Sunday, September 13, 2020

किसान के बेटे योशिहिडे सुगा बन सकते हैं देश के अगले प्रधानमंत्री, 8 साल तक देश के चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं September 13, 2020 at 07:14PM

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के इस्तीफे के बाद किसान के बेटे योशिहिडे सुगा देश के नए प्रधानमंत्री बन सकते हैं। देश की रूलिंग लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) उन्हें अगला पीएम चुन सकती है। इसके लिए पार्टी अपने सांसदों का सोमवार को चुनाव कराएगी। सुगा 8 साल तक देश के चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं। उन्हें शिंजो आबे का करीबी माना जाता है।

आबे ने इस्तीफा देते वक्त अगले प्रधानमंत्री के नाम पर कुछ भी नहीं कहा था। उन्होंने अपनी पार्टी एलडीपी से अपील की थी कि वह जल्द नया प्रधानमंत्री चुने। स्थानीय मीडिया के मुताबिक,आबे ने एलडीपी के सेक्रेटरी जनरल और सांसद तोशिहिरो निकाइ को नया प्रधानमंत्री चुनने से जुड़े कामों को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी थी।

सुगा के पिता स्ट्रॉबेरी उगाने वाले किसान थे

सुगा अपने परिवार से राजनीति में आने वाले पहले शख्स हैं। उनके पिता अकिता राज्य के कस्बे युजावा में में स्ट्रॉबेरी की खेती करते थे। हाई स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद सुगा टोक्यो आ गए। यहां उन्होंने कार्डबोर्ड फैक्ट्री से लेकर फिश मार्केट तक में पार्ट टाइम काम किया। ये काम करके वह अपनी यूनिवर्सिटी की फीस चुकाया करते थे। उनका पॉलिटिकल कैरियर 1987 में शुरू हुआ। उस समय उन्होंने योकोहामा एसेम्बली सीट के लिए एक दर्जन जूते एक बार में पहनकर चुनाव प्रचार किया था। इस चुनाव में उन्हें जीत मिली और वे राजनीति में आ गए

दो और नेता थे रेस में

प्रधानमंत्री बनने की रेस में एलडीपी के पॉलिसी चीफ फुमियो किशिदा और पूर्व रक्षा मंत्री शिगेरु इशिबा भी शामिल थे। दोनों ही नेताओं ने शिंजो के पद छोड़ने के तुरंत बाद यह पद संभालने की अपनी इच्छा जाहिर कर दी थी। सबसे अंत में योशिहिडे सुगा का नाम सामने आया था। हालांकि वे सबसे आगे निकल गए। पूर्व रक्षा मंत्री शिगेरु इशिबा पूर्व पीएम शिंजो आबे के आलोचक रहे हैं। उनके पास केवल 19 सांसदों का समर्थन होने की बात भी सामने आई थी।

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हाई स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद सुगा टोक्यो आ गए। यहां उन्होंने कार्डबोर्ड फैक्ट्री से लेकर फिश मार्केट तक में पार्ट टाइम काम किया है।- फाइल फोटो

डेमोक्रेट्स की उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस ने अपने नाना-नानी की तारीफ की, कहा- उनके जुनून की वजह से ही आज यहां पहुंची September 13, 2020 at 07:12PM

वॉशिंगटन. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले भारतवंशियों को लुभाने की कोशिश तेज हो गई है। डेमोक्रेट्स की उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस ने अपने भारतवंशी ग्रैंडपेरेंट्स की तारीफ की। उन्होंने ट्वीट किया- मेरे ग्रैंडपेरेंट्स (नाना-नानी) शानदार थे। मेरे नाना भारत की आजादी के समर्थक थे। मेरी नानी पूरे भारत में घूमी थी और महिलाओं को बर्थ कंट्रोल के बारे में बताती थीं। उनके जुनून और हमारे भविष्य को बेहतर बनाने की जिद से ही आज मैं इस मुकाम पर हूं।

इससे पहले 27 अगस्त को भी हैरिस ने अपने भाषण में अपने नाना का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि हम लोग मद्रास जाने के बाद वहां नाना के साथ बीच पर टहलने जाते थे। वो हमें भारत के फ्रीडम फाइटर्स के किस्से सुनाते थे। मैं नाना की सिखाई बातों की वजह से ही आज इस मुकाम पर हूं।

