Sunday, September 20, 2020

नेपाल का प्लानिंग कमीशन लिपुलेख, कालापानी और लिम्मपियाधुरा में जनगणना कराना चाहता है, दूसरे विभागों को भारत के विरोध का डर September 20, 2020 at 07:43PM

नेपाल में अगले साल 28 मई से 12वीं जनगणना शुरू करने की तैयारी है। इसके लिए सरकारी स्तर पर योजना भी तैयार कर ली गई है। जनगणना के साथ ही मकानों की गिनती भी की जाएगी। लेकिन, इसमें एक बड़ी दिक्कत सामने आ गई है। दरअसल, भारत और नेपाल के बीच तीन क्षेत्रों कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को लेकर विवाद चल रहा है। दोनों देश इन तीन इलाकों को अपना हिस्सा बताते हैं। नेपाल ने दो महीने पहले नया नक्शा जारी किया था। इसमें तीनों क्षेत्रों को अपना बताया गया था।

जनसंख्या में शामिल नेशनल प्लानिंग कमीशन इन क्षेत्रों में जनगणना कराना चाहता है। लेकिन, सेंट्रल ब्यूरो ऑफ स्टैटिसटिक्स को डर है कि इस कार्रवाई से भारत नाराज हो सकता है। यही डर नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार को भी सता रहा है।

दस साल में एक बार जनगणना
‘काठमांडू पोस्ट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल में जनगणना के लिए 40 हजार कर्मचारी तैनात किए गए हैं। 9 हजार सुपरवाइजर्स होंगे। ये हर घर जाकर कुछ सवाल पूछेंगे, जो जनगणना का हिस्सा होंगे। परेशानी तीन क्षेत्रों को लेकर है। कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा भारत के कब्जे में हैं। नेपाल इन्हें न सिर्फ अपना हिस्सा बताता है, बल्कि नए नक्शे में भी इन्हें शामिल कर चुका है। भारत भी इन तीनों को अपना हिस्सा बताता है। यहां रोड और कई दूसरे कंस्ट्रक्शन भी किए गए हैं।

भारत मंजूरी नहीं देगा
नेपाल के कुछ सांसद और सर्वे डिपार्टमेंट के पूर्व अफसर मानते हैं कि तीनों इलाकों में जनगणना के लिए भारत मंजूरी नहीं देगा। और उसकी मंजूरी के बिना जनगणना संभव नहीं। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद नवंबर में शुरू हुआ था। 20 मई को नेपाल ने नया नक्शा जारी किया। भारत ने इसे नामंजूर कर दिया।

नेपाली अफसर क्या कहते हैं
नेपाल के प्लानिंग कमिश्नर मिन बहादुर शाई ने कहा- कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा में जनगणना जरूर होगी। डोर टू डोर सर्वे के बारे में भी हम विचार कर रहे हैं। अगर सर्वे नहीं हो पाया तो दूसरे विकल्पों पर भी विचार किया जाएगा। खास बात ये है कि लिपुलेख में आखिरी बार जनगणना 60 साल पहले हुई थी। इस क्षेत्र में तीन गांव कुंजी, नावी और कुटी भी आते हैं। 1991 में यहां अनौपचारिक सर्वे नेपाल ने किया था। तब इन गांवों की जनसंख्या 723 और मकान 150 मिले थे।

इस बार आसान नहीं
प्लानिंग कमीशन के पूर्व डायरेक्टर जनरल बुद्धि नारायण श्रेष्ठ कहते हैं- 1991 में अनौपचारिक तौर पर हमने कुछ सर्वे कर लिया था। तब भी भारतीय सुरक्षा बलों ने हमारी टीम को कालापानी क्षेत्र में नहीं जाने दिया था। इस बार तो ये बेहद मुश्किल होगा। हमने चारुंग में चेक पोस्ट बनाया तो भारत नाराज हो गया। मुझे नहीं लगता कि इस बार हमारा कोई कर्मचारी वहां जा पाएगा।

