामुखी में गए, खतरनाक गुफा में चमगादड़ ने भी काटा September 05, 2020 at 03:53PM

दहकते ज्वालामुखी के मुहाने पर खड़े ये शख्स कैनेडा के जॉर्ज कोरोउनिस हैं। इन्हें एक्स्ट्रीम मौसमों, तेज तूफानों, ज्वालामुखियों के पास जाने और उनकी फोटोग्राफी करने का शौक है। हाल ही में इन्होंने अपनी जीवन की सर्वश्रेष्ठ और सबसे खतरनाक तस्वीरें ब्रिटेन की वेबसाइट मेलऑनलाइन के साथ शेयर की।

जॉर्ज ने बताया कि एक बार केन्या में एक गुफा में शूट करते समय उन्हें खतरनाक चमगादड़ ने काट लिया था। उन्हें कुछ समय के लिए लगा था कि वे अब बच नहीं पाएंगे। जॉर्ज का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। वे नेशनल जियोग्राफिक की उस टीम का भी हिस्सा रहे हैं जो ज्वालामुखी के अंदर मिट्‌टी का सैंपल लेने उतरी थी। यह तस्वीर वनुआतू द्वीपसमूह के वॉल्कैनिक आइलैंड एम्ब्रिम के मैरम ज्वालामुखी की है।



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जॉर्ज का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। वे नेशनल जियोग्राफिक की उस टीम का भी हिस्सा रहे हैं जो ज्वालामुखी के अंदर मिट्‌टी का सैंपल लेने उतरी थी।

एक्सपर्ट्स का दावा- नियमित एक्सरसाइज करने वालों पर कोरोना वैक्सीन का बेहतर असर हो सकता है September 05, 2020 at 02:38PM

अगर आप एथलीट हैं तो किसी फ्लू के टीके से आपको बेहतर इम्युनिटी मिलेगी। आपकी इम्युनिटी उन लोगों की तुलना में ज्यादा बढ़ेगी जो एक्टिव नहीं रहते हैं। यह दावा दो नई स्टडी में किया गया है। इन स्टडीज में धावक, तैराक, रेसलर, साइक्लिस्ट और दूसरे एथलीट शामिल हुए थे।

यह स्टडी इसलिए भी अहम मानी जा रही है, क्योंकि कोरोना की वैक्सीन लगभग तैयार है और दुनियाभर में बड़े स्तर पर टेस्टिंग की जा रही है। यह स्टडी जर्मनी की सारलैंड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर ने की है। स्टडी दो ग्रुप्स पर की गई है।

सारलैंड यूनिवर्सिटी की इम्युनोलॉजिस्ट और नई स्टडी की को-ऑथर मार्टिना सेस्टर कहती हैं कि इस अध्ययन में एथलीट्स के इम्यून सिस्टम ने टीके के प्रति ज्यादा बेहतर रेस्पॉन्स दिया। मार्टिना और उनके साथियों को उम्मीद है कि कोरोना की वैक्सीन भी उन लोगों पर ज्यादा बेहतर असर करेगी जो नियमित एक्सरसाइज करते हैं।

ऐसे ही निष्कर्ष वाला दूसरा अध्ययन मेडिसिन एंड साइंस इन स्पोर्ट्स एंड एक्सरसाइज जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें भी टीके के बेहतर असर के लिए एक्सरसाइज को जरूरी बताया गया है।

ज्यादा कड़ी एक्सरसाइज भी न करें

कई रिसर्च में यह भी कहा गया है कि ज्यादा कड़ी एक्सरसाइज करने से इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाता है। महामारी के एक्सपर्ट के रिसर्च और एथलीट्स के पर्सनल एक्सपीरियंस से पता चला है कि कड़ी एक्सरसाइज कुछ समय के लिए इम्युनिटी को कमजोर करती है। लेकिन, ज्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये कम समय के लिए होता है। तीन घंटे से लेकर 72 घंटे तक इम्यून सिस्टम अस्थायी रूप से कमजोर हो सकता है, उसके बाद सामान्य हो जाता है।



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कुछ स्टडीज में यहां तक दावा किया गया है कि यदि हाथ में टीका लगवाने से एक घंटे पहले हाथ की एक्सरसाइज कर ली जाए तो बेहतर एंटीबॉडी रेस्पॉन्स मिलता है। (फाइल फोटो)

