Monday, January 13, 2020

पेंसाकोला नौसेना बेस पर हुए हमले की जांच के बाद सऊदी के 21 पायलट वापस भेजे जाएंगे January 13, 2020 at 06:52PM

वॉशिंगटन. अमेरिका के न्याय विभाग ने सोमवार को सऊदी के 21 प्रशिक्षु पायलटों को वापस भेज दिया है। कुछ दिनों पहले सऊदी के एक पायलट ने सैन्यबेस पर गोलीबारी की थी, जिसमें तीन नाविकों की मौत हो गई थी। इस घटना की जांच के बाद यह फैसला लिया गया।

अटाॅर्नी जनरल विलियम बार ने सोमवार को पत्रकारों से कहा कि अमेरिका ने यह कदम छह दिसंबर को फ्लोरिडा राज्य के अमेरिकी नौ सैनिक अड्डे पर हुई गोलीबारी की घटना के बाद उठाया है। इसमें सऊदी अरब की वायुसेना के एक सदस्य ने तीन अमेरिकी नाविकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी जबकि आठ अधिकारी घायल हो गए थे।

पायलटों के फोन में अश्लील सामग्री थी: अटॉर्नी जनरल

बार ने कहा- निष्कासित किए गए 21 प्रशिक्षु पायलट में किसी का संबंध गोलीबारी की घटना से नहीं है। बल्कि इनके सोशल मीडिया पोस्ट से यह पता चला है कि ये सभी इस्लामिक आतंकवाद के प्रति सहानुभूति रखते थे। जांच में पाया गया कि 21 में से 17 पायलटों के सोशल मीडिया पर जिहादी या अमेरिकी विरोधी कंटेट थे। उनके मोबाइल फोन और कंप्यूटर में अश्लील सामग्री थी।

‘सऊदी के 800 से ज्यादा प्रशिक्षु पायलटों की भूमिका की जांच की गई’

गोलीबारी की इस घटना के बाद अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने सऊदी अरब के 800 से ज्यादा प्रशिक्षु पायलटों की भूमिका की जांच की गई। उन्होंने कहा कि 15 लोगों (17 लोगों में शामिल) का संपर्क ‘चाइल्ड पॉर्नोग्राफी’ से था। इनमें से एक युवक के पास इस तरह के कई फोटो थे। सूत्रों के अनुसार, निष्कासित सऊदी अधिकारियों पर हमले का आरोपी अलशामरानी की योजना में शामिल होने का आरोप नहीं है। लेकिन वे अन्य चरमपंथी गतिविधियों से जुड़े हैं।

‘शूटर जिहादी विचारधारा से प्रेरित था’

बारने कहा कि जांच में मिले सबूतों से पता चलता है कि शूटर जिहादी विचारधारा से प्रेरित था। क्योंकि उसने पिछले साल 11 सितंबर को सोशल मीडिया पर एक संदेश पोस्ट किया था, जिसमें कहा गया था- उलटी गिनती शुरू हो गई है। उसने नौसेना बेस पर हमला करने से 2 घंटे पहले सोशल मीडिया पर अमेरिकी और इजरायल के विरोध में मैसेज भी किए थे।शूटर सऊदी एयरफोर्स का सदस्य था और बेस पर ट्रेनिंग कर रहा था। सऊदी के सैनिक 1970 से पेंसकोला सैन्य बेस पर प्रशिक्षण ले रहे हैं।



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फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डीसेंटिस। -फाइल

फिलीपींस के व्यक्ति ने वीडियो गेम खेलकर एक महीने में 9 किलो वजन कम किया January 13, 2020 at 05:59PM

मनीला.फिलीपींस में रहने वाले एक लड़के ने दावा किया है कि वीडियो गेम खेलने से उसका वजन एक महीने में 9 किलो (20 पाउंड) तक कम हुआ है। ग्राफिक आर्टिस्ट मिगुई गेब्रिएल ने फेसबुक पर अपनी वीडियो गेम खेलने से पहले और एक महीने बाद वाली तस्वीर भी पोस्ट की है,जिससे साफ जाहिर है कि उसका वजन वाकई कम हुआ है।

मिगुई की मानें तो निनटेंडो की नई वीडियो गेम रिंग फिट एडवेंचर से वह अपना वजन घटाने में सफल रहा है। दरअसल, यह गेम इस तरह डिजाइन की गई है कि इसे खेलते वक्त प्लेयर घंटों एक जगह बैठे रहने की बजाय इधर-घूमता है और घूमने के वक्त भी उसे ऐसे स्टेप्स दिए जाते हैं, जिससे उसकी एक्सरसाइज भी हो जाती है और इसका फायदा मिगुई को मिला है।

