Tuesday, September 22, 2020

ऑल पार्टी कॉन्फ्रेंस से पहले आर्मी चीफ बाजवा ने विपक्षी नेताओं से मुलाकात की थी, फौज को सियासत से दूर रखने की वॉर्निंग दी थी September 22, 2020 at 06:29PM

पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार को गिराने के लिए विपक्ष एकजुट हो चुका है। उसने ऑल पार्टी कॉन्फ्रेंस (एपीसी) बैनर तले अगले महीने से सरकार विरोधी आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है। सोमवार को एपीसी की बैठक हुई थी। इसमें पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिरकत की थी। इस मीटिंग को फौज, आईएसआई और सरकार रद्द कराना चाहती थी। यह खुलासा कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में हुआ है।

बाजवा ने अपोजिशन लीडर्स को बुलाया था
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 21 सितंबर को हुई ऑल पार्टी कॉन्फ्रेंस से पांच दिन पहले यानी 16 सितंबर को विपक्षी नेताओं, आर्मी चीफ और आईएसआई चीफ की एक बैठक हुई थी। इन नेताओं को मीटिंग के लिए बुलाया गया था। आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा, आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद के अलावा कुछ और फौजी अफसर मीटिंग के लिए इस्लामाबाद पहुंचे थे। नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज शरीफ, पीपीपी चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी और मौलान फजल-उर-रहमान विपक्षी नेताओं के तौर पर पहुंचे थे।

मुद्दा कुछ और बताया गया था
रिपोर्ट्स के मुताबिक, फौज और आईएसआई के प्रमुख ने विपक्षी नेताओं को बातचीत का मकसद गिलगित-बाल्टिस्तान की स्थिति बताया था। पाकिस्तान सरकार और फौज इन क्षेत्र को राज्य का दर्जा देने पर विचार कर रही है। खास बात यह है कि मीटिंग में प्रधानमंत्री इमरान खान या उनकी सरकार को कई दूसरा नमाइंदा शामिल नहीं हुआ।

विपक्ष से क्या कहा गया
पाकिस्तानी संसद में पिछले दिनों एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में आने से बचने के लिए तीन एंटी मनी लॉन्ड्रिंग बिल पास किए गए थे। एफएटीएफ की मीटिंग अगले महीने जिनेवा में होनी है। पाकिस्तान डेढ़ साल से ग्रे लिस्ट में है। अगर एफएटीएफ आतंकी फंडिंग पर रोक लगाने के पाकिस्तानी उपायों से संतुष्ट नहीं हुआ तो पाकिस्तान को ब्लैक लिस्टेड किया जा सकता है। इमरान सरकार ने बहुमत के चलते बिल तो पास करा लिए लेकिन विपक्ष इनका विरोध कर रहा है। फौज सरकार के साथ है। लिहाजा, वो सरकार पर पकड़ मजबून बनाए रखने के लिए विपक्षी नेताओं पर दबाव डाल रही है।

विपक्षी नेताओं का आरोप है कि इमरान फौज की मदद से प्रधानमंत्री बने। नवाज शरीफ और बिलावल इमरान को इलेक्टेड नहीं बल्कि सिलेक्टेड पीएम बताते हैं। 16 तारीख की मीटिंग में बाजवा ने विपक्षी नेताओं को चेतावनी दी कि फौज को सियासी मामलों में न घसीटा जाए।



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पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में सोमवार को ऑल पार्टी कॉन्फ्रेंस की थी। इसमें शामिल होने के लिए जाते पीपीपी चीफ बिलावल भुट्टो जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी (पीएमएल-एन नेता) मरियम नवाज।

नेपाल के हुमला जिले में चीन ने 11 इमारतें बनाईं, स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद होम मिनिस्ट्री ने जांच के लिए अफसर भेजे September 22, 2020 at 05:52PM

