Wednesday, May 13, 2020

Bangladesh builds mega field hospital as virus outbreak worsens May 13, 2020 at 07:42PM

Only a handful of state-run hospitals in Bangladesh are currently treating coronavirus patients, and officials are hoping the new 2,084-bed facility in the capital Dhaka will help ease pressure on the country's healthcare infrastructure.

Truck bomb in eastern Afghan city kills five, 14 injured May 13, 2020 at 08:26PM

China may test all of Wuhan amid fears of coronavirus comeback May 13, 2020 at 06:37PM

The short order came after the discovery last weekend of a cluster of six infected people at a residential compound in the city, the first new cases in more than a month. China has moved quickly to snuff out new outbreaks wherever they pop up, even as it relaxes restrictions on the movement of people and reopens public attractions to limited numbers of visitors.

Maternity ward massacre shakes Afghanistan and its peace process May 13, 2020 at 06:09PM

Three gunmen disguised as police burst into Ataturk Children's Hospital in Kabul and started shooting, killing 24 people, including 16 women and two newborns. No group has claimed responsibility for the massacre.

Coronavirus may never go away, World Health Organization warns May 13, 2020 at 04:15PM

"It is important to put this on the table: this virus may become just another endemic virus in our communities, and this virus may never go away," WHO emergencies expert Mike Ryan said. "I think it is important we are realistic and I don't think anyone can predict when this disease will disappear," he added.

डब्ल्यूएचओ ने कहा- कोरोना एचआईवी जैसा संक्रमण बन सकता है, हो सकता है यह कभी खत्म नहीं हो May 13, 2020 at 05:37PM

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के इमरजेंसी प्रोग्राम के प्रमुख डॉ. माइक रेयान ने कहा है कि कोरोना कभी खत्म न होने वाली बीमारी बन सकती है। उन्होंने सीएनएन न्यूज से बातचीत में कहा कि कोरोना हमारे बीच एचआईवी की तरह कभी खत्म न होने वाला दूसरा वायरस बन सकता है। हो सकता है यह कभी खत्म न हो। एचआईवी भी अब तक खत्म नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इन दोनों बीमारी की तुलना नहीं कर रहा लेकिन मैं सोचता हूं कि यह अहम हैं कि हम वास्तविक रहें। मुझे लगता है कि कोई इसका अंदाजा नहीं लगा सकता कि यह बीमारी कब जाएगी।’’
डॉ. रेयान ने कहा अब भी संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में अगर लॉकडाउन हटाया गया तो यह नए सिरे से फैलने लगेगा। इस बात की भी संभावना है कि दोबारा लॉकडाउन करना पड़े। जब हर दिन के नए मामले निचले स्तर पर पहुंच जाए और ज्यादातर संक्रमित ठीक हो जाएं तब ही लॉकडाउन हटाना चाहिए। ऐसी स्थिति में जब आप पाबंदियां हटाएंगे तो संक्रमण का खतरा कम होगा। अगर आप संक्रमण ज्यादा होते हुए पाबंदियां हटाते हैं तो यह तेजी से फैल सकता है।
कुछ देशों में कोरोना को लेकर अल्पसंख्यकों पर हमले पर उन्होंने कहा कि इस बीमारी से हमारे अंदर की बेहतर और बदतर दोनों चीजें बाहर निकली हैं। कोरोना के वैक्सिन के बारे में डॉ. रेयान ने कहा कि हम वायरस को खत्म करने की शुरुआत कर चुके हैं। इसके लिए वैक्सीन उपलब्ध होना चाहिए। यह बहुत ज्यादा असरकारी होना चाहिए। इसे सभी के लिए उपलब्ध भी कराया जाना चाहिए। इन सबके लिए अहम हैं कि पहले हम इसका इस्तेमाल करें।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
डब्ल्यूएचओ) के इमरजेंसी प्रोग्राम के प्रमुख डॉ. माइक रेयान ने कोरोना को लेकर आगाह किया। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि अभी लॉकडाउन न हटाया जाए। इससे संक्रमण नए सिरे से फैलने का खतरा है।(फाइल फोटो)

चांसलर एंजेला मर्केल का दावा- रूस ने मेरी गतिविधियों की जानकारी जुटाने के लिए हैकिंग कराया, मेरे पास इसके ठोस सबूत May 13, 2020 at 04:46PM

जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा है कि रूस उनकी जासूसी करवा रहा है। उन्होंने बुधवार को संसद में कहा कि मैंने हर रोज रूस के साथ बेहतर रिश्ते बनाने की कोशिश की। दूसरी ओर रूस सेना की मेरी जासूसी करवाने की कोशिश की। इसके ठोस सबूत सामने आ रहे हैं कि रूसी सेना ऐसा कर रही है। उन्होंने कहा कि 2015 में उनके कुछ अकाउंट्स की हैकिंग की जांच करने वाले जांचकर्ताओं ने एक विशेष संदिग्ध की पहचान की है।
जर्मनी की खुफिया एजेंसी ने कई बार रूस की जर्मनी के नेताओं और संसदों की जासूसी करवाने की बात कही है। जर्मन मीडिया के मुताबिक, 2015 में मर्केल की एक ईमेल और एक बुंडेस्टैग अकाउंट हैक करने की कोशिश की गई थी।
तथ्यों से भरमाना रूस की रणनीति का हिस्सा: मर्केल
मर्केल ने कहा, दुर्भाग्यवश मैं इस निष्कर्ष पर पहुंची हूं कि रूस की यह कोशिश नई नहीं है। साइबर मध्यमों का इस्तेमाल कर तथ्यों से भरमाना रूस की रणनीति का हिस्सा। जाहिर है कि इस तरह की गतिविधियां रूस और जर्मनी के बीच बेहतर संबंध कायम करने के लिए आसान नहीं है। इस तरह की जासूसी कराने की गतिविधियां असुविधाजनक होने से कहीं ज्यादा हैं।
रूसी सेना के खुफिया अफसर के खिलाफ वारंट जारी हुआ था
जर्मनी की न्यूज मैगजीन डेर स्पाइगेल ने सबसे पहले मर्केल के दो ईमेल अकाउंट हैक करने की कोशिश होने का दावा किया था। हालांकि जर्मनी सरकार ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया। अब तक यह भी पता नहीं चला है कि हैकर्स को इन अकाउंट से कुछ जानकारियां हासिल हुई या नहीं। इस साल 5 मई को जर्मनी ने इस मामले में संदिग्ध रूसी सेना के खुफिया अफसर दिमित्री बदिन के खिलाफ वारंट जारी किया था। बदिन पर साल 2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भी दखल देने का आरोप है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने बुधवार को संसद में रूस पर अपनी जासूसी कराने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उनके अकाउंट हैक करने में शामिल संदिग्ध की पहचान कर ली गई है।(फाइल फोटो)

‘Travel bubbles’ emerge as nations look to save tourism May 13, 2020 at 04:26PM

Coronavirus virus may never go away, World Health Organization warns May 13, 2020 at 04:15PM

"It is important to put this on the table: this virus may become just another endemic virus in our communities, and this virus may never go away," WHO emergencies expert Mike Ryan told an online briefing.

