Wednesday, April 29, 2020

Germany confirms 1,478 new coronavirus cases in last 24hrs April 29, 2020 at 08:25PM

Germany has confirmed 1,478 new COVID-19 cases over the past 24 hours, with the total count reaching 159,119, the Robert Koch Institute said on Thursday. The death toll has grown by 173 to 6,288 within the same period of time. A day earlier, the country confirmed 1,304 new cases and 202 fatalities.

China's battle against coronavirus major strategic achievement: Xi Jinping April 29, 2020 at 08:22PM

Chinese President Xi Jinping has termed China's battle against COVID-19 as a major strategic achievement, as the ruling Communist Party is all set to hold the postponed Parliament session on May 22 amid a steady decline in the coronavirus cases. China's arduous efforts to contain the coronavirus have brought a decisive outcome to the fight of defending Hubei and its capital city Wuhan, Xi told a high-powered Central Committee meeting.

UN warns that 'tragedy beckons' in Syria from virus April 29, 2020 at 07:39PM

The UN humanitarian chief said Wednesday that more than 40 cases of COVID-19 and at least three deaths have been reported in Syria, signaling that "tragedy beckons" after nine years of war that has left the country's health care system decimated.

अमेरिका के विदेश मंत्री पोम्पियो ने कहा- साथ काम करने का भारत अच्छा उदाहरण, इसने कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होनी दवा के निर्यात से प्रतिबंध हटाया April 29, 2020 at 07:17PM

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो नेकोरोना से लड़ाई में साथ देने के लिए भारत की तारीफ की। उन्होंने कहा कि कोरोना से निपटने के ट्रम्प प्रशासन भारत समेत दुनिया के कई देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान के अपने दोस्तों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इन देशों के साथ इलाज की बेहतर प्रक्रियाएं और सूचनाएं साझा की जा रही हैं। इसका एक उदाहरण भारत के साथ काम करना है। इसने कोरोना पीड़ितों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा और मेडिकल सामान के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाया।
भारत कोरोना के इलाज में इस्तेमाल की जा रही हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का बड़ा उत्पादक है। इसने भूटान, बांग्लादेश, मालदीव, श्रीलंका और म्यांमार समे दुनिया के 55 देशों को इस दवा की आपूर्ति का वादा किया है। इस दवा की खेप अमेरिका, अफगानिस्तान, मॉरिशस, कजाकिस्तान, ब्राजील और सेशेल्स पहुंच भी चुकी है।

मुझे कोरोना पर किए गए अमेरिका के कामों पर गर्व: पोम्पियो
पोम्पियो ने कहा कि मुझे भारत-प्रशांत क्षेत्र में कोरोना से लड़ने के लिए किए गए अमेरिका के कामों पर गर्व है। अमेरिका ने इस क्षेत्र के द्वीप राष्ट्रों को 32 मिलियन (करीब 3.2 करोड़) रुपए से ज्यादा की फंडिंग की है। उन्होंने कहा कि हम बर्मा में सरकार, गैर सरकारी संगठनों और संयुक्त राष्ट्र समेत अन्य लोगों के साथ काम कर रहे हैं। हम बर्मा में कोराना संक्रमण फैलने से रोकने में लगे हैं। कोरोना से संवेदनशील दुनिया के कई दूसरे देशों में भी हम संक्रमण की रोकथाम के लिए काम कर रहे हैं।

‘हम वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की शुरुआत कर रहे’

उन्होंने कहा कि हम न्यूजीलैंड, रिपब्लिक ऑफ कोरिया के संपर्क में हैं। हम वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की शुरुआत कर रहे हैं। दुनिया के देशों से हमारे संवाद की वजह से वैश्विक आपूर्ति चेन में निश्चित तौर पर बदलाव आया है। यह सुगमता से चल रहा है। इससे हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। हम सप्लाई चेन का ढांचा दोबारा तैयार करने पर काम कर रहे हैं, जिससे दोबारा ऐसी स्थिति बनने पर आपूर्ति प्रभावित होने से रोका जा सके।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा है कि कोरोना से निपटने के लिए ट्रम्प प्रशासन दुनिया के कई देशों के साथ मिलकर काम कर रहा। उन्होंने मदद के लिए भारत की तारीफ की।

Trump says he's not extending social distancing guidelines April 29, 2020 at 06:44PM

President Donald Trump said the federal government will not be extending its coronavirus social distancing guidelines once they expire Thursday, and his son-in-law and adviser, Jared Kushner, predicted that by July the country will be "really rocking again."

व्हाइट हाउस की सफाई- राष्ट्रपति जब किसी देश की यात्रा पर जाते हैं तो वहां के शीर्ष अधिकारियों को फॉलो किया जाता है April 29, 2020 at 05:58PM

व्हाइट हाउस ने बुधवार को बताया कि उसका ट्विटर हैंडल आमतौर पर राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान थोड़े समय के लिए मेजबान देशों के अधिकारियों के ट्विटर को फॉलो करता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि यात्रा के समर्थन में अधिकारियों के संदेशों को रीट्वीट किया जा सके।

व्हाइट हाउस ने बुधवार को बताया कि फरवरी में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान व्हाइट हाउस ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री कार्यालय के ट्विटर को फॉलो करना शुरू किया था। इसके साथ ही अमेरिका में भारतीय दूतावास, भारत में अमेरिकी दूतावास और भारत में अमेरिकी राजदूत केन जस्टर को भी फॉलो करना शुरू किया था। इस हफ्ते व्हाइट हाउस ने सभी 6 ट्विटर हैंडल को अनफॉलो कर दिया है।

अमेरिका किसी दूसरे देश के ट्विटर हैंडल को फॉलो नहीं करता
अब केवल 13 अकाउंट ऐसे हैं, जिन्हें व्हाइट हाउस फॉलो करता है। इसमें डोनाल्ड ट्रम्प, मेलानिया ट्रम्प, माइक पेंस और ट्रम्प प्रशासन से संबंधित लोग शामिल हैं। अमेरिका अन्य किसी देशों या उसके राष्ट्राध्यक्षों के ट्विटर हैंडल को फॉलो नहीं करता है। एसा पहली बार था, जब व्हाइट हाउस ने भारतीय प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को फॉलो करना शुरू किया था।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प। (फाइल फोटो)

