Tuesday, July 21, 2020

पाकिस्तान में घर से अगवा पत्रकार 12 घंटे बाद रिहा; किडनैप होने से पहले सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गवाही देनी थी July 21, 2020 at 08:20PM

मंगलवार सुबह अगवा किए गए पाकिस्तानी जर्नलिस्ट मतीउल्लाह जेन देर रात सुरक्षित घर लौट आए। अब तक यह साफ नहीं हो सका कि जेन को किसने और क्यों किडनैप किया था, और फिर किन शर्तों पर उन्हें रिहा किया गया। मतीउल्लाह की किडनैपिंग से बवाल हो गया था। कुछ विदेशी डिप्लोमैट्स ने भी उनकी फौरन सुरक्षित रिहाई की मांग की थी।
कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अगवा किए जाने वाले दिन ही जेन को सुप्रीम कोर्ट में एक अहम गवाही देनी थी। यह मामला इमरान खान सरकार के खिलाफ चल रहा है।

कैसे हुआ था अपहरण
मंगलवार सुबह करीब 9 बजे मतीउल्लाह इस्लामाबाद के एक सरकारी स्कूल पहुंचे थे। यहां करीब 10 लोग अचानक उन पर हमला बोल देते हैं। इनमें से कुछ फौजी वर्दी तो कुछ सिविल ड्रेस में थे। जेन को एक ब्लैक कार में डालकर ये लोग गायब हो जाते हैं। स्कूल के गेट पर लगे सीसीटीवी फुटेज में घटना कैद हो जाती है। हालांकि, फुटेज बहुत साफ नहीं थे।

दबाव में सरकार
जेन के अगवा होने की खबर के साथ ही हर तरफ विरोध होना शुरू होता है। न्यायपालिका और राजनीति तो अपनी जगह कनाडा के एम्बेसडर तक ट्वीट करते हैं। सरकार पर दबाव बढ़ जाता है। दबे सुरों में ही सही, लेकिन इसे सेना और आईएसआई की साजिश बताया जाता है।

जेन पर तवज्जो क्यों
इसको लेकर अलग-अलग दावे हैं। लेकिन, दो पर फोकस ज्यादा है। पहला केस जस्टिस ईसा से जुड़ा है। उन्होंने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी से शिकायत में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की कुछ अंदरूनी बातें लीक की जा रही हैं और उनकी इमेज खराब की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के बाद जेन को कोर्ट की अवमानना का आरोपी बनाया। जस्टिस ईसा के कुछ फैसलों पर इमरान सरकार ने नाखुशी जाहिर की थी। जेन को इसी मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में गवाही के लिए पेश होना था।

सरकार और फौज से दुश्मनी
सोशल मीडिया पर इस तरह की खबरें हैं कि फौज और सरकार से जुड़ी कुछ खास जानकारियां मतीउल्लाह के पास थीं। किडनैपिंग के वक्त उन्होंने अपना मोबाइल फेंक दिया था। लेकिन, एक किडनैपर ने इसे फौरन उठा लिया। इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने होम सेक्रेटरी और तमाम आला अधिकारियों से कहा था- जर्नलिस्ट जल्द और सुरक्षित रिहा होना चाहिए। वरना आपको नतीजे भुगतने होंगे।

हर जगह विरोध
विपक्षी नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने जेन के जल्द रिहाई की मांग की। संसद में मामला उठा। विपक्षी सांसद शेरी रहमान ने कहा- सरकार बताए कि जेन को किसने, क्यों और किसके कहने पर अगवा किया। वो ऐसे क्या राज जानते हैं? इमरान सरकार चुप रही। शहबाज शरीफ ने कहा था- अगर जेन को कुछ हुआ तो प्रधानमंत्री इमरान खान जिम्मेदार होंगे। इमरान के घोर विरोधी मौलान फजल-उर-रहमान ने कहा- यह सरकार के इशारे पर हुआ। कनाडा और जर्मनी के राजदूतों ने भी ट्वीट किए।

फिर, नाटकीय रिहाई
जियो न्यूज के मुताबिक, मंगलवार रात 11 बजे जेन को इस्लामाबाद के सुनसान इलाके फतेह जंग में छोड़ा गया। उनका फोन वापस नहीं किया गया है। यहां से वह घर पहुंचे। अब तक उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्हें किन लोगों ने और क्यों अगवा किया था। मुल्क के नामी टीवी एंकर मीर मो. अली खान ने कहा- आईएसआई के खिलाफ आवाज उठाने का खामियाजा मतीउल्लाह को भुगतना पड़ा। जर्मन वेबसाइट और रेडियो डॉयचे वेले ने कहा- जेन ने सरकार और फौज के खिलाफ आवाज उठाई थी। इसलिए, उन्हें अगवा किया गया। बुधवार को जेन ने रिहाई के लिए किए गए प्रयासों और समर्थन के लिए कई लोगों का शुक्रिया अदा किया।

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फोटो मंगलवार देर रात पत्रकार मतीउल्लाह जेन (बीच में) की रिहाई के बाद की है। दाईं तरफ उनके भाई आफताब और बाईं तरफ दोस्त काशिफ बताए गए हैं।

11 missing, 6 injured in Colombian military helicopter crash July 21, 2020 at 08:04PM

इटली के एक गांव में आठ साल बाद किलकारी गूंजी; यहां जनसंख्या अब 28 से बढ़कर 29 हुई, बच्चे का नाम डेनिस रखा गया July 21, 2020 at 06:52PM

इटली के छोटे से गांव मोरटेरोन में 8 साल बाद किसी बच्चे का जन्म हुआ है। अब यहां की आबादी 29 लोगों की हो गई है। रविवार को पैदा हुए इस बच्चे का नाम डेनिस रखा गया है। डेनिस का जन्म लेको के एलेसांद्रोमैनजोनी अस्पताल में हुआ। जन्म के समय उसका वजन 2.6 किग्रा था। डेनिस के मां की सारा और पिता मातेओहैं। इन्होंने अपने बच्चे के जन्म के बाद इटालियन परंपरा के मुताबिक, घर के दरवाजे पर रिबन लगाकर बच्चे के जन्म की जानकारी दी। यहां लड़के के पैदा होने पर दरवाजे पर नीले रंग और लड़की के जन्म पर गुलाबी रंग का रिबन लगाने का रिवाज है।

मोरटेरोन को इसकी सबसे कम आबादी की वजह से इटली के सबसे छोटे गांव का दर्जा मिला हुआ है। मोरेटेरोन की मेयर एंटोनेला इनवेरनिजी ने बच्चे के जन्म पर कहा कि यह हमारे पूरी कम्युनिटी के लिए जश्न की बात की बात है। फिलहाल गांव में कोई और दूसरी महिला गर्भवती नहीं है।

बच्चे की मां ने कहा- महामारी में प्रेग्नेंट होना आसान नहीं था

डेनिस की मांसारा के मुताबिक, महामारी के दौरान प्रेग्नेंट होना आसान नहीं था। हम कहीं भी आ-जा नहीं सकते थे और न ही अपने किसी करीबी से मिल सकते थे। अस्पताल से लौटने के बाद गांव में बच्चे के जन्म की खुशी मनाएंगे। मेरे बच्चे के जन्म से मेरे गांव में रहने वाले लोग बढ़े हैं, हालांकि यह मामूली इजाफा है।इटली में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। लोम्बार्डी क्षेत्र भी संक्रमण की चपेट में है। हालांकि, मोरटेरोन गांव में इसका असर काफी कम है।

इटली में जन्म दर काफी कम हो चुकीहै

2019 में लगातार 5वें साल इटली में जन्मदर मृत्युदर से कम रही। यहां पिछले साल 4 लाख 35 हजार बच्चे पैदा हुए। यह 2018 के मुकाबले 5 हजार कम था। 1918 के बाद यह पहला मौका था जब इटली में जन्मदर में इतनी ज्यादा कमी देखी गई। इटली में आबादी का यह संकट उसकी अर्थव्यवस्था के लिए भी चिंताजनक है। देश में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है और काम करने वाले लोग कम हो रहे हैं। प्रधानमंत्री सर्जियोमातारेला भी इस पर अपनी चिंता जता चुके हैं।

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इटली के मोरटेरोन गांव में बच्चे के जन्म के बाद रिबन लगाया गया। यहां लड़के के जन्म पर नीले और लड़की के जन्म पर गुलाबी रिबन लगाने का रिवाज है।

चीन का ईसाइयों को आदेश- घर में जीसस की फोटो और क्रॉस हटाएं, इनकी जगह कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं की तस्वीरें लगाएं July 21, 2020 at 06:38PM

