Thursday, January 23, 2020

EU chiefs sign Brexit deal ahead of parliamentary vote January 23, 2020 at 09:43PM

ब्रिटिश मैगजीन ने कहा- मोदी सहिष्णु समाज वाले भारत को उग्र राष्ट्रवाद से भरा हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं January 23, 2020 at 09:17PM

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागरिकता संशोधन कानून के जरिए भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों की अनदेखी कर रहे हैं। वे लोकतंत्र को ऐसा नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिसका असर भारत पर अगले कई दशकों तक रह सकता है। यह कहना है ब्रिटिश मैगजीन ‘द इकोनॉमिस्ट’ का। भारत की मौजूदा भाजपा सरकार की नीतियों समीक्षा में मैगजीन ने कहा है कि मोदी सहिष्णु और बहुधर्मीय समाज वाले भारत को उग्र राष्ट्रवाद से भरा हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश में जुटे हैं।

द इकोनॉमिस्टने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) एनडीए सरकार के दशकों से चल रहे भड़काऊ कार्यक्रमों में सबसे जुनूनी कदम है। लेख में कहा गया है कि सरकार की नीतियों ने भले ही मोदी को चुनाव में जीत दिलाने में मदद की हो, लेकिन अब यही नीतियां देश के लिए राजनीतिक जहर साबित हो रही हैं। मैगजीन ने चेतावनी के अंदाज में कहा है कि मोदी की नागरिकता संशोधन कानून जैसी पहलें भारत में खूनी संघर्ष करा सकती हैं।

‘भाजपा ने धर्म के नाम पर बांट कर खराब अर्थव्यवस्था से लोगों का ध्यान भटकाया’
लेख में कहा गया है कि भाजपा ने धर्म और देश की पहचान के नाम पर बंटवारा किया और इशारों में मुस्लिमों को खतरनाक करार दिया है। इसके जरिए पार्टी आधारभूत समर्थकों को ऊर्जावान रखने और खराब अर्थव्यवस्था के मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाने में सफल हुई है। मैगजीन में रकहा गया है कि प्रस्तावित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) भगवा पार्टी को अपना बांटने वाला एजेंडा आगे बढ़ाने में मदद करेगा। एनआरसी की लिस्टिंग की प्रक्रिया सालों-साल चलती रहेगी, जिससे उनके बंटवारे का एजेंडा भी चलता रहेगा।



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Narendra Modi Economist Magazine | The Economist London Magazine Intolerant India On PM Narendra Modi Over Citizenship Act

Nepal invites PM Modi for Sagarmatha dialogue January 23, 2020 at 08:49PM

The first edition of the 'Sagarmatha Sambaad' is scheduled to be held from April 2 to 4 on the theme "Climate Change, Mountains and the Future of Humanity," he told a group of visiting Indian reporters. "We have invited Prime Minister Narendra Modi and are awaiting the confirmation," Gyawali said.

Dems struggle to build broad support on eve of voting January 23, 2020 at 08:08PM

Trump 'should be removed': Impeachment trial January 23, 2020 at 07:32PM

Lead House impeachment manager Adam Schiff called dramatically for the Senate to remove President Donald Trump from office Thursday, saying the US leader cannot be trusted to put the country's interests ahead of his own. ​

Brexit bill crosses UK Parliament finish line in time for Jan 31 exit from EU January 23, 2020 at 12:54AM

अमेरिकी समाजसेवी सोरोस बोले- लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए मोदी भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं January 23, 2020 at 07:12PM

दावोस. यहां चल रहे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में गुरुवार को अमेरिकी अरबपति समाजसेवी जॉर्ज सोरोस ने अपने विचार रखे। राष्ट्रीयता के मुद्दे पर सोरोस ने कहा कि अब इसके मायने ही बदल गए हैं। भारत में लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को एक हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। वे अर्धस्वायत्तशासी मुस्लिम क्षेत्र कश्मीर में दंडनीय (अनुच्छेद 370 को हटाना) कदम उठा रहे हैं। साथ ही सरकार के फैसलों (नागरिकता संशोधन कानून) से वहां रहने वाले लाखों मुसलमानों पर नागरिकता जाने संकट पैदा हो गया है।

