Friday, July 24, 2020

फिल्म मेकर मीरा नायर के बेटे जोहरान ममदानी ने डेमोक्रेटिक पार्टी से प्राइमरी जीता, अब न्यूयॉर्क स्टेट असेम्बली के लिए चुनाव लड़ेंगे July 24, 2020 at 06:59PM

फिल्म मेकर मीरा नायर के बेटे जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क शहर की एक कंस्टीट्युएंसी से प्राइमरी चुनाव जीत लिया। उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। अब वे न्यूयॉर्क स्टेट असेम्बली के सदस्य का चुनाव लड़ेंगे। बोर्ड ऑफ इलेक्शन्स ने अभी तक औपचारिक तौर पर नतीजों का ऐलान नहीं किया है। लेेकिन, सिटिंग असेम्बली मेंबर अरावेला सिमोटास ने शुक्रवार को एक ट्वीट कर ममदानी से अपनी हार कबूल कर ली।

अगले साल जनवरी में दो भारतवंशी न्यूयॉर्क असेम्बली का चुनाव लड़ेंगे। ममदानी के साथ ही जेनिफर राजकुमार ने भी कुछ दिनों पहले ही प्राइमरी चुनाव में जीत हासिल की है।

सोशल वर्कर भी हैं ममदानी

28 साल के ममदानी एक रैपर और हाउसिंग काउंसलर हैं। उन्होंने रैप वीडियो नानी बनाया है। इसमें मधुर जाफरी ने एक्टिंग की है। हाउसिंग काउंसलर के तौर पर वे घर से निकाले गए लोगों की मदद करते हैं। उन्हें लेफ्ट विंग डेमोक्रेटिेक पार्टी और डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट अलायंस का समर्थन हासिल है। वे लोगों को किफायती घर दिलाने किे लिए ‘रोटी एंड रोजेज’ नाम का कैंपेन भी चलाते हैं। इसके तहत मकान मालिकों और बड़े कॉर्पोरेशन से सताए गए लोगों की मदद की जाती है।

अमेरिका में अहम होते हैं प्राइमरी चुनाव

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में प्राइमरी चुनाव अहम होते हैं। इसे प्रेसिडेंशियल इलेक्शन की पहली सीढ़ी माना जाता है। अलग-अलग राज्यों में पार्टियां प्राइमरी चुनाव के जरिए अपने उम्मीदवारों का पता लगाती हैं। इसमें आम लोग वोट करते हैं। जिसे ज्यादा वोट मिलते हैं उन्हें पार्टी चुनाव लड़ने के लिए अपना उम्मीदवार चुनती हैं। ममदानी ने जहां से प्राइमरी जीता है, वह डेमोक्रेटिक पार्टी का गढ़ माना जाता है।

ये खबरें भी पढ़ें:

1.राष्ट्रपति चुनाव से पहले बयानबाजी:डेमोक्रेट कैंडिडेट बिडेन का आरोप- ट्रम्प अमेरिका के पहले रंगभेदी राष्ट्रपति, वे लोगों का स्किन कलर देखकर बर्ताव करते हैं

2.अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव:डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा- डेमोक्रेट कैंडिडेट बिडेन इतने सक्षम नहीं कि देश की कमान संभाल सकें, वे दिमागी तौर पर थके हुए हैं



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फिल्म मेकर मीरा नायर के बेटे जोहरान ममदानी एक रैपर और हाउसिंग काउंसलर हैं। वे अमेरिका के न्यूयॉर्क से प्राइमरी चुनाव जीतने वाले दूसरे भारतवंशी हैं।-फाइल

US court rejects bail plea of 26/11 accused Rana being sought by India July 24, 2020 at 06:07PM

Describing Rana as a flight risk, the US government opposed his release on bail, arguing that if he were to flee to Canada, he may escape the possibility of a death sentence in India. On the other hand, Rana's attorney told the court that the 26/11 accused is not a flight risk and has proposed a $1.5 million bond for his release.

पाकिस्तान सरकार ने कहा- कुलभूषण जाधव को कोई राहत नहीं दी, हमने इस मामले में भारत की चाल नाकाम कर दी July 24, 2020 at 06:13PM

पाकिस्तान सरकार ने विपक्ष के उन आरोपों को खारिज कर दिया है जिनमें कहा गया था कि जेल में बंद भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव को राहत दे रही है। पाकिस्तान जाधव को भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ का एजेंट बताता है। कानून मंत्री फरोग नसीम ने कहा- हम जाधव को न तो किसी तरह की राहत दे रहे हैं और न ऐसा कोई इरादा है। हमने तो कॉन्स्युलर एक्सेस देकर भारत के हाथ से एक हथियार छीन लिया है।

नसीम ने क्या कहा
नसीम ने शुक्रवार शाम संसद में एक बहस के दौरान कहा- जाधव को राहत या इस मामले में फिर से विचार करने के आरोप पूरी तरह गलत हैं। हमारी सरकार ने इस मामले में वही किया जो इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) ने कहा था। अगर हम ये नहीं करते तो भारत इस मामले को दुनिया के सामने रखता और हम पर कई आरोप लगाए जाते। विपक्ष को तो हमारी तारीफ करनी चाहिए कि हमने भारत के हाथ से एक हथियार छीन लिया।

