Friday, July 24, 2020

अब मरीज को आइसोलेशन से निकलने के लिए निगेटिव टेस्ट की जरूरत नहीं, विदेश से आने वालों को 14 दिन क्वारैंटाइन में रहना होगा July 24, 2020 at 02:28PM

डोनाल्ड जी मैकनील जूनियर. अमेरिका में अब कोविड 19 से ठीक हो रहे मरीज बिना टेस्टिंग के भी आइसोलेशन से बाहर आ सकते हैं। यह दिखाने के लिए कि उनमें कोई वायरस नहीं हैं। इसके अलावा अगर मरीज को बीमार हुए 10 दिन बीत चुके हैं और छोटी सांसें या दस्त जैसे लक्षण नहीं हैं तो उन्हें स्वस्थ माना जा सकता है। इसमें बगैर दवा लिए 24 घंटे तक बुखार न आना भी शामिल है।

यह नई सिफारिशें नियम नहीं हैं, बल्कि मरीज, डॉक्टर्स और हेल्थ पॉलिसी मेकर्स के लिए गाइडलाइंस हैं। सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने कहा कि इस बदलाव से देश के टेस्टिंग सिस्टम पर दबाव कम होना चाहिए। पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार यह बदलाव सुरक्षित है।

इससे पहले कराने होते थे दो टेस्ट
इससे पहले कोविड 19 के मरीज को आइसोलेशन से बाहर आने के लिए दो निगेटिव टेस्ट की जरूरत होती थी। इसे पीसीआर टेस्ट भी कहा जाता है। अब अमेरिका के कुछ हिस्सों में टेस्टिंग दो हफ्तों तक टल रही हैं और कई स्टडीज यह बताती हैं कि हल्के बीमार मरीज संक्रमण शुरू होने के 10 दिन बाद लगभग कभी संक्रामक नहीं होते हैं।

इससे पहले मुश्किल थी आइसोलेशन प्रक्रिया
वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के मेडिकल स्कूल में प्रिवेंटिव मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉक्टर विलियम शैफनर ने कहा कि इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर नर्सिंग होम्स और हॉस्पिटल्स पर नजर आएगा।

पहले आइसोलेशन को लेकर गाइडलाइन्स ज्यादा रूढ़िवादी थीं। जब बीमारी पहली बार चीन में आई तो सभी मरीजों को तुरंत उनके परिवार से 14 दिन के लिए दूर कर दिया गया। इसके अलावा दो निगेटिव पीसीआर टेस्ट आने तक उन्हें छोड़ा नहीं जाता था। अब विज्ञान बदल गया है और अमेरिका में हालात भी बदल गए हैं। इस देश में ज्यादातर बीमार लोग खुद को घर में ही आइसोलेट कर लेते हैं, जबकि यह उनके परिवार को जोखिम में डालता है।

कई डायग्नोस्टिक टेस्ट मरीज के ठीक होने के हफ्ते भर बाद भी पॉजिटिव आते थे। एक्सपर्ट्स अब यह मान चुके हैं कि ये टेस्ट मर चुके वायरस के कणों के कारण ऐसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, न कि जिंदा वायरस की जो किसी को भी संक्रमित कर सकता है।

दोबारा क्वारैंटाइन होने की जरूरत नहीं है
नई गाइडलाइंस के मुताबिक, जो लोग कोविड 19 से उबर चुके हैं उन्हें किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर भी दोबारा क्वारैंटाइन में जाने की जरूरत नहीं है। अब टेस्ट की डिमांड बढ़ी है इसमें देरी भी हो रही है। ऐसे में इन लोगों पर टेस्ट करने का कोई मतलब नहीं लगता है।

गाइडलाइंस के अनुसार, जो लोग गंभीर रूप से बीमार हैं, उन्हें वायरस मुक्त होने में ज्यादा वक्त लगता है। इसके अलावा हो सकता है कि उन्हें 20 दिन तक खुद को आइसोलेशन में रखना पड़े, लेकिन उन्हें डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। जो लोग पॉजिटिव आए हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी कोई लक्षण महसूस नहीं किया वे पहले टेस्ट के 10 दिन बाद आइसोलेशन छोड़ सकते हैं।

विदेश से आने वालों को होना होगा 14 दिन के लिए क्वारैंटाइन
नई आइसोलेशन गाइडलाइंस का असर दूसरे देश से आने या पॉजिटिव केस के संपर्क में आने पर नहीं होगा। अगर उन्हें 14 दिन के लिए क्वारैंटाइन होने के लिए कहा जाता है तो उन्हें ऐसा करना होगा। नई गाइडलाइंस वायरस के ठहरने के समय पर आधारित है, न कि मरीज के ठीक होने के वक्त पर। कुछ एक्सपर्ट्स ने अनुमान लगाया है कि इस नए बदलाव से क्वारैंटाइन पीरियड कम हो सकता है।



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एक्सपर्ट्स अनुमान लगा रहे हैं कि इससे अमेरिका के टेस्टिंग सिस्टम पर दबाव कम होगा।

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