Friday, June 5, 2020

राष्ट्रपति चुनाव के लिए जो बिडेन डेमोक्रेटिक उम्मीदवार चुने गए, पार्टी के 1991 प्रतिनिधियों का समर्थन मिला June 05, 2020 at 08:09PM

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट जो बिडेन का नामांकन (नॉमिनेशन) तय हो गया है। बिडेन ने ट्वीट कर बताया कि नॉमिनेशन के लिए जरूरी 1,991 प्रतिनिधियों का समर्थन मिल चुका है। बिडेन ने कहा "अब जनता का समर्थन पाने के लिए हर दिन फाइट करेंगे, ताकि देश के लिए जो लड़ाई लड़ रहे हैं उसे जीत सकें। अमेरिका इस वक्त ऐसी लीडरशिप के लिए तरस रहा है जो लोगों को एकजुट कर सके।"

बिडेन ने कोरोना को चुनावी मुद्दा बनाया
अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव 3 नवंबर को होंगे। रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प दोबारा चुनाव लड रहे हैं। बिडेन ने कोरोना के संक्रमण को चुनावी मुद्दा बना रखा है। उनका कहना है कि ट्रम्प ने महामारी से निपटने के फैसलों में देरी की। वहीं, वहीं, ट्रम्प उन्हें ‘बीजिंग बिडेन’ कहकर चीन का समर्थक बता रहे हैं।

नस्लीय भेदभाव के मुद्दे ने भी तूल पकड़ा
कोरोना से अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित है। संक्रमण फैलने के साथ ही वहां की अर्थव्यवस्था भी ठप हो गई है। दूसरी ओर नस्लीय भेदभाव और हिंसा का मुद्दा भी तूल पकड़ चुका है। अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस कस्टडी में मौत के बाद पूरे अमेरिका में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं।

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले के 3 स्टेज
1. प्राइमरी इलेक्शन

अलग-अलग राज्यों में प्राइमरी इलेक्शन के जरिए पॉलिटिकल पार्टी ये पता लगाती हैं कि उनका सबसे मजबूत उम्मीदवार कौन है। इसके अलावा कॉकस की प्रक्रिया भी होती है। प्राइमरी इलेक्शन में आम जनता की भागीदारी होती है, वहीं कॉकस में पार्टी के पारंपरिक वोटर और कार्यकर्ता ही हिस्सा लेते हैं।

2. नेशनल कन्वेंशन
प्राइमरी इलेक्शन के जरिए जो प्रतिनिधि चुने जाते हैं वे दूसरे चरण में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनने के लिए वोटिंग करते हैं। इसी फेज में तय हो जाता है कि दोनों बड़ी राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार कौन होंगे। इसी फेज में नॉमिनेशन भी होते हैं। नॉमिनेशन की प्रक्रिया इसी महीने होगी।

3. चुनाव प्रचार
नामांकन के बाद फिर चुनाव प्रचार का दौर चलता है। दोनों दलों के प्रत्याशियों में डिबेट भी होती है। उम्मीदवार उन राज्यों पर ज्यादा फोकस करते हैं जहां किसी के परंपरागत वोटर नहीं होते।



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बिडेन ने कोरोना को चुनावी मुद्दा बनाया है, उनका कहना है कि ट्रम्प प्रशासन ने फैसलों में देरी की। (फाइल फोटो)

ट्रम्प के बाद अब ब्राजील के राष्ट्रपति ने डब्लूएचओ का साथ छोड़ने की धमकी दी, देश में हर मिनट एक व्यक्ति की मौत हो रही June 05, 2020 at 07:35PM

ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्साेनारो ने शुक्रवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) छोड़ने की धमकी दी है। हाल ही में यूनाइटेड नेशंस (यूएन) की इस एजेंसी ने लेटिन अमेरिकी देशों को चेतावनी दी थी। उसका कहना था कि क्षेत्र में संक्रमण का प्रसार कम करने से पहले लॉकडाउन हटाने में जोखिम है। कुल संक्रमितों के मामले में ब्राजील दुनिया में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है। यहां लगभग हर मिनट एक व्यक्ति की मौत हो रही है।


लेटिन अमेरिका के सबसे अधिक आबादी वाले देश ब्राजील और मैक्सिको में संक्रमण की दर सबसे ज्यादा है। ब्राजील में यहां पेरू, कोलंबिया, चिली और बोलीविया में भी महामारी रफ्ताार पकड़ रही है। पूरे लेटिन अमेरिका में करीब 11 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं।

बोल्सोनारो ने कोरोना को साधारण सर्दी-जुकाम बताया था
बोल्सोनारो की तुलना में दूसरे नेताओं ने इस महामारी को ज्यादा गंभीरता से लिया है। उन्होंने मार्च और अप्रैल में सख्त लॉकडाउन लगाया, लेकिन अब भुखमरी और गरीबी की आशंका को देखते हुए लॉकडाउन खोलने पर जोर दे रहे हैं। इससे उलट करीब 100 दिन पहले ही बोल्सोनारो ने इस संक्रमण को मामूली सर्दी-जुकाम बताया था।

मौत के मामले में ब्राजील चौथे स्थान पर
कोरोना से हुई मौतों के मामले में ब्राजील दुनिया में चौथे स्थान पर है। यहां अब तक 35 हजार 47 लोग जान गंवा चुके हैं। 33 हजार 774 मौत के साथ इटली दूसरे और 40 हजार 261 मौतों के साथ ब्रिटेन दूसरे नंबर पर है। वहीं, अमेरिका 1 लाख 11 हजार 390 मौतों के साथ पहले स्थान पर है।

पिछले हफ्ते अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ से संबंध खत्म किए थे
पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने डब्ल्यूएचओ से संबंध खत्म करने का ऐलान किया था। उनका कहना था कि डब्ल्यूएचओ कोरोनावायरस के शुरुआती फैलाव को रोकने में नाकाम रहा है। ट्रम्प ने इससे पहले इस एजेंसी की फंडिंग रोक दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि यह एजेंसी चीन की कठपुतली है। जिसकी वजह से दुनिया में स्वास्थ्य संबंधी संकट खड़ा हो गया है।



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ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो (बाएं) ने कोरोनावायरस संक्रमण को मामूली सर्दी-जुकाम बताया था। अब यहां इस बीमारी से हर मिनट एक व्यक्ति की मौत हो रही। -फाइल फोटो

French forces kill leader of al-Qaeda in the Islamic Maghreb June 05, 2020 at 07:16PM

French forces have killed the leader of al-Qaeda in the Islamic Maghreb, Algerian Abdelmalek Droukdel, in northern Mali, France's defence minister said. Droukdel was killed on Thursday near the Algerian border, where the group has bases from which it has carried out attacks and abductions of Westerners in the sub-Saharan Sahel zone, defence minister Florence Parly said Friday.