भारत के दबाव में पाकिस्तान
पाकिस्तान सरकार ने हाल ही में इस्लामाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करके जाधव को वकील मुहैया कराने की मंजूरी मांगी थी। विपक्ष के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने इसका विरोध करते हुए गुरुवार को संसद में यह मसला उठाया। भुट्टो ने कहा- सरकार जाधव को राहत दे रही है। उसके मामले पर फिर से विचार किया जा रहा है। भुट्टो इशारों में यह कहने से भी नहीं चूके कि इमरान सरकार पर भारत का दबाव है।

सरकार का क्या दावा है
इमरान सरकार का दावा है कि जाधव को आईसीजे के आदेशों के तहत ही वकील मुहैया कराया जाना है। कॉन्स्युलर एक्सेस भी इसीलिए दिए गए। अगर सरकार ऐसा नहीं करती तो भारत यह मामला यूएन सिक्युरिटी काउंसिल और दुनिया के सामने उठाता, इससे सरकार परेशानी में आ सकती थी।

जाधव मामला: एक नजर में
पाकिस्तान का दावा है कि कुलभूषण भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के जासूस हैं। भारत उन्हें कारोबारी बताता है। पाकिस्तान कहता है कि जाधव को 2016 में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया। भारत कहता है कि जाधव को ईरान से अगवा करके लाया गया। 2017 में पाकिस्तानी की फौजी अदालत ने जाधव को फांसी की सजा सुनाई। भारत आईसीजे गया। वहां सजा के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई। पाकिस्तान से कॉन्सुलर एक्सेस देने को कहा गया।

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1. कुलभूषण जाधव को वकील देने के लिए इमरान सरकार इस्लामाबाद हाईकोर्ट पहुंची, कहा- निष्पक्ष जांच के लिए ऐसा करना जरूरी

2. कुलभूषण को दूसरा कॉन्सुलर एक्सेस दिया, पर भारतीय अफसर बोले- जाधव का तनाव दिख रहा था, खुलकर बातचीत करने की स्थिति भी नहीं थी



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पाकिस्तान का दावा है कि कुलभूषण जाधव को 2016 में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया। जबकि भारत का आरोप है कि उन्हें ईरान से अगवा करके पाकिस्तान लाया गया था। (फाइल)

US records 1,000 coronavirus deaths for fourth day, some progress seen July 24, 2020 at 05:58PM

At least 1,019 fatalities due to Covid-19 were confirmed nationwide on Friday, following 1,140 on Thursday, 1,135 on Wednesday and 1,141 on Tuesday. Total cases across the United States rose by at least 68,800 on Friday to over 4 million.

Trump on his tweets: Regrets, he's had a few July 24, 2020 at 04:49PM

Chinese consulate in Houston shuts after four decades July 24, 2020 at 05:07PM

According to media reports, the US had asked China to close down its Consulate General in Houston within 72 hours, with Secretary of State Mike Pompeo alleging that it was "a hub of spying and intellectual property theft". Top American officials had also accused the consulate in Houston of being part of Beijing's "espionage operations" in the US.

डेडलाइन खत्म होने के बाद चीन के ह्यूस्टन कॉन्स्युलेट्स में दाखिल हुए अमेरिकी एजेंट्स, चीनी जासूस गिरफ्तार July 24, 2020 at 05:34PM

अमेरिका ने चीन के खिलाफ रुख और सख्त कर लिया। चीन को मंगलवार को ह्यूस्टन कॉन्स्युलेट 72 घंटे में बंद करने के आदेश दिए गए थे। शुक्रवार शाम 4 बजे जैसे ही डेडलाइन खत्म हुई, अमेरिकी एजेंट्स इस बिल्डिंग में दाखिल हो गए। अंदर मौजूद कुछ लोगों ने गेट नहीं खोला। इस पर एफबीआई ने उन्हें वॉर्निंग दी। इसके बाद एजेंट्स ने दरवाजा ताकत के इस्तेमाल से खुलवाया। इस बीच, कॉन्स्युलेट में छिपे एक चीनी जासूस को गिरफ्तार कर लिया गया।

जासूस की गिरफ्तारी कहां से हुई
अब तक आधिकारिक तौर पर यह नहीं बताया गया है कि एफबीआई ने चीनी जासूस को कहां से गिरफ्तार किया। कुछ खबरों में इसे महिला एजेंट बताया गया है जो न्यूयॉर्क की एक रिसर्च लैब में भी काम कर चुकी है। विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने पहले ही साफ कर दिया था कि चीनी कॉन्स्युलेट्स का इस्तेमाल अमेरिका की जासूसी में हो रहा है, और इसे किसी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा।

एफबीआई को क्या मिला
अब तक यह साफ नहीं है कि एफबीआई को ह्यूस्टन की कॉन्स्युलेट से क्या मिला। हालांकि, एजेंट्स के दाखिल होने के बाद कई लोग बक्से लेकर बाहर निकलते दिखे। ये लोग लोकल पुलिस डिपार्टमेंट के थे। एफबीआई के साथ फोरेंसिक डिपार्टमेंट की एक स्पेशल टीम भी आई थी। माना जा रहा है कि इस टीम ने मंगलवार को जलाए गए दस्तावेज के सुराग तलाशे। दस्तावेज जलाए जाने की घटना के बाद ही कॉन्स्युलेट पर शक हुआ था। इसके बाद इसे 72 घंट में बंद करने के आदेश दिए गए थे।