नेपाल में चीनी कब्जे की सच्चाई सामने आने लगी है। इसके साथ ही दोनों देशों में सीमा विवाद भी शुरू हो गया है। नेपाल के हुमला जिले में चीन ने 11 बिल्डिंग्स बनाई हैं। इनमें से 9 हाल ही में बनाई गई हैं। खास बात यह है कि इन इलाकों में स्थानीय लोगों के जाने पर रोक है। इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की गई। जिला प्रशासन ने जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय को दी। होम मिनिस्ट्री के आदेश पर इस इलाके की जांच की गई। जांच में पता लगा कि जिस इलाके में 15 साल पहले सिर्फ एक झोपड़ी थी, वहां अब आलीशान इमारतें नजर आ रही हैं।

सबसे पहले पिलर हटाया
काठमांडू पोस्ट ने चीन की इस हरकत का खुलासा अपनी एक रिपोर्ट में किया है। हुमला के असिस्टेंट चीफ डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर दत्तराज हमाल ने हाल ही में उस इलाके का दौरा किया जहां, चीन ने बिल्डिंग्स बनाई हैं। हमाल ने कहा- मैंने स्थानीय लोगों से जानकारी ली है। होम मिनिस्ट्री को जानकारी दे दी गई है। दरअसल, हुमला जिले में नामखा नगरपालिका क्षेत्र है। यहां के लोगों ने ही प्रशासन को बताया था कि उनके क्षेत्र में 9 नई इमारतें बनाई गई हैं। नामखा के चेयरमैन विष्णु बहादुर तमांग ने कहा- चीन इस इलाके को अपना बताता है। अधिकारियों से बातचीत में चीनी अफसरों ने दावा किया कि जहां इमारतें बनाई गई हैं, उनका क्षेत्र उससे भी एक किलोमीटर ज्यादा है।

नेपाल के सिक्योरिटी अफसर भी पहुंचे
चीन की इस हरकत पर नेपाल की सरकार भी सतर्क है। उसने न सिर्फ सिविलियन अफसरों को विवादित क्षेत्र में भेजा बल्कि उनके साथ सिक्योरिटी एजेंसीज के आला अफसर भी वहां गए। हुमला के सांसद चक बहादुर लामा ने कहा- विवाद की मुख्य वजह वहां से पिलर नंबर 11 हटाया जाना है। इसके बाद चीन इस क्षेत्र को अपना बताने लगा। यहां से नेपाल और तिब्बत के बीच व्यापार भी होता है। यह नेपाल का इलाका है। यहां हमारे सैनिक तैनात होने चाहिए थे। सरकार ने लापरवाही की।

दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है चीन
रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को जब नेपाल के अफसरों की टीम यहां मुआयना करने पहुंची तो चीनी सेना ने वहां अपने ट्रक, टैंकर और जीप भेज दीं। इन सभी में सैनिक मौजूद थे। चीनी सैनिकों ने नक्शा दिखाते हुए दावा किया कि यह क्षेत्र उनकी सीमा में आता है। चीन की एम्बेसी के प्रवक्ता झेंग सी ने कहा- इस बारे में पहले भारतीय मीडिया ने खबरें फैलाईं थीं। अब नेपाली मीडिया भी यही कर रहा है। यह हमारा इलाका है और इसीलिए वहां बिल्डिंग्स बनाई गई हैं।



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फोटोग्राफ में नजर आ रही इमारतें चीन ने नेपाल के हुमला जिले में बनाई हैं। स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद यहां नेपाल की होम मिनिस्ट्री के अफसर पहुंचे। चीन इसे अपना इलाका बता रहा है।

US government executes killer obsessed with witchcraft September 22, 2020 at 05:29PM

William Emmett LeCroy, 50, was pronounced dead at 9:06 pm EDT after receiving a lethal injection at the same US prison in Terre Haute, Indiana, where five others have been executed i n 2020 following a 17-year period without a federal execution.

