Wednesday, October 21, 2020

RAW चीफ सामंत कुमार 9 घंटे काठमांडू में रुके, आला अफसरों से बातचीत की; विजिट के मकसद पर सस्पेंस October 21, 2020 at 07:14PM

रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के चीफ सामंत कुमार गोयल ने बुधवार को अचानक नेपाल की यात्रा की। सामंत यहां सिर्फ 9 घंटे ही रुके। उनकी इस यात्रा के बारे में भारत या नेपाल सरकार की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई है। अगले महीने आर्मी चीफ जनरल मुकुंद मोहन नरवणे भी नेपाल का दौरा करने वाले हैं।

दोपहर में काठमांडू पहुंचे सामंत
नेपाल के अखबार ‘माय रिपब्लिका’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सामंत कुमार दोपहर करीब एक बजे काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे। उनके साथ कुछ 9 अफसर और थे। एक सूत्र के मुताबिक, सामंत और उनके साथ आए अफसर भारतीय वायुसेना के एक विशेष विमान से नेपाल पहुंचे। जानकारी के मुताबिक, उन्होंने कुछ हाईलेवल मीटिंग्स कीं। लेकिन, यह किसके साथ थीं, इस बारे में जानकारी नहीं मिल सकी। साथ ही यात्रा का मकसद भी साफ नहीं हो सका।

जून में रॉ चीफ बने थे
सामंत ने पिछले साल जून में रॉ के प्रमुख का पदभार संभाला था। 20 जुलाई को वे नेपाल के दौरे पर आए थे और यहां तीन दिन तक मीटिंग्स कीं थीं। लेकिन, उनका यह दौरा इसलिए खास हो जाता है क्योंकि इस बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं दी गई थी। अगले महीने भारत के आर्मी चीफ जनरल नरवणे भी नेपाल आने वाले हैं। उनकी यात्रा की तारीखें अब तक तय नहीं की गई हैं।

कुछ महीने पहले तनाव था
भारत और नेपाल के बीच कुछ महीने पहले तनाव बढ़ गया था। भारत ने लिपुलेख और धारचूला में एक सड़क बनाई थी। नेपाल ने यह कहते हुए इसका विरोध किया था कि यह उसका क्षेत्र है। इतना ही नहीं नेपाल ने एक नया नक्शा भी जारी किया था। इसे यूएन और कई देशों को भेजा था। नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने भी भारत को लेकर बयानबाजी की थी। भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव चल रहा है। ऐसे में रॉ और कुछ दिनों बाद आर्मी चीफ की यात्रा के कुछ मायने निकाले जा सकते हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
भारत ने 8 मई को लिपुलेख से धारचूला तक सड़क का उद्घाटन किया था। भारत और नेपाल की सीमा 1800 किलोमीटर की है। इस सड़क निर्माण पर नेपाल ने ऐतराज करते हुए इसे अपना क्षेत्र बताया था। (फाइल)

5 questions as Trump and Biden prepare for final debate October 21, 2020 at 06:28PM

Britain partners with Oxford firm to assess coronavirus vaccine T cell responses October 21, 2020 at 06:22PM

पूर्व पीएम नवाज बोले- मुल्क में दो सरकारें चल रही हैं, इमरान के मंत्री ने कहा- आग से खेल रहा है विपक्ष October 21, 2020 at 06:10PM

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने एक बार फिर फौज और इमरान खान सरकार पर तीखा हमला बोला। लंदन में मीडिया से बातचीत के दौरान नवाज ने कहा- मेरे मुल्क के हालात कौन नहीं जानता। अब और किस सबूत की जरूरत है। देश में दो सरकारें चल रही हैं और ये दुनिया जानती है कि कौन ये सब कर रहा है। दूसरी तरफ, इमरान खान सरकार में मंत्री शिबली फराज ने विपक्षी नेताओं के संगठन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक फ्रंट को सीधे तौर पर चेतावनी दी।

नवाज ने क्या कहा
नवाज शरीफ कुछ महीने पहले इलाज कराने लंदन गए थे। इसके बाद से वहीं पर हैं। ब्रिटेन सरकार एक बार उन्हें पाकिस्तान को सौंपने से इनकार कर चुकी है। अब इमरान सरकार ने दूसरी बार इसके लिए अपील की है। नवाज ने बुधवार शाम मीडिया से बातचीत की। कहा- लोगों को यह जानने का हक है कि सिंध के आईजीपी को किन लोगों ने अगवा किया था। ये जानने का हक है कि पाकिस्तान में दो सरकारें कैसे चल रही हैं। मेरे दामाद पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए आप राज्य के सबसे बड़े पुलिस को अगवा करके दबाव बनाएंगे? यह ध्यान रखना होगा कि जनता ये सब देख रही है और इसका माकूल जवाब भी दिया जाएगा।