हर हरकत पर नजर
मंगलवार के बाद से ही कॉन्स्युलेट के बाहर एफबीआई के एजेंट्स तैनात थे। ये यहां होने वाली हर हरकत पर पैनी नजर रख रहे थे। शुक्रवार दोपहर करीब दो बजे यहां कई ब्लैक एसयूवी, ट्रक और दो व्हाइट वैन पहुंचीं। चार बजते ही एजेंट्स ने जबरदस्ती गेट खुलवाया और ये गाड़ियां भी अंदर दाखिल हो गईं। इस दौरान लोकल पुलिस बाहर तैनात थी। तलाशी के बाद बिल्डिंग को सील कर दिया गया।

यह छोटी सी घटना
सीएनएन से बातचीत में एक अमेरिकी अफसर ने कहा, “ह्यूस्टन में जो हुआ वह तो छोटी से घटना है। साजिश के तार बहुत दूर तक फैले हैं। इसकी जानकारी हमें मिल चुकी है। अमेरिका के कम से कम 25 शहरों में जासूसी का नेटवर्क चलाया जा रहा था। कॉन्स्युलेट के कुछ लोग जांच को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें यह पता होना चाहिए कि हम कितने प्रोफेशनल तरीके से जांच करते हैं।”

अमेरिका और चीन के बीच जारी विवाद से जुड़ी ये खबरें भी आप पढ़ सकते हैं...

1.चीन पर सख्त कार्रवाई:अमेरिका ने चीन से 72 घंटे में ह्यूस्टन कॉन्स्युलेट बंद करने को कहा; यहां संवेदनशील दस्तावेज जलाए जाने का शक

2.रिश्तों में बढ़ती तल्खी:एफबीआई ने कहा- वीजा फ्रॉड का आरोपी चीनी साइंटिस्ट सैनफ्रांसिस्को के चीनी कॉन्स्युलेट में छुपा है, ट्रम्प की धमकी- चीन की और एम्बेसी बंद कर सकते हैं



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शुक्रवार को शाम चार बजे (लोकल टाइम) ह्यूस्टन स्थित चीनी कॉन्स्युलेट में एफबीआई एजेंट्स दाखिल हुए। दरवाजा खुलवाने के लिए उन्हें मशक्कत करनी पड़ी। बाद में बिल्डिंग की तलाशी ली गई। इस दौरान फोरेंसिक टीम भी साथ थी।

अमेरिका ने कहा- जिन नए विदेशी छात्रों का पूरा कोर्स ऑनलाइन हो चुका है, उन्हें देश में आने की मंजूरी नहीं दी जाएगी July 24, 2020 at 05:10PM

अमेरिकी सरकार उन नए विदेशी छात्रों को फिलहाल देश आने की मंजूरी नहीं देगी, जिन्होंने हाल ही में किसी अमेरिकी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया है और जिनकी सभी क्लासेज ऑनलाइन कंडक्ट होनी हैं। यह नया आदेश डोनाल्ड ट्रम्प एडिमिनिस्ट्रेशन के इमीग्रेशन और कस्टम एन्फोर्समेंट डिपार्टमेंट (आईसीई) ने जारी किया है।

क्या है आदेश में?
शुक्रवार रात जारी आईसीई के बयान में कहा गया- जिन स्टूडेंट्स ने 9 मार्च 2020 के बाद एडमिशन लिया है, वे अगले आदेश अमेरिका नहीं आ सकेंगे। ये नॉन इमिग्रेंट स्टूडेंट्स हैं, जिनके सेमेस्टर की पूरी पढ़ाई ऑनलाइन है। इसके लिए एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स को एक नया फॉर्म आई-20 जारी करना होगा। इसके जरिए नॉन-इमिग्रेंट स्टूडेंट्स का एलिजिबिलिटी स्टेटस चेक किया जा सकेगा।

गाइडेंस पहले ही जारी किया गया था
स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम के तहत 9 मार्च को गाइडेंस जारी किए गए थे। आईसीई से कहा गया है कि वो सभी विदेशी छात्रों से इसका पालन कराए। इसमें कहा गया है कि एजुकेशनल इंस्टीट्यूट डिस्टेंस लर्निंग को बढ़ावा दें। दूसरे शब्दों में कहें तो यह आदेश फिलहाल, ऑनलाइन क्लासेज को बढ़ावा देने के लिए जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि कोरनावायरस महामारी के चलते यह आदेश जारी किया जा रहा है।

पहले हुआ था विवाद
दो हफ्ते पहले आईसीई ने ऐसा ही एक आदेश जारी किया था। इसमें विदेशी छात्रों के अमेरिका आने पर रोक के साथ उन स्टूडेंट्स को देश छोड़ने को कहा गया था, जिनकी क्लासेज ऑनलाइन हैं। विदेशी छात्रों के साथ ही अमेरिका के एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स ने भी इस पर सवाल उठाए थे। बाद में इसमें बदलाव किए गए थे।

दोहरा रवैया
ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन का विदेशी छात्रों को लेकर यह रवैया चौंकाने वाला है। दरअसल, प्रशासन चाहता है कि महामारी के बावजूद अब स्कूल खोले जाएं। जबकि, मामले बढ़ रहे हैं। 50 में से 18 राज्यों और करीब 200 यूनिवर्सिटीज ने इसका विरोध किया है।

