Friday, September 18, 2020

प्रेसिडेंट ट्रम्प के लिए अमेरिका का मतलब रिपब्लिकन और डेमोक्रेट राज्य हैं; कोरोना से हुई मौतों को वे राज्यों के आधार पर देखते हैं September 18, 2020 at 06:38PM

अमेरिका में कोरोनावायरस से मरने वालों का आंकड़ा दो लाख से ज्यादा हो चुका है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इस आंकड़े को अमेरिकी आंकड़े के तौर पर नहीं देख रहे। वे इन्हें ब्लू एंड रेड स्टेट्स के आंकड़ों में बांटकर देख रहे हैं। ब्लू स्टेट्स उन राज्यों को कहा जाता है, जहां डेमोक्रेट्स प्रभावी माने जाते हैं। रेड स्टेट्स यानी वे राज्य जहां रिपब्लिकन पार्टी का दबदबा है।

क्या कहते हैं ट्रम्प
इसी हफ्ते ट्रम्प ने कहा- अगर आप ब्लू स्टेट्स को निकाल दें तो दुनिया में कोई ये नहीं कह सकता कि हालात बेहद खराब हैं। रेड स्टेट्स में मौतों का आंकड़ा काफी कम है। इस बयान का क्या मतलब निकाला जाए। क्या ये कि ट्रम्प सिर्फ रेड स्टेट्स के राष्ट्रपति हैं, पूरे अमेरिका के नहीं। वैसे कोरोना ही क्यों। इमीग्रेशन, अपराध, हिंसा और कुछ दूसरे मुद्दों पर भी राष्ट्रपति का यही नजरिया सामने आता रहा है। वे देश को बांटने वाली बातें करते हैं।

चीजों को देखने का तरीका सही नहीं
ट्रम्प फिर राष्ट्रपति बनने की रेस में हैं। और अब भी देश को बंटवारे के चश्मे से देख रहे हैं। कई बार वे डेमोक्रेट सिटीज और ब्लू स्टेट्स की खराब हालत का जिक्र करते हैं। उनका फेडरल रोकने की धमकी देते हैं। उनका ज्यादातर फोकस रेड स्टेट्स पर रहता है। ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान होमलैंड सिक्योरिटी में काम कर चुके पूर्व अफसर डेविड लपान कहते हैं- ट्रम्प की राजनीति लोकप्रियता हासिल करने के इर्दगिर्द घूमती है।

बुश से सीखना चाहिए
ट्रम्प को पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश से यह सीख लेनी चाहिए। 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकी हमले के बाद बुश ने डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनियर सीनेटर्स को बातचीत के लिए बुलाया था। इनमें हिलेरी क्लिंटन और चक शूमर शामिल थे। ओवल ऑफिस में बातचीत हुई थी। राष्ट्रीय आपदा के मामलों में आपसी सहमति बनाने की कोशिश होनी ही चाहिए। 2012 में जब सैंडी तूफान से तबाही हुई तो बराक ओबामा प्रचार छोड़कर न्यूजर्सी पहुंचे। वहां रिपब्लिकन पार्टी की सरकार थी और गवर्नर थे क्रिस क्रिस्टी। ओबामा ने उन्हें पूरी मदद का भरोसा दिलाया था।

सिर्फ बंटवारे में भरोसा
आधुनिक अमेरिकी इतिहास को देखा जाए तो ट्रम्प शायद सबसे ज्यादा बंटवारे में भरोसा करने वाले राष्ट्रपति हैं। कई महीनों से वे महामारी को लेकर डेमोक्रेटिक पार्टी के शासन वाले राज्यों और वहां के गवर्नर्स पर आरोप लगा रहे हैं। बुधवार को कहा कि ब्लू स्टेट्स में ज्यादा मौतें हो रही हैं। गुरुवार को विस्कॉन्सिन में चुनावी रैली के दौरान भी यही राग अलापा। पेन्सिलवेनिया के पूर्व गवर्नर टॉम रिज के मुताबिक- ऐसे राष्ट्रपति पर भरोसा नहीं किया जा सकता। रिज रिपब्लिकन पार्टी के ही सदस्य हैं। वे आगे कहते हैं- हम महामारी के मध्य में इस तरह की बातें कैसे कर सकते हैं। यह तो देश को सियासी तौर पर बांटने जैसा है।

ये कैसे राष्ट्रपति हैं
शूमर सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी के लीडर हैं। उन्होंने कहा- राष्ट्रपति खुद को बेहतर बताने के लिए किस तरह के नंबर दिखा रहे हैं। ये कैसे राष्ट्रपति हैं? महमारी से इस देश में मरने वाला हर व्यक्ति सिर्फ अमेरिकी है। इसका उन्हें कोई अफसोस नहीं। ताज्जुब होता है कि हमारे पास कैसा राष्ट्रपति है। वहीं, व्हाइट हाउस की प्रवक्ता साराह मैथ्यूज कहती हैं- राष्ट्रपति की नीतियों से हर अमेरिकी का विकास हुआ है। लेकिन, इसमें भी कोई दो राय नहीं कि डेमोक्रेट पार्टी की सरकारों वाले कुछ राज्यों में आर्थिक विकास नहीं हुआ। वे सुरक्षा नहीं दे पाए और वायरस से निपटने में भी नाकाम रहे।

