Sunday, April 19, 2020

न्यूयॉर्क के गवर्नर क्यूमो बोले- हमारे राज्य में महामारी कुछ कम हुई; अभी तो आधा वक्त ही गुजरा, और ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत April 19, 2020 at 07:53PM

अमेरिका ही नहीं, दुनिया के शीर्ष शहरों में शुमार न्यूयॉर्क इस समय कोरोनावायरस का एपिसेंटर बना हुआ है। इस बीच न्यूयॉर्क राज्य के गवर्नर एंड्रयू क्यूमो ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि महामारी का खतरा कुछ कम हुआ है। बीते काफी समय से हमारे यहां संक्रमण काफी ज्यादा रहा है। अभी हमने आधा रास्ता ही तय किया है, लिहाजा और सावधानी बरतने की जरूरत है।
क्यूमो ने यह भी कहा, ‘‘स्थितियां इस बात पर निर्भर करेंगी कि हम क्या कदम उठाते हैं, लेकिन इस वक्त हमारे यहां संक्रमण में कुछगिरावट आई है। न्यूयॉर्क सिटी के सेंट्रल पार्क में फील्ड हॉस्पिटल बनाया गया है। राज्य में शटडाउन 15 मई तक बढ़ा दिया गया है। ऐसे में लोग घर पर ही रहें। जिन्हें बहुत जरूरी हो, वे ही बाहर निकलें। ’’
अब हालातकुछ बेहतर हैं
क्यूमो के मुताबिक, ‘‘बीते काफी दिनों से सिर्फ कोरोना के मामले बढ़ने और मौतों की खबर आ रही थी, लेकिन अब हालात कुछ स्थिर हुए हैं। यह घमंड करने का मौका नहीं है। हमें लंबी दूरी तय करना है और काफी काम करने हैं। अभी तक वायरस हमसे आगे रहा है। हमें उसे हराना है, यह हर हाल में सुनिश्चित करना है। अभी हमने केवल आधा रास्ता ही तय किया है। मामले बढ़ नहीं रहे, उनकी गति धीमी हुई है।’’
अमेरिका: 24 घंटे में 1,997 लोगों की जान गई
अमेरिका में 24 घंटे में 1,997 लोगों की जान गई है। इसके साथ ही यहां मौतों का आंकड़ा 41 हजार के पार हो गया है। यहां अब तक संक्रमण के सात लाख 63 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। न्यूयॉर्क में 24 घंटे में 507 लोगों की मौत हुई है। एक दिन पहले यहां 778 जान गई थी। राज्य में अब तक 18 हजार 298 लोगों की मौत हो चुकी है।



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तस्वीर न्यूयॉर्क की है। यह कोरोना का एपिसेंटर बना हुआ है। महामारी के खिलाफ सरकार के एक्शन पर भी लोग नाराज हैं। एक युवती ने तो संक्रमण और मौतों के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उपराष्ट्रपति माइक को जिम्मेदार ठहरा दिया।

In shadow of coronavirus, Muslims face a Ramzan like never before April 19, 2020 at 06:05PM

With shuttered mosques, coronavirus curfews and bans on mass prayers from Senegal to Southeast Asia, some 1.8 billion Muslims are facing a Ramzan like never before. Across the Muslim world the pandemic has generated new levels of anxiety ahead of the holy fasting month, which begins on around Thursday.

US Covid-19 tests more than India, 9 other countries combined: Trump April 19, 2020 at 05:06PM

6.4 magnitude quake strikes off Japan coast: USGS April 19, 2020 at 05:12PM

A 6.4-magnitude earthquake struck off the east coast of Japan early on Monday, according to the US Geological Survey, but no tsunami warning was issued.The epicentre of the earthquake was 41.7 kilometres beneath the Pacific seabed, less than 50 kilometres off the coast of Miyagi prefecture, the USGS said on its website, rating the risk of casualties and damage as low.

अब तक 1 लाख 65 हजार मौतें: अमेरिका में 24 घंटे में 1,997 जान गई; ट्रम्प ने कहा- हमने अब तक 41 लाख लोगों का टेस्ट कराया April 19, 2020 at 05:19PM

दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 24 लाख 6 हजार 868 लोग संक्रमित हैं। एक लाख 65 हजार 56 की मौत हो चुकी है। वहीं, छह लाख 17 हजार चार ठीक भी हुए हैं। अमेरिका में 24 घंटे में 1,997 लोगों की जान गई है। इसके साथ ही यहां मौतों का आंकड़ा 41 हजार के पार हो गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रविवार को कहा कि देश में अब तक 41.8 लाख नागरिकों का टेस्ट किया जा चुका है। यह आंकड़ा किसी भी देश से ज्यादा है।

