Tuesday, September 8, 2020

इस्लाम विरोधी मैसेज करने के आरोप में ईसाई व्यक्ति को मौत की सजा सुनाई गई; 37 साल का आसिफ परवेज 7 साल से जेल में है September 08, 2020 at 08:21PM

पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में ईसाई व्यक्ति को सजा-ए-मौत का ऐलान किया गया। मामला लाहौर का है। यहां की अदालत ने 37 साल के आसिफ परवेज को फांसी की सजा सुनाई है। आसिफ 2013 से जेल में बंद है।
अलजजीरा वेबसाइट के मुताबिक आसिफ एक फैक्ट्री में काम करता था। वहां के सुपरवाइजर मुहम्मद सईद खोखर ने उसके खिलाफ ईशनिंदा की शिकायत की थी। आरोप था कि आसिफ ने उसे इस्लाम विरोधी मैसेज किए।

आसिफ का आरोप- इस्लाम नहीं कबूल किया तो फंसा दिया गया
सुनवाई के दौरान आसिफ ने कहा- सुपरवाइजर ने मुझ पर इस्लाम कबूल करने का दबाव डाला। मैं जब नहीं तो उसने इस्लाम विरोधी बातें मैसेज करने का आरोप लगा दिया। वहीं, सुपरवाइजर के वकील गुलाम मुस्तफा चौधरी ने कहा- आसिफ के पास बचाव में कुछ कहने को नहीं था, इसलिए उसने यह आरोप लगाए।

ईशनिंदा कानून के तहत 80 लोग कैद में
यूनाइटेड स्टेट के इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम कमीशन (यूएससीआईआरएफ) के अनुसार, मौजूदा वक्त में पाकिस्तान की जेलों में करीब 80 लोग ईशनिंदा कानून के तहत कैद हैं। इनमें से आधे लोगों को उम्रकैद और फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। इस कानून के जरिए अल्पसंख्यकों जैसे- हिंदू और ईसाइयों को फंसाया जाता है।

1990 से लेकर अब तक 77 लोगों की हत्या
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में ईशनिंदा के चलते 1990 से लेकर अब तक 77 लोगों की हत्या हो चुकी है। इनमें ईशनिंदा के आरोपी, उनके परिवार और वकील शामिल हैं। ताजा मामला जुलाई में आया था। तब ईशनिंदा के आरोपी को कोर्ट में ही छह गोलियां मारी गईं थीं। हत्यारे को गिरफ्तार कर लिया गया था। जब उसे कोर्ट लाया गया तो लोगों ने फूल बरसाए, माला पहनाई।

क्या है ईशनिंदा कानून?
पाकिस्तान के सख्त ईशनिंदा कानून के तहत पैगंबर का अपमान करने पर मौत की सजा और इस्लाम, कुरान के अपमान पर उम्रकैद जैसी दूसरी सख्त सजा दी जाती है। पाकिस्तान का यह कानून ब्रिटिश राज के दौरान बने ईशनिंदा कानून का विस्तार है। 1860 में धार्मिक हिंसा रोकने के लिए यह कानून बनाया गया था। पाकिस्तान में जनरल जिया-उल-हक के शासनकाल में इसका विस्तारित रूप लागू किया गया।

आसिया बीबी का मामला सबसे ज्यादा चर्चा में रहा
पाकिस्तान में आसिया बीबी का मामला ज्यादा चर्चा में आया था। 2010 में पड़ोसियों से झगड़ा होने पर आसिया बीबी (48) पर ईशनिंदा के आरोप लगाए गए थे। आसिया को भी निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। आठ साल तक जेल में रहने के बाद 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने उसे बरी कर दिया। इसके बाद आसिया बीबी ने पाकिस्तान छोड़ दिया। इस दौरान पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ काफी विरोध प्रदर्शन हुए थे।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
पाकिस्तान में इसी साल जुलाई में ईशनिंदा के आरोपी को कोर्ट के अंदर में छह गोलियां मारी गईं थी। - फाइल फोटो

अमेरिकी सांसदों ने कहा- शी जिनपिंग को राष्ट्रपति न कहा जाए, उन्हें जनता ने नहीं चुना; चीन में लोकतंत्र भी नहीं September 08, 2020 at 07:24PM

अमेरिकी संसद में एक बिल पेश किया गया है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका में सरकारी तौर पर शी जिनपिंग को चीन का राष्ट्रपति यानी प्रेसिडेंट नहीं कहा जाना चाहिए। बिल के मुताबिक, चीन में लोकतंत्र नहीं है। और न ही, जिनपिंग लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए हैं। लिहाजा, अमेरिका उन्हें राष्ट्रपति कहना बंद करे।

तकनीकि तौर पर बिल में कही गई हर बात सही है। दरअसल, 1980 के पहले किसी चीनी शासन प्रमुख को प्रेसिडेंट यानी राष्ट्रपति नहीं कहा जाता था। इतना ही नहीं, चीन के संविधान में भी ‘राष्ट्रपति या प्रेसिडेंट’ शब्द नहीं है।

‘चेयरमैन ऑफ एवरीथिंग’
2012 में जिनपिंग राष्ट्रपति बने। यह पद उन्हें चाईनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के मुखिया होने के चलते मिला। संवैधानिक तौर पर देखें तो सीसीपी का चेयरमैन ही सरकार और सेना का प्रमुख होता है। लेकिन, जिनपिंग के मामले में ऐसा नहीं है। सीएनएन के मुताबिक, जिनपिंग ही सत्ता और पार्टी का एकमात्र केंद्र हैं। वे पार्टी की नई सुपर कमेटीज के चेयरमैन भी हैं। इसलिए, इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स उन्हें ‘चेयरमैन ऑफ एवरीथिंग’ यानी ‘हर चीज का अध्यक्ष’ कहते हैं। ये एक तरह से तानाशाह होना ही है।