डेमोक्रेट कैंडिडेट बाइडेन ने कहा- भारतीय मूल के अमेरिकियों ने देश को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाया, हम उनकी चिंताएं दूर करेंगे September 22, 2020 at 05:15PM

अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के पहले रिपब्लिकन और डेमोक्रेट पार्टियां भारतीय मूल के अमेरिकी वोटरों को लुभाने की कोशिश में कोई कमी बाकी नहीं रखना चाहतीं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दावा करते हैं कि वे भारतीयों के सबसे अच्छे दोस्त साबित हुए हैं। दूसरी तरफ, जो बाइडेन ने कहा है कि अगर वे राष्ट्रपति बनते हैं तो भारवंशियों की दिक्कतों को हल करने की पूरी कोशिश करेंगे। बाइडेन ही राष्ट्रपति चुनाव में ट्रम्प को चुनौती दे रहे हैं।

भारतीयों की तारीफ
बाइडेन ने मंगलवार को कहा- अमेरिका के आर्थिक विकास को रफ्तार और दिशा देने में भारतीय मूल के लोगों का अहम योगदान है। उन्होंने सांस्कृतिक तौर पर भी देश में विविधता और विकास को बखूबी अंजाम दिया। हम हर रूप में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों की सराहना करते हैं। बाइडेन ने चंदा जुटाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में वर्चुअली हिस्सा लिया और इसी दौरान भारतीयों की तारीफ की।

चिंताएं दूर करेंगे
ट्रम्प के शासनकाल में एच-1बी वीजा को लेकर कई तरह की परेशानियां सामने आईं। ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन के कुछ फैसलों के खिलाफ भारतीयों को कोर्ट तक जाना पड़ा। बाइडेन इस मुद्दे को भुनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा- हम जानते हैं कि एच-1बी वीजा को लेकर भारतीय मूल के लोगों की क्या दिक्कतें और फिक्र है। हम इसे हल करने की कोशिश करेंगे। इसके अलावा लीगल इमीग्रेशन का मुद्दा भी है। इस पर भी ध्यान दिया जाएगा। सिलिकॉन वैली से लेकर बड़ी कंपनियों तक भारतीय समुदाय के लोगों ने अपनी मेहनत और लगन से कामयाबी हासिल की है।

ट्रम्प पर तंज
राष्ट्रपति ट्रम्प के शासनकाल को बाइडेन ने खराब बताया। कहा- ट्रम्प ने एच-1बी मुद्दे पर गलत कदम उठाए और इसका नुकसान सभी को उठाना पड़ा। इस दौर में नस्लवादी मामले सामने आए। क्लाइमेट चेंज का मसला बहुत बड़ा हो चुका है। उन्होंने चीजों को बद से बदतर बना दिया। अब पैरेंट्स सोचने लगे हैं कि हम किस तरह का भविष्य बच्चों को देने जा रहे हैं। अगर मैं राष्ट्रपति बनता हूं तो महामारी से सही तरीके निपटूंगा। इसके साथ ही अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के उपाय किए जाएंगे।



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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन मंगलवार को एक प्रोग्राम के दौरान। उन्होंने यहां भारतीय मूल के लोगों की समस्याएं दूर करने का भरोसा दिलाया।

Saudi to resume 'umrah' pilgrimage from October 4 September 22, 2020 at 05:01PM

The kingdom had suspended the umrah in March and later scaled back the annual hajj in a blow to millions of pilgrims around the world amid fears that the coronavirus could spread to Islam's holiest sites.