अमेरिकी ब्लॉगर का पाकिस्तान के पूर्व गृह मंत्री पर रेप का आरोप, कहा- पूर्व प्रधानमंत्री गिलानी ने भी बदसलूकी की June 05, 2020 at 06:34PM

पाकिस्तान में रहने वाली एक अमेरिकी ब्लॉगर सिंथिया डी रिची ने पूर्व गृह मंत्री रहमान मलिक पर रेप का आरोप लगाया है। रिची ने पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी पर भी शारीरिक प्रताड़ना का गंभीर आरोप लगाया। सिंथिया के मुताबिक, दोनों घटनाएं 2011 की हैं। इस दौरान बेनजीर भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) सत्ता में थी। फिलहाल, पार्टी की कमान बेनजीर के बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी के हाथ में है।

इमरान की सोशल मीडिया टीम में हैं सिंथिया
सिंथिया ने शुक्रवार को फेसबुक पर एक वीडियो जारी किया। इसमें रहमान मलिक और गिलानी पर आरोप लगाए। रिची के मुताबिक, घटना 20111 में उस वक्त की है जब वो राष्ट्रपति भवन में रहती थीं। खास बात ये है रिची अब प्रधानमंत्री इमरान खान की सोशल मीडिया टीम में हैं। रिची ने कुछ टवीट्स भी किए। एक ट्वीट में कहा- मुझे ड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर दिया गया था। मैं चुप रही क्योंकि, पीपीपी सरकार में मेरी मदद करता। मैं अब किसी का भी सामना करने तैयार हूं।

अमेरिकी दूतावास को दी थी जानकारी
सिंथिया का दावा है कि उन्होंने घटना की जानकारी पाकिस्तान में मौजूद अमेरिकी दूतावास को दी थी। लेकिन, वहां से सही जवाब नहीं मिला। उस दौरान अमेरिका और पाकिस्तान के बीच अच्छे रिश्ते नहीं थे। रिची ने पीपीपी पर गंदी राजनीति का आरोप लगाया। उन्होंने कहा- मैं चाहती हूं कि दुनिया मेरी बात को सुने।

गिलानी का इनकार
जियो न्यूज के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री गिलानी ने सिंथिया के आरोप सिरे से खारिज कर दिए। कहा- क्या एक प्रधानमंत्री एवान-ए-सदर (पाकिस्तान का राष्ट्रपति भवन) में इस तरह की हरकत कर सकता है। रहमान मलिक ने अब तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मलिक गृह मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा वो पाकिस्तान की न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी और डिफेंस कोऑर्डिनेशन कमेटी के मेंबर भी रहे हैं।

शनिवार को भी ट्वीट किए
सिंथिया ने शनिवार को भी कुछ ट्वीट किए। कहा, “पीपीपी नेता मेरे खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। रेप कल्चर बंद होना चाहिए। महिलाएं एकजुट हों और बच्चों को इस घृणित काम के बारे में जानकारी दें। वैसे यह सिर्फ पीपीपी का मामला नहीं है। कई सियासी पार्टियों ने मेरा शोषण किया। मैंने कभी परिवार को भी इन घटनाओं के बारे में नहीं बताया। मैंने हमेशा पाकिस्तान की एक सॉफ्ट इमेज बनाने के लिए मेहनत की।”

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सिंथिया रिची (दाएं) और पाकिस्तान के पूर्व गृह मंत्री रहमान मलिक। (फाइल)

Joe Biden formally clinches Democratic presidential nomination June 05, 2020 at 05:59PM

Joe Biden formally clinched the Democratic presidential nomination Friday, setting him up for a bruising challenge to President Donald Trump that will play out against the unprecedented backdrop of a pandemic, economic collapse and civil unrest. ​​The former vice president has effectively been his party's leader since his last challenger in the Democratic primary, Bernie Sanders, ended his campaign in April.

डब्ल्यूएचओ ने कहा- दक्षिण एशिया की घनी आबादी पर महामारी का खतरा ज्यादा; दुनिया में अब तक 68.44 लाख संक्रमित June 05, 2020 at 04:31PM

दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा 68 लाख 44 हजार 222 हो गया है। कुल 33 लाख 35 हजार 318 लोग स्वस्थ हुए। 3 लाख 98 हजार 129 लोगों की मौत हो चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक बार फिर दक्षिण एशियाई देशों में महामारी के खतरे के प्रति आगाह किया है। संगठन के मुताबिक, इन देशों में घनी आबादी है और इसकी वजह से यहां खतरा सबसे ज्यादा है।

कोरोनावायरस : 10 सबसे ज्यादा प्रभावित देश

देश

कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 19, 65,708 1,11,390 7,38,646
ब्राजील 6,46,006 35,047 2,88,652
रूस 4,49,834 5,528 2,12,680
स्पेन 2,88,058 27,134 उपलब्ध नहीं
ब्रिटेन 2,83,311 40,261 उपलब्ध नहीं
भारत 2,36,184 6,649 1,13,231
इटली 2,34,531 33,774 1,63,781
पेरू 1,87,400 5,162 79,214
जर्मनी 1,85,414 8,763 1,68,500
तुर्की 1,68,340 4,648 1,33,400

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डब्ल्यूएचओ : दक्षिण एशिया पर खतरा
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि दक्षिण एशिया की घनी आबादी वाले क्षेत्रों में कोविड-19 के बड़े पैमाने पर फैलने का खतरा है। डब्ल्यूएचओ की इमरजेंसी हेल्थ सर्विस डायरेक्टर माइकल रयान ने कहा, "दक्षिण एशिया में सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि बंगलादेश, पाकिस्तान और इस क्षेत्र के दूसरे देशों में महामारी अब तक बड़े पैमाने पर नहीं फैली है। लेकिन, हम मानते हैं कि ऐसा होने का खतरा है। जिस तरह का इसका ट्रेंड है, उसके हिसाब से यह कभी भी खतरनाक साबित हो सकती है। इसका कम्युनिटी ट्रांसफर हो सकता है।

चिली : 4207 नए मामले
चिली में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। 24 घंटों में यहां 4207 नए मामले सामने आए। संक्रमितों की संख्या 1 लाख 22 हजार 499 हो गई। 24 घंटे के दौरान ही 92 और लोगों की मौत हुई। मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 1448 तक पहुंच गया। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा- 1521 मरीजों को आईसीयू में रखा गया है। 1291 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। 337 मरीजों की हालत गंभीर है।

चिली के राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा अपनी कैबिनेट मिनिस्टर मैकार्ना का कोहनी टकराकर अभिवादन करते हुए। सरकार ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि संक्रमण रोकने के जो उपाय किए गए हैं उनके नतीजे जल्द ही सामने आएंगे। सरकार ने यह दावा तब किया है जबकि इस हफ्ते हर दिन लगभग चार हजार मामले सामने आए। (फाइल)

मैक्सिको : यहां भी मुश्किल
लैटिन अमेरिका में संक्रमण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। ब्राजील और पेरू के बाद अब मैक्सिको में भी हालात बिगड़ रहे हैं। 24 घंटे में यहां 4346 नए मामले सामने आए। इसी दौरान 625 लोगों की मौत हो गई। अब यहां एक लाख 10 हजार से ज्यादा मरीज हो चुके हैं। मरने वालों का आंकड़ा बी 13 हजार 170 हो गया है। सरकार का कहना है कि महामारी से निपटने के जितने उपाय किए गए हैं, उनके बेहतर नतीजे सामने आने लगे हैं।

चिली के राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा अपनी कैबिनेट मिनिस्टर मैकार्ना का कोहनी टकराकर अभिवादन करते हुए। सरकार ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि संक्रमण रोकने के जो उपाय किए गए हैं उनके नतीजे जल्द ही सामने आएंगे। सरकार ने यह दावा तब किया है जबकि इस हफ्ते हर दिन लगभग चार हजार मामले सामने आए। (फाइल)