भारतीय सेना सतर्क
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन से तनाव के चलते लिपुलेख और कालापानी में भारतीय सेना के तगड़ी तैयारी की है। ऐसे में नेपाल भी कोई रिस्क नहीं लेना चाहेगा। भारत यहां स्कूलों में मुफ्त शिक्षा दे रहा है। स्टेट बैंक का ब्रान्च भी यहां है। धाराचूला से सांसद गणेश थागुना कहते हैं- अभी वहां जो हालात हैं, उनको देखते हुए वहां जनगणना होना नामुमकिन है। काठमांडू में बैठे लोग जैसा सोचते हैं, हालात वैसे नहीं हैं। नेपाल के एक अफसर कहते हैं- भारतीय रक्षा मंत्रालय की मंजूरी के बिना तीन क्षेत्रों में जाना संभव नहीं है। और भारत इसकी मंजूरी देगा नहीं।



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लिपुलेख में भारत ने कई निर्माण कार्य किए हैं। नई सड़कें भी बनाई गई हैं। कुछ क्षेत्रों में काम चल रहा है। नेपाल इस क्षेत्र को अपने नक्शे में शामिल कर चुका है। (फाइल)

नवाज शरीफ बोले- हमें दिक्कत इमरान खान से नहीं, बल्कि उन्हें पीएम बनाने वालों से दिक्कत- सियासत में दखल न दे आर्मी September 20, 2020 at 06:21PM

पाकिस्तान की सियासत में नए दौर की शुरुआत होती दिख रही है। शुक्रवार को तमाम विपक्षी पार्टियों ने ऑल पार्टी कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ लंदन से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इसमें शामिल हुए। नवाज ने प्रधानमंत्री इमरान खान और सरकार पर कई आरोप लगाए। सबसे खास बात यह है कि नवाज ने बिना नाम लिए फौज पर निशाना साधा। पाकिस्तान में आमतौर पर नेता फौज से खिलाफ बोलने से डरते हैं।

एपीसी में कहा गया कि इमरान फौरन इस्तीफा दें और देश में नए सिरे से चुनाव हों। सरकार के खिलाफ अगले महीने से आंदोलन चलाने की तैयारी भी की जाएगी।

नवाज ने क्या कहा?
नवाज का रुख इमरान के प्रति बहुत ज्याद सख्त नहीं दिखा। लेकिन, उन्होंने फौज पर बिना नाम लिए निशाना साधा। नवाज ने कहा- इमरान सरकार के खिलाफ हमारा आंदोलन शुरू होने जा रहा है। हम इस सरकार को हटाकर रहेंगे। ये सरकार तो बैसाखियों पर चल रही है। अगर चुनाव सही तरीके से होते तो ये सरकार कभी नहीं आ सकती थी। लोगों ने वोट लूटे गए हैं। सच्चाई तो ये है कि पाकिस्तान में इस तरह की चीजें होती रही हैं। पाकिस्तान मतों की लूट की प्रयोगशाला बन गया है।

विपक्ष को परेशान किया जा रहा है
नवाज ने कहा- पाकिस्तान में हर तानाशाह ने औसतन 9 साल राज किया। इमरान के दो साल पूरे हो गए हैं। इससे ज्यादा वो सरकार नहीं चला पाएंगे। जिन्होंने सरकार और उसके स्पॉन्सर्स के खिलाफ आवाज उठाई, उन्हें कोर्ट में घसीटा जा रहा है। उनके परिवारों को टॉर्चर किया जा रहा है। ये सच्चाई है कि चुनी हुई सरकारों के हाथ भी बंधे होते हैं। भारत ने कश्मीर पर कब्जा इसलिए कर लिया क्योंकि यहां कठपुतली सरकार थी।



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पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में शुक्रवार को ऑल पार्टी कॉन्फ्रेंस के दौरान बाएं से विपक्षी नेता मरियम नवाज, शहबाज शरीफ, मौलाना फजल-उर-रहमान और बिलावल भुट्टो जरदारी। विपक्ष अगले महीने से सरकार के इस्तीफे की मांग को लेकर आंदोलन चलाएगा।

Leaders to mark UN at 75 as pandemic challenges organization September 20, 2020 at 06:09PM

डोनाल्ड ट्रम्प जिसे मिडिल-ईस्ट के लिए नई सुबह बता रहे हैं, वह अरब देशों में बिखराव की वजह भी बन सकती है September 20, 2020 at 04:29PM