दुनिया में अब तानाशाहों का राज
सोरोस ने यह भी कहा, ‘‘सिविल सोसाइटी में लगातार गिरावट आ रही है। मानवता कम होती जा रही है। ऐसा लगता है कि आने वाले सालों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भाग्य से ही दुनिया की दिशा तय होगी। इस समय व्लादिमीर पुतिन,ट्रम्प और जिनपिंग तानाशाह जैसे शासक हैं। सत्ता पर पकड़ रखने वाले शासकों में इजाफा हो रहा है।’’

सोरोस ने यह भी कहा, ‘‘इस वक्त हम इतिहास के बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। खुले समाज की अवधारणा खतरे में है। इससे बड़ी एक और चुनौती है- जलवायु परिवर्तन। अब मेरी जिंदगी का सबसे अहम प्रोजेक्ट ओपन सोसाइटी यूनिवर्सिटी नेटवर्क (ओएसयूएन) है। यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसमें दुनिया की सभी यूनिवर्सिटी के लोग पढ़ा और शोध कर सकेंगे। ओएसयूएन के लिए मैं एक अरब डॉलर (करीब 7100 करोड़ रुपए) का निवेश करूंगा।’’



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सोरोस ने यह भी कहा- खुले समाज की अवधारणा खतरे में है। जलवायु परिवर्तन इससे बड़ी चुनौती है।

ट्रम्प जल्द इजराइल-फिलिस्तीन के बीच शांति योजना पेश करेंगे, नेतन्याहू को चर्चा के लिए अमेरिका बुलाया January 23, 2020 at 06:49PM

नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि वे जल्द ही इजराइल और फिलिस्तीन के बीच शांति के लिए अपनी योजना रखेंगे। ट्रम्प ने गुरुवार को एयर फोर्स वन (राष्ट्रपति की विमान सेवा) में सवार होने से पहले रिपोर्टर्स से बातचीत के दौरान कहा कि यह एक बेहतरीन योजना है। हो सकता है फिलिस्तीन के लोगों को शुरुआत में योजना पसंद न आए, लेकिन यह उनके लिए फायदेमंद होगी। ट्रम्प ने मंगलवार को इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू और उनके प्रतिद्वंदी बेनी गैंट्ज को मंगलवार को इस योजना पर चर्चा के लिए बुलाया है।

फिलिस्तीनियों ने नकारी ट्रम्प प्रशासन की शांति की योजना
ट्रम्प ने कहा कि उनके प्रशासन ने इस योजना के बारे में फिलिस्तीनियों से बातचीत की थी। वहां के नागरिकों ने योजना के सामने आने से पहले ही इसे नकारने का फैसला कर लिया। ट्रम्प ने कहा- अभी हमारी फिलिस्तीन के लोगों से थोड़ी ही बात हुई है। कुछ समय बाद हम फिर इस योजना पर उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे। हालांकि, फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के प्रवक्ता नबील अबु रुदिने ने ट्रम्प के इस ऐलान के बाद कहा कि अमेरिका और इजराइल को हद नहीं पार करनी चाहिए।

पहले कई बार टल चुका है ट्रम्प का इजराइल-फिलिस्तीन शांति प्लान
ट्रम्प इससे पहले भी कई बार इजराइल और फिलिस्तीनियों के बीच शांति समझौते के लिए प्रस्ताव पेश करने की बात कह चुके हैं। हालांकि, उनकी योजना पिछले दो सालों से टल रही है। फिलिस्तीन के लोगों का अनुमान है कि ट्रम्प की योजना इजराइल के पक्ष में ही होगी, इसलिए उनके लिए यह बेकार है।