अमेरिका में विदेशी छात्रों से जुड़ी ये खबरें भी आप पढ़ सकते हैं...
1. अमेरिका में दुनिया भर से 10.9 लाख छात्र पढ़ने गए; पहली बार 2 लाख भारतीय गए, सबसे ज्यादा चीन से 3.69 लाख छात्र पहुंचे
2. अमेरिका ने कहा- जिन स्टूडेंट्स की सभी क्लासेस ऑनलाइन, उन्हें देश छोड़ना होगा; यूएस में 10 लाख विदेशी छात्र, इनमें करीब 2 लाख भारतीय



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अमेरिका ने उन नए विदेशी छात्रों के फिलहाल देश आने पर रोक लगा दी है, जिन्होंने इस साल एडमिशन लिया है। अमेरिका में सबसे ज्यादा विदेशी स्टूडेंट्स चीन के हैं। इसके बाद भारत का नंबर आता है। (प्रतीकात्मक फोटो)

ट्रम्प ने दवाओं की कीमत कम करने वाले आदेश पर साइन किए, अब कनाडा से सस्ती दवाएं मंगा सकेगा अमेरिका; दुनिया में 1.59 करोड़ केस July 24, 2020 at 05:03PM

दुनिया में कोरोनावायरस के अब तक 1 करोड़ 59 लाख 40 हजार 379 संक्रमित मिल चुके हैं। इनमें 97 लाख 23 हजार 949 ठीक हो चुके हैं, जबकि 6 लाख 42 हजार 688 की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को चार एग्जीक्यूटिव आर्डर साइन किए। इनमें दवाओं की कीमत कम करने और इलाज के खर्च को किफायती बनाने से जुड़े आदेश शामिल थे। इससे अमेरिका के कई राज्यों को कनाडा से सस्ती दवाएं मंगाने में मदद मिलेगी।

ट्रम्प के नए आदेशों से इंसुलिन जैसी दवाएं मरीजों को कम दामों पर मिल सकेंगी। दवाओं से जुड़े यह नए आदेश शनिवार से लागू हो जाएंगे। इन आदेशों पर चर्चा के लिए ट्रम्प 28 जुलाई को दवा कंपनियों के अधिकारियों के साथ बैठक भी करेंगे।

10 देश जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा

देश

कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 42,48,327 1,48,490 20,28,074
ब्राजील 23,48,200 85,385 15,92,281
भारत 13,37,022 31,406 8,50,107
रूस 8,00,849 13,046 5,88,774
द.अफ्रीका 4,21,996 6,343 2,45,771
पेरू 3,75,961 17,843 2,59,423
मैक्सिको 3,78,285 42,645 2,42,692
चिली 3,41,304 8,914 3,13,696
स्पेन 3,19,501 28,432 उपलब्ध नहीं
ब्रिटेन 2,97,914 45,677 उपलब्ध नहीं

दक्षिण कोरिया: मार्च के बाद सबसे ज्यादा मामले

दक्षिण कोरिया में मार्च के बाद पहली बार सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। कोरिया सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (केसीडीसी) ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। शुक्रवार को यहां 86 नए मामले सामने आए। इनमें से 27 में डोमेस्टिक इंफेक्शन था। स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि विदेश से पहुंचने वाले लोगों के पॉजिटिव मिलने पर संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं। दूसरे देशों से लौटने वाले सभी लोगों की टेस्टिंग की जा रही है।

फ्रांस: लोगों से कैटालोनिया न जाने की अपील

फ्रांस सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे कैटालोनिया इलाके न जाएं। प्रधानमंत्री ज्यां कास्ते ने कहा कि सरकार स्पेन से लगी सीमा पर निगरानी बढ़ा रही है। बॉर्डर से संक्रमितों के देश में आने पर संक्रमण बढ़ने का खतरा है। खासतौर देश के उत्तर-पूर्वी बॉर्डर पर सरकार की नजर हैं। देश में पिछले 15 दिन में 16 हजार 410 मामले सामने आए हैं। इनमें से ज्यादातर इसी इलाके में मिले थे। फ्रांस ने बीते दिनों देश में सभी इंडोर प्लेस पर मास्क जरूरी किया है।

नॉर्वे: स्पेन से आने वाले 10 दिन के लिए क्वारैंटाइन होंगे

नॉर्वे ने शुक्रवार को यात्रा पाबंदियों से जुड़ी नए गाइडलाइन्स जारी की। नए नियमों के मुताबिक, स्पेन से पहुंचने वाले लोगों के लिए 10 दिन का क्वारैंटाइन जरूरी होगा। हालांकि, स्वीडन से आने वालों पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं होगी। देश में अब तक 9 हजार से ज्यादा संक्रमित मिले हैं। यहां 255 मौतें हुई हैं और 8674 लोग ठीक भी हुए हैं। नॉर्वे ने संक्रमण के खतरे को देखते हुए सभी एयरपोर्ट पर लोगों के लिए टेस्टिंग जरूरी की है।

पाकिस्तान: 103 साल का संक्रमित ठीक हुआ

पाकिस्तान में एक 103 साल के संक्रमित बुजुर्ग ने महामारी को हराया है। देश के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। बुजुर्ग का नाम अजीज अब्दुल अलीम है। वे देश के उत्तरी जिले चित्राला के रहने वाले हैं। अजीज को बीते महीने के आखिर में पॉजिटिव पाया गया था। ठीक होने के बाद इसी हफ्ते उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। देश में अब तक 2 लाख 70 हजार 400 संक्रमित मिले हैं और 5763 मौतें हुई हैं।



