Wednesday, January 22, 2020

पाकिस्तान ने फिर कश्मीर का राग अलापा, भारत ने कहा- यह एक प्रतिनिधि जब भी बोलता है जहर ही उगलता है January 22, 2020 at 09:27PM

संयुक्त राष्ट्र. भारत ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में पाकिस्तान पर एक बार फिर निशाना साधा। यूएन में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि के नागराज नायडू ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कियहां एक प्रतिनिधि है, जो जब भी बोलता है जहर ही उगलता है। इस्लामाबाद की सच्चाई से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अवगत है। उसे दोनों देशों के बीच के संबंधों को सामान्य करने के लिए उचित कदम उठाना चाहिए, इसके बजाए वह प्रतिनिधियों को भ्रमित करता है।

संयुक्त राष्ट्र के विशेष सत्र में नायडू ने कहाकि पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सच्चाई से दूर रखता है। यह बेहद आश्चर्यजनक है कि जिस देश ने अल्पसंख्यकों को पूरी तरह खत्म कर दिया है, वह अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की बात कर रहा है। वह हमेशा से अपनी गलतियों को छुपाने के लिए झूठ का सहारा लेता रहा है। लेकिन, पाकिस्तान को अब यह समझ लेना चाहिए कि उसकी झूठी बयानबाजी के झांसे में कोई नहीं आने वाला है।

कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश की

नायडू का यह बयान पाकिस्तान के राजदूत साद अहमद वारैच के जवाब में आया, जिन्होंने अपने भाषण में फिर से कश्मीर का राग अलापा था। पाकिस्तान लगातार संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न प्लेटफार्मों पर कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश करता रहा है। लेकिन बार-बार वह समर्थन पाने में विफल रहा है।

15 जनवरी को भी पाकिस्तान को विफलता मिली थी

पिछले सप्ताह भी चीन ने 15 जनवरी को न्यूयॉर्क में बंद कमरे में हुई सुरक्षा परिषद की बैठक में कश्मीर का मुद्दा उठाने की कोशिश की थी। लेकिन उसकी तीसरी कोशिश भी नाकाम हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, स्थाई सदस्यों समेत 10 देशों ने इसका विरोध किया था। सदस्य देशों ने कहा था कि कश्मीर मुद्दे के लिए यह सही जगह नहीं है। यह भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मामला है।

इसके बाद यूएन में स्थाई प्रतिनिधि सैय्यद अकबरुद्दीन ने कहा था कि हमने एक बार फिर देखा कि पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दा उठाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें किसी का समर्थन नहीं मिला। हमें खुशी है कि पाकिस्तान के किसी भी बेबुनियाद आरोप को यूएन ने चर्चा करने लायक नहीं समझा।

चीन के जरिए पाकिस्तान ने पहले भी दो कोशिशें की है

  • जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और दो केंद्र शाषित प्रदेशों में बांटे जाने के बाद भी अगस्त में चीन ने सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक बुलाई थी और कश्मीर मुद्दा उठाया था। लेकिन, फिर सदस्यों ने इसे भारत-पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा बताते हुए खारिज कर दिया था
  • दिसंबर 2019 में भी इस मुद्दे को लेकर सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों के विरोध के बाद चीन को कश्मीर मुद्दे पर बहस का प्रस्ताव वापस लेना पड़ा था।


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यूएन में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि के नागराज नायडू। -फाइल फोटो

Pakistan says trade with India plunges significantly January 22, 2020 at 09:07PM

The State Bank of Pakistan data in the first half of 2019-20 fiscal starting from July 1 showed that Pakistan's exports to India during the period came in at an insignificant $16.8 million as compared to $213 million in first half of 2018-19, Dawn news reported.

Ten missing after migrant boat capsizes off Indonesia January 22, 2020 at 08:49PM

Top UN court to rule on Myanmar genocide case January 22, 2020 at 08:32PM

Three US firefighters killed in Australia water bomber crash January 22, 2020 at 08:28PM

Top UN court to rule on Myanmar genocide case January 22, 2020 at 08:15PM

'Novel Chinese coronavirus may have transmitted to humans from snakes' January 22, 2020 at 07:53PM

The novel Chinese coronavirus, which has so far claimed the lives of 17 people,likely resided in snakes before being transmitted to humans, according to a new study. Patients who became infected were exposed to wildlife animals at a wholesale market, where seafood, poultry, snake, bats, and farm animals were sold.

