Saturday, March 7, 2020

Virus-hit US cruise ship to dock in Oakland: Operator March 07, 2020 at 09:13PM

Paraguay reports first coronavirus case March 07, 2020 at 07:52PM

Is China's multi-billion dollar project in Pakistan facing a crisis? March 07, 2020 at 07:52PM

Almost seven years ago, Chinese President Xi Jinping had shared the planning of a massive China Pakistan Economic Corridor Projects (CPEC) linking its landlocked western region of Xinjiang to the Arabian Sea in a bid to venture into the West. But, even today, the vision seems far from reality.

दमिश्क में ईंधन भरा ट्रक दो यात्री बसों से टकराया, 30 लोगों की मौत March 07, 2020 at 06:08PM

दमिश्क. युद्धग्रस्त सीरिया में एक ईंधन भरा टैंकर दो बसों से टकरा गया। हादसे में30 लोगों की मौत हो गई।स्थानीय मीडिया के अनुसार हादसा राजधानी दमिश्क में दमिश्क-हॉम्स हाईवे परहुआ। हादसे की चपेट में कई कारें और अन्य वाहन भी आ गए। अधिकारियों ने कई घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया है। हादसे में कुल कितने लोग घायल हुए हैं अभी इसका सटीक आकलन नहीं हो सकाहै। कई वाहनों के टकराने से घायलों की संख्या बढ़ गई है।

सीरिया में 8 साल में56 लाख लोगों को शरणार्थी बनना पड़ा

सीरिया में मार्च 2011 में गृहयुद्ध शुरू होने के बाद से ही वहां बेहद तबाही और बर्बादी हुई है। भारी संख्या में लोग बेघर भी हुए हैं। 50 लाख से ज्यादा सीरियाई लोगों को देश छोड़कर भागना पड़ा है। करीब 60 लाख लोग देश के भीतर ही विस्थापित हुए हैं। एक करोड़ 30 लाख से ज्यादा लोगों को जीवित रहने के लिए सहायता की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र के मार्च 2018 तक के आंकड़े के मुताबिक, आठ सालों से जारी युद्ध की वजह से करीब 56 लाख लोगों को शरणार्थी बनना पड़ा है।



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fuel truck collided with two passenger buses 30 people killed in Syria

Italy announces quarantine affecting quarter of population March 07, 2020 at 05:46PM

Italian Prime Minister Giuseppe Conte announced early Sunday that the entire region of Lombardy and a number of provinces in other regions were put under lockdown as the coronavirus continued to spread throughout the country. The new measures will apply to about a quarter of the Italian population and will be in force at least until April 3.

चीन के बाद इटली में सबसे ज्यादा 233 लोगों की जान गई, 18 देशों में अब तक 3559 लोगों की मौत March 07, 2020 at 04:42PM

बीजिंग/रोम. चीन में कोरोनावायरस का प्रभाव घटता जा रहा है। यहां शनिवार को केवल 27 लोगों की जान गई है, जबकि संक्रमण के 41 मामले सामने आए हैं। सभी मामले देश के सबसे ज्यादा प्रभावितहुबेई प्रांत के हैं। वहीं, चीन के बाद सबसे ज्यादा इटली में 233 लोग मारे जा चुके हैं। यहां 5883 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, चीन के बाहर 21,114 लोग संक्रमित हुए हैं और 413 लोगों की मौत हुई है। चीन के हेल्थ कमीशन ने रविवार को कहा कि शनिवार को अस्पताल से 1660 लोगों को छुट्टी मिली। यहां अब तक 57,065 नागरिक ठीक हो चुके हैं। चीन में सबसे ज्यादा हुबेई प्रांत में 67707 लोग संक्रमित हुए हैं। यहां का वुहान शहर कोरोनावायरस का केंद्र रहा है।