ट्रम्प का समर्थन भी
व्हाइट हाउस के पूर्व सेक्रेटरी एरी फ्लेशर के मुताबिक, ट्रम्प के बयान की कुछ ज्यादा ही आलोचना की जाती है। हालांकि, वे जब ये कहते हैं कि दंगों को रोकने में डेमोक्रेटिक मेयर्स ने सही काम नहीं किया तो वे सही होते हैं। ट्रम्प जब सत्ता में आए थे तब उन्होंने कहा था- मैं हर अमेरिकी का राष्ट्रपति हूं। और यही मेरे लिए सबसे अहम है। लेकिन, सत्ता संभालते ही हालात बदल गए। डेमोक्रेट पार्टी के शासन वाले राज्यों, गवर्नर्स और मेयर्स को गलत ठहराया जाने लगा। कैलिफोर्निया इसका उदाहरण है।

2017 में न्यूयॉर्क के गवर्नर एंड्रू कूमो ने ट्रम्प के आर्थिक फैसलों में भेदभाव को लेकर आर्थिक गृहयुद्ध शब्द का इस्तेमाल किया था। टैक्स चेंज पॉलिसी का सबसे ज्यादा असर न्यूयॉर्क और फ्लोरिडा पर ही पड़ा था।

तो क्या यही सच्चाई है
2012 में मिट रोमनी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे। स्टुअर्ट स्टीवन उनके स्ट्रैटेजिस्ट थे। स्टुअर्ट कहते हैं- सच्चाई तो ये है कि ट्रम्प खुद को अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर देखते ही नहीं हैं। वो तो एक गैंग लीडर की तरह हैं। या तो आप उनके साथी हो सकते हैं या फिर उनके दुश्मन। हफ्ते में चार दिन ट्रम्प उन राज्यों या शहरों में जा रहे हैं जिनमें उन्हें 2016 में भरपूर समर्थन मिला था। ये भी मत भूलिए कि कैलिफोर्निया के जंगलों में लगी आग पर वे कई हफ्ते तक कुछ नहीं बोले। ये आग ओरेगन और वॉशिंगटन तक पहुंची। जब आलोचना ज्यादा होने लगी तो करीब दो घंटे के लिए कैलिफोर्निया गए।



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Donald Trump | US Presidential Election 2020 News Update; For Donald Trump, America means Republican and Democrat states

पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने 1781 करोड़ रुपए टैक्स दिया; यह इमरान की पूरी कैबिनेट द्वारा चुकाए गए टैक्स से दोगुना September 18, 2020 at 06:34PM

पाकिस्तान की संसद में पेश एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने दो साल पहले यानी 2018 में सबसे ज्यादा टैक्स अदा किया। भारतीय मुद्रा के हिसाब से शाहिद ने कुल 1782 करोड़ रुपए (242 लाख पाकिस्तानी रुपए) व्यक्तिगत टैक्स जमा किया। यह प्रधानमंत्री इमरान खान की कैबिनेट सदस्यों द्वारा भरे गए कुल टैक्स के दोगुने से भी ज्यादा है। जानकारी समा न्यूज की रिपोर्ट में दी गई है।

संसद में टैक्स डायरेक्ट्री पेश
पाकिस्तानी संसद में शुक्रवार को टैक्स डायरेक्ट्री (2018) पेश की गई। इसमें देश के नामचीन लोगों द्वारा चुकाए गए टैक्स की जानकारी भी नाम के साथ दी गई है। इमरान की कैबिनेट में कुल 25 सदस्य हैं। इन सभी का टैक्स जोड़ लें तो यह 111.8 लाख पाकिस्तानी रुपए होता है। खुद इमरान ने 2 लाख 82 हजार 449 पाकिस्तानी रुपए टैक्स अदा किया। डिफेंस प्रोडक्शन मिनिस्टर जुबैदा जलाल ने अपनी इन्कम टैक्स डिटेल्स नहीं दीं।

160 सांसदों ने टैक्स ही नहीं भरा
डायरेक्ट्री के मुताबिक, 2018 में पाकिस्तान के कुल 160 सांसदों ने टैक्स ही नहीं भरा। रिपोर्ट में इसे ‘जीरो टैक्स पेयर्स’ कहा गया है। 2018 से 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में कुल 7 लाख टैक्स पेयर्स हैं। यह जानकारी फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू यानी एफबीआर की रिपोर्ट में दी गई थी।



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पाकिस्तान की संसद में पेश एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने 2018 में सबसे ज्यादा टैक्स अदा किया। इंडियन करंसी के हिसाब से शाहिद ने कुल 1781 करोड़ रुपए टैक्स जमा किया। इमरान खान की पूरी कैबिनेट मिलकर भी यह टैक्स अदा नहीं कर सकी। (फाइल- शाहिद खकान अब्बासी)

चीन के 18 फाइटर जेट्स ने ताइवान की सीमा में उड़ान भरी, चीन ने कहा- अमेरिका और ताइवान आग से न खेलें September 18, 2020 at 05:56PM