50 में से 35 राज्यों ने पाबंदियों को हटाने की औपचारिक योजना जारी की, राष्ट्रपति ट्रम्प बोले-महामारी का सबसे बुरा दौर अब पीछे छूटने वाला April 29, 2020 at 05:48PM

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पिछले दो हफ्ते से देश के कई राज्यों में कोरोना से जुड़ी पाबंदियां हटाने की बात कह रहे हैं। हालांकि कई राज्य उनके इस फैसले से सहमत नजर नहीं आ रहे थे। हालांकि, अब अमेरिका के 50 में से 35 राज्यों ने पाबंदियों को हटाने की औपचारिक योजना जारी कर दी है। ऐसे में यह साफ हो गया है कि ज्यादातर राज्य लॉकडाउन को हटाने के पक्ष में हैं। बुधवार को ट्रम्प ने देश के उद्योगपतियों के साथ अमेरिका को दोबारा खोलने की चर्चा की थी। इसमें उन्होंने कहा कि हम अदृश्य दुश्मन से हुई हर एक मौत पर शोक मना रहे हैं। हालांकि, हम खुश हैं कि महामारी का सबसे बुरा दौर अब देश में पीछे छूटने वाला है।
अमेरिका में सबसे ज्यादा 10 लाख 64 हजार 194 संक्रमित हैं, जिसमें एक लाख 47 हजार 411 ठीक हो चुके हैं। कोरोना की वजह से अमेरिका में 26 मिलियन (करीब 2.6 करोड़) लोग बेरोजगार हो चुके हैं। इससे देश की अर्थव्यवस्था को दोबारा बहाल करने का दबाव बढ़ने लगा है।

अमेरिका में ज्यादातर उद्योग बंद हैं

अमेरिका में फिलहाल ज्यादातर उद्योग और व्यापारिक गतिविधियां बंद हैं। यहां की अर्थव्यवस्था ठहर गई है। पहली तिमाही में इसमें 4.8% की निगेटिव वृद्धि हुई। हालांकि, ट्रम्प का दावा है कि चौथी तिमाही तक देश की अर्थव्यवस्था वापस पटरी पर लौट आएगी। ट्रम्प ने राउंटटेबल कॉन्फ्रेंस में इस पर कहा कि हम सोचते हैं कि हमने एक बड़ी बाधा पार कर ली है। अच्छे दिन आने वाले हैं और मैं हमेशा यकींन करता हूं कि हर अंधेरी सुरंग के दूसरे सिरे पर रोशनी होती है। हम मांग में तेजी देख रहे हैं, यह देखना काफी अच्छा है। इससे अमेरिकी उद्योगपतियों को फायदा होगा। मुझे लगता है कि आने वाला साल देश की अर्थव्यस्था के लिए शानदार होगा। मैं सोचता हूं कि चौथी तिमाही वाकई अच्छी होगी।

ट्रम्प और पेन्स का दावा: देश में स्थिति काबू में
ट्रम्पने देश के लोगों को संयम दिखाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के लोगों के समर्पण के कारण नए मामले कम हो रहे हैं। हम अब तक दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा 60 लाख टेस्ट हो चुके हैं। हम जिससे लड़ रहे हैं उसके बारे में काफी कुछ सीखा है। अगर मामले थोड़े कम होते हैं तो हम इसे हराने में कामयाब होंगे। उप राष्ट्रपति माइक पेन्स ने भी देश में कोरोना के नए मामले कम होने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि देश के हॉटस्पॉट वाले स्थानों पर मामले कम हो रहे हैं या इसके संक्रमण का स्तर काबू में है। यहां तक कि ग्रेटर न्यूयॉर्क सिटी में भी अस्पताल में भर्ती होने वाले की संख्या घटी है। अब समय नजदीक है जब हम 45 दिन पहले लगाई गई पाबंदियों में राहत दे सकेंगे।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को देश के उद्योगपतियों के साथ बैठक की। इसमें उन्होंने कहा कि अगले साल तक देश की अर्थव्यवस्था में तेजी आने की उम्मीद है।

US records 2,502 coronavirus deaths in past 24 hours April 29, 2020 at 05:33PM

The United States recorded 2,502 coronavirus deaths in the past 24 hours, according to the latest real-time tally on Wednesday reported by Johns Hopkins University.

Britain's hero of the hour 'Captain Tom' turns 100 April 29, 2020 at 05:09PM

Britain will celebrate on Thursday the 100th birthday of the World War II veteran whose staggering fundraising efforts inspired the country during the depths of its coronavirus outbreak.

अब तक 32.19 लाख संक्रमित और 2.28 लाख मौतें: संक्रमण से 10 लाख मरीज ठीक हुए, अमेरिका में सबसे ज्यादा 1 लाख 47 हजार April 29, 2020 at 05:00PM

दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 32 लाख 19 हजार 424 लोग संक्रमित हैं। दो लाख 28 हजार 197 की मौत हो चुकी है, जबकि 10 लाख लाख 293 ठीक हो चुके हैं। अमेरिका में सबसे ज्यादा 10 लाख 64 हजार 194 संक्रमित हैं, जिसमें एक लाख 47 हजार 411 ठीक हो चुके हैं। वहीं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) की शुरुआती जांच में रेमडेसिवियर ड्रग के ट्रायल का पॉजिटिव रिजल्ट आया है। इससे प्लासीबो दवाई दिए जाने वाल मरीजों की तुलना में 31% ज्यादा मरीज ठीक हुए हैं।
ट्रायल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज (एनआईएआईडी) ने किया है। यह एनआईएच के अंतगर्त ही आता है। रिसर्चर्स का कहना है कि जितने लोगों को रेमडेसिवियर दी गई उनमें 8% लोग नहीं बचाए जा सके। वहीं जिन्हें प्लेसीबो दी गई, उनमें 11% रीज नहीं बचे। डॉक्टर्स का कहना है कि अभी रेमडेसिवियर संक्रमण के इलाज में कितना कारगर है, इसकी अभी और पुष्टि की जानी है।