यूएई और बहरीन इजराइल के साथ डिप्लोमैटिक रिलेशन बना चुके हैं। अब अगर यह अनुमान लगाया जाए कि अक्टूबर में सऊदी अरब के शासन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) भी ऐसा ही करेंगे तो कुछ गलत नहीं होगा। इसमें कोई शक नहीं कि सऊदी अरब मिडिल ईस्ट की सबसे बड़ी ताकत है। और उसकी मर्जी के बिना यूएई और बहरीन इजराइल से समझौता नहीं कर सकते थे। दोनों देशों में राजशाही है। अब अगर सऊदी अरब भी इजराइल के साथ रिश्ते बना लेता है तो यह मध्य पूर्व में विघटन ही कहा जाएगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति पहले ही कह चुके हैं कि कुछ महीनों में पांच या छह अरब देश और इजराइल के साथ दोस्ताना रिश्तों की शुरुआत करेंगे। ट्रम्प इसे मिडिल ईस्ट में नई सुबह और विश्व शांति में एक नए दौर की शुरुआत बताते हैं।

पिता की सहमति का इंतजार
प्रिंस सलमान को दुनिया में एमबीएस के नाम से जाना जाता है। एमबीएस कोशिश कर रहे हैं कि पिता सलमान इजराइल से संबंध स्थापित करने के लिए राजी हो जाएं। वो उन्हें बता रहे हैं कि दुनिया कितनी बदल चुकी है। एमबीएस बताते होंगे कि डेमोक्रेटिक दौर में पत्रकार जमाल खशोगी कितना बड़ा खतरा बन गए थे और यमन कैसे हमलावर हो गया था। लेकिन, क्या ये बातें इतनी आसान हैं। यूएई और बहरीन को जनता की नाराजगी की फिक्र शायद ज्यादा नहीं है। लेकिन, सऊदी के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। यह दुनिया के 1 अरब 80 करोड़ मुस्लिमों से जुड़ा मामला हो जाता है।

ये इतना आसान नहीं
सऊदी के पॉलिटिकल एनालिस्ट अली शिहाबी कहते हैं- अगर एमबीएस इजराइल मामले में आगे बढ़ते हैं तो देश के परंपरावादी, जिहादी और ईरान इसे नहीं मानेगा। 2002 में अरब देशों ने फिलिस्तीन के मुद्दे पर नजरिया साफ कर दिया था। इजराइल से सामान्य रिश्ते रखना आसान नहीं होगा। कई बातों पर विचार करना होगा। व्हाइट हाउस में इजराइल और यूएई के अलावा बहरीन के नेताओं की जो सेरेमनी हुई, उसे फिलिस्तीन के नजरिए से नहीं देखा गया। दरअसल, अरब देशों के लिए समस्या उनके घर में ही है। कॉम्पटीशन है नहीं, टॉर्चर और करप्शन आम बातें हैं।

तो क्या ये ट्रम्प का ड्रामा है
अरब इजराइल संबंधों के लिए डोनाल्ड ट्रम्प और जेरेड कुशनर और इजराइल में अमेरिकी एम्बेसेडर डेविड फ्रेडमैन ने जमीन तैयार की। डेविड कहते हैं- इजिप्ट और जॉर्डन के बाद अगर दो और देश इजराइल से सामान्य संबंध बनाते हैं तो क्या गलत है। यहूदी और अरब जितना करीब आएंगे उतना बेहतर है। ये भी बहुत अच्छा संकेत है कि वेस्ट बैंक को इजराइल में मिलाने की योजना बेंजामिन नेतन्याहू ने रद्द कर दी। उन्होंने इस बात पर भी जोर नहीं दिया कि बहरीन और यूएई इजराइल को यहूदी राष्ट्र के रूप में मान्यता दें।

ट्रम्प की इतिहास में रुचि नहीं
यूएई या बहरीन से इजराइल को कभी दिक्कत नहीं रही। सवाल तो फिलिस्तीन का है। ट्रम्प और कुशनर इस बात को समझने तैयार नहीं हैं। फिलिस्तीन की समस्या को उन्होंने मजाक बना दिया है। वहां की लड़ाई ऐतिहासिक है और ट्रम्प प्रशासन को इतिहास की समझ नहीं है। लिहाजा, फिलिस्तीन कभी ट्रम्प की इन कोशिशों को स्वीकार नहीं करेगा। दरअसल, यह 65 लाख फिलिस्तीन लोगों का मामला है, जो गाजा के अलावा वेस्ट बैंक और इजराइल में रहते हैं। वर्तमान हालात से हल नहीं निकलेगा, कुछ देर मामला टल जाएगा। ये नई सुबह तो बिल्कुल नहीं होगी, जैसा दावा ट्रम्प करते हैं।