गेम खेलते हुए एक्टिविटी के साथ-साथ एक्शन करता रहता है यूजर

  • मिगुई इससे पहले कई बार वजन कम करने की कोशिश कर चुका था मगर सफलता नहीं मिली। इस बार जब गेम खेलते हुए एक्सरसाइज होती गई तो उसने भी शाम सात बजे के बाद खाना खाना बंद कर दिया और डाइट से कार्बोहाइड्रेट्स कम कर दिए।
  • मिगुई ने बताया, मैंने इससे पहले वजन कम करने के लिए साइकिलिंग से लेकर कई एक्सरसाइज कीं, लेकिन कुछ फर्क नहीं पड़ा। आखिरकार एक दिन रिंग फिट एडवेंचर गेम की एड देखी और सोचा कि क्यों न इसे ट्राई किया जाएगा। मैंने गेम ली और यह काम कर गया। अगर इस गेम को खेलने के साथ आप डाइट पर कंट्रोल रखें तो यकीनन वजम कम कर पाएंगे। मैंने तो सिर्फ दिन में 25 मिनट यह गेम खेलने और डाइट में बदलाव करने से वजन कम किया है। पहले मेरा वजन 78 किलो था और अब 69 किलो है जो मेरे कद के हिसाब से बिल्कुल ठीक है। हालांकि, यह गेम थोड़ी महंगी है लेकिन फिर भी अच्छी डील है।
  • रिंग फिट एडवेंचर निनटेंडो की एक्सरसाइज एक्शन गेम है,जिसमें यूजर को एक रिंग कॉन और लेग स्ट्रेप दिया जाता है। रिंग कॉन प्लास्टिक का एक बड़ा लचीला रिंग होता है, जिसे यूजर पकड़कर गेम खेलता है जबकि लेग स्ट्रेप एक फेब्रिक का टुकड़ा है जिसे उसकी टांग के साथ फिक्स किया जाता है। जैसे जैसे वीडियो गेम में एक्टिविटी बताई जाती है, वैसे-वैसे यूजर एक्शन करते हुए एक्सरसाइज करता है और गेम पूरी होती है।


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ग्राफिक आर्टिस्ट मिगुई गेब्रिएल।

भारतीय लड़की का गुम हो गया था पर्स, पाक ड्राइवर ने लौटाया January 13, 2020 at 05:46PM

दुबई.यहां के एक पाकिस्तानी ड्राइवर ने भारतीय लड़की का खोया पर्स लौटाया है। दरअसल, रैशेल रोज छुट्टियां मनाने दुबई गई थीं। इस दौरान रैशेल का पर्स 4 जनवरी को मोदासर खादिम की टैक्सी में छूट गया। 8 जनवरी को यहां से वह मैनचेस्टर निकल गईं।

खादिम ने बताया कि रैशेल के बाद में अन्य सवारियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाया तो कार में पर्स दिखा। मैंने सवारियों से पूछा कि क्या यह वॉलेट उनका है। इस पर उन्होंने मना कर दिया। फिर पर्स खोलकर देखा। उसमें रैशेल के यूके निवास परमिट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, स्वास्थ्य बीमा कार्ड, क्रेडिट कार्ड और करीब एक हजार दिरहम थे। इसके बाद मैंने रोड्स एंड ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की मदद से पर्स को लड़की के घर पहुंचाया।



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रैशेल रोज ।

US sends home 21 Saudis as probe finds Florida shooting was 'terrorism' January 13, 2020 at 05:28PM

The US sent home 21 Saudi military students following an investigation into a deadly shooting last month by one of their fellow trainees at the Pensacola Naval Air Station, an attack that Attorney General William Barr said was an act of terrorism driven by some of the same motivations of the September 11 plot.

नडेला ने कहा- भारत में जो हो रहा वह दुखद, खुशी होती अगर एक दिन बांग्लादेशी अप्रवासी इंफोसिस का सीईओ बनता January 13, 2020 at 04:29PM

वॉशिंगटन. अमेरिका की टेक जाइंट कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला ने नागरिकता संशोधन कानून पर अपनी राय रखी है। उन्होंने कानून को लेकर देशभर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों को बुरा और दुखद कहा है। बजफीड के एडिटर बेन स्मिथ ने सोमवार को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। स्मिथ ने बताया कि जब उन्होंने नडेला से भारत के नए नागरिकता कानून पर राय पूछी, तो माइक्रोसॉफ्ट सीईओ ने कहा- “मुझे लगता है भारत में इस पर जो भी हो रहा है, वो बुरा है, मुझे खुशी होगी अगर कोई बांग्लादेशी अप्रवासी भारत में आकर यहां की अगली बड़ी कंपनी खोलता है या इंफोसिस जैसी कंपनी का अगला सीईओ बनता है।”

स्मिथ ने एक और ट्वीट में कहा- “नडेला ने अपनी राय मैनहैटन में माइक्रोसॉफ्ट के कार्यक्रम में एडिटर्स से बातचीत के दौरान रखी। नडेला अमेरिका में भारतीय मूल के दो बड़े टेक लीडर्स में से हैं। उनके अलावा भारत के ही सुंदर पिचई गूगल को हेड कर रहे हैं।”



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सत्या नडेला। (फाइल फोटो)

जनरल सुलेमानी की खाड़ी देशों में कट्टरपंथियों को रोकने में अहम भूमिका, अमेरिका ने अलकायदा-आईएस को खड़ा किया January 13, 2020 at 03:50PM

इंटरनेशनल डेस्क. अमेरिका ने इराक में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी को 3 जनवरी को मार गिराया। इसके बाद ईरान ने इराक स्थित अमेरिकी सैन्य बेसों पर हमला किया। इसके बाद से दोनों देशों में तनाव है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका हमेशा से नाराजगी जताता रहा है। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी एटमी कार्यक्रम जारी रखने की बात कह चुके हैं। ईरान-अमेरिका संबंध, ईरान के खाड़ी देशों के रिश्ते पर कीर्तिवर्धन मिश्र ने तेहरान यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और अमेरिकी मामलों के जानकार मोहम्मद मरांडी से बात की।