कोरोनावायरस : सबसे ज्यादा प्रभावित 10 देश

देश कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 10,64,194 61,656 1,47,411
स्पेन 2,36,899 24,275 1,32,929
इटली 2,03,591 27,682 71,252
फ्रांस 1,66,420 24,087 48,228
ब्रिटेन 165,221 26,097 उपलब्ध नहीं
जर्मनी 1,61,539 6,467 1,20,400
तुर्की 1,17,589 3,081 44,022
रूस 99,399 972 10,286
ईरान 93,657 5,957 73,791
चीन 82,862 4,633 77,610

ये आंकड़ेhttps://ift.tt/37Fny4L से लिए गए हैं।

अमेरिका: 24 घंटे में 2500 से ज्यादा मौतें
अमेरिका में 24 घंटे में 2502 लोगों की मौत हुई है। देश में अब तक 61 हजार 656 जान जा चुकी है। यहां न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी राज्य बुरी तरह प्रभावित है। अकेले न्यूयॉर्क में तीन लाख मामलों की पुष्टि हो चुकी है जबकि 22 हजार से ज्यादा मौत हुई है। न्यूजर्सी में अब तक कोरोना संक्रमण के एक लाख से अधिक मामले सामने आए हैं जबकि छह हजार से अधिक लोगों ने जान गंवाई है। सीएसएसई के मुताबिक मैसाचुसेट्स, इलिनॉयस, कैलिफोर्निया और पेंसिल्वेनिया ऐसे राज्य हैं जहां अब तक 40 हजार से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं।

अमेरिका में कोरोना पर सरकारी खर्च की निगरानी समिति करेगी
अमेरिका में संक्रमण से निपटने के लिए खर्च की जा रही राशि की निगरानी एक समिति करेगी। कांग्रेस के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने इसका गठन किया है। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने बुधवार को इसकी जानकारी दी। पेलोसी ने कहा, “हमने वायरस को लेकर एक समिति का गठन किया है जो सरकारी खर्च की निगरानी करेगी ताकि अपव्यय और भ्रष्टाचार से बचा जा सके। समिति यह भी सुनिश्चित करेगी कि विज्ञान और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह के बाद ही किसी प्रकार का खर्च किया जाए।” कांग्रेस सदस्य जिम क्लाइबर्न को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। इसमें डेमोक्रेटिक पार्टी के छह सदस्य भी शामिल हैं। इसके अलावा इस समिति में रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा।

इटली: 27,682 मौतें
कोरोना से बुरी तरह प्रभावित इटली में 27 हजार 682 लोगों की मौत हो गई है। वहीं संक्रमण का आंकड़ा दो लाख से ज्यादा हो गया है। अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा मौतें यही हुई हैं। इटली के नागरिक सुरक्षा विभाग के प्रमुख एंजेलो बोरेली ने बुधवार को बताया कि पिछले 24 घंटों के दौरान 323 लोगों की मौत हुई है। मंगलवार की तुलना में बुधवार को मृतकों की संख्या में कमी आई है। देश में 10 मार्च से लागू लॉकडाउन तीन मई तक बढ़ा दिया गया है। इस बीच कुछ जरूरी चीजों की दुकानों को खोलने की छूट दी गई है। इटली में 21 फरवरी को पहला मामला सामने आया था। इटली का लोम्बार्डी प्रांत इस महामारी से सर्वाधिक गंभीर रूप से प्रभावित है। इटली चार मई से लॉकडाउन में ढील देने की योजना बना रहा है।

इजरायल: 15834 संक्रमित
महामारी का प्रकोप इजरायल में लगातार बढ़ता ही जा रहा है। यहां 24 घंटे में संक्रमण के 106 नए मामले सामने आए हैं। संक्रमितों की संख्या बढ़कर 15834 हो गई है। यहां एक दिन में संक्रमण से पांच लोगों की मौत हुई है। महामारी से अब तक 215 लोगों की मौत हो चुकी है। इजरायल में तीन मई से चरणबद्ध तरीके से राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली को शुरू किया जाएगा। पहले चरण में किंडरगार्टन और तीसरी कक्षा के विद्यार्थियों के लिए स्कूली कक्षाओं को शुरू किया जाएगा। कक्षाएं छोटे-छोटे समूहों में आयोजित की जाएंगी। इस दौरान साफ-सफाई के अलावा बच्चों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान दिया जाएगा।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
न्यूयॉर्क के मैनहट्टन स्थित इम्पायर स्टेट बिल्डिंग को महामारी से लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सजाया गया। अमेरिका में करीब 61 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।

Trump says China wants him to lose his bid for re-election April 29, 2020 at 04:15PM

President Donald Trump said he believes China's handling of the coronavirus is proof that Beijing "will do anything they can" to make him lose his re-election bid in November. He said he believes Beijing wants his Democratic opponent Joe Biden to win the race to ease the pressure on China over trade and other issues.

Don't believe polls that show Biden ahead in presidential race: Trump April 29, 2020 at 04:18PM

President Donald Trump told Reuters on Wednesday he does not believe opinion polls that show his likely Democratic presidential opponent, Joe Biden, leading in the 2020 race for the White House. During an interview in the Oval Office, the Republican president said he did not expect the election to be a referendum on his handling of the coronavirus pandemic and added he was surprised the former vice president was doing well.

अमेरिका में 14 साल पहले दो वैज्ञानिकों ने पहली बार बुश सरकार के सामने सोशल डिस्टेंसिंग नीति बनाने का प्रस्ताव रखा था, पर अधिकारियों ने खिल्ली उड़ा दी थी April 29, 2020 at 01:52PM

एरिक लिप्टन और जेनिफर स्टीनहाऊर. कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका है। अब तक 60 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। यदि 14 साल पहले कुछ वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग कानून (फेडरल पॉलिसी) के प्रस्ताव को खारिज न किया जाता तो...इस मौत की त्रासदी को रोका जा सकता था।
ऐसा (उपरोक्त बातें) अमेरिका के दो वरिष्ठ सरकारी चिकित्सक डॉ. रिर्चड हैशे और डॉ. कार्टर मेकर का कहना है। वर्तमान में डॉ. हैशे कैंसर विशेषज्ञ सलाहकार के तौर व्हाइट हाउस में, जबकि डॉ. मेकर वेटरन्स अफेर्यस विभाग में एक चिकित्सक के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। दोनों ने न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार से अमेरिका में सोशल डिस्टेंसिंग नीति के जन्म और उसके खारिज होने की कहानी को साझा किया।

पढ़िए डॉ. हैशे और डॉ. मेकर की जुबानी...सामाजिक दूरी के जन्म की अनकही कहानी...