Russia claims promising signs in early trials of drug Favipiravir May 13, 2020 at 04:19PM

अब तक 44.28 लाख संक्रमित और 2.98 लाख मौतें: अमेरिका का आरोप- चीन वैक्सीन पर हो रही रिसर्च को चुराने की कोशिश कर रहा May 13, 2020 at 04:21PM

दुनिया में करोनावायरस से अब तक 44 लाख 28 हजार 236 लोग संक्रमित हो चुके हैं। दो लाख 98 हजार 83 मौतें हो चुकी हैं, जबकि 16 लाख 57 हजार 905 लोग ठीक हो चुके हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि चीन से जुड़े हैकर्स महामारी पर शोध करने वाले संगठनों को निशाना बना रहे हैं। एफबीआई ने बीबीसी से गुरुवार को कहा कि वायरस से जुड़ी रिसर्च पर चीन की नजर है।
अमेरिका पहले से ही चीन पर महामारी को लेकर जानकारी छुपाने का आरोप लगाता रहा है। इस समय दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट आई है।

अमेरिका: 24 घंटे में 1813 मौतें
अमेरिका में 24 घंटे में 1813 लोगों की मौत हुई है और 21 हजार 712 संक्रमित मिले हैं। इस समय देश में 14 लाख 30 हजार 348 लोग संक्रमित हैं। वहीं, 85 हजार 197 लोगों की जान जा चुकी है। देश के सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य न्यूयॉर्क में तीन लाख 50 हजार से ज्यादा केस मिल चुके हैं, जबकि 27 हजार मौत हो चुकी है।
जल्दही 1 करोड़ टस्ट कर लिया जाएगा: ट्रम्प
अमेरिका ने टेस्ट की क्षमता को बढ़ा दिया है और जल्द ही यह संख्या एक करोड़ के पार जा सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार की शाम कहा, “हम एक करोड़ परीक्षण करने के बेहद करीब है और कुछ दिनों में हमें इसे पूरा करने में लगेंगे।” अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस बात का जिक्र किया कि जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है कि किसी भी अन्य देश की तुलना में अमेरिकियों के परीक्षण का दर ज्यादा है।

इटली: 31 हजार मौतें

इटली में अब तक 31 हजार लोगों की जान जा चुकी है। अमेरिका और ब्रिटेन के बाद यहां सबसे ज्यादा मौत हुई है। वहीं, दो लाख 22 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। यहां बुधवार को 195 लोगों की मौत हुई।

इटली में 55 अरब यूरो के पैकेज का प्रस्ताव पारित
इटली सरकार ने गुरुवार को अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 55 अरब यूरो (59.6 अरब डॉलर) के आर्थिक पैकेज का प्रस्ताव पारित किया। प्रधानमंत्री गिउसेप कोंजे ने कहा, “यह वित्तीय पैकेज दो बजट घोषणाओं के बराबर है। हम जानते हैं कि देश इसका बेसब्री से इंतजार कर रहा था।” इसकी घोषणा अप्रैल के अंत में की गई थी, लेकिन गठबंधन सहयोगियों में चल रहे तनाव के कारण इसमें देरी हुई।

रूस: मॉस्को में 1290 मौतें
मॉस्को में 24 घंटे में 58 नई मौतें सामने आई हैं। यहां मृतकों की संख्या बढ़कर 1290 हो गई है। मॉस्को के कोरोनावायरस केंद्र ने गुरुवार को ये जानकारी दी। इस बीमारी से रूस में कुल 2 लाख 42 हजार लोग संक्रमित हो चुके हैं। देश में मरने वालों की संख्या 2200 हो गई है, जबकि 48 हजार मरीज स्वस्थ हो चुके हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
अमेरिका के ऑस्टिन शहर में बारबर शॉप में जाने से पहले युवक का तापमान चेक करती महिला।

Could election be delayed? Kushner doesn’t rule it out May 13, 2020 at 03:51PM

ट्रम्प के करीबी नौ सांसद चीन पर प्रतिबंध के लिए संसद में बिल लाए, अमेरिका ने चीन को घेरने की कवायद तेज की May 13, 2020 at 03:19PM

चीन पर प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिका की संसद में बिल पेश किया गया है। यह बिल नौ सांसदों के समूह ने पेश किया। इसमें कहा गया है कि अगर चीन कोरोनावायरस फैलने के कारणों की पूरी जानकारी नहीं देता है, इस पर काबू करने में सहयोग नहीं करता है तो अमेरिका के राष्ट्रपति को चीन पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति दी जाए।

राष्ट्रपति 60 दिन में यह प्रमाणित करेंगे कि चीन ने अमेरिका, उसके सहयोगियों या डब्ल्यूएचओ जैसी संयुक्त राष्ट्र से संबंधित संस्थाओं को कोरोना पर पूरी जानकारी नहीं दी। उसने मांसाहार बेचने वाले उन सभी बाजारों को बंद नहीं किया, जिनसे जानवरों से इंसानों में संक्रमण फैलने का खतरा था। यह बिल सांसद लिंडसे ग्राहम ने तैयार किया है। आठ अन्य सांसदों ने इस पर उनका साथ दिया।
चीन ने जांच की मंजूरी देने से इनकार किया: ग्राहम
ये सभी नौ सांसद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के करीबी माने जाते हैं। ग्राहम ने कहा कि चीन ने जांच की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। ऐसे में यह बिल लाना जरूरी था। अगर चीन पर दबाव नहीं बनाया गया, तो वह जांच में कभी सहयोग नहीं करेगा।बिल में यह भी कहा गया है कि चीन हांगकांग के लोकतंत्र समर्थकों को महामारी के दौरान जेल से रिहा करे।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोले- 20 साल में चीन से 5 महामारी आईं
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने भी मीडिया से कहा कि 20 साल में चीन से 5 महामारी आईं। इसे किसी को तो किसी छोर पर रोकना होगा। दुनिया चीन की सरकार से कहे कि हम उसके यहां से निकल रही महामारियों को सहन नहीं करेंगे, फिर चाहे ये पशु बाजारों से निकल रही हों या प्रयोगशालाओं से।

कोरोना वुहान से निकला है,हमारे पास सबूत हैं:ब्रायन

ब्रायन ने कहा किहमें पता है कि यह कोरोना वुहान से निकला है। हमारे पास सबूत हैं। हालांकि, ब्रायन ने सार्स, एवियन फ्लू, स्वाइन फ्लू, कोरोना के नाम ही गिनाए। 5वीं बीमारी का नाम नहीं बताया। बता दें कि अमेरिका में अब तक 14,17,398 मामले आए हैं। 83,980 मौतें हुई हैं।

हमारे खिलाफ बिल अनैतिकःचीन
चीन ने अपने खिलाफ अमेरिकी संसद में आए बिल का विरोध किया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा है कि यह बिल पूरी तरह अनैतिक है। हमने कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत से ही जानकारी देने में पारदर्शिता रखी। इसके पहले झाओ ने कहा था कि चीन और अमेरिका को व्यापार सौदे को लागू करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
तस्वीर न्यूयॉर्क सिटी के म्यूजियम की है। शहर में सख्त लॉकडाउन जारी है।

अब घराें का आर्किटेक्चर बदलेगा; अधिक स्टाेरेज और स्मार्ट टेक्नाेलाॅजी की मांग बढ़ेगी, डाइनिंग रूम होगा दफ्तर, लाेग ज्यादा वेंटिलेशन चाहेंगे May 13, 2020 at 03:19PM