‘रूसी की पसंद’ बताए जाने पर तुलसी गबार्ड ने हिलेरी क्लिंटन के खिलाफ 350 करोड़ रु. मानहानि का मुकदमा दर्ज किया January 22, 2020 at 06:43PM

वॉशिंगटन. डेमोक्रेटिक सांसद तुलसी गबार्ड ने बुधवार को हिलेरी क्लिंटन पर 50 मिलियन डॉलर (करीब 350 करोड़ रु.) मानहानि का मुकदमा दायर किया है। तुलसी ने कहा कि राष्ट्रपति का चुनाव हारने वालीउम्मीदवार ने उन्हें ‘रूसी की पसंद’ कहकर बदनाम किया है।

तुलसी के वकीलों ने मैनहट्टन फेडरल कोर्ट में हिलेरी के खिलाफ मामला दायर किया। वकील ने कहा कि हिलेरी ने उनके बारे में (तुलसी गबार्ड) झूठ बोला है। चाहे व्यक्तिगत दुश्मनी हो, राजनीतिक दुश्मनी हो या राजनीतिक पार्टी में किसी बदलाव का डर हो, हिलेरी और उनके सहयोगियों लंबे समय से हावी रहे हैं।हिलेरी और तुलसी दोनों ही डेमोक्रेटिक पार्टी से हैं।

हवाई से सांसद गबार्ड ने अपने मुकदमें में कहा कि पिछले साल एक मीडिया ग्रुप को दिए इंटरव्यू में हिलेरी ने कहा था कि मैं कोई अंदाजा नहीं लगा रही, लेकिन लगता है कि उन्हें (रूसी एजेंसियों को) राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी से ऐसा उम्मीदवार मिल गया है, जो चुनाव में तीसरी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर खड़ा हो सके। हिलेरी ने गबार्ड का नाम लिए बगैर कहा था कि वे रूसी एजेंसियों की पसंदीदा हैं। रूस के पास उसका समर्थन करने के लिए कुछ वेबसाइट्स और प्रोग्राम हैं।

‘रूसी की पसंद’ बताए जाने परटीवी कमेंटेटर की आलोचना की थी

हिलेरी ने पूरे इंटरव्यू के दौरान शो के प्रेजेंटर और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के सहयोगी रह चुके डेविड प्लूफ ने कहा था कि क्लिंटन को लगता है कि गबार्ड राष्ट्रपति चुनाव में किसी तीसरी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर उभरेंगी, जिन्हें ट्रम्प और रूसी एजेंसियों की तरफ से मदद मिलेगी। 15 अक्टूबर के डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद की बहस के दौरान गबार्ड नेटीवी कमेंटेटर की आलोचना की थी, जिसमें उसने गबार्ड को कहा था कि आपको ‘रूस की पसंदीदा’ कहा जाता है।

2016 में चुनाव अभियान के दौरान तुलसी ने हिलेरी का समर्थन नहीं किया था

मुकदमे के मुताबिक, हिलेरी को तुलसी इसलिए पसंद नहीं हैं, क्योंकि2016 में राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान तुलसी ने उनका समर्थन न कर सीनेटर बर्नी सैंडर्स का समर्थन किया था। इस परहिलेरी के प्रवक्ता निक मेरिल ने कहा कि यह हास्यास्पद है।



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डेमोक्रेटिक सांसद तुलसी गबार्ड। -फाइल फोटो

बेजोस फोन हैक मामले पर विशेषज्ञों ने कहा- विरोधियों को लगातार निशाना बना रहे प्रिंस सलमान, उनकी जांच जरूरी January 22, 2020 at 06:26PM