विपक्षी नेताओं को धमकी
इमरान सरकार में इन्फॉर्मेशन मिनिस्टर शिबली फराज ने विपक्षी संगठन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेताओं को सीधी धमकी दी। फराज ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा- विपक्ष दुश्मन के एजेंडे पर चल रहा है। यह इस मुल्क से गद्दारी है। मैं एक बार फिर पीडीएम के नेताओं को आगाह करना चाहता हूं कि वे आग से खेलना बंद करें, नहीं तो सरकार को सख्ती दिखानी पड़ेगी। हालांकि, फराज ने सिंध में आईजीपी को अगवा करने के सवाल को यह कहते हुए टाल दिया कि आर्मी चीफ इसकी जांच के आदेश दे चुके हैं।

देश में मार्शल लॉ
पीडीएम के नेता और बड़े धार्मिक गुरू मौलाना फजल उर रहमान ने कहा है कि पाकिस्तान में अघोषित तौर पर मार्शल लॉ लगा हुआ है और वक्त आने पर तमाम चीजें साफ हो जाएंगी। रहमान ने कहा- अब और किसी सबूत की जरूरत नहीं है। जो कुछ देश में चल रहा है, उसे दुनिया देख रही है और यह खतरे के संकेत हैं। ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन हर कोई यह देख सकता है कि पाकिस्तान में इस वक्त मार्शल लॉ लगा हुआ है। अगर इमरान और उनके रहनुमाओं को कुछ गलतफहमी है तो वो इसे दिमाग से निकाल दें। ये सरकार चंद दिनों की मेहमान है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
नवाज शरीफ कुछ महीने से लंदन में हैं। इमरान खान सरकार ने बुधवार को ब्रिटेन सरकार को फिर लेटर लिखा। इसमें शरीफ को पाकिस्तान भेजने की मांग दोहराई गई है। (फाइल)

Three-man US-Russian crew returns to Earth from ISS October 21, 2020 at 05:29PM

पूर्व राष्ट्रपति ओबामा बोले- ट्रम्प ने खुद सावधानी नहीं बरती, वो अमेरिका के लोगों की हिफाजत कैसे करेंगे October 21, 2020 at 05:21PM

पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कोरोनावायरस को लेकर डोनाल्ड ट्रम्प पर निशाना साधा। फिलाडेल्फिया में बुधवार रात एक रैली में ओबामा ने ट्रम्प के गैर जिम्मेदाराना रवैये के उनकी आलोचना की। ओबामा ने कहा- कोविड-19 से बचने के लिए जो बुनियादी सावधानियां रखनी चाहिए, ट्रम्प ने वे भी रखना मुनासिब नहीं समझा। वे आम अमेरिकियों की हिफाजत कैसे करेंगे।

आठ महीने से क्या कर रहे हैं ट्रम्प
लिंकलेन में एक डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन के समर्थन में एक रैली में ओबामा ने ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन पर चौतरफा हमले किए। कहा- महामारी को आठ महीने हो चुके हैं। देश में मामले थमने के बजाए बढ़ते जा रहे हैं। आप ट्रम्प से यह उम्मीद न करें कि वो हम सबको बचा लेंगे। वे तो खुद को संक्रमित होने से नहीं बचा सके। यह कोई टीवी रियलिटी शो नहीं है। लोगों को अपनी जिम्मेदारियों की गंभीरता समझनी होगी।

बाइडेन और हैरिस को देखिए
ओबामा ने आगे कहा- जो बाइडेन और कमला हैरिस को देखिए। वे कोई फालतू बात नहीं करते। और फिर इस राष्ट्रपति को देखिए। वो अपने ट्वीट के जरिए साजिशें रचते हैं। वो कहते हैं कि वास्तव में ओसामा बिन लादेन को हमारे नेवी सील कमांडो ने नहीं मारा था। देश को बांटने की साजिश की जा रही है। इससे अमेरिकी समाज के बुनियादी ढांचे पर असर पड़ रहा है। हमारे बच्चे आज जो देख रहे हैं, उन पर क्या असर होगा। बर्ताव और कैरेक्टर मायने रखते हैं। इसका ध्यान कौन रखेगा।

पहली बार कैम्पेन में शामिल हुए ओबामा
बाइडेन और डेमोक्रेट्स की तरफ से ओबामा पहली बार प्रचार में शामिल हुए। ट्रम्प पर तंज कसते हुए ओबामा ने कहा- एक तरफ तो ट्रम्प कोरोनावायरस के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराते हैं, उसको सजा देने की बात करते हैं और दूसरी तरफ चीन के बैंक में उनके अकाउंट्स सामने आते हैं। ये दोतरफा बात क्यों की जा रही है। ओबामा न्यूयॉर्क टाइम्स की बुधवार को जारी उस रिपोर्ट का जिक्र कर रहे थे, जिसमें बताया गया था कि ट्रम्प का चीन के एक बैंक में अकाउंट है।

