Wednesday, October 28, 2020

Hong Kong teen activist charged with secession October 28, 2020 at 07:35PM

Pilot killed as Taiwan fighter jet crashes into sea October 28, 2020 at 07:28PM

8 killed, 42 missing in landslides in typhoon-hit Vietnam October 28, 2020 at 05:25PM

26 देशों में 20 लाख लोगों के लिए काम करने वाली इस्लामिक चैरिटी बंद; इमरान बोले- एकजुट हों मुस्लिम देश October 28, 2020 at 07:03PM

फ्रांस में हिस्ट्री टीचर की हत्या के बाद सरकार ने इस्लामिक संस्थाओं पर शिकंजा कसना काफी तेज कर दिया है। बुधवार को यहां बाराकासिटी नाम के एक इस्लामिक चैरिटी ऑर्गनाइजेशन को बंद कर दिया गया। यह संस्था 26 देशों में करीब 20 लाख लोगों के लिए काम करती थी। फ्रांस सरकार और राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने कुछ दिन पहले कहा था कि इस्लामिक कट्टरपंथ पर सख्ती से प्रहार किया जाएगा।

दूसरी तरफ, फ्रांस में इस्लाम के अपमान के विरोध में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का बयान भी आया। उन्होंने कहा- फ्रांस में इस्लामाम के खिलाफ जो कुछ हो रहा है, उसके विरोध में सभी मुस्लिम देशों को एक हो जाना चाहिए।

संस्था ने खुद दी जानकारी
बाराकासिटी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर बताया कि फ्रांस सरकार ने इस चैरिटी ऑर्गनाइजेशन को तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया है। उसने ये भी कहा कि वो अब उस देश से ऑपरेट करना पसंद करेगी जहां उसे राजनीतिक शरण मिलेगी। संस्था के फाउंडर इदरिस शिमेदी ने तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन से मदद मांगी है। इदरिस ने ट्वीट में कहा- मैं और मेरी टीम आपके देश में राजनीतिक शरण लेना चाहते हैं। क्योंकि, फ्रांस में हम महफूज नहीं हैं।

नफरत फैला रहा थी संस्था
फ्रांस के गृहमंत्री गेराल्ड डारमेनियन ने बाराकासिटी पर गंभीर आरोप लगाए। कहा- हमारी सरकार ने सही फैसला किया है। बाराकासिटी फ्रांस में नफरत, इस्लामिक कट्टरपंथ फैला रही थी। वो आतंकियों की हरकतों की तारीफ करती थी। ऐसी किसी संस्था को इस देश में रहने का हक नहीं है। हालांकि, संस्था ने गेराल्ड के आरोप खारिज कर दिए। कहा- आपकी इंटेलिजेंस एजेंसियों के पास हमारे खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं। संस्था के फाउंडर शिमादी को कुछ दिन पहले गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि फ्रांस की एंटी टेरेरिज्म फोर्स ने उनकी काफी पिटाई भी की थी।

इमरान की अपील
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मुस्लिम देशों के राष्ट्राध्यक्षों को एक लेटर लिखा। इसमें उनसे कहा- फ्रांस में मुस्लिमों के खिलाफ जो कुछ हो रहा है, वो दुनिया में इस्लामोफोबिया फैलाने की साजिश है। इसके खिलाफ सभी मुस्लिम देशों को एकजुट होने की जरूरत है। इसकी जरूरत खासतौर पर यूरोप में है। फ्रांस में मुस्लिमों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई पिछले दिनों तब शुरू हुई जब एक लड़के ने एक हिस्ट्री टीचर की गला रेतकर हत्या कर दी। टीचर पर आरोप था कि उसने क्लास में इस्लाम का अपमान करने वाला चित्र दिखाया था।



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फ्रांस सरकार देश के मुस्लिम कट्टरपंथी संगठनों पर सख्त कार्रवाई कर रही है। इसके लिए एंटी टेरर फोर्स को लगाया गया है। (फाइल)

ट्रम्प ने कहा- बाइडेन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, सोशल और मेन स्ट्रीम मीडिया इन्हें दबाने में लगा October 28, 2020 at 06:14PM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मीडिया पर आरोप लगाया है कि वो डेमोक्रेट कैंडिडेट जो बाइडेन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को तवज्जो नहीं दे रहा। ट्रम्प के मुताबिक, मेनस्ट्रीम, प्रिंट और सोशल मीडिया बाइडेन के करप्शन को उजागर नहीं कर रहे हैं। ट्रम्प ने कहा- यह अनुभव बताता है कि अमेरिका में मीडिया को दबाने की कोशिश हो रही है। यह पहली बार नहीं है जब ट्रम्प ने मीडिया को लेकर नाराजगी जाहिर की हो। कुछ दिन पहले उन्होंने कहा था कि मैं सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात सही तरीके से लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करता हूं क्योंकि मेनस्ट्रीम मीडिया पक्षपात कर रहा है।

मीडिया पर तंज
एरिजोना की एक रैली में ट्रम्प ने कहा- एक व्यक्ति जो फंस चुका है, आरोपों से घिरा है। मीडिया उसके बारे में नहीं लिखना चाहता। वे लोग इसे मीडिया की आजादी बताते हैं, लेकिन खुद ही इसे दबाने में लगे हैं। ट्रम्प का इशारा जो बाइडेन के बेटे हंटर की तरफ था। हंटर पर रिपब्लिन पार्टी और ट्रम्प करप्शन के आरोप लगाते रहे हैं। ट्रम्प का आरोप है कि ओबामा के दौर में जब बाइडेन उप राष्ट्रपति थे तब और उसके बाद भी हंटर को रूस, चीन और यूक्रेन से पैसे मिले। बाइडेन का परिवार इससे इनकार करता रहा है।