सवाल: मीडिया रिपोर्ट्स में हमने देखा कि अब तक जनरल सुलेमानी का किरदार काफी नकारात्मक तौर पर पेश किया। उनकी छवि ऐसी गढ़ी गई, जैसे वे कई लोगों के हत्यारे रहे हों?
मरांडी: पश्चिमी मीडिया हमेशा से अपनी सरकारों के लिए ही काम करता रहा है। अंदरूनी मामलों में वह कोई भी पक्ष ले, लेकिन विदेश संबंधों के मामले में वे जाहिर तौर पर देश की सरकार के पक्ष में ही बात करते हैं। अमेरिका और सऊदी ने अफगानिस्तान में अलकायदा को जन्म दिया। उन्होंने सीरिया में हित साधने के लिए असद सरकार के खिलाफ अलकायदा और आईएस को खड़ा करने में मदद की। पहले उन्होंने सद्दाम हुसैन को रासायनिक हथियार दिए। फिर सद्दाम पर इन हथियारों को अपनी ही जनता के खिलाफ इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। इराक पर हमले के साथ इतने सालों में उसे तबाह कर दिया। इन सालों में अमेरिका खुफिया एजेंसी सीआईए ने स्थानीय एजेंसियों (सऊदी अरब) के साथ मिलकर सीरिया और इराक में कट्टरवाद को बढ़ावा दिया। 2012 की अमेरिकी डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (डीआईए) की रिपोर्ट से पता चलता है कि सीरिया में जो आतंकी संगठन थे, वे सभी वहाबी विचारधारा वाले कट्टरपंथी थे और सऊदी अरब-यूएई के साथ अमेरिका उनका समर्थन कर रहा था। संगठनों का मकसद था कि वे सीरिया-इराक के बीच एक ऐसा राज्य (सलाफी स्टेट) बना लें, जहां कट्टर इस्लामिक कानून लागू होते हों। डीआईए के तत्कालीन प्रमुख जनरल माइकल फ्लिन ने कुछ समय बाद खुलासा किया था कि अमेरिका ने पश्चिमी एशिया में अपने साथियों (सऊदी अरब, कतर और यूएई) के लिए इन कट्टरपंथियों का समर्थन करने का फैसला किया। विकिलीक्स ने हिलेरी क्लिंटन के ईमेल से खुलासा किया था कि उन्होंने 2014 में विदेश मंत्री रहते हुए कहा था कि सऊदी अरब और कतर आईएस को समर्थन कर रहे हैं। इसी तरह तत्कालीन उपराष्ट्रपति जो बिडेन के 2014 में हार्वर्ड में दिए गए भाषणों से भी हमें यही जानकारी मिलती है।

‘‘जनरल सुलेमानी ने कट्टरपंथियों को सीरिया में असद सरकार को नुकसान पहुंचाने और आईएस को इराक पर कब्जा करने से रोका। सुलेमानी को इराक में बगदाद और कुर्द बहुल इलाकों को आईएस से बचाने के लिए भेजा गया। यहीं से जनरल सुलेमानी की भूमिका साफ होती है। जहां अमेरिका ने अलकायदा और आईएस के खड़े होने में भूमिका निभाई और अफगानिस्तान, सीरिया और इराक को तबाह किया, वहीं सुलेमानी ने ईरान को सद्दाम के हमले से बचाया। उन्होंने कट्टरपंथियों को सीरिया और इराक पर कब्जा करने से रोका। उन्होंने लेबनान की इजराइल से जमीन वापस पाने में मदद की। इसके अलावा उन्होंने गाजा में भी फिलिस्तीनियों को अपनी रक्षा करना सिखाया। जाहिर है कि अमेरिका के खिलाफ इतने कदम उठाने वाला व्यक्ति उसका और उसके साथियों (इजराइल और सऊदी) का दुश्मन ही होगा। इसलिए अमेरिका ने सुलेमानी की पूरी दुनिया में खराब छवि गढ़ने की कोशिश की। ईरान, इराक, सीरिया, लेबनान, फिलिस्तीन और यमन के लोगों के लिए वे हीरो हैं।’’

सवाल: ट्रम्प ने हाल ही में कहा था कि रेवोल्यूशनरी गार्ड्स ने भारत से लेकर लंदन तक पर हमले की साजिश रची थी? उनका यह बयान क्या दर्शाता है?
मरांडी: डोनाल्ड ट्रम्प वे आदमी हैं, जिनका हर दूसरा दावा झूठा होता है। ट्रम्प ने तो सुलेमानी के इराक दौरे के बारे में भी झूठ बोला था। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि सुलेमानी इराक में अमेरिकी ठिकानों और राजनयिकों पर हमला करने पहुंचे थे। जबकि इराक के राष्ट्रपति आदिल अब्दुल महदी संसद में कह चुके हैं कि सुलेमानी उनसे मिलने आए थे। सुलेमानी सऊदी अरब के बारे में एक मामले पर चर्चा करना चाहते थे। वे चाहते थे कि इराकी राष्ट्रपति ईरान-सऊदी अरब के विवादों में मध्यस्थता करें। इराकी राष्ट्रपति ने यह तक कहा कि अमेरिका को इस बारे में मालूम था। ट्रम्प ने उन्हें इस जानकारी के लिए शुक्रिया भी कहा। लेकिन अमेरिका ने क्या किया। उन्होंने सुलेमानी और इराक के युद्ध के समय के हीरो रहे जनरल मुहंदिस की बगदाद एयरपोर्ट पर हत्या कर दी। यह ईरान के खिलाफ युद्ध का ऐलान था। साफ है कि पश्चिमी मीडिया ने इराकी राष्ट्रपति के इन बयानों को प्रमुखता से नहीं छापा। ईरान मामलों में पश्चिम मीडिया पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता।