ओबामा ने कहा- क्या आप यह उम्मीद करते हैं कि मैं चीन को सजा देने का वादा करूं और वहीं के एक बैंक में अपना पैसा डिपॉजिट करूं। इसके बाद दूसरी बार राष्ट्रपति बनने की कोशिश करूं। ओबामा शनिवार को मियामी और अगले हफ्ते ओरलैंडो में भी रैलियां करने वाले हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Former President Barack Obama hits out at Donald Trump over on Covid-19 US Election 2020; Here's New York Times (NYT) Opinion On US Election 2020

France Covid-19 cases surpasses 1 million October 21, 2020 at 05:00PM

US approves $1 billion in new arms sales to Taiwan October 21, 2020 at 04:46PM

The US government announced approval Wednesday to sell $1 billion worth of advanced air-to-ground missiles to Taiwan as the island shores up its defenses against the threat from China.

US says Iran, Russia obtained voter registration info October 21, 2020 at 04:30PM

Director of National Intelligence John Ratcliffe said both Iran and Russia seek to "to communicate false information to registered voters that they hope will cause confusion, sow chaos, and undermine confidence in American democracy."

डोनाल्ड ट्रम्प जानते हैं कि वे चुनाव हार चुके हैं, अब वे सिर्फ हार का अंतर कम करने की कोशिश में जुटे हैं October 21, 2020 at 03:57PM

डोनाल्ड ट्रम्प अब भी 2020 का राष्ट्रपति चुनाव जीत सकते हैं। इसके 10 या 15% चांस हैं। लेकिन, अगर ऐसा होता है तो इसका श्रेय उनकी बंटवारे की कोशिशों के जाएगा। इसके लिए मैंने पहले ही कॉलम लिखकर रख लिया है। क्योंकि, फिलहाल जो कुछ हम देख रहे हैं वो उससे साफ जाहिर होता है कि वो सत्ता में बने रहने के बजाए अब हार का अंतर कम करने की कोशिश कर रहे हैं।

2016 में भी यही किया था
शुरुआत उनके री-इलेक्शन मैसेजिंग से कर सकते हैं। 2016 में उन्होंने हिलेरी क्लिंटन के खिलाफ इसी तरह की बातें की थीं, जैसी अब कर रहे हैं। जैसे- डेमोक्रेट्स यानी हिलेरी ने खराब ट्रेड डील कीं, गलत युद्धों का समर्थन किया, अगर वे जीतीं तो कई और फैक्ट्रीज बंद हो जाएंगी, कई सैनिक मारे जाएंगे, गैर कानूनी तरीके से लोग अमेरिका में आएंगे वगैरह, वगैरह।

2020 में क्या हो रहा है
अब बात इस चुनाव यानी 2020 की कर लेते हैं। ट्रम्प का कैम्पेन दो अलग-अलग चीजों के बीच फंसा नजर आता है। पहले में पिछले कैम्पेन की झलक नजर आती है। जो बाइडेन को वे पुरानी और विफल सरकार का प्रतीक बता रहे हैं। इसमें वे वॉशिंगटन में उनके कार्यकाल के सभी 47 साल का हवाला देते हैं। ट्रम्प कहते हैं कि बाइडेन अमेरिका के तमाम हित चीन को बेच देंगे। इस दौरान बाइडेन के बेटे हंटर बाइडेन पर भी इल्जाम लगाए जाते हैं। उन्हें भी घसीटा जाता है।

दूसरी बात ट्रम्प ये कहते हैं कि डेमोक्रेट्स तो वास्तव में बर्नी सेंडर्स को उम्मीदवार बनाना चाहते थे। लेकिन, सेंडर्स की उम्र बाधा बन गई और कट्टरपंथी लेफ्ट वाले उन्हें ये मौका नहीं दे सके। कमला हैरिस पर भी निशाना साधा जाता है।

विरोधाभास साफ नजर आता है
अच्छा कैम्पेन तब होता जबकि ट्रम्प की इन दोनों दलीलों को ठीक से बुना जाता यानी उनमें बैलेंस होता। लेकिन, यहां उनकी बातों में विरोधाभास साफ नजर आता है। पुराने आरोपों को दोहराने और ऑनलाइन दुखड़ा रोने से दूसरों को वे मौका देते हैं। रेडियो और ट्विटर के जरिए यह साबित करने के कोशिश कर रहे हैं कि जैसे राष्ट्रपति का यही काम हो। चार साल बाद भी वे यही सोच रहे हैं कि जैसे वे चुनाव के बाद मीडिया में पहले की तरह नजर आएंगे।