प्रेस को आजादी नहीं
ट्रम्प ने आगे कहा- हमारे पास प्रेस की आजादी नहीं है। और ईमानदारी से कहूं तो ये शर्म की बात है। डेमोक्रेट्स करप्ट पार्टी के तौर पर जाने जाते हैं। उन्हें हंटर का वो लैपटॉप दिखाई नहीं देता, जिसमें सबूत मौजूद हैं। इसमें तो सोना है। मैंने ऐसा लैपटॉप कभी और कहीं नहीं देखा। लेकिन, वे (मीडिया) इसे देखना ही नहीं चाहते। बाइडेन ने हमारी नौकरियां चीन को सौंप दीं। उनके चीन से कारोबारी रिश्ते हैं। यही चीन हमारे कारोबार, हमारी फैक्ट्रियां और वर्कर्स को नुकसान पहुंचा रहा है।

अनजान प्लेन से दहशत
ट्रम्प जब रैली कर रहे थे, उसी वक्त अफसरों को जानकारी मिली कि रैली स्थल की तरफ एक अनजान प्लेन बढ़ रहा है। इससे कुछ देर के लिए दहशत जैसा माहौल बन गया। हालांकि, समर्थकों का हौसला बढ़ाते हुए ट्रम्प ने कहा- यूएस आर्मी मुझे कुछ दिखाना चाहती है। यह सिर्फ चार दिन पुराना प्लेन है। हमारे पास नए और बेहतरीन एफ-35 एयरक्राफ्ट्स हैं। इस दौरान ट्रम्प के समर्थकों ने यूएसए के नारे लगाए। ट्रम्प ने फिर मजाकिया लहजे में कहा- आप शायद जानते नहीं कि ये प्लेन मैंने कैसे हासिल किए। इसके लिए डेमोक्रेट्स ने पैसे दिए। जरा देखिए तो इस शानदार नजारे को।
खास बात ये है कि एफ 35 को ट्रम्प ने सही नहीं पहचाना। वास्तव में ये एफ-16 एयरक्राफ्ट था। कुछ दिन पहले मिशिगन की रैली में भी ट्रम्प का मजाक उड़ा था। तब उन्होंने हायपरसोनिक मिसाइल को कई बार ‘हायड्रोसोनिक’ मिसाइल बताया था।



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Donald Trump accused Press social media blocking serious charges against Biden; Here's New York Times (NYT) Opinion On US Election 2020

Donald Trump: The wrecking ball who came to 'fix' America October 28, 2020 at 05:21PM

Donald Trump rose to power proposing a simple solution to the United States' deepest problems: himself. Four years later, at the end of a first term that convulsed the world, the 74-year-old billionaire showman is seeking reelection.

8 killed, 42 missing in landslides in typhoon-hit Vietnam October 28, 2020 at 05:25PM

At Senate hearing, Dorsey becomes target of GOP ire October 28, 2020 at 04:22PM

US sees 500k+ cases of record 2m global infections in a week October 28, 2020 at 04:34PM

AGs of 22 states in US oppose proposed curbs on student visas October 28, 2020 at 04:44PM

फ्रांस के बाद जर्मनी में सख्त लॉकडाउन की तैयारी, चीन में दो महीनों में सबसे ज्यादा मामले October 28, 2020 at 04:26PM

दुनिया में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 4.44 करोड़ से ज्यादा हो गया है। 3 करोड़ 27 लाख 02 हजार 064 मरीज रिकवर हो चुके हैं। अब तक 11.78 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। फ्रांस के बाद जर्मनी में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। यहां सरकार ने आंशिक लॉकडाउन लगा दिया है। लेकिन, मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि जल्द ही सख्त लॉकडाउन लगाया जा सकता है।

जर्मनी में भी सख्त प्रतिबंधों की तैयारी
यूरोप के देश संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहे हैं। फ्रांस ने एक महीने का सख्त लॉकडाउन लगाया। जर्मनी ने पार्शियल यानी आंशिक लॉकडाउन का ऐलान किया। लेकिन, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि जल्द ही एंजेला मर्केल सरकार सख्त लॉकडाउन लगाने जा रही है। इसकी वजह देश में बढ़ता संक्रमण और लोगों का सावधानी न बरतना है। सरकार की कोशिश है कि संक्रमण एक घर से दूसरे घर तक न पहुंच सके। 10 लोगों से ज्यादा एक स्थान पर नहीं जुट सकेंगे। कुल 16 शहरों में सख्त प्रतिबंध रहेंगे। सरकार ने कहा है कि बहुत जरूरी न होने पर लोग यात्रा करने से बचें। इसकी वजह से दिक्कतें बढ़ सकती हैं।

बुधवार को जर्मनी के बर्लिन में एक रेस्टोरेंट के बाहर से गुजरते लोग। यहां आंशिक लॉकडाउन लगाया गया था। अब खबर है कि सरकार इसे सख्त लॉकडाउन में बदल सकती है।

