Wednesday, September 9, 2020

सरकार की स्कॉलरशिप पर विदेश गए 132 छात्र मुल्क नहीं लौटे, 14 साल में 106 स्टूडेंट्स का रिसर्च ही पूरा नहीं हुआ September 09, 2020 at 07:05PM

पाकिस्तान सरकार हायर एजुकेशन के लिए जिन स्टूडेंट्स को स्कॉलरिप देकर विदेश भेजती है, उनमें से ज्यादातर देश नहीं लौटते। पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (पीएसी) की एक सब कमेटी ने हायर एजुकेशन कमीशन (एचईसी) द्वारा जारी फंडिंग की जांच की है। इसमें सामने आया कि स्कॉलरशिप के जरिए विदेश गए 132 पाकिस्तानी देश नहीं लौटे। इतना ही नहीं 106 स्टूडेंट्स ऐसे भी मिले जिनका रिसर्च वर्क 14 साल में भी पूरा नहीं हो सका।

अब कमेटी ने रिकॉर्ड तलब किया
सब कमेटी की जांच के बारे में ‘द ट्रिब्यून’ ने रिपोर्ट पब्लिश की है। इसके मुताबिक, कमेटी ने एचईसी से छात्रों के अधूरे रिसर्च का रिकॉर्ड तलब किया है। कमेटी के चेयरमैन आलम खान ने कहा- इस बेहद अहम मसले पर हमारे सवालों के जवाब देने के लिए एचईसी के चेयरमैन तारिक बनूरी हाजिर क्यों नहीं हुए। अब इसके डायरेक्टर को बुलाया गया है।

कैसा रिसर्च हो रहा है...
एचईसी की ऑडिट रिपोर्ट के कुछ तथ्य चौंकाने वाले हैं। कुल 583 प्रोजेक्ट्स पर रिसर्च की मंजूरी दी गई थी। इनकी फंडिंग भी की गई। लेकिन, 106 स्टूडेंट्स के प्रोजेक्ट्स ऐसे हैं जो 14 साल से चल रहे हैं, और अब तक पूरे नहीं हुए। अब तक यह साफ नहीं हो पाया कि ये रिसर्च प्रोजेक्ट्स किसने मंजूर किए और अब तक पूरे क्यों नहीं हुए।

132 छात्र देश ही नहीं लौटे
जांच में एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। सरकार ने कुछ छात्रों (संख्या सार्वजनिक नहीं) को पीएचडी के लिए दूसरे देशों में जाने के लिए स्कॉलरशिप दी। इनमें 132 ऐसे हैं जो अब तक पाकिस्तान नहीं लौटे। इतना ही नहीं इनकी ट्रैनिंग का खर्च भी सरकार ने उठाया था। इस मामले में एक केस भी कोर्ट में है। एचईसी अब छात्रों से पैसा वापस लेना चाहता है।

कमेटी ने कहा है कि स्कॉलरशिप सिर्फ उन स्टूडेंट्स को दी जानी चाहिए, जो वास्तव में जरूरतमंद हैं। अमीर घरों के स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप देने का कोई मतलब नहीं है।



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पाकिस्तान की एक संसदीय कमेटी ने कहा है कि सरकार सिर्फ जरूरतमंद और गरीब छात्रों को स्कॉलरशिप दे। अमीर घरों से आने वाले छात्रों को स्कॉलरशिप नहीं दी जानी चाहिए। (फाइल)

सीमा विवाद के बीच आज मॉस्को में मिलेंगे भारत और चीन के विदेश मंत्री; 4 महीने में दोनों नेताओं के बीच यह तीसरी बातचीत होगी September 09, 2020 at 05:44PM

लद्दाख में जारी तनाव के बीच आज मॉस्को में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की मुलाकात होगी। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर मॉस्को पहुंच चुके हैं। चीन के विदेश मंत्री वांग यी भी यहां मौजूद हैं। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, मीटिंग भारतीय समय के अनुसार शाम 6 बजे शुरू होगी।

आरआईसी मीट (रशिया, इंडिया, चाइना) के तहत जयशंकर मॉस्को में है। इस मीटिंग में तीसरा देश रूस है और यहीं इस सालाना मीटिंग का आयोजन किया जा रहा है। पिछले हफ्ते एससीओ देशों के रक्षा मंत्री यहां मौजूद थे।

इस मुलाकात पर नजर रहेगी
लद्दाख में पैंगॉन्ग सो झील के दक्षिणी हिस्से में मौजूद पहाड़ियों पर कब्जा करने की साजिश को पिछले दिनों भारतीय सैनिकों ने नाकाम कर दिया था। बुधवार को जानकारी मिली कि चीन अब उत्तरी इलाके में सैनिक और हथियार जमा कर रहा है। इतना ही नहीं वो यहां कुछ कंस्ट्रक्शन भी कर रहा है। भारतीय सेना चीन की हरकतों पर पैनी नजर रख रही है। भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर जयशंकर और वांग यी की मुलाकात पर सबकी नजरें रहेंगी। दोनों नेताओं की यह मीटिंग लंच पर होगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मीटिंग के दौरान रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लैवरोव भी रहेंगे।