अमेरिका में लाए गए बिल में क्या है
ट्रम्प की पार्टी के सांसद स्कॉट पैरी ये बिल लाए। नाम दिया गया, ‘नेम द एनिमी एक्ट’। पैरी चाहते हैं कि जिनपिंग या किसी चीनी शासक को अमेरिका के सरकारी दस्तावेजों में न राष्ट्रपति कहा जाए और न लिखा जाए। बिल के मुताबिक- चीन में राष्ट्रपति जैसा कोई पद नहीं है। वहां कम्युनिस्ट पार्टी का जनरल सेक्रेटरी (महासचिव) होता है। और जब हम उसे राष्ट्रपति कहते हैं तो ऐसा लगता है, जैसे कोई व्यक्ति लोकतांत्रिक तौर पर चुना गया हो। चीन में तो लोकतंत्र नहीं है।

फिर सच्चाई क्या है..
इसे आसान भाषा में समझते हैं। दरअसल, जिनपिंग को ‘राष्ट्रपति’ कहे जाने पर भ्रम है। और इसीलिए विवाद भी हुए। चीन में जितने भी पदों पर जिनपिंग काबिज हैं, उनमें से किसी का टाईटिल ‘प्रेसिडेंट’ नहीं है। और न ही चीनी भाषा (मेंडेरिन) में इस शब्द का जिक्र है। 1980 में जब चीन की इकोनॉमी खुली, तब चीन के शासक को अंग्रेजी में प्रेसिडेंट कहा जाने लगा। जबकि, तकनीकि तौर पर ऐसा है ही नहीं। जिनपिंग सीसीपी चीफ हैं। इसलिए देश के प्रमुख शासक हैं। लेकिन, वे राष्ट्रपति तो बिल्कुल नहीं हैं। बस उन्हें ‘प्रेसिडेंट’ कहा जाने लगा।

सवाल क्यों उठते हैं...
स्कॉट पैरी के पहले भी अमेरिका में यह मांग उठती रही है कि कम से कम आधिकारिक तौर पर तो चीन के शासक को राष्ट्रपति या प्रेसिडेंट संबोधित न किया जाए। आलोचक कहते हैं- जिनपिंग ही क्यों? चीन के किसी भी शासक को राष्ट्रपति कहने से यह संदेश जाता है कि वो लोकतांत्रिक प्रतिनिधि है, और इंटरनेशनल कम्युनिटी को उन्हें यही मानना चाहिए। जबकि, हकीकत में वे तानाशाह हैं।

बात 2019 की है। तब यूएस-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन की एक रिपोर्ट में कहा गया था- चीन में लोकतंत्र नहीं है। मतदान का अधिकार नहीं है और न बोलने की आजादी है। जिनपिंग को राष्ट्रपति कहना उनकी तानाशाही को मान्यता देना है।

जिनपिंग के ओहदे
चीन में जिनपिंग के पास तीन अहम पद हैं। स्टेट चेयरमैन (गुओजिया झुक्शी)। इसके तहत वे देश के प्रमुख शासक हैं। चेयरमैन ऑफ द सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (झोंगयांग जुन्वेई झुक्शी)। इसके मायने हैं कि वे सभी तरह की चीनी सेनाओं के कमांडर इन चीफ हैं। तीसरा और आखिरी पद है- जनरल सेक्रेटरी ऑफ द चाईनीज कम्युनिस्ट पार्टी या सीसीपी (झोंग शुजि)। यानी सत्तारूढ़ पार्टी सीसीपी के भी प्रमुख। 1954 के चीनी संविधान के मुताबिक, अंग्रेजी में चीन के शासक को सिर्फ चेयरमैन कहा जा सकता है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
अमेरिकी संसद में एक बिल पेश किया गया है। इसमें कहा गया है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग लोकतांत्रिक तौर पर नहीं चुने गए हैं और न ही चीन में लोकतंत्र है। लिहाजा, जिनपिंग को अमेरिका में राष्ट्रपति के तौर पर संबोधित किया जाना बंद हो। (शी जिनपिंग- फाइल)

Roadside bomb attack misses Afghan vice president, but kills four September 08, 2020 at 07:24PM

A roadside bomb in Kabul targeted First Afghan Vice President Amrullah Saleh on Wednesday morning, but he escaped unharmed, his spokesman after the attack which killed and wounded at least 20 people, including some of his bodyguards.

Pak reports 426 new Covid-19 infections; national tally reaches 299,659 September 08, 2020 at 07:58PM

UN agencies supporting Indian govt-led efforts to deal with coronavirus pandemic: UN spokesperson September 08, 2020 at 05:29PM

ट्रम्प बोले- कमला हैरिस जीतीं तो यह अमेरिका की बेइज्जती होगी, बाइडेन जीते तो ये चीन की जीत होगी September 08, 2020 at 04:50PM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने डेमोक्रेट पार्टी के प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट जो बाइडेन को एक बार फिर चीन के प्रति नर्म रुख अपनाने पर घेरा। मंगलवार रात नॉर्थ कैरोलिना में चुनावी रैली के दौरान ट्रम्प ने कहा- मैं फिर दोहरा रहा हूं। अगर बाइडेन जीत गए तो यह उनकी नहीं, बल्कि चीन की जीत होगी। डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस को लेकर ट्रम्प ने कहा- अगर वे जीत गईं, तो यह अमेरिका की बेइज्जती होगी।