साउथ अफ्रीकी प्रेसिडेंट आईसोलेशन में
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा सेल्फ आईसोलेशन में चले गए हैं। शनिवार को रामफोसा एक डिनर में शामिल हुए थे। इस डिनर में शामिल एक शख्स को बाद में संक्रमित पाया गया। हालांकि, राष्ट्रपति के प्रेस सेक्रेटरी ने साफ कर दिया कि रामफोसा में फिलहाल किसी तरह के लक्षण नहीं देखे गए हैं। लेकिन, इसके बावजूद उन्हें ऐहतियातन आईसोलेट होने को कहा गया है।

चीन में 47 नए मामले
चीन में बुधवार को एक दिन में 47 नए मामले सामने आए। यह दो महीने में सबसे ज्यादा केस हैं। अब सरकार ने कहा है कि वो इसे संक्रमण की दूसरी लहर की तरह देख रही है और इसे रोकने के लिए सख्त उपाय किए जाएंगे। फिलहाल, सरकार की सबसे बड़ी फिक्र इस बात को लेकर है कि लोकल ट्रांसमिशन के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। नेशनल हेल्थ अथॉरिटी ने बुधवार रात जारी बयान में कहा- 23 मामले स्थानीय संक्रमण के हैं और यह परेशानी पैदा करने वाले हैं।

फोटो बुधवार की है। बीजिंग की एक मेट्रो ट्रेन में मास्क लगाए हुए लोग। चीन सरकार ने संकेत दिए हैं कि देश में संक्रमण की दूसरी लहर शुरू हो रही है। लिहाजा, एक बार फिर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।

फ्रांस में दूसरा लॉकडाउन
फ्रांस में संक्रमण की दूसरी लहर को देखते हुए सरकार सतर्क हो गई है। बीबीसी के मुताबिक, राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने देश में दूसरी बार लॉकडाउन लगा दिया है। लॉकडाउन पूरे नवंबर के लिए रहेगा। नया प्रतिबंध शुक्रवार से शुरू होगा। लोगों को केवल जरूरी कामों या मेडिकल इमरजेंसी में ही घर से निकलने की इजाजत होगी। इस दौरान रेस्टोरेंट और बार बंद रहेंगे, लेकिन स्कूल और फैक्ट्रियां खुली रहेंगी। देश में अब तक करीब 12 लाख संक्रमित मिल चुके हैं और 35,541 लोगों की मौत हो चुकी है।

अमेरिका में एक हफ्ते में 5600 संक्रमितों की मौत
अमेरिका में चुनाव बिल्कुल सिर पर है, लेकिन यहां कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक हफ्ते में पांच लाख से ज्यादा नए संक्रमित मिले हैं। इसी दौरान 5600 संक्रमितों की मौत हो गई। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने यह जानाकारी दी है। कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य इलिनॉइस है। 31 हजार मामले इसी राज्य में सामने आए। पेन्सिलवेनिया और विस्कॉन्सिन में भी हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। विस्कॉन्सिन के हेल्थ इंचार्ज आंद्रे पॉम ने कहा- हम चाहते हैं कि चुनाव के लिए मतदान के दौरान कोरोना दिक्कत न बने। इसके लिए हर जरूरी व्यवस्था की जा रही है।



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बुधवार को फ्रांस के पेरिस शहर में सूना पड़ा एक बाजार। फ्रांस सरकार ने बुधवार रात देश में सख्त लॉकडाउन का ऐलान किया है। हालांकि, इसके विरोध में प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं।

Covid-19: France and Germany thrust into lockdown October 28, 2020 at 04:12PM

Under the new French measures which come into force on Friday, people will be required to stay in their homes except to buy essential goods, seek medical attention, or exercise for up to one hour a day. They will be permitted to go to work if their employer deems it impossible for them to do the job from home. Schools will stay open.

व्यक्तित्व विकास के नाम पर सेक्स स्लेव बनाने वाले को 120 साल की जेल; 13 करोड़ जुर्माना October 28, 2020 at 02:58PM

अमेरिका में एनएक्सआईवीएम सेक्स पंथ के फाउंडर कैथ रेनियर को 120 साल की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने 13 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया। कानून द्वारा जुर्माने की यह अधिकतम सीमा है। रेनियर को सेक्स ट्रैफिकिंग, चाइल्ड पोर्नोग्राफी सहित कई मामलों में मंगलवार को सजा सुनाई गई। रेनियर महिलाओं को कम खाना देता था और यौन गुलाम बनाता था। उनके शरीर पर पहचान या फैशन के लिए हमेशा रहने वाले विभिन्न तरह के निशान या टैटू बनवाता था।

अमेरिकी जिला जज निकोलस गरौफिस ने ब्रूकलिन में सुनवाई की, जहां एनएक्सआईवीएम के 15 पूर्व सदस्यों ने रेनियर के खिलाफ अपनी बात रखी। सुनवाई के बाद गरौफिस ने कहा, ‘पीड़ितों ने जो दर्द सहा है उसको कोई शब्द बयां नहीं कर सकता।’ 2018 तक इस पंथ में 16 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे।

एनएक्सआईवीएम: 5 दिन के एंट्री कोर्स की फीस 2 लाख रुपए

रेनियर ने 1998 में एनएक्सआईवीएम नाम की मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनी बनाई। इसके जरिए वह लोगों को व्यक्तित्व और व्यावसायिक विकास की ट्रेनिंग देता था। इसमें डॉस नाम की एक सीक्रेट सोसाइटी के लिए रिक्रूटमेंट होता था। ग्रुप दावा करता था कि यह लोगों को उनके डर, निराशा और लिमिटेड क्षमताओं से आगे ले जाएगा।

