Thursday, January 23, 2020

ट्रम्प जल्द इजराइल-फिलिस्तीन के बीच शांति योजना पेश करेंगे, नेतन्याहू को चर्चा के लिए अमेरिका बुलाया January 23, 2020 at 06:49PM

नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि वे जल्द ही इजराइल और फिलिस्तीन के बीच शांति के लिए अपनी योजना रखेंगे। ट्रम्प ने गुरुवार को एयर फोर्स वन (राष्ट्रपति की विमान सेवा) में सवार होने से पहले रिपोर्टर्स से बातचीत के दौरान कहा कि यह एक बेहतरीन योजना है। हो सकता है फिलिस्तीन के लोगों को शुरुआत में योजना पसंद न आए, लेकिन यह उनके लिए फायदेमंद होगी। ट्रम्प ने मंगलवार को इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू और उनके प्रतिद्वंदी बेनी गैंट्ज को मंगलवार को इस योजना पर चर्चा के लिए बुलाया है।

फिलिस्तीनियों ने नकारी ट्रम्प प्रशासन की शांति की योजना
ट्रम्प ने कहा कि उनके प्रशासन ने इस योजना के बारे में फिलिस्तीनियों से बातचीत की थी। वहां के नागरिकों ने योजना के सामने आने से पहले ही इसे नकारने का फैसला कर लिया। ट्रम्प ने कहा- अभी हमारी फिलिस्तीन के लोगों से थोड़ी ही बात हुई है। कुछ समय बाद हम फिर इस योजना पर उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे। हालांकि, फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के प्रवक्ता नबील अबु रुदिने ने ट्रम्प के इस ऐलान के बाद कहा कि अमेरिका और इजराइल को हद नहीं पार करनी चाहिए।

पहले कई बार टल चुका है ट्रम्प का इजराइल-फिलिस्तीन शांति प्लान
ट्रम्प इससे पहले भी कई बार इजराइल और फिलिस्तीनियों के बीच शांति समझौते के लिए प्रस्ताव पेश करने की बात कह चुके हैं। हालांकि, उनकी योजना पिछले दो सालों से टल रही है। फिलिस्तीन के लोगों का अनुमान है कि ट्रम्प की योजना इजराइल के पक्ष में ही होगी, इसलिए उनके लिए यह बेकार है।

वेस्ट बैंक में इजराइल के कब्जे को मान्यता दे चुका है अमेरिका
अमेरिका ने पिछले साल इजराइल के प्रति अपनी नीतियों में बड़ा बदलाव किया है। ट्रम्प प्रशासन ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय की नीति को पलटते हुए इजराइल के वेस्ट बैंक और पूर्व येरुशलम पर कब्जे को मान्यता दी थी। यानी अमेरिका वेस्ट बैंक में इजराइली बस्तियों को अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के तौर पर नहीं देखता। विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने यह ऐलान करते हुए कहा था कि वेस्ट बैंक हमेशा से इजराइल और फिलिस्तीन के बीच विवाद का कारण रहा। इन बस्तियों को बार-बार अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कहने का कोई फायदा नहीं हुआ। इसकी वजह से शांति की कोशिशें भी नहीं हुई हैं।

क्या है इजराइल-फिलिस्तीन के बीच विवाद?
इजराइल का गठन 1948 में हुआ था। तब फिलिस्तीन ने आरोप लगाया था कि यहूदियों ने जबरदस्ती उसकी जमीन पर कब्जा कर लिया। जबकि यहूदियों का कहना था कि येरुशलम और उसके आसपास की जमीन हमेशा से उनकी रही है। इजराइल पूरे येरुशलम को अपनी प्राचीन और अविभाज्य राजधानी मानता है। इसे लेकर इजराइल ने 1967 में अरब देशों के खिलाफ मिडिल-ईस्ट वॉर लड़ी और उन्हें हराकर फिलिस्तीन के बड़े इलाके पर कब्जा कर लिया। इसके बाद से ही इजराइल और फिलिस्तीन के बीच जमीन के बंटवारे (टू स्टेट सॉल्यूशन)के लिए कई प्रस्ताव पेश हुए, लेकिन दोनों ही इन्हें नहीं मानते।

1993 में हुए एक शांति समझौते के मुताबिक, येरुशलम की स्थिति को लेकर दोनों देशों के बीच शांति वार्ता होनी हैं। हालांकि, 1967 के बाद से ही इजराइल ने यहां कई निर्माण कर लिए हैं। अभी पूर्वी येरुशलम में करीब 2 लाख यहूदियों के घर हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक यह गलत है, लेकिन इजराइल इसे नहीं मानता।



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डोनाल्ड ट्रम्प ने इजराइली पीएम नेतन्याहू को चर्चा के लिए मंगलवार को अमेरिका बुलाया है।

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