रियाद/न्यूयॉर्क. अमेजन के मालिक जेफ बेजोस के फोन हैक मामले में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचसीआर) ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की जांच की मांग की है। यूएन एक्सपर्ट्स का कहना है कि बेजोस का फोन हैक एक गंभीर मसला है और इसलिए पूरे मामले की तुरंत जांच होनी चाहिए। इसके अलावा विपक्षियों को लगातार निशाना बनाने के लिए प्रिंस सलमान पर भी जांच बिठाने की मांग की गई है।

क्या है बेजोस के फोन हैक होने का मामला?
एक दिन पहले ही ब्रिटिश अखबार द गार्जियन ने सूत्रों के हवाले से दावा किया कि 2018 में अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट के मालिस जेफ बेजोस के फोन पर सऊदी प्रिंस के पर्सनल वॉट्सऐप नंबर से मैसेज भेजा गया था। इस मैसेज में कई ऐसी वायरस फाइलें थीं, जिनसे बेजोस का फोन हैक हो गया। गार्जियन के मुताबिक, इस बात का खुलासा डिजिटल फॉरेंसिक एनालिसिस की रिपोर्ट में हुआ है। इसमें पाया गया कि एक वीडियो की वजह से बेजोस के फोन की सिक्योरिटी टूट गई थी।

सूत्रों ने दावा किया है कि 1 मई 2018 को बेजोस और प्रिंस सलमान के बीच काफी बातें हुई थीं। इसी बीच प्रिंस सलमान के अकाउंट से खराब फाइल बेजोस के अकाउंट में भेजी गई। बताया गया है कि दोनों के बीच बातों के कुछ ही घंटों के अंदर बेजोस के मोबाइल से काफी अहम डेटा खुफिया तरीके से निकाल लिया गया। अभी यह साफ नहीं है कि जिन फाइल्स को निकाला गया, उसमें क्या था। इस खुलासे के बाद से ही माना जा रहा है कि सऊदी प्रिंस निजी तौर पर बेजोस की जानकारी निकालने में शामिल रहे।

एक्सपर्ट्स के प्रिंस सलमान पर आरोप?
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की अधिकारी मिस कैलामार्ड और मिस्टर काए ने कहा, “हमारे पास जो जानकारी है, इससे लगता है कि बेजोस की जासूसी में क्राउन प्रिंस खुद ही शामिल थे। प्रिंस सलमान सऊदी अरब पर वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्टिंग को चुप कराना नहीं तो कम से कम प्रभावित रखना चाहते थे।”

खशोगी की हत्या से जुड़े प्रिंस सलमान के तार

दोनों ने आगे कहा, “नए आरोपों से एक पैटर्न का भी खुलासा होता है कि किस तरह विपक्षियों को निशाना बनाकर उनकी जासूसी हो, जो कि सऊदी अफसरों के लिए कूटनीतिक तौर पर फायदेमंद साबित हो। एक्सपर्ट्स ने बेजोस के फोन हैकिंग मामले को सीधे तौर पर वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या से जोड़ा है। उन्होंने कहा कि खशोगी का फोन भी उसी वक्त हैक हुआ था, जब बेजोस का फोन हैक हुआ। जमाल खशोगी सऊदी अरब के बड़े आलोचक पत्रकारों में से थे। बेजोस का फोन हैक (1 मई 2018) होने के ठीक 5 महीने बाद 2 अक्टूबर 2018 को उनकी तुर्की स्थित सऊदी दूतावास में हत्या कर दी गई थी।



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यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने बेजोस की फोन हैकिंग के तार वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार खशोगी की हत्या से जोड़े।

Shooting in downtown Seattle leaves 1 dead, 5 wounded January 22, 2020 at 05:28PM

Coronavirus: China locks down epicentre of virus outbreak; nearly 600 infected January 22, 2020 at 04:49PM

The previously unknown coronavirus strain is believed to have emerged late last year from illegally traded wildlife at an animal market in the central Chinese city of Wuhan. Cases have been detected as far away as the United States, stoking fears the virus is already spreading worldwide.

Macron berates Israeli security men in tussle at Jerusalem church January 22, 2020 at 04:19PM

"Go outside," French President Emmanuel Macron demanded in a melee with Israeli security men on Wednesday, demanding they leave a Jerusalem basilica that he visited before a Holocaust memorial conference. France views it as a provocation when Israeli police enter the church's sandstone complex, in a part of Jerusalem captured and annexed by Israel in 1967 war.