गवाह महिलाओं के मुताबिक, इसमें शामिल होने के बाद सेक्स के लिए कहा जाता था। फिर फोटो-वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया जाता था। रेनियर उनके दिमाग कोे भ्रमित करता था। पंथ का पहला एंट्री कोर्स 5 दिन का था, जिसकी फीस 2 लाख रुपए थी।



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120 years in prison for making sex slaves in the name of personality development; 13 crore fine

पिछली बार ट्रम्प की जीत का फैक्टर बने थे, अब बाेले-मेरे कारण ट्रम्प जीते तो दुख होगा October 28, 2020 at 02:58PM

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए हो रहे चुनाव में होवी हॉकिंस ग्रीन पार्टी के उम्मीदवार हैं। िपछले चुनाव में वे ट्रम्प की जीत का फैक्टर बने थे। उनकी पार्टी को 50 में से 46 राज्यों के मतपत्रों में प्रतिनिधित्व प्राप्त है। हालांकि इस बार वे ट्रम्प और बाइडेन दोनाें के विरोध में हैं। वे मानते हैं कि दोनों उम्मीदवारों की पार्टियां जनहित में काम में सक्षम नहीं हैं। पढ़िए रितेश शुक्ल से उनकी चर्चा के संपादित अंश :

  • पूरा चुनाव ट्रम्प-बाइडेन पर केंद्रित है, फिर आपकी पार्टी कहां खड़ी है?

रिपब्लिकन हो या डेमोक्रेट, दोनों पार्टियां कॉर्पोरेट अमेरिका और युद्ध उद्योग की हिमायती हैं। मीडिया भी इनका माउथपीस बनकर रह गया है। आज चर्चा का बड़ा मुद्दा यह है कि बाइडेन और ट्रम्प में से कौन अमेरिका के लिए बेहतर है। मैं कहता हूं कि पहले यह तो तय हो कि अमेरिका कौन है। कॉर्पोरेट और वॉर मशीनरी से जुड़े व्यापारी अमेरिका हैं तो बाइडेन बेहतर हैं क्योंकि उनका व्यवहार सभ्य है। पर पॉलिसी के स्तर पर तो ट्रम्प-बाइडेन में अंतर है ही नहीं।

  • आपकी नजर में अमेरिका कौन है?

हम किराए के मकान में रहने वाले लोगों, मध्यवर्गीय परिवारों, आम सैनिकों, बच्चों, महिलाओं व गरीब बीमार बुजुर्गों को अमेरिका मानते हैं और तो दोनों ही बेहतर नहीं हैं। ट्रम्प या बाइडेन में से कोई भी राष्ट्रपति बने, जनता की समस्याएं हल नहीं होंगी।

  • लोग कहते हैं कि आप डेमाेक्रेटिक पार्टी के वोट काटकर ट्रम्प की मदद करेंगे?

ट्रम्प 40 साल से कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत अपराध में सने हुए हैं। ट्रम्प जैसा श्वेत व्यक्ति ही अपराधों के बावजूद खुले में घूम सकता है। हमारी पार्टी नस्लवादी तानाशाह प्रवृत्ति के ट्रम्प और कॉर्पोरेट अधीन डेमोक्रेट का विरोध करती है। इसलिए हम अलग चुनाव लड़ रहे हैं। हमारे पक्ष में पड़ने वाले वोट के कारण ट्रम्प जीतते हैं तो हमें दुख होगा।

हाॅकिंस इसलिए वाेट काटेंगे

हॉकिंस की मौजूदगी 73% वोटरों में है। 538 में से 380 इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य चाहें तो हॉकिंस को वोट कर सकते हैं। ऐसे वोटर जो बाइडेन-ट्रम्प दोनाें को पसंद नहीं करते, वे भी उन्हें वोट कर सकते हैं।



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Been a factor of Trump's victory the last time, now I will be sad if Trump wins.

पोलिंग बूथ हटाए जा रहे, फर्जी ड्रॉप बॉक्स रखे और गलत बैलेट पेपर भेज हो रही धांधली October 28, 2020 at 02:58PM

कोरोना के कारण इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में 7 करोड़ लोग पहले ही वोट डाल चुके हैं। यह 2016 में पड़े कुल वोट का 50% है। इन सबके बीच चुनाव को प्रभावित करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। राज्य सरकारें फाइनल वोटिंग से पहले उन जगहों से पोलिंग बूथ हटवा रही हैं, जहां उन्हें खुद की पार्टी के जीतने की संभावना कम दिखती हैं।

मतदाताओं को बड़ी संख्या में गलत मतपत्र भेजे जा रहे हैं। फर्जी बैलेट ड्रॉप बॉक्स लगाने की भी खबरें आई हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर ए. शिक्लर बताते हैं कि आज की परिस्थिति में विदेशी ताकतों से ज्यादा खतरा देश में पनप रही उद्दंडता से है। पूरी कोशिश हो रही है कि ज्यादा से ज्यादा लोग वोट न दे पाएं।