चीन में मुस्लिमों के बाद अब ईसाई समुदाय की धार्मिक पहचान खतरे में पड़ती नजर आ रही है। यहां क्रिश्चियन्स को आदेश दिया गया है कि वे घरों में लगी जीसस क्राइस्ट की फोटोग्राफ्स और क्रॉस फौरन हटाएं और इनकी जगह कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं के चित्र लगाएं। कुछ दिन पहले देश के चार राज्यों में सैकड़ों चर्चों के बाहर लगे धार्मिक प्रतीक चिन्हों को हटाया जा चुका है। चीन में करीब 7 करोड़ ईसाई रहते हैं।

अमेरिकी वेबसाइट ने किया खुलासा
चीन की इस नई हरकत का खुलासा रेडियो फ्री एशिया की एक रिपोर्ट में किया गया है। इसके मुताबिक, हाल ही में अन्शुई, जियांग्सु, हेबई और झेजियांग में मौजूद चर्चों के बाहर लगे रिलीजियस सिम्बल्स यानी धार्मिक प्रतीक चिन्हों को या तो तोड़ दिया गया या फिर इन्हें हटा दिया गया था।

अब नया फरमान
चर्चों में तानाशाही दिखाने के बाद अब शी जिनपिंग सरकार ईसाई समुदाय के घरों को निशाना बना रही है। जीसस क्राइस्ट के फोटोग्राफ और प्रतीक चिन्ह क्रॉस को हटाने को कहा गया है। इनकी जगह सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं के फोटोग्राफ लगाने का फरमान सुनाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन किसी तरह की धार्मिक गतिविधियों को मंजूरी नहीं देना चाहता। लिहाजा, इस तरह के आदेश जारी किए जा रहे हैं।

क्रॉस को तोड़ा गया
हुआनान प्रांत में पिछले शनिवार और रविवार को काफी हंगामा हुआ। शनिवार को यहां सरकारी अमला पहुंचा। उसने शिवान क्राइस्ट चर्च के बाहर लगे बड़े क्रॉस को हटाने को कहा। इसके बाद वहां काफी लोग जुट गए। उन्होंने इसका विरोध किया। लेकिन, उनकी आवाज दबा दी गई। पुलिस और दूसरे सरकारी अमले ने क्रॉस को ढहा दिया। 7 जुलाई को झेजियांग में भी यही हुआ था। इसके लिए 100 से ज्यादा कर्मचारी लगाए गए थे।

धार्मिक किताबों पर भी रोक
पिछले साल जिनपिंग सरकार ने एक आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि देश में किसी भी तरह की धार्मिक किताबों का इस्तेमाल या उनका ट्रांसलेशन नहीं किया जा सकता। आदेश न मानने वालों को सजा की धमकी भी दी गई थी। बता दें कि यहां शिनजियांग प्रांत में लाखों मुस्लिमों को कैद करके रखने के आरोप चीन पर लगते रहे हैं।



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यह फोटो सोशल मीडिया पर वायरल है। दावा है कि मई में फुजियान प्रांत के कई चर्चों को जिनपिंग सरकार ने तुड़वा दिया। अब खबर आई है कि ईसाई समुदाय से घरों से जीसस क्राइस्ट के फोटो हटाने को कहा गया है।

यूक्रेन में राष्ट्रपति ने हॉलीवुड फिल्म का वीडियो पोस्ट किया, इसके बाद किडनैपर ने सभी बस यात्रियों को छोड़ा, सरेंडर किया July 21, 2020 at 05:45PM

यूक्रेन में मंगलवार सुबह एक बस में बंधक बनाए गए सभी यात्रियों को देर रात सुरक्षित छुड़ा लिया गया। राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेन्सकी ने यात्रियों की रिहाई के पहले एक हॉलीवुड फिल्म का वीडियो पोस्ट किया। इसके बाद किडनैपर ने यात्रियों को रिहा कर दिया। बाद में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया।
हालांकि, यह साफ नहीं है कि हॉलीवुड फिल्म अर्थलिंग्स (Earthlings) का यह वीडियो राष्ट्रपति ने किडनैपर की डिमांड पर पोस्ट किया था या इसकी कोई और वजह थी।

गोलियां भी चलीं
बस को सुबह 9 बजे (लोकल टाइम) हाइजैक किया गया था। 20 पैसेंजर बताए गए थे लेकिन, कुल 13 यात्री ही थे। बंधक संकट के दौरान पुलिस और किडनैपर के बीच गोलियां भी चलीं। हालांकि, किसी को इससे नुकसान नहीं पहुंचा। पुलिस ने बस को चारों तरफ से घेर लिया था। पहले तीन यात्रियों को किडनैपर ने छोड़ा। इसके बाद बाकी 10 पैसेंजर छोड़े गए। बाद में किडनैपर बस से बाहर आया। जमीन पर लेट गया। हथियार उसने बस में ही छोड़ दिए थे।

फिल्म के वीडियो पर सस्पेंस
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बंधक संकट खत्म होने के कुछ मिनट पहले राष्ट्रपति ने 2005 में आई हॉलीवुड फिल्म अर्थलिंग्स का एक वीडियो पोस्ट किया। इसके साथ मैसेज में कहा- हर किसी को यह फिल्म देखनी चाहिए। यात्रियों को छुड़ाए जाने और किडनैपर के सरेंडर के बाद यह पोस्ट उन्होंने डिलीट भी कर दिया। अब तक यह साफ नहीं है कि राष्ट्रपति ने यह वीडियो किडनैपर की मांग पर पोस्ट किया था, या इसकी कोई और वजह थी। सवाल ये भी है कि चंद मिनट में उन्होंने इसे डिलीट क्यों कर दिया।

कौन था किडनैपर
किडनैपर की पहचान मैकसेम किर्वोश (44) के रूप में की गई है। उसे कुछ साल पहले अवैध हथियार रखने और जालसाजी के जुर्म में 10 साल की सजा हुई थी। वो इसे काटकर पिछले साल ही रिहा हुआ था। संकट खत्म होने के बाद होम मिनिस्टर एवाकोव ने ट्वीट में कहा- सभी ठीक हैं। हमने एक बड़े संकट को हल कर लिया है। राष्ट्रपति की प्रवक्ता यूलिया मेन्डेल ने भी ट्वीट में यात्रियों के सुरक्षित होने पर खुशी जाहिर की।

किडनैपर की पहचान मैकसेम किर्वोश (44) के रूप में की गई है। उसे कुछ साल पहले अवैध हथियार रखने और जालसाजी के जुर्म में 10 साल की सजा हुई थी।


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फोटो बंधक संकट खत्म होने के बाद का है। जमीन पर लेटा व्यक्ति ही किडनैपर है। वो जालसाजी और अवैध रखने की वजह से 10 साल की सजा काट चुका है।

अमेरिका ने कहा- महामारी का इस्तेमाल चीन ने अपने पड़ोसियों को धमकाने में किया, हम उसकी हर हरकतों पर नजर रख रहे हैं July 21, 2020 at 05:06PM

अमेरिका ने एक बार फिर चीन के खिलाफ बयान दिया है। विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा- ऐसे वक्त में जबकि दुनिया के देश महामारी से जूझ रहे हैं, चीन ने इसका नाजायज फायदा उठाया। उसने मुश्किल वक्त में अपने पड़ोसियों को धमकाया। पोम्पियो ने लद्दाख में भारत और चीन की सैन्य झड़प का जिक्र तो नहीं किया, लेकिन उनका इशारा इसी तरफ था।

ये वक्त तो मदद का था
पोम्पियो चीन के खिलाफ सहयोगी देशों को फिर से एकजुट करने की कोशिशों के तहत कई देशो की यात्रा पर निकले हैं। मंगलवार को वे लंदन में थे। वहां प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से बातचीत की। बाद में मीडिया से बातचीत की। कहा- यह दुनिया के लिए मुश्किल वक्त है। इस वक्त में तो चीन को बाकी देशों की मदद के लिए आगे आना चाहिए था। लेकिन, उसने इसकाफायदा उठाने का साजिश रची, पड़ोसियों को धमकाया।

दक्षिण चीन सागर का भी जिक्र
साउथ चाइना सी में अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका ने जापान और ऑस्ट्रेलिया के अलावा फिलीपींस और ताइवान की भी मदद की है। पोम्पियो ने कहा- हम चाहते हैं कि इस क्षेत्र में चीन ताकत का गलत इस्तेमाल करने से बाज आए। इसके लिए हम अपने सभी सहयोगियों से बातचीत कर रहे हैं। चीन को किसी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए।