सवाल: पश्चिम एशिया में तनाव पैदा करने में अमेरिका के साथी सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की क्या भूमिका है। क्या उन्हें ईरान के कमजोर होने से कोई फायदा है?
मरांडी: अगर पश्चिम एशिया में तनाव ज्यादा बढ़ता है, तो इसके नतीजे घातक होंगे। इससे सबसे ज्यादा नुकसान सऊदी अरब और यूएई को ही उठाना पड़ेगा। अमेरिका ने ईरान पर हमले की कोशिश की और उन्हें माकूल जवाब मिला। अमेरिका की तैयारी इतनी कम थी कि वे ईरान की एक मिसाइल को इंटरसेप्ट नहीं कर पाए। सैटेलाइट इमेज में भी दिखा कि ईरान ने जहां हमला किया, उन टारगेट्स को नुकसान पहुंचा (अमेरिकी सैनिकों ने हाल ही में कहा है कि वह खुशनसीब हैं कि वे ईरान के हमले से बच गए)। अमेरिका जानता है कि क्षेत्र में ईरान से सीधा युद्ध नहीं लड़ा जा सकता। इन हमलों के बाद साफ हो गया कि क्षेत्र में मौजूद अमेरिका के सभी ठिकाने ईरान की जद में हैं। ईरान ने चेतावनी दी कि जो भी देश अमेरिकी बेसों को जगह देगा, युद्ध की स्थिति में वे दुश्मन की तरह देखे जाएंगे। ईरान की मजबूत रक्षा क्षमताओं और अमेरिका से टक्कर लेने की ताकत देखकर सऊदी और यूएई पहले ही डरे हुए हैं। वे जानते हैं कि अगर युद्ध हुआ तो वे कुछ दिनों से ज्यादा नहीं टिक पाएंगे।

सवाल: क्या अमेरिका-ईरान के बीच तनाव इराक के लिए नई मुश्किलों की शुरुआत है?
मरांडी: अमेरिका की वजह से इराक करीब 40 साल से बुरी तरह प्रभावित रहा। अमेरिका ने सद्दाम की मदद की, फिर उस पर आरोप लगाकर इराक पर हमला कर उसे तबाह किया। उन्होंने अभी तक इराक नहीं छोड़ा। वे सरकार की अनुमति के बगैर भी इराकी सेना पर हमला करते हैं। वे इराक की स्वायत्ता को तोड़ रहे हैं। वे इराक के साथ किए समझौतों को तोड़ रहे हैं। जनरल सुलेमानी की मौत के बाद अब इराकी संसद, इराकी सेना, इराक के राजनेताओं और अफसरों तक ने उन्हें इराक छोड़ने के लिए कह दिया है। ऐसे में अब अगर अमेरिका इराक नहीं छोड़ता, तो उसके खिलाफ सैन्य विद्रोह हो सकता है। एक दशक पहले जब इराक में अमेरिका के 2 लाख सैनिक थे, तब भी वह इराक के एक छोटे विद्रोही समूह का सामना नहीं कर पाया था। अब अमेरिकी की सेना छोटी है और उसके सामने इराक की बड़ी सेना है। इसलिए अमेरिका के लिए समझदारी होगी कि वे एक देश को अपने हाल पर छोड़ दे।

सवाल: भारत अब तक अमेरिका और ईरान का अच्छा दोस्त रहा है, दोनों देशों के तनाव के बीच भारत की क्या भूमिका है?
मरांडी: कई बार जब भारत ट्रम्प की बात मानते हैं, तो उसे नुकसान उठाना पड़ता है। क्योंकि ट्रम्प भारतीय नहीं, बल्कि अमेरिकी हितों के लिए जिम्मेदार हैं। अगर भारत ज्यादा ताकतवर होगा, तो यह अमेरिका के लिए परेशानी है। इसलिए जरूरी है कि भारत ईरान के साथ मजबूत और करीबी संबंध बनाए रखे। ईरान ने लंबे समय तक भारत की तेल की जरूरतें पूरी की हैं (ईरान ने भारत को पेमेंट रुपए में करने की छूट दी थी)। अब तेल के लिए सिर्फ सऊदी और यूएई पर निर्भर हो जाना जोखिम भरा है। क्योंकि अगर वहां आंदोलन या परेशानियां खड़ी होती हैं, तो भारत को बड़ी परेशानी होगी। सऊदी शासन दुनियाभर में वहाबी विचारधारा का भी प्रसार करता है, जो कि किसी भी देश के स्थायित्व के लिए काफी घातक है।