अमेरिका : प्रदर्शन से खतरा
अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद हो रहे विरोध प्रदर्शनों ने सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। न्यूयॉर्क में स्थानीय प्रशासन जल्द ही उन लोगों से संपर्क कर सकता है जो इन विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए। यही राज्य अमेरिका में सबसे ज्यादा प्रभावित है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार कुछ नए टेस्टिंग सेंटर खोलने जा रही है जिनमें हर रोज 20 हजार टेस्ट किए जा सकेंगे। इनकी रिपोर्ट भी उसी दिन मिल जाएगी।

अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद हो रहे प्रदर्शनों ने कोविड-19 का खतरा ज्यादा बढ़ा दिया है। कई एक्सपर्ट्स चेतावनी दे चुके हैं कि इन विरोध प्रदर्शनों में किसी तरह का ऐहतियात नहीं बरता जा रहा। न्यूयॉर्क में प्रशासन ने लोगों से कहा है कि जो लोग इन विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए हैं, उन्हें टेस्ट कराना चाहिए।

सऊदी अरब: अब फिर सख्ती
सऊदी अरब ने शुक्रवार को ऐलान किया कि जेद्दा शहर में दिन के 3 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लगाया जाएगा। शनिवार से अगले 15 दिन तक यह नियम लागू रहेगा। 15 दिनों तक मस्जिदों में नमाज पढ़ने और ऑफिस जाने पर भी रोक रहेगी। इस दौरान रेस्टोरेंट और कैफे भी बंद रहंगे। शुक्रवार को देश में 2591 नए मामले सामने आए हैं। इनमें जेद्दा में सबसे ज्यादा 459 केस मिले हैं। देश में अब तक 95 हजार 748 मरीज मिल चुके हैं।



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वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, कोविड-19 से सबसे ज्यादा खतरा जिन देशों या क्षेत्रों को है, उनमें दक्षिण एशियाई देश शामिल हैं क्योंकि यहां बेहद घनी आबादी है। इसकी वजह से वायरस तेजी से फैलता है और उसका कम्युनिटी ट्रांसफर होता है। इस लिस्ट में भारत के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश भी शामिल हैं। तस्वीर पाकिस्तान के रावलपिंडी के एक बाजार की है। (फाइल)

कोरोना ने बढ़ाईं दुनिया के 46 करोड़ मूक-बधिरों, दृष्टिहीनों की मुश्किलें; मास्क-डिस्टेंसिंग बने रोड़ा, मानसिक तनाव भी June 05, 2020 at 02:14PM

दुनियाभर में कोरोना से 67 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 3.90 लाख से ज्यादा की मौत हो चुकी है। कोरोना की वजह से उन लोगों की दिक्कतें बढ़ गई हैं, जो दिव्यांग हैं और छोटे-छोटे कामों के लिए दूसरों पर निर्भर हैं। जहां दृष्टिहीन छूकर चीजों को समझ पाते हैं, वहीं मूक-बधिर इशारों, चेहरे के हाव-भाव और होठों की हलचल से संवाद करते हैं।

लेकिन, संक्रमण फैलने से रोकने के मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य उपायों ने दुनियाभर में ऐसे 46 करोड़ लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ये मानसिक परेशानियों से भी जूझ रहे हैं। अमेरिका में ऐसे 3.7 करोड़ लोग हैं। कैलिफोर्निया के कॉम्पटन में रहने वाली एश्लीया हेज भी इन्हीं में से एक हैं। वे कहती हैं, "हर तरफ दहशत का माहौल है। इसने मेरी चिंताएं बढ़ा दी हैं। महामारी ने हमारी जिंदगी पूरी तरह पलट दी है।"

'मास्क के कारण किसी से बात करना भी मुश्किल'

न्यूयॉर्क के जेम्सविले में रहने वाली ग्रेस कोगन सुन नहीं सकतीं। वे कहती हैं, "हर जगह मास्क में ढंके चेहरे हैं, किसी से बात करना मुश्किल हो गया है। लगता है हम अब दुनिया से और दूर हो गए हैं।" ऐसे ही मैडी बताती हैं, "मास्क की वजह से अस्पष्ट चेहरे और भीड़ में उनकी पहचान मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो गया है। अब यह न्यू नॉर्मल है तो डर है कि मेरे जैसे लोग और हाशिए पर चले जाएंगे।"

सेंट लुईस में काउंसलर मिशेल कहती हैं, "इनके लिए व्यावहारिक समस्याएं पैदा हो गई हैं। इनमें 90% लोग होठों की हलचल से संवाद करते हैं। गाइड, कोच हाथ पकड़कर चीजों को पहचानना और खुद की बात रखना सिखाते हैं। ऐसे में इनकी दिक्कतें बढ़ जाएंगी।"

भारत में 2 करोड़ से ज्यादा आबादी दृष्टिहीन और मूक-बधिर लोगों की
भारत में 2 करोड़ से ज्यादा लोग दृष्टिहीन और मूक-बधिर हैं। राष्ट्रीय दृष्टिहीनता एवं दृष्टिबाधित सर्वे 2019 के मुताबिक देश में करीब 1.8 करोड़ लोग दृष्टिबाधित हैं, जबकि 42 लाख के करीब मूक-बधिर हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में इन असामान्यताओं के इलाज और देखभाल पर सालाना 5.62 लाख करोड़ रु.खर्च होते हैं।



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संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में इन असामान्यताओं के इलाज और देखभाल पर सालाना 5.62 लाख करोड़ रु. खर्च होते हैं।

यूरोप के बाद अब लैटिन अमेरिका, मध्यपूर्व, अफ्रीका और दक्षिण एशियाई देश बन रहे कोरोना के हॉटस्पॉट, अचानक बढ़े केस June 05, 2020 at 02:14PM

महीनों तक वैज्ञानिक इस रहस्य को सुलझाने में लगे रहे कि कोरोना समृद्ध पश्चिमी देशों में क्यों ज्यादा फैला और घनी आबादी और झुग्गी बस्तियों वाले देश कैसे बचे रहे। पर कोरोना अब इन बचे हुए देशों में भी फैल गया है। मध्य पूर्व, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण एशिया के देश अब महामारी की जद में आ गए हैं।

इसने इन देशों के अस्पताल और कब्रिस्तानों को तो भर ही दिया है, उन नीति निर्माताओं को भी हताश किया है, जो सोच रहे थे कि वे सही फैसले ले रहे हैं और महामारी के सबसे बुरे दौर से बच जाएंगे। फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी में बायोस्टेस्टिक्स की प्रोफेसर नताली डीन के मुताबिक, कोरोना पर रिसर्च में ऐसा सबूत नहीं दिखा कि कोई देश इससे बचेगा।

यूरोपीय देश इस पर काफी हद तक काबू पा चुके

हालांकि, यूरोपीय देश इस पर काफी हद तक काबू पा चुके हैं। फिनलैंड में कोरोना खात्मे की ओर है। न्यूजीलैंड में लगातार 14वें दिन कोई केस नहीं आया है। इटली, स्पेन और ब्रिटेन में नए केस आने कम हो गए हैं। यूरोप में कोरोना से सबसे अधिक मौतें 27 अप्रैल को हुई थीं। इस दिन यहां 8,429 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद महाद्वीप में मौतें भी लगातार घट रही हैं।