वहीं एबसेंटी बैलेट के कानून ऐसे हैं कि वे भी तकनीकी कारणों से खारिज किए जा सकते हैं। टेक्सास जैसे रिपब्लिकन राज्यों की सरकारों ने हर काउंटी में एक ही पोलिंग स्टेशन का कानून बनाया है। यह स्पष्ट करता है कि लोगों के वोट डालने के रास्ते में अड़चनें पैदा की जा रही हैं।

ये वोटर्स को दबाने, वोट देने से रोकने और प्रक्रिया में बाधा डालने जैसे कदम हैं। यहीं नहीं, ज्यादातर पोल में बाइडेन से पीछे चल रहे राष्ट्रपति ट्रम्प और उनकी रिपब्लिकन पार्टी चुनाव को फर्जी साबित करने में लगी है। नजदीकी मुकाबलों में हर वोट मायने रखता है।

डाक से भेजे गए मतों की गिनती करने में 1 से 2 हफ्ते लग जाते हैं। ट्रम्प इन मतपत्रों की गिनती को गैरकानूनी बता रहे हैं। चुनाव विशेषज्ञ इसे चुनाव में हस्तक्षेप का सबसे बड़ा उदाहरण मान रहे हैं।

विदेशी हस्तक्षेपः ईरान और रूस द्वारा भेजे मेल में ट्रम्प को हराने की अपील

21 अक्टूबर को अमेरिका के इंटेलीजेंस डायरेक्टर जॉन रैटक्लिफ ने कहा कि रूस और ईरान ने अमेरिकी वोटर की लिस्ट चोरी कर ली है। वोटर्स को फर्जी वोट भेजकर डराया जा रहा कि वे ट्रम्प को वोट न दें। हालांकि इसके कोई प्रमाण नहीं हैं कि फर्जी ईमेल का वोटर्स पर क्या प्रभाव पड़ता है।

सुप्रीम कोर्ट ने 3 नवंबर के बाद डाक से मिलने वाले वोटों की गिनती रोकी

विस्कोंसिन की कोर्ट ने आदेश दिया था कि डाक से भेजे गए वोट 3 नवंबर के बाद भी मिलते हैं तो उनकी गिनती होगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इससे राज्य के बचे 4 लाख वोटर्स में से 1 लाख वोट नहीं डाल सकेंगे। 2016 में ट्रम्प यहां 22,748 वोट से जीते थे।

प्रशासनः गलत मतपत्र भेजे और 21 हजार पोलिंग बूथ तक हटवा लिए

लोगों को गलत मतपत्र भेजे जा रहे हैं। न्यूयॉर्क शहर में ही 1 लाख लोगों को गलत मतपत्र मिले हैं। जिन पर उनके नाम और पते गलत थे। इससे वोटिंग में देरी हो रही है। यहीं नहीं विस्कोंसिन में 21 हजार पोलिंग स्टेशन 21 अक्टूबर तक हटा लिए गए थे। यहां गरीब और अश्वेत आबादी की बहुलता है।

रिपब्लिकन पार्टी ने खुद माना कि उसने फर्जी ड्राप बॉक्स लगवाए

डेमोक्रेटिक के गढ़ कैलिफोर्निया में रिपब्लिकन पार्टी ने माना कि उन्होंने सर्वाधिक आबादी वाले इस राज्य में आधिकारिक तौर पर डाले जा रहे वोट को प्राप्त करने के लिए फर्जी बैलेट ड्रॉप बॉक्स रखे थे। एक्सपर्ट के मुताबिक, यह कदम गैरकानूनी और धोखाधड़ी को बढ़ावा देने वाला है।

  • इतिहास बताता है कि जब भी वोटर टर्नआउट बढ़ता है इससे रिपब्लिकन पार्टी को नुकसान होता है। इसलिए ट्रम्प और उनकी पार्टी हर संभव प्रयास कर रही है कि कम से कम वोट पड़े। विशेषज्ञ इसे चुनावी धांधली बता रहे हैं।

आयोग में कमिश्नर के 6 में 3 पद खाली, कार्रवाई के लिए चार जरूरी

अमेरिका में धांधली और विदेशी हस्तक्षेप के मामले में चुनाव आयोग कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है। यहां तक ट्रम्प के धांधली के आरोपों पर भी चुनाव उन्हें नोटिस तक नहीं भेज सकता है। क्योंकि अमेरिकी चुनाव में आचार संहिता जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। ये कहना है अमेरिका के केंद्रीय चुनाव आयोग के सबसे अनुभवी कमिश्नर एलेन विनट्राब का। विनट्राब नें चिंता जताई कि मौजूदा चुनाव में चुनाव आयोग की स्थिति दयनीय है, क्योंकि आयोग में कमिश्नर के 6 पदों में से 3 खाली हैं।

आयोग किसी मुद्दे पर कोई निर्णय ले सके, इसके लिए 4 कमिश्नर का होना जरूरी है। मतलब यह है कि अगर कोई चुनावी फंडिंग, धांधली को लेकर शिकायत दर्ज करता है तो आयोग तब तक कोई कार्रवाई नहीं कर सकता जब तक कोरम पूरा न हो जाए।

अमेरिका के केंद्रीय चुनाव आयोग (एफईसी) की जिम्मेदारी बस इतनी है कि वह चुनाव में सीधे तौर पर दिए गए चंदे कि निगरानी करे। मई 2020 तक प्रचार की फंडिंग से संबंधित 350 शिकायतें आयोग प्राप्त कर चुका है।