हालात बेहद तनावपूर्ण
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार को चीनी सैनिकों ने मुकपारी इलाके में घुसपैठ की कोशिश की थी। करीब चार दशक बाद इस इलाके में फायरिंग भी हुई थी। यहां अब भी भारतीय और चीनी सैनिक सिर्फ 200 से 300 मीटर की दूरी पर आमने-सामने हैं। इस क्षेत्र में तनाव सबसे ज्यादा है। पैंगॉन्ग सो लेक के उत्तरी इलाके में दोनों देशों के सैनिकों के बीच सिर्फ 500 मीटर की दूरी है। फिंगर 3 और 4 के इलाके में भी टकराव की आशंका है।

मई के बाद तीसरी बार बातचीत
भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव की शुरुआत मई के पहले हफ्ते में हुई थी। इसके बाद दोनों विदेश मंत्रियों के बीच यह सिर्फ तीसरी बातचीत होगी। 15 जून को हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे। चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे। हालांकि, उसने इसकी औपचारिक जानकारी नहीं दी थी। 17 जून को वांग यीन ने जयशंकर से फोन पर बातचीत की थी। 23 जून को उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जयशंकर से संपर्क किया था। अब मॉस्को में दोनों आमने-सामने होंगे।

हालांकि, मई से अब तक दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक चैनल्स और मिलिट्री लेवल पर बातचीत होती रही है।



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मॉस्को में आज भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की मुलाकात होगी। इस मुलाकात पर सबकी नजरें होंगी क्योंकि एलएसी पर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं। (फाइल)

China, others to be part of joint military drills in Russia September 09, 2020 at 05:58PM

Chinese and Russian forces will take part in joint military exercises in southern Russia later this month along with troops from Armenia, Belarus, Iran, Myanmar, Pakistan and others, China's defense ministry announced Thursday. The "Caucus 2020" drills will deploy wheeled vehicles and light weaponry to be flown to the drill location by China's latest version transport aircraft, the ministry said in a news release.

अमेरिका में राजनीतिक अपमान का खेल, कौन जीतेगा- डोनाल्ड ट्रम्प या जो बाइडेन September 09, 2020 at 05:02PM

करीब सालभर पहले मैंने बिना किसी से सलाह लिए अपना जॉब डिस्क्रिप्शन बदल दिया। पहले लिखता था- न्यूयॉर्क टाइम्स फॉरेन अफेयर कॉलमनिस्ट। अब लिखता हूं- न्यूयॉर्क टाइम्स में अपमान और गौरव पर कॉलम लिखने वाला। इतना ही नहीं अपने बिजनेस कार्ड पर भी यही प्रिंट कराया। 1978 में पत्रकारिता शुरू की। आम लोगों, नेताओं, शरणार्थियों, आतंकवादियों और देश के साथ ही राज्यों पर से जुड़े मामलों पर लिखता रहा। अपमान और गौरव या सम्मान इंसान की दो सबसे ताकतवर भावनाएं हैं।

आज इसका जिक्र जरूरी
आज इस बात का जिक्र जरूरी है। जो बाइडेन ट्रम्प कैम्पेन को ट्रम्प के खिलाफ कामयाबी मिलती दिख रही है। क्योंकि, वो उसी भाषा में जवाब देना जानते हैं, जो विरोधियों की है। इससे ट्रम्प के कुछ समर्थक अपमानित महसूस करते हैं। ये काम पिछले चुनाव में हिलेरी क्लिंटन नहीं कर पाईं थीं। ट्रम्प पहली बार जब प्रेसिडेंट की रेस में शामिल हुए तो उनके समर्थक हर उस व्यक्ति से नफरत करते थे, जो ट्रम्प से नफरत करता था।

मीडिया ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई। ट्रम्प के कई समर्थक ऐसे है, जो उनकी नीतियों नहीं, बल्कि उनके बर्ताव से प्रभावित हैं। उन्हें लोगों को नीचा दिखाने में खुशी मिलती है। मेरे हिसाब से पॉलिटिक्स और इंटरनेशनल रिलेशन्स में अपमान की ताकत का कभी ठीक से अंदाजा नहीं लगाया गया। गौरव या सम्मान के मामले में गरीबी व्यवहार में पैसे की गरीबी से ज्यादा साफ नजर आती है।

अपमान सहन नहीं होता
मुश्किल, भूख या दर्द। ये आदमी सहन कर सकता है। जॉब, कार या दूसरे फायदों के लिए आपका शुक्रगुजार भी हो सकता है। लेकिन, अगर आप उनकी बेइज्जती करेंगे तो वे ताकत से जवाब देंगे। नेल्सन मंडेला ने कहा था- अपमानित आदमी से ज्यादा खतरनाक कोई और नहीं हो सकता। किसी को शांति से सुनना सम्मान का ही प्रतीक है।

उदाहरण भी मिलते रहे
फॉरेन पॉलिसी की बात करें तो मैंने कई चीजें देखीं। कोल्ड वॉर में रूस पिछड़ गया तो पुतिन की ताकतवर इमेज सामने आई। इराक पर अमेरिकी हमले के बाद सुन्नियों का क्या हुआ, उन्हें सेना और सरकार के अहम पदों से बाहर कर दिया गया। फिलिस्तीनियों को इजराइल के चेक प्वॉइंट्स पर बेइज्जत होना पड़ता है। यूरोप में मुस्लिम युवाओं के साथ क्या होता है। चीन आज वर्ल्ड पॉवर है। वहां के लोग कहते हैं कि उन्होंने एक सदी तक विदेशी ताकतों के हाथों अपमान सहा, बर्दाश्त किया।