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अमेरिका के फ्लोरिडा में 6 जुलाई को एक टेस्टिंग सेंटर पर लोगों की जांच में जुटे स्वास्थ्यकर्मी। देश में जगह-जगह कैंप लगाकर लोगों का टेस्ट किया जा रहा है। -फाइल फोटो

चीन के सबसे बड़े परमाणु सेंटर से 90 वैज्ञानिकों का इस्तीफा, आरोप- सरकार दबाव डाल रही और सुविधाएं भी नहीं दे रही है July 24, 2020 at 02:45PM

चीन के सबसे बड़े रिसर्च सेंटर द इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी सेफ्टी टेक्नोलॉजी (आईनेस्ट) से गुरुवार को 90 परमाणु वैज्ञानिकों ने इस्तीफा दे दिया है। करीब 500 सदस्यों के साथ काम कर रही इस संस्था में पिछले साल 200 वैज्ञानिकों के इस्तीफे के बाद यहां 100 से भी कम लोग रह गए हैं। हालात ये है कि इसका संचालन भी बड़ी मुश्किल से हो पा रहा है।

वैज्ञानिकों के इस्तीफे के कई कारण बताए जा रहे हैं, लेकिन सबसे प्रमुख आरोप यह है कि चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी इस संस्थान पर पूर्ण रूप से कब्जा कर दबावपूर्वक काम करवाना चाहती है। जून में आईनेस्ट में काम करने वाले लोगों का अपनी ही पेरेंटिंग संस्था से विवाद हुआ था। इसके अलावा यहां वैज्ञानिकों को न तो जरूरी संसाधन और सुविधाएं दी जा रही हैं और न ही काम को लेकर फ्री हैंड।

फंड की कमी के चलते बड़े प्रोजेक्ट नहीं मिल रहे

दरअसल, आईनेस्ट हेफी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल साइंस के निर्देश पर काम करता है। इसे चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस के नाम से भी जाना जाता है। आईनेस्ट चीन के उन महत्वपूर्ण संस्थानों में से एक है, जो अब तक 200 से ज्यादा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स में हिस्सा ले चुका है। इनमें 80% शोधकर्ता पीएचडी धारक हैं।

सूत्रों का कहना है कि आईनेस्ट फंड की कमी के चलते बड़े प्रोजेक्ट हासिल नहीं कर पा रहा था, वहीं शोधकर्ताओं पर प्राइवेट कंपनियों की भी नजर थी।

चीन के पास 300 से ज्यादा परमाणु हथियार

चीन ने 1950 में परमाणु कार्यक्रम शुरू किया था। उसके पास अभी 300 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं। उसकी विस्तारवादी नीति के खिलाफ अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देश एकजुट होकर चुनौती पेश कर रहे हैं। ऐसे में हमले की स्थिति में चीन के राष्ट्रपति के पास एटमी हमले के आदेश देने का अधिकार भी नहीं है।

ये अधिकार अभी पार्टी के पोलित ब्यूरो के पास है। चीन के कई थिंक टैंक मानते हैं कि शी जिनपिंग दो मोर्चों पर लड़ रहे हैं। देश के अंदर और देश के बाहर। विश्वमंच के खिलाफ मोर्चा लेने के लिए वे देश के अंदर भी अपनी सीमाओं का अतिक्रमण कर बैठते हैं। यह इस्तीफा इस तरह के दबाव का ही नतीजा है।

चीन बने विज्ञान का पावरहाउस इसलिए 16 हजार वैज्ञानिकों ने छोड़ा था यूएस

चीन में सरकार की अपील पर पिछले साल अमेरिका और यूरोप में काम कर रहे 16 हजार से ज्यादा वैज्ञानिक चीन लौट आए थे, ताकि वे देश को विज्ञान का पावरहाउस बना सकें। इन वैज्ञानिकों को सरकार ने भरोसा दिलाया था कि उन्हें वे सारी मूलभूत सुविधाएं दी जाएंगी, जो विदेशों में मिलती हैं। लेकिन, यहां आने के बाद उनका यह भ्रम टूट गया। आईनेस्ट के वैज्ञानिकों की इतनी बड़ी संख्या में इस्तीफे की वजह भी यही मानी जा रही है।



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चीन में सरकार की अपील पर पिछले साल अमेरिका और यूरोप में काम कर रहे 16 हजार से ज्यादा वैज्ञानिक चीन लौट आए थे, ताकि वे देश को विज्ञान का पावरहाउस बना सके।

28 साल पहले किया वादा पूरा करने के लिए दोस्त के साथ बांटे लॉटरी में जीते 164 करोड़ रु. July 24, 2020 at 02:45PM

आपने ऐसी खबरें सुनी होंगी, जिनमें चंद रुपयों के चलते रिश्तेदार या दोस्त ने किसी की हत्या कर दी। लेकिन अमेरिका में एक शख्स ने 28 साल पहले किए वादे को पूरा करने के लिए दोस्त के साथ लॉटरी में जीते 164 करोड़ रु. बांटकर भरोसे और दोस्ती का उदाहरण पेश किया है।