  • अधिकारियों ने सोशल डिस्टेंसिंग नीति के प्रस्ताव की खिल्ली उड़ाई, कहा- घर में दुबकने से बेहतर है महामारी की दवा खोजी जाए

डॉ. मेकर कहते हैं कि यह करीब 14 साल पहले की बात होगी। मैं और डॉ. हैशे वॉशिंगटन के उपनगरीय स्थित एक बर्गर शॉप में अपने कुछ सहयोगियों के साथ मुलाकात करने गए। वह मुलाकात दरअसल उस (सोशल डिस्टेंसिंग) प्रस्ताव की अंतिम समीक्षा से जुड़ी थी, जिसमें यह तय किया जाना था कि अगली बार अमेरिका पर अगर किसी विनाशकारी महामारी का हमला होता है, तो लोग सामाजिक दूरी बनाएंगे और घर से ही काम करेंगे। जब हमने यह प्रस्ताव पेश किया तो वरिष्ठ अधिकारियों ने न सिर्फ इसे शक की नजर से देखा, बल्कि इस प्रस्ताव की खिल्ली भी उड़ाई। अन्य अमेरिकियों की तरह समीक्षा करने आए अधिकारियों ने भी दवा उद्योग के प्रति आश्वस्त दिखे। उनका जोर किसी भी महामारी से बचने के लिए घरों में दुबक कर बैठ जाने से बेहतर स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करते हुए इलाज के नए तरीके ईजाद करने पर था।

  • किसी भी महामारी से बचने का सबसे अच्छा इलाज सोशल डिस्टेंसिंग है, लेकिन इसे अव्यावहारिक और गैर जरूरी बताया गया

डॉ. हैशे कहते हैं कि कोरोना वायरस पूरे विश्व के लिए बिल्कुल नया है। ये कहां से आया है? कैसे रुकेगा? इसका इलाज क्या है? किसी के पास इसका कोई ठोस जवाब नहीं है। लेकिन एक बात सौ फीसद सही साबित हो गई है कि इसे सोशल डिस्टेंसिंग से ही रोका जा सकता है। जिन देशों में इस पर थोड़ा या ज्यादा काबू पाया गया है, वहां पर यही हथियार अपनाया गया है। किसी भी महामारी से बचने का सबसे अच्छा इलाज सोशल डिस्टेंसिंग ही है। इसमें जान जाने की दर बहुत कम होती है। मैं और डॉ. मेकर इसी बात पर जोर दे रहे थे। जिस सोशल डिस्टेंसिंग से लोग आज परिचित हैं या फिर हो रहे हैं, दरअसल इसे मध्यकाल से ही में अपनाया जा रहा है। 2006-07 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश की पहल पर हमने एक प्रस्ताव रखा था कि देश में अगली संक्रामिक बीमारी से मुकाबला करने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग से बेहतर कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता, लेकिन संघीय नौकरशाहों ने तब इसे अव्यावहारिक, गैर जरूरी और राजनीतिक रूप से असंभव (नॉन फिजिबल) कहकर नकार दिया था।

  • दोस्त डॉ. ग्लास की 14 वर्षीय बेटी ने स्कूल में सोशल डिस्टेंसिंग पर बनाया था साइंस प्रोजेक्ट उसी से मिला आइडिया

डॉ. मेकर कहते हैं कि इनफ्लुएंजा के नए प्रकोप और टेमीफ्लू जैसी दवा के सभी संक्रामक बीमारियों में कारगर न होने की सच्चाई को देखते हुए डॉ. हैशे और मैं अपनी टीम के साथ बड़े पैमाने के संक्रमण का मुकाबला करने के लिए अन्य तरीके की खोज में लगे हुए थे। उसी दौरान न्यू मैक्सिको स्थित सैंडिया नेशनल लेबोरेट्री में वरिष्ठ वैज्ञानिक रॉबर्ट ग्लास जो कि मेरे अच्छे दोस्त भी हैं, उनसे इस बारे में बात हुई। ग्लास की 14 साल की बेटी लॉरा ने अपने अल्बुकर्क हाईस्कूल में सोशल नेटवर्क का एक प्रोजेक्ट बनाया था। जब डॉ. ग्लास ने उसे देखा, तो उनकी जिज्ञासा अचानक बढ़ गई थी। प्रोजेक्ट के अनुसार स्कूली बच्चे जो कि सामाजिक तानेबाने और स्कूल बसों और कक्षाओं में एक साथ इतनी बारीकी से जुड़े रहते हैं कि महामारी के दौरान वे एक दूसरे के लए संक्रामक फैलाने के परिपूर्ण संवाहक (कंप्लीट कैरिअर) बन सकते हैं। डॉ. ग्लास ने अपनी बेटी के इस प्रोजेक्ट के माध्यम से यह पता लगाया कि इस आपसी जुड़ाव को तोड़कर ही संक्रामिक बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है। उनका अध्ययन चौंकाने वाला था। 10 हजार की आबादी वाले शहर के स्कूलों को बंद करने से सिर्फ 500 लोग संक्रमित हो सकते थे, जबकि सारे स्कूलों को खुला रखने से शहर की आधी आबादी संक्रमित होती। मुझे जब इस अध्ययन का पता चला, तो मैं चकित हो गया। डॉ. हैशे के साथ मैंने क्लास रूम और स्कूल बसों में छात्रों के बीच की दूरी (कम से कम एक मीटर) के बारे में जाना। हमने किसी भी महामारी में नुकसान को कम करने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को किस तरह और किस समय लागू किया जाना चाहिए? इस बारे में गहन चर्चा की। वास्तव में यदि डॉ. ग्लास से बात न होती और उनकी बेटी ने अगर प्रोजेक्ट न बनाया होता तो हम सोशल डिस्टेंसिंग प्रस्ताव का ड्राफ्ट तैयार न कर पाते।

  • 2001 में बुश ने जान बेरी की किताब ‘द ग्रेट इन्फ्लुएंजा’ पढ़ी थी, जो 1918 के स्पैनिश फ्लू पर केंद्रित थी, इसके बाद वे ठोस नीति बनाना चाहते थे