कोरोनावायरस : सबसे ज्यादा प्रभावित 10 देश

देश कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 7 लाख 63 हजार 832 40 हजार 553 71 हजार 003
स्पेन 1 लाख 98 हजार 674 20 हजार 453 77 हजार 357
इटली 1 लाख 78 हजार 972 23 हजार 660 47 हजार 055
फ्रांस 1 लाख 52 हजार 894 19 हजार 718 36 हजार 578
जर्मनी 1 लाख 45 हजार 742 4 हजार 642 88 हजार
ब्रिटेन 1 लाख 20 हजार 067 16 हजार 060 उपलब्ध नहीं
तुर्की 86 हजार 306 2 हजार 17 11 हजार 976
चीन 82 हजार 747 4 हजार 632 77 हजार 084
ईरान

82 हजार 211

5 हजार 118 57 हजार 23
रूस 42 हजार 853 361 3 हजार 291

रविवार को 6,463 लोगों की मौत:डब्ल्यूएचओ

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने रविवार को घोषणा की कि दुनियाभर में 24 घंटे में 81 हजार 153 मामलों की पुष्टि हुई है। साथ ही 6,463 लोग मारे गए हैं। शनिवार की तुलना में रविवार को कम केस मिले। पिछले दिनों के मुकाबले चार हजार कम केस और 247 कम मौतें दर्ज की गई। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, यूरोप में 11 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। वहीं यहां मौतों का आंकड़ा भी एक लाख से ज्यादा हो गया है। एक दिन पहले डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडहॉनम गेब्रेयेसियस ने जी20 के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने दुनिया के बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों को कोरोना से संघर्ष कर रहे देशों की मदद करने की अपील की।

भारत ने पाकिस्तान के आरोपों को खारिज किया

भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा मोदी सरकार पर कोरोना से मुकाबले के नाम पर भारतीय अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा- पाकिस्तानी नेतृत्व ने अपने आंतरिक हालात से ध्यान हटाने के प्रयास के तहत यह आरोप लगाया है। वह कोरोना से निपटने पर ध्यान देने की बजाय अपने पड़ोसियों पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। जहां तक अल्पसंख्यकों की बात है तो उन्हें हमारी सलाह है कि वे अपने देश के अल्पसंख्यकों की चिंता करें जिनके साथ वाकई में भेदभाव होता है।

अमेरिका: न्यूयॉर्क में 24 घंटे में 507 मौतें
अमेरिका में अब तक संक्रमण के सात लाख 63 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। उधर, न्यूयॉर्क के गवर्नर एंड्रयू क्यूमो ने कहा कि यहां 24 घंटे में 507 लोगों की मौत हुई है। पिछले दिन से यह आंकड़ा कम है। एक दिन पहले यहां 778 जान गई थी। राज्य में अब तक 18 हजार 298 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या कम हो रही है। अगर डेटा ऐसा ही रहा और संक्रमण के मामलों में कमी आती रही तो कहा जा सकता है कि स्थिति पहले से बेहतर हो रही है।

  • सोमवार को टेक्सास और वर्मोंट जैसे राज्यों में कुछ बिजनेस खोले जा सकते हैं। हालांकि, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाता रहेगा।
  • क्यूमो ने कहा- अमेरिका में न्यूयॉर्क सबसे ज्यादा प्रभावित। महामारी का प्रकोप यहां कम हुआ है, लेकिन अभी भी सावधानी बरतनी होगी। अभी केवल आधा रास्ता ही तय हुआ है। संक्रमण न कम हुआ है और न ही बढ़ रहा है।
  • न्यूयॉर्क के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित न्यूजर्सी में 4202, मिशिगन में 2391 और मैसाचुसेट्स में 1706 लोगों की मौत हो चुकी है। केवल न्यूयॉर्क में दो लाख 47 हजार 215 लोग संक्रमित हैं।

द.अफ्रीका: लॉकडाउन के बीच खाने का संकट
फ्रांस24 के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका में लॉकडाउन के बाद खाने का संकट पैदा हो गया है। केपटाउन में एक कम्युनिटी लीडर जोनी फ्रेडरिक्स ने चेतावनी देते हुए कहा-राष्ट्रपति, हम खाद्य संकट के बीच में हैं। यह युद्ध जैसी स्थिति हो गई है। दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने कोरोनोवायरस के प्रसार को रोकने के लिए पांच सप्ताह का लॉकडाउन लगा दिया है। फ्रेडरिक्स ने कहा- लोग दुकानों को लूट रहे हैं। लोग एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं। इसका सीधा कारण है भूख। 27 मार्च से लगे लॉकडाउन में गरीब समुदाय के लोगों को भूख का सामना करना पड़ रहा है। लोगों को काम नहीं मिल रहा है, जिससे उन्हें आय हो। पुलिस लगों को हटाने के लिए उनपर रबड़ बुलेट से हमला कर रही है। स्थिति नियंत्रित करने के लिए सेना तैनात किया जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ताओं को डर है कि स्थिति और खराब हो सकती है।