क्या जवाब देंगे ट्रम्प
फिलिस्तीनी नेता मोहम्मद अब्बास ताश के पत्तों से बने महल में बैठे हैं। एक दिन ये ढह जाएगा। अब्राहम लिंकन ने कहा था- हम साइसं, आर्ट और मेडिसिन को सपोर्ट करेंगे। हर शख्स से धैर्य और सम्मान की उम्मीद करते हैं। फिर चाहे वो किसी भी नस्ल, मजहब और संप्रदाय का हो। ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति से जो खुद साइंस और मेडिसिन का मजाक उड़ाता हो, और नस्लवाद और सांप्रदायिकता में यकीन रखता हो- जवाब की उम्मीद करना बेमानी है। दरअसल, ट्रम्प नामुमकिन चीजों के बारे में सोचने वाले हैं। नई सुबह के बारे में वे नहीं सोचते। अगर सऊदी-इजराइल डील होती है तो अक्टूबर में ईरान और अमेरिका के बीच सैन्य टकराव की आशंका बढ़ जाएगी।



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Donald Trump Israel Saudi Arabia | US President Donald Trump and Middle East Israel deal next Prince Saudi Arabia on Cards with Mohammed bin Salman.

फ्रांस में एक दिन में 10 हजार से ज्यादा मामले सामने आए, न्यूजीलैंड में कोई नया केस नहीं; दुनिया में 3.12 करोड़ केस September 20, 2020 at 04:19PM

दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा 3.12 करोड़ से ज्यादा हो गया है। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 2 करोड़ 28 लाख 17 हजार 541 से ज्यादा हो चुकी है। वहीं, अब तक 9 लाख 64 हजार 764 मौतें हो चुकी हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। फ्रांस में संक्रमण की दूसरी लहर सरकार के लिए भारी पड़ रही है। यहां रविवार को 10 हजार से ज्यादा मामले सामने आए।

फ्रांस : हेल्थ मिनिस्ट्री का बयान
फ्रांस की हेल्थ मिनिस्ट्री ने रविवार रात जारी बयान में कहा- देश में पिछले 24 घंटे में 10 हजार 569 नए मामले सामने आए। इसके एक दिन पहले यानी शनिवार को 13 हजार 498 मामले सामने आए थे। यह साफ तौर पर संक्रमण की दूसरी लहर है और सरकार इसको लेकर सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रही है। रविवार को 12 और लोगों की संक्रमण के चलते मौत हो गई। फ्रांस में 31 हजार 585 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। दूसरी ओर, संभावित लॉकडाउन जैसे कदमों का विरोध भी शुरू हो गया है।

न्यूजीलैंड : कोई नया केस नहीं
सोमवार को जारी बयान के मुताबिक, न्यूजीलैंड में रविवार को कोई नया केस सामने नहीं आया। ऑकलैंड में खासतौर पर प्रतिबंधों को लेकर सर्तकता बरती जा रही है। इसकी एक वजह यह है कि यहां अब भी कई टूरिस्ट ऐसे हैं, जिन्हें सेहत संबंधी दिक्कतें हैं। कुछ शहरों में प्रतिबंध जारी रखे जाएंगे। प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाली हैं। इसमें सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी दी जाएगी। न्यूजीलैंड में 1464 मामले सामने आ चुके हैं और 25 लोगों की मौत हो चुकी है। तीन संक्रमितों का अस्पताल में इलाज चल रहा है।

फोटो 11 सितंबर की है। तब न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने संक्रमण से जुड़े मामलों की जानकारी के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। आज वे फिर इसी मामले पर मीडिया से बातचीत करने वाली हैं।

चीन : 12 नए मामले
चीन में एक बार फिर 12 नए मामले सामने आए। एक दिन पहले भी यहां 12 केस मिले थे। नेशनल हेल्थ अथॉरिटी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि सभी मामले उन लोगों के हैं जो दूसरे देशों से चीन पहुंचे। 25 ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं मिले। चीन की हेल्थ मिनिस्ट्री ने शनिवार को जारी बयान में कहा था कि विदेश से आने वाले लोगों की टेस्टिंग को लेकर नई गाइडलाइन जारी की जाएगी। इसकी वजह यह है कि ज्यादातर मामले इन्हीं पैसेंजर्स की वजह से सामने आ रहे हैं और इनके लोकल लेवल पर लोगों का संपर्क नई परेशानी खड़ी कर सकता है।