कमला को लोग पसंद नहीं करते
रैली के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने डेमोक्रेट पार्टी पर देश के हितों की अनदेखी का आरोप लगाया। उसके प्रत्याशियों पर तंज कसे। कहा- मैं जो कह रहा हूं, उसे याद रखना मुश्किल नहीं है। अगर जो बाइडेन जीत गए तो यह चीन की जीत होगी। इससे ज्यादा उनकी जीत के और कोई मायने नहीं होंगे। लोग कमला हैरिस को पसंद नहीं करते। अगर वे कभी राष्ट्रपति बनीं तो यह अमेरिका और इसके नागरिकों का अपमान होगा।

आर्थिक हालात बेहतर होंगे
ट्रम्प ने कहा- हम उस स्थिति में हैं, जहां से अमेरिका की अर्थ व्यवस्था को और बेहतर बनाया जा सकता है। चीन के प्लेग ने दिक्कत पैदा की थी। लेकिन, अर्थ व्यवस्था फिर खुल चुकी है। कमला कभी अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति नहीं बन सकतीं। बाइडेन को ट्रम्प ने दंगाइयों और चीन का समर्थक बताया। कहा- बहुत साफ दिख रहा है कि दंगाई और चीन बाइडेन की जीत क्यों चाहते हैं। उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि बाइडेन जीते तो यह अमेरिका की हार होगी।
चीन के साथ ट्रेड डील पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा- अब शर्तें पहले से ज्यादा सख्त होंगी। ट्रम्प ने इस रैली में कोरोनावायरस को पूरे भाषण के दौरान प्लेग कहा।

हैरिस पर तल्ख बयान
नॉर्थ कैरोलिना की इस रैली में कमला हैरिस को लेकर ट्रम्प का रुख ज्यादा तल्ख रहा। ट्रम्प ने कहा- कितनी रोचक बात है। कमला को डेमोक्रेट पार्टी पहले राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाना चाहती थी। उन्होंने इसके लिए प्राइमरी इलेक्शन भी लड़ा। जब वहां वे कामयाब नहीं हो सकीं और लोगों ने उन्हें नकार दिया तो वाइस प्रेसिडेंट की दौड़ में शामिल हो गईं। आखिर डेमोक्रेट्स क्या करना चाहते हैं। कमला तो रेस से बाहर हो चुकीं थीं। लेकिन, डेमोक्रेट्स सिर्फ कैलिफोर्निया जीतने के लिए कमला पर दांव खेल रहे हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
मंगलवार रात नॉर्थ कैरोलिना में चुनावी रैली के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प। उन्होंने कहा- कमला हैरिस राष्ट्रपति बनना चाहती थीं। जनता ने नकार दिया। अब डेमोक्रेटिक पार्टी उन्हें उपराष्ट्रपति बनाने पर तुली है।

इंग्लैंड में एक साथ छह लोगों के जुटने पर रोक, यहां तीन दिन में 8500 मामले आए; दुनिया में 2.77 करोड़ मरीज September 08, 2020 at 04:45PM

दुनिया में कोरोनावायरस के अब तक 2 करोड़ 77 लाख 22 हजार 275 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 1 करोड़ 98 लाख 12 हजार 886 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 9 लाख 878 लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं।

ब्रिटेन सरकार ने इंग्लैंड में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने पर नियम सख्त किए हैं। अब यहां पर एक साथ छह लोग नहीं जुट सकेंगे। पीएम बोरिस जॉनसन ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी। इंग्लैंड में पिछले तीन दिनों में संक्रमण के 8500 मामले आए हैं। इससे यहां कोरोना की दूसरी लहर का खतरा बढ़ रहा है। पूरे ब्रिटेन की बात करें तो यहां अब तक 3.52 लाख से ज्यादा मामले आए हैं और 41 हजार से ज्यादा की जान चुकी है।
इन 10 देशों में कोरोना का असर सबसे ज्यादा

देश

संक्रमित मौतें ठीक हुए
अमेरिका 65,14,223 1,94,032 37,96,297
भारत 43,67,436 73,923 33,96,027
ब्राजील 41,65,124 1,27,517 33,97,234
रूस 10,35,789 17,993 8,50,049
पेरू 6,91,575 29,976 5,22,251
कोलंबिया 6,79,513 21,817 5,41,462
साउथ अफ्रीका 6,40,441 15,086 5,67,729
मैक्सिको 6,37,509 67,781 4,46,715
स्पेन 5,34,513 29,594 उपलब्ध नहीं
अर्जेंटीना 5,00,034 10,405 3,66,590

ब्राजील: अब तक 1.27 लाख मौतें
ब्राजील में पिछले 24 घंटे में 504 लोगों की मौत हुई है और 14 हजार 279 नए मामले आए हैं। देश में संक्रमितों का आंकड़ा 41 लाख 62 हजार 73 और मरने वालों की संख्या 1 लाख 27 हजार 464 हो गई है।। यहां सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य साउ पाउलो (8.58 लाख मामले) है, इसके बाद रियो डि जेनेरियो (2.33 लाख) है।

ब्राजील के रियो ग्रांड डो सुल राज्य के एक पोल्ट्री फैक्ट्री में अपने साथियों की इंट्री करता एक कर्मचारी।

ऑस्ट्रेलिया: विक्टोरिया राज्य में 76 नए मामले
ऑस्ट्रलिया में कोरोनावायरस के हॉट स्पॉट विक्टोरिया राज्य में 24 घंटे में 76 नए मामले आए और 11 लोगों की जान गई। विक्टोरिया देश का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है। एक दिन पहले यहां संक्रमण के 55 मामले आए थे और 8 लोगों की जान गई थी। यहां के मेलबर्न शहर में 28 सिंतबर तक आने-जाने पर मनाही है और बड़े स्तर ट्रेसिंग की जा रही है।