वेस्ट बैंक में इजराइल के कब्जे को मान्यता दे चुका है अमेरिका
अमेरिका ने पिछले साल इजराइल के प्रति अपनी नीतियों में बड़ा बदलाव किया है। ट्रम्प प्रशासन ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय की नीति को पलटते हुए इजराइल के वेस्ट बैंक और पूर्व येरुशलम पर कब्जे को मान्यता दी थी। यानी अमेरिका वेस्ट बैंक में इजराइली बस्तियों को अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के तौर पर नहीं देखता। विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने यह ऐलान करते हुए कहा था कि वेस्ट बैंक हमेशा से इजराइल और फिलिस्तीन के बीच विवाद का कारण रहा। इन बस्तियों को बार-बार अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कहने का कोई फायदा नहीं हुआ। इसकी वजह से शांति की कोशिशें भी नहीं हुई हैं।

क्या है इजराइल-फिलिस्तीन के बीच विवाद?
इजराइल का गठन 1948 में हुआ था। तब फिलिस्तीन ने आरोप लगाया था कि यहूदियों ने जबरदस्ती उसकी जमीन पर कब्जा कर लिया। जबकि यहूदियों का कहना था कि येरुशलम और उसके आसपास की जमीन हमेशा से उनकी रही है। इजराइल पूरे येरुशलम को अपनी प्राचीन और अविभाज्य राजधानी मानता है। इसे लेकर इजराइल ने 1967 में अरब देशों के खिलाफ मिडिल-ईस्ट वॉर लड़ी और उन्हें हराकर फिलिस्तीन के बड़े इलाके पर कब्जा कर लिया। इसके बाद से ही इजराइल और फिलिस्तीन के बीच जमीन के बंटवारे (टू स्टेट सॉल्यूशन)के लिए कई प्रस्ताव पेश हुए, लेकिन दोनों ही इन्हें नहीं मानते।

1993 में हुए एक शांति समझौते के मुताबिक, येरुशलम की स्थिति को लेकर दोनों देशों के बीच शांति वार्ता होनी हैं। हालांकि, 1967 के बाद से ही इजराइल ने यहां कई निर्माण कर लिए हैं। अभी पूर्वी येरुशलम में करीब 2 लाख यहूदियों के घर हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक यह गलत है, लेकिन इजराइल इसे नहीं मानता।



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डोनाल्ड ट्रम्प ने इजराइली पीएम नेतन्याहू को चर्चा के लिए मंगलवार को अमेरिका बुलाया है।

9/11 हमले में सऊदी सरकार पर संदेह; 19 साल से साजिशकर्ता का नाम नहीं बता रही है अमेरिकी सरकार January 23, 2020 at 06:20PM

वॉशिंगटन (न्यूयॉर्क टाइम्स से टीम गोल्डन, सेबेस्टियन रोटेला). अमेरिका के न्याय विभाग ने सऊदी अरब के उस अधिकारी के नाम का 19 साल बाद भी खुलासा नहीं किया है, जिसके 11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला करने वाले अल-कायदा के आतंकियों से संबंध थे। इस हमले में मारे गए लाेगाें के परिजनाें ने व्हाइट हाउस पर फिर एक बार दबाव बनाना शुरू कर दिया है। अमेरिकी न्याय विभाग का कहना है कि इस अधिकारी का नाम उजागर होने से सऊदी सरकार की सच्चाई सामने आ जाएगी।

एफबीआई के बीच नहीं बनी सहमति

एफबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह व्यक्ति उन तीन सऊदी अधिकारियों में से एक है, जो हमलावरों को सहायता पहुंचाने के लिए अमेरिका पहुंचे थे। इस नाम का खुलासा न होने की एक वजह एफबीआई के बीच ही सहमति न बन पाना है। एफबीआई में शीर्षस्थ अधिकारियों के बीच नाम के खुलासे काे लेकर मतभेद हैं। एक वर्ग का कहना है कि नाम जाहिर कर देना चाहिए, जबकि दूसरे समूह का कहना है कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा काे खतरा हाेगा।