सच्चाई कुछ और है...
लेकिन, ट्रम्प अपनी बात पहुंचाने में नाकाम रहे हैं, और ये साफ नजर आ रहा है। इस चुनाव में वोटर्स के सामने दो ही मुख्य मुद्दे हैं। महामारी और अर्थ व्यवस्था। ट्रम्प ने महामारी को कैसे हैंडल किया। ये साफ नजर आता है। इकोनॉमी के मामले में आंकड़े बेहतर हैं। कोरोनावायरस के पहले बेरोजगारी के आंकड़े क्या थे और इसके बाद जो इस महामारी से निपटने के लिए खर्च किया गया, उन्हें देखिए। इसका मतलब ये हुआ कि कैम्पेन में गिरावट आनी थी, और वो आई भी। हालात सुधारने के लिए राहत पैकेज दिए गए। यह दिखाने की कोशिश की गई कि महामारी से निपटने के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। देश से यह वादा भी किया गया कि रिलीफ फंड्स के जरिए वैक्सीन आएगी और 2021 में सब पहले जैसा यानी सामान्य हो जाएगा।

खुद भी संक्रमित हुए
ट्रम्प ने रिलीफ पैकेज पर महीनों तक चर्चा नहीं की। सियासी तौर पर यह कमजोरी साबित हुई। दिक्कतें तब और बढ़ गईं जब वे खुद कोविड-19 से संक्रमित हो गए। बाद में भी ये साबित करने की कोशिश हुई कि हम बहुत ज्यादा टेस्ट कर रहे हैं और हर्ड इम्युनिटी के करीब हैं। कुछ मुद्दे हैं। जैसे, लॉकडाउन का असर नहीं हुआ और इसे फिर से लागू नहीं किया जा सकता। स्कूलों को फिर खोल दिया जाए कि खतरा कम हो गया है, वायरस उतना घातक अब नहीं रहा, जितना पहले बताया जा रहा था। और अच्छे इलाज की वजह से मौतें कम होने लगी हैं।

अंदाजा गलत साबित हुआ
लेकिन, ये दलीलें गलत साबित हुईं। पहली बात कि हर्ड इम्युनिटी एक मूविंग टारगेट जैसी चीज है। यानी इसमें हालात के हिसाब से बदलाव होता रहता है। यूरोप इसका उदाहरण है। वहां सर्दियों में हालात खराब थे, गर्मियों में बेहतर हुए और अब फिर बिगड़ रहे हैं। बेल्जियम इसकी मिसाल है। ध्यान रखिए, अगर टेस्ट्स से ये साबित हो रहा है कि ज्यादातर केस हल्के लक्षणों वाले हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि वायरस से लोगों की मौत होना बंद हो गई है। यह अमेरिका और यूरोप दोनों जगह देखा जा सकता है। सितंबर में अस्पतालों में मरीज बढ़े। डेथ रेट थम गया है। अभी यह करीब 711 है। नवंबर तक इसके फिर बढ़ने का खतरा है।

री-ओपनिंग का फैसला गलत था
दो तिहाई अमेरिकी मानते हैं कि नवंबर में मतदान के वक्त वे कोरोनावायरस के बारे में जरूर सोचेंगे। ट्रम्प ने सर्दियों में री-ओपनिंग का फैसला करके गलती की। यूरोप में जो हालात अब सामने आ रहे हैं उससे साफ हो जाता है कि यह पूरे पश्चिम की दिक्कत है। लेकिन, यह भी सही है कि ट्रम्प जिस सच्चाई से इनकार कर रहे हैं, उसकी वजह से और ज्यादा अमेरिकी मारे जा सकते हैं। कुल मिलाकर उनका हर फैसला आखिर में उनकी सियासी हार की वजह बनेगा।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Donald Trump Vs Joe Biden 2020 Presidential Campaign; Here's New York Times (NYT) Latest US Election Opinion

स्पेन में संक्रमितों का आंकड़ा 10 लाख के पार, फ्रांस इसके करीब; दुनिया में अब तक 4.14 करोड़ October 21, 2020 at 03:42PM

दुनिया में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 4.14 करोड़ से ज्यादा हो गया है। 3 करोड़ 9 लाख 2 हजार 255 मरीज रिकवर हो चुके हैं। अब तक 11.35 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। यूरोपीय देशों में संक्रमण का आंकड़ा काफी तेजी से बढ़ रहा है। स्पेन में यह 10 लाख से ज्यादा हो गया। फ्रांस में 10 लाख के करीब है और इटली भी बढ़ते संक्रमण से अब फिर दहशत में है।