ट्यूनीशिया: 38 लोगों की मौत

ट्यूनीशिया में अब तक 38 लोगों की मौत हो गई है। कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 879 हो चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को बताया कि देशभर में 13 नए मामले दर्ज किए गए। मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, “हाल ही में 766 लोगों की जांच की गई थी जिनमें से 39 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।



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अमेरिका: ब्रूकलिन में मैमोनाइड्स मेडिकल सेंटर के बाहर बैठे स्वास्थ्यकर्मी। देश में संक्रमण का आंकड़ा सात लाख 63 हजार से ज्यादा हो गया है।

'Minuscule traces' of virus in non-potable Paris water: Official April 19, 2020 at 03:14PM

"Minuscule traces" of the new coronavirus have been found in Paris's non-potable water -- such as the supply used for cleaning streets -- but drinking water is at no risk of contamination, a city official said Sunday.

कोरोना संक्रमण के डर से चीन में टैक्सी का इस्तेमाल 85% घटा, निजी कार अब पहली प्राथमिकता; सरकार क्लीन एनर्जी कारों पर 1% सब्सिडी दे रही April 19, 2020 at 02:37PM

(यिदान लिन)चीन में लॉकडाउन में ढील के बाद लोग घरों से निकलना शुरू कर चुके हैं। बाजार और मॉल्स में लोग जुटने लगे हैं। व्यापार भी पटरी पर आ रहा है। लेकिन चीन की ऑनलाइन टैक्सी बुकिंग सेवाओं की कोरोना संक्रमण ने कमर तोड़ दी है। चीन की ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री की रिपोर्ट के अनुसार मार्च में ऑनलाइन टैक्सी बुकिंग में 85% की कमी आई है। चीन की सबसे बड़ी ऑनलाइन टैक्सी सर्विस कंपनी दीदी चुकसिंग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। दरअसल, संक्रमण के डर से लोग आने-जाने के लिए अपनी कारों का ही इस्तेमाल करना पसंद कर रहे हैं।

सरकार क्लीन एनर्जी कारों की खरीद पर सब्सिडी दे रही

इधर, क्लीन एनर्जी कारों की बिक्री को प्रोत्साहन देने की सरकार की नीति ने भी टैक्सी कंपनियों के लिए चुनौतियां बढ़ा दी हैं। सरकार क्लीन एनर्जी कारों की खरीद पर सब्सिडी दे रही है। औसतन हर कार की खरीद पर खरीदार को एक हजार युवान यानी करीब 10 हजार रुपए की सब्सिडी मिल रही है। यह कार की कीमत का करीब 1% हिस्सा है।

टैक्सियों का इस्तेमाल लगभग खत्म

चीन के नेशनल इनफॉर्मेशन सेंटर और गावडे मैप की जनवरी-मार्च 2020 तिमाही के आंकड़ों के अनुसार चीन के 60% शहरों में यातायात का स्तर संक्रमण से पहले की तुलना में 80% के स्तर से कम है। सड़कों पर 89% लोगों को ट्रैफिक जाम नहीं मिल रहा है। यहां तक कि बीजिंग और शंघाई में भी आवाजाही के पीक टाइम पर सड़कें लगभग खाली हैं। इसका प्रमुख कारण भी टैक्सियों का इस्तेमाल लगभग खत्म हो जाना है। चीन में 93% ऑनलाइन टैक्सी बुकिंग पर दीदी चुकसिंग कंपनी का कब्जा था।

ड्राइवरों की औसत कमाई 50 से 75% तक गिर गई
कंपनी 2022 तक हर महीने अपने एक्टिव यूजर्स की संख्या 80 करोड़ तक ले जाना चाहती थी, लेकिन अब यह मुश्किल लग रहा है, क्योंकि कोरोना के कारण टैक्सी बुकिंग बहुत घट गई है। कंपनी ने अपने ड्राइवरों को सब्सिडी देना भी बंद कर दिया। विशेषज्ञों के अनुसार इससे ड्राइवरों की औसत कमाई 50 से 75% तक गिर गई।

कमाई कम हो जाने से कई ड्राइवरों ने यह काम छोड़ा

दीदी के एक ड्राइवर ने बताया कि जो गिनेचुने लोग ऑनलाइन टैक्सी सर्विस का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन तक भी टैक्सी पहुंचने में 30 मिनट से अधिक का समय लग रहा है, क्योंकि कमाई कम हो जाने से कई ड्राइवरों ने यह काम छोड़ दिया है। एक समय में ड्राइवर की कमाई 300 युवान के ऊपर होती थी, जो अब घटकर 100 युवान रह गई है। ऑटोमोबाइल कंपनियों को उम्मीद है कि अगली तिमाही में कार की बिक्री सुधरेगी।