जॉर्ज फ्लॉयड की गर्दन पर पुलिसकर्मी घुटना रखे रहा। जॉर्ज मदद मांगता रहा, लोग वीडियो बनाते रहे। उसका अपमान हुआ। अश्वेतों के साथ रोजाना होने वाले अपमान के खिलाफ ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन चला। हॉवर्ड के पॉलिटिकल फिलॉस्फर माइकल सेन्डेल की किताब का जिक्र करूंगा। माइकल मेरे दोस्त भी हैं। वो ‘अपमान की राजनीति’ जैसे शब्दों के जरिए बताते हैं कि ट्रम्प लोकप्रिय क्यों हुए।

ट्रम्प ने क्या किया
सेन्डेल कहते हैं- ट्रम्प ने लोगों की शिकायतों, झुंझलाहट और दुख को जरिया बनाया और आवाज दी। इसका जवाब मेनस्ट्रीम पार्टीज के पास नहीं था। शिकायतें आर्थिक और नैतिक ही नहीं सांस्कृतिक तौर पर भी थीं। सेन्डेल चेतावनी देते हैं- अगर बाइडेन लोगों की ट्रम्प के प्रति इन शिकायतों और अपमान का सही जवाब नहीं दे पाए तो नुकसान होगा। कोरोना से निपटने में ट्रम्प की नाकामी ही बाइडेन को जीत नहीं दिला सकती। ट्रम्प इसी का फायदा उठा रहे हैं।

अमेरिका की राजनीति दो हिस्सों में बंटी है। एक वे जिनके पास कॉलेज डिग्री है। दूसरे वे- जिनके पास यह डिग्री नहीं है। 2016 के चुनाव में ट्रम्प को मिले कुल श्वेत अमेरिकी वोटों में से दो तिहाई ऐसे थे जिनके पास कॉलेज डिग्री ही नहीं थे। यानी वे ग्रेजुएट नहीं थे। न्यूयॉर्क के एलीट क्लास के सामने ट्रम्प कुछ नहीं हैं। ये डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक हैं। इमीग्रेंट्स और दूसरे देशों के लोग आज इन पर हंसते हैं।

बाइडेन सही कहते हैं...
सेन्डेल के मुताबिक- बाइडेन का यह कहना बिल्कुल दुरुस्त है कि ट्रम्प कोरोना से निपटने में विफल रहे। उन्होंने संविधान का उल्लंघन किया और नस्लवादी तनाव बढ़ाया। ये ट्रम्प को चुनाव हराने के लिए काफी हैं। लेकिन, मैं ये मानता हूं कि दलीलों में जीतने के बाद बाइडेन चुनाव हार सकते हैं। बाइडेन को उन लोगों को भरोसे में लेना होगा, जिन्हें लगता है कि उनकी आवाज उठाने वाला कोई नहीं। ये लोग ट्रम्प के साथ हैं। हालांकि, ट्रम्प की नीतियों से उन्हें कभी कोई फायदा नहीं हुआ।

तो क्या करना चाहिए अब बाइडेन को
सेन्डेल यह भी बताते हैं कि ट्रम्प के वोटर्स को बाइडेन कैसे अपने फेवर में कर सकते हैं। सेन्डेल कहते हैं- बाइडेन को दूर-दराज के उन गांवों और कस्बों में जरूर जाना चाहिए, जहां ट्रम्प का आधार है। वहां के लोगों को ध्यान से सुनना चाहिए। इससे उन्हें अहसास होगा कि उनका भी सम्मान किया जाता है। फिर, प्रेसिडेंशियल डिबेट में इसका जिक्र करना चाहिए। इससे वर्किंग क्लास वोटर उनके साथ आएगा। बाइडेन डेमोक्रेटिक पार्टी के अकेले ऐसे नेता हैं जो लोगों को जोड़ सकते हैं।

ट्रम्प बाइडेन के वोटर्स को उनसे अलग करना चाहते हैं। अब बाइडेन को भी यही करना होगा। इसके लिए ट्रम्प के वोटर्स को सम्मान देना होगा। उनका भरोसा जीतना होगा। उनका डर खत्म करना होगा।



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पिछले हफ्ते पेन्सिलवेनिया की एक रैली के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प समर्थकों से बातचीत करते हुए। ट्रम्प कहते हैं कि अगर बाइडेन चुनाव जीत गए तो यह चीन की जीत होगी। बाइडेन भी उन पर जवाबी हमले करते हैं।

Global coronavirus deaths hit 900,000 as cases surge in India September 09, 2020 at 04:58PM

The United States remains the world's worst-affected country, with deaths exceeding 190,000 and cases exceeding 6.3 million. Brazil is in second place with more than 127,000 deaths followed by India with nearly 74,000 dead.