स्पेन और फ्रांस में दिक्कत ज्यादा
पश्चिमी यूरोप में स्पेन ऐसा पहला देश है, जहां संक्रमितों की संख्या अब 10 लाख से ज्यादा हो गई है। सरकार ने भी साफ कर दिया है कि दूसरी लहर के ज्यादा घातक साबित होने की आशंका है, लिहाजा सख्त प्रतिबंध लगाए जाएंगे। दूसरी तरफ, फ्रांस में भी यही हालात हैं। यहां भी 10 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। 34 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 9 शहरों में कर्फ्यू लगाए जाने के बाद हालात कुछ सुधरे हैं। पहले एक दिन में करीब 40 हजार तक मामले सामने आए थे। बुधवार को यहां 25 हजार नए केस सामने आए।

फ्रांस सरकार ने साफ कर दिया है कि वो उन इलाकों की पहचान कर रही है, जो नए क्लस्टर साबित हो सकते हैं। इन क्षेत्रों में नए सिरे से कर्फ्यू लगाया जाएगा। देश के कई अस्पतालों में इमरजेंसी और रेड अलर्ट जारी किया गया है।

स्पेन सरकार ने कहा है कि देश में मामले 10 लाख से ज्यादा हो चुके हैं। अस्पतालों में आईसीयू भी तेजी से भरते जा रहे हैं। यहां जल्द नए प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। टूरिस्ट प्लेसेस पर भी आवाजाही सीमित की जा सकती है। (फाइल)

अमेरिका के चार राज्यों में मौतें बढ़ीं
अमेरिका में 3 नवंबर को होने वाले चुनाव के पहले संक्रमण के साथ ही मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है। इनमें विस्कॉन्सिन भी शामिल है। इसके बारे में कहा जा रहा है कि चुनाव नतीजों में इस राज्य का रोल अहम रहेगा। आयोवा, मिनेसोटा और मोंटाना में भी मरने वालों का आंकड़ा बढ़ा है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इलिनॉइस में भी बुधवार को 66 संक्रमितों की मौत हो गई। विस्कॉन्सिन के गवर्नर टोनी एवर्स ने कहा- दोस्तो, वक्त की नजाकत समझिए और घर में ही रहिए। क्योंकि, अगर आप घर में रहेंगे तो हम अपनी कम्युनिटी को सुरक्षित रख पाएंगे।

विस्कॉन्सिन के मिलवाउकी में हेल्थ वर्कर्स सर्वे कर रहे हैं। अब स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि लोगों को घर में रहने के लिए प्रेरित करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। (फाइल)

ब्राजील में वॉलेंटियर को प्लेसिबो दिया गया था
ब्राजील की हेल्थ ऑथोरिटी अन्विसा ने बुधवार को बताया कि एस्ट्राजेनेका एजेडएनएल और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा डेवलप कोरोना वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में एक वॉलेंटियर की मौत हो गई। लेकिन, अधिकारियों का कहना है कि टेस्टिंग जारी रहेगी।

ऑक्सफोर्ड ने कहा कि क्लीनिकल ट्रायल की सुरक्षा को लेकर कोई दिक्कत नहीं है। वैक्सीन का ट्रायल जारी रहेगा। ब्राजील के अखबार ओ ग्लोबो ने बताया कि वॉलेंटियर को प्लेसिबो दिया गया था न कि ट्रायल वैक्सीन। अन्विसा ने ट्रायल में शामिल लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं दिया है।

न्यूजीलैंड बाहरी केस ज्यादा
न्यूजीलैंड की हेल्थ मिनिस्ट्री ने बुधवार को 25 नए केस मिलने की पुष्टि की। गुरुवार को यहां 2 नए मामले मिले। मिनिस्ट्री द्वारा जारी बयान के मुताबिक, कई हफ्तों बाद एक दिन में इतने मामले एक साथ सामने आए हैं। इनमें से दो मामले कम्युनिटी ट्रांसमिशन के हैं। इसके अलावा सभी मामले आईसोलेशन से जुड़े थे। संक्रमित पाए गए लोगों में 18 रूस और यूक्रेन के हैं। ये हाल ही में मछली पालन के सिलसिले में न्यूजीलैंड पहुंचे थे। इन्हें एक होटल में क्वारैंटाइन किया गया था। न्यूजीलैंड के डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ एश्ले ब्लूमफील्ड भी पॉजिटिव पाए गए हैं। वे रूस जाने वाले थे, लेकिन अब उन्होंने यात्रा रद्द कर दी है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
फ्रांस के पेरिस में एक रेस्टोरेंट के बाहर से गुजरती महिला। यहां कुल 9 शहरों में रात का कर्फ्यू अब भी जारी है। बुधवार को देश में 25 हजार नए मामले सामने आए। यह पिछले हफ्ते के मुकाबले कम हैं।