सऊदी शहजादे पर बेजोस का फोन हैक करने का आरोप

दरअसल, 9/11 हमले के साजिशकर्ता के नाम के खुलासे की मांग इसलिए मौजूं हो गई है, क्योंकि दो दिन पहले सऊदी शहजादे मोहम्मद बिन सलमान पर एक ब्रिटिश अखबार ने आरोप लगाया था कि उन्होंने वॉट्सएप के जरिए अमेजन के मालिक जेफ बेजोस का फोन हैक कर उनका डेटा भी चुरा लिया था। इस हैकिंग के 5 महीने बाद ही वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या भी कर दी गई थी। इसके पहले 2010 में हमलों की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कुछ हमलावरों को सऊदी अधिकारियों से धन मिला था। इनमें से दो सऊदी खुफिया अधिकारी थे। ये दोनों अधिकारी फहाद अल-थुमैरी और उमर-अल-बायूमी उस समय अमेरिका में सऊदी अरब दूतावास में तैनात थे। तीसरे का नाम गुप्त रखा गया। इस शख्स का ताल्लुक सऊदी के शाही परिवार से है। 9/11 के हमले में करीब 3,000 लोग मारे गए थे और पीड़ित परिवारों ने सऊदी अरब सरकार पर मुआवजे के लिए केस किया है।

पीड़ितों ने कहा- न्याय की लड़ाई को राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ न जोड़ा जाए
पीड़ित परिवारों का कहना है कि उन्हें हर बार आश्वासन ही दिया जा रहा है। पहले बुश फिर ओबामा और अब ट्रम्प प्रशासन। हमारी न्याय की लड़ाई को राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ न जोड़ा जाए। इधर, खुद राष्ट्रपति ट्रम्प कह चुके हैं कि नाम की घोषणा की जाएगी। लेकिन वक्त नहीं बताया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि हम दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को भी ध्यान में रख रहे हैं।



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9/11 के हमले में करीब 3,000 लोग मारे गए थे।

North Korea names sharp-tongued army figure as foreign minister January 23, 2020 at 05:56PM

Ri Son Gwon's new title as foreign minister was disclosed Friday in a Korean Central News Agency dispatch that said he attended a reception for foreign diplomats in Pyongyang the previous day. South Korean and other outside media outlets have recently reported North Korea informed foreign diplomats in Pyongyang of Ri's job last week.

South Korea confirms second coronavirus case January 23, 2020 at 05:48PM

South Korea on Friday confirmed its second case of the SARS-like virus that has killed at least 25 in China, as concerns mount about a wider outbreak. Several nations including the US have stepped up checks on airport passengers to detect the coronavirus, which first emerged in the central Chinese city of Wuhan.

बच्चे को नागरिकता दिलाने के इरादे से गर्भवती वीजा नहीं ले सकेंगी, कल से नया नियम लागू January 23, 2020 at 05:00PM

वॉशिंगटन. दूसरे देश की गर्भवती महिलाएं सिर्फ बच्चे को जन्म देने और उसे वहां की नागरिकता दिलाने के इरादे से अमेरिका का पर्यटन वीजा हासिल नहीं कर सकेंगी। व्हाइट हाउस ने इसके लिए नया नियम लागू कर दिया है, जो शुक्रवार से प्रभावी है। अमेरिकी संविधान के तहत वहां जन्म लेने वाले को स्वत: ही वहां की नागरिकता मिल जाती है, भले ही वह किसी भी देश को हो। नया नियम लागू होने के बाद अब गर्भवती महिलाओं को अमेरिका की यात्रा करने के लिए कोई दूसरा ठोस कारण बताना होगा।