कैलिफोर्निया के बाद न्यूयॉर्क में इमरजेंसी लगी

अमेरिका के न्यूयॉर्क में शनिवार को कोरोनोवायरस के मामले बढ़कर 76 हो गए। इसके बाद वहां के गवर्नर एंड्रयू क्यूमो ने राज्य में आपातकाल घोषित कर दिया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, सबसे ज्यादा आबादी वाले शहर में 11, न्यूयॉर्क के वेस्टचेस्टर काउंटी में 57, लॉन्ग आइलैंड के नासाओ काउंटी में चार, रॉकलैंड काउंटी और साराटोगा काउंटी में 2-2नए मामलों की पुष्टि हुई है। इससे पहले कैलिफोर्निया में भी इमरजेंसी लगाई गई थी।



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इटली में कोरोनावायरस के 5883 मामलों की पुष्टि हो चुकी है।

दुनिया की सबसे युवा प्रधानमंत्री सना मरीन ने कहा- मैं बेहद जिद्दी हूं, न नहीं सुनती; बदलाव तो ऐसे ही आएगा March 07, 2020 at 04:35PM

फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मरीन मात्र 34 साल की हैं। इतनी कम उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाली वे दुनिया की एक मात्र शख्स हैं। 19 सदस्यों वाली उनकी कैबिनेट में 12 महत्वपूर्ण मंत्रालय महिलाओं के पास हैं। जब उनसे बतौर ‘महिला प्रधानमंत्री’ बात की जाती है तो वे असहज हो जाती हैं। उनका मानना है कि लैंगिक और धार्मिक भेदभाव इंसानियत की राह में सबसे बड़ा रोड़ा हैं।अमेरिका में भास्कर के प्रतिनिधि सिद्धार्थ राजहंस ने फिनलैंड जाकर उनसे विशेष बातचीत की, पढ़िए सना मरीन की जुबानी...

मेरा मानना है कि लीडरशिप का महिला या पुरुष हाेने से कोई लेना-देना नहीं है। आश्चर्य होता है और अफसोस भी कि दुनिया इस बात से चकित है कि फिनलैंड की बागडोर एक महिला के हाथों में है। लोगों को महिलाओं के आगे बढ़ने या उनके नेतृत्व करने पर हैरान होने की कोई जरूरत नहीं है। शायद लिंग-भेद की मानसिकता ही ऐसे प्रश्न खड़े करती है। मेरी उम्र और मेरा महिला होना कोई मुद्दा ही नहीं है। मैं यहां मतदाताओं के विश्वास की वजह से हूं। मैं यहां मुद्दों को सुलझाने के लिए हूं। जब आप तय मापदंडों को तोड़ते हैं और कुछ अलग करते हैं तो स्वाभाविक है कि लोग आप पर ध्यान देने लगते हैं। वास्तव मेंमैं तो ये मानती हूं कि दुनियाभर में उम्रदराज नेता, नई पीढ़ी की समस्याओं जैसे-जलवायु संकट और नए उद्योगों के बारे में उदासीन हैं। ये जेनरेशन गैप है और यह राजनीतिक स्तर पर आज और बड़ा नजर आता है। इसलिए यह जरूरी है कि नई पीढ़ी आगे आए और जिम्मेदारी ले। यही वह विचार है, जिसने मुझे राजनीति में आने और नेतृत्व लेने के लिए प्रेरित किया है।

मेरा यह भी मानना है कि महिलाओं में उन मुद्दों को लेकर स्वाभाविक रूप से अधिक संवेदनशीलता है, जिसका सामना दुनिया कर रही है। इसलिए हम बेहतर काम करने के लिए हर तरह से तैयार हैं। यही वजह है कि मेरी कैबिनेट में भी महिला मंत्रियों की संख्या ज्यादा है। मेरी कैबिनेट के लिए, लैंगिक समानता और अधिकार काफी अहम हैं। सुनियोजित ढंग से सामाजिक सोच में बदलाव लाकर और नीतियां बदलकर लैंगिक समानता लाई जा सकती है। मसलन, आज भी लोग मुझसे बतौर ‘महिला प्रधानमंत्री’ बात करते हैं, न कि प्रधानमंत्री के तौर पर। इससे समाज की सोच पता चलती है। हम यह क्यों नहीं स्वीकार कर पा रहे हैं कि महिला भी बराबर है, बल्कि मुद्दों को डील करने में ज्यादा सक्षम है। इस मामले में फिनलैंड और भारत उदाहरण स्थापित कर सकते हैं।