पोप फ्रांसिस ने पहली बार मास्क पहना, चीन के वैक्सीन को लेकर ब्राजील सरकार सख्त; दुनिया में अब तक 2.80 करोड़ केस September 09, 2020 at 04:09PM

कोरोनावायरस की वैक्सीन पर रिसर्च जारी है। ज्यादातर मामलों में ट्रायल चल रहे हैं। आंकड़ों की बात करें तो दुनिया में अब संक्रमितों का आंकड़ा 2 करोड़ 80 लाख 19 हजार 639 हो चुका है। अच्छी खबर ये है कि ठीक होने वालों की संख्या भी अब 2 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। वहीं, महामारी में मरने वालों की संख्या 9 लाख से ज्यादा हो गई है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अब बात करते हैं दुनियाभर में कोरोनावायरस से जुड़ी कुछ अहम खबरों की।

वेटिकन सिटी : पोप फ्रांसिस मास्क में नजर आए
महामारी शुरू होने के बाद पोप फ्रांसिस सार्वजनिक तौर पर काफी कम नजर आए। अगर दिखे भी तो उन्होंने मास्क नहीं पहना। लेकिन, बुधवार को पहली बार ईसाइयों के सर्वोच्च गुरू ने मास्क पहना। हालांकि, जब वो लोगों से मिले तो उन्होंने इसे उतार दिया। कार में पोप को मास्क सेट करने में दिक्कत भी नजर आई। खास बात ये भी है कि पोप छह महीने में दूसरी बार लोगों से मिले। आमतौर पर पोप जब लोगों से मिलते हैं तो हाथ मिलाते हैं। बच्चों का माथा चूमते हैं। लेकिन, बुधवार को इन सब चीजों से पोप दूर रहे।

ब्राजील : वैक्सीन पर तनातनी
राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो की सरकार चीन को लेकर सख्त रही है। चीन की एक कंपनी यहां लोकल कंपनी डोरिया के साथ वैक्सीन रिसर्च कर रही है। सरकार ने इसे मदद न देने का फैसला किया है। इसकी जगह सरकार ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका के साथ काम करने का फैसला किया है। इसके लिए 360 मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद देने का भी फैसला किया है।

ब्राजील में महामारी का असर काम नहीं हुआ है, लेकिन सरकार ने कारोबार की ज्यादातर गतिविधियों के लिए मंजूरी दे दी है। फोटो मंगलवार को साओ पाउलो की एक फैक्ट्री की है। यहां कर्मचारियों को अंदर आने से पहले जांच करानी होती है।

फ्रांस : तेजी से बढ़ रहा संक्रमण
फ्रांस में महामारी की दूसरी लहर साफ तौर पर नजर आ रही है। जुलाई में यहां काफी हद तक इस पर काबू पा लिया गया था। लेकिन, अगस्त के दूसरे हफ्ते के बाद यह फिर बढ़ने लगा और अब खतरनाक होता जा रहा है। बुधवार को यहां कुल 8 हजार 577 संक्रमित मिले। 4 सितंबर को 8 हजार 975 पॉजिटिव केस मिले थे। सरकार सख्ती करना चाहती है, लॉकडाउन पर भी विचार किया जा रहा है, लेकिन लोगों को इसका अंदाजा लगते ही विरोध शुरू हो गया।

फ्रांस में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। बुधवार को आठ हजार से ज्यादा संक्रमित मिले। इस बीच राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों कोर्सिया शहर के एक रेस्टोरेंट पहुंचे और लोगों से बातचीत की।

अमेरिका : ट्रम्प ने महामारी की सच छिपाया
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नवंबर में होने हैं। इसके पहले एक किताब ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की परेशानी बढ़ा दी है। खोजी पत्रकार बॉब वुडवार्ड की किताब ‘रेज’ में दावा किया गया है कि लोगों में कोरोनावायरस का डर न फैले इसलिए ट्रम्प ने इसके खतरे को नजरअंदाज किया। किताब के मुताबिक, ट्रम्प ने महामारी का असर कम दिखाने के लिए देश को सच नहीं बताया। वे जानते थे कि महामारी का असर देश की अर्थव्यस्था पर सबसे ज्यादा होगा और इससे लोगों में नाराजगी फैलेगी। वुडवार्ड से ट्रम्प की बातचीत का ऑडियो टेप भी सामने आया है।



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महामारी शुरू होने के बाद पोप फ्रांसिस पहली बार मास्क में नजर आए। हालांकि, कार से निकलने के फौरन बाद उन्होंने इसे उतार दिया। पोप बुधवार को 6 महीने में सिर्फ दूसरी बार लोगों से मिले।

पूर्व प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार के मामले में पेशी पर कोर्ट को लंदन से जवाब भेजा- मेरी सेहत मुझे लौटने की इजाजत नहीं देती September 09, 2020 at 06:19AM

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भ्रष्टाचार के मामले में पेशी को लेकर बुधवार को इस्लामाबाद हाईकोर्ट में अपना जवाब भिजवाया। इसमें शरीफ ने कहा है, ‘मेरी सेहत मुझे लंदन में अपने घर से बाहर निकलने तक की इजाजत नहीं देती। मैं कोर्ट में पेश नहीं हो पाऊंगा। मुझे कोर्ट में व्यक्तिगत पेशी से छूट दी जाए। नवाज की ओर से उनके वकील अमजद परवेज ने कोर्ट को यह जवाब सौंपा। नवाज ने कोर्ट को अपनी मेडिकल रिपोर्ट भेजी है। इस पर लंदन के सर्जन डॉ डेविड लॉरेंस का साइन है।

नवाज शरीफ के खिलाफ अल अजीजीयाह भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई चल रही है। कोर्ट ने पिछले हफ्ते नवाज को 10 सितंबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन पर फरार होने की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