व्हाइट हाउस की प्रवक्ता स्टेफनी ग्रीशम ने कहा, “अमेरिका अपने नागरिकों की अखंडता को सुरक्षित करना चाहता है। अस्थायी बी-1 और बी-2 यात्री वीजा को ‘बर्थ टूरिज्म’ के लिए जारी नहीं किया जाएगा। बर्थ टूरिज्म के जरिए गर्भवती महिलाएं यात्रा करती थी और यह हमारे सिस्टम की एक बड़ी खामी थी। बर्थ टूरिज्म इंडस्ट्री से अस्पतालों की सुविधाओं पर भारी असर पड़ा था और इससे आपराधिक गतिविधियां बढ़ गई थी। इस प्रकार की यात्रा बंद होने से अमेरिका का राष्ट्रीय हित सुरक्षित होगा।”

अमेरिकी करदाताओं की मेहनत की कमाई सुरक्षित होगी

उन्होंने कहा, “इस प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगने से अमेरिकी करदाताओं की मेहनत की कमाई भी सुरक्षित होगी जिसका फायदा विदेशी गर्भवती महिलाएं उठाती थी।” अमेरिका के संविधान में यह प्रवाधान है कि कोई भी महिला अगर यहां के जमीन पर किसी बच्चे को जन्म देती है तो उसे यहां की नागरिकता स्वतः ही मिल जाएगी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जन्मसिद्ध नागरिकता देने के खिलाफ हमेशा मुखर रहे हैं। वह इसे बंद करने की धमकी देते रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि यह इतना आसान नहीं होगा।

रूस और चीन से बड़ी संख्या में महिलाएं अमेरिका जाती हैं

सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज के मुताबिक, अकेले 2012 में ही 36 हजार से ज्यादा विदेशी महिलाओं ने अमेरिका में बच्चों को जन्म दिया था। खासतौर पर रूस और चीन से बड़ी संख्या में महिलाएं अपने बच्चों को जन्म देने के लिए अमेरिका पहुंचती हैं। हालांकि अमेरिकी प्रशासन ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले से ही इस धंधे को खत्म करने की कोशिश कर रहा था।

जन्म दिलाने के लिए ऑपरेटर1 लाख डॉलर वसूलते थे

अधिकारियों ने बताया कि ‘बी’ वीजा के जरिए महिलाएं अमेरिका पहुंचकर हर साल हजारों बच्चों को जन्म देती हैं और इसकी संख्या लगातार बढ़ रही है। सेंटर फॉर इमीग्रेशन स्टडीज के अनुसार, 2016 के मध्य से लेकर 2017 के मध्य तक बर्थ वीजा के जरिए 33 हजार बच्चों का जन्म हुआ। अमेरिका में वार्षिक जन्म दर 30 लाख 80 हजार बच्चों का है। विदेश विभाग के मुताबिक, अमेरिका धरती पर बच्चों को जन्म दिलाने के लिए ऑपरेटर एक महिला से 1 लाख डॉलर (करीब 71 लाख रुपए) वसूलते थे।



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अब गर्भवती महिलाओं को अमेरिका की यात्रा करने के लिए कोई दूसरा ठोस कारण बताना होगा।- प्रतीकात्मक फोटो

China virus death toll mounts to 25, infections spread January 23, 2020 at 04:54PM

China's National Health Commission said 830 cases had been confirmed so far and 25 people had died as of Thursday. Most of the cases are in the central Chinese city of Wuhan, where the virus is believed to have originated late last year.

George Soros unveils $1bn university plan, takes aim at Trump and Xi January 23, 2020 at 05:03PM

Philanthropist George Soros on Thursday pledged one billion dollars for a new university network project to battle the erosion of civil society. Speaking in Davos, Soros said humanity was at a turning point and the coming years would determine the fate of rulers like President Donald Trump and China's Xi Jinping as well as the world itself.