भारत में 40 साल से कम उम्र की आबादी ज्यादा है। निश्चित रूप से इतनी ही हिस्सेदारी महिलाओं की भी है। भारत को अपनी इस युवा आबादी के अनुसार नीतियों में बदलाव लाना होगा। तभी लिंग, यौन या धार्मिक भेदभाव रुकेगा। इसके अलावा नए युग में काम और उत्पादकता के मापदंड भी बदल रहे हैं। उदाहरण के तौर पर देर तक ऑफिस में रुकना और कड़ी मेहनत करना एक विशेष गुण माना जाता रहा है। लेकिन देखने वाली बात यह है कि आपकी कड़ी मेहनत का परिणाम क्या निकला है, उससे हासिल क्या हुआ है। मौजूदा समय में तो कम से कम इनपुट में ज्यादा से ज्यादा आउटपुट की आवश्यकता है। इसीलिए हमने हफ्ते में 24 घंटे काम करने की नीति पर काम शुरू किया है। इससे लोग परिवार को समय दे पाएंगे। काम और जीवन में यह संतुलन हमारा अगला कदम है। मैं भी परिवार को ज्यादा वक्त देना चाहूंगी। काम के घंटों को मानक नहीं बनाऊंगी।

मैं कर्मचारियों की उत्पादकता बढ़ाकर राष्ट्रीय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए लचीली कार्य संस्कृति की पैरवी करती हूं। क्योंकिखुशी और उत्पादकता में गहरा संबंध है। अर्थव्यवस्था के अनगिनत मापदंडों में हैप्पीनेस इंडेक्स, नेशनल इंडेक्स जितना ही महत्वपूर्ण है। मैं इस फैक्ट को मानती हूं और नई सोच रखती हूं। क्योंकि मेरी परवरिश अलग रही है। मेरे माता-पिता दोनों महिलाएं रही हैं और दोनों ने मुझे हमेशा अपनी पसंद का काम करने के लिए प्रेरित किया है। मुझे याद नहीं कि मेरे परिवार ने लड़की होने के नाते मुझसे कभी भेदभाव किया हो। जब मैं बेकरी में हफ्ते के 20 यूरो के लिए काम करती थी, तब भी मां मुझे प्रोत्साहित करती थीं। मैं हमेशा अपनी अपरंपरागत पहचान और अपने जेंडर पर गर्व करती हूं। मैं हमेशा इसके साथ खड़ी रहूंगी। मुझे लगता है कि इसी तरह हम आलोचनाओं का सामना कर सकते हैं और पॉजिटिव चेंज भी ला सकते हैं। आप जो सोचते हैं, वही सही है- इसके साथ हमेशा खड़े रहिए। मैं ऐसी ही हूं। मैं कभी डरी नहीं। बेहद जिद्दी भी हूं। मैं जवाब में ‘न’ नहीं सुनती। मुझे लगता है कि अच्छे बदलाव ऐसे ही आते हैं।

भारत में अपार संभावनाएं

भारत में बहुत संभावनाएं हैं। भारतीय संस्कृति में पूरी दुनिया को एक परिवार माना गया है। मैं वसुधैव कुटुम्बकम के विचार को बहुत अच्छी तरह से तो नहीं जानती, लेकिन भारत के मूल्य और संस्कृति सम्मान योग्य है। मुझे लगता है कि भारत न सिर्फ ग्लोबल सुपर पावर है, बल्कि वह असमानता और क्लाइमेट चेंज जैसे नए मुद्दों पर विश्व का नेतृत्व कर सकता है।

