Wednesday, June 17, 2020

अमेरिका ने प्रशांत महासागर में तीन युद्धपोत तैनात किए, चीन ने कहा- दक्षिण चीन सागर में हमारे सैनिकों पर खतरा June 17, 2020 at 07:36PM

अमेरिका ने प्रशांत महासागर में अपने तीन युद्धपोतों की तैनाती कर दी है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इस पर कहा है कि इससे दक्षिण चीन सागर में हमारे सैनिकों को खतरा है। चीनी नौसेना विशेषज्ञ ली जीई के हवाले से कहा गया है कि ऐसा करके अमेरिका प्रशांत क्षेत्र समेत पूरी दुनिया के सामने खुद को सबसे ताकतवार नौसेना शक्ति के तौर पर दिखाना चाहता है। वे इतने करीब हैं कि कभी भी दक्षिण चीन सागर में घुस सकते हैं।

चीनी नौसेना विशेषज्ञ के मुताबिक, प्रशांत महासागर में अमेरिकी युद्धपोतों की मौजूदगी से स्प्रेटली और पैरासेल आइलैंड्स पर तैनात चीनी सैनिकों को खतरा है। इन आइलैंड्स के पास से गुजरने वाले जहाजों को भी खतरा हो सकता है। हालांकि चीन इस क्षेत्र में अपने हितों से पीछे नहीं हटेगा।

अमेरिका का दावा- पोतों की तैनाती के राजनीतिक कारण नहीं
अमेरिका ने किसी राजनीतिक या वैश्विक घटना की वजह से अपने वॉरशिप्स तैनात करने से इनकार किया है। अमेरिकी नौसेना की प्रवक्ता कमांडर रिएन मॉमसेन ने कहा कि अमेरिकी नौसेना प्रशांत क्षेत्र में हर दिन एक्टिव रहती है। यह इस क्षेत्र में अपने साथियों और सहयोगियों की मदद के लिए मौजूद होती है। पिछले 75 साल से अमेरिकी पोत और जहाज दक्षिण चीन सागर, पूर्व चीन सागर और फिलीपिन सागर के आसपास नियमित गश्त करती है। यह प्रशांतक्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने और शांति कायम करने के हमारे कई तरीकों में से एक है।

दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और चीन के बीच रहा है तनाव
दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और चीन के बीच पिछले कुछ सालों में कई बार तनाव की स्थिति पैदा हुई है। इस साल 6 अप्रैल को चीन और अमेरिका के पोत 100 मीटर की दूरी पर आमने सामने आए थे। अक्टूबर 2018 में भी एक चीनी पोत अमेरिकी वॉरशिप के 41 मीटर करीब पहुंच गया था। जून 2018 में अमेरिका के विमानों ने दक्षिण चीन सागर में उड़ान भरी थी, इस पर चीन ने आपत्ति जताई थी। दक्षिण चीन सागर एक विवादित समुद्री क्षेत्र है। चीन, वियतनाम, फिलिपींस और ताईवान इसके अपना हिस्सा होने का दावा करते हैं। फिलहाल यह चीन के कब्जे में है।

अमेरिका ने अपने कौन सेतीन से युद्धपोत तैनात किए
अमेरिका ने थियोडोर रूजवेल्ट, रोनाल्ड रीगन और निमिट्ज वॉरशिप को फिलहाल दक्षिण चीन सागर में तैनात किया है। अमेरिका नौसेना के मुताबिक, रीगन और रूजवेल्ट पश्चिमी प्रशांत महासागर में मौजूद है। वहीं निमिट्ज पूर्व चीन सागर में गश्त पर है। तीनों वॉरशिप 1 लाख टन वजनी है। इन पर 60 लड़ाकू विमान तैनात होते हैं। 2017 में उत्तर कोरिया से विवाद के पहली बार है जब अमेरिका ने अपने इतने जहाजों को इस क्षेत्र में तैनात किया है।



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अमेरिका ने थियोडोर रूजवेल्ट समेत तीन युद्धपोतों को दक्षिण चीन सागर के पास तैनात किया है। 2017 के बाद यह पहली बार है जब चीन ने इस क्षेत्र में अपने नौसेना की मौजूदगी बढ़ाई है।

पूर्व सुरक्षा सलाहकार का दावा- ट्रम्प ने 2020 चुनाव के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मदद मांगी थी June 17, 2020 at 06:52PM

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जॉन बोल्टन ने अपनी किताब में दावा किया है कि डोनाल्ड ट्रम्प ने 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मदद मांगी थी। उन्होंने कहा है कि पिछले साल 29 जून कोओसाका मेंजी20 समिट मेंट्रम्प और जिनपिंग कीमुलाकात हुई थी। इस दौरान ट्रम्प ने उनसे राष्ट्रपति चुनाव में मदद के लिए कहा था।