पिछले महीने भी कोर्ट नहीं पहुंचे थे नवाज
नवाज पर तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में 17 अगस्त को भी इस्लामाबाद हाईकोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। वे उस समय भी कोर्ट नहीं पहुंचे थे। उस समय शरीफ ने कहा था कि डॉक्टरों ने उन्हें बाहर निकलने से मना किया है। अगर वे ऐसा करते हैं तो कोरोना संक्रमित हो सकते हैं। 70 साल के शरीफ का लंदन में पिछले साल नवंबर से इलाज चल रहा है। लाहौर हाईकोर्ट से उन्हें सिर्फ 4 हफ्ते के लिए देश से बाहर जाने की इजाजत दी गई थी, लेकिन वे अब तक नहीं लौटे हैं।

भ्रष्टाचार के दो मामलों में आरोपी हैं नवाज

नवाज शरीफ पाकिस्तान में भ्रष्टाचार के दो मामलों में आरोपी हैं। इनमें से एक अल अजीजीयाह भ्रष्टाचार मामला है, जिसमें उनपर रिश्वत लेने का आरोप है। कोर्ट ने उन्हें इस मामले में 7 साल की सजा सुनाई थी। लंदन जाने से पहले वे इसी मामले में लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद थे। नवाज तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले के भी आरोपी हैं। उन पर सिर्फ 15% कीमत देकर तोशाखाना से गाड़ियां लेने का आरोप है। इस मामले उनके खिलाफ नॉन बेलेबल वारंट जारी हो चुका है।

अलग-अलग देशों के राजनेताओं से जुड़ी ये खबरें भी आप पढ़ सकते हैं...

1. मलेशिया के पूर्व पीएम दोषी:नजीब रजाक भ्रष्टाचार के सात मामलों में दोषी पाए गए, 12 साल की जेल और करीब 368 करोड़ रु. जुर्माना लगाया गया

2. इजराइली पीएम के बेटे ने मांगी माफी:बेंजामिन नेतन्याहू के बेटे येर ने हिंदुओं से माफी मांगी, सोशल मीडिया पर मां दुर्गा की फोटो से जुड़ा मीम शेयर किया था



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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का पिछले साल नवंबर से लंदन में इलाज चल रहा है।- फाइल फोटो

Israel hopes India and China will sort out their differences in 'peaceful way' September 09, 2020 at 04:50AM

"We hope that all things will be sorted out in a peaceful way, and the tension will be lowered. This is our desire," Deputy Director General for the Asia-Pacific at Israel's foreign ministry Gilad Cohen said in response to a question on the border tension between India and China at an online briefing.

Over 300 groups urge more scrutiny of China on human rights September 09, 2020 at 03:59AM

डोनाल्ड ट्रम्प 2021 नोबेल पीस प्राइज के लिए नॉमिनेट, नॉर्वे के सांसद ने इजराइल और यूएई के बीच समझौता कराने के लिए यह प्राइज देने की सिफारिश की September 09, 2020 at 03:18AM

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 2021 नॉबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किए गए हैं। फॉक्स न्यूज के मुताबिक, नॉर्वे के सांसद क्रिस्चियन टिबरिंग गेये ने ट्रम्प को प्राइज देने के लिए नॉबेल कमेटी को लेटर लिखा है। गेये ने ट्रम्प को इजराइल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच शांति समझौता करवाने के लिए ट्रम्प को यह पुरस्कार देने की सिफारिश की है। इससे पहले 2018 में भी ट्रम्प को उत्तर कोरिया से विवाद सुलझाने के लिए भी इस पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था।

गेये ने नोबेल कमेटी को भेजी गई चिट्ठी में लिखा है- उम्मीद है कि यूएई और इजराइल के बीच शांति समझौते के बाद मध्य पूर्व के दूसरे देश भी ऐसा ही करेंगे। यह समझौता गेम चेंजर होगा। इससे पूरे क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ेगा और समृद्धि आएगी।

गेये ने कहा- तथ्यों पर गौर करे नोबेल कमेटी

गेये ने कहा- मैं ट्रम्प का बड़ा समर्थक नहीं हूं, लेकिन दूसरे नेताओं को फैसले लेने के मामले में ट्रम्प को फॉलो करना चाहिए। कमेटी को पुरस्कार देने में तथ्यों पर गौर करना चाहिए। इस बात पर नहीं कि वे कभी-कभी किस तरह का बर्ताव करते हैं। मुझे लगता है कि ट्रम्प ने देशों के बीच शांति कायम करने के लिए ठीक उसी तरह काम किया है जैसा कि नॉबेल शांति पुरस्कार के लिए दूसरे नोमनी करते हैं। हाल के सालों में जिन लोगों ने पीस प्राइज जीता है उन्होंने ट्रम्प से काफी कम काम किया है। उदाहरण तौर पर देखें तो बराक ओबामा ने कुछ नहीं किया।

अमेरिका के चार राष्ट्रपतियों को मिल चुका है यह पुरस्कार

अब तक अमेरिका के चार राष्ट्रपतियों को नोबेल शांति पुरस्कार मिल चुका है। सबसे पहले 1906 में थियोडोर रूजवेल्ट को यह प्राइज दिया गया था। 1919 में वूड्रो विल्सन को, 2002 में जिमी कार्टर को और 2009 में बराक ओबामा काे यह प्राइज मिला है। ओबामा को यह प्राइज इंटरनेशनल डिप्लोमेसी को मजबूत बनाने और लोगों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए दिया गया था।



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यह फोटो 13 अगस्त की उस बैठक की है जिसमें ट्रम्प ने इजराइल और यूएई के बीच समझौता कराया था। इसी समझौते को कराने के लिए ही उन्हें नोबेल पीस प्राइज देने की सिफारिश की गई है।- फाइल फोटो