चीन को हालात समझने चाहिए
पोम्पियो ने एक सवाल के जवाब में कहा- यह वक्त ऐसा है जब महामारी से हर देश परेशान है। क्या ऐसे में हर देश को साथ आने की जरूरत नहीं है। मैं चीन की तरफ से भी सहयोग चाहता हूं। लेकिन, वो इसका गलत फायदा उठाने की साजिशें रच रहा है। अंतरराष्ट्रीय कानून और नियमों का पालन उसे भी करना होगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि महामारी चीन से शुरू हुई और उसने दुनिया के सामने सच नहीं आने दिया। राष्ट्रपति ट्रम्प कह चुके हैं कि चीन की जवाबदेही तय की जाएगी।

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1. ट्रम्प ने कहा- चीन चाहता तो आराम से कोरोनावायरस रोक सकता था, उसने जानबूझकर इसे फैलने दिया
2.विदेश मंत्री पोम्पियो ने कहा- चीन के दावों का कोई आधार नहीं, दुनिया उसे वहां अपना जल साम्राज्य मानने की इजाजत नहीं देगी



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अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा है कि दक्षिण चीन सागर में चीन की हर हरकत पर अमेरिका निगाह रख रखा है। पोम्पियो ने कहा कि महामारी के दौर में चीन को दुनिया का साथ देना चाहिए था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। (फाइल)

New Zealand's Ardern sacks minister over office affair July 21, 2020 at 04:58PM

Ardern dismissed Immigration Minister Iain Lees-Galloway after discovering he had an affair with a former colleague who was working at a government organisation that reported to him.

Afghan teen kills 2 Taliban men, wounds several more after parents murdered July 21, 2020 at 04:52PM

Qamar Gul, an Afghan teen girl shot dead two Taliban fighters and wounded several more after they dragged her parents from their home and killed them for supporting the government. The fighters were looking for her father — the village chief. When her mother resisted, the Taliban fighters killed her parents. Gul took an AK-47, the gun family had, and shot down two.

जिम्बाब्वे ने कर्फ्यू लगाया, दो शहरों के बीच यात्रा और एक जगह पर 50 से ज्यादा लोगों के जुटने पर पाबंदी होगी; दुनिया में 1.50 करोड़ संक्रमित July 21, 2020 at 04:17PM

दुनिया में कोरोनावायरस के अब तक 1 करोड़ 50 लाख 91 हजार 817 संक्रमित मिल चुके हैं। इनमें 91 लाख 10 हजार 153 ठीक हो चुके हैं, जबकि 6 लाख 19 हजार 409 की मौत हो चुकी है। दुनियाभर में अभी 63,785 मरीजों की हालत गंभीर है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं।

जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति एर्म्सन मनांगाग्वा ने मंगलवार को देश भर में कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया। यह नया नियम बुधवार से लागू हो जाएगा। सुरक्षाबल सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक गश्त करेंगे और लोगों को घर बाहर निकलनेसे रोंकेंगे। हालांकि, राशन और इलाज करवाने जैसे जरूरी कामों के लिए लोग घरों से निकल सकेंगे। दो शहरों के बीच लोग यात्रा नहीं कर सकेंगे। एक जगह पर 50 लोगों के जुटने पर भी पाबंदी होगी।

10 देश जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा

देश

कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 40,28,569 1,44,953 18,86,583
ब्राजील 21,66,532 81,597 14,65,970
भारत 11,94,085 28,770 7,52,393
रूस 7,83,328 12,580 5,62,384
द.अफ्रीका 3,81,798 5,368 20,08,144
पेरू 3,62,087 13,579 2,48,786
मैक्सिको 3,56,255 40,400 2,27,165
चिली 3,34,683 8,677 3,06,816
स्पेन 3,13,274 28,424 उपलब्ध नहीं
ब्रिटेन 2,95,817 45,422 उपलब्ध नहीं

स्पेन: विकासशील देशों को फंड देगा

स्पेन विकासशील देशों को कोरोना से निपटने के लिए 1.7 बिलियन यूरो(करीब 1461 हजार करोड़ रु.) का फंड देगा। स्पेन के विदेश मंत्री अरांचा गोंजालेज ने मंगलवार को इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि स्पेन को उम्मीद है कि इससे लोगों की जान बचेगी और पब्लिक हेल्थ सिस्टम में सुधार आएगा। स्पेन में अब तक 28 हजार 414 लोगों की संक्रमण से जान गई है।

अमेरिका: चीन के दो लोगों पर हैकिंग के आरोप

अमेरिका ने चीन के दो हैकर्स पर अमेरिका में कोरोना का वैक्सीन बना रही कंपनियों के कंप्यूटर्स हैक करने का मामला दर्ज किया है। यहां के कानून विभाग ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। विभाग के मुताबिक, चीन के दोनों लोग दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कोरोना वैक्सीन तैयार करने वाली कंपनियों के कंप्यूटर्स हैक करने की भीकोशिश कर रहे थे।

कतर: इंटरनेशनल फ्लाइट्स शुरू होंगी

कतर अगले महीने से विदेश की यात्रा करने से जुड़ी पाबंदियों में राहत देगा। यहां के लोगों को 1 अगस्त से दूसरे देश जाने और वहां से लौटने की इजाजत। वहीं, जो लोग दूसरे देशों में अब तक फंसे हैं वे भी कतर वापस आ सकेंगे। सरकार ने कहा है कि लो रिस्क वाले देशों से लौटने पर लोगों को अपना टेस्ट कराना और 7 दिन होम क्वारैंटाइन मेें रहना जरूरी होगा। अगर सफर से 48 घंटे पहले किसी मान्यता प्राप्त टेस्टिंग सेंटर ने किसी को संक्रमण मुक्त बताया है तो उसे टेस्टिंग नहीं कराने की छूट भी दी जाएगी।



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जिम्बाब्वे के हरारे में 6 जुलाई को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं की कमी होने के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल हुई एक स्वास्थ्यकर्मी से पूछताछ करते पुलिसकर्मी। बीते एक सप्ताह में यहां हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं।

रूस: शहरों तक पहुंची आग, तीन लाख लोग प्रभावित, 99 हजार एकड़ जंगल में 197 जगह पर आग फैली July 21, 2020 at 02:53PM

दुनिया के सबसे ठंडे स्थान के तौर पर चर्चित साइबेरिया के जंगलों की आग फैलती ही जा रही है। पूर्वी रूस का बड़ा इलाका इसकी चपेट में है। अब याकुत्सक, यूगोरस्क और सोवेत्सकी जैसे छोटे कस्बे में चपेट में आ गए है। रूस की एरियल फॉरेस्ट प्रोटेक्शन सर्विस के मुताबिक, 99 हजार एकड़ में 197 जगह पर आग फैली है।

5000 से ज्यादा लोग इन्हें बुझाने में लगे हैं। रूस में ग्रीनपीस की वाइल्डफायर यूनिट के प्रमुख ग्रेगोरी कुक्सिन के मुताबिक साइबेरिया दुनिया में सबसे तेजी से गर्म हो रहा है। इसे तत्काल रोकना जरूरी है। साल भर में यहां पर ग्रीस के क्षेत्रफल जितना जंगल आग के हवाले हो चुका है।

कैलिफोर्निया में फिर फैली आग

लैसेन काउंटी में 5800 एकड़ जंगल में आग फैली है। यहां 30 हजार लोगों को हटा लिया गया है। 24 घंटे में 850 एकड़ जंगल तबाह हुआ।

अमेजन रेनफॉरेस्ट में 1000 वाइल्डफायर

ब्राजील में अमेजन के जंगलों में जुलाई महीने में 1057 आग की घटनाएं हुई हैं। 3069 वर्ग किमी जंगल नष्ट हो चुका है।



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रूस में ग्रीनपीस की वाइल्डफायर यूनिट के प्रमुख ग्रेगोरी कुक्सिन के मुताबिक साइबेरिया दुनिया में सबसे तेजी से गर्म हो रहा है। इसे तत्काल रोकना जरूरी है।

लद्दाख पर अमेरिकी संसद में भारत के समर्थन में प्रस्ताव एकमत से पास, अमेरिकी सांसद बोले- भारतीय क्षेत्र पर कब्जे की कोशिश में चीन July 21, 2020 at 02:52PM

अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा ने लद्दाख गतिरोध को लेकर भारत के समर्थन में प्रस्ताव पारित कर दिया है। भारतवंशी एमी बेरा और एक अन्य सांसद स्टीव शैबेट राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (एनडीएए) में संशोधन का प्रस्ताव लाए थे। इसे सदन ने सर्वसम्मति से मंजूरी दी।