काेराेनावायरस के बाद लाेगाें का रहन-सहन बदलने जा रहा है। आर्किटेक्ट्स और डिजाइनर्स का मानना है कि नए बनने वाले घराें की डिजाइन में आमूलचूल परिवर्तन आएगा। जिन बाताें काे घर या अपार्टमेंट बनाते समय कम जगह का हवाला देकर नजरअंदाज कर दिया जाता था, उनकी मांग बढ़ेगी। घर में लोग ऑफिस स्पेस, क्लासरूम, आर्ट स्टूडियाे, जिम के साथ स्टाेरेज बढ़वाएंगे। हालांकि, शहरी इलाकाें में यह चुनाैती साबित हाेगा।
‘वर्क फ्राॅम हाेम’ दफ्तर खुलने के बाद भी जारी रहेगा
आर्किटेक्ट मैटलैंड जाेन्स कहते हैं, ‘काॅलेज कैंपस की तरह घर में खाने, पढ़ने, साेने की सीमाएं टूट सकती हैं। किसी अपार्टमेंट का एक कमरा कई काम आ सकता है। डाइनिंग रूम, दफ्तर या कुछ और रूप भी ले सकता है।’कमराें का आकार बदल सकता है। घर में छाेटी ऐसी जगह निकाली जा सकती है, जहां प्राइवेट काॅल या वीडियाे काॅन्फ्रेंसिंग कर सकें।

'प्रकृति से जुड़ाव लाेगाें की प्राथमिकता बन जाएगी'
ऑर्किटेक्स माॅरिस एड्ज्मी कहते हैं, ‘अब ताजी हवा और प्रकृति से जुड़ाव लाेगाें की प्राथमिकता बन जाएगी। इसे अधिक बालकनी या टेरेस बनाकर पूरा किया जा सकता है।’ आर्किटेक्ट पाॅल व्हालेन बताते हैं, ‘शहराें में लिविंग रूम में फ्रेंच डाेर या जुलिएट बालकनी बनाकर ऐसा किया जा सकता है।’

बड़ी खिड़की या क्राॅस वेंटिलेशन के लिए बड़ी डिजाइन का चलन लाैट सकता है। शहरी इलाकों के घराें या फ्लैट में स्टाेर जरूरी हाे जाएंगे। बड़ी अलमारी या पैंट्रीज बनने लगेंगी।चूंकि सतह काे छूने से काेराेना वायरस चिपक सकता है। इसलिए स्मार्ट हाेम टेक्नाेलाॅजी की मांग बढ़ेगी। घर आते ही दरवाजा अपने आप खुलेगा या बत्तियां जल जाएंगी।

ये तकनीकें उपलब्ध हैं, लेकिन अब तक इन्हें अतिरिक्त माना जाता था। लिफ्ट में बटन प्रेस करने के बजाय बाेलना भी पर्याप्त हाे सकता है। घर में प्रवेश करते ही हाॅल से पहले कमरेजैसी जगह बनने लगेगी, जहां लाेग जूते-चप्पल उतार सकें या सामान रख सकें। अब तक ऐसी जगह नजरअंदाज कर दी जाती थी।

टीबी-इन्फ्लूएंजा के बाद 20वीं शताब्दी में आया था बदलाव
आर्किटेक्ट पाॅल व्हालेन कहते हैं, ‘एक शताब्दी पहले टीबी और साल 1918 में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी आई थी। इसका आर्किटेक्चर पर बड़ा असर हुआथा और स्वास्थ्य-भवन बनाए जाने लगे थे। ये खुले-खुले हाेते थे। खूब सारे प्रकाश और हवा की व्यवस्था रहती थी। इस तरह के आर्किटेक्चर का 20वीं शताब्दी के घराें में खासा प्रभाव रहा।’ खुले-खुले घर बनाने का चलन फिर लौट सकता है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
ऑर्किटेक्स माॅरिस एड्ज्मी कहते हैं कि अब ताजी हवा और प्रकृति से जुड़ाव लाेगाें की प्राथमिकता बन जाएगी।

लॉकडाउन और डिस्टेंसिंग नहीं मानने पर सार्वजनिक टॉयलेट साफ करने होंगे, पूरे कपड़े पहनकर निकलना जरूरी May 13, 2020 at 02:41PM

इंडोनेशिया सरकार ने कोरोनावायरस संक्रमण रोकने के लिए नए नियम जारी किए हैं। इसके तहत लॉकडाउन तोड़ने और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करने पर सजा के साथ-साथ भारी भरकम जुर्माने का प्रावधान किया गया है। दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में कोरोना का सबसे ज्यादा कहर इंडोनेशिया में ही है।

ऐसे में सरकार को मजबूरन लॉकडाउन और डिस्टेंसिंग के नियम सख्त करने का फैसला लेना पड़ा है। नए कानूनों के मुताबिक बिना मास्क पहने बाहर जाने पर करीब ढाई लाख इंडोनेशियाई रुपिया यानी भारतीय मुद्रा में करीब 1300 रुपए चुकाने होंगे।

नियम के मुताबिक- बनियान पहनकर बाहर निकलने पर रोक रहेगी

अगर कोई कंपनी लॉकडाउन का उल्लंघन करती है या कोई दुकानदार इस दौरान अपना कारोबार खोल देता है, तो उन पर इसके लिए स्थानीय मुद्रा में 5 करोड़ रुपिया यानी भारतीय मुद्रा में करीब ढाई लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए कुछ दिलचस्प प्रावधान भी किए गए हैं। इनके मुताबिक, बनियान पहनकर बाहर निकलने पर रोक रहेगी।

'बड़ी संख्या में इकट्ठाहोने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा'
इसके अलावा भीड़भाड़ या बड़ी संख्या में इकट्ठाहोने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही इन लोगों को सार्वजनिक स्थानों या टॉयलेट्स की सफाई भी करनी पड़ेगी। इस दौरान इन लोगों के कपड़ों या शरीर पर "कानून तोड़ने वाले" का लेबल भी चस्पा किया जाएगा।

जकार्ता में पिछले महीने आंशिक लॉकडाउन था। विशेषज्ञों ने संक्रमण बढ़ने की चेतावनी दी थी। वीकेंड पर रेस्तरां, फास्ट-फूड और अन्य जगहों पर भीड़ जुट गई थी। इससे संक्रमण बढ़ा, तो सरकार ने फिर सख्ती की है।

दक्षिण-पूर्व एशिया में कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें इंडोनेशिया में

इंडोनेशिया में कानून इसलिए सख्त किए जा रहे हैं क्योंकि, यह दक्षिण-पूर्व एशिया में कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा ज्यादा प्रभावित देश है। यहां कोरोना से अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 14,000 से ज्यादासंक्रमित हैं। राजधानी जकार्ता में सबसे ज्यादा 443 और पूर्वी जावा में 155 मौतें हुई हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में कोरोना का सबसे ज्यादा कहर इंडोनेशिया में ही है। यहां कोरोना से अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

अमेरिका: डॉक्टर भी रो देते हैं, जब मरीज आखिरी बार परिवार से वीडियो कॉलिंग पर बात करता है May 13, 2020 at 02:41PM

अमेरिका के अस्पताल मरीजों से भरे पड़े हैं। कई लोग स्वस्थ होकर घर जा रहे हैं, लेकिन दिल तब रोता है, जब सामने किसी युवा मरीज की जान जाते देखते हैं। अस्पताल के पीछे शवों को ले जाने के लिए बड़े-बड़े ट्रॉले खड़े हैं। लगता है, मरीज को उस ओर न जाने दें, किसी तरह ठीक कर अस्पताल के आगे के रास्ते से घर भेजें।