चीन सरकार जल्द ही दूसरे देशों से आने वाले लोगों के लिए नई गाइडलाइन जारी कर सकती है। यहां कुछ शहरों के बाजारों में अब भी ग्राहक नजर नहीं आ रहे हैं। (फाइल)

ब्रिटेन में विरोध के बावजूद सख्ती
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने शनिवार से देश में कोरोना से जुड़ी नई पाबंदियों का ऐलान किया था। देश में संक्रमण की दूसरी लहर शुरू हो चुकी है। लोग सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन्स नहीं मान रहे हैं। अब पाबंदियां सख्त की गई हैं। पॉजिटिव आने के बावजूद सेल्फ आइसोलेशन में नहीं जाने वाले लोगों पर 13 हजार डॉलर (करीब 9.56 लाख रु.) का जुर्माना लगाया जाएगा। ब्रिटेन में अब तक 3 लाख 90 हजार 358 लोग संक्रमित मिले हैं। खास बात ये है कि बिगड़ते हालात के बावजूद सरकार के प्रतिबंधों का विरोध कर रहे हैं। प्रदर्शन हो रहे हैं। 30 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।

लंदन की कुछ सड़कों पर सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर स्लोगन लिखे गए हैं। ब्रिटेन में संक्रमण की दूसरी लहर सामने आ चुकी है। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने साफ कर दिया है कि कुछ और सख्त प्रतिबंध लगाए जाते हैं।


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पेरिस के एक कोरोना टेस्टिंग सेंटर के बाहर मौजूद लोग। फ्रांस में लगातार दूसरे दिन 10 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए। सरकार आज कुछ सख्त प्रतिबंधों की घोषणा कर सकती है।

ट्रम्प ने कहा- मेरे आशीर्वाद से टिकटॉक का सौदा अमेरिकी कंपनी से तय हुआ, कॉमर्स डिपार्टमेंट ने बैन 27 सितंबर तक के लिए स्थगित की September 20, 2020 at 04:55AM

चाइनीज शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म ऐप टिकटॉक ने रविवार को यूएस के अपने बिजनेस में दो अमेरिकी कंपनियों को साझेदार बनाने का ऐलान किया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस पर कहा- मैंने इस डील को अपना आशीर्वाद दिया है। अब इसका (टिकटॉक का) चीन से कोई लेना देना नहीं होगा। यह पूरी तरह सुरक्षित होगा। वॉलमार्ट और ओरेकल इस सौदे में शामिल हैं। इसके बाद एक नई कंपनी बनाई जाएगी। मैंने इस सौदे के कॉन्सेप्ट को मंजूरी दी है। यह अमेरिका के लिए एक बड़ा सौदा है। यह अब 100% सुरक्षित है और इसकी सुरक्षा समझौते का हिस्सा रही है।
सौदे पर ट्रम्प के ऐलान के कुछ ही देर बाद अमेरिका कॉमर्स डिपार्टमेंट ने टिकटॉक पर बैन एक हफ्ते के लिए टाल दी। सेक्रेटरी ऑफ कॉमर्स विल्बर रॉस ने कहा- राष्ट्रपति ट्रम्प के निर्देश के बाद टिकटॉक मोबाइल एप्प पर 20 सितंबर से लागू होने वाला बैन 27 सितंबर तक के लिए रोक दिया गया है।

कंपनी का नया नाम होगा टिकटॉक ग्लोबल बिजनेस

टिकटॉक के यूएस कारोबार में 20 फीसदी हिस्सेदारी पर ओरेकल और वॉलमार्ट इनवेस्ट करेंगे। ओरेकल और वॉलमार्ट ने शनिवार को कहा कि इस नई कंपनी में अमेरिकी इनवेस्टर्स का मालिकाना हक होगा। वॉलमार्ट फिलहाल टिकटॉक में 7.5 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की योजना बना रही है। वॉलमार्ट के सीईओ डग मैकमिलन कंपनी के पांच बोर्ड मेंबर्स में से एक होंगे। टिकटॉक पेरेंट कंपनी बाइटडांस इसके बाकी बचे 80 फीसदी हिस्से की खरीददारी कर सकती है। इस नई कंपनी का मुख्यालय अमेरिका में ही होगा।