राष्ट्रपति ने इच्छामृत्यु की मांग खारिज की तो बीमार व्यक्ति ने फेसबुक पर मौत की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की September 05, 2020 at 02:38PM

फ्रांस के डीजोन शहर में रहने वाले 57 साल के अलाइन कोक लाइलाज बीमारी से परेशान हैं। इलाज नहीं मिलने पर उन्होंने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से इच्छामृत्यु की गुहार लगाई। लेकिन, राष्ट्रपति ने कोक की मांग खारिज कर दी। कोक ने अब खाना-पीना छोड़ दिया है। साथ ही शनिवार सुबह से फेसबुक पर अपनी मौत की लाइव स्ट्रीमिंग भी शुरू कर दी है।

कोक ने कहा- ‘‘मैं एक हफ्ते से ज्यादा जी नहीं पाऊंगा। जैसे-जैसे समय बीत रहा है, वैसे ही मुझे बेचैनी हो रही है।" कोक ने राष्ट्रपति को चिट्ठी में लिखा था- "मैं ऐसी बीमारी से ग्रसित हूं, जिसका इलाज नहीं हो पा रहा है। मेरे असहनीय दर्द को शांत करने के लिए कुछ ऐसी चीज दी जाए, जिससे मैं शांत होकर मर सकूं।’’

इस पर राष्ट्रपति मैक्रों ने उन्हें समझाते हुए इच्छामृत्यु देने से इनकार कर दिया। मैक्रों ने कहा- ‘‘फ्रांस के कानून के मुताबिक मुझे इसकी इजाजत नहीं है, क्योंकि मैं कानून से बड़ा नहीं हूं। इसलिए मैं आपकी अपील नहीं मान सकता।’’

‘बीमारी से जूझ रहे लोगों को पीड़ा से बाहर लाना चाहता हूं’
राष्ट्रपति का जवाब मिलने पर कोक ने शुक्रवार को मौत की लाइव स्ट्रीमिंग करने की घोषणा की और शनिवार से शुरू भी कर दी। इस बारे में कोक ने कहा- "अपनी मौत की लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए लोगों में जागरूकता लाना चाहता हूं। बीमारी से जूझ रहे लोगों की पीड़ा को बाहर लाना चाहता हूं ताकि उन्हें इच्छामृत्यु की अनुमति मिल सके।"

फ्रांस उन यूरोपीय देशों में से एक है, जो इच्छामृत्यु की अनुमति नहीं देते। 2016 में बनाए गए एक कानून के मुताबिक, अपने अंतिम पलों के दौरान मरीजों को इच्छामृत्यु नहीं दी जाती है। लेकिन, ऐसे मरीजों को सिर्फ बेहोश करके रखा जा सकता है।

कोक ने कहा- शायद मेरे कदम से कानून में बदलाव की गुंजाइश बने
कोक पिछले 34 साल से बीमार हैं। बीमारी की वजह से उन्हें बिस्तर पर ही रहना पड़ता है। उन्होंने लाइव स्ट्रीमिंग करने पर कहा- ‘‘अपनी मौत को यादगार बनाना चाहता हूं। इच्छा है कि मेरी मौत को पूरी दुनिया याद रखे। शायद इससे फ्रांस के कानून में बदलाव की गुंजाइश बने। इस पर राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा-‘इस इच्छा का सम्मान करते हैं।’’



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57 साल के अलाइन कोक लाइलाज बीमारी से परेशान हैं। वे चाहते हैं कि फ्रांस के कानून में बदलाव हो और गंभीर बीमारी का दर्द झेलने वालों को इच्छामृत्यु की इजाजत मिल सके।

ट्रम्प के सैनिकों पर दिए कथित अपमानजनक बयान पर बवाल, इसके जरिए मिलिट्री बैकग्राउंड वाले वोटर्स को लुभाने में जुटे बिडेन September 05, 2020 at 02:38PM