भारत अगर हर मामले में अमेरिका के दबाव में आएगा, तो उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है। भारत की मजबूती इसी में है कि उसकी विदेश नीति स्वतंत्र रहे। भारत को कभी महात्मा गांधी की विरासत नहीं छोड़नी चाहिए। क्योंकि वे गांधी ही थे, जिन्होंने भारत को दुनियाभर में साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ लड़ाई में एक ऊंचा स्थान दिलाया। गांधीजी ने भारत के लिए दक्षिण एशियाई देशों के सहयोग की नीति निकाली। हालांकि, डोनाल्ड ट्रम्प जैसे लोगों को भारत को गांधीजी के विचारों पर चलते देखना पसंद नहीं।

सवाल: अगर ईरान को लगता है कि पश्चिमी देश और मीडिया उसके खिलाफ प्रोपेंगैंडा फैला रहे हैं, तो इससे निपटने के क्या उपाय हैं?
मरांडी: अमेरिका की फिल्म इंडस्ट्री भी देश के मामले में एकजुट है, क्योंकि सरकार हॉलीवुड के साथ करीब से काम करती है। अमेरिकी फिल्म इंडस्ट्री ने मुस्लिम देशों में से अब तक सिर्फ ईरान की ही खराब छवि पेश की है, क्योंकि ईरान एक ताकतवर देश है और उसे नहीं सुनता। अमेरिका को पता है कि वह कभी नहीं झुकेगा। इसलिए उन्हें ईरान से अजीब तरह की परेशानी है। अमेरिका के इस प्रोपेगैंडा से निपटने का एक ही तरीका है। वह यह कि हमें अपनी सरकारी और प्राइवेट मीडिया को मजबूत बनाना होगा। इसके अलावा हमें उन देशों के साथ जुड़ना होगा, जो पश्चिमी और यूरोप के दृष्टिकोणों पर निर्भर न हों।

सवाल: जनरल सुलेमानी की मौत का राजनीति पर क्या असर पड़ेगा?
मरांडी: हमने इराक और ईरान में जनरल सुलेमानी के सुपुर्दे-खाक से पहले के जुलूस को देखा। वे दोनों ही देशों में काफी लोकप्रिय थे। उन्होंने इराक को कट्टरपंथी आईएस से आजाद कराया। वे सालों तक लड़े। तेहरान में भी उनके जनाजे में 50 लाख के करीब लोग मौजूद थे, जो कि एक वर्ल्ड रिकॉर्ड था। इससे पता चलता है कि पश्चिमी प्रोपेगैंडा के उलट जनरल सुलेमानी को सेना के ही नहीं आम लोग भी प्यार करते थे (अमेरिका ने चलाया था कि जनरल सुलेमानी पर्दे के पीछे रह कर काम करते थे)। लोग उनके प्रति शुक्रगुजार थे। साफ है कि लोगों का राजनीतिक सिस्टम पर भी पूरा भरोसा है। ईरान के आंदोलन देखकर अमेरिका और यूरोप हमेशा जनता को सरकार के विरुद्ध दिखाते हैं। लेकिन तस्वीर कुछ और है।

‘‘इराक में सुलेमानी के जनाजे की भीड़ को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनरल सुलेमानी इराक में कितने लोकप्रिय थे। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि इराक में जनरल सुलेमानी की मौत पर खुशी मनी। लेकिन उन्होंने जनाजे की भीड़ को नहीं देखा। इससे यही दिखा कि इराक में ईरानियों को लेकर कितना प्रेम मिलता है। इराक के कुछ लोग ईरान से नफरत करते हैं। लेकिन ये वही लोग हैं, जिन्हें जनरल सुलेमानी ने धूल चटाई।’’



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Qassem Soleimani US Iran | Iran US Latest News Today; Tehran University Professor Speaks To Bhaskar on Qasem Soleimani, Says America Created Al-Qaeda and the ISIS Terror Group

बर्खास्त सीईओ डेनिस मुलेनबर्ग को 566 करोड़ रुपए का एग्जिट पैकेज देगी बोइंग, इनके कार्यकाल में हुए थे मैक्स 737 विमान के दो हादसे January 13, 2020 at 01:37PM

शिकागो .बोइंग ने दिसंबर में सीईओ डेनिस मुलेनबर्ग को बर्खास्त कर दिया था। उनके कार्यकाल के दौरान ही कंपनी के दो मैक्स 737 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए थे। अब खबर आ रही है कि कंपनी मुलेनबर्ग को 8 करोड़ डॉलर (करीब 566 करोड़ रुपए) का एग्जिट पैकेज देने जा रही है। इसके तहत 6.2 करोड़ डॉलर की राशि कंपनसेशन और पेंशन बेनीफिट के तहत और 1.85 करोड़ डॉलर स्टॉक ऑप्शन के एवज में दिए जाएंगे। एक्जिट पैकेट आम तौर पर किसी अधिकारी के कंपनी छोड़ने पर दिया जाता है। हालांकि, जब कोई अधिकारी नकारात्मक कारणों से कंपनी छोड़ रहा हो या उसे बर्खास्त किया गया हो तो इस तरह का पैकेज दिए जाने पर सवाल भी उठते हैं। बोइंग ने इतना जरूर कहा है कि मुलेनबर्ग को किसी अन्य तरह का कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है।