अमेरिका और भारत के लोग संस्कृति से जुड़े हुए हैं

भारत का जिक्र करते हुए हैरिस ने भारतवंशियों के एक कार्यक्रम में कहा था कि अमेरिका और भारत के लोग अपने इतिहास और संस्कृति की वजह से जुड़े हुए हैं। मेरी मां श्यामला गोपालन 19 साल की उम्र में कैलिफोर्निया आईं। उनके पास ज्यादा सामान नहीं था। वे अपने पेरेंट्स की सिखाई बातों के साथ यहां आईं थीं। मेरी मां चाहतीं थीं कि मैं और मेरी बहनें इस बात को जानें कि हम कहां से आए हैं। उनकी कोशिश थी कि हम अपनी जड़ों से जुड़े रहें। वे हमेशा मुझे इडली खाने के लिए भी कहती थीं।

हैरिस 12 अगस्त को चुनीं गईं थी उप राष्ट्रपति उम्मीदवार

डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति उम्मीदवार जो बिडेन ने 12 अगस्त को भारतीय मूल की कमला हैरिस को उप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार चुना था। हैरिस अभी सीनेट की सदस्य हैं। वे कैलिफोर्निया की अटार्नी जनरल रह चुकी हैं। अमेरिका के इतिहास में अब तक सिर्फ दो बार कोई महिला उप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनी है। 1984 में डेमोक्रेट गेराल्डिन फेरारो और 2008 में रिपब्लिकन सारा पालिन को उप राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया गया था। दोनों को हार मिली थी।

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अमेरिका में डेमोक्रेट पार्टी की उप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस ने रविवार को ट्वीट कर अपने भारतवंशी नाना नानी की तारीफ की।- फाइल फोटो

चुनाव से पहले प्लाज्मा थैरेपी को मंजूरी देने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ने दबाव बनाया, अब वैक्सीन को लेकर अधिकारियों ने जताई चिंता September 13, 2020 at 05:55PM

यह अगस्त का तीसरा हफ्ता था। रिपब्लिकन कन्वेंशन में बस कुछ दिन बाकी रह गए थे। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इसे लेकर उतावले थे। वहीं, व्हाइट हाउस के अफसर इस बात को लेकर चिंतित थे कि कैसे दिखाया जाए कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए देश ने अगला कदम उठा लिया है।

इसके लिए ब्लड प्लाज्मा यानी कि ठीक हुए मरीजों का खून बीमार मरीजों के लिए इस्तेमाल करने को मंजूरी देनी थी। करीब दो हफ्ते से इमरजेंसी में इसके इस्तेमाल की मंजूरी अटकी थी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) को इसके असरकारी होने को लेकर चिंताएं थीं।

इसलिए 19 अगस्त को ट्रम्प ने एनआईएच के डायरेक्टर डॉ. फ्रांसिस कॉलिन्स को कॉल किया। उन्होंने एक छोटा सा मैसेज दिया कि इस काम को शुक्रवार तक पूरा करवाएं। यह शुक्रवार तक नहीं हो सका। रविवार तक फूड एंड एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट के रेगुलेटर एनआईएच की शंकाओं को दूर करने के लिए अंतिम समय में किया जाने वाला डेटा रिव्यू पूरा नहीं कर सके थे।

क्या था व्हाइट हाउस का प्रेशर कैंपेन?
लेकिन, कन्वेंशन के मौके पर राष्ट्रपति ने एफडीए से प्लाज्मा थैरेपी को मंजूरी मिलने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि यह अब बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे मौतें 35% तक कम हो जाएंगी। ट्रम्प का कॉलिन्स को किया गया फोन कॉल व्हाइट हाउस का एक प्रेशर कैंपेन था। यह देश की सरकारी हेल्थ एजेंसियों पर अपनी मर्जी थोपने के लिए किया गया था।

वैज्ञानिकों को हुआ वैक्सीन के लिए दबाव बनाने का डर
प्लाज्मा थैरेपी को मंजूरी दिलाकर व्हाइट हाउस दिखाना चाहता था कि जिस महामारी ने देश में 1 लाख 92 हजार लोगों की जान ली है, उससे लड़ाई में प्रगति हुई है। यह एक ऐसा पल था, जिसके बाद अमेरिका के वैज्ञानिक और सरकारी स्वास्थ्य विभाग से जुड़े रेगुलेटरों को लगने लगा कि ट्रम्प चुनाव से पहले वैक्सीन लाने के लिए भी ऐसा ही दबाव बना सकते हैं। वे वैक्सीन के असरकारी होने और उसके सुरक्षित होने की कसौटियों पर परखे बिना मंजूरी देने को कह सकते हैं।