डॉ. हैशे कहते हैं कि दरअसल, सोशल डिस्टेंसिंग पर जोर देने की जार्ज बुश की कवायद 2005 की गर्मी में शुरू हुई थी। 2001 में अमेरिका पर आतंकी हमले के बाद वैश्विक आतंकवाद के प्रति आशंकित बुश ने उसी दौरान जान बेरी की किताब ‘द ग्रेट इन्फ्लुएंजा’ पढ़ी, जो 1918 के स्पैनिश फ्लू पर केंद्रित थी। उसी साल विएतनाम में बर्ड फ्लू समेत कई संक्रामिक बीमारियों ने उनकी आशंका को और बढ़ा दी, जिनमें पक्षियों और पशुओं से मनुष्य संक्रमित हो रहे थे। बुश चाहते थे कि किसी भी महामारी से बचने के लिए अमेरिका के पास ठोस रणनीति हो। 2005 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के एक कार्यक्रम में उन्होंने इस पर विस्तार से चर्चा भी की थी। उनके प्रशासन में सोशल डिस्टेंसिंग की धारणा को प्रोत्साहित किया गया। बराक ओबामा प्रशासन ने पांच साल तक इसकी समीक्षा करने के बाद 2017 में इसका डॉक्यूमेंटेशन (दस्तावेजीकरण) किया, लेकिन मौजूदा डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने इस पर गौर नहीं किया। खुद ट्रंप द्वारा कोविड-19 के खतरे को कम करके आंकने और उनकी सरकार द्वारा वायरस की चेतावनी की अनसुनी करने के कारण जब खतरा बहुत अधिक बढ़ गया, और संक्रमण तथा मौत के मामले बढ़ने लगे, तब ट्रंप ने राज्यों को लॉकडाउन (सोशल डिस्टेंसिंग का एक प्रारूप) के लिए प्रोत्साहित किया। 14 साल पहले यदि हमें ‘शटअप’ न किया गया होता जो कि अपमानित करने के लिए बहुत भद्दा शब्द है। तो शायद आज अमेरिका में सोशल डिस्टेंसिंग फेडरल पॉलिसी का रूप ले चुका होता और इसे किसी भी महामारी के दौरान लागू करना लाजमी होता।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
तस्वीर 2005 की है। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।

46% लोग भीड़ वाली जगहों पर नहीं जाएंगे, 51% को हेल्थकेयर सुधरने की उम्मीद: रिपोर्ट April 29, 2020 at 01:46PM

कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन की वजह से दुनिया में करीब 400 करोड़ लोग अपने घरों में कैद हैं। 31 लाख से ज्यादा मरीज और दो लाख से ज्यादा मौतेंहोने के बावजूद अभी तक कोरोना का कोई वैक्सीन या इलाज नहीं खोजा जा सका है। ऐसे में लॉकडाउन कब और कैसे खुलेगा, इसे लेकर कई तरह की आशंकाएं हैं।

इसी मामले परग्लोबल डेटा एजेंसी स्टेटिस्टा ने कोविड-19 बैरोमीटर जारी किया है। इसके जरिए यह जानने की कोशिश की गई है कि कोरोना संकट के बाद हमारी जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा, रोजमर्रा की जिंदगी में क्या-क्या बदलाव आ सकते हैं। 49 फीसदी लोगों ने कहा है कि वे भीड़भाड़ वाली जगहों पर नहीं जाएंगे। 51 फीसदी ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की उम्मीद जताई है।

बैरोमीटर अमेरिका को ध्यान में रखकर बनाया गया

रिपोर्ट के मुताबिक, यह बैरोमीटर अमेरिका को ध्यान में रखकर बनाया गया है, लेकिन इसे वैश्विक स्तर यानी दुनिया परभी लागू किया जा सकता है। 10 में 4 लोगों को उम्मीद है कि कोरोना संकट के बाद वर्क फ्रॉम होम का चलन बढ़ेगा। 50% लोगों ने कहा कि वे जब भी बाहर जाएंगे, तो बिना मास्क के नहीं जाएंगे।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
ग्लोबल डेटा एजेंसी स्टेटिस्टा ने कोविड-19 बैरोमीटर जारी किया है। इसके जरिए यह जानने की कोशिश की गई है कि कोरोना संकट के बाद हमारी जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा।

अमेरिका के सबसे बड़े मॉल ऑपरेटर ने कहा- कल से 10 राज्यों में खुलेंगे 49 मॉल April 29, 2020 at 01:45PM

(सपना माहेश्वरी और माइकल कोकरी)कोरोनावायरस महामारी ने अब तक सबसे ज्यादा तबाही अमेरिका में मचाई है। यहां संक्रमित लोगों की संख्या 10 लाख के पार हो गई है। मरने वालों का आंकड़ा भी 60 हजार के करीब है। लेकिन, अमेरिका महामारी से जंग के बीच अपनी अर्थव्यवस्था को भी खोलने की कोशिश में लगा है। देश के सबसे बड़े मॉल ऑपरेटर सिमन प्रॉपर्टी ग्रुप ने कहा है कि वह शुक्रवार से करीब 10 राज्यों में अपने मॉल खोलने की शुरुआत कर रहा है। यह ग्रुप इन राज्यों में कुल 10 मॉल खोलेगा।

गाइडलाइन भी तैयार
सिमन प्रॉपर्टी ग्रुप ने मॉल खोलने को लेकर अपनीगाइडलाइन भी तैयार कर ली है। मॉल के सिक्युरिटी ऑफिसर्स और यहां काम करने वाले कर्मचारी ग्राहकों को सोशल डिस्टेंसिंग और हाइजीन के बारे में नियमित तौर पर बताते रहेंगे। मॉल के अंदर खेलने वाले एरिया और पीने के पानी के नल फिलहाल बंद रहेंगे। वॉशरूम में हर एक सिंक के बाद दूसरे सिंक पर टेप लगा होगा। यानी अगर कोई एक सिंक चालू है तो उसके ठीक पास वाला सिंक बंद रहेगा। यूरिनल के साथ भी ऐसा ही किया जाएगा। ग्रुप ने अपनी इस योजना का डॉक्यूमेंट 27 अप्रैल को एक मेमो के जरिए अथॉरिटीज तक पहुंचाया है।