गुरुवार को अटलांटिक मैगजीन ने एक आर्टिकल पब्लिश किया। इसके मुताबिक, 2018 में फ्रांस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ट्रम्प ने बारिश का बहाना बनाकर प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के स्मारक पर जाने से इनकार कर दिया था। दावा है कि ट्रम्प ने सैनिकों को लूजर यानी हारा हुआ करार दिया था। आर्टिकल सामने आया तो विपक्ष यानी जो बिडेन और उनकी डेमोक्रेट पार्टी को मुद्दा मिल गया। बिडेन ने कहा- मेरा बेटा इराक में तैनात था, उसकी मौत कैंसर से हुई। लेकिन, वो लूजर या हारा हुआ नहीं था। अब ट्रम्प डैमेज कंट्रोल की कोशिशों में जुट गए हैं।

मौके की तलाश में थे डेमोक्रेट्स
शुक्रवार को डेमोक्रेट्स और खासतौर पर वे जिनका संबंध कभी सेना से रहा है, एक्टिव हो गए। ट्रम्प से नाराजगी जताई। कई प्रेस कॉन्फ्रेंस कीं। बिडेन ने कहा- ट्रम्प लंबे वक्त से सेना और सैन्य परिवारों को दरकिनार करते रहे हैं। उनका अपमान किया गया। अगर आर्टिकल सही है तो ट्रम्प राष्ट्रपति बनने लायक नहीं हैं। पूर्व सैनिकों के एक संगठन ने इराक और अफगानिस्तान में शहीद हुए सैनिकों के परिवारों की मदद के लिए महज पांच घंटे में एक लाख डॉलर जुटा लिए।

राजनीतिक रणनीति
डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपने उन नेताओं को मैदान में आगे कर दिया जो कभी फौज का हिस्सा रहे हैं। जैसे सीनेटर टैमी डकवर्थ, पीट बुटीगिग। रिटायर्ड सैनिकों को आमतौर पर रिपब्लिकन पार्टी का समर्थक माना जाता है। डेमोक्रेट पार्टी के 70 वर्तमान या पूर्व सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रम्प को खुला पत्र लिखकर उनसे माफी मांगने को कहा। डेमोक्रेट्स ये जानते हैं कि उन्हें पूर्व सैनिकों या उनके परिवारों का पूरा समर्थन नहीं मिलेगा। लेकिन, इन लोगों के बीच ट्रम्प की लोकप्रियता कम की जा सकती है।

डेमोक्रेट्स की इन राज्यों पर ज्यादा नजर
2016 में ट्रम्प को नॉर्थ कैरोलिना, फ्लोरिडा और एरिजोना में मिलिट्री बैकग्राउंड वाले लोगों के वोट हिलेरी क्लिंटन के मुकाबले दोगुने मिले थे। अगर ताजा विवाद से डेमोक्रेट्स कुछ भी फायदा उठा पाए तो इससे बेहतर क्या होगा। अगर कुछ अश्वेत और हिस्पैनिक वोटर्स भी मिल गए तो जीत भी सकते हैं। इनसाइड इलेक्शन वेबसाइट के एडिटर नैथन गोन्जेल्स कहते हैं- जब मुकाबला करीबी और कांटेदार होता है तो हर चीज और हर व्यक्ति अहम हो जाता है।

नैथन आगे कहते हैं- 2016 को याद कीजिए। ट्रम्प बहुत कम अंतर से जीते थे। मिशिगन, पेन्सिलवेनिया, विस्कॉन्सिन और फ्लोरिडा में तो उन्हें दो पॉइंट्स भी नहीं मिल सके। इसलिए, वे कोई रिस्क नहीं ले सकते।

...और ट्रम्प का दावा
ट्रम्प फेसबुक पर कैंपेन चला रहे हैं। इसमें कहा गया, "हमने आतंकवादियों का खात्मा किया। मिलिट्री को फिर से मजबूत बनाया और पूर्व सैनिकों के लिए काम किया।" लेकिन, करीब दो करोड़ बुजुर्गों के लिए ये ज्यादा मायने नहीं रखता कि ट्रम्प ने मिलिट्री के लिए क्या कहा। मायने ये रखता है कि उनकी पार्टी और सरकार ने स्वास्थ्य सेवाएं सस्ती और आसान बनाने के लिए क्या किया? छोटे शहरों की महिलाओं के लिए भी यह मुद्दा अहम है।