2016 में रूस ने चीफ ऑफ स्टाफ का मेल हैक कर दखलंदाजी की थी

2016 में रशियन सिक्योरिटी सर्विसेज के हैकरों ने व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ और हिलेरी क्लिंटन के चुनावी कैंपेन के चेयरमैन जॉन पोडेस्टा का ईमेल हैक कर लिया था। इन हैकरों ने उनके मेल से 20 हजार पन्ने प्राप्त किए थे, जिन्हें विकीलीक्स ने चुनाव से पहले सार्वजनिक कर दिए थे। सोशल मीडिया पर भी विदेशी खुफिया एजेंसियों ने फर्जी खबरों की बाढ़ ला दी थी।



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तस्वीर न्यूयॉर्क की है। कोरोना की वजह से लोगों को वोट डालने में दिक्कतें आ रही हैं। उन्हें लंबी कतारों में घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।

कोरोना काल में बढ़े यूजर्स, हम हर दिन औसतन 7 घंटे इंटरनेट पर बिता रहे; दुनिया का वक्त जोड़ें तो हर रोज 10 लाख साल October 28, 2020 at 02:58PM

दुनिया की आबादी करीब 800 करोड़ है। इनमें से 466 करोड़ लोग यानी करीब 60% आबादी इंटरनेट चला रही है। इनमें से 70 करोड़ भारत में हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में लोग इंटरनेट पर ज्यादा वक्त बिताने लगे हैं।

इंटरनेट यूजर्स का स्क्रीन टाइम करीब एक घंटा बढ़ गया है। आज हम हर दिन औसतन 7 घंटे इंटरनेट पर बिता रहे हैं। अगर पूरी दुनिया का इंटरनेट पर बिताया जाने वाला वक्त जोड़ें, तो यह हर दिन 10 लाख साल के बराबर होता है।

  • दुनिया इंटरनेट यूजर्स 1 साल में 32.1 करोड़ यानी 7.4% बढ़े। दुनिया की आबादी 1% बढ़ी।
  • 18 करोड़ लोग जुलाई से सितंबर तक सोशल मीडिया से जुड़े, यानी हर दिन करीब 20 लाख।
  • भारत इंटरनेट यूजर्स एक साल में 23% बढ़े। ज्यादातर इंटरनेट यूजर्स की उम्र 16 से 64 साल।
  • 91% यूजर्स अपने मोबाइल पर इंटरनेट चलाते हैं। अन्य लोग कंप्यूटर या अन्य साधनों पर चलाते हैं।

दुनिया में हर सेकंड 14 लोग इंटरनेट से जुड़ते हैं

  • 2.29 घंटे हम औसतन रोज सोशल मीडिया पर बिता रहे हैं।
  • अक्टूबर 2019 से अक्टूबर 2020 तक 45 लाख से ज्यादा यूजर्स सोशल मीडिया पर एक्टिव हुए हैं।
  • इसमें सालाना 12% की ग्रोथ दर्ज की गई है। हर सेकंड करीब 14 लोग इंटरनेट से जुड़ रहे हैं।


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Increased users in the Corona era, we spend an average of 7 hours on the Internet every day; If you add the time of the world then every day 1 million years

दूसरी बार प्रेसिडेंट बनना चाह रहे ट्रम्प के पास सिर्फ नारे, वोटर्स को बताने के लिए कोई एजेंडा नहीं October 28, 2020 at 02:39PM

डोनाल्ड ट्रम्प पांच साल पहले गोल्डन एस्केलेटर के जरिए सियासत में दाखिल हुए और प्रेसिडेंशियल कैम्पेन चलाया। उन्होंने कहा था- मैं ओबामाकेयर के बड़े झूठ का पर्दाफाश करूंगा। एक बड़ी दीवार बनाउंगा, जैसी पहले किसी और ने नहीं बनाई होगी। इसके लिए मैक्सिको को भी पैसा देना होगा। ट्रम्प फिर मैदान में हैं, लेकिन कुछ नहीं बदला। अब उनके सलाहकार उन्हें दूसरी पारी के लिए नए सुझाव दे रहे हैं। मिशन टू मार्स और दुनिया का सबसे बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर सिस्टम आदि। ये सिर्फ बातें और दावे हैं। इनकी कहीं कोई डिटेल नहीं। जॉर्ज बुश इसे विजन कहते थे।

फिर वही स्लोगन
ट्रम्प ने पिछले चुनाव में जो वादे किए थे, वे इस बार भी वही हैं। मेक अमेरिका ग्रेट अगेन। खास बात ये है कि ट्रम्प के कुछ समर्थकों को भी नहीं मालूम कि उनका अगले टर्म के लिए प्लान क्या होगा। 20 साल के कायला बर्न्स कहते हैं- मुझे उनके वादों या इरादों के बारे में जानकारी नहीं। मैं बस उनको वोट देना चाहता हूं। चार साल के कार्यकाल में ट्रम्प ने सियासी और राष्ट्रपति के तौर पर कई परंपराएं तोड़ीं, नियम तोड़े। लेकिन, अब भी वे ये नहीं बता पाते कि उन्हें चार साल और मिले तो वे क्या करेंगे।