जबकि मध्य पूर्वी देश मिस्र में हफ्तेभर में संक्रमित दोगुने हो गए हैं। लैटिन अमेरिकी देश ब्राजील,मैक्सिको में भी स्थिति बिगड़ रही है। उधर दक्षिण एशिया में पाक और बांग्लादेश नए एपिसेंटर बन गए हैं। अफ्रीका महाद्वीप में दक्षिण अफ्रीका सबसे ज्यादा प्रभावित है।

लैटिन अमेरिका: ब्राजील में 4 दिन में एक लाख केस बढ़े, मैक्सिको में 24 घंटे में 4 हजार से ज्यादा मामले

ब्राजील अब कोरोना से हुई मौतों के मामले में इटली को पीछे छोड़ तीसरे नंबर पर पहुंच गया है। ब्राजील में कोरोना से कुल 34 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। 6 लाख से ज्यादा संक्रमित हैं। इसके बावजूद रियो डी जेनेरियो के 1 लाख स्ट्रीट वेंडर्स को गुरुवार से काम शुरू करने की छूट दे दी गई। उधर मैक्सिको में एक दिन में रिकॉर्ड 4442 संक्रमण के मामले सामने आए। यहां 1 लाख से ज्यादा पॉजिटिव हैं, वहीं 12,545 मौतें हुई हैं। राष्ट्रपति एंड्रेस लोपेज तर्क देते हैं कि बाकी देशों की तुलना में तो मैक्सिको में कम ही मौतें हो रही हैं।

अफ्रीका: मिस्र में मौतों की दर 2% से ज्यादा, कोरोना फैलने के बाद द. अफ्रीका में 24 घंटे में रिकॉर्ड केस

मिस्र में राष्ट्रपति अल सीसी और डॉक्टरों में जारी संघर्ष के बीच हफ्तेभर में ही संक्रमित दोगुने हो गए हैं। सुरक्षा उपकरणों की कमी और ट्रेनिंग नहीं मिलने से डॉक्टरों में गुस्सा है। मौतों की दर 2% से ज्यादा हो गई है। 30 हजार संक्रमित हैं, 1126 मौतें हो चुकी हैं। हफ्तेभर से रोजाना 1 हजार केस आ रहे हैं। महाद्वीप के इकोनॉमिक पावर हाउस दक्षिण अफ्रीका ने मार्च में सख्त लॉकडाउन कर दिया था। पर पिछले हफ्ते अनलॉक के बाद यहां संक्रमितों की संख्या 40 हजार पर पहुंच गई है। पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 3267 केस आए हैं। अब तक 848 लोगों की मौत हो चुकी है।

खाड़ी देश: ईरान में डिस्टेंसिंग घटी, कोरोना के दूसरे दौर की आशंका; सऊदी में 1900 केस रोज मिल रहे

ईरान में औसत तीन हजार केस रोज मिल रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिग सिर्फ 40% रह गई है। लोगों ने मास्क लगाना भी छोड़ दिया है। हफ्तेभर से रोजाना औसत 3 हजार मामले आ रहे हैं। मौतें 8 हजार से ज्यादा हो चुकी हैं। 1.67 लाख संक्रमित हैं। अप्रैल के अंत में सरकार ने अनलॉक शुरू हुआ था। सार्वजनिक परिवहन शुरू हो गया, छोटे व्यापारियों ने भी काम शुरू कर दिया। विशेषज्ञ अब सेकंड वेव की आशंका जता रहे हैं। सऊदी में रोज औसत 1900 केस मिल रहे हैं। जबकि इससे पहले 700 केस मिल रहे थे। इसी कारण हज यात्रा पर भी फैसला नहीं हो सका है।

दक्षिण एशिया: पाकिस्तान में 89 हजार से ज्यादा संक्रमित; बांग्लादेश, नेपाल में तेजी से बढ़ रहे केस

दक्षिण एशियाई देश पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में भी कोरोना तेजी से फैल रहा है। इसी हफ्ते बांग्लादेश के रोहिंग्या कैंप में कोरोना से पहली मौत हुई। वहां पर इस तरह के सैकड़ों शिविर हैं, इसलिए यह संकेत अच्छा नहीं है। बांग्लादेश में भी अब तक 57,000 से ज्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है। नेपाल में 2,600 से ज्यादा केस हो चुके हैं। दो हफ्ते पहले की तुलना में ये कई गुना ज्यादा हैं। पाकिस्तान में अमेरिकी राजनयिक भी पॉजिटिव पाए गए हैं। यहां पर संक्रमितों की संख्या 89 हजार के पार हो गई है। बीते 24 घंटे में 896 मामले सामने आए हैं।



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यह फोटो रियाद की एक कैफे की है। सऊदी में रोज औसत 1900 केस मिल रहे हैं। जबकि इससे पहले 700 केस मिल रहे थे। इसी कारण हज यात्रा पर भी फैसला नहीं हो सका है।

काेराेनाकाल में गले लगा रहे हैं ताे सावधानी बरतें, सुरक्षित रहेंगे; क्योंकि जादू की झप्पी तनाव कम करती है, अपनेपन का सुखद अहसास कराती है  June 05, 2020 at 02:14PM

काेराेना से पहले के जीवन की जिन बाताें काे लाेग याद कर रहे हैं, उनमें गले लगना भी शामिल है। चाहे वह दादा-दादी का नाती-पाेताें के प्रति प्रेम हाे या युवाओंका बुजुर्गों से अपनापन। दरअसल, प्रियजन से गले न मिल पाने से लोग तनाव में भी आ रहे हैं। इसलिए लाेग पॉलीथिन पहन गले मिलते भी नजर आए।

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञानी जॉहन्स आईक्स्लैड बताते हैं कि गले मिलना अभिवादन ही नहीं है, इससे तनाव भी घटता है। वैज्ञानिकों ने कोरोनाकाल में गले मिलने के कुछ तरीके सुझाए हैं। जानिए क्या हैं ये :

गलत तरीके: ये इनसे फैल सकता है कोरोनावायरस

1. फेस-टू-फेस गले न मिलें, सांसों से वायरस फैलेगा

इस मुद्रा में अधिक जाेखिम है, क्याेंकि चेहरे पास हाेते हैं। वर्जीनिया टेक में एयराेसाॅल साइंटिस्ट लिनसे मार्र कहती हैं, ‘दाेनाें में से एक की लंबाई कम है तो उसके सांस छाेड़ने से गर्म हवा दूसरे तक पहुंच सकती है। लंबा व्यक्ति नीचे देखेगा ताे उसके वायरस नाटे व्यक्ति के श्वसन तंत्र के जरिये प्रवेश सकते हैं।’

2. एक ही दिशा में चेहरा कर गले लगाना भी खतरनाक

एक ही दिशा में गालोंको करीब लाकर गले मिलना भी खतरनाक हो सकता है। इससे एक व्यक्ति द्वारा छाेड़ी गई सांस दूसरे व्यक्ति के श्वसन जाेन में प्रवेश करती है। कोशिश करें कि इस दौरान रोना-धोना न हो। आंसू और बहती नाक से वायरस फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