मौत के चंद मिनट पहले मरीज की परिजन से वीडियो कॉल लगाकर बात कराते हैं। एक केस भूल नहीं पाते कि दूसरा सामने आ जाता है। पिछले हफ्ते 31 साल के एक युवक की मौत से पहले उसकी पत्नी और डेढ़ साल के बच्चे से वीडियो कॉल पर बात कराई थी। वह दृश्य चाहकर भी नहीं भूल पाता हूं। यहां कई मरीज किताब पढ़ते हैं। टैब पर गेम्स खेलते हैं। कुछ लोग सुडोकू भी खेलते हैं।
यहां ज्यादा संक्रमण की वजह लॉकडाउन में देरी है
मार्च के पहले हफ्ते में अमेरिका ने कोरोना संक्रमण को कम्युनिटी ट्रांसमिशन मान लिया था। वैसे यहां ज्यादा संक्रमण की वजह लॉकडाउन में देरी है। कम उम्र के लोगों की मौत का बड़ा कारण मोटापा है। इधर वैज्ञानिकों ने ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित कर ली है, जिसमें मुंह से लार लेकर आरटी-पीसीआर जांच की जा सकेगी।
अब संदिग्ध सैंपल को छोटे जार में ले जाकर लैब में दे सकता है
एफडीए ने इसकी अनुमति भी दे दी है। अब जो भी संदिग्ध कोरोना की जांच कराना चाहेगा, वह अपने सैंपल को घर से ही छोटे जार में ले जाकर लैब में दे सकता है। अभी तक नाक या गले के निचले हिस्से से स्वाब निकाल कर जांच होती है। यह कष्टदायक है।
अमेरिका में अब जो चाहे वह जांच करा सकता है
इस दौरान खांसी भी होती है, जिससे आसपास संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। अमेरिका में अब जो चाहे वह जांच करा सकता है। देश में भारी संख्या में पीपीई किट और वेंटिलेटर डोनेशन में मिली। इन्हें बड़े उद्योगपतियों और कंपनियों ने दिया।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
डॉक्टर मानते हैं कि मार्च के पहले हफ्ते में अमेरिका ने कोरोना संक्रमण को कम्युनिटी ट्रांसमिशन मान लिया था। वैसे यहां ज्यादा संक्रमण की वजह लॉकडाउन में देरी है। -फाइल फोटो

अमेरिकी कमीशन ने कहा- कोरोना के दौरान भारत में मुस्लिमों को बलि का बकरा बनाया गया; इसी ने भारत को धार्मिक भेदभाव करने वाले देशों की लिस्ट में डालने का सुझाव भी दिया था May 13, 2020 at 02:34PM

अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने बुधवार को एक ट्वीट किया। इसमें कहा गया कि, "साल 2019 के दौरान भारत में धार्मिक आजादी का ग्राफ बुरी तरह नीचे गिरा। इस साल कोरोनावायरस महामारी के दौरान भी यह प्रवृत्ति जारी रही और मुस्लिमों को बलि का बकरा बनाया गया। इन आधारों पर यूएससीआईआरएफ अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट की धार्मिक आजादी के लिए चिंताजनक स्थिति वाले देशों की सूची में भारत को भी डालनेका सुझाव देता है।"

अमेरिकी कमीशन का यह ट्वीट 13 मई (बुधवार) का है लेकिन दुनियाभर में धार्मिक आजादी पर वह अपनी रिपोर्ट 28 अप्रैल को ही अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट को सौंप चुका है। इस रिपोर्ट में ही कमीशन ने भारत को 2019 और 2020 के घटनाक्रम के आधार पर विशेष चिंता के विषय वाले देशों (सीपीसी) की लिस्ट में डाला था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक दिन बाद ही (29 अप्रैल) इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा था कि हम इस आयोग को एक विशेष सोच के साथ काम करने वाला संगठन मानते हैं और इसकी रिपोर्ट में कही गई बातों कीपरवाह नहीं करते।

28 अप्रैल की रिपोर्ट में सीएए, एनआरसी, धर्मांतरण विरोधी कानून, मॉब लिंचिंग, जम्मू-कश्मीर से विशेष अधिकार छिनने, अयोध्या में राम मंदिर सुनवाई के दौरान भारत सरकार के एकतरफा रवैये जैसी कई चीजों के आधार पर भारत को धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला देश बताया गया था। अब ताजा ट्वीट में कोरोना फैलाने के बहाने मुस्लिमों को अलग-थलग करने की बात जोड़ी गई है।

दरअसल, कोरोना के चलते 25 मार्च को भारत में लॉकडाउन हुआ और 29 मार्च को दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में लगे मरकज से कोरोना का पहला केस मिला। मरकज में 2 हजार से ज्यादा लोग थे, जो लॉकडाउन के कारण बाहर नहीं निकल पाए। इनमें से कई लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इस केस के बाद कुछ मीडिया चैनलों और सोशल मीडिया पर मरकज को कोरोना का केन्द्र बताया जाने लगा।

खुद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एक बयान में कहा था कि एक घटना के कारण कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ गई। केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने जमातियों पर देशभर में सक्रमण फैलाने का आरोप लगाया और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि तबलीगी जमात ने जानबुझकर कोरोना फैलाया। भाजपा नेताओं की यह फेहरिस्त लंबी है।

देशभर की भाजपा शासित राज्य सरकारों ने भी अपने-अपने राज्यों में कोरोना फैलने का ठिकरा जमातियों पर ही फोड़ा। हिमाचल प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष राजीव बिंदेल ने तबलीगी जमातियों को मानव बम कहा तो कर्नाटक से भाजपा सांसद शोभा करंडलाजे ने बेलागावी के एक हॉस्पिटल में जमातियों पर थूकने और अश्लील इशारे करने के आरोप लगाए, हालांकि बाद में जिला डेप्युटी कमिश्नर ने इन आरोपों को गलत बताया।

##

भाजपा नेताओं के बयानों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट वायरल होने लगे, जिनमें भारत में कोरोना फैलाने के लिए जमातियों की फौज खड़ी करने की बात कही जा रही थी। विदिशा के एक मानसिक रूप से अस्थिर शख्स का फलों में थूक लगाने वाला वीडिया सबसे ज्यादा वायरल हुआ। हालांकि यह एक पुराना वीडियो था। इसे यह कहकर वायरल किया गया कि मुस्लिम लोग देश में कोरोना फैलाने के लिए थूक लगाकर फल-सब्जी बेच रहे हैं।

इस तरह के कई पोस्ट सोशल मीडिया पर चलते रहे। कुछ न्यूज चैनलों में भी रात-दिन यही दिखाया जाने लगा। असर यह हुआ कि देश के कई बड़े-छोटे शहरों से फल-सब्जी बेचने वाले मुस्लिमों को कॉलोनियों में न घुसने देने की खबरें आने लगीं। कई गांवों में मुस्लिम व्यापारियों को न आने देने के पोस्टर भी लगे। कई गांव और कस्बों से ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि मुस्लिमों को न सामान दिया जा रहा है और न ही उन्हें खेतों में मजदूरी के लिए बुलाया जा रहा है। सरकार की बातें, सोशल मीडिया का फेक कंटेंट और न्यूज चैनलों के एजेंडे कुछ इस तरह लोगों के दिमाग में बैठ गए कि मंडियों में ठेले लगाने वाले मुस्लिमों को भी पीटकर भगाया जाने लगा।

केस 1: दिल्ली के शास्त्री नगर इलाके का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था, इसमें 15-20 लोग फल-सब्जी बेचने वाले मुस्लिमों को कॉलोनी में न घुसने देने की बात कर रहे थे। इसी बीच जब दो मुस्लिम युवक फल लेकर इस कॉलोनी में पहुंचते हैं तो उन्हें भगा दिया जाता है। भास्कर के रिपोर्टर राहुल कोटियाल जब इस वायरल वीडियो की तहकीकात के लिए इस इलाके में पहुंचे तो यहां के लोगों ने माना था कि उन्होंने मुस्लिमों का कॉलोनी में आना बंद कर दिया है।