क्या हुआ प्लाज्मा थैरेपी को मंजूरी दिलाने वाली रात?
प्लाज्मा थैरेपी की मंजूरी की घोषणा वाली रात कॉलिन्स को व्हाइट हाउस आने को कहा गया। उन्हें एक कोरोनावायरस टेस्ट दिया गया और रूजवेल्ट रूम में आने को कह दिया गया। इस रूम में ट्रम्प और दूसरे व्हाइट हाउस ऑफिशियल्स पहले से बैठे थे।

उन लोगों ने ब्रीफिंग रूम में पत्रकारों से बात की। इन सबके बीच डॉ. कॉलिन्स और डॉ. पीटर मार्क्स लाचार होकर सबकुछ देखते रहे। डॉ. पीटर एफडीए के उन टॉप रेग्युलेटर में से एक हैं, जिन पर वैक्सीन को मंजूरी देने के प्रोसेस और इसमें किसी तरह की दखलअंदाजी नहीं होने देने की जिम्मेदारी है।

व्हाइट हाउस ने प्लाज्मा से इलाज को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया
व्हाइट हाउस के अफसरों ने प्लाज्मा से असरकारी इलाज होने की बात को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया। इसके बाद से ही इस थैरेपी को लेकर चर्चाएं शुरू हुईं, जो अगले कई दिनों तक जारी रहीं। ऐलान के बाद कॉलिन्स व्हाइट हाउस से निकल गए।

लेकिन, प्लाज्मा को मंजूरी देने वाले मार्क को ओवल ऑफिस तक ले जाया गया। उन्हें ट्रम्प और उनके कुछ वरिष्ठ सहयोगियों से मिलवाने के लिए वहां ले जाया गया था। ट्रम्प वहां दूसरे लोगों के साथ कप केक और व्हाइट आइसिंग के साथ जश्न मना रहे थे।

एनआईएच के डायरेक्टर को जश्न मनाते ट्रम्प से मिलाया गया
मार्क ने मंजूरी मिलने के एक दिन बाद एक इंटरव्यू में कहा कि वे राष्ट्रपति की ओर से उन्हें प्लाज्मा को मंजूरी देने के लिए धन्यवाद देने से थोड़े हैरान थे। हालांकि, उन्होंने कहा था कि ट्रम्प से उनकी मुलाकात काफी कम समय के लिए हुई। इतने कम समय की मुलाकात का कोई मतलब नहीं था।

कई स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह बातें सुनीं, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का डर लगने लगा कि राजनीति और विज्ञान को जोड़ने वाली कड़ी कमजोर हो गई है। यह सब कुछ एक ऐसे समय में हुआ है, जब जनता पहले से इस बात को लेकर चिंतित है कि वैक्सीन और इलाज के आकलन में राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा है।

वैक्सीन को लेकर दो धड़ों में टकराव देखा जा रहा
चुनाव में बस सात हफ्ते का समय बचा रह गया है। ऐसे में अमेरिका में वैक्सीन और इलाज को लेकर दो धड़ों मे टकराव देखा जा रहा है। इनमें से एक धड़ा ऐसे वैज्ञानिकों और डॉक्टरों का है जो रिसर्च, डेटा और बीमारी के रिव्यू के आधार पर काम करते हैं।

वहीं, दूसरी ओर से एक ऐसे राष्ट्रपति हैं जिनके मन में विज्ञान को लेकर सम्मान नहीं है। वे कोरोनावायरस को रोकने की अपनी राजनीतिक विफलता से चोटिल हैं। वे यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे अमेरिका के लोगों को कोरोना वैक्सीन और दवा जल्द से जल्द देने के लिए दृढ़ हैं।

वैक्सीन को मंजूरी दिलवाना कठिन हो सकता है
सरकारी वैज्ञानिक और फार्मास्यूटिकल कंपनियों ने राजनीतिक लाभ के लिए लोगों की सुरक्षा से समझौता होने को रोकने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। वे सार्वजनिक तौर पर कह रहे हैं कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए विज्ञान से जुड़े फैसले लेने में ईमानदार रहेंगे।

एफडीए कमिश्नर डॉ. स्टीफन हैन ने कहा है कि बाहरी एक्सपर्ट की एडवाइजरी कमेटी के जरिए वैक्सीन को मंजूरी दी जाएगी। इससे यह प्रक्रिया पहले से ज्यादा कड़ी हो जाएगी। वैक्सीन का इमरजेंसी में इस्तेमाल करने के स्टैंडर्ड्स के लिए नई गाइडलाइंस भी लाई जा सकती है।



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दावा है कि ट्रम्प का नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के प्रमुख डॉ. फ्रांसिस कॉलिन्स को किया गया फोन कॉल व्हाइट हाउस का एक प्रेशर कैंपेन था। यह देश की सरकारी हेल्थ एजेंसियों पर अपनी मर्जी थोपने के लिए किया गया था।

