Friday, December 27, 2019

रोहिंग्याओं के साथ अत्याचार पर म्यांमार के खिलाफ प्रस्ताव पारित , 134 देशों का समर्थन मिला December 27, 2019 at 09:21PM

वाशिंगटन. संयुक्त राष्ट्र महासभा में म्यांमार में रोहिंग्याओंके मानवाधिकारों के उल्लंघन संबंधी प्रस्ताव शुक्रवार को पारित हो गया। इस प्रस्ताव को कुल 193 सदस्य देशों में से 134 का समर्थन मिला। 28 देशों ने इसके पक्ष में वोट नहीं किया और 9 देश इसके खिलाफ रहे। इसमें रोहिंग्या समेत सभी अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार बंद करने और सभी को न्याय सुनिश्चित करने की मांग की गई है। हालांकि, प्रस्ताव को मानने के लिए म्यांमार कानून तौर पर बाध्य नहीं होगा लेकिन इससे पता चलेगा दुनिया इस मुद्दे पर क्या सोचती है।

यूएन में म्यांमार के राजदूतहाऊ डो सुआल ने प्रस्ताव पारित करने की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि ये मानवाधिकार नियमों पर दोहरे मापदंडों और भेदभावपूर्ण रवैये का नायाब उदाहरण है। इसमें रोहिंग्या बहुल राखिने राज्य की समस्या का समाधान नहीं है। इसे म्यांमार पर अवांछित राजनीतिक दबाव बनाने के लिए पेश किया गया।


आईसीजे में उठ चुका है रोहिंग्याओंपर अत्याचार का मुद्दा

रोहिंग्या के साथ म्यांमार की सुरक्षा बल और सेना के अत्याचार का मुद्दा इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में दक्षिण अफ्रीकी मुस्लिम बहुल देश गांबिया ने उठाया था।गांबिया ने दर्जन भर अन्य मुस्लिम देशों के साथ मिलकर इसे आईसीजे के समक्ष रखा था। इसी महीने नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की ने आईसीजे में म्यांमार का पक्ष रखा था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि राखिने राज्य में हुई हिंसा एक आतंरिक विवाद था। यह रोहिंग्या आतंकियों के सरकार के सुरक्षा पोस्ट‌स पर हमले के बाद शुरू हुआ था। सूकी ने कहा कि हो सकता है कि सैनिकों ने युद्ध अपराध किए हों, ऐसी स्थिति में उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।

क्या है म्यांमार में रोहिंग्या अल्पसंख्यकों की स्थिति
म्यांमार एक बौद्ध बहुल देश है। यहां के राखिने राज्य में रोहिंग्या की आबादी सबसे ज्यादा है। ऐसा माना जाता है कि रोहिंग्या दूसरे स्थानों से पलायन कर पहुंचे हैं। साल 2017 में यहां की सरकार ने रोहिंग्या के खिलाफ सैन्य अभियान चलाने की अनुमति दी। इसके बाद से ही भारी संख्या में ये लोग बांग्लादेश और भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में पलायन कर रहे हैं। यूएन के फैक्ट फाइंडिंग मिशन समेत कई स्वतंत्र संस्थाओं ने अपने अध्ययन में रोहिंग्या के साथ म्यांमार की सेना के अत्याचार को सही माना है। कुछ ने कहा है कि राखिने राज्य में रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार की जांच होनी चाहिए।



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साल 2017 से ही म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों का पलायान दूसरे देशों में हो रहा है।

भारतवंशियों ने सीएए-एनआरसी-एनपीआर का समर्थन किया, कानून पर भ्रम दूर करने के लिए सभा आयोजित की December 27, 2019 at 09:06PM

टोक्यो. जापान में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों ने शुक्रवार को भारतीय दूतावास के बाहर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के समर्थन में सभा आयोजित की। आयोजनकर्ताओं के मुताबिक, इस सभा का मकसद इन तीनों विवादित मुद्दों पर लोगों को शिक्षित करना था। अमेरिका के बाद जापान दूसरा देश है, जहां बड़ी संख्या में भारतीयों ने जुटकर सीएए, एनआरसी और एनपीआर का समर्थन किया है।