चीन के 18 फाइटर जेट्स शुक्रवार शाम ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसे। इन फाइटर जेट्स ने कुछ मिनट तक यहां उड़ान भरी और बाद में लौट गए। बाद में चीन ने कहा- यह हमारी तरफ से अमेरिका और ताइवान को वॉर्निंग है। खास बात ये है कि जिस वक्त यह फाइटर जेट्स ताइवान के आकाश में उड़ान भर रहे थे, तब अमेरिका के अंडर सेक्रेटरी कीथ क्रेच ताइवान की राजधानी ताइपेई में एक प्रोग्राम में मौजूद थे।

आग से खेलेंगे तो जल जाएंगे
चीन के फाइटर जेट्स जब ताइवानी सीमा से लौटे तो उसके कुछ देर बाद चीन के रक्षा मंत्रालय के एक सीनियर अफसर का बयान आया। कर्नल रेन गुओकियांग ने कहा- जो लोग आग से खेलने की कोशिश कर रहे हैं, वे जल जाएंगे। वहां के एक सरकारी थिंक टैंक ने कहा- हमारी तरफ से यह अमेरिका और ताइवान दोनों को वॉर्निंग है।

अमेरिका ने जवाब नहीं दिया
दो महीने में यह दूसरा मौका है जब डोनाल्ड ट्रम्प ने किसी सेक्रेटरी लेवल के अफसर को ताइवान भेजा है। 1979 के बाद से अमेरिका का कोई बड़ा अफसर ताइवान नहीं जाता था। हालांकि, दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्ते हैं। चीन की इस हरकत पर अमेरिका ने अभी जवाब नहीं दिया।

गुरुवार को अमेरिका के अंडर सेक्रेटरी कीथ क्रेच ताइवान की राजधानी ताइपेई पहुंचे। चीन ने अमेरिका को आगाह किया है कि वो ताइवान से डिप्लोमैटिक और मिलिट्री रिलेशन न बढ़ाए। अमेरिका ने उसकी चेतावनी नजरअंदाज कर दी है। अमेरिका और ताइवान जल्द ही अरबों डॉलर की डिफेंस डील करने वाले हैं।

चीन की यह बड़ी हिमाकत
महामारी शुरू होने के बाद ताइवान की खाड़ी और दक्षिण चीन सागर में शी जिनपिंग सरकार छोटे देशों पर दबाव बढ़ा रही है। चीनी सरकार ताइवान को अपना हिस्सा मानती है। जबकि, ताइवान एक स्वतंत्र देश है। अमेरिका खुलकर ताइवान के साथ खड़ा हो गया है। दोनों देशों के बीच अरबों डॉलर की डिफेंस डील भी होने वाली है। कुछ महीनों में चीन ने ताइवान की हवाई और समुद्री सीमा का कई बार उल्लंघन किया है। लेकिन, पहली बार इतनी बड़ी संख्या में उसके फाइटर जेट्स ताइवान की सीमा में घुसे हैं।

ताइवान ने जवाबी तैयारी कर ली थी
जिस दौरान चीनी फाइटर जेट्स ताइवान के आकाश में पहुंचे, उसी वक्त ताइवान ने अपने एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को एक्टिव और हाई अलर्ट पर रखा। हालांकि, ताइवान की तरफ से जवाबी कार्रवाई का शक होने पर चीन के एयरक्राफ्ट्स फौरन लौट गए। बुधवार को भी चीन के दो फाइटर जेट्स ताइवान की हवाई सीमा में घुसपैठ कर चुके थे।



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यह फोटो शुक्रवार की है और ताइवान की डिफेंस मिनिस्ट्री ने जारी की है। इसमें चीन का एक फाइटर जेट ताइवान के एयर स्पेस में उड़ान भरता नजर आ रहा है। चीन के 18 फाइटर जेट्स ने शुक्रवार को ताइवान की वायुसीमा में उड़ान भरी।

बिलावल भुट्टो की रैली में वर्चुअली हिस्सा लेंगे नवाज शरीफ, कल होने वाली कॉन्फ्रेंस में इमरान से इस्तीफे की मांग होगी September 18, 2020 at 05:01PM

पाकिस्तान में विपक्षी नेता कल यानी रविवार को ऑल पार्टी कॉन्फ्रेंस (एपीसी) करने जा रहे हैं। खास बात ये है कि इसमें पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल होंगे। नवाज तीन महीने से लंदन में इलाज करा रहे हैं। पाकिस्तान की एक कोर्ट ने उन्हें देश वापस लाने के लिए अरेस्ट वॉरन्ट जारी किया है। आर्थिक और घरेलू मुद्दों पर घिरी इमरान खान सरकार की इस कॉन्फ्रेंस मुश्किलें बढ़ सकती हैं। विपक्ष इस रैली में प्रधानमंत्री इमरान से इस्तीफे की मांग करेगा।

बिलावल की पहल रंग लाई
इमरान सरकार विपक्ष के हर बड़े नेता के खिलाफ कोई न कोई मामला दर्ज कर चुकी है। ज्यादातर मामले भ्रष्टाचार से जुड़े हैं। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी मई से ही सभी नेताओं को एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कई बार नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज से मुलाकात की है। एक और विपक्षी नेता मौलाना फजल-उर-रहमान भी बिलावल और नवाज के साथ हैं।