हमें स्कूलों में जीवन का मानवीय पक्ष पढ़ाने की जरूरत है

मेरी बेटी मुझे सजग और परिपक्व इंसान बनाती है

मेरी बेटी का जन्म मेरे लिए जिंदगी का सबसे अहम और खुशनुमा वाकया है। मैं कामकाजी मां हूं और एमा बचपन से ही इसका सामना कर रही है। लेकिन मुझे ऐसा महसूस होता है कि जैसे इस नन्ही बच्ची ने मेरे कामकाजी जीवन के हिसाब से खुद को ढाल लिया हैै। यह बात मुझे उस खास ‘अहा’ पल का अहसास कराती है। मैं बेहद साधारण व अपरंपरागत माहौल में पली-बढ़ी हूं। गंभीर विषयों पर मैं बचपन से ही मुखर रही हूं। और एक मां के तौर पर भी मैं इन मूल्यों को साथ लेकर चलती हूं। मैंने अपने इंस्टाग्राम पर बेबी बंप और स्तनपान की तस्वीरें भी पोस्ट की हैं। ये सब चीजें मातृत्व के सबसे अहम और प्राकृतिक पहलू हैं। मैं मां बनकर बेहद खुश हूं और उन चीजों को भी आगे बढ़कर गले लगा रही हूं, जिन पर लोग चर्चा करने में सामान्य तौर पर संकोच करते रहे हैं। इस तरह मेरी बेटी मुझे सजग और परिपक्व इंसान बना रही है। ये नई सोच ही है कि मैं और मेरे पति मार्कस बेटी की परवरिश में समान भागीदारी निभाते हैं। वे बेहद समझदार हैं। उन्होंने एमा के जन्म के समय पितृत्व अवकाश लेकर एक बेंचमार्क सेट किया है। आखिरकार एक बच्चे के प्रति माता-पिता, दोनों की समान जिम्मेदारी है। मैं हमेशा उनसे सलाह लेती हूं, न सिर्फ रोजमर्रा के मुद्दों पर बल्कि अपनी नीतियों पर भी। मैं चाहती हूं कि मेरी बेटी भी उन मूल्यों को आगे ले जाए, जिनके साथ मैं पली और बड़ी हुई हूं।



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Worlds youngest PM Sana Marine Spl interview with dainik Bhaskar first in Indian media

1917 में रूसी महिलाओं ने हक के लिए मार्च किया, सम्राट को पद छोड़ना पड़ा; तभी से 8 मार्च महिलाओं को समर्पित हो गया March 07, 2020 at 01:40AM

नई दिल्ली. आज यानी 8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। यह दिन 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है, इसकी कहानी दिलचस्प है। 1908 में 15 हजार महिलाओं ने न्यूयॉर्क में मार्च निकालकर नौकरी के घंटे कम करने की मांग की थी। यह भी कहा कि बेहतर वेतन और वोटिंग का हक भी दिया जाए। एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया।

1910 में जर्मन कार्यकर्ता क्लारा जेटकिन ने कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं की एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया। उस वक्त कॉन्फ्रेंस में 17 देशों की 100 महिलाएं मौजूद थीं। उन सभी ने सुझाव का समर्थन किया। क्लारा ने महिला दिवस के लिए कोई तारीख पक्की नहीं की थी। सबसे पहले 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था।

8 मार्च ही क्यों चुना?
1917 में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान रूस की महिलाओं ने जार (रूस के शासक) से ब्रेड एंड पीस (खाना और शांति) की मांग की। इसको लेकर हजारों महिलाओं की सेंट पीटर्सबर्ग (तब पेत्रोग्राद) में मार्च निकाला। इस आंदोलन ने सम्राट निकोलस को पद छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया और अंतरिम सरकार ने महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया।