मेल-इन-बैलट के धुरविरोधी रहे ट्रम्प अब इसके पक्ष में दिखे; कई राज्यों में रिपब्लिकंस कैंपेन चला रहे, नजर एब्सेंटी वोटर्स पर September 22, 2020 at 04:00PM

नार्थ कैरोलिना में रिपब्लिक पार्टी ने अगस्त में ट्रम्प के समर्थक माने जाने वाले लोगों को चमकीली लिफाफों वाली चिट्ठियां भेजीं। इस पर 2.13 लाख डॉलर (करीब 1.5 करोड़ रु.) खर्च किए गए। इनमें राष्ट्रपति के फोटो के साथ अर्जेंट नोटिस लिखकर भेजा गया था।

इसके पीछे एक एब्सेंटी बैलट का एप्लीकेशन भी था। पार्टी ने चिट्ठियों में लिखा था- क्या आप डेमोक्रेट्स को खुद को चुप कराने देंगे? सभी रिपब्लिकंस से अनुरोध किया गया था कि वे मेल इन बैलट पाने के लिए एप्लीकेशन भरकर भेजें।

इसी तरह की अपील के साथ जॉर्जिया, ओहियो, टेक्सास, विस्कॉन्सिन और दूसरे राज्यों के लोगों को भी चिटि्ठयां भेजी गईं थी। यह अलग अलग स्टेट की रिपब्लिकन पार्टी की ओर से एब्सेंटी वोटिंग को प्रोमोट करने की कोशिश थी। इसके लिए लाखों मिलियन डॉलर खर्च किए गए थे। इसके तहत ट्रम्प कैंपेन और इससे जुड़े लोगों ने बड़े पैमाने पर टेक्स्ट मैसेज भेजे और रोबो कॉल्स भी किए।

पार्टी की कोशिशों को खुद ट्रम्प ने कमजोर किया
पार्टी की मेल इन बैलट और एब्सेंटी वोट के जरिए पाला मजबूत करने की कोशिशों को खुद ट्रम्प ने कमजोर किया। उन्होंने बार-बार कहा कि मेल इन वोटिंग में हेराफेरी हो सकती है। यह बात उन्होंने नार्थ कैरोलिना समेत कई जगहों पर कही। ऐसा करके उन्होंने अपने समर्थकों को खुद ही डरा दिया। विशेषज्ञों के मुताबिक, ट्रम्प की ओर से कही गई बातों की वजह से ही रिपब्लिकंस कई राज्यों में लोगों को मेल इन बैलट के लिए अनुरोध करने के मामले में डेमोक्रेट्स से पीछे हैं।

रिपब्लिकन हमेशा से एब्सेंटी वोटों के मामले में आगे रहे हैं

इस साल राष्ट्रपति कैंडिडेट के नॉमिनेशन में ट्रम्प को चुनौती देने वाले मैसाच्युसेट्स के पूर्व गवर्नर और रिपब्लिकन नेता बिल वेल्ड के मुताबिक, यह अविश्वसनीय है। यह साफ तौर पर रिपब्लिकन का वोट बढ़ाने के मकसद से उठाए जाने वाले कदम के उलट है। राष्ट्रपति ऐसी गलती कर रहे हैं, जिसका उन्हें पता ही नहीं चल रहा।

इतिहास पर गौर करें तो रिपब्लिकन हमेशा से एब्सेंटी वोटों पर कब्जा करने की कोशिशों में आगे रहे हैं। वे हमेशा से ऐसा प्रोग्राम चलाते रहे हैं, जिससे ऐसे रिपब्लिकंस की पहचान की जा सके जो मेल के जरिए वोट कर सकते हैं। खास तौर पर फ्लोरिडा में ऐसे कार्यक्रम लंबे समय से चलाए जाते रहे हैं। पार्टी इस बात का भी ध्यान रखती है कि ऐसे लोग अपना बैलट समय से भेज दें।

रिपब्लिक ने 1980 में शुरू की थी एब्सेंटी वोटर्स को जोड़ने की मुहीम

लंबे समय से रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े रहे स्टीवेंस स्टुअर्ट ने कहा- मेल इन बैलट के मामले में हम रिपब्लिकंस को हमेशा से यह महसूस होता रहा है कि हम डेमोक्रेट्स से बेहतर है। इसकी शुरुआत 1980 में नेशनल रिपब्लिकन सेनोटोरियल कमेटी के गठन के साथ हुआ।