मिलिट्री बैकग्राउंड वाले 80 फीसदी लोग ट्रम्प की योजनाओं से सहमत हैं। कुल बुजुर्गों में यह आंकड़ा 60 फीसदी है। रिपब्लिकन और पूर्व सैनिक फ्रेड वेलमैन कहते हैं- बुजुर्गों के वोटों में 10 फीसदी अंतर भी बहुत ज्यादा हो जाएगा। सैन्य अफसरों और सैनिकों में भी कुछ ऐसे हैं जिनको अब ट्रम्प पर भरोसा नहीं। लेकिन, इसका मतलब ये भी नहीं कि वे बिडेन के पक्ष में चले जाएंगे।

मिलिट्री बैकग्राउंड वाले लोग ज्यादा
वेलमैन कहते हैं- करीब तीन करोड़ लोग मिलिट्री बैकग्राउंड से हैं। फौज से जुड़े पूर्व और वर्तमान लोग रिपब्लिकन पार्टी के साथ हैं। लेकिन, कुछ आज भी खराब मकानों में रहते हैं। मंगलवार को जब हमने इनकी समस्याओं पर चर्चा के लिए टाउनहॉल किया तो 10 हजार से ज्यादा व्यूअर्स जुड़े। इनका ‘वोटवेट्स’ संगठन चुनाव तक ढाई लाख लोगों तक पहुंच बनाना चाहता है। इस ग्रुप ने चक रोचा नाम के एक्सपर्ट की मदद ली है जिन्होंने सीनेटर बर्नी सैंडर्स को लैटिन अमेरिकी वोटर्स तक पहुंचाया था। रोचा कहते हैं- हम टीवी कमर्शियल्स के जरिए वोटर्स तक पहुंचना चाहते हैं, पोस्टकार्ड्स के जरिए नहीं। सोशल मीडिया और टैक्स्ट मैसेज भी किए जा रहे हैं।

कुछ बिडेन के भी साथ
कॉमन डिफेंस नामक एक छोटा ग्रुप भी है। इसका कुछ असर एरिजोना, नॉर्थ कैरोलिना और मायने में है। ये बिडेन के पक्ष में माहौल बना रहा है। लेकिन, एक बात डेमोक्रेट्स भी बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि मिलिट्री बैकग्राउंड वाले परिवारों या लोगों में ट्रम्प का बेस कम करना आसान नहीं है। वोटवेट्स के चेयरमैन जॉन सोल्ज कहते हैं- अटलांटिक मैगजीन की स्टोरी में जो कुछ कहा गया है, उससे ट्रम्प की लोकप्रियता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। शुरुआती तौर पर जरूर कुछ लोग इस बारे में बात कर रहे हैं।

मामला ताजा है, इसलिए चर्चा हो रही है। व्हाइट हाउस स्टोरी का खंडन कर चुका है। उसने इतनी जल्दी खंडन इसलिए किया, क्योंकि वे जानते हैं कि इस आर्टिकल से कितना और कितनी तेजी से नुकसान हो सकता है।



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फोटो जनवरी की है। जोए बाइडेन आयोवा में पूर्व सैनिकों से मिलने पहुंचे थे। तब डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट के तौर पर बाइडेन के नाम का ऐलान नहीं हुआ था। मिलिट्री बैकग्राउंड वाले परिवार आमतौर पर डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक माने जाते हैं।

Iran's friends should have defied US sanctions during pandemic: President Rouhani September 04, 2020 at 11:30PM

"Over the past months since the coronavirus arrived in our country... no one came to our help," Rouhani said in remarks broadcast live on Iranian state television. If the United States "had a bit of humanity and brain," he said, it would have offered to "lift the sanctions for a year because of the coronavirus."

Sudan declares state of emergency over deadly floods September 05, 2020 at 04:10AM

Sudanese authorities declared their country a natural disaster area and imposed a three-month state of emergency across the country after rising floodwaters and heavy rainfall killed around 100 people and inundated over 100,000 houses since late July.