उस समय रूस में जूलियन कैलेंडर का इस्तेमाल होता था। जिस दिन महिलाओं ने यह हड़ताल शुरू की थी, वह तारीख 23 फरवरी थी। ग्रेगेरियन कैलेंडर में यह दिन 8 मार्च था। इसी के बाद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाने का ठप्पा लग गया।

1975 में यूएन ने मान्यता दी

1975 में संयुक्त राष्ट्र ने महिला दिवस को आधिकारिक मान्यता दे दी और दिन को एक थीम के साथ मनाना शुरू किया। पहली थीम थी- ‘सेलिब्रेटिंग द पास्ट, प्लानिंग फॉर द फ्यूचर।’ इस बार की थीम है- ‘आई एम जेनरेशन इक्वालिटी: रियलाइजिंग विमेंस राइट्स।’

पुरुषों का भी एक दिन, लेकिन मान्यता नहीं
हां। 19 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस होता है। 1990 से इसे मनाया जा रहा है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की ओर से इसे मान्यता नहीं मिली। 60 से ज्यादा देशों में अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद पुरुषों की सेहत, लैंगिक रिश्ते और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और सकारात्मकता बढ़ाना है। 2019 में अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस का थीम थी- मेकिंग ए डिफरेंस फॉर मेन एंड बॉयज।



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In 1917 Russian women marched for the title, the emperor had to step down; Since then March 8 has been dedicated to women

अमेरिकाः एफबीआई ने जासूसों की भर्ती का निकाला विज्ञापन, रूसी सीरियल के कैरेक्टर को बनाया जरिया March 07, 2020 at 03:52PM

वॉशिंगटन ।अमेरिकी खुफिया एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी एफबीआई ने जासूसों और मुखबिरों की भर्ती के लिए अभियान शुरू किया है। उसने रूसी भाषा बोलने और लिखने वालों से आवेदन मांगे हैं। खास बात यह है कि एफबीआई ने इसके लिए रूस के मशहूर जासूसी सीरियल के कैरेक्टर मॉस्को डिपार्टमेंट ऑफ क्रिमिनल इंवेस्टिगेशन्स के जासूस कैप्टन ग्लेब झेग्लोव को जरिया बनाया है।

इस भूमिका को पूर्व सोवियत संघ के मशहूर गायक, कवि और अभिनेता व्लादिमीर वायसोस्की ने निभाया था। एफबीआई ने उन्हीं की फोटो का इस्तेमाल किया है। दिलचस्प बात यह है कि इस कैरेक्टर का काउंटर इंटेलीजेंस यानी देश के बाहर जासूसी से कोई लेना-देना नहीं था, बल्कि वह मॉस्को में सक्रिय दस्यु गिरोहों को पकड़वाने में मदद करता था।


एफबीआई ने अंग्रेजी और रूसी दोनों भाषाओं में विज्ञापन जारी करते हुए बताया है कि ब्यूरो के काम के लिए “जनता द्वारा प्रदान की गई जानकारी” कितनी महत्वपूर्ण है। एजेंसी ने विज्ञापन में लिखा है- एफबीआई का प्राथमिक मिशन संयुक्त राज्य अमेरिका की सुरक्षा करना है। जनता की तरफ से एफबीआई को दी गई जानकारी खतरों से निपटने का सबसे प्रभावी उपकरण है। यदि आपके पास ऐसी कोई जानकारी है, जो एफबीआई की मदद कर सकती है, तो कृपया हमसे संपर्क करें। आपके द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी को सम्मानजनक और गोपनीय तरीके से इस्तेमाल और नियंत्रित किया जाएगा। एजेंसी ने अक्टूबर 2019 में भी इसके लिए विज्ञापन निकाला था।