योजना की सफलता रिटेलर्स और उपभोक्ताओं के ऊपर भी निर्भर
हालांकि, इस योजना की सफलता मॉल ऑपरेटर के साथ-साथ रिटेलर्स और उपभोक्ताओं के ऊपर भी निर्भर करेगी। यह देखना है कि मॉल खुलने के बाद कितने दुकानदार अपनी दुकानें खोलते हैं और खरीदारी के लिए कितने लोग वहां पहुंचते हैं। इन मॉल्स में दुकानों की चेन चलाने वाली कंपनी गैप ने कहा है कि वह इस हफ्ते के आखिर तक अपनी दुकानें नहीं खोलेगी। एक अन्य बड़ी किराएदार कंपनी मैकीज ने भी कहा है कि उसकी दुकानें फिलहाल नहीं खुलेंगी।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
अमेरिका के सबसे बड़े मॉल ऑपरेटर सिमन प्रॉपर्टी ग्रुप ने कहा है कि वह शुक्रवार से करीब 10 राज्यों में अपने मॉल खोलने की शुरुआत कर रहा है। -प्रतीकात्मक फोटो

डॉक्टर ने अपने समर्पण से कई कोरोना पीड़ितों को ठीक किया, दूसरों का दर्द देखा नहीं जाता था, आखिर में जान दे दी April 29, 2020 at 01:44PM

(अली वाटकिंस, माइकल रोथफेल्ड)अमेरिका में कई काेरोना वायरस मरीजों का इलाज कर चुकी एक डॉक्टर ने जान दे दी। मरीजों का इलाज करते-करते वो खुद इनफेक्टेड हो गईं थीं। डॉक्टर लोर्ना एम ब्रीन की मौत दरअसल,डाॅक्टरों पर कोराेना के मानसिक असर को सामने ले आई है। डॉक्टर ब्रीन न्यूयॉर्क के प्रेस्बिटेरियन एलन अस्पताल में इमरजेंसी डिपार्टमेंट की मेडिकल डायरेक्टर थीं। 200 बेड के इस अस्पताल में 170 कोरोना पीड़ित मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

डॉक्टर लोर्नाकाे कोई मानसिक बीमारी नहीं थी

डॉ ब्रीन के पिता डॉ फिलिप ने बताया कि लोर्ना ने कोरोना मरीजों के डरावने मंजर देखे। वो अपना काम पूरी लगन से कर रही थीं। कोरोना संक्रमण से ठीक होकर वह घर तो आ गईं, लेकिन कुछ दिनों बाद वापस अस्पताल जाने लगीं। फिर हमने उन्हें रोका और उसे चार्लोट्सविले ले आए। 49 साल की लोर्ना काे कोई मानसिक बीमारी नहीं थी। उन्होंने मुझसे कहा था कि कुछ अजीब और अलग लग रहा है। वो निराश लग रहीं थीं। मुझे ऐसा लगा कि कुछ गलत हो रहा है। उन्होंनेमुझे बताया था कि मरीज अस्पताल के सामने एम्बुलेंस से उतारने से पहले ही दम तोड़ रहे हैं।

अस्पताल ने कहा- डॉ लोर्नाअसली हीरो
डॉक्टर लोर्ना कोरोनावायरस से लड़ रहे लोगों की अग्रिम पंक्ति में थीं। अस्पताल ने डॉ ब्रीन को एक असली हीरो बताया है। अस्पताल ने बयान में कहा-डॉ. लोर्ना ने बेहद मुश्किल वक्त पर लोगों का इलाज करते हुए उच्चतम आदर्शों का प्रदर्शन किया।यह मौत हमारे सामने कई सवाल खड़े करती है, जिनके जवाब हमें तलाश करने हैं।

कोरोना ने डॉक्टर्स के लिए मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियां पैदा कीं

न्यूयॉर्क-प्रेस्बिटेरियन ब्रुकलिन मेथोडिस्ट अस्पताल में क्वॉलिटीकेयर के वाइस चेयरमैन डॉक्टर लॉरेंस ए मेलनिकर कहते हैं, “कोरोनोवायरस ने पूरे न्यूयॉर्क में इमरजेंसी डॉक्टर्स के लिए मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियां पैदा की हैं। वैसे डॉक्टर हमेशा हर तरह की त्रासदी से निपटने के लिए तैयार रहते हैं, लेकिन उन्हें खुद बीमार होने या उनकी वजह से परिवार के संक्रमित हाेने की इतनी चिंता नहीं होती, जैसे कोविड के मामले में है।”

खुशमिजाज और मिलनसार
डॉ ब्रीन के दोस्त बताते हैं कि वह न्यूयॉर्क स्की क्लब की सदस्य थीं। बहुत धार्मिक थीं।हफ्ते में एक बार बुजुर्ग लोगों की सेवा के लिए भी जाती थीं। सालसा डांस बेहद पसंद था। अपने आसपास के माहौल काे जीवंत बनाए रखती थीं। बतौर डॉक्टर जो सम्मान और मुकाम उन्होंने हासिल किया, वो तभी पाया जा सकता है, जब आप बहुत प्रतिभाशाली हों।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
डॉक्टर लोर्ना एम ब्रीन मरीजों का इलाज करते-करते वो खुद इनफेक्टेड हो गई थीं।

Pak summons senior Indian diplomat over 'ceasefire violations' April 29, 2020 at 12:41AM

Pakistan on Wednesday summoned a senior diplomat from the High Commission of India and registered its protest over the alleged ceasefire violations by the Indian forces along the Line of Control.