केस 2: मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के एक गांव में मुस्लिम व्यापारियों के प्रवेश को लेकर एक पोस्टर लगाया गया था। इसमें लिखा गया था कि मुस्लिम व्यापारियों का गांव में प्रवेश निषेध है।

केस 3: उत्तर-पश्चिम दिल्ली के हारेवली गांव में एक 22 वर्षीय महबूब अली को इसलिए पीटा गया क्योंकि वह मरकज से लौटा था। पिटाई के बाद युवक को हिंदू मंदिर में ले जाया गया और उसे हिंदू धर्म अपनाने के लिए कहा गया।

ये महज तीन केस हैं लेकिन पिछले डेढ़ महीने से भारत में कोरोना फैलाने के बहाने हो रहे मुस्लिमों के धार्मिक अधिकारों के शोषण की खबरें लगातार आती रहीं हैं। अरुणाचल प्रदेश में मुस्लिम ट्रक चालकों को मारा गया। कर्नाटक के बिदारी और कडकोरप्पा गांवों में मुस्लिमों पर हुए हमले के वीडियो सामने आए। इन हमलों के वीडियो में हमलावरों का कहना था कि तुम्हीं लोग (मुसलमान) ये बीमारी फैला रहे हो। इसी तरह हरियाणा के गुरुग्राम में धनकोट गांव में मस्जिद पर हमला हुआ। देशभर से ऐसे केस लगातार आते रहे।

यूएससीआईआरएफ के प्रतिनिधी तो भारत में नहीं आते लेकिन इन्हीं रिपोर्ट्स के आधार पर उन्होंने ताजा ट्वीट किया है। खैर, यूएससीआईआरएफ के यह सुझाव अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट मानता है या नहीं ये तभी पता चलेगा जब इस साल के लिए सीपीसी की लिस्ट आएगी। मई के आखिरी में या जून के पहले सप्ताह में इसके आने की उम्मीद है। लेकिन अमिरिकी कमीशन के यह सुझाव भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को कितना नुकसान पहुंचाते हैं, यह देखने वाली बात होगी।

2004 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब यूएससीआईआरएफ ने भारत को धार्मिक भेदभाव के लिए चिंताजनक स्थिति वाले देशों की सूची में शामिल करने का सुझावदिया है। 28 अप्रैल की रिपोर्ट में इस आयोग ने भारत समेत 14 देशों को सीपीसी लिस्ट में डालने का सुझाव दिया। इनमें 9 वे देश हैं जो पहले से ही इस लिस्ट में शामिल है- बर्मा, चीन, इरीट्रिया, ईरान, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान। अब इसमें 5 अन्य देश भारत, नाइजीरिया रूस, सीरिया और वियतनाम को भी शामिल करने का सुझाव है।

रिपोर्ट में भारत के लिए क्या कहा गया?
रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में भाजपा ने दोबारा सरकार में आने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी नीतियां बनाईं, जिनसे मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन हुआ। भारत सरकार ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा को छूट दी और खुद नेता लोग भड़काने वाले बयान देते रहे। रिपोर्ट में सीएए को मुस्लिम अधिकारों के हनन का सबसे बड़ा उदाहरण बताया गया। इसमें कहा गया कि भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने बाहर से आए प्रवासियों को दीमकबताया और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स को देशभर में लागू कर इन्हें बाहर निकालने की बात कही। लेकिन दूसरी ओर वे यह भी कहते रहे कि आसपास के 6 देशों से आए हिदू प्रवासियों को सीएए के द्वारा नागरिकता दी जाएगी, यानी बाहर निकलने वालों में केवल मुस्लिम होंगे।

संसद से नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद यानी 14 दिसंबर से लॉकडाउन होने तक (25 मार्च) तक शाहीन बाग में महिलाएं 24 घंटे धरने पर बैठी रहती थीं। देशभर में ऐसे कई शाहीन बाग बने हुए थे।

रिपोर्ट में सीएए के खिलाफ हुए प्रदर्शनों को दबाने के लिए पुलिस और सरकार से जुड़े समुहों को भी हिंसा करने वालों के साथ मिला हुआ बताया गया। रिपोर्ट में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वह बयान भी शामिल किया गया जिसमें उन्होंने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को बिरयानी के बदले बुलेट देने की बात कही थी। इन बयानों को उकसाने वाले बयान कहा गया। रिपोर्ट में झारखंड की मॉब लिंचिग की घटना का उल्लेख भी है, जिसमें तबरेज अंसारी नाम के शख्स को पीट-पीट कर मार डालने और उससे जयश्री राम के नारे बुलवाए गए थे।

जून 2019 में 24 साल के तबरेज अंसारी की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी।ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2015 से दिसंबर 2019 तक गौमांस खाने और बेचने की शंका के आधार पर 50 लोगों की हत्या हुई। ऐसे ही हमलों में 250 लोग घायल भी हुए।

रिपोर्टमें ईसाईयों पर भी पूरे साल में 328 हमलों का जिक्र है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए कानून के सख्ती से पालन का सुझाव दिया तो गृहमंत्री अमित शाह ने मौजूदा कानूनों को ही पर्याप्त बताया था। यहां तक कि गृहमंत्रालय के आदेश पर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के डेटा से भी लिंचिंग का डेटा हटवाने का आदेश दिया गया।

रिपोर्ट में फरवरी के आखिरी में दिल्ली में हुए दंगों का भी जिक्र है। इसमें कहा गया है कि तीन दिन तक चले दंगों को केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली दिल्ली पुलिस रोकने में असफल रही और इसमें 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई, इनमें ज्यादातर मुस्लिम थे।

दिल्ली हिंसा में मारे गए 31 साल के मोहम्मद मुदस्सिर के परिवार के लोग।इंडिया स्पेंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2009 से 2018 के बीच 9 साल में हुए हेट क्राइम की 90% घटनाएं नरेन्द्र मोदी सरकार में हुई। इनमें 86% मामलों में आरोपी हिंदू थे, जबकि 13% मामलों में हमला करने वाले लोग मुस्लिम समुदाय से थे।

यूएससीआरआईएफ ने भारत के संदर्भ में अमेरिकी सरकार को क्या सुझाव दिया?

  • अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी के नियमों के तहत भारत में अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों के उल्लंघन को देखते हुए देश को विशेष चिंताजनक स्थिति वाले देशों की सूची में डालें।

  • भारत सरकार की उन एजेंसियों और अधिकारियों को अमेरिका आने पर पर प्रतिबंध लगाएं जो धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन कर रही हैं। अमेरिका में इनकी संपत्तियों को भी जब्त करने का सुझाव दिया गया है।
  • भारत में अमेरिकी दूतावास और राजनयिक को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में धार्मिक समुदायों, स्थानीय प्रशासन और पुलिस से मिलने के लिए कहा जाए। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए भारत में कानून का पालन करवाने वाली संस्थाओं के साथ अमेरिका अपनी साझेदारी बढ़ाए।
  • मॉनिटरिंग और वार्निंग सिस्टम बनाने के लिए भारत में सिविल सोसाइटियों को फंड दें ताकि पुलिस की सहायता से भड़काऊ भाषण और उकसाने वाली घटनाओं को समय रहते रोका जा सके।


Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में लगे मरकज में हजारों जमाती इकट्ठा हुए थे। आधे से ज्यादा लॉकडाउन के पहले अपने-अपने घर लौट गए थे। बाकी दो हजार से ज्यादा लोगों को अप्रैल के शुरुआत में निकाला गया था। स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव लव अग्रवाल ने एक बयान में कहा था कि तबलीगी जमात के लोगों के देशभर के अलग-अलग हिस्सों में जाने की वजह से संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी हुई।

नेतन्याहू आज पांचवीं बार पीएम बनेंगे; गठबंधन सरकार के दोनों नेता भारत समर्थक May 13, 2020 at 02:26PM

कोरोनावायरस के संकट के बीच बेंजामिन नेतन्याहू एक बार फिर इजराइल केप्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों और तीन बार चुनावों में बहुमत न मिलने के बावजूद उन्होंने राजनीतिक गठजोड़ से पीएम पद पा लिया।इसके लिए उन्होंने अपने विपक्षी बेनी गांत्ज से हाथ मिलाया है।

बीबीसी से बातचीत में इजराइल के राजनीतिक विश्लेषक योहानन प्लेसनेर ने इस डील को 'लोकतांत्रिक युद्धविराम' बताया था। नेतन्याहू और प्रधानमंत्री मोदी की पर्सनल कैमिस्ट्री काफी मजबूत मानी जाती है। बेनी गांत्ज भी कई बार भारत को मजबूत लोकतंत्र और उभरती हुई ताकत करार दे चुके हैं।

नेतन्याहूलगातार चौथी बार प्रधानमंत्री

दोनों नेता कह रहे हैं कि कोरोना काल में देश को स्थिर सरकार की जरूरत है, लिहाजा गठबंधन जरूरी है। एक साल में तीन आम चुनाव हो चुके हैं। दो गठबंधन थे।नेतन्याहू की लिकुड पार्टी और गांत्ज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी में से किसी को भीबहुमत नहीं मिल पाया। अब दोनों मिलकर सरकार बना रहे हैं। नेतन्याहू पांचवीं बार देश की बागडोर संभालेंगे। हालांकि, उनका यह लगातार चौथा कार्यकाल होगा।

गठबंधन सरकार और शर्तें

  • नेतन्याहू और गांत्ज के बीच सरकार चलाने को लेकर 14 पेज का एग्रीमेंट साइन हुआ।
  • एग्रीमेंट के अनुसार- सरकार में दोनों पक्ष बारी-बारी से पद संभालेंगे।
  • पहले 18 महीने नेतन्याहू पीएम तोगांत्ज रक्षा मंत्री रहेंगे।
  • एग्रीमेंट में दोनों नेताओं को सत्ता हथियाने से रोकने की भी व्यवस्था की गई है।
  • नेतन्याहू कार्यकाल खत्म करने के बाद गठबंधन तोड़कर चुनाव नहीं करा सकते।
  • गांत्ज भी नेतन्याहू पर निचली अदालत में भ्रस्टाचार के आरोप सिद्ध होने के बाद उन्हें पद से नहीं हटा सकेंगे। उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना होगा।

नई सरकार के सामने क्या चुनौतियां?

  • इजराइल कोविड-19 से निपटने में तो काफी हद तक सफल रहा है। लेकिन, उसके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। एक अनुमान के मुताबिक देश के एक चौथाई कर्मचारी यानी 10 लाख से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए हैं।
  • नेतन्याहू ने चुनावमें वादा किया था कि वेस्ट बैंक के उन इलाकों का विलय करेगें, जहां यहूदी बस्तियां बसाई गईं हैं। गठबंधन सरकार में भी इस पर सहमति बनी है। एक जुलाई से विलय शुरू होगा। इसके चलते फिलिस्तीन से संघर्ष बढ़ेगा। अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक भी यह विलय गैरकानूनी है।
  • नेतन्याहू के दौर में राष्ट्रवादी पार्टियों का सत्ता में दबदबा था। बेनी उदारवादी माने जाते हैं। ऐसे में गठबंधन सरकार में भविष्य की नीतियों पर कई तरह के विवाद होने की आशंका है।

बेनी गांत्ज को जानिए
गांत्ज पूर्व सेना प्रमुख हैं। नेतन्याहू को हराने के लिए उन्होंने दक्षिणपंथी और लिबरल दोनों नीतियों का सहारा लिया। चुनावों के दौरान वे नेतन्याहू पर लगे भष्टाचार के आरोप उठाते रहे। ये भी वादा किया कि वो नेतन्याहू के साथ सरकार नहीं बनाएंगे। अब ये वादा देशहित के नाम पर तोड़ दिया गया है। बेनी कहते हैं- कोरोना काल में देश को स्थिर सरकार की जरूरत है।

इजराइल की नीतियों में बदलाव मुमकिन
इजराइली अखबार हारेट्ज के मुताबिक, इजराइल की राजनीति अभी तक धार्मिक और राष्ट्रवाद पर टिकी थी। नई सरकार में लिकुड पार्टी के गठबंधन वाली दक्षिण पंथी और रूढ़िवादी पार्टियों को जगह नहीं मिली है। इससे देश की नीतियों में इनका प्रतिनिधित्व कम होगा। वहीं, बेनी लिबरल खेमे से आते हैं। ऐसे में उनके सत्ता में साझीदार बनने से इजराइल की राजनीति में बड़े बदलाव संभव हैं।

भारत से संबंध
प्रधानमंत्री मोदी और नेतन्याहू ने एक-दूसरे के देशों के दौरे करके करीबी संबंध स्थापित किए हैं। नेतन्याहू ने अपने चुनाव प्रचार में मोदी और ट्रम्प के पोस्टरों का भी इस्तेमाल किया था। मोदी ने फिलिस्तीन के साथ अपने संबंधों को संतुलित करते हुए इजराइल के साथ भारत के संबंधों को और अधिक पारदर्शी बनाया है। व्यापार, निवेश, आईटी, हाई टेक्नोलॉजी और डिफेंस सेक्टर में द्विपक्षीय संबंध से दोनों देशों को लाभ हुआ है।

इजराइल भारत का तीसरा सबसे बड़ा डिफेंस पार्टनर है। किसी भी नई सरकार से इन संबंधों के प्रभावित होने की संभावना नहीं है। गांत्ज की भी छवि भारत समर्थक के रूप मे है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Israel Latest News; ‌‌Benjamin Netanyahu will be PM for the fifth time today

WHO chief "shocked and appalled" by Afghan clinic attack May 13, 2020 at 05:51AM

WHO chief Tedros Adhanom Ghebreyesus said on Wednesday he was "shocked and appalled" by an attack on a maternity clinic run by the international humanitarian organisation Médecins Sans Frontières in Afghanistan. Gunmen dressed in police uniforms on Tuesday stormed the Kabul hospital that housed the clinic, killing 16 people including two newborn babies.

Trump's surprising target in war on media: Voice of America May 13, 2020 at 06:19AM

President Donald Trump' has had many targets in his war against the media, but perhaps none is more surprising than the Voice of America, the venerable U.S.-funded institution created during World War II to broadcast independent news and promote American values to the world.