500 से ज्यादा दफ्तर, 50 से ज्यादा देशों में फैले हैं एजेंट

एफबीआई अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की एक एजेंसी है जो स्थानीय अपराधों से लेकर अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसी तक का काम करती है। इसके पास 200 से ज्यादा धाराओं में अपराधों की जांच का अधिकार है। ईमानदारी, बहादुरी, अखंडता इसका नारा है। एफबीआई का मुख्यालय वॉशिंगटन में है। अमेरिका के प्रमुख शहरों में इसके 56 क्षेत्रीय कार्यालय, जबकि सभी छोटे-बड़े शहरों में 450 से ज्यादा एजेंसियां हैं। इसके अलावा यह दुनिया के 50 से ज्यादा अमेरिकी दूतावासों में मौजूद हैं।



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एफबीआई अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की एक एजेंसी है जो स्थानीय अपराधों से लेकर अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसी तक का काम करती है।

COVID-19: Italy's co-ruling party leader Zingaretti tests positive March 07, 2020 at 05:38AM

फूज्यान प्रांत में होटल की इमारत ढही, 70 से ज्यादा लोग मलबे में फंसे; यहां कोरोनावायरस से संक्रमित लोग रखे गए थे March 07, 2020 at 05:50AM

बीजिंग.चीन के पूर्वी प्रांत फूज्यान के चिनझोऊ शहर में शनिवार को एक होटल की बिल्डिंग ढह गई। इस होटल को कोरोनावायरस फैलने के बाद अस्थायी सेंटर के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था। यहांसंक्रमित लोगों का इलाज चल रहा था। अधिकारियों के मुताबिक, 70 लोग मलबे में फंस गए, जबकि रेस्क्यू टीम ने इनमें से 23 को निकाल लिया। कई लोगों के मरने की आशंका है।

चाइना डेली के मुताबिक, घटना शनिवार शाम 7:30 बजे हुई। हादसे में होटल के 80 कमरे ढह गए।राहत और बचाव दल घटना स्थल पर मौजूद है। अब तक 23 लोगों को मलबे सेनिकालने में सफलता मिली है। अधिकारियों ने बताया कि बिल्डिंग के ढहने के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है। फिलहाल लोगों को सुरक्षित निकालने का काम किया जा रहा है।



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होटल की बिल्डिंग गिरने के बाद राहत कार्य जारी।
होटल की बिल्डिंग गिरने के बाद राहत कार्य जारी।
मौके पर फायर ब्रिगेड की टीम भी बुलाई गई।

UK police review probe into abduction of Dubai ruler's daughter March 07, 2020 at 05:12AM

Greece to build new camps after migrant surge: Minister March 07, 2020 at 04:25AM

Italy calls in retired doctors to help fight virus March 07, 2020 at 02:42AM

इजराइल का दावा- कोरोनावायरस की दवा कुछ हफ्ते में बनकर तैयार हो जाएगी, 90 दिन बाद बाजार में उतार देंगे March 07, 2020 at 02:19AM

येरूशलम. दुनियाभर में तेजी से फैल रहे कोरोनावायरस के खौफ के बीच एक राहत भरी खबर है। इजराइल सरकार ने दावा किया है किअगले कुछ हफ्तेमें उनके वैज्ञानिक कोरोनावायरस की दवा तैयार कर लेंगे। इसके 90 दिनों के अंदर ही दवा बाजार में भी उतार देंगे। इजराइली मीडिया 'द येरूशलम पोस्ट' ने विज्ञान एवं तकनीक मंत्री ओफिर अकुनिस के हवाले से यह जानकारी दी है। इसमें कामयाबी मिलती है तो यह पूरी दुनिया के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। अभीतक इसके इलाज के लिए कोई दवा बाजार में उपलब्ध नहीं है। कोरोनावायरस की चपेट मेंअबतक दुनिया के 92 से ज्यादा देश आ चुके हैं। इसके चलते 3500 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सवा लाख से भी अधिक संक्रमित लोगों का इलाज चल रहा है।