China confirms 1st death outside epicenter of viral outbreak January 23, 2020 at 04:46PM

In Wuhan, where the lockdown began early Thursday, normally bustling streets, malls and other public spaces were eerily quiet. Masks were mandatory in public. The train station and airport were closed, and ferry, subway and bus service was halted; police checked all incoming vehicles but did not close off the roads.

Death toll rises to 11 in Spain as Storm Gloria ebbs January 23, 2020 at 04:42PM

The death toll from a violent storm that has wrought havoc across huge swathes of Spain's eastern and southern coastline rose to 11 on Thursday, with rescue workers still searching for four people.

कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या 25 पहुंची, पीड़ित भारतीय नर्स में वुहान का जानलेवा वायरस नहीं January 23, 2020 at 04:46PM

बीजिंग. चीन में कोरोनावायरस का असर लगातार बढ़ रहा है। देशभर में इस वायरस से प्रभावित 830 लोगों की पहचान हो चुकी है। इसके अलावा 20 प्रांतों में 1072 लोगों के इसी वायरस से प्रभावित होने का शक है। गुरुवार तक इससे मरने वालों की संख्या 25 पहुंच गई। चीन के जिन 5 शहरों में कोरोनावायरस के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं, उन्हें लॉकडाउन कर दिया गया है। वुहान के 90 लाख लोगों समेत कुल2 करोड़ लोग बाहरी दुनिया से अलग हो गए हैं।इन 5 शहरों सेबाहर जाने वाली बसें, ट्रेनें और उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। इससे पहले कोरोनावायरस से प्रभावित लोगों के चीन से बाहर जाने की वजह से इस बीमारी का असर दुनियाभर के 9 देशों तक पहुंच चुका है।

एक दिन पहले ही सऊदी अरब के अस्पताल में काम करने वाली एक भारतीय नर्स कोरोना वायरस संक्रमित पाई गई थी। हालांकि, सऊदी स्थित भारतीय दूतावास का कहना है कि नर्स वायरस के उस टाइप से पीड़ित नहीं है, जिसने चीन में 25 लोगों की जान ली। बताया गया है कि नर्स कोरोनावायरस के एमईआरएस-सीओवी टाइप से पीड़ित है, न कि 2019-एनसीओवी (वुहान) टाइप से।

लोगों के बिना कारण घरों से निकलने पर भी रोक

प्रशासन ने सबसे ज्यादा प्रभावित पांच शहरों वुहान, इझोऊ, हुआंगगैंग, चिबी और झिझियांग से लोगों के बाहर जाने पर रोक लगा दी है। इन शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और ट्रेनें रोक दी गई है। लोगों को बिना कारण घर से निकलने से मना किया गया है। साथ हीभीड़ के जुटने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।



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China Coronavirus effects more, nearly thousand cases identified, cities under lockdown news and updates
China Coronavirus effects more, nearly thousand cases identified, cities under lockdown news and updates

US investigating second suspected case of Chinese virus January 23, 2020 at 04:38PM

Authorities in Texas are investigating a second suspected case on US soil of a deadly Chinese virus, namely a college student who had recently returned from the city at the heart of the outbreak, officials said Thursday.

Singapore schools ask for holiday travel details as China virus spreads January 23, 2020 at 04:31PM

A 66-year old Chinese national was the first case of the virus in Singapore, while another has tested positive preliminarily, authorities said on Thursday. The virus has infected more than 800 in China.

Bezos hack: FB points finger at smartphone vulnerabilities January 23, 2020 at 03:55PM

One of the things that it highlights is actually some of the potential underlying vulnerabilities that exist on the actual operating systems on phones," she said.

Why US troop cuts in Africa would cause alarm January 23, 2020 at 01:52AM

Islamic extremists are already exploiting possible US military cuts in Africa that have caused a rare bipartisan outcry in Washington, with lawmakers stressing the need to counter China and Russia and contain a growing threat from Islamic State group affiliates.