Afghan forces kill 46 Taliban terrorists in Northern Faryab province September 05, 2020 at 03:32AM

गैस रिसाव के चलते 6 एयर कंडीशनर में विस्फोट, सात साल के बच्चे समेत 12 लोगों की मौत और 25 घायल September 05, 2020 at 02:27AM

बांग्लादेश की राजधानी ढाका के पास एक मस्जिद में नमाज अदा करने के दौरान 6 एयर कंडीशनर में विस्फोट हो गया। हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई, जबकि 25 से ज्यादा लोग घायल हो गए। विस्फोट का कारण गैस रिसाव बताया जा रहा है।

नारायणगंज शहर में हुए हादसे में मरने वालों में एक 7 साल का बच्चा और नमाजी शामिल हैं। कई गंभीर रूप से घायल लोगों का राजधानी ढाका में शेख हसीना नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी में इलाज चल रहा है।

धमाके की जांच शुरू

बांग्लादेश फायर सर्विस एंड सिविल डिफेंस के असिस्टेंट डायरेक्टर मोहम्मद अनायत होसनैन ने न्यूज एजेंसी अनाडोलु को बताया कि जो लोग घायल हुए हैं, उनके शरीर का 30% -70% हिस्सा जल चुका है। धमाके की जांच शुरू हो गई है। हादसे का कारण साफ नहीं है, लेकिन विस्फोट एयर कंडीशनर से हुआ है।

स्पार्क से हुआ विस्फोट

लोकल द ढाका ट्रिब्यून ने बताया कि मस्जिद के नीचे से गैस पाइप लाइन गुजरती है। मस्जिद की खिड़कियां बंद होते ही गैस लीक हो गई और अंदर जमा हो गई। माना जा रहा है कि एयर कंडीशनर या फैन को चालू या बंद करने की कोशिश के दौरान विस्फोट स्पार्क से हुआ।

एक स्थानीय अधिकारी ने कहा कि हाल ही में मस्जिद में गैस लीक की शिकायत दर्ज की गई थी।



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घायलों का ढाका में शेख हसीना नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी में इलाज चल रहा है।

श्रीलंका के तट पर ऑयल टैंकर में आग लगी, भारत की मदद से खींचकर गहरे समुद्र में ले जाया गया; एक की जान गई September 05, 2020 at 01:45AM

श्रीलंका के तट पर से आग लगे ऑयल टैंकर को खींच कर गहरे समुद्र में ले जाया गया है। आग पर भी काफी हद तक काबू पा लिया गया है। हालांकि, अभी भी कोस्ट गार्ड शिप और डोर्नियर एयरक्राफ्ट तैनात हैं। हादसे में एक की मौत हो चुकी है। कुवैत से भारत आ रहे इस टैंकर में गुरुवार को आग लग गई थी। हादसे की कुछ तस्वीरें...

एमटी न्यू डायमंड' नाम के इस जहाज में 2 लाख 70 हजार मीट्रिक टन क्रूड ऑयल है।
हादसा श्रीलंका के अम्पारा जिले के संगमन कांडा तट पर हुआ। जहाज के बॉयलर में विस्फोट होने के बाद आग लग गई थी।
श्रीलंका की नेवी ने कहा- भारत की मदद से आग पर काफी हद तक काबू पाया गया है। इसके साथ ही टैंकर को खींचकर तट से दूर गहरे समुद्र में पहुंचा दिया गया है।
इस टैंकर में 23 क्रू मेंबर थे, जिसमें 18 फिलीपींस के और पांच ग्रीस के थे। इसमें 22 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।
बचाव अभियान के दौरान सुरक्षित निकाला गया एक नाविक। माना जा रहा है बॉयलर विस्फोट के समय एक फिलीपींस के नाविक की मौत हो गई है।


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श्रीलंका के तट पर खड़ा क्रूड ऑयल कैरियर 'न्यू डायमंड'। बॉयलर में विस्फोट होने से इसमें आग लग गई थी।

Violent typhoon heads for Japan packing 'record' winds and rain September 05, 2020 at 01:41AM

An extremely powerful typhoon was barrelling towards southwestern Japan on Saturday as authorities issued evacuation advisories to thousands of residents, warning of unprecedented violent winds, heavy rain and high waves.