विस्कॉन्सिन राज्य में रहने वाले टॉम कुक ने एक लॉटरी का टिकट खरीदा था, जिसमें पिछले माह 22 मिलियन डॉलर का जैकपॉट लगा। इस खुशी के मौके में शामिल होने के लिए टॉम ने जोसेफ फेनी को बुलाया। साथ ही चेक पर दोनों का नाम भी लिखवाया।

इसे लेकर कुक ने कहा- ‘1992 में हमने एक-दूसरे से वादा किया था कि अगर वे भविष्य में कोई लॉटरी जीतते हैं तो उसे बराबर-बराबर बांटेंगे। इसलिए अपने वादे पर कायम रहते हुए लॉटरी में जीते 164 करोड़ रुपए दोस्त के साथ बांट रहा हूं।’ उन्होंने आगे कहा कि रिटायर होने का इससे बेहतर तरीका नहीं हो सकता था।’

लॉटरी जीतने से ज्यादा खुशी वादा पूरा करने की है: टॉम

कुक ने कहा- ‘मुझे लॉटरी जीतने से ज्यादा खुशी अपना वादा पूरा करने की है। इस पैसे से हम अपने आराम की चीजें खरीदेंगे और घूमने जाएंगे।’ कुक ने जैकपॉट की राशि को कैश में लेने का विकल्प चुना, जिसके बाद टैक्स कटने पर एक के हिस्से में 5.7 मिलियन डॉलर (करीब 42 करोड़ रु.) आए।



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कुक ने कहा- ‘मुझे लॉटरी जीतने से ज्यादा खुशी अपना वादा पूरा करने की है। इस पैसे से हम अपने आराम की चीजें खरीदेंगे और घूमने जाएंगे।

86 साल बाद म्यूजियम से मस्जिद बनी हागिया सोफिया में पहली बार जुमे की नमाज पढ़ी गई, कई शहरों से हजारों लोग पहुंचे July 24, 2020 at 02:45PM

तुर्की के इस्तांबुल में 86 साल बाद म्यूजियम से मस्जिद बनी हागिया सोफिया में पहली बार शुक्रवार को नमाज अदा की गई। राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन के साथ हजारों लोगों ने नमाज अदा की। कोरोना काल के बीच कई शहरों से पहुंचे लोग मस्जिद में जाना चाह रहे थे, लेकिन किसी को अंदर नहीं जाने दिया गया।

इस दौरान मस्जिद के आसपास कड़ी सुरक्षा थी। नमाज के दौरान ज्यादातर लोगों ने मास्क पहना था, हालांकि लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नहीं दिखे। इस्तांबुल के गवर्नर अली येरलिकाया ने एक फोटो ट्वीट करते हुए कहा, ‘लोग काफी उत्सुक हैं। हर कोई आज के दिन यहां मौजूद रहना चाहता है।’

1500 साल पुरानी इमारत चर्च रही, फिर म्यूजियम बनी

1500 साल पुरानी यूनेस्को की ये विश्व विरासत मस्जिद बनने से पहले चर्च थी। फिर 1934 में इसे म्यूजियम बना दिया गया। लेकिन इस माह की शुरुआत में तुर्की की कोर्ट ने हागिया सोफिया को मस्जिद में बदलने का रास्ता साफ कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था- ‘हागिया सोफिया अब म्यूजियम नहीं रहेगी। अब इसे मस्जिद माना जाएगा।’ साथ ही कोर्ट ने 1934 के कैबिनेट के फैसले को भी रद्द कर दिया।



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1500 साल पुरानी यूनेस्को की ये विश्व विरासत मस्जिद बनने से पहले चर्च थी। फिर 1934 में इसे म्यूजियम बना दिया गया था और अब इसे मस्जिद में बदल दिया गया है।

अब मरीज को आइसोलेशन से निकलने के लिए निगेटिव टेस्ट की जरूरत नहीं, विदेश से आने वालों को 14 दिन क्वारैंटाइन में रहना होगा July 24, 2020 at 02:28PM

डोनाल्ड जी मैकनील जूनियर. अमेरिका में अब कोविड 19 से ठीक हो रहे मरीज बिना टेस्टिंग के भी आइसोलेशन से बाहर आ सकते हैं। यह दिखाने के लिए कि उनमें कोई वायरस नहीं हैं। इसके अलावा अगर मरीज को बीमार हुए 10 दिन बीत चुके हैं और छोटी सांसें या दस्त जैसे लक्षण नहीं हैं तो उन्हें स्वस्थ माना जा सकता है। इसमें बगैर दवा लिए 24 घंटे तक बुखार न आना भी शामिल है।

यह नई सिफारिशें नियम नहीं हैं, बल्कि मरीज, डॉक्टर्स और हेल्थ पॉलिसी मेकर्स के लिए गाइडलाइंस हैं। सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने कहा कि इस बदलाव से देश के टेस्टिंग सिस्टम पर दबाव कम होना चाहिए। पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार यह बदलाव सुरक्षित है।

इससे पहले कराने होते थे दो टेस्ट
इससे पहले कोविड 19 के मरीज को आइसोलेशन से बाहर आने के लिए दो निगेटिव टेस्ट की जरूरत होती थी। इसे पीसीआर टेस्ट भी कहा जाता है। अब अमेरिका के कुछ हिस्सों में टेस्टिंग दो हफ्तों तक टल रही हैं और कई स्टडीज यह बताती हैं कि हल्के बीमार मरीज संक्रमण शुरू होने के 10 दिन बाद लगभग कभी संक्रामक नहीं होते हैं।