पैंगॉन्ग लेक के दक्षिणी इलाके में मात खाने के बाद पूर्वी क्षेत्र में अवैध ढांचे बना रहा चीन, भारतीय सेना ने निगरानी बढ़ाई September 09, 2020 at 01:12AM

लद्दाख सीमा पर चीन ने भारतीय सैनिकों के खिलाफ नया मोर्चा खोल दिया है। पैंगॉन्ग सो लेक के दक्षिणी इलाके में इंडियन आर्मी के मजबूत होत ही चीनी सैनिक पूर्वी क्षेत्र में जुट गए हैं। चीनी सैनिकों ने इस इलाके में अवैध ढांचे बनाना शुरू कर दिया है। इसी इलाके में 7 सितंबर को फायरिंग भी हुई थी।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक भारतीय सैनिकों के इस इलाके में दो अहम चोटियों पर कब्जा के बाद चीनी सैनिकों की हरकतें बढ़ी है। यहां चीन ने अपने सैनिकों की तादाद बढ़ा दी है। वे ज्यादा सामान और आने जाने के लिए जरूरी चीजें भी जुटा रहे हैं। इसके बाद भारतीय सेना ने भी निगरानी बढ़ा दी है।

पैंगॉन्ग झील का उत्तरी इलाका 8 अलग-अलग फिंगर एरिया में बंटा है। भारत का दावा है कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल फिंगर 8 से शुरू होता है और फिंगर 4 तक जाता है। चीनी सेना एलएसी को नहीं मान रही। चीन के सैनिक फिंगर 4 के पास डटे हुए हैं। वे फिंगर 5 से 8 के बीच ढांचे बना रहे हैं।

दो हफ्तों में दो बार आमने सामने आई भारत और चीन की सेना

पिछले दो हफ्तों में भारतीय और चीनी सेना दो बार आमने-सामने आई हैं। 31 अगस्त की दोपहर भी चीन सेना ने भारतीय इलाके पर कब्जे की कोशिश की थी जिसे भारतीय सेना ने रोका था। जबकि इससे पहले 29-30 अगस्त की रात चीन की साजिशों को नाकाम करते हुए भारतीय सेना ने पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी हिस्से में मौजूद अहम चोटियों, ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप पर कब्जा कर लिया था।

जिन चोटियों पर फिलहाल भारतीय सेना का कब्जा है वह रणनीतिक रूप से काफी अहम मानी जाती है। यहां से चीनी सैनिक कुछ मीटर की दूरी पर ही हैं। रविवार और सोमवार की रात चीनी सैनिकों ने इस चोटी पर कब्जे की साजिश रची थी। लेकिन, भारतीय सेना की स्पेशल ऑपरेशन बटालियन ने न सिर्फ उन्हें खदेड़ दिया, बल्कि यह पूरी चोटी अपने कब्जे में ले ली।

लद्दाख सीमा पर भारत चीन के बीच जून से तनाव है

भारत और चीन के बीच इस साल जून से ही तनाव जारी है। गलवान घाटी में 15 जून की रात भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। चीन के सैनिकों ने रात के समय कांटेदार तारों से लिपटे रॉड और डंडों से भारतीय सैनिकों पर हमला किया था। इसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे। चीन के भी 40 सैनिकों के मारे जाने की खबरें आई थीं। इसके बाद से ही दोनों देशों की ओर से सैन्य स्तर पर तनाव करने के लिए बातचीत हो रही है। हालांकि, कई चरणों की बातचीत के बाद भी अब तक कोई हल नहीं निकल सका है।

आप भारत-चीन सीमा विवाद से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ सकते हैं...

1. चीन को माकूल जवाब:भारतीय सेना ने पैगॉन्ग सो झील के दक्षिणी हिस्से में अहम चोटी पर कब्जा किया; चीन ने कहा- भारत से तनाव बढ़ने का खतरा

2. चीनी मीडिया की धमकी:ग्लोबल टाइम्स ने लिखा- भारत का चीन से कोई मुकाबला नहीं, अमेरिका की मदद से भी युद्ध नहीं जीत सकता



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लद्दाख में बुधवार को फॉरवर्ड पोस्ट की ओर जाती सेना की एक गाड़ी। 7 सितंबर के बाद से भारत ने चीन से सटी सीमा पर कई जगहों पर सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है।- फाइल फोटो

क्षमता से छह गुना ज्यादा लोग झोपड़ी और तिरपाल डालकर रह रहे थे, आग से सबकुछ जला; देखें फोटोज... September 09, 2020 at 01:12AM

यूरोप का सबसे बड़ा माइग्रेंट कैंप बुधवार को आग की वजह से पूरी तरह बर्बाद हो गया है। हालांकि, किसी की जान नहीं गई। अधिकारियों के मुताबिक- नुकसान की जानकारी जुटाई जा रही है। इस रिफ्यूजी कैंप में करीब 13 हजार शरणार्थी रहते थे। क्षमता सिर्फ 2200 लोगों की है। ये शरणार्थी सीरिया और अफगानिस्तान जैसे देशों के हैं।