यह हमारे पार्टी ऑपरेशन्स के लिए किसी मुकुट में जड़े हीरे की तरह रहा। स्टीवेंस ने हाल ही में एक किताब लिखी है जिसमें उन्होंने ट्रम्प और अपनी पार्टी दोनों की आलोचना की है। किताब में उन्होंने दावा किया है कि ट्रम्प अपनी पार्टी के कैंपेन का दम घोंट सकते हैं।

ट्रम्प की वजह से रिपब्लिकन से दूर हो रहे उम्रदराज वोटर

स्टुअर्ट कहते हैं- अगर ट्रम्प चुनाव हारते हैं तो उनकी ओर से मेल इन बैलट पर उठाए गए सवाल इसकी बड़ी वजह हो सकती है। इस मुद्दे पर राष्ट्रपति के बयानों ने उम्रदराज वोटरों को भ्रम में डाल दिए हैं। ये ऐसे वोटर्स हैं जो लंबे समय से पार्टी से जुड़े रहे हैं, लेकिन मौजूदा वक्त में कोरोना महामारी की चपेट में आने से डरते हैं।

उन्हें डर है कि वे अगर वे वोट डालने पोलिंग सेंटर्स पर गए तो संक्रमित हो सकती है, उनकी मौत हो सकती है। अगर ट्रम्प इन बुजुर्ग वोटर्स का समर्थन हासिल करने में नाकाम रहते हैं तो इस रेस में उनकी जीत का कोई दूसरा रास्ता नहीं है।

डेमोक्रेट्स मेल इन बैलट के लिए रिपब्लिकन वोटर्स से भी मिल रहे

कई विशेषज्ञों का यह मानना है कि इस बार रिपब्लिकंस इस पर मेल इन बैलट के लिए अप्लाई करने के मामले में रिपब्लिकंस से पीछे हैं। नार्थ कैरोलिना स्थित कैटाव्बा कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर जे मिशेल बिट्जर अपने टैली के आधार पर दावा करते हैं कि नार्थ कैरोलिना में डेमोक्रेट्स ने रिपब्लिकंस की तुलना में तीन बार ज्यादा वोटर्स से इसके लिए मिले हैं।

17 सितंबर तक डेमोक्रेट्स ने 8,89,000 मेल बैलट के लिए लोगों से अनुरोध किया है। इनमें से 4 लाख 48 हजार रजिस्टर्ड डेमोक्रेट्स थे और 1 लाख 54 हजार रजिस्टर्ड रिपब्लिकंस थे। बाकी वोटर्स ऐसे थे जो किसी भी पार्टी से नहीं जुड़े थे।



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Trump, who was a staunch opponent of mail-in-ballot, now appears in favor of it; Republicans are running campaigns in many states, eyeing absentee voters

अमेरिका में संक्रमण से हुई दो लाख मौतों को ट्रम्प ने शर्मनाक बताया; दुनिया में 3.17 करोड़ केस September 22, 2020 at 03:57PM

दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा 3.17 करोड़ से ज्यादा हो गया है। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 2 करोड़ 33 लाख 82 हजार 126 से ज्यादा हो चुकी है। अब तक 9 लाख 74 हजार 620 मौतें हो चुकी हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने देश में कोरोनावायरस से हुई 2 लाख मौतों को शर्मनाक बताया है। उनके मुताबिक, सरकार ने बढ़ते मामलों को रोकने के लिए कई तरह के उपाय किए हैं।