सर्वे: दो तिहाई निजी कार का विकल्प चुन रहे
कोराेना संक्रमण के दौर में ही फरवरी के अंत में चीन में एक सर्वे किया गया। इसमें 1620 लोगों से पूछा गया कि क्या वे अब दफ्तर या अन्य सार्वजनिक जगह पर आने-जाने के लिए अपने साधन में बदलाव करना चाहेंगे? इस पर दो तिहाई लोगों ने अपनी कार लेने का विकल्प चुना। जबकि पहले बस और सब-वे के बाद लोग अपनी कार तीसरी प्राथमिकता पर रखते थे। अब खुद की कार उनकी पहली प्राथमिकता बन गई है।

भय: टैक्सी में पहले कोई संक्रमित बैठा हो तो...
पार्किंग की समस्या के कारण कोरोना से पहले चीन में यातायात का सबसे प्रमुख साधन टैक्सी था। अब लोगों में इस बात का भय है कि न जाने टैक्सी में उनसे पहले किसी संक्रमित ने सवारी की हो। बीजिंग की 33 वर्षीय मरीसा ने बताया कि ऑफिस जाने के लिए अब वो टैक्सी का इस्तेमाल नहीं करती। जबकि पहले वे दीदी का एप अक्सर इस्तेमाल करती थीं। कोरोना के बाद इन्होंने टैक्सी का इस्तेमाल बंद कर दिया है।



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बीजिंग और शंघाई में भी आवाजाही के पीक टाइम पर सड़कें लगभग खाली हैं। इसका प्रमुख कारण भी टैक्सियों का इस्तेमाल लगभग खत्म हो जाना है। (फाइल फोटो)

अमेरिका में अगस्त तक 60 हजार मौतों का अनुमान, अगले साल भी बना रहेगा संकट April 19, 2020 at 08:16AM

डेविड मेकनील.अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तो कारोबारी गतिविधियां जल्द शुरू करने के पक्ष में हैं लेकिन कोरोना वायरस के फैलाव में कोई गिरावट नहीं आई है। यह बड़े शहरों, उपनगरों से अब ग्रामीण क्षेत्रों की ओर बढ़ रहा है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है, अगले साल तक स्थिति गंभीर रह सकती है। मौतों की संख्या का भी निश्चित अनुमान नहीं है। नया अनुमान 60 हजार मौतों का है। मार्च में 17 लाख मौतों की आशंका जताई जा चुकी है।


न्यूयॉर्क टाइम्स ने स्वास्थ्य और संक्रामक बीमारियों के 20 विशेषज्ञों से स्थिति के संबंध में चर्चा की है। कुछ लोगों की राय है कि स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए सावधानी से कारोबार शुरू करना होगा, बड़े पैमाने पर टेस्टिंग, कारगर इलाज, स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त संसाधन मुहैया कराने और प्रभावी वैक्सीन बनाने जैसे उपाय करने होंगे। फिर भी, अगले साल के अंधकारमय होने की भविष्यवाणी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कई राज्यों के ग्रामीण इलाकों से संक्रमण फैलने के समाचार हैं।

लोगों को महीनों घर के अंदर रहना होगा- विशेषज्ञ
राष्ट्रीय मेडिसिन अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. हार्वे फिनबर्गकहते हैं, लोगों को महीनों घर के अंदर रहना होगा। वांडरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. विलियम स्काफनर कहते हैं किमेरा आशावादी पक्ष कहता है कि वायरस का प्रकोप जून से अगस्त के बीच कम होगा। अधिकतर विशेषज्ञों का विश्वास है कि एक बार संकट खत्म होने के बाद अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से दौड़ेगी। महामारी से सबसे अधिक प्रभावित इधर, न्यूयॉर्क में अस्पतालों में भर्ती होने वालों की संख्या घटी है।

विशेषज्ञों का मानना- दवा नहीं बनी तो मौत की संख्या बढ़ेगी

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी हेल्थ मैट्रिक्स इवैल्यूएशन इंस्टीट्यूट ने अब 60 हजार लोगों के मरने का अनुमान लगाया है। यह अनुमान 4 अगस्त तक के लिए है। पहले उसने एक लाख से दो लाख 40 हजार लोगों के मरने की आशंका जताई थी। अगर वैक्सीन नहीं बन पाई तो मरने वालों की संख्या भी बढ़ती जाएगी। अमेरिका के बीमारी नियंत्रण और रोकथाम सेंटर (सीडीसी) ने मार्च में कई विशेषज्ञों से संपर्क किया था। इसके बाद अनुमान लगाया गया कि वायरस 48 से 65 प्रतिशत अमेरिकियों को संक्रमित करेगा। मृत्यु दर एक प्रतिशत से कम रखी जाए तो 17 लाख लोग मर सकते हैं।