ब्रोन्कियल बीमारी के लिए तैयार कर रहे थे दवा
द येरूशलम पोस्ट में प्रकाशित खबर के मुताबिक इजराइल के द गैलिली रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक पिछले चार साल से इंफेक्शस ब्रोंकाइटिस वायरस (आईबीवी) की दवा तैयार करने के लिए शोध कर रहे थे। यह एक ब्रोन्कियल बीमारी होती है जो मुर्गियों में होती है। इसके इलाज के लिए वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक दवा तैयार कर लिया है। वेटनरी इंस्टीट्यूट में प्री-क्लीनिकल ट्रायल के बाद इसे सरकार ने पास भी कर दिया है। इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डॉ. चेन कट्ज ने बताया कि यह एक खास तरह की दवा है जो विशेष प्रकार के वायरस के इलाज में कारगर है। इसमें ऐसे प्रोटीन हैं जो मांसपेशी के ऊतकों में एंटीजेन का निर्माण करते हैं। इससे शरीर में वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी तैयार होता है। इसका परिणाम काफी अच्छा रहा।

कोरोनावायरस को मॉडल केस की तौर पर लिया
डॉ. चेन ने कहा 'आईबीवी की दवा तैयार करने में सफलता मिलने के बाद हमारी टीम ने कोरोनावायरस को एक मॉडल केस के तौर पर लिया। हम केवल आईबीवी के लिए तैयार दवा की तकनीक को परखना चाहते थे। इसके लिए हमने जब कोरोनावायरस का डीएनए लेकर जांच की तो मालूम पड़ा की मुर्गियों में मिलने वाले वायरस से यह काफी हद तक समान है। इसलिए इंसानों के लिए इसी तकनीक के आधार पर दवा तैयार करने के लिए काम शुरू कर दिया। इसमें काफी हद तक सफलता मिल चुकी है।' डॉ. चेन आगे बताते हैं कि अब आईबीवी के लिए तैयार दवा को ही नए क्रम में रखकर दवा तैयार ही जा रही है। बस कुछ सप्ताह और फिर कोरोनावायरस की दवा भी हमारे हाथ में होगी।

वैज्ञानिक ही तैयार करेंगे बड़े पैमाने पर दवा
डॉ. चेन का कहना है कि कोरोनावायरस की दवा तैयार करने की जिम्मेदारी इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों को ही मिली है। हालांकि,इसके बाद हम नियामक प्रक्रियाओं को अपनाते हुए ही आगे बढ़ेंगे। इसमें क्लीनिकल ट्रायल और बड़े पैमाने पर दवाओं का उत्पादन भी शामिल है।उधर विज्ञान एवं तकनीक मंत्री अकुनिस ने मंत्रालय के महानिदेशक को इसकी प्रक्रिया तेजी से पूरी करने का निर्देश दिया है। इसमें मंत्रालय या विभाग की तरफ से देरी नहीं होनी चाहिए।

ह्यूमन ट्रायल की प्रक्रिया पर भी काम कर रहे
रिसर्च इंस्टीट्यूट के सीईओ डेविड जिगडॉन के मुताबिक'दवा तैयार होने के 90 दिनों के अंदर इसे लांच किया जाएगा। यह खाने की दवा होगी। हमने इसके लिए ह्यूमन ट्रायल की प्रक्रिया भी करेंगे। इस क्षेत्र में काम करने वाली कुछ कंपनियों से लगातार संपर्क में हैं।'



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द गैलिली रिसर्च इंस्टीट्यूट में कोरोनावायरस की दवा तैयार करने के लिए शोध करते वैज्ञानिक

Missile firings: NKorea slams EU for 'illogical thinking' March 07, 2020 at 01:46AM

Sea of meth as Myanmar army smashes three drug labs March 07, 2020 at 12:20AM

Sacks of heroin and methamphetamine are laid out in endless rows in a remote Myanmar border zone during a rare raid in the heart of Southeast Asia's infamous 'Golden Triangle'. The seizure in one of the world's biggest narcotics-producing regions put three major laboratories out of business this week and hauled in 43 million meth tablets.