अमेरिका : ट्रम्प का नया बयान
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने देश में कोरोनावायरस से हुई दो लाख मौतों को शर्मनाक बताया है। द गार्डियन ने इस बात की जानकारी दी है। मंगलवार को व्हाइट हाउस में मीडिया से बातचीत में एक ट्रम्प ने यह टिप्पणी की। एक रिपोर्टर ने उनसे पूछा था- देश में कोरोनावायरस से 2 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। आप इस पर क्या कहेंगे? इस पर ट्रम्प ने कहा- मेरे हिसाब से तो यह शर्मनाक है। लेकिन, मैं ये भी कहूंगा कि अगर हम सही वक्त पर सही कदम नहीं उठाते यह आंकड़ा ढाई लाख से ज्यादा हो सकता था। आपने यूएन में मेरा भाषण देखा होगा। चीन अगर चाहता तो कोरोना को अपने देश से बाहर नहीं देता। उन्होंने इस वायरस को दुनिया के हर हिस्से तक पहुंचाया।

ब्रिटेन : 6 महीने जारी रह सकते हैं प्रतिबंध
ब्रिटेन में संक्रमण की दूसरी लहर की पुष्टि खुद प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन कर चुके हैं। अब खबर है कि ब्रिटेन में सरकार ने जो प्रतिबंध लगाए हैं वे 6 महीने तक भी जारी रह सकते हैं। हालांकि, लोग इसका विरोध कर रहे हैं। शादियों और खेल आयोजनों पर लगे प्रतिबंध भी जारी रह सकते हैं। मंगलवार को एक प्रोग्राम के दौरान बोरिस ने कहा- फुटबॉल मैचों के बारे में फिर से विचार किया जाएगा। वहां बहुत ज्यादा लोग जुटते हैं। अंतिम संस्कार में 30 से ज्यादा लोग नहीं आ सकेंगे। मास्क अनिवार्य होगा। लंदन और देश के बाकी हिस्सों में चलने वाली टैक्सियों को लेकर भी नई गाइडलाइन्स जारी की जा सकती हैं।

ब्रिटेन की एक मेट्रो ट्रेन में अकेला बैठा पैसेंजर। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने माना है कि देश में संक्रमण की दूसरी लहर आ चुकी है। जॉनसन ने ये भी संकेत दिए हैं कि संक्रमण रोकने के लिए जो प्रतिबंध लगाए हैं, वे 6 महीने भी जारी रह सकते हैं। (फाइल)

पेरू: दूसरी लहर का खतरा
पेरू के हेल्थ मिनिस्टर ने देश में लगातार तीसरे दिन मामले बढ़ने के बाद माना है कि यह दूसरी लहर का संकेत है। लुईस सुरेज ने कहा- जिस तरह के मामले बढ़ रहे हैं, उससे लगता है कि हम संक्रमण के दूसरे दौर में दाखिल हो चुके हैं। और यह अच्छे संकेत नहीं हैं। सरकार सख्त कदम उठा सकती है क्योंकि हमें लोगों को इस परेशानी से बचाना है। आप देख ही रहे होंगे कि स्पेन, बेल्जियम और इटली में भी मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। लैटिन अमेरिका में यह संकट काफी बड़ा हो चुका है।

पेरू के हेल्थ मिनिस्टर लुईस सुरेज ने कहा है कि देश में संक्रमण की दूसरी लहर का खतरा है। राजधानी लीमा समेत देश के कई हिस्सों में टेस्टिंग सेंटर पर भीड़ देखी जा रही है। (फाइल)

इजराइल: विरोध प्रदर्शन जारी
इजराइल में नेतन्याहू सरकार के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। सरकार ने संक्रमण पर काबू पाने के लिए देश के कुछ हिस्सों में लॉकडाउन लगाया है, लेकिन लोग इसका पालन करने को तैयार नहीं हैं। अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल के कई शहरों में लोगों ने लॉकडाउन के खिलाफ प्रदर्शन किए। इन लोगों का आरोप है कि मार्च के बाद से उनकी जिंदगी पर बुरा असर पड़ा है।
कुछ सामाजिक संगठनों ने कहा है कि सरकार अपनी नाकामी का ठीकरा देश के लोगों पर फोड़ना चाहती है। सरकार ने शुक्रवार से तीन हफ्ते के लॉकडाउन का ऐलान किया है। इसी दौरान यहूदियों का नया साल रोश हाशना मनाया जा रहा है। इसकी वजह से लोग ज्यादा नाराज हैं।