कैंसर को हरा चुकीं ब्रिटेन की एंड्रिया ‘सी टू समिट’ ट्राएथलॉन पूरा करने वाली पहली महिला बनीं, 538 किमी दूरी तय की September 13, 2020 at 05:49PM

कैंसर को मात दे चुकीं ब्रिटेन की 39 साल की एंड्रिया मेसन ‘सी टू समिट’ ट्राएथलॉन चैलेंज पूरा करने वाली पहली महिला बन गई हैं। उन्होंने कुल 538 किमी की दूरी तय की। फ्रांस के लेक एनेसी में 38 किमी की स्विमिंग के बाद मेसन ने मोंट ब्लैंक पर 330 किमी साइक्लिंग की।

स्विमिंग में उन्हें 10 घंटे से भी कम का समय लगा। अंत में उन्होंने मोंट ब्लैंक पर ही 170 किमी की रनिंग और हाइकिंग की। यह यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी चोटी है। इन सब में मेसन को 4 दिन 23 घंटे और 41 मिनट का समय लगा। इस दौरान वे काफी कम सोती थीं और खाना भी कम हो गया था।

सबकुछ प्लान के हिसाब से हुआ: मेसन

ट्राएथलॉन पूरा करने के बाद एंड्रिया ने कहा, ‘मैं खुश हूं कि सब कुछ प्लान के हिसाब से हुआ। मैं इसे 5 दिनों के अंदर पूरा करना चाहती थी और कर दिखाया। लेकिन, यह काफी मुश्किल था। क्योंकि सोने के लिए सीमित समय था, लेकिन मैं सो नहीं पाती थी। इसके अलावा दौड़ने के समय मैं अपने पास खाना नहीं रख सकती थी। मालूम हो, ट्राएथलॉन एक मल्टी स्पोर्ट्स रेस होती है। इसमें स्विमिंग, साइक्लिंग और रनिंग करनी होती है।

कई बार ट्राएथलॉन छोड़ने का सोचा

एंड्रिया बताती हैं कि कई मौकों पर उनके मन में ट्राएथलॉन को छोड़ने का भी विचार आया। लेकिन, हर बार वह याद करती थी कि इसकी शुरुआत क्यों की? 2017 में उन्हें एंडोमेट्रियोसिस और सर्वाइकल कैंसर का पता चला था। जिसके बाद जीवन बचाने के लिए सर्जरी करनी पड़ी। ऑपरेशन सफल होने के बाद से उन्होंने महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर लोगों को जागरूक करने का फैसला लिया।

एंड्रिया को पहले रनिंग और हाइकिंग के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी

39 साल की एंड्रिया ट्राएथलॉन को इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स में पूरा करना चाहती थीं। उन्होंने फ्रांस के चैमोनिक्स में अपना बेस बनाया था। लेकिन, वापस लौटने से पहले ही कोरोना की वजह से बॉर्डर बंद हो गए। उन्हें प्लान बदलना पड़ा। ए‌ंड्रिया ने बताया कि प्लान ज्यादा चुनौतियों भरा था। रनिंग और हाइकिंग पार्ट के बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं थी। इन सब के बीच उन्होंने 4 सितंबर से इसकी शुरुआत की और 5 दिनों के अंदर पूरा कर दिखाया।



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2017 में एंड्रिया को एंडोमेट्रियोसिस और सर्वाइकल कैंसर का पता चला था, जिसके बाद जीवन बचाने के लिए सर्जरी करनी पड़ी।

मोदी, कोविंद और सोनिया समेत भारत के 10 हजार बड़े लोगों और संस्थाओं पर चीन की नजर, वहां की सरकार से जुड़ी डेटा कंपनी हर छोटी-बड़ी सूचना जुटा रही September 13, 2020 at 05:35PM

चीन की सरकार से जुड़ी एक बड़ी डेटा कंपनी 10 हजार भारतीय लोगों और संगठनों की निगरानी कर रही है। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनका परिवार, कई कैबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्री शामिल हैं। ज्यूडिशियरी, बिजनेस, स्पोर्ट्स, मीडिया, कल्चर एंड रिलीजन से लेकर तमाम क्षेत्रों के लोगों पर चीन की नजर है। यहां तक कि आपराधिक मामलों के आरोपियों की भी निगरानी की जा रही है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की इन्वेस्टिगेशन में ये खुलासा हुआ है।