पाकिस्तान में आतंकी धमकी के बीच 350 किमी यात्रा कर हिंगलाज मंदिर पहुंच रहे श्रद्धालु, चंद्रगुप्त ज्वालामुखी पर श्रीफल चढ़ाने के बाद ही दर्शन October 21, 2020 at 03:05PM

तपती गर्मी के बीच नंगे पैर किशोर, महिला-पुरुष मां के जयकारे लगाते हुए 300 फुट ऊंचे चंद्रगुप्त ज्वालामुखी पर चढ़ाई कर रहे हैं। हाथ में श्रीफल लिए 55 वर्षीय रमेश जायसवाल कहते हैं कि वे सिंध प्रांत के उमरकोट से नंगे पैर आए हैं। 15 दिन में 350 किमी दूरी तय की। इन्हीं की तरह सैकड़ों श्रद्धालु मां हिंगलाज के दर्शन के लिए नंगे पैर पहुंचे हैं। ज्यादातर नवरात्र के 9 दिन रुककर व्रत रखते हैं और सुबह-शाम मां की आरती में हिस्सा लेते हैं।

भारत के बाहर पाकिस्तान में यह ऐसी शक्तिपीठ है, जहां सबसे ज्यादा दर्शनार्थी पहुंचते हैं। इस बार कोरोना की पाबंदी के चलते तादाद कम है, लेकिन उत्साह में कमी नहीं है। हर साल यहां 2 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं। लेकिन इस बार नवरात्र में 4 दिन में 6 हजार से ज्यादा श्रद्धालु ही पहुंचे हैं। दरअसल सरकार ने एक समूह में 6 से ज्यादा लोगों को यात्रा की अनुमति नहीं दी है। पहले लोग बस से 50-60 के समूह में यात्रा करते थे। इस साल कोविड पाबंदियों के चलते भारत, कनाडा, ब्रिटेन से आने वाले हजारों श्रद्धालु भी नहीं आ सके हैं।

माता के दर्शन से पहले श्रद्धालु चंद्रगुप्त ज्वालामुखी पर चढ़ते हैं। श्रीफल अर्पित करते हैं और अनुष्ठान करते हैं। मंदिर के करीब ही हिंगोल नदी है। श्रद्धालु इसमें पवित्र स्नान के बाद ही माता के दर्शन करते हैं। मुख्य पुजारी महाराज गोपाल हैं, जो कई दशक पहले मां के दर्शन के लिए आए थे और यहीं के होकर रह गए। वे बताते हैं कि सरकार ने मंदिर का जीर्णाेद्धार करवाया है। हिंगलाज माता कमेटी के महासचिव पेशुमल अरलानी बताते हैं कि बेहतर इंतजाम और तटीय हाइवे बनने से यात्रा आसान हो गई है।

अरब तट के किनारे कराची से ग्वादर तक 657 किमी हाइवे बन रहा है। हालांकि इस बार भी आतंकियों ने श्रद्धालुओं को निशाना बनाने की धमकी दी है। इसे देखते हुए मंदिर और यात्रा मार्ग पर सुरक्षा बल तैनात किए हैं। बीते गुरुवार को हमले में एक दर्जन से ज्यादा जवान मारे गए थे।

लिखित इतिहास 14वीं सदी का, हिंगलाज पहाड़ी पर गिरा था सिर

इतिहासकारों का मत है कि हिंगलाज यात्रा का लिखित उल्लेख 14वीं सदी से मिलता है। मान्यता है कि भगवान शिव के तांडव से बचाने के लिए विष्णु ने चक्र से सती की पार्थिव देह के टुकड़े किए थे। ये जिन स्थानों पर गिरे, वे शक्तिपीठ कहलाए। सिर हिंगलाज पहाड़ी पर गिरा। इसलिए यह 51 शक्तिपीठों में सबसे प्रमुख है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Devotees traveling to Hinglaj temple traveling 350 km amid terror threat in Pakistan

सर्च में Google की दादागिरी के खिलाफ अमेरिका में केस; जानिए भारत में क्या असर पड़ेगा? October 21, 2020 at 02:27PM

अमेरिका में जस्टिस डिपार्टमेंट और 11 राज्यों ने सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले सर्च इंजिन Google पर मुकदमा दर्ज किया है। उस पर आरोप लगा है कि प्रतिस्पर्धा खत्म करने और अपना एकाधिकार जमाने के लिए उसने अवैध तरीके से ऐपल और स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों से एक्सक्लूसिव डील्स की।

दो दशक में यह किसी टेक्नोलॉजी फर्म के खिलाफ सबसे बड़ा मुकदमा है। इससे पहले 1998 में इसी तरह का मुकदमा माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ भी दर्ज हुआ था। वैसे, Google पर यह आरोप पहले भी लगते रहे हैं। अब खबरें यह भी आ रही हैं कि ऑस्ट्रेलिया और जापान भी यूरोप और अमेरिका के साथ बड़ी टेक कंपनियों के एकाधिकार को चुनौती देने की तैयारी में है।

ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इन मुकदमों में Google पर क्या आरोप लगे हैं? इसका क्या असर पड़ सकता है? आइए इन प्रश्नों के जवाब तलाशते हैं...