ग्रीस के एक लेस्बोस द्वीप पर बने मोरिया कैंप में आग लगने के बाद सामान लेकर जाते शरणार्थी।
सीएनएन के मुताबिक कैंप में 35 लोगों के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद लॉकडाउन लगाया गया था। लोग इसका विरोध कर रहे थे। पुलिस को आंसू गैस के गोले भी दागने पड़े थे।
ग्रीक अधिकारियों के मुताबिक, आग बुझ चुकी है लेकिन, इसके लगने की वजह अब तक साफ नहीं है। शरणार्थी लौटने लगे हैं।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, आग जानबूझकर भी लगाई जा सकती है। मोरिया कैंप में हजारों लोग झोपड़ियों में और तिरपाल डालकर रहते हैं।
कैंप में हालात बेहद खराब है। दैनिक जरूरतों के लिए कई घंटे इंतजार करना पड़ता है। कभी-कभी तो उन्हें पूरा दिन खाने की लाइन में खड़ा रहना पड़ता है।


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ग्रीस के लेस्बोस द्वीप पर बने मोरिया कैंप में आग लगने के बाद सामान लेकर कैंप से भागते लोग।

इराक और अफगानिस्तान से कुछ सैनिकों को वापस बुला सकते हैं ट्रम्प; इन दोनों में करीब 14 हजार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं September 09, 2020 at 12:46AM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इराक और अफगानिस्तान से कुछ और अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने का ऐलान कर सकते हैं। इन दोनों देशों में कुल मिलाकर करीब 14 हजार अमेरकी सैनिक तैनात हैं। ट्रम्प के इस कदम को सियासी लिहाज और नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।

फैसले की यह वजह तो नहीं
दरअसल, कुछ दिनों पहले ‘अटलांटिक मैगजीन’ ने दावा किया था कि ट्रम्प ने दो साल पहले फ्रांस में प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के स्मारक पर जाने से इनकार कर दिया था। आर्टिकल के मुताबिक- शहीद सैनिकों को ट्रम्प ने हारे हुए सैनिक कहा था। इसके बाद, विपक्षी उम्मीदवार बाइडेन ने ट्रम्प पर पूर्व सैनिकों के अपमान का आरोप लगाते हुए उनसे माफी की मांग की थी। अलजजीरा वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प सियासी तौर पर हुए नुकसान की भरपाई के लिए इराक और अफगानिस्तान से कुछ सैनिकों की वापसी का ऐलान कर सकते हैं।

पिछड़ रहे हैं ट्रम्प
रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ ओपिनियन पोल्स बताते हैं कि ट्रम्प अब बाइडेन से पिछड़ने लगे हैं। 3 नवंबर को चुनाव है। लिहाजा, ट्रम्प फिर बढ़त हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। इराक में आईएसआईएस के सफाए के बाद री-कंस्ट्रक्शन हो रहा है। अमेरकी सैनिक री-कंस्ट्रक्शन के अलावा सुरक्षा व्यवस्था ठीक करने में मदद कर रहे हैं। इराक में करीब 5200 अमेरिकी सैनिक हैं। कुछ लोग सभी सैनिकों की वापसी की मांग भी कर रहे हैं।

इराक में भी मांग उठी
इराक में भी कुछ लोग अब नहीं चाहते कि अमेरिकी सैनिक वहां रहें। इसके लिए देश में कई रैलियां भी हो चुकी हैं। खासतौर पर ईरान समर्थक अमेरिकी सैनिकों से नाराज हैं। इसकी वजह ये है कि पिछले साल अमेरिका ने इराक में ईरानी जनरल सुलेमानी को एक मिसाइल हमले में मार गिराया था। एक वक्त अमेरिका सेना के इराक में 6 बेस थे। अब तीन ही बचे हैं।
अफगानिस्तान में करीब 8600 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग यह संख्या चार हजार करना चाहता है।



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इराक में करीब पांच हजार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। ट्रम्प इस संख्या को कम करने का ऐलान कर सकते हैं। 2014 में यहां कुल 6 अमेरिकी बेस थे। अब यह आधे यानी तीन रह गए हैं। (फाइल)

ऑफिस जाने के दौरान अमारूल्ला सालेह के काफिले पर हमला; 10 लोगों की मौत, 12 से ज्यादा घायल September 09, 2020 at 12:29AM

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में बुधवार को उपराष्ट्रपति अमारूल्ला सालेह के काफिले पर बम से हमला हुआ। हमले में 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि उनके बॉडीगार्ड समेत 12 से ज्यादा लोग घायल हो गए।

गृह मंत्रालय ने बताया कि शुरू में दो लोगों की जान गई थी, जो बढ़कर 10 हो गई। हमले में पहले उपराष्ट्रपति अमरतुल्लाह सालेह को हल्की चोट आई है। बम धमाका तब हुआ, जब उपराष्ट्रपति का काफिला गैस सिलेंडर की एक दुकान के पास से गुजर रहा था। धमाके से आसपास की कई दुकानों में आग लग गई।

घटनास्थल पर एक क्षतिग्रस्त दुकान से मलबे को साफ करता अफगानिस्तान का म्युनिसिपैलिटी वर्कर।

किसी ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली

अब तक किसी ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। तालिबान ने भी इससे इनकार किया है। सालेह राष्ट्रपति अशरफ गनी के फर्स्ट डिप्टी हैं। दूसरे सरवर दानिश हैं। मौके पर मौजूद एक युवक ने न्यूज एजेंसी सिन्हुआ को बताया कि तिमनी इलाके के सबीका स्क्वायर में सुबह करीब 7.35 बजे (लोकल टाइम) यह धमाका हुआ।