नवाज भी संबोधित करेंगे
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो नवाज शरीफ इस रैली को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लंदन से संबोधित करेंगे। बिलावल ने शुक्रवार को नवाज से फोन पर बातचीत की। इसके बाद वे मरियम से भी मिलने पहुंचे। मौलाना रहमान से भी उनकी मुलाकात की खबर है। यह कॉन्फ्रेंस रविवार को होगी। बिलावल ने ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी। इसके बाद मरियम ने बिलावल को पिता की सेहत के लिए फिक्रमंद होने और इसकी जानकारी लेने के लिए शुक्रिया अदा किया।

इमरान इस्तीफा दें, नए चुनाव हों
कल होने वाली कॉन्फ्रेंस का एजेंडा तय है। सरकार से इस्तीफे की मांग होगी। साथ ही नए चुनाव कराने की मांग भी की जाएगी। बिलावल का रुख इमरान को लेकर बेहद सख्त है। वे इमरान को हमेशा ‘इलेक्टेड नहीं, सिलेक्टेड प्राइम मिनिस्टर’ कहते हैं। यह सीधा आर्मी पर तंज है। दरअसल, पाकिस्तान और दुनिया का मीडिया कई बार यह साफ कर चुका है कि इमरान को चुनाव जिताने में फौज का अहम रोल है और इसके लिए बड़े पैमाने पर धांधली की गई।

सरकार के साथ नहीं विपक्ष
अक्टूबर में फाइनेंशियल टास्क फोर्स की मीटिंग होनी है। इसमें यह तय होगा कि पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर आएगा या फिर उसे ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। इमरान सरकार दुनिया की आंखों में धूल झोंकने के लिए इसी हफ्ते तीन बिल लाई। ये पास तो हो गए लेकिन विपक्ष ने साथ नहीं दिया। इनके जरिए टेरर फाइनेंसिंग पर रोक लगाने का वादा किया गया है। लेकिन, ये पहली बार नहीं है। पिछले साल भी पाकिस्तान ने ऐसे ही दो बिल पास किए थे। इनसे एफएटीएफ संतुष्ट नहीं था।



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फोटो मई की है। तब इमरान सरकार के खिलाफ विपक्षी नेताओं की एक मीटिंग बिलावल भुट्टो के घर हुई थी। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी और नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज भी शामिल हुईं थीं।

US sends troops, armoured vehicles to Syria to counter Russia September 18, 2020 at 04:36PM

Navy Captain. Bill Urban, spokesman for US Central Command, said the US has also sent in radar systems and increased fighter jet patrols over the region to better protect American and coalition forces. "The United States does not seek conflict with any other nation in Syria, but will defend Coalition forces if necessary," said Urban.

फ्रांस में हालात बिगड़े- एक दिन में 13 हजार से ज्यादा मामले सामने आए; दुनिया में अब तक 3.06 करोड़ संक्रमित September 18, 2020 at 03:47PM

दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा 3.06 करोड़ से ज्यादा हो गया है। इसी दौर में एक अच्छी खबर ये है कि ठीक होने वालों की संख्या भी अब 2 करोड़ 23 लाख से ज्यादा हो चुकी है। महामारी में मरने वालों की संख्या 9 लाख 55 हजार से ज्यादा हो गई है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अब बात कर लेते हैं दुनिया में इस वायरस से जुड़ी कुछ अहम खबरों की। फ्रांस में संक्रमण की दूसरी लहर बहुत तेजी से फैली है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने माना है कि देश में संक्रमण की दूसरी लहर सामने आ चुकी है।

फ्रांस: संक्रमण की दूसरी लहर
फ्रांस सरकार के सामने नई परेशानी खड़ी हो गई है। अगस्त में देश के ज्यादातर हिस्सों में संक्रमण पर काबू पाने के बाद फ्रांस में इसकी दूसरी लहर देखने मिल रही है। हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। शुक्रवार को हेल्थ मिनिस्ट्री ने बयान जारी कर बताया कि देश में एक दिन में 13 हजार 215 नए मामले सामने आए हैं। इससे भी ज्यादा फिक्र की बात यह है कि मरने वालों का आंकड़ा भी 154 बढ़ गया। अब यह 31 हजार 249 हो गया है। तीन महीने बाद एक दिन में इतने लोगों की मौत कोरोना के चलते हुई।

ब्रिटेन : पीएम का बयान
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने माना है कि देश में संक्रमण की दूसरी लहर सामने आ चुकी है। इतना ही नहीं विरोधियों को जवाब देते हुए पीएम ने साफ कर दिया कि सरकार बिना किसी दबाव में आए सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क को लेकर सख्त नियम लागू करेगी। जॉनसन ने कहा- हालात बिगड़ने से रोकने के लिए हमें सख्त कदम उठाने ही होंगे। शुक्रवार को देश में कुल 4332 नए मामले सामने आए। हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा- इसमें कोई शक नहीं है कि संक्रमण की दूसरी लहर सामने आ चुकी है। जो फ्रांस और स्पेन में हो रहा है, वही ब्रिटेन में भी हो रहा है।

फोटो लंदन के एक बाजार में टहलते लोगों की है। यहां प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने माना है कि देश में संक्रमण की दूसरी लहर सामने आ चुकी है। (फाइल)