मेलबर्न में सीएसएल बॉयोटेक फैसिलिटी के लैब में काम करते वैज्ञानिक। सीएसएल ने कहा है कि वह वैक्सीन पर काम कर रही है। 2021 की शुरुआत में ही ऑस्ट्रेलिया में वैक्सीन मौजूद होगी।

वेनेजुएला: रूसी वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल इसी महीने से
वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने कहा- देश में रूस की स्पूतनिक-वी वैक्सीन का इसी महीने से ट्रायल शुरू हो जाएगा। स्पूतनिक-वी को रूस की गामलेया नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ इपिडेमियोलॉजी और रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) ने मिलकर बनाया है। आरडीआईएफ के सीईओ ने बताया कि रूस अभी पांच देशों के साथ मिलकर वैक्सीन का उत्पादन कर रहा है। वेनेजुएला में अब तक 54 हजार 350 मामले आए हैं और 436 लोगों की मौत हुई है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
लंदन में प्रदर्शन के दौरान मंगलवार को मास्क लगाए नजर आए पर्यावरण कार्यकर्ता।

ट्रम्प की कैम्पेन टीम के पास सिर्फ 30 करोड़ डॉलर कैश बचा, जुलाई में 110 करोड़ डॉलर थे; टीम को फिक्र- दो महीने प्रचार कैसे करेंगे September 08, 2020 at 02:39PM

चुनावी फंड के मामले में डोनाल्ड ट्रम्प कुछ वक्त पहले तक जो बाइडेन से आगे थे। यह उनके लिए फायदेमंद था। ठीक वैसे ही जैसे 2012 में बराक ओबामा और 2004 में जॉर्ज बुश के कैम्पेन में हुआ था। 2016 में प्रचार के दौरान ट्रम्प ने काफी खर्च किया था। इस चुनाव की शुरुआत में भी वे मजबूत दिखाई दे रहे थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है।

80 करोड़ डॉलर खर्च
जब ये माना जा रहा था कि जो बाइडेन डेमोक्रेट कैंडिडेंट होंगे, तब रिपब्लिकन पार्टी के पास 20 करोड़ डॉलर का कैश एडवांटेज था। अब उनकी बढ़त खत्म हो चुकी है। 2019 में कैम्पेन की शुरुआत से जुलाई तक ट्रम्प की कैम्पेन टीम के पास 110 करोड़ डॉलर (8126 करोड़ रुपए) थे। इसमें से 80 करोड़ डॉलर खर्च हो चुके हैं। अब उनकी टीम के कुछ लोगों को डर सता रहा है कि चुनाव में करीब दो महीने बचे हैं और कैश की दिक्कत सामने आ गई है।

कैम्पेन मैनेजर बदलना पड़ा
जुलाई तक ब्रैड पार्सकेल ट्रम्प के कैम्पेन मैनेजर थे। जुलाई में उनकी जगह बिल स्टेपिन को लाया गया। ब्रैड के मुताबिक, ट्रम्प की चुनाव मशीनरी को रोका नहीं जा सकता। लेकिन, राष्ट्रपति के कुछ पुराने और नए सहयोगी कहते हैं कि पैसा पानी की तरह बहाया गया। स्टेपिन के आने के बाद खर्च पर कुछ रोक लगाई गई। प्रचार की रणनीति में जरूरी बदलाव किए गए। पार्सकेल के कार्यकाल में 350 मिलियन डॉलर खर्च हुए। यह जुलाई तक खर्च हुए 80 करोड़ डॉलर का तकरीबन आधा है। इस दौरान नए डोनर नहीं मिले। कानूनी मामलों पर बेतहाशा खर्च हुआ। टीवी विज्ञापन का खर्च ही 10 करोड़ डॉलर के पार हो चुका है।

गैरजरूरी खर्च पर सवाल
सुपर बाउल के दो मुकाबलों को प्रचार का जरिया बनाया गया। इस पर 1.1 करोड़ डॉलर खर्च हुए। ये कुछ राज्यों में टीवी विज्ञापन पर खर्च रकम से ज्यादा है। महंगे कन्सलटेंट्स हायर किए गए। इन पर 15.6 लाख डॉलर खर्च हुआ। सेलफोन रखने के लिए मैग्नैटिक पाउच बनाने वाली योंडर कंपनी को ही 11 लाख डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया। इसका मकसद यह था कि डोनर्स चुपचाप ट्रम्प की बातें रिकॉर्ड न कर लें।

एडवाइजर्स ने भी पैसा उड़ाया
सूत्रों के मुताबिक, पूर्व कैम्पेन मैनेजर पार्सकेल ने कार भी खरीदी और ड्राइवर भी रखा। ये गैरजरूरी था। जब स्टेपिन कैम्पेन मैनेजर बने तो ट्रम्प ने उनकी तारीफ की। कहा- वे कम सैलरी पर आए हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं- ट्रम्प का कैम्पेन मैनेजमेंट सही नहीं है। अब स्थिति यह है कि बाइडेन फंड जुटाने में उनसे आगे निकल गए हैं। बाइडेन ने सिर्फ अगस्त में ही 365 मिलियन डॉलर चंदा जुटाया। हालांकि, ट्रम्प कैम्पेन टीम ने अगस्त का आंकड़ा अब तक जारी नहीं किया।