रिपोर्ट के मुताबिक चीन के शेनझेन शहर की झेन्हुआ डेटा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी भारतीयों की रियल टाइम मॉनिटरिंग कर रही है। इसके निशाने पर भारत के जो लोग और संगठन हैं, उनकी हर छोटी-बड़ी सूचना जुटाई जा रही है। इंडियन एक्सप्रेस ने 2 महीने तक बड़े डेटा टूल्स का इस्तेमाल करते हुए झेन्हुआ के मेटा डेटा की पड़ताल के आधार पर यह खुलासा किया है।

चीन की निगरानी में भारत के ये 20 बड़े लोग शामिल
1.
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
2. रामनाथ कोविंद, राष्ट्रपति
3. राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री
4. रविशंकर प्रसाद, कानून मंत्री
5. निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री
6. पीयूष गोयल, रेल मंत्री
7. सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष
8. राहुल गांधी, कांग्रेस नेता
9. प्रियंका गांधी, कांग्रेस नेता
10. स्मृति ईरानी, टेक्सटाइल मिनिस्टर
11. बिपिन रावत, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ
12. एस ए बोबडे, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया
13. जी सी मुर्मू, कॉम्प्ट्रॉलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG)
14. शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश
15. अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री, राजस्थान
16. उद्धव ठाकरे, मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र
17. ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल
18. रतन टाटा, चेयरमैन (एमेरिटस), टाटा ग्रुप
19. गौतम अडाणी, चेयरमैन, अडाणी ग्रुप
20. सचिन तेंदुलकर, क्रिकेटर



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China's tech company is monitoring over 10,000 Indian individuals and organisations including Narendra Modi and Sonia Gandhi

Japan ruling party picks successor to PM Abe September 13, 2020 at 04:37PM

Suga, 71, who has said he would pursue Abe's key economic and foreign policies, is expected to get the bulk of votes from 394 Liberal Democratic Party (LDP) lawmakers and is likely to win a majority of 141 votes from the party's local chapters.

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Nepal's coronavirus tally inches closer to 55,000-mark September 13, 2020 at 02:15AM

Nepal's coronavirus cases on Sunday inched closer to the 55,000-mark with 1,039 new cases while the death toll due to Covid-19 climbed to 345. Nepal's coronavirus recovery rate stands at 71.5 per cent.

Angry EU rounds on Johnson's claim of Brexit blockade September 13, 2020 at 01:45AM

सिंधुपाल चौक जिले में भारी बारिश के बाद दो अलग-अलग जगहों पर भूस्खलन, 9 की मौत, 22 लापता September 13, 2020 at 12:46AM

नेपाल के सिंधुपाल चौक जिले में दो अलग-अलग जगहों पर भूस्खलन में 9 की मौत हो गई और 22 लोग लापता हो गए। चीफ डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर उमेश कुमार ढकाल ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। 9 लोगों के शव निकाले जा चुके हैं। लापता लोगों की तलाश जारी है। शनिवार रात से ही जिले में भारी बारिश हो रही है। रविवार सुबह 4 बजे के करीब भूस्खलन की घटनाएं हुईं।
ढकाल के मुताबिक, बरहाबीस म्युनिसिपैलिटी में हुए भूस्खलन में दो रिहायशी इलाके तबाह हो गए। 19 घरों में पानी पूरी तरह घुस गया है। वहीं, काफी संख्या में दूसरे घरों को भी नुकसान पहुंचा है। 222 परिवारों के लिए तत्काल रहने की व्यवस्था करने की जरूरत है।

सिंधुपाल चौक में अक्सर बाढ़ और भूस्खलन का खतरा रहता है

नेपाल के अफसरों के मुताबिक, चीन से सटे सिंधुपाल चौक जिले में अक्सर बाढ़ और भूस्खलन का खतरा रहता है। 2015 में यहां आए भूकंप में 9 हजार लोगों की जान गई थी। खास तौर पर बारहबीस इलाका में भारी बारिश के बाद भूस्खलन होने की संभावना ज्यादा रहती है।



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नेपाल के सिंधुपाल चौक जिले में रविवार को भूस्खलन के बाद टूटी सड़क के किनारे खड़े स्थानीय लोग।

'Shocking': Blair, Major chide UK plan to breach international law September 13, 2020 at 12:39AM

South Korea eases virus curbs in Seoul region September 13, 2020 at 12:39AM

China concerned about Taliban coming to power in Afghanistan September 13, 2020 at 12:09AM

Chinese military calls US biggest threat to world peace September 12, 2020 at 09:00PM

The statement follows the Sept. 2 release of the annual Defense Department report to Congress on Chinese military developments and goals that it said would have "serious implications for U.S. national interests and the security of the international rules-based order."