18 महीने के लिए कल गठबंधन सरकार के पीएम बनेंगे नेतन्याहू; अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो शपथ ग्रहण में मौजूद रहेंगे May 13, 2020 at 02:23AM

इजराइल में गुरुवार को मिलीजुलीसरकार का गठन होना है। इस गठबंधन सरकार में नेतन्याहू 18 महीने के लिए प्रधानमंत्री बनेंगे। इसके बाद यह पद बेनी गांत्ज को मिलेगा। शपथ ग्रहण के कार्यक्रम में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भी मौजूद रहेंगे।
पोम्पियो बुधवार को इजराइल पहुंच गए हैं। पोम्पियो इस दौरान वेस्ट बैंक में बसाई गई यहूदी बस्तियों को इजराइल में मिलाने पर भी चर्चा करेंगे। कोरोना महामारी के इस दौर में पोम्पियो की इस यात्रा में ईरान के साथ पॉलिटिकल टेंशन पर भी चर्चा होगी।
इफी न्यूज ने बताया कि बुधवार को माइक पोम्पियो एक छोटे से दल के साथ इजराइल पहुंचे। इस दौरान वह अमेरिका के झंडे का मास्क पहने हुए थे। वह यरूशलम में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और बेनी गांत्जसे मिलने पहुंचे। नेतन्याहू और गांत्ज दोनों मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं। अमेरिकी गृह मंत्रालय ने कहा है कि पोम्पियो की इस यात्रा में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई और क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर भी दोनों देशो की बीच चर्चा होगी।

बेनी गांत्ज ने स्पीकर पद से दिया इस्तीफा
इजरायल की संसद स्पीकर और विपक्ष के नेता बेनी गांत्ज ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इजरायल के पूर्व सैन्य प्रमुख गांत्ज ने यह कदम नेतन्याहू के साथ नई गठबंधन सरकार बनाने के ठीक पहले उठाया है। इस सरकार की अगुवाई नेतन्याहू की लिकुड पार्टी और गांत्ज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी करेगी।

इजराइल में एक साल में तीन बार चुनाव हो चुके हैं।
इजराइल में एक साल के भीतर तीन बार आम चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में न तो नेतन्याहू की लिकुड पार्टी के गठबंधन और न ही बेनी गांत्ज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के गठबंधन को बहुमत मिला है। अब बेंजामिन नेतन्याहू और उनके विपक्षी बेनी गांत्ज में मिलीजुली सरकार बनाने को लेकर सहमति बन गई है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
इजराइल में बेंजामिन नेतन्याहू और उनके विपक्षी बेनी गांत्ज मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं। इस मौके पर शामिल होने अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भी पहुंचे हैं।

Germany aims to lift border virus controls by mid-June: Minister May 13, 2020 at 01:51AM

Tesla's California fight heats up competition for jobs May 13, 2020 at 12:59AM

Tesla Inc Chief Executive Elon Musk's fight with local authorities over the reopening of its California plant has gotten the attention of those who scout sites for new factories and corporate offices, as well as economic development officials hungry for more jobs.

पीओके के प्रधानमंत्री राजा फारूक हैदर ने इमरान से कहा- अपने भाई-बहनों की रक्षा करना आपकी ड्यूटी, सेना को भारत पर हमला करने का आदेश दें May 12, 2020 at 10:40PM

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर(पीओके) के प्रधानमंत्री राजा फारूक हैदर ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से भारत पर हमला करने के लिए कहा है। हैदर ने नियंत्रण रेखा के पास स्थित गांवों में कोरोना का जायजा लेने के बाद यह बात कही। उन्होंने कहा,‘‘प्रधानमंत्री इमरान खान को अब कड़े कदम उठाने चाहिए। केवल जुबानी बयानबाजी काम नहीं करेगी। आपको आगे आना चाहिए और अपनी सेना को भारत पर हमला करने के लिए कहना चाहिए।’’
हैदर ने कहा कि यह प्रधानमंत्री की ड्यूटी है कि वे अपने भाई-बहनों की रक्षा करें। भारत पीओके के बारे में मौसम पूर्वानुमान जारी कर रहा है। हमें अब दिल्ली का मौसम अपडेट जारी करना चाहिए।

आईएमडी 8 मई से पीओके की मौसम भविष्यवाणी कर रहा
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) 8 मई से पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के इलाकों का पूर्वानुमान जारी कर रहा है। इसने गिलगित, बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद के लिए मौसम की भविष्यवाणियां शुरू की है। आईएमडी का यह कदम भारत के इस स्टैंड के मद्देनजर अहम है कि पीओके भारत का हिस्सा है। इससे पाकिस्तान खासा नाराज है। इसके जवाब में 10 मई को पाकिस्तान रेडियो ने लद्दाख, पुलवामा, जम्मू के मौसम की भविष्यवाणियां की। हालांकि, इसमें गलत जानकारी देने के बाद इसकी सोशल मीडिया पर जमकर खिंचाई हुई

हैदर पहले भी भारत के बारे में विवादित टिप्पणी कर चुके हैं
यह पहली बार नहीं है जब फारूक ने भारत के बारे में ऐसा विवादित बयान दिया है। कुछ महीने पहले फारूक ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में हथियारों के साथ संघर्ष (आतंकी गतिविधियां) जारी रहनी चाहिए। पाकिस्तान सरकार की मौजूदा नीतियों से कश्मीर 700 साल में भी आजाद नहीं होगा। कश्मीर को आजाद करवाने के लिए पाकिस्तान को नई नीति बनानी चाहिए। भारत अपने आप को अंग्रेजों का उत्तराधिकारी समझ रहा है। यह ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह विस्तारवादी नीति अपना रहा है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
पीओके के प्रधानमंत्री राजा फारूक हैदर ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भारत पर हमला करने की सलाह दी। वे भारत की ओर से पीओके का मौसम पूर्वानुमान जारी करने से नाराज थे।(फाइल फोटो)

बदल रहा है 'वर्क कल्चर', ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी के ऐलान के बाद कर्मचारी अब लाइफटाइम कर सकेंगे 'घर से काम' May 12, 2020 at 09:29PM

कोविड-19 के प्रकोप के कारण दुनियाभर के कई देशों में लॉकडाउन जारी है। ज्यादातर निजी संस्थान, मल्टीनेशनल कंपनियों के कर्मचारी इन दिनों घर से ही काम कर रहे हैं। इस दौरान वर्क फ्राॅम होम का चलन कुछ कंपनियों को इतना पंसद आ रहा है कि आने वाले दिनों में वे इसे हमेशा के लिए अपना सकते हैं। सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर ने इसकी शुरूआत कर दी है। कंपनी के सीईओ जैक डोर्सी ने कहा कि उनके कर्मचारी जबतक चाहें वर्क फ्रॉम होम कर सकते हैं।

कार्यालय से काम करने के लिए कर्मचारियों को बरतनी होगी 'विशेष सावधानियां'
BuzzFeed की खबर के मुताबिक, ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी ने मंगलवार को अपने कर्मचारियों को ई-मेल के जरिए कहा कि महामारी खत्म होने के बाद जो कर्मचारी घर से काम करना चाहते हैं उन्हें घर से काम करने की अनुमति दी जा रही है। वे जब तक चाहें घर से काम कर सकेंगे, उन्हें एक सामान्य कामकाजी दिन की तरह ही भुगतान किया जाएगा। साथ ही कंपनी ने यह भी कहा कि अगर कोई कर्मचारी कार्यालय आना चाहता है तो उसका स्वागत होगा, लेकिन उन्हें कोरोनावायरस प्रकोप को देखते हुए कुछ विशेष सावधानियां बरतनी होगी।