'Iran death toll from corona outbreak reaches 5,957' April 29, 2020 at 12:18AM

महामारी ने 20 साल तक चले वियतनाम युद्ध से ज्यादा अमेरिकियों की जान ली, सीआईए ने कहा- ट्रम्प ने 12 चेतावनियों को किया था नजरअंदाज April 28, 2020 at 10:21PM

कोरोनावायरस से अमेरिका में 59,266 लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका में 20 साल चले वियतनाम युद्ध में इतने अमेरिकियों की जान नहीं गई थी, जितनी कोरोनावायरस महामारी के चलते चली गई। महामारी में ट्रम्प प्रशासन की तैयारियां न होने के चलते लगातार उनकी आलोचना हो रही है। सीआई के अधिकारियों ने बताया है कि चीन में वायरस फैलने पर करीब 12 बार ट्रम्प को इस वायरस से संबंधित चेतावनी दी गई थी, लेकिन वे लगातार इसको नजरअंदाज करते रहे। परिणाम यह है कि अब कोरोना महामरी ने अमेरिका को जकड़ लिया है।

ट्रम्प ने फिर से चीन पर निशाना साधा है। हालांकि, चीन ने जवाब देते हुए कहा कि अमेरिकी नेता झूठ बोल रहे हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘उनका केवल एक ही उद्देश्य है। अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए दूसरों को दोष देना।’’वियतनाम युद्ध नंवबर 1955 में शुरू हुआ था और यह 1975 तक चला था। इस युद्ध में अमेरिका को अपने करीब 58,000 सैनिकों को खोना पड़ा था।

सीआईए ने बताया था कि चीन में फैला वायरस बहुत घातक है
अमेरिका की सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी (सीआईए) ने चीन में कोरोनावायरस सामने पर पर ट्रम्प को एक्शन लेने के लिए 12 बार चेतावनी दी थी। ट्रम्प हर बार उसकी अनदेखी करते रहे और महामारी ने अमेरिका को जकड़ लिया। इंटेलीजेंस के अधिकारियों ने अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट को बताया कि जनवरी और फरवरी के माह में दी गई चेतावनियों पर ट्रम्प ने कोई ध्यान नहीं दिया। चेतावनी दी गई कि चीन में फैल रहे कोरोनावायरस का संक्रमण बहुत घातक है और चीन यह बात छुपा रहा है। ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया। इस पर भी ट्रम्प ने कोई ध्यान नहीं दिया।

ट्रम्प ने कहा- हमने ज्यादा टेस्टिंग की इसलिए ज्यादा मामले
राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका में दुनियाभर के देशों के मुकाबले अधिक टेस्ट हुए हैं। यही वजह है कि अमेरिका में कोविड-19 के अधिक मरीज सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने डॉक्टरों और वैज्ञानिकों पर पूरा भरोसा करते हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि कई मामलों में हमने बेहतर फैसले लिए हैं। जैसे कि विशेषज्ञों के विरोध के बावजूद हमने अपने देश की सीमाओं को बंद कर दिया।

नवंबर में होने है राष्ट्रपति चुनाव
अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए नंवबर में चुनाव होने हैं। हालांकि, अभी तक 15 राज्यों ने अपने यहां राष्ट्रपति चुनाव से पहले होने वाले प्राइमरी चुनाव टाल दिए हैं। इनमें से अधिकतर ने इन चुनावों को जून तक के लिए टाला है। आने वाले चुनावों में डोनाल्ड ट्रम्प को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। अधिकतर अमेरिकी लोग कोरोनावायरस पर ट्रम्प की तैयारियों को लेकर खफा है। लोगों के साथ ही डॉक्टरों और विशेषज्ञों का भी कहना है कि ट्रम्प ने बेहत खराब ढंग से इस स्थिति का सामना किया है। उनकी तैयारियां न होने की वजह से अमेरिका को आज यह भुगतना पड़ रहा है।

अमेरिका में दस लाख से ज्यादा संक्रमित
अमेरिका में अब तक दस लाख 35 हजार 765 लोग संक्रमित हो चुके हैं। साथ ही 59 हजार 266 लोगों की मौत भी हुई है। साथ ही एक लाख 42 हजार 238 लोग ठीक भी हुए हैं। न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी बुरी तरह प्रभावित है। अकेले न्यूयॉर्क में संक्रमण के तीन लाख से ज्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 22 हजार की मौत हो चुकी है। न्यूजर्सी में भी संक्रमण के एक लाख से ज्यादा केस सामने आए हैं। यहां छह हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं। मैसाचुसेट्स, इलिनॉयस, कैलिफोर्निया और पेंसिल्वेनिया ऐसे राज्य हैं जहां अब तक 40 हजार से ज्यादा केस हो चुक हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
अमेरिका के मियामी में एक मास्क लगाए एक बस ड्राइवर व्हीलचेयर पर बैठे यात्री को चढ़ने में मदद करता हुआ।

Concerns raised over Malaysia lockdown penalties April 28, 2020 at 10:40PM

Malaysian lawyers and an international rights group have voiced concern over what they say is excessive sentencing of violators of the country's coronavirus lockdown. Malaysia, which has confirmed 5,851 cases and 100 deaths from COVID-19, has arrested more than 21,000 people since a partial lockdown began March 8. Violators face a fine or a jail term of up to six months.

Tokyo governor calls to extend state of emergency April 28, 2020 at 10:27PM

अमेरिका में नौकरी-पेशा करने वाले 2 लाख से ज्यादा भारतीयों की बढ़ी मुसीबतें, जून तक खत्म हो जाएगी रहने की कानूनी वैधता April 28, 2020 at 09:38PM

अमेरिका में एच-1बी वीजा पर रहकर नौकरी करने वाले भारतीयों की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। दरअसल एच-1बी एक अस्थायी वर्क वीजा होता है। यह वीजा स्पेशलाइज्ड स्किल वाले गैर अमेरिकी लोगों को जारी किया जाता है, जो उन्हें अमेरिका में रहकर काम करने की कानूनी इजाजत देता है। हालांकि अगर किसी वजह से अमेरिका में आपकी नौकरी छूट जाती है और आप बेरोजगार हो जाते हैं, तो स्थिति में आप अमेरिका में एच-1बी वीजा पर अधिकतम 60 दिनों तक ही कानूनी रूपसे रह सकते हैं। इससे ज्यादा दिन रहने के लिए उन्हें भारी रकम चुकानी होती है।


इस वीजा पर लाखों की संख्या में भारतीय अमेरिका में नौकरी करते हैं। इनमें से तमाम भारतीयों को कोरोना संकट में बिना सैलरी के छुट्टी पर भेज दिया गया है। ऐसे भारतीयों का मुसीबतें बढ़ गई हैं। कोविड-19 की वजह से मिड-मार्च से छुट्टी पर भेजे गए करीब 2 लाख से ज्यादा भारतीय जून तक अमेरिका में रहने की कानूनी वैधता को खो देंगें और लॉकडाउन होने की वजह से ऐसे लोग भारत भी नहीं आ सकेंगे।