बोइंग मैक्स 737 प्लेन का पहला हादसा अक्टूबर 2018 में इंडोनेशिया में दूसरा हादसा मार्च 2019 में इथियोपिया में हुआ था। दोनों हादसों को मिलाकर कुल 346 लोगों की जान गई थी। जांच में पता चला कि इस मॉडल के विमान में टेक्नोलॉजी संबंधी खामियां थीं। कंपनी के ऊपर इन खामियों को नजरअंदाज करने के आरोप भी लगे थे। इसके बाद पूरी दुनिया की सभी विमानन कंपनियों ने इस विमान का परिचालन बंद कर दिया। पिछले साल जनवरी में ही कंपनी को 5 हजार से ज्यादा मैक्स विमानों का ऑर्डर मिला था। लेकिन, हादसों के बाद यह डील भी खटाई में पड़ गई।


बोइंग ने मुलेनबर्ग की जगह डेविड कैलहाउन को नया सीईओ बनाने की पुष्टि कर दी है। बोइंग ने कहा कि कैलहाउन बोइंग विमानों की सेफ्टी बेहतर करने, कंपनी की संस्कृति और पारदर्शिता को मजबूत करने के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार थे। इसलिए उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई है।


मुलेनबर्ग को दिए जाने वाले एक्जिट पैकेज की जानकारी ऐसे समय में आई है जब कंपनी इंटरनल मैसेज को लेकर परेशानी में घिरी हुई है। कंपनी के कई कर्मचारी 2016 से ही मैक्स 737 विमानों को लेकर खुश नहीं थे। एक कर्मचारी में अपने मैसेज में यहां तक कहा था कि इस विमान को जोकरों ने डिजाइन किया है और इसे बंदरों की देखरेख में तैयार किया गया। उस समय में मुलेनबर्ग की कंपनी के प्रमुख थे।

मैक्स फिर से उड़ी तो नए सीईओ को बोनस

बोइंग ने कहा है कि नए सीईओ डेविड कैलहाउन को 70 लाख डॉलर का बोनस मिलेगा। हालांकि, इसके साथ शर्त यह जोड़ी गई है कि उन्हें यह बोनस तभी मिलेगा जब वे 737 मैक्स विमानों को सफलता पूर्वक फिर से परिचालन में ला सकें। अभी दुनियाभर में इस विमान की छवि काफी नकारात्मक हो चली है। ऐसे में कैलहाउन के लिए बोनस की राशि हासिल कर पाना काफी चुनौतीपूर्ण होगा।



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मुलेनबर्ग को 8 करोड़ डॉलर (करीब 566 करोड़ रुपए) का एग्जिट पैकेज देने जा रही है।

Myanmar sends nearly 200 Rohingya captured at sea to Rakhine camps January 13, 2020 at 05:23AM

Seasonal calmer waters have seen an increase in the number of Rohingya putting their lives in the hands of traffickers in a desperate bid to reach Malaysia or Indonesia by boat. But few make it as far as Kawthaung, Myanmar's southern-most tip, where the group of 173 were picked up mid-December.

For decades Iranians have risen up, only to be put down January 13, 2020 at 05:18AM

The demonstrations that erupted after Iran admitted to accidentally shooting down a passenger plane during a tense standoff with the United States last week are the latest of several waves of protest going back to the 1979 Islamic Revolution - all of which have been violently suppressed.

पाकिस्तान में बारिश से 26 की मौत; हिमाचल में 18 इंच तक बर्फ गिरी; 434 किमी लंबा श्रीनगर-लेह हाईवे एक महीने से बंद January 13, 2020 at 03:57AM

शिमला/इस्लामाबाद. भारत के उत्तरी राज्यों और पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम राज्यों में मौसम बिगड़ता जा रहा है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान समेत दक्षिण-पश्चिमी राज्यों में भारी बर्फबारी और बारिश के चलते 26 लोगों की जान चली गई। उधर, हिमाचल प्रदेश में भी बर्फबारी का दौर जारी है। यहां लाहौल स्पीति में सोमवार को 18 इंच बर्फ गिरी। यहां एडवायजरी जारी की गई है कि यात्रा से पहले लोग मौसम के बारे में पूरी जानकारी ले लें। हिमाचल में काल्पा में 6 इंच, पूह में 2 इंच बर्फबारी हुई। चंबा में 0.5 इंच बारिश हुई और कोठी में 0.3 इंच बारिश दर्ज गई है। सबसे सर्द केलांग रहा। यहां पारा माइनस 6 डिग्री तक पहुंच गया। काल्पा में माइनस 3.3 और मनाली में माइनस 0.8 डिग्री दर्ज किया गया।

शिमला पुलिस ने फेसबुक पर लोगों से अपील की, यलो अलर्ट जारी
मौसम विभाग के मुताबिक, अगले 24 घंटे में बारिश और बर्फबारी का अलर्ट जारी किया गया है। शिमला पुलिस ने फेसबुक पर लोगों से अपील की कि मौसम विभाग ने 13 जनवरी के लिए ऑरेंज अलर्ट और 16 जनवरी के लिए यलो अलर्ट जारी किया है। यात्रा के समय इसका खासतौर पर ध्यान रखें। पुलिस ने हेल्पलाइन नंबर 112, 1077, 8894728034 और 0177-2812344 जारी किए हैं। ऊंचाई वाले और बर्फीले इलाके में लोगों से न जाने की अपील की गई है।