इससे पहले मुश्किल थी आइसोलेशन प्रक्रिया
वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के मेडिकल स्कूल में प्रिवेंटिव मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉक्टर विलियम शैफनर ने कहा कि इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर नर्सिंग होम्स और हॉस्पिटल्स पर नजर आएगा।

पहले आइसोलेशन को लेकर गाइडलाइन्स ज्यादा रूढ़िवादी थीं। जब बीमारी पहली बार चीन में आई तो सभी मरीजों को तुरंत उनके परिवार से 14 दिन के लिए दूर कर दिया गया। इसके अलावा दो निगेटिव पीसीआर टेस्ट आने तक उन्हें छोड़ा नहीं जाता था। अब विज्ञान बदल गया है और अमेरिका में हालात भी बदल गए हैं। इस देश में ज्यादातर बीमार लोग खुद को घर में ही आइसोलेट कर लेते हैं, जबकि यह उनके परिवार को जोखिम में डालता है।

कई डायग्नोस्टिक टेस्ट मरीज के ठीक होने के हफ्ते भर बाद भी पॉजिटिव आते थे। एक्सपर्ट्स अब यह मान चुके हैं कि ये टेस्ट मर चुके वायरस के कणों के कारण ऐसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, न कि जिंदा वायरस की जो किसी को भी संक्रमित कर सकता है।

दोबारा क्वारैंटाइन होने की जरूरत नहीं है
नई गाइडलाइंस के मुताबिक, जो लोग कोविड 19 से उबर चुके हैं उन्हें किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर भी दोबारा क्वारैंटाइन में जाने की जरूरत नहीं है। अब टेस्ट की डिमांड बढ़ी है इसमें देरी भी हो रही है। ऐसे में इन लोगों पर टेस्ट करने का कोई मतलब नहीं लगता है।

गाइडलाइंस के अनुसार, जो लोग गंभीर रूप से बीमार हैं, उन्हें वायरस मुक्त होने में ज्यादा वक्त लगता है। इसके अलावा हो सकता है कि उन्हें 20 दिन तक खुद को आइसोलेशन में रखना पड़े, लेकिन उन्हें डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। जो लोग पॉजिटिव आए हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी कोई लक्षण महसूस नहीं किया वे पहले टेस्ट के 10 दिन बाद आइसोलेशन छोड़ सकते हैं।

विदेश से आने वालों को होना होगा 14 दिन के लिए क्वारैंटाइन
नई आइसोलेशन गाइडलाइंस का असर दूसरे देश से आने या पॉजिटिव केस के संपर्क में आने पर नहीं होगा। अगर उन्हें 14 दिन के लिए क्वारैंटाइन होने के लिए कहा जाता है तो उन्हें ऐसा करना होगा। नई गाइडलाइंस वायरस के ठहरने के समय पर आधारित है, न कि मरीज के ठीक होने के वक्त पर। कुछ एक्सपर्ट्स ने अनुमान लगाया है कि इस नए बदलाव से क्वारैंटाइन पीरियड कम हो सकता है।



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एक्सपर्ट्स अनुमान लगा रहे हैं कि इससे अमेरिका के टेस्टिंग सिस्टम पर दबाव कम होगा।

भारत और चीन जल्द से जल्द सेनाएं पीछे हटाने और शांति बनाने पर राजी, दोनों के मिलिट्री कमांडरों की जल्द बैठक हो सकती है July 24, 2020 at 08:30AM

भारत और चीन के बीच एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर तनाव कम करने की कोशिश जारी है। दोनों देशों में एक बार फिर से जल्द सेनाएं पीछे हटाने और शांति बनाने पर सहमति बनी है। इसमें तेजी लाने के लिए सीनियर मिलिट्री कमांडरों की जल्द ही एक और बैठक हो सकती है। इससे पहले खबर आई थी चीन पीछे हटने को राजी नहीं है और उसने 40 हजार जवानों की तैनाती भी कर दी है।

डब्ल्यूएमसीसी की 17वीं मीटिंग हुई
दोनों देशों के बीच शुक्रवार को वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कांसुलेशन एंड कॉर्डिनेशन (डब्ल्यूएमसीसी) की 17वीं मीटिंग में हुई। इस मीटिंग में भारतीय डेलिगेशन की अध्यक्षता विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने की। मीटिंग में दोनों देशों के बीच मिलिट्री कमांडरों की एक और मीटिंग कराने पर सहमति बनी। डब्ल्यूएमसीसी की 16वीं मीटिंग इसी महीने की शुरुआत में हुई थी। 2012 में डब्ल्यूएमसीसी को दोनों देशों के बीच सीमा से जुड़े विवाद सुलझाने के लिए बनाया गया था।

हथियारबंद जवान, बख्तरबंद वाहन अभी भी मौजूद
इससे पहले न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया था कि पूर्वी लद्दाख सेक्टर के विवाद वाले इलाकों से चीन की सेना पीछे नहीं हट रही है। चीन इन इलाकों में करीब 40 हजार सैनिकों की तैनाती कर रहा है। यहां चीन का एयर डिफेंस सिस्टम, बख्तरबंद गाड़ियां, बड़े हथियार और लंबी दूरी तक मार करने वाली तोपें मौजूद हैं।