सही तरीके: इनसे दोनों साथी सुरक्षित महसूस करेंगे

1. चेहरे विपरीत दिशा में गले मिलें, मास्क भी पहने रहें
समान ऊंचाई के लाेग गले मिलते समय चेहरे विपरीत दिशा में रखें। इससे सांस विपरीत दिशा में जाएगी और वायरस फैलने की अाशंका कम रहेगी। मास्क भी पहनें।

2. बच्चों काे कमर तक गले लगने दें, नीचे नहीं दूर देखें
कमर तक बच्चाें काे गले लगाना खतरा कम करता है। ऐसे में चेहरे दूर-दूर रहते हैं। वयस्क को नीचे की बजाय दूर देखना चाहिए, ताकि सांसें उस तक न पहुंचें।

3. दादा-दादी बच्चों को सिर के पीछे किस करें
इस स्थिति में बच्चाें की छाेड़ी गई सांस से बुजुर्गों काे कम खतरा रहेगा। लंबे व्यक्ति की सांस से बच्चाें काे खतरा हाे सकता है। इसलिए दाेनाें का मास्क पहने रहना जरूरी है।



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Embracing in the Carainekalas, take care, be safe; Because magic hug reduces stress, makes you feel comfortable

अमेरिका में पुलिस के हाथों गोरों की तुलना में तीन गुना अधिक अश्वेत मरते हैं, जेलों में 33% कैदी भी वे ही हैं June 05, 2020 at 02:14PM

1960 के दशक के बाद अमेरिका अपनी सबसे व्यापक अशांति के दौर से गुजर रहा है। 25 मई को मिनियापोलिस में एक पुलिस अधिकारी के हाथों अश्वेत जार्ज फ्लायड की मौत के बाद 350 शहरों में दंगे भड़क उठे। इसके बाद कई दिन तक अमेरिकियों ने अपने पुलिस बल को जनसेवकों की बजाय एक हमलावर सेना के रूप में व्यवहार करते देखा।

पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 1 जून को प्रकाशित लेख में लिखा है कि लोगों ने पुलिस के तौर-तरीकों में सुधार की दस साल से चल रही प्रक्रिया के विफल होने पर हताशा जताई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भीड़ की हिंसा को चुनाव में भुनाना चाहेंगे। वे अपनेसमर्थकों को भड़का रहे हैं।

नागरिकों के पासहथियार होने से पुलिस का काम कठिन हो जाता है

अमेरिका में नागरिकों के पास बड़ी संख्या में गन और अन्य हथियार होने से पुलिस का काम कठिन हो जाता है। 2000 से 2014 के बीच ड्यूटी पर 2445 पुलिस अधिकारी मारे गए। हर साल पुलिस की गोली से लगभग एक हजार व्यक्ति मारे जाते हैं। पुलिस के हाथों मारे जाने वाले लोगों में श्वेतों की तुलना में तीन गुना अधिक अश्वेत अमेरिकी होते हैं।

युवा अश्वेतों की मौत का छठवां प्रमुख कारण पुलिस हिंसा है। अश्वेतों को सजा मिलने की संभावना भी अधिक रहती है। एक ही अपराध के लिए उन्हें श्वेतों के मुकाबले सजा भी ज्यादा मिलती है। जेलों में 33% कैदी अश्वेत हैं। सजायाफ्ता लोगों में वयस्कों की आबादी के 13% अश्वेत शामिल हैं।

नागरिकों की मौत के मामले में कम अधिकारियों को सजा मिलती है

कई लोग इस असमानता को अमेरिका के पुलिस सिस्टम में रंगभेद का सबूत मानते हैं। मिनियापोलिस जहां जार्ज फ्लायड को पुलिस अफसर ने गले पर घुटना रखकर मार डाला, वहां पुलिस की ट्रेनिंग युद्ध लड़ने के समान होती है। नागरिकों की मौत के मामले में बहुत कम अधिकारियों को परिणाम भुगतना पड़ते हैं।

ब्राउन यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्री निकोल गोंजालेज वान क्लीव और अमेरिकी सिविल लिबर्टी यूनियन के वकील सोमिल त्रिवेदी ने एक अध्ययन में कहा है कि प्रोसीक्यूटरों के लिए पुलिस मामले तैयार करती हैं। बदले में उनका रुख पुलिस के प्रति नरम रहता है। इस बार जिन कारणों से आग जल रही है, वे पहले भी थे। बड़ी संख्या में अश्वेत अमेरिकी अफ्रीकियों को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। अश्वेतों के लिए अलग नियम लागू होते हैं।

आपराधिक न्याय का समूचा सिस्टम रंगभेदी हैः एक्टिविस्ट

एक्टिविस्ट आरोप लगाते हैं कि आपराधिक न्याय का समूचा सिस्टम रंगभेदी है। पुलिस यूनियन अपने दोषी सदस्यों का समर्थन करती हैं। इधर, देश में कई शहरों की पुलिस ने अधिकारियों को टकराव टालने और बल प्रयोग करने पर उसके लिए जिम्मेदार ठहराने के कदम उठाए हैं। कुछ अन्य स्थानों में ऐसा नहीं हो सका है क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने परिवर्तन के दबाव को कम किया है।

अगर आज हो रहे विरोध प्रदर्शनों में दंगे चलते रहे जैसा कि 1968 में मार्टिन लूथर किंग की हत्या के बाद हुआ था तो अश्वेत बहुल जिलों में इससे नुकसान होगा। पहले ऐसा होते देख चुके अश्वेत नेता शहरों में प्रदर्शनकारियों को समझा रहे हैं कि वे अपने हितों को नुकसान ना पहुंचाएं। चुनावों में कई बार आदर्शवाद पर भय हावी हो जाता है।

डोनाल्ड ट्रम्प चाहते हैं कि नवंबर के राष्ट्रपति चुनाव में ऐसा ही हो। उन्होंने व्हाइट हाउस के बाहर विरोध कर रहे लोगों से टकराने के लिए अपने समर्थकों को उकसाया। उनके समर्थक विरोध स्थल को युद्ध का मैदान बताते हैं।

2020 और 1968 में कई समानताएं

2020 और 1968 के अमेिरका में कुछ समानताएं दिखाई पड़ रही हैं। एक लाख से अधिक अमेरिकी कोरोना वायरस से मर चुके हैं। एक अंतरिक्ष मिशन ने अमेरिकी प्रतिभा और चतुराई की झलक दिखाई है। नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव में वोटरों को कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर चुनाव लड़ने वाले रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रम्प और डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदें ना जगाने वाले प्रत्याशी के बीच चुनाव करना है।

1968 में फ्लू के वायरस ने अमेरिका में कहर ढाया था। चंद्रमा के लिए अपोलो 8 मिशन सफल रहा। लेकिन, अश्वेतों से अन्याय का विध्वंसकारी प्रभाव पड़ा था। 1968 में रिपब्लिकन रिचर्ड निक्सन ने ह्यूबर्ट हंफ्री को कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर चुनाव में हरा दिया था। यह मुद्दा फिर से काम कर सकता है।



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1968 में फ्लू के वायरस ने अमेरिका में कहर ढाया था। चंद्रमा के लिए अपोलो 8 मिशन सफल रहा। लेकिन, अश्वेतों से अन्याय का विध्वंसकारी प्रभाव पड़ा था।

