Wednesday, May 13, 2020

भारत में 40 साल में पहली बार कार्बन उत्सर्जन कम; लॉकडाउन में बीजली की खपत और जीवाश्म ईंधन की मांग भी गिरी May 12, 2020 at 09:03PM

भारत में कार्बन उत्सर्जन 40 साल में पहली बार कम हुआ है। यह कमी केवल कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण नहीं हुई है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) के रिसर्चर्स ने मंगलवार को बताया कि लॉकडाउन लागू होने से बिजली की खपत में भी कमी आई है। साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ने से जीवाश्म ईंधन की मांग भी कम हुई है।

रिसर्चर्स के मुताबिक, इसने भारत में कार्बन उत्सर्जन के 37 साल के ट्रेंड को पलट कर रख दिया है। 2019 की शुरुआत से ही भारत में थर्मल पॉवर की मांग में कमी आई है। देश में मार्च में कार्बन उत्सर्जन 15% कम हुआ, जबकि अप्रैल में 30% तक कम होने की संभावना जताई जा रही है।

कोयले से होने वाले बीजली उत्पादन में कमी

शोधकर्ताओं का कहना है कि लॉकडाउन के बाद भारत में बीजली के इस्तेमाल में कमी आई है। इस कारण कोयले की जरूरत भी कम हुई है। कोयले से होने वाला बिजली उत्पादन मार्च में 15% और अप्रैल के तीन हफ्तों में 31% तक कम हुआ है। वहीं, नवीनीकरणीय ऊर्जा की मांग मार्च में 6.4% बढ़ा और अप्रैल में 1.4 % कम हुआ।

सीआरईए के शोधकर्ताओं का कहना है कि कोयले की मांग लॉकडाउन से पहले ही कम होने लगी थी। इस साल मार्च में खत्म होने वाले वित्तीय वर्ष के दौरान कोयले की बिक्री 2% कम हुई। तब से अब तक इसमें 10% की गिरावट आई है। वहीं, आयात 27.5% कम हुआ है।

दुनियाभर में कोयले की खपत में 8% की कमी

इंटरनेशनल इनर्जी एजेंसी की ओर से अप्रैल में जारी आंकड़ों के मुताबिक, दुनियाभर में कोयले की खपत में 8% की कमी आई है। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि जीवाश्म ईंधन की खपत में कमी हमेशा नहीं बनी रहेगी। लॉकडाउन हटने के बाद थर्मल पॉवर की खपत और कार्बन उत्सर्जन में भी वृद्धि होगी।

देश में तेल की खपत में कमी नजर आ रही है। मार्च में पिछले साल की तुलना में तेल की खपत में 18% गिरावट आई है। वित्त वर्ष के दौरान खपत केवल 2% बढ़ी, जो 22 साल में सबसे धीमी वृद्धि रही। इस दौरान कच्चे तेल का उत्पादन भी 5.9% और रिफाइनरी का उत्पादन 1.1% गिर गया है।

पहले भी कार्बन उत्सर्जन में मामूली गिरावट हुई

कोयला, तेल और गैस की खपत के आंकड़ों के आधार पर शोधकर्ताओं का अनुमान है कि कार्बन उत्सर्जन 30 मीट्रिक टन तक गिर गया है। भारत में 1970, 1974, 1980 और 1984 में भी गिरावट देखी गई थी। लेकिन इस साल की कमी की तुलना में वह न्यूनतम थी।

हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि देश फिर से खुलने के बाद पर्यावरण के इन सुधारों को बनाए रखने में सक्षम होगा या नहीं। अमेरिका ने भी महामारी के दौरान पर्यावरण नियमों में ढील दी है। ऐसी आशंकाएं हैं कि अन्य देश भी ऐसा कर सकते हैं।



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नई दिल्ली स्थित इंडिया गेट। लॉकडाउन के दौरान वायु प्रदूषण में काफी कमी आई है। (फाइल फोटो)

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