ट्रम्प ने ओरेकल और वॉलमॉर्ट को शुभकामनाएं दी

ट्रम्प ने कहा- इस समझौते को मैं अपनी शुभकामनाएं देता हूं। इसमें अब चीन के क्लाउड का इस्तेमाल नहीं होगा। अमेरिकी कंपनियां अपने अलग क्लाउड का उपयोग करेंगी। इसके साथ ही सुरक्षा को मजबूत करने के लिए दूसरे उपाय भी अपनाए जाएंगे। मुझे इस बात की खुशी है कि टिकटॉक के प्रोपोजल को को ओरेकल और वॉलमार्ट ने अमेरिकी प्रशासन की चिंता को ध्यान में रखकर हल किया। इससे अमेरिका में टिकटॉक के भविष्य को लेकर सवाल भी नहीं किए जाएंगे। हालांकि, कंपनी को अमेरिका के कानून और गोपनीयता से जुड़े प्रावधानों का पालन करना होगा।

वीचैट को भी मिली राहत
चीन की कंपनी वीचैट को भी अमेरिकी बाजार में कुछ दिनों के लिए राहत मिल गई है। एक अमेरिकी कोर्ट ने ऐप डाउनलोडिंग प्लेटफॉर्म से इन्हें हटाने के ट्रम्प सरकार के ऑर्डर पर रोक लगा दी। शुक्रवार को यूएएस कॉमर्स डिपार्टमेंट ने वीचैट को डाउनलोडिंग प्लेटफॉर्म्स से हटाने का ऑर्डर जारी किया था। इस ऑर्डर को वीचैट के कस्टमर्स ने कोर्ट में चुनौती दी थी। डिपार्टमेंट ने कोर्ट में ऐप से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा होने की दलील दी। हालांकि जज लॉरेल बीलर ने इसे मानने से इनकार कर दिया।

टिकटॉक को अमेरिकी बिजनेस बेचने का ऑर्डर जारी हुआ था

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 6 अगस्त को टिकटॉक की पैरेंट कंपनी बाइटडांस को अपना अमेरिका कारोबार बेचने का एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया था। इसमें कहा गया था कि अगर 45 दिन में कंपनी अपना बिजनेस किसी अमेरिकी कंपनी को नहीं बेचती है तो इस पर रोक लगा दी जाएगी। यह समय रविवार को पूरा हो रहा था। कॉमर्स डिपार्टमेंट ने शुक्रवार को कहा कि रविवार तक ऐप स्टोर पर वीचैट या टिकटॉक को हटाने का ऑर्डर जारी किया जा सकता है।

ट्रम्प ने टिकटॉक को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया था

ट्रम्प ने टिकटॉक को राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और इकोनॉमी के लिए खतरा बताया था। उन्होंने कहा था कि टिकटॉक ऑटोमैटिकली यूजर की जानकारी हासिल कर लेता है। डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी, ट्रांसपोर्टेशन सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन और आर्म्ड फोर्सेस में टिकटॉक का इस्तेमाल पहले ही बंद किया जा चुका है।



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ट्रम्प ने टिकटॉक का सौदा अमेरिकी कंपनियों से होने पर कहा- यह अमेरिका के लिए एक बड़ा सौदा है। टिकटॉक अब 100% सुरक्षित है।

US judge blocks Commerce Department order to remove WeChat from app stores September 20, 2020 at 03:49AM

Sharif makes political comeback; launches attack on Army, govt September 20, 2020 at 02:19AM

Iran's Rouhani says US faces defeat in bid to reimpose UN sanctions September 20, 2020 at 02:56AM

Pak economy completely destroyed in last two years: Nawaz Sharif September 20, 2020 at 02:16AM

दाऊद इब्राहिम समेत 21 आतंकवादियों को वीआईपी ट्रीटमेंट दे रही इमरान सरकार; इनमें से कई आतंकी भारत में वॉन्टेड September 20, 2020 at 01:58AM

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की दोहरी नीति फिर उजागर हुई है। उस पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की तलवार लटकी है, लेकिन वह आतंकियों को पनाह देने से बाज नहीं आ रहा है। कुछ को तो वीआईपी ट्रीटमेंट दे रहा है। इनमें दाऊद इब्राहिम और खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स का आतंकी रंजीत सिंह नीता शामिल हैं।