800 मीटर का हिस्सा जमीन से कटकर समुद्र में समाया, कई घर डूबे June 05, 2020 at 02:13PM

नॉर्वे के आल्टा में भूस्खलन हुआ। इसमें किनारे बने कई घर समुद्र में समा गए। वाटर रिसोर्स एंड एनर्जी डायरेक्टोरेट इंजीनियर एंडर्स ब्जोर्डल ने बताया कि घटना बुधवार की है। शाम 4 बजे जमीन का एक हिस्सा कटकर सीधे समुद्र में चला गया। उसकी लंबाई 800 और ऊंचाई करीब 150 मीटर थी। इतने क्षेत्र में 8 बड़े मकान बने थे, जो दो मिनट में समुद्र में समा गए। हालांकि, घटना में कोई जनहानि नहीं हुई।

चंद मिनटों में बड़े मकान ढह गए।

साल-दो साल में कभी-कभी होती है ऐसी घटना
ब्जोर्डल ने बताया कि नॉर्वे में ऐसे भूस्खलन साल-दो साल में कभी-कभी होते हैं। मगर, आल्टा में कभी इतना बड़ा लैंडस्लाइड नहीं हुआ। यहां जंगल, पर्वतीय पठार और तटीय इलाके हैं।

घर गिरते ही समुद्र में समा गए।


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भूस्खलन के दौरान सेकंडों में घर गिर गए।

प्रदर्शनकारियों पर हमले को लेकर ट्रम्प पर मुकदमा, आरोप- उन्होंने लोगों के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया June 05, 2020 at 12:26AM

अमेरिकाकीकई सिविल राइट्स ग्रुप्स ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर मुकदमा दायर किया है। उनका कहना है कि वे व्हाइट हाउस के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले लोगों पर हमले के लिए जिम्मेदार हैं। ‘गार्जियन’ के मुताबिक, मुकदमेमें कहा गया है कि ट्रम्प और व्हाइट हाउस के अन्य अफसरों ने प्रदर्शनकारियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया है।

सीएनएन के मुताबिक, सोमवार को कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने व्हाइट हाउस के पास जमा हुए प्रदर्शनकारियों पर रबर बुलेट्स, स्मोक कनस्तर से हमले किए थे। उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि ट्रम्प के पास में स्थित चर्च जाने के लिए रास्ता खाली कराया जा सके। बाद में ट्रम्प को व्हाइट हाउस के पास स्थित सेंट जॉन एपिस्कोपल चर्च के बाहर एक बाइबिल हाथ में लिए हुए देखा भी गया था।

देशभर में हो रहे प्रदर्शन

यह मुकदमा अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन ऑफ डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया (एसीएलयू) और तीन अन्य समूहों ने किया है। उन्होंने ट्रम्प पर बिना किसी उकसावे के आपराधिक हमले का आरोप लगाया है। 25 मई को अश्वेत व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत होने के बाद देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं।

‘ट्रम्प नेसंवैधानिक मूल्यों की नींव को हिला दिया’

एसीएलयू के कानूनी निदेशक स्कॉट मिशेलमैन ने कहा कि राष्ट्रपति का वैचारिक असहमति के कारण प्रदर्शनकारियों पर किए गए आपराधिक हमले ने हमारे देश के संवैधानिक मूल्यों की नींव को हिला दिया है। अटॉर्नी जनरल विलियम बर ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को हटाने के फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा कि ऐसा करना अफसरों और संघीय संपत्ति की सुरक्षा के लिए जरूरी था।



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तस्वीर न्यूयॉर्क स्थित ट्रम्प इंटरनेशनल होटल के बाहर की है। यहां लोग मिनेपोलिस में पुलिस हिरासत में मारे गए अश्वेत व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।

Pakistan govt seeks explanation from aviation body on letter about PIA pilot's conduct prior to crash June 04, 2020 at 10:10PM

A peeved Pakistan government has sought an explanation from the country's aviation authority about its letter suggesting that the pilot of the PIA plane which crashed last month in Karachi did not follow the instructions of the air traffic controller for landing, saying such information should be first provided to the inquiry board.

जॉर्ज की हत्या का विरोध कर रहे 75 साल के बुजुर्ग का पुलिस के धक्के से सिर फटा, हालत गंभीर; तेज हुए विरोध प्रदर्शन June 04, 2020 at 10:03PM

जॉर्ज फ्लायड की मौत के बाद हो रहे प्रदर्शनों के बीच एक बार फिर पुलिस की बर्बरता सामने आई है। न्यूयॉर्क के बफैलो शहर में पुलिस ने एक 75 साल के बुजुर्ग को धक्का दे दिया। इस दौरान वह जमीन पर गिरा और सिर पर गंभीर चोट आई।इस मामले मेंदो पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। इस घटना के सामने आने के बाद फिर से कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन बढ़ गए हैं।

बुजुर्ग गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती

इस घटना का एक रिपोर्टर ने वीडियो बनाकर सोशल मिडिया पर डाला है। इसमें नजर आ रहा है कि प्रदर्शन के दौरान एक सफेद बालों वाला बुजुर्ग पुलिस की लाइन में कुछ कहने के लिए आता है। इस दौरान उस पर चीखते हुए एक पुलिसकर्मी अपने डंडे और दूसरा पुलिसकर्मीहाथ से धक्ता देता है। बुजुर्ग सिर के बल जमीन पर गिरता है और सिर फटने की आवाज सुनाई देती है। उसके सिर से खून बहने लगता है। बुजुर्ग श्वेत था, लेकिन अभी तक उसकी पहचान नहीं हो सकी है।इसके बाद बुजुर्ग को हॉस्पिटल ले जाया जाता है। पुलिस ने बाद में जानकारी दी कि बुजुर्ग की हालत गंभीर है। उसे इरी काउंटी मेडिकल सेंटर में भर्ती कराया गया है। बफैलो पुलिस कमिश्नर बायरन लॉकवुड ने जांच के आदेश दिए हैं और धक्का देने वाले दोनों पुलिस कर्मियोंको निलंबित कर दिया है।

मेयर ने कहा- बहुत परेशान हूं
बफैलो के मेयर बायरन ब्राउन ने कहा, ‘‘वीडियो देखकर मैं बहुत ज्यादा परेशान हूं। यहां कई दिनों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा है। मेरी पुलिस अधिकारियों और समुदाय के लोगों के साथ कई बैठके हो चुकी हैं। इसके बावजूद यह घटना होना निराशाजनक है।’’ यह वीडियो वायरल होने पर चारो ओर पुलिस की बर्बरता की निंदा हो रही है। इसके साथ ही कई शहरों फिर से प्रदर्शनकारी सड़कों पर आ गए हैं।

25 मई को फ्लॉयड को गिरफ्तार किया गया था
मिनेपोलिस में 25 मई को फ्लॉयड को पुलिस ने धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया था।पुलिस अफसर डेरेक चॉविन नेफ्लॉयड को सड़क पर दबोचा था और अपने घुटने से उसकी गर्दन को करीब आठ मिनट तक दबाए रखा था। फ्लॉयड के हाथों में हथकड़ी थी।इसमें 46 साल का जॉर्ज लगातार पुलिस अफसर से घुटना हटाने की गुहार लगाता रहा।