अमेरिका : ट्रम्प का नया वादा
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावी सियासत और महामारी को अलग नहीं कर पा रहे हैं और अब उनका नया बयान सामने आया है। ट्रम्प ने कहा कि कोरोनावायरस का वैक्सीन अगले साल अप्रैल तक हर अमेरिकी तक पहुंच जाएगा। बता दें कि उनके पूर्व सलाहकार राष्ट्रपति को बार-बार सलाह दे रहे हैं कि वे वैक्सीन को लेकर कोई वादा नहीं करें। क्योंकि, वैक्सीन के लिए अमेरिका में अप्रूवल की प्रॉसेस बाकी देशों की तुलना में काफी सख्त और यही वजह है कि इसके लिए फिलहाल कोई डेट लाइन तय नहीं की जा सकती।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि कोरोनावायरस का वैक्सीन अगले साल अप्रैल तक हर अमेरिकी तक पहुंच जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति के सलाहकार उनके इस दावे से सहमत नहीं हैं। (फाइल)

ऑस्ट्रेलिया : ट्रैवल बैन में राहत
ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने राज्य सरकारों से मिलकर फैसला किया है कि ट्रैवल बैन पर कुछ राहत जल्द दी जानी चाहिए और इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी गई है। न्यू साउथवेल्स, क्वीसलैंड और वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में यह तय हो गया है कि आने वाले कुछ दिनों में प्रतिबंध हल्के किए जाएंगे। हालांकि, देश आने वाले लोगों को होटलों में क्वारैंटाइन रहना होगा। करीब 4 से 6 हजार ऑस्ट्रेलियाई हर हफ्ते ऑस्ट्रेलिया लौट रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक, इस वक्त करीब 60 हजार ऑस्ट्रेलियाई दूसरे देशों में फंसे हुए हैं।

ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न के एक हॉस्पिटल में मरीज को शिफ्ट करने की तैयारी में स्टाफ। सरकार ने यहां ट्रैवल बैन में कुछ राहत देने का ऐलान किया है। (फाइल)

फिलीपींस में राष्ट्रीय आपातकाल बढ़ा
फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुर्तेते ने महामारी को देखते हुए देश में राष्ट्रीय आपात का समय बढ़ा दिया है। यह इस साल 13 सितंबर से शुरू होकर अगले साल 12 सितंबर तक जारी रहेगा।हालांकि, अफसरों के मुताबिक, अगर महामारी की स्थिति में सुधार होता है तो इसका समय कम किया जा सकता है।



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पेरिस के एक हॉस्पिटल में शुक्रवार को आईसीयू के गेट से बाहर देखती नर्स। फ्रांस में संक्रमण की दूसरी लहर साफ तौर पर सामने आ चुकी है। शुक्रवार को यहां 13 हजार से ज्यादा नए संक्रमित मिले।

यूएनजीए के 75वें सेशन से पहले भारत को बदनाम करने के लिए पाकिस्तान ने ऑनलाइन कैंपेन शुरू किया, कश्मीर पर झूठी बातें फैलाने की कोशिश करेगा September 18, 2020 at 08:57AM

संयुक्त राष्ट्र महासभा ( यूएनजीए) के 75वें सेशन से पहले एक बार फिर पाकिस्तान की भारत विरोधी हरकतें तेज हो गई है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान ने शनिवार से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भारत के खिलाफ प्रोपगेंडा शुरू करेगा। पूरी दुनिया में कश्मीर से जुड़ी झूठी बातों को फैलाने के लिए ट्विटर पर हैश टैग चलाने का फैसला किया है। इसके जरिए आधारहीन और मनगढ़ंत तथ्यों की मदद से भारत सरकार की आलोचना की जाएगी।

भारत के खिलाफ यह ऑनलाइन कैंपेन पाकिस्तानी आर्मी और उसकी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (आईएसआई) चलाएगी। ट्विटर के जरिए पाकिस्तान ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, सऊदी अरब, कतर और मलेशिया जैसे देशों में रहने वाले लोगों के साथ जुड़ेगा। इसका शेड्यूल भी जारी किया गया है।

15 सितंबर से शुरू हुआ है यूनजीए सेशन

यूएनजीए का 75वां सेशन इस साल महामारी को देखते हुए ऑनलाइन हो रहा है। इसकी शुरुआत 15 सितंबर से शुरू हुई है। दुनियाभर के नेता इसमें अपना भाषण रिकॉर्ड करके भेजेंगे। इसे 22 सितंबर के बाद वहां सुनाया जाएगा।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण 24 सितंबर को होगा। इसके एक दिन बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का भाषण होगा। पाकिस्तान पहले भी कई मौके पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाने की कोशिश कर चुका है।

पिछले सेशन में चार देशों ने कश्मीर मुद्दा उठाया था

यूएनजीए के पिछले सेशन में चार देशों ने कश्मीर मुद्दा उठाया था। इनमें पाकिस्तान, चीन, मलेशिया और तुर्की शामिल है। इन देशों ने कश्मीर में मानवाधिकार का उल्लंघन होने की बात कही थी। हालांकि, यूनजीए के कई सदस्य देशों ने इसे भारत और पाकिस्तान का अंदरूनी मामला बताया था।

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यह फोटो पिछले साल 27 सितंबर की है। उस समय यूनजीए के सेशन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तय समय से ज्यादा समय तक बोलते रहे थे।- फाइल फोटो

Assange lawyer says Trump offered deal to avoid extradition September 18, 2020 at 08:47AM

A lawyer for WikiLeaks founder Julian Assange has told a London court that her client was indirectly offered a "win-win'' deal by President Donald Trump that would see him avoid extradition to the US if he revealed the source of a leak of documents from the Democratic Party before the 2016 election.