सिर्फ बाइडेन पर फोकस
ट्रम्प अब भी उसी रास्ते पर चल रहे हैं, जिस पर पहले चल रहे थे। कोरोनावायरस के आने से पहले जो हालात थे, ट्रम्प उसका क्रेडिट खुद ले रहे हैं। उनका पूरा फोकस जो बाइडेन को निशाना बनाने पर है। महामारी से वे बेफिक्र नजर आते हैं। संक्रमण बढ़ रहा है, राष्ट्रपति कहते हैं कि ये कम हो रहा है, खत्म होने वाला है। प्रेसिडेंट हिस्ट्री के जानकार डगलस ब्रिंकले कहते हैं- मैंने पहले कभी ऐसा नहीं देखा। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले को अपना चार साल का प्लान बताना ही होता है। ट्रम्प इसका पालन नहीं कर रहे हैं। ट्रम्प ये भी नहीं बता पा रहे हैं कि देश को महामारी से कैसे निकालेंगे।

तब तस्वीर ज्यादा साफ थी
2016 में बातें और दावे ज्यादा साफ थे। आप ये नहीं कह सकते कि एक वर्तमान राष्ट्रपति वॉशिंगटन में पॉलिटिकल आउटसाइडर है। रिपब्लिकन स्ट्रैटेजिस्ट ब्रैड टॉड कहते हैं- मेरा अनुभव तो ये कहता है कि वोटर आपको राष्ट्रपति बनाकर जिम्मेदारी सौंपते हैं। ये आखिरी जॉब नहीं होता। टम्प डेमोक्रेट्स को कट्टर वामपंथी कहते हैं और दावा करते हैं कि चुनाव तो हर हाल में वो ही जीतेंगे। उनके समर्थक भी परेशान हैं। वे भी नहीं समझा पा रहे हैं कि राष्ट्रपति महामारी और इकोनॉमी को लेकर क्या कहना और क्या करना चाहते हैं। उन्हें भी ट्रम्प का एजेंडा खोखला नजर आने लगा है।

स्विंग स्टेट्स में फिक्र ज्यादा
स्विंग स्टेट्स के रिपब्लिकन समर्थक भी चाहते हैं कि राष्ट्रपति इकोनॉमिक रिकवरी पर बोलें। कम से कम प्रचार के अंतिम दौर में तो ये बताएं कि उनकी रणनीति क्या होगी। लेकिन, ट्रम्प ये भी नहीं कर पा रहे हैं। हालिया, पोल्स भी बताते हैं कि इलेक्शन के मुद्दों पर ट्रम्प पीछे हैं। वोटर्स भी बंट रहे हैं कि क्या ट्रम्प इकोनॉमी को संभाल पाएंगे। 2016 में उनकी कैम्पेन मैनेजर रहीं कैलीन कॉन्वे कहती हैं कि ट्रम्प इकोनॉमिक रिकवरी और वैक्सीन डेवलपमेंट का तरजीह देंगे।

समर्थकों के तर्क
ट्रम्प के कुछ समर्थक ऐसे भी हैं जो ये दावा करते हैं कि राष्ट्रपति ने पहले ही काफी काम किया है और उनसे आप कितनी और अपेक्षा रखते हैं। 55 साल की डायना कॉन्वेरेसा कहती हैं- ट्रम्प वही कर रहे हैं, जो उन्हें करना चाहिए। यानी अपना काम। ओहियो के जॉन टेनोरी वकील हैं। वे कहते हैं- ट्रम्प का एजेंडा सिर्फ अपने आर्थिक हित देखना है। फिर चाहे इसके लिए पुतिन से ही मदद क्यों न लेना पड़े। एक रिटायर्ड सोशल वर्कर पैटी जॉर्डन कहती हैं- मुझे राष्ट्रपति में किसी बदलाव की उम्मीद नजर नहीं आती। देश की जिम्मेदारी लेने से वो भागते हैं।

नीतियां तो बतानी होंगी
आमतौर पर दोबारा मैदान में आने वाले राष्ट्रपति अपना एजेंडा साफ करते हैं। बिल क्लिंटन ने कहा था कि वे 21वीं सदी के लिए रास्ता तैयार कर रहे हैं। जॉर्ज बुश ने दुनिया को महफूज करने और अमेरिकी आशावाद का नारा दिया था। बराक ओबामा ने विकास का सूत्र दिया था। बुश के दौर में व्हाइट हाउस में पॉलिटिकल डायरेक्टर रह चुकीं सारा फेगन कहती हैं- ट्रम्प अगर अगले टर्म के लिए एजेंडा पेश करते हैं तो वे फायदे में रहेंगे। उन्हें ये बताना चाहिए कि उनके और बाइडेन की नीतियों में क्या फर्क रहेगा। लोग इसे समझना चाहते हैं।

ट्रम्प इरादे जाहिर कर चुके हैं
अगस्त में ट्रम्प ने न्यूयॉर्क टाइम्स को एक इंटरव्यू दिया था। इसमें ईमानदारी से सेकंड टर्म के बारे में बात की थी। उनसे पूछा गया था कि अगर अगर वोटर्स उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए चुनते हैं तो उनका बर्ताव कैसा रहेगा? इस पर उन्होंने कहा था- पहले जैसा ही।



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"We see from bad deals, violations of sovereignty and lawlessness on land and sea that the Chinese Communist Party is a predator, and the United States comes in a different way, we come as a friend, and as a partner," Pompeo told a televised news conference in the capital, Colombo.