यूपी का कानपुर और मध्य प्रदेश के दतिया में रात का पारा गिरा, शीत लहर जारी
रात्रि का तापमान झारखंड, प. बंगाल, सिक्किम, मध्य प्रदेश, तटीय आंध्र, रायलसीमा, कर्नाटक, केरला, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में सामान्य से कम दर्ज किया गया। मैदानी राज्यों में सबसे कम तापमान उत्तर प्रदेश के कानपुर में और मध्य प्रदेश के दतिया में दर्ज किया गया। यहां रात के वक्त पारा 5.4 डिग्री तक गिर गया। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और ओडिशा के कुछ इलाकों में शीत लहर जारी रहेगी। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में भारी बारिश की आशंका जाहिर की गई है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान के कुछ इलाकों में भारी बारिश के ओला गिरने की आशंका जाहिर की है।

बर्फबारी और भूस्खलन के चलते श्रीनगर-जम्मू हाईवे बंद
देश को कश्मीर घाटी से जोड़ने वाला जम्मू-श्रीनगर हाईवे भारी बर्फबारी और भूस्खलन के चलते बंद हो गया है। यहां सड़क पर करीब एक फीट तक बर्फ गिरी है। लद्दाख को कश्मीर घाटी से जोड़ने वाला 434 किमी लंबा श्रीनगर-लेह हाईवे पिछले एक महीने से बंद है। हाईवे पर करीब 5 फीट बर्फ गिरी है और यहां स्थितियां यातायात के लिहाज से ठीक नहीं है। शोपियां, राजौरी, पुंछ, अनंतनाग और किश्तवाड़ को जोड़ने वाली 86 किमी लंबी मुगल रोड पिछले करीब एक महीने बंद है। इसके अप्रैल-मई से पहले खुलने के आसार नहीं हैं।

पाकिस्तान का बलूचिस्तान बर्फबारी-बारिश से बुरी तरह प्रभावित
पाकिस्तान में भारी बारिश और बर्फबारी ने सामान्य जन-जीवन पर बुरा असर डाला है। देश के कई हिस्सों में बर्फबारी और बारिश के चलते पिछले चौबीस घंटों में 26 लोगों की जान गई है। बलूचिस्तान बर्फबारी और बारिश से सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है। यहां अलग-अलग घटनाओं में 21 लोगों की जान गई। पंजाब प्रांत में दो बच्चों समेत 5 लोगों की मौत हो गई। बलूचिस्तान के 7 जिलों में इमरजेंसी का ऐलान किया गया है। अधिकारी हाईअलर्ट पर हैं। बलूचिस्तान के कई हिस्सों में सोमवार को 2.2 इंच तक बारिश हुई। आने वाले दिनों में भी भारी बारिश और बर्फबारी की आशंका जाहिर की गई है।



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जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में सोमवार को सीआरपीएफ जवानों ने बर्फबारी का मजा लिया।

Pakistan court annuls Musharaff's death sentence: Prosecutor January 13, 2020 at 02:07AM

The original ruling had marked the first time a former leader of the armed forces had faced such a sentence for treason in Pakistan, where the military maintains strong influence and senior officers are often considered immune from prosecution.It caused a wave of controversy, with Musharraf -- exiled in Dubai -- slamming it as a "vendetta" and the military expressing its disappointment.

पूर्व राष्ट्रपति जनरल मुशर्रफ की मौत की सजा माफ, हाईकोर्ट ने कहा- विशेष अदालत का फैसला असंवैधानिक January 13, 2020 at 02:34AM

इस्लामाबाद.लाहौर हाईकोर्ट ने सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ की मौत की सजा माफ कर दी। हाईकोर्ट ने उनकी सजा माफ करते हुए कहा कि इस मामले में विशेष अदालत का फैसला असंवैधानिक है। उन्हें विशेष अदालत ने संविधान को स्थगित कर इमरजेंसी लागू करने के मामले में 17 दिसंबर को मौत की सजा सुनाई थी।

लाहौर हाईकोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति की मौत की सजा माफ करते हुए कहा- मुशर्रफ के खिलाफ स्पेशल ट्रिब्यूनल का फैसला अंवैधानिक है। उनके खिलाफ दर्ज केस औरअभियोजन की दलीलेंगैरकानूनी है। इसके बाद हाईकोर्ट ने विशेष अदालत का फैसला पलट दिया। मुशर्रफ के वकीलों नेविशेष अदालत से मौत की सजा मिलने के बाद लाहौर हाईकोर्ट में अपील की थी।

संविधान स्थगित कर इमरजेंसी लागू की

मुशर्रफ ने 3 नवंबर 2007 में संविधान को स्थगित कर इमरजेंसी लागू कर दी थी। इसके बाद उन्होंने1999 से 2008 तक पाकिस्तान में शासन किया। इस मामले में उनके खिलाफ दिसंबर 2013 में सुनवाई शुरू हुई। मार्च 2014 में उन्हें देशद्रोह का दोषी पाया गया। हालांकि, अलग-अलग अपीलीय फोरम में मामला चलने की वजह से मामला टलता चला गया। मुशर्रफ ने धीमी न्याय प्रक्रिया का फायदा उठाते हुए मार्च 2016 में पाकिस्तान छोड़ दिया और दुबई चले गए। मुशर्रफ तब से दुबई में ही हैं और गंभीर रूप से बीमार होने के कारण उनका इलाज चल रहा है।