#MeToo: Disgraced mogul Harvey Weinstein stripped of UK honour September 18, 2020 at 06:44AM

Britain on Friday stripped disgraced movie mogul Harvey Weinstein of an honour recognising his contribution to the UK film industry.

Flooding affects more than 1 million across East Africa September 18, 2020 at 05:55AM

Going against Donald Trump, FBI warns of white extremism September 18, 2020 at 05:10AM

टिकटॉक और वीचैट की डाउनलोडिंग बैन कर सकता है अमेरिका; 20 सितंबर तक इन कंपनियों को यूएस में अपना बिजनेस बेचने पर फैसला करना है September 18, 2020 at 02:47AM

टिकटॉक और वीचैट जैसी चाइनीज ऐप पर अमेरिकी सरकार की सख्ती बरकरार है। कॉमर्स डिपार्टमेंट 20 सितंबर तक इन दोनों ऐप की डाउनलोडिंग बैन कर सकता है। इसके बाद ऐप डाउनलोडिंग के लिए गूगल प्ले स्टोर जैसे प्लेटफॉर्म से इन दोनों ऐप को हटाने का ऑर्डर जारी कर दिया जाएगा। इसके बाद देश में कोई भी ये ऐप डाउनलोड नहीं कर सकेगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 6 अगस्त को टिकटॉक की पैरेंट कंपनी बाइटडांस को अपना अमेरिका कारोबार बेचने का एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया था। इसमें कहा गया था कि अगर 45 दिन में कंपनी अपना बिजनेस किसी अमेरिकी कंपनी को नहीं बेचती है तो इस पर रोक लगा दी जाएगी।

दोनों ऐप पर बाद की सख्त पाबंदियों को लेकर बाद में घोषणा होगी

कॉमर्स डिपार्टमेंट ने शुक्रवार को कहा कि रविवार तक ऐप स्टोर पर वीचैट या टिकटॉक को बनाए रखने के लिए किसी भी प्रयास को रोका जा सकेगा। विभाग ने कहा कि रविवार की शुरुआत से वीचैट से जुड़े इंटरनेट ट्रैफिक को होस्ट या ट्रांसफर करना गैरकानूनी होगा। आगे की सख्त पाबंदियों की घोषणा बाद में भी की जा सकती है।

ट्रम्प ने टिकटॉक को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया था

ट्रम्प ने टिकटॉक को राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और इकोनॉमी के लिए खतरा बताया था। उन्होंने कहा था कि टिकटॉक ऑटोमैटिकली यूजर की जानकारी हासिल कर लेता है। डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी, ट्रांसपोर्टेशन सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन और आर्म्ड फोर्सेस में टिकटॉक का इस्तेमाल पहले ही बंद किया जा चुका है।

अब भी बैन से बच सकता है टिकटॉक

बाइटडांस अपने शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म को अमेरिकी कंपनियों से बेचने का सौदा कर रहा है। अगर सौदा हो जाता है तो बैन नहीं लगाया जाएगा। बाइटडांस ओरेकल कॉर्प्स और कुछ दूसरी कंपनियों के साथ मिलकर एक नई कंपनी बनाने पर बातचीत कर रही है। अगर ऐसा होता है तो यह बैन होने से बच सकता है। हालांकि, इसके लिए भी ट्रम्प की मंजूरी जरूरी होगी।

अमेरिका शिफ्ट होगा बाइटडांस का हेडक्वार्टर

चीन की दिग्गज इंटरनेट कंपनी बाइटडांस ने अपने शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म टिकटॉक का मुख्यालय अमेरिका शिफ्ट करने का फैसला किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से लगाए गए बैन से बचने के लिए चीनी कंपनी ने यह फैसला किया है। चीन के सरकारी टीवी चैनल सीजीटीएन की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

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अमेरिक का कॉमर्स डिपार्टमेंट टिकटॉक और वी चैट पर बैन लगाने की तैयारियों में जुट गया है। अब इसे सभी ऐप डाउनलोडिंग प्लेटफॉर्म से हटाया जा सकता है। -प्रतीकात्मक फोटो

FBI director says antifa is an ideology, not an organization September 18, 2020 at 12:31AM

FBI Director Chris Wray told lawmakers Thursday that antifa is an ideology, not an organization, delivering testimony that puts him at odds with President Donald Trump, who has said he would designate it a terror group.

Pak to set up markets along border with Afghan, Iran to boost trade, curb smuggling: Report September 18, 2020 at 12:04AM

Pakistan will set up 18 markets along its border with Afghanistan and Iran to simultaneously boost trade with the two neighbours and curb the menace of smuggling that has dented the economies on both sides, according to a media report on Friday.