Harry & Meghan start life in Canada with media spat January 22, 2020 at 03:54PM

Prince Harry and his wife Meghan started their new life in Canada on Tuesday by launching a legal warning to media outlets over photographs of the duchess near their seaside bolthole.

चीन में 17 की मौत; इसे वाश्विक आपातकाल घोषित किया जाए या नहीं डब्ल्यूएचओ विचार कर रहा January 22, 2020 at 04:32PM

वुहान. चीन में अब तक कोरोना वायरस के 500 से ज्यादा मामले सामने आए हैं।17 लोगों की मौत हो चुकी है। उपराज्यपाल यांग युनयान ने बुधवार को बताया कि वायरस की पुष्टि होने पर 399 मरीजों को इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। इनमें से 71 की हालत गंभीर है।

चीन के हेल्थ कमिशन ने बताया कि हुबेई में सामने आए 69 नए मामलों में से 62 वुहानके हैं। कोरोना वायरस की महामारी से बचने के लिए वुहान में सार्वजनिक स्थानों पर निकलने से पहले सभी लोगों के लिए मास्क लगाना अनिवार्य घोषित किया गया है।

वैश्विक आपातकाल लगाए जाने पर विचार

वुहान स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के बयान के अनुसार 19 जनवरी की मध्यरात्रि तक कोरोना वायरस के संक्रमण के कुल 198 मामले दर्ज किए गए थे।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को कहा कि नए कोरोनो वायरस के प्रकोप को वैश्विक आपातकाल घोषित किया जाना चाहिए या नहीं, इस पर निर्णय लेने के लिए अधिक जानकारी एकत्र करने की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ की समिति गुरुवार को भी इस पर विचार करेगी।



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शंघाई के हांगकियो रेलवे स्टेशन पर मास्क पहने लोग।

स्पेन में बारिश-बर्फबारी से 6 की मौत, पूर्वी तटीय इलाकों पर 50 फीट ऊंची लहरें उठीं January 22, 2020 at 04:24PM

मैड्रिड. स्पेन में ग्लोरिया तूफान की वजह से लोगों को एक ही समय में दो अलग-अलग प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। तूफान की वजह से 9 प्रांतों में भारी बर्फबारी हो रही है। वहीं पूर्वी तटीय इलाकों में 100 किमी/घंटे की रफ्तार से चल रही हवाओं की वजह से भारी बारिश जारी है। इसमें अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले 24 घंटे में ही 18 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश हो चुकी है। कुछ इलाकों में तो बारिश की वजह से बाढ़ के हालात बन गए हैं। बाढ़ से देश की सबसे लंबी नदी एब्रो का पानी तटबंध तोड़कर खेतों में पहुंच गया।

ग्लोरिया के कारण म्यूर्सिया में 8 इंच बर्फबारी हुई। एलिकेंट एल्च एयरपोर्ट बंद होने से 200 से ज्यादा फ्लाइट रद्द करनी पड़ीं। वहीं पूरे स्पेन में 2 लाख से ज्यादा घरों में बिजली गुल है। अब यह तूफान फ्रांस की ओर बढ़ रहा है। स्पेन के मौसम विभाग के मुताबिक, अगले 24 घंटे में भारी बारिश हो सकती है। पूर्वोत्तर में स्थित कैटेलोनिया और बैलिरिएक द्वीपों को अलर्ट पर रखा गया है।

बार्सिलोना में 3 किमी अंदर तक घुसीं समुद्र की लहरें

अफसरों के मुताबिक, मृतकों का आंकड़ा बढ़ सकता है, क्योंकि 4 लोग अभी भी लापता हैं। तेज हवाओं की वजह से कई जगहों पर लहरों ने घरों और दुकानों का नुकसान किया है। बैलेरिएक आईलैंड के पास स्थित आइबिया में समुद्र की लहरें 46 फीट तक ऊंची उठीं, वहीं बार्सिलोना के तट पर 50 फीट ऊंची लहरें उठीं। तूफान से सबसे ज्यादा नुकसान बार्सिलोना को ही हुआ है, यहां लहरें 3 किलोमीटर अंदर तक घुस गईं। इससे 30 वर्ग किमी में फैले खेतों को बड़ा नुकसान पहुंचा।