धमाके के बाद मौके पर मौजूद लोग। विस्फोट से आसपास के कई दुकानें में आग लग गई।

सालेह अफगानिस्तान के पूर्व इंटेलिजेंस चीफ भी रह चुके हैं

हमले के तत्काल बाद अपने पहले संबोधन में सालेह ने कहा कि उनके ऑफिस जाने के दौरान उनके काफिले को टारगेट किया गया। हालांकि, वे ठीक हैं, लेकिन उनके कुछ बॉडीगार्ड घायल हुए हैं। वे टीवी पर हाथ में बैंडेज लगाए नजर आए। सालेह अफगानिस्तान के पूर्व इंटेलिजेंस चीफ भी रह चुके हैं।

विस्फोट की जांच करने पहुंची पुलिस। धमाका गैस सिलेंडर के दुकान के पास हुआ।

धमाके के वक्त सालेह का छोटा बेटा भी साथ था

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मैं और मेरा छोटा बेटा दोनों ठीक है। धमाके के वक्त वह भी मेरे साथ था। विस्फोट के चलते मेरा हाथ और चेहरा हल्का जल गया है। मेरे पास अभी ज्यादा डिटेल नहीं है। मैं उनसे माफी मांगता हूं, जिनका धमाके में नुकसान हुआ है या जिन्होंने अपना खोया है।’’ गृह मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक अरियान नेव्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस से कहा कि सालेह के काफिले को टारगेट किया गया था।



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बम विस्फोट काबुल के तिमनी इलाके के सबीका स्क्वायर में सुबह करीब 7.35 बजे (लोकल टाइम) हुआ। तालिबान ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।

ट्रम्प ने कहा- मैं सबसे ज्यादा पर्यावरण प्रेमी राष्ट्रपति; लेकिन, उनके कार्यकाल का रिकॉर्ड कुछ और कहानी बयां करता है September 08, 2020 at 11:28PM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने खुद को नंबर-1 पर्यावरण प्रेमी राष्ट्रपति बताया है। ट्रम्प मंगलवार को फ्लोरिडा के जूपिटर इनलेट लाइट हाउस पहुंचे। समुद्री तट पर ऑयल-गैस ड्रिलिंग प्रतिबंध 10 साल बढ़ा दिया। फ्लोरिडा में लोग समुद्र में ड्रिलिंग का विरोध कर रहे थे। उनका मानना है कि इससे टूरिज्म सेक्टर और पुराने बीच (समुद्री तट) को नुकसान होगा।

रिकॉर्ड क्या कहते हैं
पर्यावरण को लेकर ट्रम्प का रिकॉर्ड उनके दावों से उलट हैं। वह जलवायु परिवर्तन को अफवाह बताते रहे हैं। उन्होंने पेरिस एग्रीमेंट से अमेरिका को बाहर निकालने का वादा किया है। प्रदूषण पर लगे प्रतिबंधों को कमजोर किया और राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरों की लिस्ट से जलवायु परिवर्तन जैसे विषय को बाहर ही कर दिया।

पर्यावरण संगठन सिएरा क्लब के पॉलिटिकल डायरेक्टर एरियन हायेस ने कहा- ट्रम्प पर्यावरण के लिहाज से सबसे खराब राष्ट्रपति हैं। उन्होंने कारोबारियों को हमारा साफ पानी बेच दिया। पर्यावरण से जुड़े कामों के लिए फंड जारी नहीं किया।

बाइडेन ने कहा-चुनाव के चलते बदला फैसला
फ्लोरिडा में ट्रम्प ने कहा- अगर बाइडेन राष्ट्रपति बने तो पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचेगा। लेफ्ट का एजेंडा पर्यावरण की रक्षा करना नहीं है। जवाब में बाइडेन ने ट्वीट किया- कुछ महीने पहले ट्रम्प फ्लोरिडा में ऑयल और गैस ड्रिलिंग को मंजूरी देने वाले थे। चुनाव से 56 दिन पहले, उन्होंने पलटी मारी।

फ्लोरिडा में ट्रम्प और बाइडेन के बीच कड़ी टक्कर
फ्लोरिडा में हाल ही में हुए कई सर्वे में सामने आया है कि यहां बाइडेन और ट्रम्प के बीच कड़ी टक्कर है। ट्रम्प का यहां पर खुद पर्यावरण प्रेमी बताना भी वोटरों को लुभाना है। क्योंकि, यह राज्य तूफान और बाढ़ से जूझता रहा है। यहां दोनों पार्टी के वोटर जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को गंभीरता से लेते हैं।

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2. ट्रम्प पर अश्वेतों से नफरत का आरोप:किताब में दावा- ट्रम्प ने ओबामा को नीचा दिखाने के लिए उनके हमशक्ल को नौकरी पर रखा, मंडेला को भी नेता नहीं मानते



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फ्लोरिडा में ड्रिलिंग पर रोक 10 साल के लिए बढ़ाने के ऑर्डर पर साइन करने पर उसे मीडिया को दिखाते राष्ट्रपति ट्रम्प।

Roadside bomb attack misses Afghan vice president, but kills four September 08, 2020 at 07:24PM

Afghanistan's Interior Ministry says the bombing that targeted the convoy of the country's first vice president on Wednesday morning killed 10 people and wounded more than a dozen others, including several of the vice president's bodyguards.