Taiwan scrambles fighter jets as 18 Chinese planes buzz island September 17, 2020 at 11:01PM

Taiwan scrambled fighter jets on Friday as 18 Chinese aircraft buzzed the island, including crossing the sensitive mid-line of the Taiwan Strait, in an escalation of tensions as a senior US official held talks in Taipei.

भारत और अमेरिका के दबाव के चलते थाईलैंड ने चीन के साथ नहर प्रोजेक्ट रद्द कर दिया September 17, 2020 at 11:23PM

चीन अपनी विस्तारवादी सोच के चलते दुनिया में पहले ही अलग थलग हो चुका है अब उसके पड़ोसियों ने भी उसे नजरअंदाज करना शुरू कर दिया है। चीन के खास पड़ोसी थाईलैंड ने भी उसे दरकिनार कर दिया है।चीन के साथ सबमरीन डील को रद्द करने के बाद अब थाईलैंड ने बंगाल की खाड़ी में नहर बनाने का काम भी चीनी कंपनियों से छीन लिया है।

क्या है पूरा मामला और भारत क्यों रूचि ले रहा है

दरअसल, बंगाल की खाड़ी में चीन थाईलैंड के लिए एक नहर बनाने की कोशिश में था और अगर यह नहर चीन बना लेता तो बहुत आसानी से वह हिंद महासागर तक पहुंच सकता था। यानी भारत के लिहाज से यह प्रोजेक्ट समुद्री सीमा सुरक्षा के लिए एक सर दर्द बन जाता। न केवल भारत बल्कि इस नहर के जरिये चीन आसानी से म्यांमार और कम्बोडिया तक भी पहुंच सकता था।

भारत की खुफिया एजेंसी रॉ और अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए ने थाईलैंड सरकार पर दबाव बनाया कि वह चीन के साथ यह नहर प्रोजेक्ट रद्द कर दे। भारत और अमेरिका के सख्त रवैये के चलते थाईलैंड सरकार ने चीन के साथ बंगाल की खाड़ी में यह नहर प्रोजेक्ट रद्द कर दिया। थाईलैंड सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि छोटे पड़ोसी देशों के हितों के मद्देनजर ये फैसला लिया गया है। इसमें कहा गया है कि म्यांमार और कम्बोडिया की सीमाएं चीन से मिलती हैं, थाईलैंड सरकार को लगता है कि चीन नहर के जरिए इन दोनों के हितों को प्रभावित कर सकता है। थाईलैंड सरकार ने घोषणा की है कि अब वह खुद इस प्रोजेक्ट को पूरा करेगा। यह नहर 120 किलोमीटर लंबी होगी। थाईलैंड के इस फैसले के बाद ये स्पष्ट नजर आ रहा है कि दक्षिण चीन सागर में चीन के उग्र रवैये के बाद सभी देश उससे किनारा कर रहे हैं।

भारत तो ठीक लेकिन अमेरिका को क्यों है रूचि

ट्रम्प के सत्ता में आने के बाद अमेरिका पहले की तुलना में चीन पर ज्यादा आक्रामक है और हर मोर्चे पर चीन का विरोध ज्यादा आक्रामकता से कर रहा है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है भारत अमेरिका के बीच मजबूत रिश्ते। दूसरी वजह यह है कि अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश चीन को अब समुद्र में शक्तियों का विस्तार नहीं करने देना चाहते।

अब भारत को मिल सकता है यह प्रोजेक्ट

थाईलैंड संसद में थाई नेशनल पावर पार्टी के सांसद सोंगलोड ने थाई सदन को जानकारी दी कि भारत, आस्ट्रेलिया, अमेरिका और चीन इस प्रोजेक्ट में उसका साथ देने की बात कह रहे हैं। सांसद ने बताया कि ये देश नहर प्रोजेक्ट को लेकर थाई सरकार के साथ मेमोरेंडम साइन करना चाहते हैं। सांसद ने यह भी जानकारी दी कि 30 से ज्यादा विदेशी कंपनियों ने इस प्रोजेक्ट को आर्थिक और टेक्नीकल सपोर्ट देने के लिए मंसा जाहिर की है।

अगर यह प्रोजेक्ट भारत या भारत के किसी कंपनी के हाथ आता है तो चीन का दांव उल्टा पड़ जायेगा। चीन का दोबारा दावेदारों की लिस्ट में होना बस एक औपचारिकता है। थाई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, थाईलैंड अब यह प्रोजेक्ट चीन को नहीं देगा।

थाईलैंड चीन को पहले भी दे चुका है झटका

कुछ ही दिन पहले थाईलैंड ने चीन के साथ हुई सबमरीन डील को टाल दिया था। साल 2015 में थाईलैंड और चीन के बीच नेवल हार्डवेयर और इक्यूप्मेंट्स की खरीद पर बातचीत शुरू हुई थी। 2017 में थाईलैंड ने 3 सबमरीन खरीदने का सौदा किया था। चीन की तरफ से पहली सबमरीन की डिलीवरी 2023 में होनी थी। थाई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सबमरीन डील 72.4 करोड़ डॉलर की थी और इसके स्थगित होने से चीन को बड़ा झटका लगा है।



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Thailand canceled canal project with China due to pressure from India and US