गलती पूर्व मैनेजर की
रिपब्लिकन पार्टी के सीनियर मेंबर एड रोलिन्स कहते हैं- 80 करोड़ डॉलर खर्च कर देंगे और 10 प्वॉइंट पीछे रहेंगे तो सवाल भी उठेंगे और जवाब भी देना होगा। पूर्व मैनेजर ने किसी नशेड़ी की तरह पैसा उड़ाया। पार्सकेल बचाव में कहते हैं- 2016 में भी मैंने ऐसे ही कैम्पेन चलाया था। हालांकि, हकीकत यह है कि पार्सकेल पिछले चुनाव में कैम्पेन मैनेजर थे ही नहीं। नए मैनेजर स्टेपिन ने 5.3 करोड़ के दो प्रस्ताव खारिज कर दिए। स्टाफ मेंबर्स सिर्फ बेहद जरूरी यात्रा ही कर सकेंगे। एयरफोर्स वन में सफर करने का लोगों को लालच होता है, इस पर भी अंकुश लगाया गया है।

हर दिन बजट देखना होता है
स्टेपिन कहते हैं- सबसे जरूरी होता है कि हर दिन बजट चेक किया जाए। स्टेपिन का दावा है कि चुनाव जीतने के लिए जरूरी बजट मौजूद है। लेकिन, इसकी जानकारी वे नहीं देते। अगस्त के आखिरी दो हफ्तों में बाइडेन ने टीवी विज्ञापन पर 3.59 करोड़ डॉलर, जबकि ट्रम्प ने सिर्फ 48 लाख डॉलर खर्च किए। ट्रम्प के एक सहयोगी जेसन मिलर कहते हैं- हम पैसा बचाकर रखना चाहते हैं ताकि आखिरी दौर में पूरी ताकत से प्रचार कर सकें। कोरोना जब चरम पर था तब बाइडेन ने प्रचार पर बेहद कम खर्च किया। ट्रम्प ने ऐसा नहीं किया।

आगे क्या होगा
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि आखिरी दो महीनों में काफी पैसा आएगा। टीवी विज्ञापन पर खर्च कम होगा। ऑनलाइन फंडिंग बढ़ेगी। डोर टू डोर कैम्पेन पर फोकस किया जाएगा। बाइडेन की टीम यह काम पहले से कर रही है। उसने कम जनसंख्या वाले राज्यों में यही रणनीति अपनाई। पार्सकेल ने फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ही 8 लाख डॉलर उड़ा दिए। अब ये बंद हो गए हैं। पार्सकेल कहते हैं- ये ट्रम्प के परिवार का आईडिया था। विस्कॉन्सिन में 39 लाख, मिशिगन में 36 लाख, आयोवा में 20 लाख और मिनेसोटा में 13 लाख डॉलर टीवी विज्ञापन पर खर्च हुए।

एक दलील ये भी
रिपब्लिकन पार्टी के एक सदस्य कहते हैं- पैसा कमाने के लिए, पैसा खर्च करना पड़ता है। जुलाई में 2016 में ट्रम्प ने 16.5 करोड़ डॉलर जुटाए थे। कैम्पेन मैनेजमेंट देखने वाली दो कंपनियों को ही पिछले साल 3 करोड़ डॉलर पेमेंट किया गया। पहले रिपब्लिकन पार्टी अपना कन्वेन्शन एमेलिया आईलैंड में करना चाहती थी। इसके लिए रिट्ज कार्लटन को 3.25 लाख डॉलर पेमेंट कर दिया गया था। अब ट्रम्प कैम्पेन को उम्मीद है कि ये पैसा उन्हें वापस मिल जाएगा।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
पिछले हफ्ते डोनाल्ड ट्रम्प ने पेन्सिलवेनिया के लैट्रोबे शहर में रैली की थी। इस दौरान उन्होंने डेमोक्रेट कैंडिडेट जो बाइडेन का मजाक उड़ाया था। यहां उन्होंने लोगों से रिपब्लिकन पार्टी को चंदा देने की भी अपील की थी।

Australian journalists flee China fearing arrest September 08, 2020 at 07:01AM

Two Australian journalists fled China on Tuesday under diplomatic protection, fearing arrest as political pawns in the rapidly worsening relationship between Canberra and Beijing.

EU, UK blame each other over deadlocked post-Brexit talks September 08, 2020 at 04:14AM

The UK and the European Union blamed each other Tuesday in their increasingly acrimonious post-Brexit trade discussions that could just be weeks from collapse.

सत्तारूढ़ पार्टी के प्रेमालाल जयशेखरा ने 2015 में विपक्षी पार्टी के नेता को गोली मारी थी, कोर्ट के आदेश के बाद जेल से संसद पहुंचकर शपथ ली September 08, 2020 at 04:29AM

श्रीलंका में मर्डर के मामले में मौत की सजा पाने वाला नेता ने मंगलवार को सांसद के तौर पर शपथ ली। 45 साल के प्रेमालाल जयशेखरा श्रीलंका की सत्तारूढ़ श्री लंका पोडुजन पार्टी (एसएलपीपी) के नेता है। उन्हें 2015 में एक चुनावी रैली के दौरान विरोधी पार्टी के एक्टिविस्ट की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

हत्या के मामले में इसी साल जुलाई में जयशेखरा को मौत की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, कोर्ट का यह फैसला उनके उम्मीदवार के तौर पर पर्चा दाखिल करने के बाद आया, जिससे उन्हें चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी गई। जयशेखरा ने जेल में रहते हुए ही चुनाव लड़ा और जीत गए।

श्रीलंका की एक कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया कि जयशेखरा को सांसद के तौर पर अपने अधिकारों के इस्तेमाल की इजाजत दी जाए।

कड़ी सुरक्षा में संसद लाया गया

जयशेखरा को जेल प्रशासन ने 20 अगस्त से शुरू हुए संसद सत्र में शामिल होने की इजाजत नहीं दी थी। इसके बाद उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर कर इजाजत मांगी थी। कोर्ट ने सोमवार को इस पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि जयशेखरा को सांसद के तौर पर अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने दिया जाए। इसी आदेश के मुताबिक, कड़ी सुरक्षा के बीच उन्हें मंगलवार को संसद लाया गया। शपथ के बाद उन्हें दोबारा जेल छोड़ दिया गया।

विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने जयशेखरा का विरोध किया

संसद में सांसद के तौर पर शपथ लेने पहुंचे जयशेखरा का विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने विरोध किया। इनमें से ज्यादातर काले रंग का स्कार्फ बांध कर संसद पहुंचे। जैसे ही जयशेखरा की शपथ शुरू हुई विपक्षी सांसद ने शोर मचाने लगे। कई सांसद वॉकआउट भी कर गए।

जयशेखरा को शपथ दिलाने के विरोध में ज्यादातर विपक्षी सांसद काला स्कार्फ बांधकर संसद पहुंचे।

जयशेखरा मौत की सजा के बावजूद बनने वाले पहले शख्स

जयशेखरा 2001 से ही सांसद हैं। वे श्रीलंका में मौत की सजा पाने के बावजूद सांसद बनने वाले पहले शख्स हैं। हालांकि, देश में इससे पहले शिवानेसतुरै चंद्रकांतन को भी जेल से कड़ी सुरक्षा के बीच संसद लाकर शपथ दिलाई गई थी। चंद्रकांतन पहली बार सांसद बने हैं और उनके खिलाफ भी हत्या का मामला चल रहा है। श्रीलंका में दोषियों को मौत की सजा देने का प्रावधान है, लेकिन 1976 के बाद से अब तक किसी को यह सजा नहीं दी गई है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
श्रीलंका की सत्तारूढ़ श्री लंका पोडुजन पार्टी (एसएलपीपी) के नेता प्रेमालाल जयशेखरा ने मंगलवार को सांसद के तौर पर शपथ ली।

Assange told to stop interrupting witnesses at UK hearing September 08, 2020 at 02:43AM

Assange is fighting an attempt by American prosecutors to extradite him to the US to stand trial on spying charges. US prosecutors have indicted the 49-year-old Australian on 18 espionage and computer misuse charges over WikiLeaks' publication of secret US military documents a decade ago. The charges carry a maximum sentence of 175 years in prison.

Pakistan marble mine collapse kills 19; dozens battling for life September 08, 2020 at 01:52AM

Majority of the deceased include labourers and few others who had gathered at the foothill in Khyber Pakhtunkhwa's Safi town near the Afghanistan border, about 85 km from provincial capital Peshawar. Mohmand District Police Officer Mohmand Tariq Habib told Geo News that 15 to 20 people are still buried under the rubble.

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा- भारत को ओवर कॉन्फिडेंस, उसके सैनिकों ने 45 साल बाद पहली बार सीमा पर गोलियां चलाईं ; चीन जवाब देगा September 08, 2020 at 01:16AM

लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भारतीय सेना के एक्शन से बौखलाए चीन के सरकारी अखबार ने भारत को धमकी दी। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा- भारत ओवर कॉन्फिडेंस में है। चीन की सेना और लोगों को उकसा रहा है। भारतीय सैनिकों ने गैरकानूनी तरीके से एलएसी क्रॉस की। उसके सैनिक दोनों देशों के समझौते तोड़कर वॉर्निंग फायर कर रहे हैं। ऐसा 45 साल बाद पहली बार हुआ है। वे दिखाना चाहते हैं कि वे बंदूक के इस्तेमाल को लेकर हुए पुराने समझौते को नहीं मानते। अगर ऐसा है, तो दोनों देशों को बॉर्डर पर खूनी युग के एक नए दौर के लिए तैयार हो जाना चाहिए।

भारत ने एलएसी पर कई अहम इलाकों पर बढ़त बना ली है। चीनी सेना के वेस्टर्न थिएटर कमांड के प्रवक्ता कर्नल झांग शुइली ने मंगलवार को कहा- भारतीय सेना पैगॉन्ग सो झील के दक्षिण इलाके में शेनपाओ पहाड़ी क्षेत्र में पहुंच चुकी है। उन्हें रोकने गए चीनी सैनिकों पर फायरिंग हुई। हमारे सैनिकों को मामला शांत करने के लिए जरूरी कदम उठाने पड़े।

जून में हुई झड़प के बाद भी गोलियां नहीं चलीं थीं

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा- भारत और चीन की सीमा पर 40 साल से शांति है। कई बार मिलिट्री स्टैंड ऑफ यानी सैन्य टकराव के हालात बने। कोई गंभीर सैन्य संघर्ष नहीं हुआ। दोनों देश तनाव होने पर बंदूकों के इस्तेमाल से बचते रहे। जून की झड़प में कुछ जानें गईं थीं, लेकिन उस वक्त भी फायरिंग नहीं हुई।

सीमा विवाद को लेकर भारत दबाव में है

चीन के सरकारी अखबार के मुताबिक- भारत इस साल जून में लद्दाख घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव में है। भारत सरकार ने सीमा पर तैनात अपने सैन्य कमांडर्स को एक्शन की पूरी छूट दे दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जुलाई में लद्दाख दौरा किया। लद्दाख स्टैंड ऑफ के 4 महीने बीत चुके हैं। यह डोकलाम विवाद से भी लंबा खिंच चुका है। ऐसे में भारत चाहता है कि जल्द से जल्द मामला सुलझ जाए। यही वजह है कि भारत एलएसी पर तनाव पैदा कर रहा है। भारत अब चीन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।

‘भारत बड़ी बड़ी बातें कर रहा’