इजराइल में सरकार ने संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए पिछले हफ्ते नए प्रतिबंध लगाए थे। लेकिन लोग इसका विरोध कर रहे हैं। (फाइल)


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अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कोरोना से हुईं 2 लाख मौतों को शर्मनाक बताया है। उन्होंने ये भी कहा कि अगर उनकी सरकार सही कदम नहीं उठाती तो यह आंकड़ा ढाई लाख या उससे भी ज्यादा हो सकता था। (फाइल)

रिपोर्ट में दावा- भारत से सटी सीमा पर चीन ने 3 साल में 13 नए सैन्य ठिकाने बनाए, इनमें 5 एयर डिफेंस यूनिट्स और 5 हेलिपैड September 22, 2020 at 04:29AM

चीन ने भारत से सटी सीमा के नजदीक पिछले 3 साल में 13 नए सैन्य ठिकाने बनाए हैं। इनमें तीन एयरबेस, 5 एयर डिफेंस यूनिट्स और पांच हेलिपैड शामिल हैं। चीन ने 2017 में हुए डोकलाम विवाद के बाद इन ठिकानों को तैयार करना शुरू किया था।

हालांकि, जो पांच हेलिपैड तैयार हुए हैं उनमें से चार को बनाने का काम इस साल जून में उस वक्त शुरू हुआ था, जब लद्दाख में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। यह दावा बेल्जियम की सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस कंसल्टेंसी स्ट्राटफोर ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में किया।

सैन्य ठिकानों की संख्या दुगनी कर रहा चीन
रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा लगता है कि डोकलाम विवाद के बाद चीन ने अपनी रणनीति बदल दी। उसने भारत की सीमा से सटे जगहों पर सैन्य ठिकानों की संख्या दोगुनी करनी शुरू कर दी है। चीन की मिलिट्री ने पहले से मौजूद एयरबेस पर चार एयर डिफेंस सिस्टम लगाए हैं। इसने कई रनवे तैयार किए हैं और लड़ाकू विमानों को छिपाने के लिए शेल्टर्स भी बनाए हैं। वह अपने सैन्य ठिकानों पर तैनात किए जाने वाले लड़ाकू विमानों की संख्या में भी इजाफा कर रहा है।

चीन ने एलएसी के पास मिसाइल साइट बनाईं
ओपन सोर्स सैटेलाइट की इमेज के आकलन से कई नई बातें पता चली हैं। चीन ने तिब्बत में मानसरोवर झील के किनारे सतह से सतह पर वार करने वाली मिसाइल साइट बना ली है। इसके अलावा, डोकलाम और सिक्किम के विवादित इलाकों में भी ऐसी ही साइट तैयार कर रहा है। यह स्ट्राटफोर की ओर से जारी ग्राफ में नजर आता है कि 2016 से पहले तक तिब्बत के पास चीन का सिर्फ एक हेलिपैड और एक एयर डिफेंस साइट था। पिछले एक साल के अंदर इसने चार एयरबेस, चार हेलिपैड और एक एयर डिफेंस साइट तैयार की हैं।



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बेल्जियम की सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस कंसल्टेंसी स्ट्राटफोर ने दावा किया कि चीन भारत से सटी सीमा पर अपनी ताकत दोगुनी करना चाहता है।- फाइल फोटो

UK shuts pubs early to fight worrying coronavirus rise September 22, 2020 at 02:59AM

Russia faces problems looking into Navalny case after evidence removed: Kremlin September 22, 2020 at 02:12AM

Chinese tycoon and Xi critic jailed for 18 years for corruption September 22, 2020 at 01:11AM

EU tells UK to 'stop playing games' on Brexit September 22, 2020 at 12:23AM

Senior EU and British officials will meet urgently next week on the Brexit withdrawal agreement, which has been threatened by London's attempt to override parts of the treaty, Brussels said Tuesday.