चीन-इटली की तुलना में यूएस में बहुत कुछ खुला है
चीन और इटली से तुलना की जाए तो अमेरिका में अब भी बहुत कुछ खुला हुआ है। कुछ घरेलू विमान सेवाएं जारी हैं, लोग चाहे जहां वाहनों से जा सकते हैं, सड़कों, पार्कों में घूम सकते हैं। डॉ. स्काफनर कहते हैं किइस कारण देश में हर दिन 30 हजार नए मामले आ रहे हैं। वैक्सीन जल्द आने के प्रति भी विशेषज्ञ पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के वैज्ञानिक सलाहकार और संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञ डॉ. एंथोनी फॉसी का कहना है, वैक्सीन बनने में कम से कम एक साल से 18 माह तक लग सकते हैं।


गंभीर स्थिति के बावजूद सभी गतिविधियां नहीं रुकी हैं

  • कई गतिविधियां चल रही हैं। घरेलू विमान सेवाएं जारी हैं। लोग वाहन चलाते हैं। सड़कों, पार्कों में घूमते हैं।
  • विशेषज्ञों ने 60 हजार से 17 लाख लोगों की मौतों के अनुमान लगाए हैं।
  • कुछ विशेषज्ञों को आशा कि जून से अगस्त के बीच प्रकोप धीमा पड़ जाएगा।
  • वैक्सीन के बहुत जल्द आने की संभावना नहीं। डेढ़ वर्ष तक लग सकते हैं।
  • सबसे अधिक प्रभावित न्यूयॉर्क शहर के अस्पतालों में भर्ती होने वालों की संख्या कम हुुई है।


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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तो कारोबारी गतिविधियां जल्द शुरू करने के पक्ष में हैं लेकिन कोरोना वायरस के फैलाव में कोई गिरावट नहीं आई है

पहले मरीज का इलाज करने वाले डॉक्टर ब्रूनो ने कहा- मैं आज भी सोचता हूं, उसने हमें सबसे दूर कर दिया... April 19, 2020 at 07:39AM

इटली में पहले कोरोना मरीज का इलाज करने वाले डॉ. रफेल ब्रूनो सैन माटेओ हॉस्पिटल में इंफेक्शन डिसीज विभाग के प्रमुख हैं। पेरिस में रहते हैं। पहले मरीज को उन्होंने पेशेंट-1 नाम दिया है। डॉ. ब्रूनो आज भी उसके और भविष्य की दुनिया के बारे में सोच रहे हैं।

डॉ. ब्रूनो ने बताया- इटली में कोरोना का पहला मरीज 38 साल का था, जो दक्षिणी मिलान के कोडोग्नो से आया था। उसमें फ्लू जैसे लक्षण थे। उसकी हालत तेजी से बिगड़ रही थी। हमने टेस्ट किए और 20 फरवरी को वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया। अगले कुछ दिनों कोडोग्नो और आसपास के इलाकों में लॉकडाउन हो गया औऱ उसके अगले कुछ हफ्तों में पूरे इटली में यह जानलेवा वायरस फैल गया।

डॉ. ब्रूनो कहते हैं कि मैंउस मरीज का पूरा नाम नहीं बता सकता, इसलिए उसे पेशेंट-1 कहूंगा। हालांकि, उसका पहला नाम माटिया था। कुछ हफ्ते वेंटिलेटर में रहने के बाद वह 22 मार्च को घर भी चला गया। उसने हमें सिखाया कि जानलेवा बीमारी से कैसे ठीक हुआ जाता है। जब वह हॉस्पिटल में था, तो उसके पिता कोविड-19 से गुजर गए। उसकी पत्नी, जो 8 माह के गर्भ से थी, वह भी पॉजिटिव पाई गई। बाद में वह भी ठीक हो गई।

जीवन और मृत्यु, दर्द और राहत की कहानी

उन्होंने कहा किआधिकारिक रूप से इटली में कोरोना लाने वाला मरीज 25 जनवरी को जर्मनी से आया था, लेकिन मैं दोनों को पेशेंट वन और पेशेंट जीरो कहूंगा। माटिया ठीक जरूर हो गया, लेकिन मैं उससे जु़ड़े अनुभव को पाथोस की कहानी की तरह लेता हूं, जिसमें जीवन-मृत्यु और दर्द-राहत एक-दूसरे से जुड़े थे। आज जब मैं पेरिस के अपने अपार्टमेंट में उस पेशेंट-1 के बारे में सोचता हूं तो लगता है कि उसने हमें ये तो सिखाया कि बीमारी से उबरना कैसे है, लेकिन उसने उन लोगों से दूर भी कर दिया, जिन्हें हम प्यार करते हैं। अब हम आगे रहकर किसी की भी मदद करने से हिचकिचाएंगे, उनसे दूर रहना चाहेंगे। न चाहते हुए भी ये अब हमारी आदत बन जाएगी। असल में, यही वो कीमत है जो हमें चुकानी होगी।



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इटली में पहले कोरोना मरीज का इलाज करने वाले डॉ. रफेल ब्रूनो सैन माटेओ हॉस्पिटल में इंफेक्शन डिसीज विभाग के प्रमुख हैं।