लोन लेकर अमेरिका में पढ़ाई करने वालों की बढ़ी मुसीबतें
ईटी की खबर के मुताबिक मानसी पिछले 2 साल से एच-1बी वीजा पर अमेरिका में डेंटिस्ट के तौर पर प्रैक्टिस कर रही है, जिन्हें मार्च से बिना सैलरी के छुट्टी पर भेज दिया गया है। जिसकी वजह से अगले 3 हफ्तों के भीतर मानसी अमेरिका में रहने की कानून हक को खो देंगी। मानसी के पति नंदन भी अमेरिका में एक डेंटिस्ट हैं। नंदन का भी एच-1बी वीजा जून तक समाप्त होने वाहा है। इसके चलते दोनों पति-पत्नी की मुसीबतें बढ़ गई हैं। मानसी और नंदन ने मिलकर 5.20 लाख डॉलर का स्टूडेंट लोन लेकर अमेरिका से डेंटिस्ट की पढ़ाई की है। मानसी की मानें, तो भारत में रहकर नौकरी करके स्टूडेंट लोन चुकाना काफी चुनौतीपूर्ण काम होगा।


ट्रंप प्रशासन में सख्त हुए एच-1बी वीजा
अमेरिका में करीब 2.50 लाख लोग अमेरिका में गेस्ट वर्कर के तौर पर ग्रीन कार्ड पर रहते है। करीब 2 लाख से ज्यादा लोगो एच-1बी वीजा पर अमरेकिा में काम करते हैं। बता दें कि पिछले दो साल में 1 करोड़ अमेरिकी लोगों की नौकरी छिन गई है। लेकिन अमेरिकियों के मुकाबले वीजा पर रहने वाले लोगों की मुसीबत बढ़ गई है। ट्रंप प्रशासन के दौरान इमीग्रेशन और फॉरेन वर्कर के लिए नियम काफी सख्त रहे हैं। साल 2019 में नॉम इमीग्रेंट वर्कर को जारी होने वाले वीजा में गिरावट दर्ज की गई है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
एच-1बी वीजा पर अधिकतम 60 दिनों तक ही कानूनी रूप से रह सकते हैं। इससे ज्यादा दिन रहने के लिए उन्हें भारी रकम चुकानी होती है।

New Zealand's Jacinda Ardern spoke to Queen on pandemic response April 28, 2020 at 09:06PM

तानाशाह किम जोंग के उत्तराधिकारी को लेकर चर्चा तेज, बहन के बाद 40 साल विदेश में बिताने वाले चाचा के नाम लेकर बहस शुरू April 28, 2020 at 08:01PM

उत्तर कोरिया में अब तानाशाह किम जोंग उन (36) के अगले उत्तराधिकारी को लेकर चर्चा तेज हो गई है। कुछ दिन पहले उनकी बहन किम यो जोंग को किम का अगला उत्तराधिकारी बताया गया था। वहीं, अब इसके लिए उनके चाचा किम प्योंग ईल को सही व्यक्ति बताया जा रहा है। 65 वर्षीय किम प्योंग इल उत्तर कोरिया के संस्थापक किम इल सुंग के आखिरी जीवित बचे बेटे हैं। इन्होंने करीब 40 साल उत्तर कोरिया से बाहर के देशों में बताए हैं।वे हंगरी, बुल्गारिया,फिनलैंड, पोलैंड और सेज रिपब्लिक में उत्तर कोरिया के राजदूत के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। किम प्योंग पिछले साल ही रिटायर होकर देश में लौटे हैं। इसके बाद से ही वे हाउस अरेस्ट में रह रहे हैं।
किम जोंग इस साल 15 अप्रैल को अपने दादा किम इल सुंग की याद में होने वाले सालाना कार्यक्रम में नहीं पहुंचे थे। इसके बाद उनके स्वास्थ्य को लेकर कई तरह की खबरें आईं थी। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में उनकी मौत होने की बात तक कही गई थी। पिछले कुछ दिनों से उनके अगले उत्तराधिकारी को लेकर बहस शुरू हो गई है।

पुरूष होना और किम परिवार से खून का संबंध किम प्योंग के हक में
उत्तर कोरिया के स्थापना के बाद से ही किम प्योंग इल को देश के अगले शासक के तौर पर देखा जाता रहा है। मौजूदा समय में जब उनके भतीजे किम जोंग के स्वास्थ्य को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है, किम प्योंग का नाम सामने आ रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि वे एक पुरुष हैं। उत्तर कोरिया की सत्ता में पुरूषों का दबदबा है। किम प्योंग का मौजूदा तानाशाह से खून का रिश्ता भी है। ये दोनों बातें उन्हें अगले शासक के बनने के लिहाज से उपयुक्त बनाती हैं। ब्रिटेन में उत्तर कोरिया के राजदूत रह चुके थेई येंग हो के मुताबिक किम जोंग की बहन को महिला होने उम्र कम (30) की वजह सत्ता हासिल करने में कठिनाई हो सकते हैं। कंजर्वेटिव पार्टी के पुरुष सदस्य उनका विरोध कर सकते हैं।

कुछ विशेषज्ञ नकार भी रहे हैं किम प्योंग की दावेदारी

किम प्योंग के सत्ता में आने की बात को कुछ विशेषज्ञ नकार भी रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि किम प्योंग लंबे समय से दूर रहे हैं। ऐसे में देश के शासन तंत्र और मीडिया पर उनकी पकड़ मजबूत नहीं है। दक्षिण कोरिया की संसदीय खुफिया समिति के सदस्य कम बयोंग-की के मुताबिक, ऐसा संभव नहीं है। इस प्रकार के कयास पर मुझे हंसी आती है। ऐस भी कहा जा रहा है कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो देश के कई मौजूदा अधिकारियों को दिक्कतें हो सकती थी। इनमें से कई ऐसे भी अधिकारी है जो किम जोंग के शासन के दौरान उनके देश वापसी के खिलाफ काम करते रहे।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
किम प्योंग इल उत्तर कोरिया के संस्थापक किम इल सुंग के बेटे हैं। वे देश के राजदूत के तौर पर कई देशों में सेवाएं दे चुके हैं।