ट्रम्प ने महाभियोग ट्रायल के दिन 142 ट्वीट और रिट्वीट किए, अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ा January 23, 2020 at 01:34AM

वॉशिंगटन. अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को एक दिन में सबसे ज्यादा ट्वीट और रिट्वीट करने के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ दिया। उन्होंने 22 जनवरी को 142 बार ट्विटर से अपनी बात रखी। इससे पहले ट्रम्प ने सबसे ज्यादा 123 ट्वीट करने का रिकॉर्ड हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी के सेशन के दौरान 12 दिसंबर को बनाया था, जिसमें उनके खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए दो आर्टिकल मंजूरी दिलाने के लिए बहस हुई थी।

बुधवार को ट्रम्प के ज्यादातर ट्वीट और रिट्वीट यूएस सीनेट महाभियोग ट्रायल से जुड़े थे।अमेरिकी संसद के उच्च सदन सीनेट में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर 13 घंटे सुनवाई हुई। चूंकि, ट्रम्प बुधवार को स्विट्जरलैंड के दावोस में थे, इसलिए उन्होंने ट्वीट की शुरुआत वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम से जुड़े ट्वीट से की। Factba.se के मुताबिक,वे बुधवार को वहां के स्थानीय समयानुसार सुबह 6 से 7 बजे के बीच 41 ट्वीट कर चुके थे। इनमें से ज्यादातर पोस्ट उन संदेशों और वीडियो और फोटो के रिट्वीट थे, जो रिपब्लिकन सांसदों और अन्य ट्रम्प समर्थकों ने साझा किए थे। वे महाभियोग के लिए डेमोक्रेट्स की आलोचना कर रहे थे और ट्रम्प राजनीति और नीति पर भरोसा जता रहे थे।

राष्ट्रपति बनने सेपहले एक दिन मेंसबसे ज्यादा 161 ट्वीट किए थे
डोनाल्ड ट्रम्प ने इससे पहले एक दिन में सबसे ज्यादा 161 ट्वीट्स 5 जनवरी 2015 में किए थे। तब वे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे। ये सभी ट्वीट उनके रियलिटी शो पर केंद्रित थे। ट्रम्प ने 2009 में ट्विटर ज्वाइन किया था। अभी उनके 71.4 मिलियन फॉलोअर्स हैं। वे सिर्फ 47 लोगों को फॉलो करते हैं।

ट्रम्प पर शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप

ट्रम्प इन दिनों सीनेट में महाभियोग ट्रायल का सामना कर रहे हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने दो डेमोक्रेट्स और अपने प्रतिद्वंद्वी जो बिडेन के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए यूक्रेन पर दबाव डाला था। निजी और सियासी फायदे के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए 2020 राष्‍ट्रपति चुनाव के लिए अपने पक्ष में यूक्रेन से विदेशी मदद मांगी थी। ट्रम्प पर दूसरा आरोप है कि उन्होंने व्हाइट हाउस के अपने साथियों को संसद के निचले सदन- हाउज ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में गवाही देने से रोका। जांच कमेटी के सदस्यों ने कहा था कि ट्रम्प ने राष्ट्रपति पद की गरिमा को कमजोर किया। उन्होंने अपने पद की शपथ का भी उल्लंघन किया।



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ट्रम्प ने सबसे ज्यादा 161 बार ट्वीट और रिट्वीट 5 जनवरी 2015 को किए थे। हालांकि, उस वक्त वे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे।

इमरान ने कहा- उइगर मुस्लिमों के साथ हो रहे अत्याचार पर पाकिस्तान इसलिए चुप, क्योंकि चीन अच्छा दोस्त January 22, 2020 at 10:05PM

बर्लिन. चीन में अल्पसंख्यक उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार को लेकर अमेरिका समेत कई देश नाराजगी जता चुका है। इसके बावजूद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर हमारी इस मुद्दे पर बातचीत होती रहती है। वह हमारा अच्छा दोस्त है और उसने इस्लामाबाद की बुरे समय में भी मदद की है।