सबसे पहले, मुकदमा क्या है और किसने किया है?

  • अमेरिका में जस्टिस डिपार्टमेंट और 11 अलग-अलग राज्यों ने Google के खिलाफ यह एंटीट्रस्ट मुकदमा किया है। 54 पेज की शिकायत में आरोप लगाया गया है कि Google ने सर्च इंजिन बिजनेस में 90% से ज्यादा मार्केट हिस्सेदारी हासिल करने के लिए एक्सक्लूसिव डील्स की। इससे इन डिवाइस पर यूजर्स के लिए Google डिफॉल्ट सर्च इंजिन बन गया।
  • Google ने मोबाइल बनाने वाली कंपनियों, कैरियर्स और ब्राउजर्स को अपनी विज्ञापनों से होने वाली कमाई से अरबों डॉलर का पेमेंट किया ताकि Google उनके डिवाइस पर प्री-सेट सर्च इंजिन बन सके। इससे Google ने लाखों डिवाइस पर टॉप पोजिशन हासिल की और अन्य सर्च इंजिन के लिए खुद को स्थापित करने से रोक दिया।
  • आरोप यह भी है कि ऐपल और Google ने एक-दूसरे का सहारा लिया और अपने प्रतिस्पर्धियों को मुकाबले से बाहर कर दिया। अमेरिका में Google के सर्च ट्रैफिक में करीब आधा ऐपल के आईफोन्स से आया। वहीं, ऐपल के प्रॉफिट का पांचवां हिस्सा Google से आया।
  • Google ने इनोवेशन को रोक दिया। यूजर्स के लिए चॉइस खत्म की और प्राइवेसी डेटा जैसी सर्विस क्वालिटी को प्रभावित किया। Google ने अपनी पोजिशन का लाभ उठाया और अन्य कंपनियों या स्टार्टअप्स को उभरने या इनोवेशन करने का मौका ही नहीं छोड़ा। जस्टिस डिपार्टमेंट ने करीब एक साल की जांच के बाद यह मुकदमा दर्ज किया है।

अमेरिकी सरकार के आरोपों पर Google का क्या जवाब है?

##
  • Google के चीफ लीगल ऑफिसर केंट वॉकर का कहना है कि यह मुकदमा बेबुनियाद है। लोग Google का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि उन्होंने ऐसा करने का फैसला किया है। Google ने किसी के साथ अपनी सर्विसेस का इस्तेमाल करने के लिए जबरदस्ती नहीं की है। यदि उन्हें चाहिए तो ऑप्शन मौजूद है।
  • उनका कहना है कि एंटी ट्रस्ट कानून के बहाने ऐसी कंपनियों के पक्ष लिया जा रहा है, जो मार्केट में कॉम्पीटिशन नहीं कर पा रही है। Google ऐपल और अन्य स्मार्टफोन कंपनियों को पेमेंट करता है ताकि उसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने के लिए शेल्फ स्पेस मिल सके। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
  • वॉकर ने यह भी कहा कि अमेरिकी एंटी ट्रस्ट लॉ का डिजाइन ऐसा नहीं है कि किसी कमजोर प्रतिस्पर्धी को मजबूती प्रदान करें। यहां सबके लिए बराबर मौके हैं। यह मुकदमा कोर्ट में ज्यादा टिकने वाला नहीं है। Google जो भी सर्विस यूजर्स को देता है, वह मुफ्त है। इससे किसी और को नुकसान होने की आशंका जताना गलत है।

इस मुकदमे के पीछे की राजनीति क्या है?

  • इस मुकदमे को दर्ज करने की टाइमिंग से लेकर इसमें शामिल राज्यों तक कई प्रश्न खड़े हैं। चुनावों से ठीक दो हफ्ते पहले यह मुकदमा दाखिल किया गया है। आम तौर पर किसी भी कदम का चुनावों पर असर पड़ने का डर होता है, इस वजह से कोई बड़ा कदम सरकार नहीं उठाती।
  • महत्वपूर्ण बात यह है कि जिन 11 राज्यों ने जस्टिस डिपार्टमेंट का साथ दिया है, वह सभी रिपब्लिकन अटॉर्नी जनरल हैं। हकीकत तो यह है कि अमेरिका के सभी 50 राज्यों ने Google के खिलाफ एक साल पहले जांच शुरू की थी।

केस का नतीजा क्या आ सकता है?