रक्षा मंत्री ने वायुसेना से तैयार रहने को कहा था

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को एयरफोर्स की बैठक में चीन से सीमा विवाद के मुद्दे पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा था कि वायुसेना हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहे। पूर्वी लद्दाख में वायुसेना की तैनाती से विरोधियों में कड़ा संदेश गया है। राजनाथ सिंह ने कहा था कि वायुसेना ने पिछले कुछ महीनों में अपनी क्षमताओं को बढ़ाया है। हम देश की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हैं। देश की जनता को भी सेना पर पूरा भरोसा है।

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भारत और चीन के बीच शुक्रवार को डब्ल्यूएमसीसी की 17वीं मीटिंग में कम्प्लीट डिसएंगेजमेंट पर सहमति बनी।- फाइल फोटो

अमेरिका ने 2000 बोइंग विमानों के जांच के आदेश दिए, पुराने विमानों के इंजन फेल होने की चेतावनी July 24, 2020 at 07:42AM

फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) ने एयरलाइंस को चेतावनी दी है कि पुराने बोइंग 737 विमानों की जांच करे। कोरोनावायरस महामारी के दौरान स्टोरेज में रखे गए विमानों के वाल्व में जंग लगी हो सकती है। यह ड्युअल-इंजन फेल होने का कारण बन सकती है।

एफएए ने गुरुवार को उड़ान से संबंधित एक इमरजेंसी निर्देश जारी किया। इसमें एयरलाइंस को करीब दो हजार यूएस रजिस्टर्ड बोइंग 737 एनजी और क्लासिक विमानों का निरीक्षण करने का आदेश दिया गया है। इनमें उन विमानों की जांच की जाएगी, जिन्होंने सात या ज्यादा दिनों तक उड़ान नहीं भरी है।

बोइंग ने एक बयान में कहा कि महामारी के दौरान कम मांग के कारण प्लेन को स्टोर किया गया था। उड़ान नहीं भरने के चलते इनके वाल्व में जंग लगने की आशंका है। जब कभी भी इंजन को ऑन किया जाता है तो 5वीं स्टेज में जाते ही वाल्व अटक जाता है और एक इंजन बंद हो जाता है। ऐसे चार मामले रिपोर्ट किए गए, इसलिए आपातकालीन निर्देश जारी किए गए।

जंग वाले वाल्व को बदलने के आदेश

बोइंग ने कहा कि उसने पुराने 737 विमानों के ऑपरेटर्स को जंग वाले इंजन वाल्व की जांच करने की सलाह दी है। अगर जंग पाया जाता है, तो वाल्व को विमान के उड़ान भरने से पहले बदला जाना चाहिए। निर्देश में 737 एनजी (600 से 900 सीरिज) और 737 क्लासिक (737-300 से 737-500 सीरिज) शामिल हैं।

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महामारी के दौरान ग्राउंडेड उन विमानों की जांच की जाएगी, जिन्होंने सात या ज्यादा दिनों तक उड़ान नहीं भरी है। (फाइल फोटो)

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देश और धर्म विरोधी कंटेंट का आरोप लगाकर 100 किताबें बैन; इनमें पीओके को भारत का हिस्सा बताया गया July 24, 2020 at 12:52AM

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के एजुकेशन बोर्ड ने देश और धर्म विरोधी कंटेंट का आरोप लगाकर प्राईवेट स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली 100 किताबें बैन कर दीं। 10 हजार और किताबों का रिव्यू किया जा रहा है। इन किताबों में कुछ आपत्तिजनकफोटोग्राफ हैं तो किसी चैप्टर में पीओके को भारत का हिस्सा बताया गया है।

ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज की किताबें भी बैन
पंजाब के करिकुलम एंड टेक्स्टबुक बोर्ड (पीसीटीबी) के एमडी राज मंजूर हुसैन नासिर ने गुरुवार को यह फैसला लिया। उन्होंने कहा- प्राईवेट स्कूलों में पढ़ाई जा रही किताबों की समीक्षा की जा रही है। 30 कमेटी बनाई गई हैं। पहले चरण में 31 पब्लिशरों की 100 किताबें बैन की गई हैं। इसमें ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज की किताबेंं भीशामिल हैं। इन किताबों में देश और धर्म विरोधी कंटेंट है।

पाकिस्तान के बनने के बारे में गलत जानकारी
नासिर ने कहा- किताबों की समीक्षा से पता चला है कि पाकिस्तान और इसके बनने के बारे में गलत जानकारी दी जा रही है। कायदे आजम मुहम्मद अली जिन्ना और अल्लामा मुहम्मद इकबाल के बारे में गलत पढ़ाया जा रहा है। पाकिस्तान को भारत से कमजोर बताया गया है। पीओके को भारत का हिस्सा दिखाया गया है। कई किताबों में महात्मा गांधी से जुड़े चैप्टर भी हैं।

धर्म विरोधी कंटेंट
आरोप है कि कई किताबों में धर्म विरोधी कंटेंट है। इनके पब्लिशरों पर बैन लगा दिया गया है। अब इस तरह की किताबें नहीं बेची जा सकेंगी। दूसरे राज्यों में भी किताबों की समीक्षा की जाएगी।

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पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार के मुताबिक, बैन की गई किताबों में देश की स्थापना के बारे में गलत पढ़ाया जा रहा था।- फाइल फोटो

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