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Spain hit by Gloria Storm, rain and Snowfall in major areas several dead and missing news and updates

Saudi crown prince ‘tied to’ Bezos phone hack January 22, 2020 at 03:52PM

A #MeToo moment: Harvey Weinstein trial opens January 22, 2020 at 03:37PM

New York prosecutors began making their rape case against on Wednesday, describing the former movie producer as a Hollywood power broker who was "no match" for his female accusers.

ट्रम्प के खिलाफ सीनेट में पहले दिन 12 घंटे सुनवाई, डेमोक्रेट्स की नए गवाह पेश करने की मांग खारिज January 22, 2020 at 02:05AM

वॉशिंगटन. अमेरिकी संसद के उच्च सदन- सीनेट में राष्ट्रपति ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर 13 घंटे सुनवाई हुई। स्थानीय समयानुसार सुनवाई मंगलवार को दोपहर 1 बजे शुरू हुई थी, यह बुधवार देर रात 2 बजे खत्म हुई। पहले दिन सांसदों के बीच सुनवाई के नियम तय करने पर बहस हुई। विपक्षी डेमोक्रेट पार्टी की मांग थी कि सीनेट में उन्हें ज्यादा सबूत और गवाह पेश करने की छूट दी जाए। हालांकि, ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी ने उनकी मांग को ठुकरा दिया। नए गवाह पेश करने की अनुमति के पक्ष में 47 वोट पड़े, जबकि इसके खिलाफ में 53 सांसदों ने वोटिंग की। इस तरह सीनेट में डेमोक्रेट्स की मांग ठुकरा दी गई।

महाभियोग प्रस्ताव पर सुनवाई में आगे क्या?
सीनेट में तय हुए नियमों के मुताबिक, अब दोनों पक्षों को शुरुआती बहस के लिए 24-24 घंटे का समय दिया जाएगा। यह प्रक्रिया वॉशिंगटन में बुधवार दोपहर (भारत में देर रात) को शुरू होगी। बहस अगले हफ्ते तक खत्म हो सकती है। इसके बाद सीनेटर्स (सांसदों) को गवाहों से सवाल पूछने के मौके दिए जाएंगे। इस प्रक्रिया के लिए 16 घंटे दिए जाएंगे।

डेमोक्रेट्स की कौन सी मांग नहीं मानी गईं?
ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने वाली डेमोक्रेट पार्टी व्हाइट हाउस में ट्रम्प के करीबियों को पूछताछ के लिए बुलाना चाहती थी। पार्टी ने कार्यवाहक चीफ ऑफ स्टाफ मिक मुलवेनी और पूर्व नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर जॉन बोल्टन की गवाही की मांग की थी। इसके अलावा सीनेट में डेमोक्रेट नेता चक शुमर ने ट्रम्प की यूक्रेन समझौते से जुड़ी फाइलें व्हाइट हाउस से लाकर सीनेट में पेश करने की मांग की थी। हालांकि, रिपब्लिकन सांसदों ने दोनों मांगें ठुकरा दीं।


ट्रम्प पर शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप
ट्रम्प पर आरोप है कि उन्होंने दो डेमोक्रेट्स और अपने प्रतिद्वंद्वी जो बिडेन के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए यूक्रेन पर दबाव डाला था। निजी और सियासी फायदे के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए 2020 राष्‍ट्रपति चुनाव के लिए अपने पक्ष में यूक्रेन से विदेशी मदद मांगी थी। ट्रम्प पर दूसरा आरोप है कि उन्होंने व्हाइट हाउस के अपने साथियों को संसद के निचले सदन- हाउज ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में गवाही देने से रोका। जांच कमेटी के सदस्यों ने कहा था कि ट्रम्प ने राष्ट्रपति पद की गरिमा को कमजोर किया। उन्होंने अपने पद की शपथ का भी उल्लंघन किया।