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, भारतीयों का एक दल दूतावास में लगी जस्टिस राधा बिनोद पाल की मूर्ति के पास सभा के लिए बैठा। इसमें आने-जाने वाले लोगों को सीएए-एनआरसी-एनपीआर के उद्देश्य और उसकी प्रक्रियाओं की जानकारी दी गई। आयोजकों की ओर से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक, कई असामाजिक तत्वों ने इन मुद्दों पर गलत जानकारी फैलाकर भारत में नकरात्मक प्रोपेगंडा चलाया। इससे पूरे देश में हिंसा भड़की।

रिसर्च से तीनों मुद्दों परजुटाई जानकारी

आयोजकों ने बताया कि भारत में फैली हिंसा को ध्यान में रखते हुए यहां रहने वाले भारतीयों ने नागरिकता कानून की ठीक से स्टडी की। इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को समझा। इसके बाद एनआरसी और एनपीआर के बारे में रिसर्च कर ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाई।सभा में बांग्लादेशी हिंदू समुदाय के कई लोग भी शामिल हुए। इन सभी ने भारत के पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के निर्णय का समर्थन किया।

अमेरिका में और रैलियों का आयोजन होगा

अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों ने पिछले हफ्ते बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरकर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) का समर्थन किया। भारतीय अमेरिकियों ने ओहायो-ह्यूस्टन समेत कई शहरों में रैली कर सीएए और एनआरसी के बारे में गलत जानकारी और भ्रम दूर करने की कोशिश की। आने वाले दिनों में डैलस, शिकागो, सैन फ्रांसिस्को, न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन, अटलांटा, सैन होसे और कुछ अन्य जगहों पर रैलियों का आयोजन किया जाएगा।



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Indian diaspora support CAA-NRC-NPR, organize meeting to clear confusion on law

Hundreds of accused clergy left off church's sex abuse lists December 27, 2019 at 07:47PM

​​Victims advocates had long criticized the Roman Catholic Church for not making public the names of credibly accused priests. Despite the dioceses' release of nearly 5,300 names, most in the last two years, critics say the lists are far from complete. An AP analysis found more than 900 clergy members accused of child sexual abuse who were missing from lists.

आवाज की गति से 27 गुना रफ्तार वाली परमाणु मिसाइल ‘अवनगार्ड’ सेना में शामिल December 27, 2019 at 06:07PM

मॉस्को. रूस ने आवाज की गति से 27 गुना रफ्तार वाली अवनगार्ड हाइपरसोनिक मिसाइल को सेना में शामिल कर लिया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसका ऐलान करते हुए बताया कि मिसाइल परमाणु क्षमताओं से लेस है। यह आवाज की गति से औसत 20 गुना तेज रफ्तार से उड़ सकती है। पुतिन के मुताबिक, इस मिसाइल की तेजी की वजह से कोई भी सिस्टम इससे बचाव नहीं कर सकता। रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु के मुताबिक, 27 दिसंबर को स्थानीय समयानुसार 10 बजे मिसाइल को सेना में शामिल किया गया। अभी इसकी तैनाती की जगह को गुप्त रखा गया है। हालांकि, माना जा रहा है कि इसे यूरल के पहाड़ी इलाके में तैनात किया जाएगा।

कितनी तेज होगी रूस की अवनगार्ड मिसाइल?
रूस का दावा है कि यह मिसाइल आवाज की गति से 27 गुना तेज होगी (आवाज की गति - 1235 किमी प्रतिघंटा)। इस लिहाज से मिसाइल की रफ्तार करीब 33,000 किमी प्रतिघंटा तक पहुंच सकती है। रूस का दावा है कि यह पहली हाइपरसोनिक मिसाइल है। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के मुताबिक, उसका हाइपरसोनिक मिसाइल कार्यक्रम अभी जारी है। वहीं चीन 2014 में हाइपरसोनिक हथियार की टेस्टिंग की बात कह चुका है।