  • इस तरह के केस में सुनवाई लंबी चलती है और फैसला आने में दो-तीन साल लग जाते हैं। माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ भी 1998 में इसी तरह का मुकदमा दर्ज हुआ था, जो सेटलमेंट पर खत्म हुआ था।
  • Google पर इससे पहले यूरोप में भी इसी तरह के आरोप लगे थे। यदि कंपनी की हार होती है तो उसे कंपनी के स्ट्रक्चर में कुछ बदलाव करने होंगे। वहीं, यदि वह जीत गई तो यह बड़ी टेक कंपनियों को मजबूती देगा। इससे उन पर काबू पाने की सरकारों की कोशिशों को झटका लगेगा।
  • यह तो तय है कि मुकदमे का नतीजा आने में समय लगेगा। तीन नवंबर को अमेरिका में चुनाव है और नई सरकार को ही यह केस लड़ना होगा। डेमोक्रेट्स लंबे समय से दलील दे रहे हैं कि नए डिजिटल युग में एंटी ट्रस्ट कानून के प्रावधानों को बदलने की जरूरत है।

क्या भारत में भी Google के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है?

  • भारत में कॉम्पीटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) का काम बाजार में किसी कंपनी के एकाधिकार को खत्म करना है। वह हेल्दी कम्पीटिशन को प्रमोट करता है। अमेरिका में जो मुकदमा दाखिल हुआ है, उसी तरह की शिकायत की जांच सीसीआई पहले ही कर रहा है।
  • पिछले महीने Google बनाम पेटीएम के मुद्दे पर भी ऐसी ही स्थिति बनी थी, जब Google ने अपनी पोजिशन का फायदा उठाते हुए पेटीएम के ऐप को प्ले स्टोर से हटा दिया था। तब भी पेटीएम ने यही आरोप लगाए थे कि Google अपने और दूसरे ऐप्स के बीच भेदभाव करता है।
  • न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने कुछ दिन पहले खबर दी थी कि कॉम्पीटिशन कमीशन ऑफ इंडिया ने स्मार्ट टीवी मार्केट में Google की दादागिरी की जांच करने वाली है। मामला स्मार्ट टीवी में इंस्टॉल होने वाले एंड्रॉयड ओएस के सप्लाई से जुड़ा है, जो भारत में बिक रहे ज्यादातर स्मार्ट टीवी में पहले से इंस्टॉल मिलता है।

भारत के कानून एक्सपर्ट क्या कह रहे हैं?

  • साइबर कानून विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता कहते हैं कि यदि अमेरिका में Google के कॉर्पोरेट वर्चस्व को खत्म करने की कार्रवाई हुई तो इसका असर भारत में भी पड़ेगा। अमेरिका के मुकाबले भारत में Google जैसी कंपनियों ने अपना अराजक वर्चस्व स्थापित किया है।
  • सीनियर एडवोकेट के मुताबिक, भारत में नए कानून बनाने और पुराने कानूनों में बदलाव जरूरी है। भारत ने हाल में चीन और पाकिस्तान से एफडीआई को लेकर कई प्रतिबंधात्मक नियम बनाए हैं। इसी तर्ज पर टेक कंपनियों के लिए भी कंपनी कानून, आईटी कानून और आयकर कानून के नियमों को बदलना जरूरी है।
  • गुप्ता कहते हैं कि इन कंपनियों की ओर से बड़े पैमाने पर डेटा की खरीद-फरोख्त होती है। इस पर अंकुश लगाना जरूरी है, ताकि सरकारी राजस्व बढ़ाया जा सके। भारत में इन कंपनियों के एकाधिकार को चुनौती देने के लिए कम्पीटिशन कमिशन की व्यवस्था को दुरूस्त करने की जरूरत है।


Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Google Search Antitrust Case (Alphabet) Update; Know-How It Will Affect You In Simple Words

Thai protesters ask court to revoke order October 20, 2020 at 11:20PM

China chides US official meeting with Tibet govt-in exile October 20, 2020 at 09:46PM

Lobsang last Friday has tweeted saying it was the first time a president of the exiled government, called the Central Tibetan Administration, had been formally invited inside the State Department.

Japan PM pushes closer Southeast Asia ties October 20, 2020 at 09:41PM

At least 15 dead in stampede near Pakistan consulate in eastern Afghanistan October 20, 2020 at 08:18PM

At least 15 Afghans were killed and more than a dozen injured in a stampede that occurred in an open ground where thousands of Afghans had gathered on Tuesday to secure visas from the Pakistan consulate in eastern Afghanistan, officials said on Wednesday.