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डोनाल्ड ट्रम्प अब तक महाभियोग पर चल रही सुनवाई में हिस्सा लेने संसद नहीं पहुंचे हैं। (फाइल)

दावोस में वैश्विक नेताओं पर फिर भड़कीं ग्रेटा, कहा- आपने बेहतर जलवायु करने के नाम पर सिर्फ हमें नाउम्मीद किया January 22, 2020 at 01:55AM

दावोस. स्वीडन की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग स्विट्जरलैंड के दावोस में 21 जनवरी से शुरू हुए वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) में शामिल हुईं। यहां उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स और डब्ल्यूईएफ द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। कहा- दुनिया में भीषण तबाही के बावजूद नेताओं ने कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में कुछ नहीं किया। जलवायु संकट पर जागरुकता बढ़ी लेकिन कुछ खास नहीं बदला। ग्रेटा ने वैश्विक नेताओं से कहा कि आपने जलवायु को बेहतर करने के नाम पर केवल हमें नाउम्मीद किया है।

हमारे घर जल रहे: ग्रेटा

ग्रेटा ने कहा, ‘‘मैं एक साल पहले दावोस आई थी। आप लोगों से कहा था- हमारे घर जल रहे हैं। मैं चाहती थी कि आप पर्यावरण को लेकर उचित कदम उठाएं। लेकिन, आपने सिर्फ हवाई बातें की, खोखले वादे किए। जब बच्चे आपसे जलवायु को लेकर संजीदा होने के लिए कह रहे हैं तो आपको गंभीर होना चाहिए। हम चाहते हैं कि आप काल्पनिक तकनीक की बात न करें। वर्तमान की जरूरतें हैं, उनको ठोस तरीकों से पूरा किया जाए।

‘‘हम आपसे यह भी नहीं कह रहे कि आप ‘जीरो उत्सर्जन’ या ‘कार्बन न्यूट्रेलिटी’ तक पहुंचने के बारे में बात करते रहें। जैसा आप हमेशा आंकड़ों को तोड़-मरोड़कर लोगों के सामने पेश करते हैं। आप अफ्रीका के रेगिस्तानी क्षेत्र में पेड़ लगाने की बात करते हैं, जबकि अमेजन के जंगलों की कटाई जारी है। पेड़ लगाना निश्चित रूप से अच्छा कदम है। लेकिन, पेड़ लगाने के लिए जो काम किए जाने चाहिए थे, उसके मुकाबले यह पर्याप्त नहीं है। कम से कम यह वास्तिवक प्रकृति की जगह तो नहीं ही ले सकता।’’

‘‘मैं साफ शब्दों में कहना चाहती हूं कि आप हमें लोअर कार्बन इकोनॉमी और कम उत्सर्जन करने के नाम पर बेवकूफ बनाना बंद करें। अगर 1.5° के लक्ष्य से नीचे रखना है तो हमें कार्बन उत्सर्जन को रोकना होगा। अगर हम लगातार कार्बन डाईऑक्साइड पर आए बजट को नजरअंदाज करते रहेंगे, तो जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकते। हमें बजट खर्च करने की जरूरत आज है न कि भविष्य में। अगर ऐसे ही कुछ सालों तक कार्बन उत्सर्जन जारी रहा तो बजट बेकार हो जाएगा।’’

‘‘अमेरिका पेरिस समझौते से अलग हो गया है। यह सभी के लिए चिंता की बात है। लेकिन सच्चाई यह है कि पेरिस समझौते में शामिल किसी देश ने अपनी जिम्मेदारी नहीं दिखाई है। आपकी योजनाएं या नीतियां 1.5° के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अपर्याप्त है। हमें आपकी पार्टी पॉलिटिक्स की परवाह नहीं है। जलवायु संकट के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां जिम्मेदार है। सभी राजनीतिक विचारधारा या आर्थिक संगठन जलवायु और पर्यावरण संकट से निपटने में विफल रही है।’’