New York State epidemic 'on the descent': Governor April 19, 2020 at 06:48AM

एचआईवी की खोज करने वाले नोबेल विजेता ने कहा- कोरोनावायरस लैब से आया और वुहान की प्रयोगशाला ऐसे वायरस में एक्सपर्ट April 19, 2020 at 05:02AM

फ्रांस के नोबेल पुरस्कार विजेता लुक ल्यूक मॉन्टैग्नियर ने कोरोनावायरस के संबंध में रविवार को एक बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि कोविड-19 एक लैब से आया है और यह एड्स वायरस के इलाज के लिए वैक्सीन बनाने के दौरान ही बना है। फ्रांस में एक न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि कोविड-19 के जीनोमें में एचआईवी के एलीमेंट मिले हैं और साथ ही उसमें मलेरिया के रोगाणु के कुछ एलीमेंट भी मिले हैं।

2008 में मिला था लुक ल्यूक कोनोबेल
ल्यूक मॉन्टैग्नियर और तीन वैज्ञानिकों को एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डेफिसिएंसी वायरस) की खोज पर 2008 में नोबेल पुरस्कार दिया गया था। उन्होंने इंटरव्यू में कहा, ‘‘वुहान की लैब को 2000 के दशक की शुरुआत से ही ऐसे वायरस के लिए महारत मिली है। इस क्षेत्र में उनके पास अनुभव है।’’ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी फॉक्स न्यूज के हवाले से कहा है कि कोरोनावायरस वुहान की वायलोलॉजी लैब से एक इंटर्न की गलती की वजह से आया है।

फॉक्स न्यूज का दावा- वुहान की लैब में इंटर्न कोरोना संक्रमित हुई थी
फॉक्स न्यूज ने एक विशेष रिपोर्ट में दावा किया है कि भले ही कोरोनावायरस प्राकृतिक है, लेकिन यह वुहान की वायरोलॉजी लैब से निकला है। वहां सुरक्षा नियमों का पालन न करने के कारण एक इंटर्न संक्रमित हो गई थी। उसके संपर्क में आकर उसका बॉयफ्रेंड संक्रमित हुआ और बाद में यह वायरस वेट मार्केट पहुंचा। इस रिपोर्ट के आने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इन दावों और इससे जुड़े मामलों की जांच कराने की बात कही है।



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2008 में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले लुक ल्यूक मॉन्टैग्नियर। (फाइल फोटो)

थाइलैंड के हाथियों को 44 साल बाद बोझ से आजादी, पीठ पर भारी कैरिज लादकर पर्यटकों को नहीं करानी होगी सवारी April 19, 2020 at 04:03AM

दुनिया के लिए मुसीबत लाने वाला कोरोना थाइलैंड में हाथियों के लिए आजादी का पैगाम लाया है। यहां चियांग माई कैंप में पिछले 44 साल से पर्यटकों को एलिफेंट सफारी कराई जाती थी। इसके लिए हर दिन हाथियों की पीठ पर लकड़ी और लोहे से बने भारी कैरिज बांधे जाते थे। लेकिन, कोरोनावायरस की वजह से कैंप बंद होने पर पहली बार हाथी इस बोझ के बगैर घूमते नजर आए।

प्रशासन ने तय किया है कि जब कैंप को दोबारा खोला जाएगा, तो पर्यटकों को हाथी की सवारी नहीं कराई जाएगी। इसके बजाय, वे खुले जंगल में घूमते हाथियों को देखने आ सकेंगे। प्रशासन ने हाथियों के लिए बनाए गए सभी कैरिज भी नष्ट करने का फैसला किया है।

पहले हाथियों को पीठ पर भारी-भरकम बोझ लादना पड़ता था
थाइलैंड के इस पार्क में लोग हाथियों के साथ वक्त बिताने के लिए आते हैं। वे यहां हाथियों को नहलाने और खाना खिलाने जैसे काम भी कर सकते हैं। इसके साथ ही एलिफेंट सफारी भी यहां का प्रमुख आकर्षण है। इसके लिए, पिछले44 सालसे माइसा रेंज में मौजूद हाथियों को अपनी पीठ पर भारी-भरकर कैरिजलादना पड़ते हैं, जिन पर पर्यटक बैठकर जंगल सफारी का आनंद लेते हैं।

अब पर्यटक हाथियों को खुले में घूमते देख सकेंगे
हाथी अब आजाद हैं। वे मैदान में बिना किसी बोझ के घूम सकते हैं। हालांकि, यह स्थान अभी भी लोगों के लिए खुला हुआ है। बस, अब यहां पर्यटक जानवरों की सवारी नहीं कर पाएंगे। मगर यह जरूर देख सकेंगे कि आखिर खुले माहौल में जानवर कैसे रहते हैं।



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यह थाइलैंड के चियांग माई कैंप की फरवरी में ली गई तस्वीर है। एलिफेंट सफारी के लिए हाथियों की पीठ पर भारी कैरिज रखा जाता था, जिसमें लोग बैठते थे। अब इसे बंद कर दिया गया है।

Pope dreams of post-virus world where inequalities abolished April 19, 2020 at 04:02AM

Pope Francis is urging the faithful to use the coronavirus pandemic's “time of trial” to prepare for a future where inequalities are abolished and the poorest are no longer left behind.