Convicted Mexican druglord 'El Chapo' Guzman appeals life sentence September 05, 2020 at 12:23AM

राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा- बेटी इवांका और बेटा जूनियर ट्रम्प भारत से बहुत प्यार करते हैं, मेरे भी भारत से बहुत अच्छे रिश्ते September 05, 2020 at 12:27AM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत की तारीफ की है। ट्रम्प के मुताबिक, उनकी बेटी इवांका और बेटा ट्रम्प जूनियर भारत के बारे में गहरी जानकारी रखते हैं। वे भारत के बारे में काफी सोचते हैं। मैं भी यही करता हूं। ट्रम्प ने कहा- मैं भारत को जानता हूं और इवांका, जूनियर ट्रम्प के अलावा मेरी एडवाइजर किम्बरले गुइलफोएल भी भारत के बारे में काफी गहरी जानकारी रखते हैं। इन लोगों की तरह मेरे भी भारत से बहुत अच्छे रिश्ते हैं।

मैं भारत का सबसे अच्छा दोस्त
व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रम्प के साथ बेटी इवांका, बेटा जूनियर ट्रम्प और एडवाइजर किम्बरले भी मौजूद थे। यहां एक सवाल के जवाब में ट्रम्प ने कहा- अगर आप भारत और अमेरिका के रिश्तों की बात करें तो मैं कह सकता हूं कि मैं भारत का सबसे अच्छा मित्र हूं।
दरअसल, ट्रम्प से पूछा गया था कि राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय मूल के अमेरिकियों की क्या भूमिका रहेगी। इस पर ट्रम्प ने काफी लंबा जवाब दिया और भारत से अपने रिश्तों का जिक्र किया।

इवांका बहुत लोकप्रिय
ट्रम्प ने कहा- इवांका, जूनियर ट्रम्प और किम्बरले ये सभी भारत में बहुत लोकप्रिय हैं। दोनों देशों के रिश्तों को भी अच्छे से समझते हैं। मैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी काफी अच्छे से जानता हूं। मोदी मेरे अच्छे दोस्त हैं। 2016 के चुनाव में इवांका और जूनियर ट्रम्प वर्जीनिया, पेन्सिलवेनिया और फ्लोरिडा में भारतीय समुदाय से मिलने पहुंचे थे। इनके साथ मीटिंग्स की थीं और मंदिर भी गए थे।
ट्रम्प जब राष्ट्रपति बने तो इवांका सबसे पहले 2017 में भारत गई थीं। वे अकसर भारत के बारे में ट्वीट्स भी करती हैं। उनको भारत में पसंद किया जाता है और वे काफी लोकप्रिय हैं।

जूनियर ट्रम्प पिता के इलेक्शन कैम्पेन से जुड़े

जूनियर ट्रम्प एक बार फिर पिता के इलेक्शन कैम्पेन से जुड़े हैं। वे भारतीयों से संपर्क कर रहे हैं। जूनियर ट्रम्प भी दो बार भारत यात्रा कर चुके हैं। पिछले साल दिसंबर में इंडियन अमेरिकन कम्युनिटी पर लॉन्ग आईलैंड में एक बुक लॉन्च की गई थी। इसमें प्रोग्राम में भी ट्रम्प जूनियर शामिल हुए थे। किम्बरले जूनियर ट्रम्प की मित्र हैं। वे इंडियन अमेरिकन कम्युनिटी में काफी लोकप्रिय हैं।
15 अगस्त को जूनियर ट्रम्प ने एक ट्वीट के जरिए भारत स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं थीं।

कैम्पेन में भी भारत का जिक्र
ट्रम्प की कैम्पेन टीम ने पिछले दिनों 107 सेकंड का वीडियो जारी किया था। इसमें ह्यूस्टी के हाउडी मोदी कार्यक्रम की फुटेज सबसे पहले है। इस प्रोग्राम में 50 हजार लोग शामिल हुए थे। मोदी भी अमेरिका में काफी लोकप्रिय हैं। कहा जाता है कि उनके कार्यक्रमों में जितने लोग आते हैं, उतने अमेरिका के किसी नेता के कार्यक्रम में भी शामिल नहीं होते।



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ट्रम्प ने कहा कि वे भारत को जानते हैं और इवांका, जूनियर ट्रम्प भी भारत के बारे में काफी गहरी जानकारी रखते हैं। ट्रम्प और इवांका की यह फोटो जून 2020 में व्हाइट हाउस में एक कार्यक्रम के दौरान की है। - फाइल फोटो

UN chief warns of famine risk in 4 countries September 04, 2020 at 10:13PM

रूस में राजनाथ और चीनी रक्षा मंत्री के बीच ढाई घंटे चर्चा हुई, भारत की दो टूक- एलएसी पर सेना बढ़ाना समझौते का उल्लंघन September 04, 2020 at 10:11PM