‘‘आप कहते हैं, बच्चों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, हम सब संभाल लेंगे। हम आपसे वादा करते हैं। लेकिन, आपने कुछ नहीं किया। आप ने कहा कि नाउम्मीद मत होइए और उसके बाद शांत हो गए। आप सब ने केवल खोखले वादे किए हैं। मैं डब्ल्यूईएफ की 50वीं वार्षिक बैठक में जलवायु कार्यकर्ताओं की टीम के साथ शामिल हुई हूं। हमारी इस समिट में शामिल उद्योगपतियों, राजनेताओं से यही मांग है कि जलवायु संकट को लेकर बेहतर और उचित कदम उठाए जाने की जरूरत है।’’

कल के मूर्खों के वारिस भविष्य बताने वाले बन रहे: ट्रम्प

इस समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी शामिल हुए। उन्होंने जलवायु कार्यकर्ताओं पर निशाना साधा और कहा कि कल के मूर्खों के वारिस भविष्य बताने वाले बन रहे हैं। यह आशावाद का समय है। हमें हर समय कयामत का गाना गाने वाले भविष्यवक्ताओं और उनकी भविष्यवाणी पर ध्यान नहीं देना चाहिए। ऐसे लोग जनसंख्या की भीड़ और तेल खत्म होने की बात करते हैं। ऐसे कट्‌टरपंथी समाजवादियों को हम अर्थव्यवस्था नष्ट नहीं करने देंगे। अमेरिका भी एक लाख करोड़ पेड़ की मुहिम में शामिल होगा, जो दावोस में लॉन्च की गई है।



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17 साल की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (दावोस) में नेताओं को संबोधित करते।

संसद की सलाहकार एजेंसी ने कहा- कश्मीर पर भारत के फैसले के खिलाफ पाकिस्तान के पास सीमित विकल्प January 22, 2020 at 01:31AM

वॉशिंगटन. भारत के जम्मू-कश्मीर पर लिए गए फैसले के खिलाफ अब पाकिस्तान के पास काफी सीमित विकल्प बचे हैं। यह कहना है अमेरिकी संसद को विदेश से जुड़े मामलों में अहम जानकारी मुहैया कराने वाले थिंक टैंक कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) का। एजेंसी ने बुधवार को कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के 6 महीने के अंदर ही अपनी दूसरी रिपोर्ट पेश कर दी। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान में सैन्य कार्रवाई के जरिए कश्मीर की यथास्थिति बदलने की ताकत नहीं है। यानी इस्लामाबाद को आने वाले समय में सिर्फ कूटनीतिक जरियों पर ही भरोसा करना पड़ेगा।

सीआरएस अमेरिकी कांग्रेस की स्वतंत्र रिसर्च विंग है। यह एजेंसी अमेरिकी सांसदों के लिए समय-समय पर रिपोर्ट्स तैयार करती है, ताकि संसद अंतरराष्ट्रीय मामलों पर फैसले ले सके। इससे पहले सीआरएस ने 13 जनवरी को भी रिपोर्ट पेश की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग पड़ चुका है। सिर्फ तुर्की ही उसे मजबूत समर्थन मुहैया करा रहा है।

कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की विश्वसनीयता कम
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस ने 25 पन्नों की रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान ने चीन के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सत्र में कश्मीर पर चर्चा की मांग की थी। यूएनएससी ने 16 अगस्त को लगभग 50 साल बाद कश्मीर मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई। हालांकि, यह बैठक बेनतीजा रही। कई विशेषज्ञों का मानना है कि कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की विश्वसनीयता काफी कम है। इसकी एक वजह यह है कि इस्लामाबाद ने बीते सालों में कश्मीर में आतंकी संगठनों को बढ़ावा दिया। हालांकि, अब पाकिस्तानी नेताओं के पास कश्मीर में भारत की कार्रवाई के खिलाफ सीमित विकल्प हैं, इसके अलावा कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन की उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

पाकिस्तान की आखिरी उम्मीद- नीतियों से खुद को ही नुकसान पहुंचा ले भारत

एजेंसी ने आगे कहा, “पाकिस्तान और उसके साथी चीन की अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता काफी सीमित है। खासकर मानवाधिकार के मामलों पर। हालांकि, इस्लामाबाद यह उम्मीद कर सकता है कि नई दिल्ली अपनी नीतियों के जरिए कश्मीर में खुद को ही नुकसान पहुंचा सकता है। पाकिस्तान अब यह सोच सकता है कि इससे सऊदी अरब और यूएई में भारत के कूटनीतिक फायदे कम होंगे।”