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Schools, daycares and shops will remain open, but hotels will be allowed to offer overnight stays only for "necessary and expressedly non-tourist purposes". Bars, cafes, restaurants would have to shut, although takeaways and delivery services can keep going.

2 dead, 26 missing as Typhoon Molave slams into Vietnam October 27, 2020 at 10:09PM

सऊदी अरब ने पाकिस्तान के नक्शे से कश्मीर और गिलगित-बाल्तिस्तान हटाए, इमरान सरकार चुप October 27, 2020 at 09:05PM

सऊदी अरब ने पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया। सऊदी सरकार ने अगले महीने होने वाली जी-20 समिट के लिए एक विशेष नोट जारी किया है। इसके पिछले हिस्से पर जी-20 देशों के नक्शे हैं। खास बात ये है कि इसमें कश्मीर, गिलगित और बाल्तिस्तान को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं दिखाया गया है। इन्हें स्वतंत्र देश के तौर पर दिखाया गया है। पाकिस्तान की सरकार ने इस पर अब तक कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। जी-20 शिखर सम्मेलन 21 और 22 को रियाद में आयोजित किया जाएगा।

नोट पर नक्शा
जी-20 समिट सऊदी अरब की रियाद में होगी। सऊदी अरब सरकार और प्रिंस सलमान के लिए अध्यक्षता का यह मौका फख्र की बात है। 24 अक्टूबर को इस मौके को यादगार बनाने के लिए सऊदी सरकार ने 20 रियाल का बैंकनोट जारी किया। इसमें सामने की तरफ सऊदी किंग सलमान बिन अब्दुल अजीज का फोटो और एक स्लोगन है। दूसरे यानी पिछले हिस्से में वर्ल्ड मैप है। इसमें जी-20 देशों को अलग-अलग रंगों में दिखाया गया है। इसमें कश्मीर के अलावा गिलगित और बाल्तिस्तान को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बताया गया।

इजराइल की बढ़ती भूमिका
‘यूरेशियन टाइम्स’ ने इस बारे में एक रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक, सितंबर में इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के चीफ योसी कोहेन ने संकेत दिए थे कि अमेरिकी चुनाव के बाद सऊदी अरब और बाकी अरब देशों के साथ इजराइल के कूटनीतिक संबंध सामान्य हो जाएंगे। पाकिस्तान के पीएम इमरान ने पहले ही साफ कर दिया था कि उनका देश इजराइल को मान्यता नहीं देता और न उसके साथ डिप्लोमैटिक रिलेशन बनाएगा।

चीन के साथ पाकिस्तान
रिपोर्ट के मुताबिक, फिलिस्तीन और कश्मीर पर पाकिस्तान की नीति समान है। लेकिन, सऊदी अरब और इजराइल के भारत से काफी करीबी रिश्ते हैं। प्रिंस सलमान ने बदलते वक्त के साथ विदेश नीति भी बदली। वे अब भारत को काफी ज्यादा महत्व दे रहे हैं। पाकिस्तान उनकी नजर में कहीं नजर नहीं आता। हालात ये हैं कि अगस्त में सऊदी सरकार से फौरन कर्ज वापस करने को कह दिया था जबकि पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर था। कश्मीर पर भी सऊदी सरकार एक शब्द भारत के खिलाफ नहीं बोली। बाकी अरब देशों ने भी यही किया। पाकिस्तान अब नया गुट बनाने की कोशिश कर रहा है। इसमें उसे चीन और तुर्की का साथ मिल रहा है। लेकिन, अमेरिका, इजराइल और सऊदी अरब इस पर नजर बनाए हुए हैं।



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फोटो पिछले साल फरवरी की है। तब सऊदी अरब के प्रिंस सलमान पाकिस्तान यात्रा पर आए थे। इमरान खान खुद उन्हें रिसीव करने इस्लामाबाद एयरपोर्ट पहुंचे थे। इतना ही नहीं इमरान ने खुद कार ड्राइव की थी। कूटनीतिक हलको में इसकी काफी आलोचना भी हुई थी।

US offers F-18 fighters to India for Naval requirement October 27, 2020 at 08:52PM

Seeking to develop further closer ties with India, the United States of America (USA) has offered its F-18 naval fighter jets for the Indian Navy's requirements of combat jets for its aircraft carriers.

Jailed Saudi woman activist in new hunger strike: Family October 27, 2020 at 08:41PM

Prominent women's rights activist Loujain al-Hathloul, held along with at last a dozen other activists in Saudi Arabia since 2018, began a new hunger strike on Monday over the conditions of her detention, her family said.

Pfizer says Covid-19 vaccine still possible in 2020 despite data lag October 27, 2020 at 08:31PM

Pfizer Chief Executive Albert Bourla said the drug giant could supply some 40 million doses in the United States in 2020 if clinical testing proceeds as expected and regulators approve a vaccine. "If all goes well, we will be ready to distribute an initial number of doses," said Bourla, who pointed to a US government contract for Pfizer to supply 40 million doses by the end of this year and 100 million doses by March 2021.

PoK activist slams Imran govt for celebrating narrow escape of from FATF 'blacklist'' October 27, 2020 at 08:07PM

"We know that Financial Action Task Force (FATF) has refused to take Pakistan out of the grey list and woh baal baal bache hai (saved by the skin of their teeth) from entering the blacklist. They are celebrating that they are in the grey list instead of mourning that they are in the grey list," Mirza said at a webinar was organized by CMRK (Center for media research on Kashmir).