मुशर्रफ ने सजा को गलत बताया था
पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान के पहले सैन्य शासक हैं, जिनके खिलाफ कोर्ट में मामला चलाया गया। फांसी की सजा दिए जाने के बाद 18 दिसंबर को उन्होंने एक वीडियो जारी किया था। इसमें मुशर्रफ ने अस्पताल के बिस्तर पर लेटे-लेटे कहा, “देशद्रोह का केस बेबुनियाद है। गद्दारी छोड़िए, मैंने तो इस मुल्क की कई बार खिदमत की है। कई बार जंग लड़ी। 10 साल तक सेवा की। आज मेरी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मेरे खिलाफ जांच के लिए कमीशन बनाया गया। बेशक बनाइए। लेकिन, इस कमीशन को यहां आकर मेरी तबियत देखें और बयान दर्ज करें। इसके बाद कोई कार्रवाई की जाए। कमीशन की बात कोर्ट भी सुने। उम्मीद है कि मुझे इंसाफ मिलेगा।”

18 दिसंबर को अस्पताल के बिस्तर से मुशर्रफ ने वीडियो जारी कर सजा को गलत बताया था।

भुट्टो की हत्या की मामले में भगोड़ा घोषित हुए
पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और लाल मस्जिद के धार्मिक गुरु की हत्या के मामले में उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया था। पाकिस्तानी सेना ने इस पर कहा था कि परवेज मुशर्रफ देशद्रोही नहीं हो सकते।



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अदालत ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की मौत की सजा माफ कर दी।

China defends barring rights chief from Hong Kong January 12, 2020 at 11:31PM

भारतवंशी प्रोफेसर ने मजाक में कहा- ईरान को भी हमले के लिए 52 ठिकाने चुन लेने चाहिए; कॉलेज ने नौकरी से निकाला January 12, 2020 at 10:13PM

न्यूयॉर्क. अमेरिका-ईरान संकट पर मजाक करना एकभारतवंशी प्रोफेसर को महंगा पड़ा। कॉलेज प्रशासन ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। प्रोफेसर आशीव फांसे ने फेसबुक पर लिखा कि ईरान को भी अमेरिका मेंहमले के लिए 52 ठिकाने चुन लेने चाहिए।उन्होंने कुछ जगहों के नाम भी बताए। इस मजाक के लिए बैबसॉन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर को नौकरी से निकाल दिया गया।

डब्ल्यूबीजेड टेलीविजन के अनुसार, कॉलेज प्रशासन ने कहा- अशीन फांसे द्वारा किया गया फेसबुक पोस्ट हमारे मूल्यों और कॉलेज के संस्कृति के खिलाफ है। हालांकि, उन्होंने 8 जनवरी कोपोस्ट के लिए माफी मांग ली थीऔर कहा कि उन्होंनेमजाक में ऐसा लिखा था। उनके फेसबुक पोस्ट को लोगों ने एक खतरे के रूप में देखा।

अमेरिकी अधिकारियों नेकहा- हम नियम के तहत हमले का जवाब देंगे

कुछ दिनों पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्वीट किया था- हमारे निशाने पर ईरान के 52 जगहें हैं, इनमें सांस्कृतिक स्थल भी शामिल हैं। अगर वह हमारे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई करता है तो हम उनपर जोरदार हमला करेंगे।ट्रम्प के जवाब में अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि वॉशिंगटन सांस्कृतिक स्थलों को निशाना नहीं बनाएगा। हम कानून के तहत ही जवाब देंगे। युद्ध के दौरान सांस्कृतिक स्थलों को नुकसान पहुंचाना अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत वॉर क्राइम है।

आशीन ने फेसबुक पर लिखा कि ईरान को भी अमेरिका के 52 स्थलों का चुनाव कर लेना चाहिए। इनमें मिनिसोटा में मॉल ऑफ अमेरिका या अमेरिकन सेलेब्रिटी किम कार्दाशियां का घर शामिल होना चाहिए।

मेरे मजाक को लोगों ने गलत तरीके से लिया: आशीन

वह बॉबसन कॉलेज में सस्टेनेबेलिटी विभाग के निदेशक थे। बॉबसन कॉलेज वेलेस्ली में है, जो बॉस्टन से 20 किमी की दूरी पर है। उन्होंने कहा कि लोगों ने मेरे मजाक को गलत तरीके से लिया। मुझे उम्मीद थी कि कॉलेज मेरा साथ देगा और स्वतंत्र रूप से बोलने के अधिकार को समझेगा। हालांकि, कॉलेज ने कहा कि वह किसी भी तरह के हमले या धमकी भरे शब्दों की निंदा करता है।



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प्रोफेसर ने कहा- मुझे उम्मीद थी कि कॉलेज स्वतंत्र रूप से बोलने के अधिकार को समझेगा। -फाइल फोटो