सूत्रों के मुताबिक, इंटरनेशनल कम्युनिटी पाकिस्तान के पाखंड को लेकर चिंता में है, जो आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने का दिखावा कर रहा है। पाकिस्तान आतंकियों को फंड मुहैया करा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार 21 खतरनाक आतंकियों को वीआईपी सुरक्षा मुहैया करा रही है। इनमें वे आतंकी भी शामिल हैं, जिन पर पिछले महीने ही प्रतिबंध लगाए गए थे।

भारत में वॉन्टेड आतंकियों को वीआईपी ट्रीटमेंट
पाकिस्तान में वीआईपी ट्रीटमेंट पा रहे आतंकियों की एक लिस्ट न्यूज एजेंसी एएनआई के हाथ लगी है। इसमें दाऊद, बब्बर खालसा इंटरनेशनल चीफ वाधवा सिंह, इंडियन मुजाहिद्दीन चीफ रियाज भटकल, आतंकी मिर्जा शादाब बेग और अफिफ हसन सिद्दिबापा समेत कई आतंकियों के नाम हैं। इनमें से कई आतंकी भारत में वॉन्टेड हैं।

पिछले महीने पाकिस्तान ने जारी की थी लिस्ट
पिछले महीने ही इमरान सरकार ने पाकिस्तान में मौजूद 88 आतंकियों की लिस्ट जारी की थी। इनमें दाऊद का भी नाम था। यह भी बताया गया था कि दाऊद के पास 14 पासपोर्ट हैं। कराची में उसके तीन घर हैं। हालांकि, बाद में पाकिस्तान अपने दावे से पलट गया था।

दाऊद 1993 के मुंबई बम धमाकों का मास्टरमाइंड है। इन धमाकों में 257 लोगों की मौत हुई थी और 1400 से ज्यादा जख्मी हुए थे। इन हमलों के बाद दाऊद पाकिस्तान भाग गया था। पाक ने वहां उसकी मौजूदगी के बारे में खुलकर कभी नहीं कबूला।

पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में
पाकिस्तान के सामने दिक्कत यह है कि आतंकियों से निपटने के मामले में अपने खराब रिकॉर्ड के कारण वह 2018 से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है। एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में होना यानी दुनियाभर से आर्थिक मदद मिलने में परेशानी। पाकिस्तान को उम्मीद है कि आतंकियों के नाम बताकर अगर वह उनके खिलाफ कदम उठाता है तो वह ग्रे लिस्ट से बाहर आ सकता है। टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को 27 पॉइंट का डिमांड लेटर दिया था। अगर पाकिस्तान ने टास्क फोर्स की शर्तें नहीं मानीं, तो वह ब्लैक लिस्टेड हो सकता है।

अक्टूबर में मीटिंग
एफएटीएफ की मीटिंग अक्टूबर में है। यह टास्क फोर्स दुनियाभर में मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग नेटवर्क पर नजर रखती है। दुनियाभर के देश इस टास्क फोर्स की सिफारिश को मानते हैं।

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1. पाकिस्तान ने पहली बार माना- दाऊद इब्राहिम के पास 14 पासपोर्ट और कराची में 3 घर; दुनिया में बदनामी से बचने के लिए 88 आतंकियों पर प्रतिबंध लगाए

2. पाकिस्तान की दिखावे की कार्रवाई, एफएटीएफ में ब्लैक लिस्ट होने से बचने के लिए पाक ने 88 आतंकियों पर प्रतिबंध लगाए, इनमें ज्यादातर छोटे गुटों से संबंधित



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दाऊद 1993 में मुंबई में हुए बम धमाकों का मास्टरमाइंड है। इन हमलों के बाद वह पाकिस्तान भाग गया था। (फाइल फोटो)

Trump vows to nominate woman judge for SC ahead of elections September 20, 2020 at 01:24AM

"I will be putting forth a nominee next week. I could say most likely it would be a woman. I think I can say that. If somebody were to ask me now I would say that a woman would be in first place," Donald Trump told supporters at an election rally in North Carolina on Saturday.

20 million more girls may not return to schools even after Covid: Malala September 19, 2020 at 11:15PM

"On education alone, 20 million more girls may never go back to the classroom when this crisis ends (and) the global education funding gap has already increased to 200 billion dollars per year," Malala, 23, who once took a bullet from a Pakistani Taliban terrorist for campaigning for girls' education in Pakistan, said.