नासा 2024 में चांद पर मिशन भेजेगा, 2 लाख करोड़ रु. खर्च आएगा; एजेंसी प्रमुख बोले- चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एस्ट्रोनॉट्स उतारेंगे September 22, 2020 at 12:09AM

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक बार फिर चंद्रमा पर एस्ट्रोनॉट्स भेजने का प्लान का खुलासा किया है। 2024 में अंतरिक्ष एजेंसी चांद पर यान उतारेगी। इस पर 28 बिलियन डॉलर (करीब 2 लाख करोड़ रु) का खर्च आएगा। 16 बिलियन डॉलर (करीब सवा लाख करोड़ रु) मॉड्यूल पर खर्च होंगे।

अमेरिका ने 1969 से लेकर 1972 तक अपोलो-11 समेत 6 मिशन चांद पर भेजे थे। इसी साल 3 नवंबर को अमेरिका में चुनाव हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस प्रोजेक्ट को अपनी प्राथमिकता में रखा है। इसके लिए कांग्रेस (अमेरिकी संसद) द्वारा पास होने वाली रकम 2021-24 के बीच फाइनेंशियल ईयर्स में शामिल होगी।

नासा को बजट की चिंता
फोन से मीडिया ब्रीफिंग के दौरान नासा के प्रमुख जिम ब्राइडनस्टीन ने बताया कि रकम को लेकर एक तरह की रिस्क है, क्योंकि देश में चुनाव हैं। अगर कांग्रेस 3.2 बिलियन डॉलर की पहली खेप पर दिसंबर तक मुहर लगा देती है तो 2024 मिशन पर काम जारी रखना आसान होगा।

दक्षिणी ध्रुव पर मिशन उतारा जाएगा
ब्राइडनस्टीन ने कहा, ‘चांद के दक्षिणी ध्रुव पर मिशन लैंड होगा। इस बारे में फिलहाल और नहीं बताया जाएगा।’ 22 जुलाई 2019 को भारत ने मून मिशन चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग की थी, इसे दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जाना था, पर इसमें कामयाबी नहीं मिल पाई थी।

अमेरिका को अपोलो-11 की त्रासदी की उम्मीद थी
20 जुलाई 1969 को एस्ट्रोनॉट नील आर्मस्ट्रॉन्ग, एडविन ऑल्ड्रिन चांद की जमीन पर उतरे थे। दरअसल, अमेरिका को इस मिशन की कामयाबी पर आशंका थी। तत्कालीन राष्ट्रपति निक्सन के निर्देश पर 'इन इवेंट ऑफ मून डिजास्टर' नाम से शोक संदेश भी तैयार कर लिया था। हालांकि, मिशन सफल रहा और यह भाषण कभी पढ़ा ही नहीं गया। अपोलो-11 के बाद 5 मैन्ड मिशन चांद पर भेजे गए, जिनमें से अंतिम उड़ान 1972 में भेजी गई।



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यह नासा के चांद पर मिशन भेजने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले लैंडर का मॉडल है। स्पेस एजेंसी ने जून 2019 में यह फोटो जारी किया था।

Russia to register second Covid-19 vaccine by October 15 September 21, 2020 at 10:53PM

The vaccine has been developed by Siberia's Vector Institute, which completed early-stage human trials of the vaccine last week. Russia registered its first vaccine candidate, developed by Moscow's Gamaleya Institute, in August. Late-stage trials, involving at least 40,000 people, are ongoing.

As rich nations struggle, Africa's virus response is praised September 21, 2020 at 09:35PM

The coronavirus pandemic has fractured global relationships. But as director of the Africa Centers for Disease Control and Prevention, Nkengasong has helped to steer Africa's 54 countries into an alliance praised as responding better than some richer countries, including the United States.