6000 किमी. तक की रेंज तक निशाना साधने की क्षमता

पुतिन ने मंगलवार को कहा था कि अवनगार्ड मिसाइल सिस्टम किसी भी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को पार कर सकता है। उन्होंने दिसंबर 2018 में मिसाइल की टेस्टिंग भी देखी थी। बताया जाता है कि अवनगार्ड ने यूरल पहाड़ी क्षेत्र में स्थित 6000 किमी दूर एक प्रैक्टिस टारगेट को सफलतापूर्वक निशाना बनाया था।

इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) अवनगार्ड एक बार में दो मेगाटन (करीब 2 अरब किलो) के न्यूक्लियर हथियार साथ ले जाने में सक्षम है। रूस के रक्षा मंत्रालय ने अवनगार्ड सिस्टम का एक वीडियो भी जारी किया है। हालांकि, हथियार विशेषज्ञों ने इस मिसाइल की क्षमताओं पर संशय जताया है।



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Russia claims new Avangard missiles can travel 27 times the speed of sound

More than 235,000 flee intense bombing in NW Syria December 27, 2019 at 06:17PM

ट्रम्प पहले राष्ट्रपति जो उत्तर कोरिया गए, इथियोपिया ने इरीट्रिया से 2 दशक लंबा विवाद खत्म किया December 27, 2019 at 01:50AM

इंटरनेशनल डेस्क. दुश्मन बने दोस्त। इस दशक कई देश आपसी विवाद भुलाकर करीब आए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प उत्तर कोरिया पहुंचने वाले पहले राष्ट्रपति बने। इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबिय अहमद अली ने 20 सालों से इरीट्रिया के साथ चले आ रहे विवाद को खत्म किया। इसके लिए उन्हें 2019 का शांति का नोबेल पुरस्कार भी मिला। करीब 65 साल के बाद उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के नेता एक-दूसरे से मिलें। 88 साल के बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति क्यूबा गए। वहीं, ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय उत्तरी आयरलैंड पहुंचकर इतिहास रचा। ऐसी ही कुछ तस्वीरें जिसने पूरी दुनिया को चौंकाया।
  1. यह तस्वीर 30 जून 2019 की है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पहली बार कोरियाई प्रायद्वीप के असैन्य क्षेत्र (डीमिलिट्राइज्ड जोन, डीएमजेड) में उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग-उन से मुलाकात की। दोनों देशों के नेताओं के बीच परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर विवाद चला आ रहा था। ट्रम्प और किम के बीच अब तक तीन बार मुलाकात हो चुकी है। इससे पहले पिछले साल 12 जून को सिंगापुर में और दूसरी बार 28 फरवरी को वियतनाम में दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी।

  2. यह तस्वीर 26 जून 2018 की है। इरीट्रिया के विदेश मंत्री उस्मान सालेह मोहम्मद शांति वार्ता के लिए इथियोपिया पहुंचे। अदीस अबाबा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबिय अहमद ने उनका स्वागत किया। इरीट्रिया के साथ दो दशक से चले आ रहे विवाद को खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री अबिय अहमद अली को इस साल नोबेल पुरस्कार भी दिया गया।

  3. दुनिया के लिए अप्रैल 2018 इतिहास बन गया। किम जोंग उन 1953 के बाद से दक्षिण कोरियाई जाने वाले पहले उत्तर कोरियाई नेता बन गए। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन लंबे समय से विभाजित सैन्य रेखा पर किम का इंतजार कर रहे थे। दोनों नेताओं ने विभाजित रेखा पर एक-दूसरे से हाथ मिलाया। दोनों नेताओं ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की थी।

  4. यह तस्वीर 20 मार्च 2016 की है। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, पत्नी मिशेल ओबामा और दोनों बेटियों के साथ हवाना पहुंचे। वे पहले ऐसे राष्ट्रपति है जो 1928 के बाद क्यूबा गए। इसके साथ ही ओबामा और क्यूबा के तत्कालिन राष्ट्रपति राउल कास्त्रो ने दशकों से जारी गतिरोध को खत्म किया।