प्रस्ताव में कहा गया है कि चीन ने गलवान घाटी में आक्रामकता दिखाई। उसने कोरोना पर ध्यान बंटाकर भारत के क्षेत्रों पर कब्जा करने की कोशिश की। भारत-चीन की एलएसी, दक्षिण चीन सागर ओर सेनकाकु द्वीप जैसे विवादित क्षेत्रों में चीन का विस्तार और आक्रामकता गहरी चिंता के विषय हैं।

चीन दक्षिण चीन सागर में अपना क्षेत्रीय दावा मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। वह 13 लाख वर्ग मील दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे इलाके को अपना क्षेत्र बताता है। चीन इस क्षेत्र के द्वीपों पर सैन्य अड्डे बना रहा है। जबकि इन इलाकों पर ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम भी दावा करते हैं।

सांसद का दावा :एलएसी पर 5000 चीनी सैनिक थे, कई भारत में घुसे

सांसद शैबेट ने प्रस्ताव की प्रमुख बातों का उल्लेख करते हुए कहा कि एलएसी पर 15 जून को 5000 चीनी सैनिक जमा थे। माना जा रहा है कि उनमें से कई ने 1962 की संधि का उल्लंघन कर विवादित क्षेत्र को पार कर लिया था। वे भारतीय हिस्से में पहुंच गए थे। हम चीन की आक्रामक गतिविधियों के खिलाफ भारत के साथ खड़े हैं।

एक और प्रस्ताव:चीन को चेतावनी- बल से सीमा विवाद हल न करें

भारतीय-अमेरिकी राजा कृष्णमूर्ति और 8 अन्य सांसद भी सदन में प्रस्ताव लाए हैं। इसमें कहा गया है कि चीन बल से नहीं, राजनयिक ढंग से सीमा पर तनाव कम करे। प्रस्ताव पर बुधवार को वोटिंग होगी। भारतीय राजदूत तरणजीत सिंह संधु ने भी ट्रम्प प्रशासन को पत्र लिखकर लद्दाख मामले में चीनी अफसरों की शिकायत की है।

मानवाधिकार हनन:अमेरिका ने चीन की 11 कंपनियों पर लगाया बैन

अमेरिका ने चीन की 11 कंपनियों पर व्यापार प्रतिबंध लगा दिए हैं। कंपनियों पर आरोप है वे चीन के शिनजियांग में उइगर मुसलमानों के मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में शामिल रही हैं। अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस ने कहा, ‘सुनिश्चित करेंगे कि चीन असहाय मुस्लिमों के खिलाफ अमेरिकी सामान का इस्तेमाल न करे।’

अमेरिका का रुख भारत के हित में, इससे टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का रास्ता आसान होगा; अन्य देश भी साथ

भास्कर एक्सपर्ट: (शशांक, पूर्व विदेश सचिव)अमेरिका का मौजूदा रुख बेशक भारत के हित में है। सरहद पर चीनी धौंस के खिलाफ दुनिया के बड़े देश भारत का साथ दे रहे हैं। यह वाकई सकारात्मक है। अमेरिका के इस रुख से भारत के लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का रास्ता भी आसान होगा। रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के संबंधों में भी तेजी आएगी।

ताजा घटनाक्रम से साफ है कि अमेरिका उन सभी देशों का समर्थन खुलकर कर रहा है, जो चीन के दबाव में हैं। हांगकांग से लेकर वियतनाम और भारत तक को ट्रम्प प्रशासन ने समर्थन दिया और एक तरह से चीन को साफ कर दिया कि उसकी क्षेत्र में वर्चस्व कायम करने की मंशा कामयाब नहीं होने दी जाएगी।

यह ठीक है कि अमेरिका ने अभी अपनी उन कंपनियों पर रोक नहीं लगाई है जो चीन में अपना कारोबार कर रही हैं, लेकिन डिप्लोमेटिक स्तर पर दिया जा रहा यह समर्थन आखिरकार अमेरिकी कंपनियों तक भी पहुंचेगा। अमेरिकी समर्थन भारत के दीर्घकालिक हितों में है। चीनी निर्माण कंपनियों पर निर्भरता खत्म करने का यह उचित समय है। अमेरिका इस काम में भारत की काफी मदद कर सकता है।



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अमेरिकी संसद में कहा गया कि भारत-चीन की एलएसी, दक्षिण चीन सागर ओर सेनकाकु द्वीप जैसे विवादित क्षेत्रों में चीन का विस्तार और आक्रामकता गहरी चिंता के विषय हैं। फाइल फोटो

एलन मस्क बोले- अब हेडफोन की जरूरत नहीं, नई ब्रेन चिप से संगीत सीधे दिमाग तक पहुंचेगा, डिप्रेशन से भी दिलाएगी छुटकारा July 21, 2020 at 02:48PM

दुनिया की मशहूर कंपनियों में से एक टेस्ला के सीईओ एलन मस्क की न्यूरालिंक ब्रेन इम्प्लांट तकनीक सफल हो जाती है, तो दुनिया से हेडफोन जैसी चीज खत्म हो जाएगी। एलन मस्क एक प्रोजेक्ट को फंड कर रहे हैं जिसका नाम है-न्यूरालिंक। इसके तहत एक ऐसा कम्प्यूटर बनाया जा रहा है, जो एक छोटे से चिप के बराबर होगा। इसे इंसान के दिमाग में इम्प्लांट किया जाएगा।

जाने-माने कम्प्यूटर वैज्ञानिक ऑस्टिन हॉवर्ड से ट्विटर पर बातचीत के दौरान मस्क ने दावा किया कि कंपनी द्वारा बनाई गई यह डिवाइस संगीत को सीधे दिमाग तक पहुंचा देगी। यह डिवाइस किसी भी प्रकार की लत और डिप्रेशन से छुटकारा दिलाने में भी मददगार साबित होगी।

28 अगस्त को कंपनी के एक समारोह मेंइसे लॉन्च किया जा सकता है

एक इंच की इस चिप को सर्जरी कर इम्प्लांट किया जा सकता है। 28 अगस्त को कंपनी के एक समारोह मेंइसे लॉन्च किया जा सकता है।एलन मस्क ने 2016 में न्यूरालिंक नामक प्रोजेक्ट लॉन्च किया था। इसके तहत अत्यंत बारीक और लचीले थ्रेड्स डिजाइन किए गए हैं, जो इंसान के बाल की तुलना में दस गुना पतले हैं और इसे सीधे दिमाग में इम्प्लांट किया जा सकता है।

यह चिप हजारों माइक्रोस्कोपिक थ्रेड से जुड़ी होगी। मस्क ने दावा किया कि इस ब्रेन कम्प्यूटर इंटरफेस टेक्नोलॉजी की मदद से कई तरह की न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का इलाज आसानी से किया जा सकता है। साथ ही यह डिवाइस लकवाग्रस्त और रीढ़ की चोट के इलाज के लिए वरदान साबित होगी।

इसका इंसानी परीक्षण अंतिम दौर में है

ट्विटर यूजर प्रणय पथोले ने पूछा कि क्या न्यूरालिंक का इस्तेमाल दिमाग के उस हिस्से को फिर से प्रशिक्षित करने के लिए किया जा सकता है, जो किसी भी तरह के व्यसन या डिप्रेशन पैदा करने के लिए जिम्मेदार होते हैं, मस्क ने कहा- हां, बिल्कुल। साथ ही इस तकनीक को अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। बंदरों और चूहों पर सफल परीक्षण के बाद इसका इंसानी परीक्षण अंतिम दौर में है।

कान के पीछे से कनेक्ट होगी चिप, स्मार्टफोन पर जानकारी ले सकेंगे
न्यूरालिंक टेक्नोलॉजी इंसानों के दिमाग में ‘अल्ट्रा थिन थ्रेड्स’ के जरिए इलेक्ट्रॉड्स इम्प्लांट करने से संबंधित है। ये इंसान के दिमाग की स्किन में चिप और थ्रेड्स के जरिए कनेक्टेड होंगे। ये चिप रिमूवेबल पॉड से लिंक्ड होंगे, जिन्हें कानों के पीछे फिट किया जाएगा और बिना तार के दूसरे डिवाइस से कनेक्ट किया जाएगा। इसके जरिए दिमाग के अंदर की जानकारी सीधे स्मार्टफोन या फिर कम्प्यूटर में दर्ज होगी।



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जाने-माने कम्प्यूटर वैज्ञानिक ऑस्टिन हॉवर्ड से ट्विटर पर बातचीत के दौरान मस्क ने दावा किया कि कंपनी द्वारा बनाई गई यह डिवाइस संगीत को सीधे दिमाग तक पहुंचा देगी। -प्रतीकात्मक फोटो