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा- भारत का बर्ताव अकड़ वाला है। नई दिल्ली के मुताबिक, उसने पैगॉन्ग सो झील के पास चीन की दो पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया है। अब चीन के सैनिक भारतीय सैनिकों की राइफल रेंज में हैं। भारत कूटनीतिक संबंधों को लेकर चीन को धमकी दे रहा है। उसे लगता है कि चीन उससे मदद मांगेगा।

भारत को गंभीर चेतावनी देनी होगी

अखबार ने आगे लिखा- भारत को गंभीर चेतावनी देनी होगी। बताना होगा कि आप अपनी लाइन क्रॉस कर चुके हैं। भारत ने राष्ट्रवाद साबित करने के लिए एलएसी क्रॉस की है। अब उसे दो बार सोचना चाहिए। उनसे बंदूकों को इस्तेमाल न करने वाला समझौता भी तोड़ दिया। चीन के दो कमांडिंग पोस्ट कब्जे में लेने का क्या फायदा होगा। क्या इस दौर में कमांडिंग हाइट्स (चोटियों पर मोर्चा) मायने रखते हैं? किसके पास ज्यादा हथियार हैं? किसका मिलिट्री बजट ज्यादा है? क्या भारत गिनती भी कर पाएगा।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
फोटो जुलाई की है। तब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लद्दाख दौरे पर गए थे। यहां उन्होंने सैनिकों से मुलाकात की थी। -फाइल फोटो

Pakistan to hold National Assembly, Senate sessions next week to get FATF bills passed September 07, 2020 at 11:14PM

चीन से अब सबमरीन्स नहीं खरीदेगा थाईलैंड, बंगाल की खाड़ी में नहर का प्रोजेक्ट भी रद्द किया September 07, 2020 at 11:38PM

चीन के दोस्त भी अब उससे दूर होते जा रहे हैं। थाईलैंड को एक वक्त उसके सबसे करीबी मित्र राष्ट्रों में गिना जाता था। हालांकि, यह तस्वीर भी अब बदल रही है। थाईलैंड सरकार ने दो चीन को नुकसान पहुंचाने वाले दो बड़े फैसले किए। पहला- 2017 में हुई सबमरीन डील टाल दी है। दूसरा- बंगाल की खाड़ी में नहर बनाने का कॉन्ट्रैक्ट चीन को देने से इनकार कर दिया।

अब दो पनडुब्बियां नहीं खरीदेगा थाईलैंड
यूरेशियन टाइम्स के मुताबिक, 2015 थाईलैंड ने चीन के नेवल इक्युपमेंट्स खरीदने की डील की थी। चीन से सबमरीन डील करने वाला थाईलैंड पहला देश था। 2107 में थाईलैंड ने 2 सबमरीन खरीदने का सौदा किया। पहली सबमरीन की डिलीवरी 2023 में होनी थी। लेकिन, इसके पहले ही थाई सरकार ने इस डील को टाल दिया। सरकार के प्रवक्ता ने कहा- प्रधानमंत्री जनता की फिक्र समझते हैं। देश आर्थिक तौर पर मुश्किल दौर से गुजर रहा है।

जनता नाखुश थी
रिपोर्ट के मुताबिक, सबमरीन डील 72.4 करोड़ डॉलर की थी। देश के अर्थव्यवस्था इन दिनों खराब दौर से गुजर रही है। विपक्ष और नागरिक लगातार इस महंगे करार पर सवाल उठा रहे थे। सरकार पर दबाव बढ़ रहा था। यही वजह है कि इस डील को टाल दिया गया है। इसके अलावा ट्रेड के लिहाज से चीन यहां बंगाल की खाड़ी में एक नहर भी बनाने जा रहा था। इसका कॉन्ट्रैक्ट भी अब रद्द कर दिया गया है। थाई सरकार अब इसे खुद बनाएगी। यह नहर 120 किलोमीटर लंबी होती।

नहर पर सख्त फैसला क्यों
फॉरेन पॉलिसी मैगजीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नहर वाले प्रोजेक्ट को अपने हाथ में लेने का फैसला थाईलैंड सरकार ने छोटे पड़ोसी देशों के हितों के मद्देनजर लिया है। म्यांमार और कम्बोडिया की सीमाएं चीन से मिलती हैं। थाईलैंड सरकार को लगता है कि चीन नहर के जरिए इन दोनों के हितों को प्रभावित कर सकता है। थाईलैंड के इस फैसले से इस क्षेत्र के देशों ने राहत की सांस ली है। अब दक्षिण चीन सागर में कोई देश चीन के साथ नहीं है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
फोटो पिछले साल मई की है। तब चीन और थाईलैंड ने ज्वॉइंट मिलिट्री ड्रिल की थी। थाईलैंड ने चीन से नेवल इक्युपमेंट्स के अलावा दो सबमरीन खरीदने के लिए डील की थी। अब इसे टाल दिया गया है। दोनों देशों के करीबी रिश्तों को देखते हुए यह चीन के लिए बड़ा झटका माना जा सकता है।

China celebrates coronavirus success as Europe suffers September 07, 2020 at 10:45PM

The upbeat mood in Beijing comes as concerns grow about a resurgence of Covid-19 across Europe, with France tightening restrictions, cases in Britain spiking and schools resuming around the region in recent days.