  5. यह तस्वीर 27 जून 2012 की है। उत्तरी आयरलैंड शांति प्रक्रिया में एक ऐतिहासिक क्षण। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय बेल्फास्ट पहुंची, जहां उन्होंने उत्तरी आयरलैंड के पहले उपप्रधानमंत्री मार्टिन मैकगिनेंस से हाथ मिलाया। ब्रिटिश सेना के साथ कई सालों तक चले खूनी संघर्ष के दौरान मैकगिनेंस आयरिश रिपब्लिकन आर्मी में शीर्ष कमांडर थे।

  6. यह तस्वीर इसी साल 11 अप्रैल की है। ईसाइयों के धर्मगुरू पोप फ्रांसिस ने वेटिकन में दक्षिणी सूडान के राष्ट्रपति सल्वा कीर और उनके विरोधी विद्रोही नेता रीक मशार को बुलाकर उनके पैर चूमे। पोप ने दोनों से देश में शांति लाने की अपील की। दक्षिण सूडान में 2013 से ही सत्ता के लिए संघर्ष जारी था। 2018 तक इसमें 4 लाख लोग मारे जा चुके थे।



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      From Abiy Ahmed Resolve Ethiopia Eritrea Dispute To Donald Trump and Kim Jong-un Meet; Dainik Bhaskar Decade in Pictures 2010-19

Italy court rules home-growing cannabis is legal, reigniting dispute December 27, 2019 at 05:19AM

Italy's Supreme Court has ruled that small-scale domestic cultivation of cannabis is legal, in a landmark decision triggering calls for further legalisation from weed advocates and anger from the country's conservatives.

Turkey court gives jail terms to opposition journalists December 27, 2019 at 01:53AM

A Turkish court on Friday convicted six journalists and one other employee of an independent newspaper of aiding the network of a US-based cleric who is accused of masterminding the failed coup in 2016, the state-run news agency reported.

China denies detained Uighur academic was sentenced to death December 26, 2019 at 11:49PM

The foreign ministry said former Xinjiang University president Tiyip's case was still ongoing and his rights had been "protected in accordance with the law". Tiyip was "suspected of corruption and bribery," foreign ministry spokesman Geng Shuang said at a regular briefing Friday.

EU chief doubts securing post-Brexit trade deal in 2020 December 26, 2019 at 11:58PM

EU may need to extend deadline for trade talks with UK: Von der Leyen December 26, 2019 at 10:55PM

Von der Leyen said both sides needed to seriously think about whether there is enough time to negotiate a new trade deal and work out agreements about a series of other issues. "It would be reasonable to evaluate the situation mid-year and then, if necessary, agree on extending the transition period," she told the paper.

Pervez Musharraf challenges special court's verdict in high treason case December 26, 2019 at 10:45PM

Pakistan's former dictator Pervez Musharraf on Friday filed a review petition with the Lahore high court challenging the verdict by a special court in Islamabad that had pronounced death penalty in the high treason case against him. On December 19, a special court in Islamabad found Musharraf guilty of high treason and handed him a death sentence under Article 6 of the Constitution.

Eight months later, Notre-Dame cathedral still broken December 26, 2019 at 10:32PM

8 months after a devastating fire ravaged the Notre-Dame, engineers are preparing for a crucial but complicated step in the herculean restoration effort: removing a mound of scaffolding mangled in the blaze. They have to extract 10,000 metal pipes forged by the inferno that must be removed for work to proceed, but without further unsettling the enfeebled edifice.

Turbulent 2019: Rajapaksa dynasty returns to power post-Easter attacks in Lanka December 26, 2019 at 10:09PM

Sri Lanka's powerful Rajapaksa dynasty made a comeback in 2019 with former defence chief Gotabaya Rajapaksa storming to victory in the presidential polls promising stringent security in the wake of the island's worst terror attack that killed nearly 270 people on the Easter and brought to the fore the deep-rooted differences within the unity government.