US defense secretary says he plans to visit China this year July 21, 2020 at 02:19AM

दोबारा स्कूल खोलने से और बढ़ सकता है कोरोना का ट्रांसमिशन, स्टडी में दावा- 10 से 19 साल की उम्र के बच्चे भी व्यसकों की तरह फैला सकते हैं वायरस July 21, 2020 at 02:10AM

अपूर्वा मंडाविली. कोरोनावायरस महामारी के बीच दुनिया के कई हिस्सों में स्कूल खुल गए हैं। ऐसे में एक्सपर्ट्स इस बात को लेकर चिंतित हैं कि बच्चों की स्कूल में वापसी से संक्रमण तेजी से बढ़ सकता है। दक्षिण कोरिया में 65 हजार लोगों पर की गई स्टडी भी इस बात का समर्थन करती है। स्टडी के मुताबिक, 10 से 19 साल की उम्र के बच्चे व्यसकों जितना ही संक्रमण फैला सकते हैं। जबकि 10 साल से कम उम्र के बच्चे, बड़ों की तुलना में ट्रांसमिशन कम करते हैं, लेकिन इसमें भी जोखिम शून्य नहीं है।

संक्रमण फैलेगा और हमें इसे अपने प्लान में शामिल करना होगा
स्टडी से पता चला है कि जैसे ही स्कूल खुलेंगे समाज में संक्रमण फैलेगा। एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि इसमें हर उम्र के बच्चे शामिल होंगे। यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा में इंफेक्शियस डिसीज एक्सपर्ट माइकल ऑस्टहोम कहते हैं "मुझे इसका डर है कि बच्चे केवल संक्रमित या बड़ों की तरह संक्रमित नहीं होंगे, यह इसलिए कि ये लगभग बबल पॉपुलेशन की तरह हैं। ट्रांसमिशन होगा। हमें यह करना है कि इसे मानना है और अपने प्लान्स में शामिल करना है।"

पुरानी स्टडीज बताती हैं कि बच्चों में संक्रमण की संभावना कम है
यूरोप और एशिया में हुई कई स्टडीज बताती हैं कि छोटे बच्चों में संक्रमित होने और वायरस फैलाने की संभावना बहुत कम है। हार्वर्ड ग्लोबल हेल्थ इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉक्टर आशीष झा का कहना है कि इनमें से ज्यादातर स्टडीछोटी और गलतियों से भरी थीं। नई स्टडी बहुत ही ध्यान से की गई है। यह सिस्टेमैटिक है और इसमें बड़ी जनसंख्या को शामिल किया गया है। इस मुद्दे पर की गई फिलहाल की सबसे बेहतरीन स्टडी है।" इसके अलावा दूसरे कई एक्सपर्ट्स ने भी इस स्टडी के स्केल की तारीफ की है।

ऐसे की गई स्टडी
शोधकर्ताओं ने 20 जनवरी से 27 मार्च के बीच अपने घरों में कोविड के लक्षणों को पहले बताने वाले 5706 लोगों की पहचान की। इस दौरान स्कूल बंद थे। इसके बाद इन मामलों को 59073 कॉन्टैक्ट्स को ट्रेस किया गया। उन्होंने लक्षणों के बारे में बगैर सोचे हर मरीज के घर में कॉन्टैक्ट्स को टेस्ट किया। हालांकि बाहर उन्होंने केवल लक्षण वाले कॉन्टैक्ट्स का टेस्ट किया।

जरूरी नहीं है कि घर में पहले लक्षण दिखने वाला व्यक्ति संक्रमित होने वाला पहला शख्स हो। शोधकर्ताओं ने इस लिमिटेशन को पहचाना। बच्चों में भी बड़ों के मुकाबले लक्षण दिखने की संभावना बहुत कम थी इसलिए स्टडी में बच्चों की संख्या पर ज्यादा विचार नहीं किया।

10 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या आधी
बड़ों के मुकाबले दूसरों में वायरस फैला रहे 10 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या लगभग आधी थी। ऐसा इसलिए भी हो सकता है, क्योंकि आमतौर पर बच्चे कम सांस बाहर छोड़ते हैं या चूंकि वो जमीन के नजदीक सांस छोड़ते हैं। ऐसे में व्यस्क तक उनकी सांस पहुंचने की संभावना कम हो जाती है।

बच्चे बढ़ा सकते हैं कम्युनिटी ट्रांसमिशन
स्टडीमें शामिल लेखकों ने चेतावनी दी है कि स्कूल खुलने के बाद बच्चों से फैलाए गए नए संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं। उन्होंने लिखा "स्कूल का बंद होना खत्म होने पर छोटे बच्चे ज्यादा अटैक रेट दिखा सकते हैं। इससे कोविड 19 का कम्युनिटी ट्रांसमिशन बढ़ेगा।"

जॉन्स हॉप्किन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में एपिडेमियोलॉजिस्ट कैटलिन रिवर्स के अनुसार, शोधकर्ताओं ने केवल बीमार महसूस कर रहे बच्चों को ट्रेस किया है। ऐसे में अभी यह साफ नहीं है कि बिना लक्षण वाले बच्चे कितने प्रभावी तरीके से वायरस फैला सकते हैं। उन्होंने कहा "मुझे लगता है कि यह लक्षण वाले बच्चे संक्रामक होते हैं। सवाल यहां उठता है कि जिन बच्चों में लक्षण नहीं है क्या वे संक्रामक हैं।"

मिडिल और हाईस्कूल के बच्चे बड़ों से भी ज्यादा तेजी से फैला सकते हैं वायरस

  • स्टडी के अनुसार, यह संभावना है कि मिडिल और हाईस्कूल में पढ़ने वाले बच्चों में बड़ों के मुकाबले ज्यादा तेजी से वायरस फैला सकते हैं। कुछ एक्स्पर्ट्स ने कहा कि यह जानकारीसंयोग हो सकती है या बच्चों के व्यवहार से बनी हो सकती है।
  • यह बच्चे व्यसकों की तरह बड़े होते हैं और छोटे बच्चों की तरह इनमें भी कुछ लोगों में गंदी आदतें होती हैं। वहीं, छोटे बच्चों के मुकाबले इनमें साथियों से मिलने-जुलने की संभावना भी ज्यादा होती है। डॉक्टर ऑस्टरहोम कहते हैं कि "हम इसके बारे में पूरे दिन कयास लगा सकते हैं, लेकिन हम नहीं जानते हैं। मुद्दे की बात है कि ट्रांसमिशन होगा।"
  • इनके अलावा कई एक्सपर्ट्स ने कहा है कि स्कूलों को संक्रमण के बढ़ते मामलों को लिए तैयार रहना होगा। फिजिकल डिस्टेंसिंग, सफाई और मास्क के अलावा स्कूलों को यह फैसला भी करना होगी कि छात्रों और स्टाफ का टेस्ट कैसे करेंगे। लोगों को कब और कितना क्वारैंटाइन रहना होगा और कब स्कूल बंद रखना है या खोलना है।

सबूत नहीं होना बन रहा चुनौती

  • एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वे लोग चुनौती का सामना कर रहे हैं, क्योंकि स्कूल के भीतर ट्रांसमिशन के सबूत अभी तक साफ नहीं हैं। डेनमार्क और फिनलैंड जैसे देश स्कूल खोलने में सफल हुए हैं, लेकिन चीन, इजरायल और दक्षिण कोरिया में स्कूल को फिर से बंद करना पड़ा है।
  • कोलंबिया यूनिवर्सिटी के मेलमैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में एपिडेमियोलॉजिस्ट जैफरी शैमेन कहते हैं कि "स्कूल दोबारा खोलने की सोच पर निर्भर लोग पेश किए जाने वाले सबूतों का चुनाव कर रहे हैं। और इससे बचना चाहिए।" उन्होंने कहा कि हालांकि यह स्टडी पुख्ता जवाब नहीं देती है। यह इस बात का संकेत देती है कि स्कूल समाज के अंदर वायरस का स्तर बढ़ा सकते हैं।
  • डॉक्टर जैफरी ने कहा कि बच्चों के लिए यह जरूरी है कि वे अपनी शिक्षा और लोगों से मिलने-जुलने वाले जरूरी साल न खोएं। स्कूल के पास भी इन दो ऑप्शन्स में से चुनने का मुश्किल टास्क है।


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जुलाई में दक्षिण कोरिया के दाइजियोन स्थित चेयोनदोंग एलिमेंट्री स्कूल में दो संक्रमित स्टूडेंट्स मिलने के बाद पैरेंट्स, टीचर और बच्चों का टेस्ट हुआ।

कोरोना वैक्सीन की दौड़ में चीनी कंपनियां सबसे आगे, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी भी टक्कर में, भारतीय वैक्सीन के नतीजों का इंतजार July 21, 2020 at 02:06AM

कोरोनावायरस से पूरी दुनिया हलाकान है। इससे निजात दिलाने के लिए दुनियाभर के रिसर्चर 160 से ज्यादा वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। इसमें 26 वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल्स के स्टेज में हैं। आम तौर पर किसी भी वैक्सीन को क्लिनिक तक पहुंचने में कई साल लग जाते हैं। लेकिन जल्द से जल्द सेफ और इफेक्टिव वैक्सीन पाने के लिए ह्यूमन ट्रायल्स के फेज-1, फेज-2 और फेज-3 ट्रायल्स को मर्ज किया गया है। दुनियाभर में कई वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल्स के नतीजे आने शुरू हो गए हैं। आइए जानते हैं इस दौड़ में सबसे आगे चल रहे पांच विदेशी और भारत के दो वैक्सीन के बारे में...