सोने की खदान ढहने से हादसा, अवैध ढंग से खुदाई के लिए पहुंचे थे 12 लोग, 9 की मौत April 19, 2020 at 03:37AM

इंडोनेशिया के सुमात्रा में रविवार को एक सोने की खदान ढहने से उसमें दबकर नौ लोगों की मौत हो गई। हादसा सुमात्रा के साउथ सोलोक में हुआ। यहां करीब 12 लोग सोना निकालने के लिएएक पुरानी खदान को खोद रहे थे। इसी दौरान खदान ढह गई। सभी उसमें दब गए। दरअसल, इस क्षेत्र में उपनिवेश काल के समय कई सोने की खदानें थीं, अभी ये खदानें बेकार हो गई हैं। बावजूद इसके कई बार लोग इन्हीं खदानों में सोने की तलाश में अवैध रूप से खुदाई करते रहते हैं।


सुमात्रा जिले के फिरदौस फरमान ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया, "आठ पुरुष और एक महिला खुदाई के दौरान भूस्खलन में दब गए। हमने आज सुबह उनके शव निकाले हैं।"

बारिश की वजह से निकालने में देरी हुई- अधिकारी

उन्होंने बताया कि खदान में खुदाई करने 12 लोग गए थे। इस दौरान खदान ढह गई। इसमें 9 लोग दब गए। बाकी लोगों ने इसकी जानकारीस्थानीय अधिकारियों को दी। ये सभी किसान हैं। वे बिना किसी सुरक्षा उपकरण के खदान खोद रहे थे। रेस्क्यू करने के समय बारिश होने से काफी मुश्किलें आईं। इसके बाद सभी को निकाला गया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।

इंडोनेशिया मेंकई खदानें अवैध और बिना लाइसेंस वाली हैं
पुलिस और स्थानीय आपदा एजेंसी मामले की जांच कर रही है। खनिजों से समृद्ध इंडोनेशिया मेंकई खदानें अवैध और बिना लाइसेंस वाली हैं। इस कारण यहां लगातार हादसे होते रहते हैं। 2019 की शुरुआत में उत्तरी सुलावेसी के बोलांगंग मोंगोंडो क्षेत्र मेंखदान धंसने से 16 लोगों की मौत हो गई थी। इस तरह के हादसे में कुछ माह पहले भीं पांच लोगों की मौत हुई थी।



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इंडोनेशिया के सुलावेसी के बोलांगंग मोंगोंडो क्षेत्र में 2019 की शुरुआत में भी एक खदान धंसने से 16 लोगों की मौत हो गई थी। -फाइल फोटो

Coronavirus cases rise to 31 in Nepal April 19, 2020 at 02:18AM

Twelve Indians were among the 14 new coronavirus cases reported in Nepal on Friday. The Indian nationals were staying at a mosque in Triyuga area of Udaypur district. They were quarantined in a school building after residents informed authorities about them.

पाकिस्तान के सिंध में अल्पसंख्यक भूख से लड़ रहे, वीडियो जारी कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मांगी मदद April 19, 2020 at 01:26AM

पाकिस्तान में अक्सर अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यहार और प्रताड़ित करने के मामले आते रहे हैं। अब कोरोनावायरस महामारी के दौर में उन्हें खाना तक नहीं मुहैया कराया जा रहा। सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और प्रभावशाली लोगों से अपील की है कि वे उन्हें भोजन मुहैया कराएं, क्योंकि सरकार उन लोगों पर कोई ध्यान नहीं दे रही।
सिंध के एक न्यूज पोर्टल ‘राइज न्यूज’ में एक वीडियो मैसेज अपलोड किया गया है। इस वीडियोमें सिंध प्रांत के विंदो कुमार और टंडो एम खान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भोजन उपलब्ध कराने की मदद मांगी है। उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस महामारी के चलते वे लोग काम नहीं कर पा रहे।अब तो खाना तक नहीं है। विंदो ने कहा कि यहां अल्पसंख्यक समुदाय के ज्यादातर लोग ठेका मजदूर, नाई और छोटे विक्रेता हैं। कोरोनावायरस महामारी के कारण काम बंद हो गया है औरहम लोग बहुत चिंतित हैं। पाकिस्तान में अब तक कोरोना संक्रमण के 7,993 मामले आए हैं और मरने वालों की संख्या 159 है।
अमेरिकी रिपोर्ट में भी अल्पसंख्यकों सेभेदभाव की बात सामने आई थी
अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ)ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि कोरोना संकट के दौरान पाकिस्तान में गैर इस्लामिक लोगों को परेशान किया गया है। आयोग की कमिश्नर अनुरीमा भार्गव ने कहा था कि पाकिस्तान में हिंदुओं और ईसाइयों को जरूरी खाद्य सामग्री भी नहीं दी जा रही। ये समुदाय भूख से लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान सरकार अल्पसंख्यकों की मदद सुनिश्चित करे। किसी व्यक्ति के धार्मिक विश्वास के चलते उसे भूखा रखा जाए यह निंदनीय है।