न्यूज एजेंसी ने गुरुवार को बताया कि 16 जनवरी को जर्मनी की मीडिया कंपनी डीडब्ल्यू से साक्षात्कार में इमरान खान ने कश्मीर के मुद्दे पर काफी बात की। हालांकि, उन्होंने कहा कि चीन ‘संवेदनशील’ हैं इसीलिए इस्लामाबाद उनके साथ उइगर मुस्लिमों के मुद्दे पर चर्चा करने से बचता है।

उनसे पूछा गया कि वे उइगर मुस्लिम के मुद्दे पर बहुत मुखर क्यों नहीं हैं, जबकि कश्मीर मुद्दे पर हमेशा आवाज उठातेरहते हैं। इस पर इमरान ने कहा कि मुख्य रूप से इसके दो कारण हैं। सबसे पहले भारत में जो हो रहा है वह चीन में उइगरों के साथ होने वाले अत्याचार के बराबर नहीं है। दूसरा, चीन पाकिस्तान का अच्छा दोस्त है। इसने हमारी सरकार को आर्थिक संकट के सबसे कठिन समय में मदद की है। हम सार्वजनिक तौर पर तो नहीं, लेकिन निजी रूप से इन सब विषयों पर बात करते रहते हैं।

लाखों उइगरों को नजरबंदी शिविरों में बंद रखा गया

चीन को अपने देशों में रहने वाले अल्पसंख्यकों पर कड़ी पाबंदी के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा की गई है। चीन ने लाखों उइगरों को नजरबंदी शिविरों में बंद कर रखा है। साथ ही उनके धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करता रहता है। हालांकि, पाकिस्तान इस पर हमेशा चुप्पी साधेरहता है। पिछले साल जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था तब पाकिस्तान ने घाटी में मुस्लिमों की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की थी। साथ ही भारत के खिलाफ बयानबाजी की थी। खान ने खुद को कश्मीरियोंका राजदूत भी बताया था।

अमेरिका भी उइगरों पर चिंता जता चुका है

चीन में उइगर मुस्लिमों की स्थिति पर अमेरिका भी नाराजगी जाहिर कर चुका है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इमरान खान से कहा था कि वे जैसे कश्मीरपर चिंता दिखाते हैं, वैसे ही उइगरों पर बात करें। पिछले साल सितंबर में इमरान खान के कश्मीर पर चिंता जाहिर किए जाने पर महासभा मेंदक्षिण और मध्य एशिया में अमेरिका की कार्यवाहक सहायक सचिव एलिस वेल्स ने कहा था,‘‘मैं चीन में हिरासत में लिए गए मुसलमानों के लिएउतनी ही चिंतित हूं, जितनी कि दूसरे जगह के मुसलमानों के लिए। चीन में मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है। वहां ह्यूमन राइट्स का उल्लंघन किया जा रहा है। लेकिन, इमरानको उनकी चिंता नहीं है।’’



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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान। -फाइल फोटो

ICJ says has preliminary jurisdiction in Myanmar genocide case January 22, 2020 at 08:15PM

The International Court of Justice said on Thursday that it has jurisdiction to hear a case against Myanmar seeking emergency measures to prevent it committing genocide against its Rohingya minority. The presiding judge said the court does have sufficient jurisdiction to decide on the request for emergency measures in the case, which was brought by Gambia.

Pakistan court sends Hindu girl to protection centre January 22, 2020 at 11:22PM

Her father Vijay Kumar filed an FIR, claiming that Solangi had abducted and married her forcibly. He also said that her daughter was 15-year-old when she was abducted. Kumari and Solangi were produced before a court on Tuesday from where she was sent to the women police protection centre, according to court officials.

Three US firefighters killed in Australia water bomber crash January 22, 2020 at 09:23PM