UN urges 'independent' Russian probe of Navalny poisoning September 07, 2020 at 11:03PM

Aung San Suu Kyi opens campaign for Myanmar election amid virus surge September 07, 2020 at 09:49PM

French economy to bounce back as lockdown lifted September 07, 2020 at 09:14PM

किताब में दावा- ट्रम्प ने ओबामा को नीचा दिखाने के लिए उनके हमशक्ल को नौकरी पर रखा, मंडेला को भी नेता नहीं मानते September 07, 2020 at 09:12PM

"अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प देश और दुनिया के अश्वेत नेताओं के लिए अक्सर नस्लीय टिप्पणी करते थे। ट्रम्प के अंदर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के लिए नफरत कूट-कूट कर भरी है। वे नेल्सन मंडेला को नेता तक नहीं मानते।" ये बातें ट्रम्प के निजी वकील रह चुके माइकल कोहेन ने अपनी किताब में लिखी हैं। कोहेन ने ट्रम्प के साथ एक दशक तक काम किया है।

कोहेन की किताब का नाम ‘डिसलॉयल: अ मेमोयर’ है। यह मंगलवार को पब्लिश होगी। न्यूयॉर्क टाइम्स का दावा है कि उसे किताब की एक कॉपी पहले ही मिल चुकी है। इस किताब में ट्रम्प को लालची और कानून में भरोसा न रखने वाला इंसान बताया गया है। किताब के मुताबिक- ट्रम्प विरोध करने वाले के खिलाफ कोई भी हथकंडा अपना सकते हैं। ट्रम्प रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की देश को खुद की जागीर समझने की सोच की तारीफ करते थे।

ओबामा को नीचा दिखाने की चाह
किताब के मुताबिक- ट्रम्प के मन में ओबामा के लिए गलत भावनाएं थीं। उन्हें नीचा दिखाने के लिए ट्रम्प ने ओबामा जैसे दिखने वाले एक शख्स को नौकरी पर रखा। एक वीडियो भी रिकॉर्ड किया, जिसमें वह उस शख्स को नौकरी से निकालते दिख रहे हैं। यह सब उन्होंने अपनी इच्छा पूरी करने के लिए किया। कोहेन लिखते हैं- फर्जी ओबामा रखने की यह बात 2012 की है। ट्रम्प रिपब्लिकन प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट मिट रॉम्नी के लिए प्रचार कर रहे थे। यह वीडियो को उस साल रिपब्लिकन के कन्वेन्शन में दिखाया जाना था।

अश्वेतों क बारे में ओछी सोच
कोहेन के मुताबिक- ट्रम्प ने कई बार अश्वेतों के बारे में ओछा सोच जाहिर किया। उनकी संस्कृति और संगीत तक का अपमान किया। एक बार तो दक्षिण अफ्रीका को गोरों की गुलामी से आजादी दिलाने के लिए आंदोलन चलाने वाले नेल्सन मंडेला को नेता मानने तक से इनकार कर दिया था।
कोहेन ट्रम्प को कोट करते हुए लिखते हैं- अश्वेतों के शासन वाला कोई भी एक ऐसा देश बता दें जो बेकार न हो। ट्रम्प ने अपने रियलिटी टीवी शो 'द अप्रेंटिस' में अश्वेत कंटेस्टेंट क्वैम जैक्सन के बारे में भी अपमानजनक टिप्पणी की थी। उनके अंदर अश्वेत सेलेब्रिटीज और खिलाड़ियों के लिए भी कुछ ऐसे ही ख्याल थे।

एडल्ट स्टार से अफेयर की बात बताई
कोहेन ने किताब में 2016 की वह बात भी बताई है, जब ट्रम्प के साथ अफेयर होने का दावा करने वाली एडल्ट स्टार को पैसे देने में मोलभाव किया गया था। उन्होंने बताया कि ट्रम्प ऑर्गनाइजेशन से जुड़े अधिकारी ने उनसे इस पर बात की थी। ट्रम्प ने 2016 के रिपब्लिकन प्राइमरी के दौरान राष्ट्रीय जांच कमेटी की रिपोर्ट को हथियार की तरह इस्तेमाल किया था।

ट्रम्प की प्रेस सेक्रेटरी ने कहा- दावे झूठे
कोहेन की किताब में किए गए दावों को ट्रम्प की प्रेस सेक्रेटरी कैली मैकनेनी ने मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा- माइकल कोहेन बदनाम वकील हैं। उन्होंने कांग्रेस (संसद) से झूठ बोला। वो अपना भरोसा खो चुके हैं। अगर वह अपने झूठ से फायदा उठाने की नई कोशिश कर रहे हैं तो इसमें कोई हैरानी नहीं है।

खुद से जुड़े सवालों के जवाब दिए
कोहेन ने इस किताब के जरिए खुद से जुड़े सवालों का जवाब देने की भी कोशिश की है। कोहेन ने लिखा है कि उन्होंने कई झूठ बोले, लेकिन ट्रम्प के कहने पर। ये झूठ जांच के दौरान ट्रम्प को बचाने या फिर उन्हें (ट्रम्प को) सुर्खियों में लाने के लिए बोले। कोहेन को 2018 में कुछ आर्थिक अपराधों में दोषी पाया गया था। वे एडल्ट फिल्मों की एक्ट्रेस रह चुकीं स्टेफनी क्लिफोर्ड को पैसे देने में नियमों को तोड़ने के भी दोषी करार दिए गए थे। किताब में कोहेन कहते हैं कि वे निर्दोष हैं और उन्हें अमेरिकी सरकार ने इसमें फंसाया। उनकी पत्नी तक को धमकी दी गई थी।

ये खबरें भी पढ़ सकते हैं...

1. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर एनालिसिस:ट्रम्प खुद को श्वेत अमेरिकियों का रक्षक बता रहे; अश्वेतों पर हमलों की निंदा तो दूर उनका नाम तक नहीं लेते

2. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव:कैम्पेन के आखिरी दौर में मुकाबला कांटे का; बाइडेन को ट्रम्प पर मामूली बढ़त



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
ट्रम्प के पूर्व पर्सनल वकील माइकल कोहेन जेल से लौटने के बाद अपने अपार्टमेंट जाते हुए। यह फोटो जुलाई 2020 की है।