दुनियाभर के इन पांच वैक्सीन में मची है होड़
1. कैनसिनो बायोलॉजिक्सः इकलौती वैक्सीन, जिसे चीनी मिलिट्री से मिली इस्तेमाल की इजाजत

चीनी कंपनी कैनसिनो बायोलॉजिक्स ने चीन के एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेस के साथ मिलकर Ad5-nCOV नाम के एडेनोवायरस को बेस बनाकर वैक्सीन बनाई है। आम सर्दी-जुकाम के वायरस को मोडिफाई कर नोवल कोरोनावायरस का जेनेटिक मटेरियल उसमें जोड़ा गया है। मई में फेज-1 ह्यूमन सेफ्टी ट्रायल की रिपोर्ट ने उम्मीद बंधाई और 25 जून को चीन की मिलिट्री ने ‘स्पेशली नीडेड ड्रग’ के तौर पर अप्रूव किया। मेडिकल जर्नल द लैंसेट में इसके फेज-2 ट्रायल्स के नतीजे पब्लिश हुए हैं।

रिसर्चर्स ने कहा कि 508 लोगोंपर वैक्सीन Ad5-nCOV का ट्रायल किया गया। माइल्ड-स्टेज स्टडी में उनमें सुरक्षित और मजबूत इम्यून रिस्पॉन्सदेखा गया है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की ही तरह इस वैक्सीन ने भी एंटीबॉडी और टी-सेल इम्यून रिस्पॉन्सको बढ़ाया जिससे वायरस के खिलाफ इम्यून सिस्टम को मजबूती मिली। कैनसिनो के को-फाउंडर और एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर किउ डोंग्जू ने कहा है कि जल्द ही 40 हजार पार्टिसिपेंट्स पर फेज-3 के ट्रायल्स होंगे।

2. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेकाः लैंसेट में पब्लिश नतीजों ने वैक्सीन कोबताया सेफ और इफेक्टिव

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर सर्दी के एक वायरस (एडेनोवायरस) के कमजोर वर्जन का इस्तेमाल किया और यह वैक्सीन बनाया। एडेनोवायरस चिम्पांजी में होने वाला इंफेक्शन है, जिसमें जेनेटिक बदलाव किए हैं। ताकि यह इंसानोंमें इससे मिलते-जुलते वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा कर सके। ह्यूमन ट्रायल्स के नतीजे सोमवार को मेडिकल जर्नल द लैंसेट में पब्लिश हुए हैं। इसमें दावा किया गया है कि यह वैक्सीन सेफ और इफेक्टिव है।

लैंसेट में छपी रिपोर्ट में एडिटर-इन-चीफ रिचर्ड हॉर्टन ने इस वैक्सीन के लिए तीन खास मेडिकल टर्म्स- safe, well-tolerated and immunogenic का इस्तेमाल किया है। यानी यह वैक्सीन सुरक्षित, अच्छी तरह सहन करने योग्य और प्रतिरक्षात्मक हैं। यह वैक्सीन कोरोनावायरस से दोहरी सुरक्षा दे सकती है। एक तो यह एंटीबॉडी डेवलप करती है जो वायरस से शरीर को बचाती है और वहीं किलर टी-सेल बनाती है जो वायरस पर सीधे हमला कर उसे नष्ट कर देते हैं।

3. सिनोफार्म- फेज-3 के ट्रायल्स शुरू, सबसे पहले आ सकती है वैक्सीन

चीन की सरकारी कंपनी सिनोफार्म ने जुलाई में यूएई में फेज-3 ट्रायल्स शुरू कर दिए हैं। अबु धाबी के स्वास्थ्य मंत्री ने सबसे पहले यह वैक्सीन लगवाया। इसके बाद 15 हजार वॉलेंटियर्स को वैक्सीन लगाया गया है। अब तक की स्टडी में इनएक्टिवेटेड वायरस को सेफ और इम्युन रिस्पॉन्सबढ़ाने वाला बताया गया है। सिनोफार्म ग्रुप ने 16 जून को कहा था कि उसके वैक्सीन ने फेज-1 और फेज-2 ट्रायल्स में अच्छी मात्रा में एंटीबॉडी प्रोड्यूस की है। यह ट्रायल 18-59 साल के 1,120 हेल्दी वॉलेंटियर्स पर किया गया। 14, 21 और 28 दिनों में लो, मीडियम और हाई डोज वैक्सीन दिए गए।

ग्रुप ने दावा किया कि 28 दिन में जिन्हें डोज दिया गया, उनके शरीर में 100% एंटीबॉडी कन्वर्जन रेट मिला है। हालांकि, इन ट्रायल्स के बारे में चीन की सरकारी कंपनी ने बहुत ज्यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं की है, इससे काफी संदेह भी इस पर उठाए गए हैं। ब्लूमबर्ग की जून की रिपोर्ट के मुताबिक,कंपनी ने चीन की सरकारी कंपनियों के एक्जीक्यूटिव्स को विदेश जाने से पहले वैक्सीन लगाने की पेशकश की थी। सिनोफार्म चेयरमैन लिउ जिंगझेन ने कहा कि मई तक 2 हजार लोगों पर इस वैक्सीन का ट्रायल हो चुका था और उनमें से किसी पर भी कोई निगेटिव इफेक्ट नजर नहीं आया।

4. सिनोवेक बायोटेक- बांग्लादेश में फेज-3 के ट्रायल्स शुरू

चीन की प्राइवेट कंपनी सिनोवेक बायोटेक ने भी CoronaVac नाम से वैक्सीन डेवलप किया है। यह पहला ऐसा वैक्सीन है जिसका प्रयोग बंदरों पर सफल रहा है। 19 अप्रैल को साइंस मैगजीन में पब्लिश पीयर रिव्यू रिपोर्ट में इस दावे की पुष्टि की गई है। कंपनी का दावा है कि इसके फेज-2 ट्रायल्स सफल रहे हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और सिनोफार्म की ही तरह इसके वैक्सीन को भी दुनिया के सबसे मजबूत कैंडीडेट्स में से एक माना जा रहा है।

कंपनी ने बांग्लादेश और ब्राजील के रेगुलेटर्स से एग्रीमेंट किया है और फेज-3 ट्रायल्स शुरू हो गए हैं। ब्राजील में जहां 9 हजार हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को ट्रायल में शामिल किया गया है, वहीं बांग्लादेश में 2,100 प्रोफेशनल्स को। बांग्लादेश में इसकी इफेक्टिवनेस देखने के लिए 2,100 हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को वैक्सीन नहीं दिया गया है, ताकि अंतर भी स्पष्ट हो सके। सिनोवेक का दावा है कि यह वैक्सीन इसी साल तैयार होजाएगा और उसकी एक साल में 100 मिलियन वैक्सीन बनाने की तैयारी है।

5. मॉडर्नाः 27 जुलाई से फेज-3 ट्रायल्स, अगले साल जनवरी तक वैक्सीन लाने की तैयारी

मॉडर्ना पहली अमेरिकी कंपनी है जिसने वैक्सीन को ह्यूमन ट्रायल्स स्टेज पर ला दिया है। वैक्सीन में मैसेंजर आरएनए (एमआरएनए) का इस्तेमाल किया गया है ताकि शरीर में वायरल प्रोटीन बनाया जा सके। मॉडर्ना ने 14 जुलाई को फेज-1 के उम्मीद जगाते नतीजे पब्लिश किए हैं। फेज-3 ट्रायल्स 27 जुलाई को शुरू होंगे। कंपनी को पूरी उम्मीद है कि वह 2021 की शुरुआत तक अपना वैक्सीन मार्केट में उतार देगी।