वीडियो में उसने कहा, 'आपका घुटना मेरे गर्दन पर है। मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं...।’’ धीरे-धीरे उसकी हरकत बंद हो जाती है। इसके बाद अफसर कहते हैं, ‘उठो और कार में बैठो’, तब उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आती। इस दौरान आस-पास काफी भीड़ जमा हुई। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।



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न्यूयॉर्क के बफैलो में बुजुर्ग को धक्का देने के बाद उठाने की कोशिश करते पुलिसकर्मी। इस घटना ने विरोध-प्रदर्शनों को और तेज कर दिया है।

जॉर्ज फ्लॉयड की मौत पर प्रदर्शन: जिनका स्टोर्स लूटा गया, वे कहते हैं- 11 साल यहां रहते हो गया, पहली बार ऐसी अराजकता देखी June 04, 2020 at 09:55PM

अंबरिश ठाकर मूल रूप से गुजरात केअमरेली जिले के राजुला के हैं। 2009 से वे शिकागो में निवास कर रहे हैं। शिकागो और आसपास के इलाकों में मोटेल, लिकर-ग्रोसरी और हेल्थ-वेलनेस स्टोर्स चलाते हैं। अमेरिका में फैली हिंसा के दौरान उनके स्टोर्स में भी लूट और तोड़फोड़ की गई। हिंसा के बारे में उन्होंने आपबीती बताई।

अंबरिश बताते हैं कि शिकागो के अलावा अन्य राज्यों में 28 मई को शुरू हुए दंगों को लेकर हम सभी चिंतित थे। हमारा मानना था कि उपनगरों में ऐसा नहीं हो सकता। इसलिए शनिवार को हमने बाजार खोला। हमें लगातार चेतावनी भी दी जाती रही। कोरोना की विपत्ति में फंसे और डरे-सहमे गुजरातियों या अन्य भारतीयों को मैं मुफ्त में अपने मोटल में रहने की अनुमति देता हूं।

सड़क पर उतर आई हिंसक भीड़
शनिवार दोपहर को उपनगरों में तनाव बढ़ गया, बड़ी संख्या में अश्वेतदंगाइयों की भीड़ सड़क पर उतर गई। किसी को न कानून की परवाह थी और न ही पुलिस की। हिंदी फिल्म एयरलिफ्ट जैसे दृश्य सड़क पर दिखाई दे रहे थे। स्थिति ऐसी थी कि हम दुकान बंद नहीं कर सकते थे। क्योंकि बंद करके दुकान के अंदर दुबक जाना और भी खतरनाकथा।

भीड़ में अश्वेत ही नहीं गोरे भी थे
हमें क्या करना चाहिए, अभी हम इस पर विचार कर ही रहे थे कि करीब 500 लोगों की भीड़ हमारे स्टोर्स के इलाके में घुसने लगी। भीड़ में बड़ी संख्या में अश्वेतों के साथ-साथ कुछ गोरे भी शामिल थे। इनकी आंखों में केवल लूटपाट ही नहीं, बल्कि बदला लेने का आक्रोश साफ दिखाई दे रहा था। उनका हिंसक व्यवहार भी हालात की सूचना दे रहा था।

दंगाई लूट की पूरी तैयारी से आए थे
ये दंगे पूरी योजना बनाकर किए गए। दंगाईहथौड़े, मेटल कटर, पाइप के अलावा ऑटोमैटथ्कगन लेकर खुले आम बेखौफ घूम रहे थे। मुझे अमेरिका में 11 साल हो गए, लेकिन ऐसी अराजकता और हिंसक स्थिति मैंने पहले कभी नहीं देखी। मेरे स्टोर के आसपास के स्टोर्स, शॉपिंग काम्पलेक्स में तोड़फोड़ शुरू हुई, तभी मैं समझ गया कि अब हमारी बारी है। यदि हम इसका विरोध करते, तो हालात और भी बुरे हो जाते। पुलिस नहीं आ रही थी, तब हम अपनी बारी का इंतजार करते हुए अपने स्टोर्स में ही बैठे रहे।

हमारे स्टोर्स में की गई लूटपाट-तोड़फोड़
आखिर हमारी बारी आ ही गई। बड़ी संख्या में उपद्रवियों ने हमारे स्टोर्स में प्रवेश किया, अंदर आते ही हथौड़े से जहां पाए, वहां प्रहार करने लगे। कांच तोड़ दिया, शो-केस का सामान फर्श पर गिरा दिया। फर्नीचर तोड़ डाला। यहां तक की हथौड़े मारकर दीवार को भी नुकसान पहुंचाया। बाद में तिजोरी में रखा कैश लूट लिया।

आंखों के सामने होती रही लूटपाट
मेरे दोस्त नयन पटेल के स्टोर के भी यही हाल थे। उसके स्टोर पर 2000 लोगों ने धावा बोला। उसकी आंखों के सामने ही 3-4 घंटे तक बिना किसी डर के लूटपाट की। स्टोर पूरी तहस-नहस कर दी। एक भी चीज ऐसी नहीं बची, जिसका इस्तेमाल किया जा सके। लुटेरों ने उन्हें दुकान दोबारा खोलने पर जान से मारने की धमकी दी। हम लोगों ने डर के कारण अपने स्टोर्स अभी तक नहीं खोले हैं।

पुलिस का अतापता नहीं
आमतौर पर पुलिस की आपातकालीन सेवा 911 को बेहद भरोसेमंद माना जाता है, लेकिन इन दंगों में वह बिलकुल नाकाम साबित हुई है। 911 पर कई शिकायतें करने के बावजूद पुलिस शायद ही किसी जगह समय पर पहुंची हो। यह भी कहा जाता है कि लोगों की आक्रामकता को कम करने के लिए पुलिस ने जानबूझकर इसे नजरअंदाज किया है।

न जाने हालात कब सुधरेंगे
डर का माहौल बना हुआ है। स्टोर्स की सुरक्षा के लिए हमने काफी कुछ किया है, लेकिन हमें मालूम है, जब तक पुलिस सक्रिय नहीं होती, तब तक कुछ भी सुरक्षित नहीं है। कोरोना संकट के कारण लोग दो महीने से घरों में कैद हैं। साढ़े 3 करोड़ लोग बेरोजगार हैं। ऐसे में असामाजिक तत्वों को खुला मैदान मिल गया है। हम केवल अच्छे दिनों की राह ही देख सकते हैं कि सरकार कुछ करे, ताकि हालात पर काबू पाया जा सके और हम अपना कारोबार फिर से शुरू कर सकें।



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यह तस्वीर शिकागो की दुकानों में शनिवार को की गई तोड़फोड़ की है। अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के विरोध में अमेरिका के कई शहरों में प्रदर्शन और दंगे हो रहे हैं। आरोप है कि पुलिस ने फ्लॉयड को हिरासत में लेकर उसकी गर्दन पर पैर रख दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी।

Trump agency inches closer to issue of time-bound student visas June 04, 2020 at 09:20PM

2 school teachers killed in bomb blast in Pakistan June 04, 2020 at 09:55PM

Two school teachers have been killed in a roadside bomb blast in Pakistan's restive northwestern province bordering Afghanistan, an official said on Friday.