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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान यूएन में कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय बनाने में असफल रह चुके हैं। (फाइल)

S Korean military decides to discharge transgender soldier January 22, 2020 at 12:10AM

Crisis-hit Lebanon's new cabinet to meet for first time January 21, 2020 at 11:24PM

सार्वजनिक स्थानों पर पायजामा पहनने वालों को अफसरों ने ऑनलाइन शर्मशार किया, फिर मांगी माफी January 21, 2020 at 10:56PM

सुझोऊ. चीन के सुझोऊ शहर में अफसरों ने सार्वजनिक जगहों पर पायजामा पहनकर ठहलने और खरीदारी करने वाले लोगों को 'शर्मिंदा करने वाला' और 'असभ्य' बताया था। जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो अफसरों ने माफी मांग ली। दरअसल, पिछले दिनों अफसरों ने ऐसे सात लोगों की फोटो सार्वजनिक की थी, जो पायजामा पहनकर मार्केट, सड़क और दुकानों पर घूम रहे थे। प्रशासन ने इनके नाम, आईडी और फोटो सोशल मीडिया शेयर कर दिए थे। इसके बाद इसका तेज विरोध हुआ। लोगों ने कहा कि यह उनकी निजता पर हमला है।

'ऑनलाइन शेमिंग' में पायजामा वाली तस्वीरें भी शामिल थी, जिन्हें सर्विलांस कैमरों ने पकड़ा था। इसके अलावा इसमें व्यक्ति का नाम, आईडी कार्ड और दूसरी जानकारियां शामिल थीं। हाल के कुछ सालों में चीन की सर्विलांस टेक्नॉलजी काफी एडवांस हुई है। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, खासतौर पर फेशियल रिकग्निशन टेक्नॉलजी में अरबों डॉलर का निवेश किया है। सुरक्षा के लिहाज से इस टेक्नॉलजी को सार्वजनिक जगहों पर लगाया गया है।

अफसरों ने कहा- हमने प्रतियोगिता के चलते ऐसा किया
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि दो साल पहले देश में 17 करोड़ सीसीटीवी कैमरे थे, जबकि 2020 के आखिर तक चीन में 40 करोड़ कैमरे और लगाए जाने की उम्मीद है। इनमें से कई कैमरे आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से लैस हैं। इनमें व्यक्ति की पहचान हो जाती है। सुझोऊ में सोमवार को पब्लिश हुईं फोटो को शहर के मैनेजमेंट ब्यूरों ने रिलीज की थीं। अधिकारियों ने तर्क दिया कि वे एक राष्ट्रीय सभ्य शहर प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे थे।इसलिए ऐसा किया।

सोशल मीडिया पर लोगों ने आलोचना की
पायजामा तस्वीरों के सामनेआने पर लोगों ने सोशल मीडिया पर जमकर भड़ास निकाली।कुछ लोगों का कहना था कि सार्वजनिक जगहों पर पायजामा पहनने में कुछ भी गलत नहीं है, जबकि कई लोगों का कहना था कि सरकार ने उनकी निजता में हस्तक्षेप किया है।एक यूजर ने लिखा- संदिग्ध अपराधी की भी निजता होती है। अफसर कैसे उनके चेहरे के साथ पूरी व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक कर सकते हैं। लोगों ने यह भी कहा कि पायजामा सबसे आरामदायक आउटफिट है। फिर अफसर कपडों से कैसे तय कर सकते हैं कि कोई असभ्य है या नहीं। इसके बाद अफसरों ने कहा कि भविष्य में वे इस तरह की तस्वीरों को ब्लर करजारी करेंगे।पिछले साल अधिकारियों ने नागरिकों से 'असभ्य व्यवहार' वाली तस्वीरों को जमा कराने को कहा था और इनके सही पाए जाने पर उन्हें 10 युआन (करीब 2 डॉलर) देने का ऑफर भी दिया था।



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