ह्यूमन ट्रायल्स के शुरुआती दो फेज में मॉर्डना के वैक्सीन ने 45 हेल्दी वॉलेंटियर्स में सेफ इम्यून रिस्पॉन्सदिया है। फेज-3 में 30 हजारवॉलेंटियर्स पर यह वैक्सीन आजमाया जाएगा। रिसर्चर्स ने बताया कि कोरोनवायरस की जेनेटिक कोडिंग का इस्तेमाल कर ही यह वैक्सीन बनाया गया है। यह वायरस को खत्म नहीं करता बल्कि शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूती देकर वायरस के प्रभाव से बचाता है। फर्म का दावा है कि वैक्सीन जिन्हें दिया गया उनके शरीर में कोरोनावायरस से उबर चुके मरीजों की तुलना में ज्यादा एंटीबॉडी पाए गए हैं।

भारत में भी चल रहे हैं ह्यूमन ट्रायल्स, नतीजों के लिए करना पड़ेगा इंतजार...
1. कोवैक्सीनः फेज 1 और फेज 2 के ट्रायल्स एक साथ शुरू

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी (एनआईवी) के साथ मिलकर भारतीय कंपनी भारत बायोटेक ने कोरोनावायरस के इनएक्टिवेटेड फॉर्म के आधार पर कोवैक्सीन तैयार किया है। कंपनी ने इसी महीने फेज-1 और फेज-2 के ट्रायल्स एक साथ शुरू किए हैं। शुरुआत में यह दावा किया गया था कि वैक्सीन 15 अगस्त तक तैयार हो जाएगी। हालांकि, भारत बायोटेक के सीईओ ने स्पष्ट किया कि 2021 के शुरुआती महीनों तक यह वैक्सीन बाजार में उपलब्ध होगी।

एम्स-दिल्ली के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने बताया कि सोमवार को ही वॉलेंटियर्स की भर्ती शुरू हुई है। फेज-1 में 375 वॉलेंटियर्स पर यह ट्रायल होगा। दूसरे चरण में 750 वॉलेंटियर शामिल होंगे। 18-55 वर्ष की उम्र तक के हेल्दी वॉलेंटियर्स को इस ट्रायल में शामिल किया गया है। नौ राज्यों के 12 इंस्टिट्यूट्स में यह ट्रायल्स चल रहे हैं। टीका कब उपलब्ध होगा, इस पर गुलेरिया ने कहा कि यह ट्रायल्स के नतीजों पर निर्भर करेगा। यदि हर चीज ठीक से काम करती है तो साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत में वैक्सीन बनाने का काम शुरू हो सकता है।

2. जायडस कैडीलाः 1,000 वॉलेंटियर्स पर तीन महीने होगा ह्यूमन ट्रायल

अहमदाबाद की फार्मा कंपनी जायडस कैडीला ने दावा किया है कि उसका स्वदेशी वैक्सीन अगले साल की शुरुआत में लॉन्च हो जाएगा। ZyCoV-D एक प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन है जिसे कंपनी के वैक्सीन टेक्नोलॉजी सेंटर (वीटीसी) ने डेवलप किया है। कंपनी ने 15 फरवरी को कोविड-19 के लिए अपने वैक्सीन डेवलपमेंट प्रोग्राम की घोषणा की थी।

जायडस कैडीला के चेयरमैन पंकज आर. पटेल ने एक इंटरव्यू में कहा कि ड्रग कंट्रोलरजनरल ऑफ इंडिया, रिव्यू कमेटी ऑन जेनेरिक मैनिपुलेशन (आरसीजीएम) और सेंट्रल ड्रग लैबोरेटरी ने फेज-1 और फेज-2 के ह्यूमन ट्रायल्स की अनुमति दे दी है। भारत में कंपनी ने इन ट्रायल्स के लिए कई क्लिनिकल स्टडी साइट्स तय की हैं, जहां एक हजार से ज्यादा ह्यूमन सब्जेक्ट्स को एनरोल किया जाएगा। ट्रायल्स के नतीजों के आधार पर वैक्सीन को अगले साल लॉन्च के लिए तैयार कर लिया जाएगा। कंपनी ने फेज-1 और फेज-2 ट्रायल्स के लिए क्लिनिकल बैच बना लिए हैं।

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1. क्या वैक्सीन हमें कोरोना से 100 फीसदी सेफ रख सकती है? क्या पॉजिटिव मरीजों को दोबारा भी हो सकता है कोरोना?

2. भारत में ह्यूमन ट्रायल शुरू, दुनिया भर में 23 ट्रायल जारी, जानिए अगर कोरोना वैक्सीन बन गई तो हम तक कैसे पहुंचेगी?



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Coronavirus Vaccine Tracker | Bharat Biotech Covaxin Cansino Biologics News | Covid-19 Vaccine 26 Company Human Trials Latest News Updates

China threatens 'forceful counter-attack' after Britain suspends HK extradition treaty July 21, 2020 at 02:05AM

"China will make a forceful counter-attack to the UK's wrong actions," said foreign ministry spokesman Wang Wenbin, speaking at a daily news conference in Beijing. Wang added that Britain's moves violated international law and norms. "China urges the UK to give up its fantasies of continuing colonial influence in Hong Kong and immediately correct its mistakes," he said.

Pompeo arrives in Downing Street for meeting with Johnson July 21, 2020 at 01:30AM

25 Taliban fighters, including Pakistani nationals killed by security forces in Kandahar July 21, 2020 at 01:28AM

China says it proposed 'package solution' to resolve border dispute with Bhutan July 21, 2020 at 01:34AM

China on Tuesday sought to defend its recent claims over the Sakteng Wildlife Sanctuary in Bhutan, saying the boundary between the two countries is yet to be demarcated and it has proposed a "package solution" to resolve the border dispute.

माता-पिता की हत्या के बाद अफगानी लड़की ने एक-47 से तालिबान के 2 आतंकियों को मार गिराया, कई भागने पर मजबूर July 21, 2020 at 01:14AM

अफगानिस्तान की एक लड़की ने अपने माता-पिता के मारे जाने के बाद तालिबान के दो आतंकियों कीगोली मारकर हत्या कर दी। लड़की के माता-पिता सरकार के समर्थक थे। इस कारण कुछ तालिबानी आतंकी उनके घर में घूसकर उन्हें बाहर घसीटकर लाएऔर उनकी हत्या कर दी थी। एक स्थानीय पुलिस ने न्यूज एजेंसी एएफपी को सोमवार को ये जानकारी दी।

स्थानीय पुलिस प्रमुख हबिबुरहमान मालेक्जादा ने बताया कि यह घटना पिछले हफ्ते घोर प्रांत में हुई। तालिबानी आतंकियों ने प्रांत के एक गांव में कमर गुल के घर पर धावा बोल दिया था। आतंकी उसके पिता को ढूंढ रहे थे, जो गांव के प्रधान थे।

मालेक्जादा ने बताया कि जब कमर गुल की मां ने उनका विरोध किया, तो उन्होंने घर के बाहर घसीटकर उसके माता-पिता को मार डाला। कमर गुल, जो घर के अंदर थी, उसने एके-47 से दो तालिबानी आतंकियों की गोली मारकर हत्या कर दी। साथ ही कुछ को घायल भी कर दिया।

आतंकियों नेबाद में भी हमला किया

कुछ अधिकारियों का कहना है कि गुल की उम्र 14 से 16 साल के बीच है। अफगानियों के लिए उसकी सही उम्र का पता नहीं होना आम बात है। बाद में कई अन्य तालिबानी आतंकीउसके घर पर हमला करने आए, लेकिन कुछ ग्रामीणों और सरकार समर्थक मिलिशिया ने उन्हें खदेड़ दिया।

प्रांतीय गवर्नर के प्रवक्ता मोहम्मद आरेफ अबर ने कहा कि अफगान सुरक्षाबलों ने गुल और उसके छोटे भाई को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया दिया है।

सोशल मीडिया पर तारीफ

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने गुल की खूब तारिफ की और उसे हीरो बना दिया। गुल की हेडस्कार्फ पहने हुए और हाथ में मशीनगन पकड़ीएक तस्वीर पिछले कुछ दिनों में खूब वायरल हुई है।

एक फेसबुक यूजर नजीबा रहमी ने लिखा- उसके साहस को सलाम! शाबाश। एक दूसरे यूजर ने लिखा- पावर ऑफ ए अफगान गर्ल।

शांति वार्ता के लिए सहमति के बाद भी हमला करते हैं

तालिबानी आतंकीहमेशा से सरकार या सुरक्षा बलों के लिए मुखबिरी करनेके संदेह में गांव वालोंको मारते हैं। हाल ही में सरकारके साथ शांति वार्ता के लिए सहमति होने के बावजूद आतंकी सुरक्षा बलों पर हमला कर रहे हैं।



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गुल की हेडस्कार्फ पहने हुए और हाथ में एक मशीनगन पकड़ी एक तस्वीर पिछले कुछ दिनों में खूब वायरल हुई है।

Fear of Chinese justice at core of Hong Kong concerns July 21, 2020 at 12:27AM

With Britain the latest country to scrap its extradition treaty with Hong Kong, the focus in the semi-autonomous city has returned to the concerns about China's legal system that sparked months of anti-government protests last year.