कंपनी ने कहा- सितंबर से पहले नहीं खोल सकते हैं ऑफिस

सीइओ डोर्सी ने कहा कि महामारी को देखते हुए सितंबर से पहले हम ट्विटर ऑफिस को कर्मचारियों के लिए नहीं खोल सकते हैं। इसके अलावा हमने इस साल दिसंबर तक सभी इवेंट को कैंसल कर दिया है। इस दौरान कोई भी बिजनेस यात्रा नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम इस साल के अंत में 2021 में होने वाले इवेंट्स के बारे में प्लानिंग करेंगे।

लगभग 5,000 कर्मचारियों के लिए खुला 'वर्क फ्रॉम होम' का विकल्प

बता दें कि ट्विटर का मुख्य कार्यालय सैन फ्रान्सिको, कैलिफोर्निया में है। सैन फ्रान्सिको के अलावा अटलांटा, न्यूयाॅर्क, लॉस एजेंल्स और अमेरिका के कई शहरों में भी ट्विटर के दफ्तर हैं। दुनिया भर के 20 देशों में ट्विटर के कुल 35 कार्यालय हैं। दिसंबर 2019 तक कंपनी में कुल स्थायी कर्मचारियों की संख्या 4,900 हैं। कंपनी के लगभग 5 हजार कर्मचारी अब जिन्दगीभर घर में बैठ कर काम कर सकेंगे।

गूगल और फेसबुक के कर्मचारी दिसंबर तक करेंगे वर्क फ्रॉम होम

गूगल ने पहले कहा था कि उसकी वर्क फ्रॉम होम पॉलिसी 1 जून तक लागू रहेगी, लेकिन इसने अब इसमें सात महीने का इजाफा करने का फैसला किया है। वहीं, फेसबुक ने कहा है कि इसके दफ्तर 6 जुलाई को खुल जाएंगे लेकिन कर्मचारी दिसंबर के आखिर तक वर्क फ्रॉम होम करते रहेंगे।

कंपनी के इस ऐलान से कर्मचारियों को होंगे कई फायदे-

  • आमतौर पर कर्मचारियों को वर्क लाइफ और पर्सनल लाइफ के बीच सामांज्स बैठाने में दिक्कतें होती हैं। लेकिन लाइफटाइम वर्क फ्राॅम होम के चलते अब यह आसान हो जाएगा। कर्मचारी घर के कामों के साथ दफ्तर का काम भी आसानी से कर सकेंगे।
  • घर से काम करने में कंपनियों के लेकर कर्मचारियों तक को फायदा होगा। कर्मचारियों को दफ्तर में मिलने वालीं सुविधाओं, पानी, बिजली बिल, किराए समेत कंपनी के अतिरिक्त खर्च बचेंगे। वहीं, कर्मचारियों के दफ्तर पहुंचने से लेकर अन्य एक्टिविटीज पर होने वाले खर्च के पैसे बचेंगे।
  • एक स्टडी के मुताबिक, दफ्तर के मुकाबले कर्मचारी घर से ज्यादा बेहतर काम करते हैं। दफ्तर में कर्मचारी ब्रेक ज्यादा लेते हैं। वहीं, वर्क फ्राॅम होम में महीने में 1.4 दिन ज्यादा काम कर रहे हैं। प्रोडक्टिविटी भी बढ़ी है।


Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
सीइओ डोर्सी ने कहा कि महामारी को देखते हुए सितंबर से पहले हम ट्विटर ऑफिस को कर्मचारियों के लिए नहीं खोल सकते हैं

भारत में 40 साल में पहली बार कार्बन उत्सर्जन कम; लॉकडाउन में बीजली की खपत और जीवाश्म ईंधन की मांग भी गिरी May 12, 2020 at 09:03PM

भारत में कार्बन उत्सर्जन 40 साल में पहली बार कम हुआ है। यह कमी केवल कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण नहीं हुई है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) के रिसर्चर्स ने मंगलवार को बताया कि लॉकडाउन लागू होने से बिजली की खपत में भी कमी आई है। साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ने से जीवाश्म ईंधन की मांग भी कम हुई है।

रिसर्चर्स के मुताबिक, इसने भारत में कार्बन उत्सर्जन के 37 साल के ट्रेंड को पलट कर रख दिया है। 2019 की शुरुआत से ही भारत में थर्मल पॉवर की मांग में कमी आई है। देश में मार्च में कार्बन उत्सर्जन 15% कम हुआ, जबकि अप्रैल में 30% तक कम होने की संभावना जताई जा रही है।

कोयले से होने वाले बीजली उत्पादन में कमी

शोधकर्ताओं का कहना है कि लॉकडाउन के बाद भारत में बीजली के इस्तेमाल में कमी आई है। इस कारण कोयले की जरूरत भी कम हुई है। कोयले से होने वाला बिजली उत्पादन मार्च में 15% और अप्रैल के तीन हफ्तों में 31% तक कम हुआ है। वहीं, नवीनीकरणीय ऊर्जा की मांग मार्च में 6.4% बढ़ा और अप्रैल में 1.4 % कम हुआ।

सीआरईए के शोधकर्ताओं का कहना है कि कोयले की मांग लॉकडाउन से पहले ही कम होने लगी थी। इस साल मार्च में खत्म होने वाले वित्तीय वर्ष के दौरान कोयले की बिक्री 2% कम हुई। तब से अब तक इसमें 10% की गिरावट आई है। वहीं, आयात 27.5% कम हुआ है।

दुनियाभर में कोयले की खपत में 8% की कमी

इंटरनेशनल इनर्जी एजेंसी की ओर से अप्रैल में जारी आंकड़ों के मुताबिक, दुनियाभर में कोयले की खपत में 8% की कमी आई है। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि जीवाश्म ईंधन की खपत में कमी हमेशा नहीं बनी रहेगी। लॉकडाउन हटने के बाद थर्मल पॉवर की खपत और कार्बन उत्सर्जन में भी वृद्धि होगी।

देश में तेल की खपत में कमी नजर आ रही है। मार्च में पिछले साल की तुलना में तेल की खपत में 18% गिरावट आई है। वित्त वर्ष के दौरान खपत केवल 2% बढ़ी, जो 22 साल में सबसे धीमी वृद्धि रही। इस दौरान कच्चे तेल का उत्पादन भी 5.9% और रिफाइनरी का उत्पादन 1.1% गिर गया है।

पहले भी कार्बन उत्सर्जन में मामूली गिरावट हुई

कोयला, तेल और गैस की खपत के आंकड़ों के आधार पर शोधकर्ताओं का अनुमान है कि कार्बन उत्सर्जन 30 मीट्रिक टन तक गिर गया है। भारत में 1970, 1974, 1980 और 1984 में भी गिरावट देखी गई थी। लेकिन इस साल की कमी की तुलना में वह न्यूनतम थी।

हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि देश फिर से खुलने के बाद पर्यावरण के इन सुधारों को बनाए रखने में सक्षम होगा या नहीं। अमेरिका ने भी महामारी के दौरान पर्यावरण नियमों में ढील दी है। ऐसी आशंकाएं हैं कि अन्य देश भी ऐसा कर सकते हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
नई दिल्ली स्थित इंडिया गेट। लॉकडाउन के दौरान वायु प्रदूषण में काफी कमी आई है। (फाइल फोटो)

5.3-magnitude earthquake hits Nepal May 12, 2020 at 08:42PM

A moderate earthquake of 5.3-magnitude rocked central Nepal late last night, sending panic-stricken people out of their homes and bringing back awful memories of the devastating quake of 2015 that killed over 9,000 people in the Himalayan nation. The earthquake struck at 11.53 pm on Tuesday with its epicenter located in Dolakha district, 180 kilometres east of Kathmandu, according to National Seismological Centre.