अमेरिका की जेट मिसाइलों से चीन को निशाना बनाएगा ताइवान, यूएस और ताइवान के बीच अरबों डॉलर की डील जल्द September 17, 2020 at 10:01PM

डोनाल्ड ट्रम्प चीन पर बेहद सख्त रवैया अपना रहे हैं। दक्षिण चीन सागर में तो चीन को घेरने का अमेरिका कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता। अमेरिका और ताइवान जल्द एक डील फाइनल करने जा रहे हैं। अरबों डॉलर के इस रक्षा समझौते के तहत ताइवान को ऐसी मिसाइलें भी मिलेंगी जो चीन के किसी भी हिस्से को मिनटों में तबाह कर देंगी। चीन कई बार ताइवान को हथियार बिक्री का सख्त विरोध कर चुका है। लेकिन, अमेरिका ने उसके हर विरोध को अनसुना और अनदेखा कर दिया।

ट्रम्प सरकार डील का मसौदा संसद के सामने रखेगी। माना जा रहा है कि इसे कुछ ही हफ्तों में मंजूरी मिल जाएगी।

कानून में बदलाव करना होगा
अमेरिकी कानून के मुताबिक, अभी तक ताइवान को सिर्फ बचाव करने वाले हथियार ही बेचे जाते थे। ताइवान में राष्ट्रपति सेई इंग वेन की सरकार है, जो चीन की कट्टर विरोधी मानी जाती हैं। चुनावी दौर में ट्रम्प ये साबित करना चाहते हैं कि चीन को लेकर उनका रवैया काफी सख्त है क्योंकि वो अमेरिका और उसके मित्र देशों को चुनौती दे रहा है। ट्रम्प कई बार कह चुके हैं कि शी जिनपिंग की सरकार लोगों का दमन कर रही है। वे शिनजियांग और हॉन्गकॉन्ग का उदाहरण देते हैं।

संसद आसानी से डील को मंजूरी दे देगी
ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी संसद में ताइवान का सपोर्ट बढ़ा है। डेमोक्रेट्स भी ताइवान का समर्थन करते हैं। लिहाजा, यह बात तय है कि डील को मंजूरी देने में अमेरिकी संसद पीछे नहीं हटेगी। कई दशकों बाद अमेरिका और चीन के रिश्ते इतने खराब हुए हैं। ट्रेड, टेक्नोलॉजी, डिप्लोमैसी, मिलिट्री और जासूसी पर दोनों देशों में गंभीर टकराव चल रहा है।

इस डील में सबसे अहम बात क्या
डील के तहत अमेरिका ताइवान को AGM-84H/K SLAM-ER मिसाइल देगा। हवा से जमीन पर मार करने वाली इस मिसाइल को बोइंग कंपनी ने बनाया है। यह चीन के किसी भी हिस्से पर सटीक निशाना साध सकती है। ताइवान की समुद्री सीमा में चीन दबाव बढ़ा रहा है। यह मिसाइल हासिल करने के बाद ताइवान चीन के किसी भी वॉरशिप को पलक झपकते ही तबाह कर सकेगा। अमेरिका ने पिछले साल ताइवान को 66 एफ-16 बेचने की डील की थी।

ताइवान को ये हथियार भी मिलेंगे
हाईक्वॉलिटी सर्विलांस ड्रोन, रॉकेट आर्टिलरी सिस्टम, हार्पून एंटी शिप मिसाइल और समुद्र में बिछाई जाने वाली बारूदी सुरंग। एशियाई मामलों की विशेषज्ञ बोनी ग्लेसर कहती हैं- अमेरिका ने ताइवान से कहा है कि वो अपनी आर्मी को बेहतर ट्रेनिंग सिस्टम मुहैया कराए। ताकि, वक्त पर हथियारों का सही इस्तेमाल तय किया जा सके। अमेरिका के इस कदम से चीन बौखला गया है। साउथ चाइना सी में चीनी नौसेना दो महीने से एक्सरसाइज कर रही है। गुरुवार को उसके दो फाइटर जेट्स ताइवान के एयरस्पेस में पहुंच गए थे।

चीन क्या करेगा
शी जिनपिंग के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं। डील में शामिल लॉकहीड मार्टिन कंपनी पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। लेकिन, इसका चीन से कोई कारोबार नहीं है। बोइंग के जेट्स चीन खरीदता है। इन पर जिनपिंग बैन लगा सकते हैं। लेकिन, बोइंग जैसे एयरक्राफ्ट कोई और कंपनी नहीं बनाती। फिर जिनपिंग के पास विकल्प कहां है। कुल मिलाकर अमेरिका और ताइवान की डिफेंस डील का विरोध करने के अलावा चीन के पास ज्यादा रास्ते नहीं हैं।



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फोटो जनवरी की है। तब ताइवान आर्मी ने मिलिट्री ड्रिल की थी। इस दौरान ताइवान एयरफोर्स ने अमेरिका से खरीदे गए एफ-16वी फाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया था।

US Senate Democrats offer $350 million own China plan September 17, 2020 at 08:28PM

The plan was backed by 11 Democrats, including Senate Democratic Leader Chuck Schumer, but its prospects were unclear because President Donald Trump’s fellow Republicans control the Senate and determine which legislation it considers.