गलवान झड़प (15 जून) के बाद पहली बार भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों के बीच शुक्रवार को रूस में आमने-सामने बातचीत हुई। ढाई घंटे चली ये बैठक शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की मीटिंग के इतर हुई। बातचीत का मुख्य मुद्दा सीमा विवाद ही रहा।

राजनाथ ने चीनी विदेश मंत्री वेई फेंगे से कहा कि गलवान घाटी समेत लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर बीते कुछ महीनों में तनाव रहा है। सीमा पर चीन का अपने सैनिकों को बढ़ाना आक्रामक बर्ताव (अग्रेसिव बिहेवियर) को दिखाता है। यह द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन है।

राजनाथ ने यह भी कहा कि भारतीय सेनाओं ने सीमा पर हमेशा संयमित व्यवहार दर्शाया है। लेकिन यह भी सच है कि इसी दौरान भारत की संप्रभुता (सॉवेरीनटी) और भारतीय सीमाओं की रक्षा से कोई समझौता नहीं किया। दोनों पक्षों को अपने नेताओं की समझ-बूझ के निर्देशन में काम करना चाहिए, ताकि सीमा पर शांति कायम रह सके। साथ ही दोनों पक्षों को उन चीजों में नहीं उलझना चाहिए, जिससे विवाद बढ़े।

राजनाथ की चीन को सलाह
रक्षा मंत्री ने अपने काउंटरपार्ट से कहा कि चीन को जल्द ही भारत के साथ मिलकर काम करना चाहिए, ताकि लद्दाख में समझौते और प्रोटोकॉल के आधार पर सभी विवादित जगहों मसलन पैंगॉन्ग झील के इलाके से दोनों तरफ के सैनिकों का डिएस्केलेशन शुरू किया जा सके। जो मौजूदा हालात हैं, उसे देखते हुए दोनों पक्षों को जिम्मेदारी दिखाना चाहिए। कोई भी ऐसा एक्शन न लें, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो।

मई से चीन सीमा पर हालात तनावपूर्ण
15 मई को लद्दाख के गलवान में चीन के सैनिकों ने भारतीय जवानों पर कंटीले तारों से हमला कर दिया था। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। जवाबी कार्रवाई में चीन के भी 35 सैनिक मारे गए, पर उसने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की। विवाद को हल करने के लिए बीते महीनों में चीन और भारत के बीच कई बार सैन्य और आधिकारिक स्तर की बातचीत हो चुकी हैं, पर चीन हरकतों से बाज नहीं आ रहा।

75 दिन बाद फिर चीन की घुसपैठ
31 अगस्त को रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को एक नोट जारी किया। इसमें कहा गया है कि चीन ने फिर यथास्थिति (Status Quo) का उल्लंघन किया है। नोट के मुताबिक, 29 अगस्त की रात चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख के भारतीय इलाके में घुसपैठ की कोशिश की। भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों की इस कोशिश को नाकाम कर दिया।

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, इससे पहले चीन ने लद्दाख के पास अपने जे-20 फाइटर प्लेन भी तैनात कर दिए थे। रक्षा मंत्रालय ने यह भी बताया कि भारतीय सेना ने चीन के सैनिकों को पैंगॉन्ग सो झील के दक्षिणी किनारे पर ही रोक दिया। (पूरी खबर यहां पढ़ें)



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चीनी डेलिगेशन के साथ बातचीत करते भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ राजनाथ सिंह।

Covid-19: Iran begins new school year amid virus concerns September 04, 2020 at 09:33PM

In a video conference, President Hassan Rouhani said the education of 15 million students is as important as the health system."Education will not be closed in our country even under the worst situation," he said, urging authorities to implement health measures in schools to the level of those in military garrisons.

China fails to tackle decade-long flooding problem September 04, 2020 at 09:08PM

Since 1950, China has witnessed three of the world's 10 most destructive floods. Flooding in cities is a worrying trend and getting worse, a sign of rising populations and failure to execute urbanisation policies, Bloomberg reported.

Joe Biden slams Donald Trump over alleged comments mocking US war dead September 04, 2020 at 08:53PM