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पाकिस्तान के रावलपिंडी में काम और भोजन के लिए सड़कों पर बैठे मजदूर। कोरोनावायरस के चलते काम न मिलने से इनकी हालत बदतर हो गई है।

British PM Boris Johnson begins taking charge after coronavirus hospitalisation April 19, 2020 at 01:08AM

'The Sunday Telegraph' reports that Johnson began giving directions to his Cabinet, including to his deputy UK foreign secretary Dominic Raab, from his prime ministerial countryside retreat as he prepares to resume full charge in the coming days. The 55-year-old issued some directives to Raab as well as senior aides in a series of calls last week.

अफगान-अमेरिकी सिख संगठन की मांग- मोदी सरकार अफगानिस्तान के हिंदू और सिखों को शरण दे, वहां उनकी जिंदगी को खतरा April 19, 2020 at 01:12AM

अफगानिस्तान के मूल निवासी कुछ सिख अमेरिका में रहते हैं। इन्होंने भारत सरकार से गुहार लगाई है कि अफगानिस्तान में रहने वाले सिखों को भारत में बसाया जाए। हाल ही में भारत ने नागरिकता कानून में संशोधन को मंजूरी दी थी। इसके मुताबिक, पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को सशर्त नागरिकता दी जा सकती है।

हिंसा से पीड़ित सिख परिवार

अफगानिस्तान के तीन जिलोंकाबुल, जलालाबाद और गाजी में रहने वाले सिख अल्पसंख्यक अपनी जान बचाने के लिए भारत में शरण चाहते हैं। ऐसे करीब 650 परिवार हैं। इनके खिलाफ आए दिन हिंसा होती है। पिछले दिनों काबुल के एक गुरुद्वारे पर हमले में 25 सिखों की मौत भी हो गई थी। नागरिकता संशोधन कानून पास होने से सिख उत्साहित हैं। अमेरिका में रहने वालों सिखों ने इसी आधार पर भारत सरकार से अफगानिस्तान के हिंदुओं और सिखों को शरण देने की अपील की है।

सिर्फ भारत सुरक्षित

अमेरिका में रहने वाले सिख समुदाय के नेताओं ने कहा है कि अफगानिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक गंभीर स्थिति में हैं। वे भारत को इस क्षेत्र में एकमात्र सुरक्षित देश के रूप में देख रहे हैं। ग्लोबल सिख कम्युनिटी के अफगानिस्तान कमेटी के चेयरमैन परमजीत सिंह बेदी ने न्यूज एजेंसी से कहा, “अभी पूरी दुनिया कोरोनावायरस से लड़ रही है। भारत में भी लॉकडाउन है। हम भारत की चिंता समझते हैं।लेकिन, फिर भी मोदी सरकार अपील करते हैं कि वो हमारी मांगों पर जल्दएक्शन ले। हमें अफगानिस्तान में रहने वाले सिखों की सुरक्षा का डर है। हम मोदी सरकार से काबुल के लिए एक विशेष उड़ान की भी मांग करते हैं। हम चाहते हैं कि भारत जल्द से जल्द इस मामले में हस्तक्षेप करे, क्योंकि पहले ही काफी देर हो चुकी है।”

काबुल गुरुद्वारे पर हमला
बेदी ने 25 मार्च को काबुल के गुरुद्वारे पर हुए आतंकी हमले पर भी चिंता जताई। इस हमले में 25 सिखों की मौत हो गई थी। उन्होंने कहा कि मरने वालों में महिलाएं, बुजुर्ग और चार साल की बच्ची भी शामिल थी। सभी लोग कोरोनावायरस से पीड़ित लोगों के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करने के लिए इकट्ठा हुए थे। लेकिन, वो लोग आतंकवाद का शिकार हो गए।

अमेरिका में भारतीय राजदूत ने दिलाया भरोसा
अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधु ने अफगानिस्तान के सिख समुदाय के साथ एकजुटता दिखाई है। उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट किया। कहा, ‘‘भारत हमेशा से अफगानिस्तान में सिख और हिंदू समुदाय के साथ एकजुटता दिखाता रहा है और कठिन परिस्थितियों में मदद भी की है।’’



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25 मार्च को काबुल के हर राय साहिब गुरुद्वारे पर आतंकी हमले में 25 सिखों की मौत हो गई थी। ये श्रद्धालु कोरोना पीड़ित लोगों के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करने के लिए इकट्ठा हुए थे। (फाइल)