ट्रम्प ने कहा- चीन चाहता तो आराम से कोरोनावायरस रोक सकता था, उसने जानबूझकर इसे फैलने दिया July 20, 2020 at 11:51PM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कोरोनावायरस को लेकर चीन पर एक और बेहद गंभीर आरोप लगाया है। ट्रम्प ने कहा- इसमें कोई शक नहीं कि कोरोनावायरस चीन से आया। वो चाहता तो इसे रोक सकता था। उसे यही करना भी चाहिए था। लेकिन, उसने ऐसा नहीं किया।
ट्रम्प ने फरवरी में ही आरोप लगाया था कि कोरोनावायरस चीन के वुहान शहर की लैब से निकला। अप्रैल और इसके बाद उन्होंने अपने यह आरोप दोहराए थे।

चीन संक्रमण रोकना ही नहीं चाहता था
व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में मीडिया से बातचीत के दौरान ट्रम्प चीन को लेकर काफी सख्त दिखे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने साफ कहा, “इसमें कोई शक नहीं कि कोरोनावायरस चीन से ही निकला। उन्हें इसे बाहर नहीं निकलने देना चाहिए था। इसे वहीं रोक लेना था। और चीन यह काम आसानी से कर सकता था। लेकिन, वे इसे रोकना नहीं चाहते थे। इसका नतीजा अब दुनिया देख रही है।”

अमेरिका के पास सबूत
ट्रम्प पहले भी कई मौकों पर कह चुके हैं कि वायरस वुहान के लैब से निकला और अमेरिका के पास इसके सबूत हैं। उन्होंने फिर इसी बात को दोहराया। कहा, “हम कुछ और रिपोर्ट्स का इंतजार कर रहे हैं। आज ये वायरस यूरोप, अमेरिका और पूरी दुनिया को चपेट में ले चुका है। चीन में ट्रांसपेरेंसी जैसी कोई चीज नहीं है। ये किसी के लिए अच्छी बात नहीं हो सकती।”

फ्रांस और मिस्र के राष्ट्रपति से चर्चा
मीडिया से बातचीत के दौरान ट्रम्प ने बताया कि कुछ देर पहले उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सीसी से बातचीत की है। ट्रम्प ने कहा, “इस हफ्ते मैंने दुनिया के कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों से बातचीत की है। महामारी से निपटने में हम सब साथ हैं। दुनिया के जिन देशों को जरूरत है, हम उन्हें वेंटीलेटर्स दे रहे हैं।”

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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने चीन पर बेहद गंभीर आरोप लगाया है। ट्रम्प के मुताबिक, चीन चाहता तो बड़ी आसानी से कोरोनावायरस रोक सकता था। लेकिन, उसने जानबूझकर ऐसा नहीं किया। (फाइल)

Crucial meeting of Nepal's ruling communist party begins; PM Oli absent July 20, 2020 at 11:10PM

यूक्रेन में हथियारबंद व्यक्ति ने बस में 20 लोगों को बंधक बनाया, आरोपी के पास हैंड ग्रेनेड होने का भी शक July 20, 2020 at 11:24PM

यूक्रेन में मंगलवार को हथियारबंद व्यक्ति ने एक बस को रोककर 20 लोगों को बंधक बना लिया। पुलिस ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि आरोपी के पास हैंड ग्रेनेड भी हो सकते हैं। घटना राजधानी कीव से करीब 400 किलोमीटर दूर लस्क क्षेत्र की है।

सरकारी सिस्टम से नाराज है आरोपी
पुलिस आरोपी से संपर्क करने की कोशिश कर रही है। इसकी पहचान की जा चुकी है। जानकारी के मुताबिक, आरोपी यूक्रेन के सरकारी सिस्टम की नाकामी से नाराज है। उसने कई बार अपने सोशल मीडिया पेज पर इसकी जानकारी भी दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटनास्थल पर कुछ गोलियां चलने की आवाज भी सुनाई दी। हालांकि, पुलिस ने अब तक इस बारे में कुछ नहीं कहा है।

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राष्ट्रपति ने क्या कहा
राष्ट्रपति वोलोडाइमरजेलेंस्की ने कहा- आरोपी ने मंगलवार सुबह करीब 9.25 बजे बस को अपने कब्जे में लिया। गोलियां चली हैं और इसमें बस को नुकसान पहुंचा है। हम मामले को इस तरह सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि किसी तरह का नुकसान न हो।



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यूक्रेन के लस्क शहर में इसी बस में सवार 20 लोगों को बंधक बनाया गया। पुलिस और आरोपी के बीच गोलीबारी भी हुई।

Get my plane! Virus-era EU summit not all smiles and elbow bumps July 20, 2020 at 07:34PM

Climate activist Greta Thunberg was on Monday awarded a Portuguese rights award and promptly pledged the million-euro prize to groups working to protect the environment and halt climate change.

'China practicing worst form of racism, committing genocide against Uyghurs' July 20, 2020 at 09:44PM

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में तैयार कोरोना वैक्सीन का ट्रायल भारत में होगा, जल्द ही मैन्युफैक्चरिंग शुरू होगी July 20, 2020 at 08:49PM

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बने कोरोनावायरस वैक्सीन का ट्रायल जल्द ही भारत में शुरू होगा। लाइसेंस मिलने के बाद प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। ऑक्सफोर्ड के साथ वैक्सीन पर काम कर रही भारतीय फर्म ने यह जानकारी दी। लैंसेंट मेडिकल जरनल में प्रकाशित ट्रायल के रिजल्ट के मुताबिक, वैक्सीन AZD1222 के नतीजे काफी बेहतर रहे हैं। इसके कोई साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिले और यह एंटीबॉडी और किलर टी-सेल्स भी बनाता है।

रिसर्चर्स का कहना है कि वैक्सीन के थोड़े-बहुत साइड इफेक्ट्स हैं, जिसे पैरासिटामोल खाकर खत्म किया जा सकता है। दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के हेड अदर पूनावाला ने कहा कि हम वैक्सीन के रिजल्ट से खुश हैं। इसके बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं।

23 अप्रैल को इंसानों पर ट्रायल शुरू हुआ था

उन्होंने कहा कि हम ट्रायल के लिए लाइसेंस लेने के लिए एक हफ्ते के भीतर आवेदन करेंगे। मंजूरी मिलते ही हम वैक्सीन का ट्रायल शुरू करेंगे। हम बड़े स्तर पर वैक्सीन का मैन्युफैक्चरिंग करेंगे।ऑक्सफोर्ड का वैक्सीन 100 से ज्यादा देशों में बनाए जा रहे वैक्सीन में से एक है। 23 अप्रैल को इसका इंसानों पर ट्रायल शुरू किया गया था।

देश में पहले से ही COVAXIN क ट्रायल हो रहा

लैंसेट का रिव्यू तब आया है जब भारत पहले से ही देश में बने COVAXIN वैक्सीन का ट्रायल कर रहा है। एम्स-दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि रिसर्चर्स को डेटा के पहले सेट पर पहुंचने में लगभग तीन महीने का समय लगेगा।

वैक्सीन क्या है?
यह वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 सर्दी के एक वायरस (एडेनोवायरस) के कमजोर वर्जन का इस्तेमाल कर बनाई गई है। यह वायरस चिम्पांजी में होने वाला इंफेक्शन है। जेनेटिकली बदलाव कर इसे वैक्सीन के लायक बनाया है ताकि यह मनुष्यों में बढ़ न सकें।

रिसर्चर्स का दावा है कि उनका वैक्सीन शरीर को स्पाइक प्रोटीन को पहचानेगा और उसके खिलाफ इम्युन रीस्पॉन्सतैयार करेगा। इस प्रोटीन की पहचान वायरस की तस्वीरों में की गई है। यह कोविड-19 को ह्यमून सेल्स में जाने से रोकेगा और इस तरह संक्रमण से बचाव होगा।

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मंजूरी मिलते ही ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैक्सीन का ट्रायल शुरू किया जाएगा। (फाइल फोटो)