जॉर्ज फ्लॉयड का अंतिम संस्कार, 10 वें दिन भी इस अश्वेत को इंसाफ दिलाने के लिए देश में विरोध प्रदर्शन जारी June 04, 2020 at 09:18PM

अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस के हाथों हत्या के 10वें दिन अमेरिका में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। हालांकि, अब ये शांतिपूर्ण हैं। गुरुवार को फ्लॉयड का अंतिम संस्कार हुआ। इस दौरान हजारों लोग मौजूद रहे। जॉर्ज की पत्नी रॉक्सी और 6 साल की बेटी गियाना भी अंतिम संस्कार में शामिल हुईं। पुलिस अब बहुत जरूरी होने पर ही सख्ती दिखा रही है। ज्यादातर जगहों पर उसने सब्र और गुजारिश से काम लिया, ताकि हिंसा न भड़के। यहां विरोध प्रदर्शन की तस्वीरें....

जॉर्ज की मौत के बाद अमेरिका में अब भी विरोध प्रदर्शन जारी हैं। न्यूयॉर्क में गुरुवार सुबह से देर रात तक प्रदर्शन जारी रहे। इस दौरान जब पुलिस ने सख्ती दिखाई तो कुछ प्रदर्शनकारी गाड़ियों के सामने खड़े हो गए। हालांकि, किसी तरह की हिंसा नहीं हुई।
जॉर्ज की मौत के बाद करीब एक हफ्ते तक विरोध प्रदर्शनों में हिंसा भी हुई। लेकिन, अब पूरी तरह शांतिपूर्ण विरोध हो रहा है। यह तस्वीर इसकी गवाह है। लास एंजिल्स के पुलिस चीफ खुद प्रदर्शनकारियों से मिलने पहुंचे। उन्होंने जॉर्ज के साथ हुई भयावह घटना और उसकी मौत पर माफी भी मांगी।
तस्वीर डेट्रॉयट की है। यहां गुरुवार सुबह से शाम या कहें रात तक रैलियां निकाली गईं। जॉर्ज को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उसके लिए इंसाफ की आवाज बुलंद हुई।
मिशिगन में जॉर्ज को इंसाफ दिलाने की मांग की यह तस्वीर वहां के एक पार्क की है। यहां सुबह से शाम तक लोग जमे रहते हैं।
विरोध का एक रास्ता कला के जरिए भी होकर जाता है। यह तस्वीर डेट्रॉयट की है। यहां कुछ कलाकारों ने दीवारों पर ग्रेफिटी और संदेश के जरिए फ्लॉयड की हत्या की निंदा की और उनके लिए इंसाफ मांगा।
दमन और बर्बरता के जरिए हक और हुकूक की आवाजें ज्यादा देर नहीं दबाई जा सकतीं। तस्वीर मिशिगन की है। एक लड़की इस बैनर के जरिए अमेरिकी सरकार तक यही आवाज पहुंचाना चाहती है कि अश्वेतों के अधिकार और उनकी जड़ों को रोका नहीं जा सकता।
तस्वीर मैनहटन की है। यह महिला यहां के सवबे स्टेशन ब्रिज से विरोध प्रदर्शन स्थल की तरफ जा रही है। यहां कुछ फैक्ट्रियों के कर्मचारी छुट्टी लेकर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
जॉर्ज का अंतिम संस्कार हो चुका है। अब उसे इंसाफ दिलाने की मुहिम पहले से तेज हो चुकी है। मामले की जांच के लिए टास्क फोर्स बनाई जा चुकी है। लोगों की मांग है कि मुख्य आरोपी पुलिस अफसर डेरेक चौविन को किसी भी हाल में जमानत नहीं मिलनी चाहिए।
मिनेसोटा के मिनेपोलिस की यह तस्वीर फिर भावुक करती है। जॉर्ज फ्लॉयड की पत्नी रॉक्सी वॉशिंगटन और 6 साल की बेटी गियाना अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने पहुंचीं। इस दौरान मीडिया कैमरे उन्हें अपनी आंखों में कैद करते रहे। गियाना चुपचाप मां का हाथ थामे इस मंजर को देखती रही।
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मिनेपोलिस में जॉर्ज के अंतिम संस्कार में हजारों लोग शामिल हुए। ज्यादातर लोग हाथ में बुके लेकर आए और फ्लॉयड को अंतिम विदाई दी।
तस्वीर न्यूयॉर्क सिटी की है। यहां जॉर्ज फ्लॉयड के लिए इंसाफ की मांग फिर बुलंद की गई। शहर के अलग-अलग हिस्सों में हुए विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने वालों में छात्रों की संख्या ज्यादा थी। इनमें श्वेत और अश्वेत दोनों शामिल थे।
अमेरिका की कुल आबादी में अश्वेतों की संख्या करीब 13 फीसदी है। गुरुवार को जब जॉर्ज का अंतिम संस्कार हुआ तो अश्वेतों ने प्लेकार्ड्स और बैनर लेकर नारेबाजी की। इस दौरान एक अश्वेत का यह आक्रामक अंदाज दिखा।
मिनेपोलिस की यह तस्वीर जॉर्ज फ्लॉयड मेमोरियल सर्विस की है। इस दौरान दुखी लोग सड़कों पर बैठ गए। कुछ के तो आंसू ही नहीं थम रहे थे।
न्यूयॉर्क के न्यू रोशेल में गुरुवार को एक रैली निकाली गई। इसमें जॉर्ज को न्याय दिलाने और आरोपी पुलिस अफसरों को सख्त सजा दिलाने की मांग की गई।
मिनेपोलिस में जॉर्ज के अंतिम संस्कार के पहले एक शोकसभा हुई। इस दौरान कुछ देर के लिए मौन रखा गया। यहां मौजूद लोगों ने जॉर्ज के परिवार को हर्जाने की मांग भी की। हालांकि, जॉर्ज की पत्नी रॉक्सी पहले ही सरकार की तरफ से ऑफर की गई मदद को ठुकरा चुकी हैं।
मिनेसोटा के मिनेपोलिस में जब जॉर्ज का अंतिम संस्कार किया गया तो हजारों लोग मौजूद थे। शोकसभा में भी भारी भीड़ जुटी। मौजूद लोगों में कुछ स्कूल छात्र भी थे।
यह नाइंसाफी के खिलाफ मुहिम है। इसको मंजिल तक पहुंचाना है। जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद जो नारे लगाए जा रहे हैं, उनमें से कुछ का अर्थ यही है। यह तस्वीर ब्रिटेन के बर्मिंघम की है। यहां भी जॉर्ज के लिए इंसाफ मांगा गया। एक बैनर पर लिखा था- हमारी जिंदगी के अंत की शुरुआत उसी दिन हो जाएगी जिस दिन हम जरूरी बातों या अधिकारों को लेकर चुप्पी साध लेंगे।


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यह नाइंसाफी के खिलाफ मुहिम है। इसको मंजिल तक पहुंचाना है। जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद जो नारे लगाए जा रहे हैं, उनमें से कुछ का अर्थ यही है। यह तस्वीर ब्रिटेन के बर्मिंघम की है। यहां भी जॉर्ज के लिए इंसाफ मांगा गया। एक बैनर पर लिखा था- हमारी जिंदगी के अंत की शुरुआत उसी दिन हो जाएगी जिस दिन हम जरूरी बातों या अधिकारों को लेकर चुप्पी साध लेंगे।