वहीं, व्हाइट हाउस ने कहा है कि बोल्टन की इस किताब में कई गोपनीय जानकारियांहैं। जस्टिस डिपार्टमेंट ने अस्थाई रूप से किताब पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। ताकि इसे रिलीज होने से रोका जा सके।बोल्टन की किताब का टायटल है ‘द रूम व्हेयर इट हैपेंड’। इसके कुछ अंश बुधवार को द न्यूयॉर्क टाइम्स, द वॉशिंगटन पोस्ट और द वॉल स्ट्रीट जर्नल में छापे गए थे।

साइमन एंड चस्टर द्वारा प्रकाशित पुस्तक 23 जून को दुकानों में मिलने वाली है। बोल्टन को पिछले साल राष्ट्रपति ने बर्खास्त कर दिया था। बोल्टन ने अपनी किताब में ट्रम्प पर चलाए गए महाभियोग की जांच को लेकर भी कई दावे किए हैं। उन्होंने कहा कि महाभियोग की जांच तब अलग होती जब उनपर यूक्रेन के अलावा अन्य राजनीतिक हस्तक्षेपों को लेकर जांच होती। महाभियोग की दो हफ्ते तक चली जांच के बाद सीनेट ने ट्रम्प को बरी कर दिया था।

किताब में अमेरिकी सरकार से जुड़ी अहम जानकारियां

व्हाइट हाउस ने जनवरी में कहा था कि इस किताब में कई अहम सूचनाएं हैं, इन्हें हटाया जाना चाहिए। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव केयलेग मैकएनी ने बुधवार को कहा- किताब में कई गोपनीय सूचनाएंहैं। उन्हें इसके लिए माफ नहीं किया जा सकता। पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन को यह अच्छी तरह से पता होना चाहिए कि किताब में अमेरिकी सरकार से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी है। इसे बिल्कुल स्वीकार नहीं किया जा सकता।

बोल्टन ने किताब में कहा है कि ट्रम्प चाहते थे कि चीन अमेरिकी किसानों से उनकी फसल खरीदे, ताकि चुनाव में उन्हें फायदा हुआ। अमेरिकी राष्ट्रपति ने जिनपिंग से कहा था कि चीन की आर्थिक क्षमता चुनाव प्रचार अभियान पर असर डाल सकती है। ओसाका में पिछले साल 29 जून को हुई मुलाकात में ट्रम्प ने जिनपिंग से कहा कि अमेरिका-चीन का रिश्ता दुनिया के लिए बेहद अहम है। अगर वह अमेरिकी किसानों से सोयाबीन और गेहूं खरीदे तो इसका चुनाव पर काफी असर हो सकता है।

ट्रेड वॉर खत्म करने की बात भी कही

ट्रम्प ने चीन के साथ ट्रेड वॉर खत्म करने की बात भी कही थी। साथ ही कहा था कि उइगर मुस्लिमों के लिए पश्चिम चीन में कंस्ट्रेंशन कैंप भी बनाएगा। वहीं, अमेरिका ने बुधवार को चीन में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ होने वाले अत्याचार में शामिल अधिकारियों को सजा देने के लिए बिल पास किया। इसमें उइगरों को डिटेंशन सेंटर में डालने वाले अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।

ट्रम्प बिडेन को चीन समर्थित उम्मीदवार बताते रहे हैं

ट्रम्प राष्ट्रपति उम्मीदवार जो बिडेन को चीन का समर्थित उम्मीदवार बताते रहे हैं। उन्होंने कई बार कहा है कि चीन बिडेन को राष्ट्रपति बनाना चाहता है। चीन मेरे खिलाफ गलत जानकारी फैला रहा, ताकि बिडेन चुनाव जीत सके। वह हमेशा से ऐसा ही करता रहा है।



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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2018 में उन्हें पद से बर्खास्त कर दिया था। कहा था कि वे बागी हो गए हैं। (फाइल फोटो)

पुलिस के हाथों मारे गए जॉर्ज के भाई की यूएन से अपील- अश्वेतों की हिफाजत करें, अमेरिका में उनकी जिंदगी की कोई अहमियत नहीं June 17, 2020 at 05:19PM

अमेरिका में पुलिस हिरासत में मरने वाले जॉर्ज फ्लॉयड के भाई फिलोनिस फ्लॉयड बुधवार को वीडियो लिंक के जरिए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की चर्चा में शामिल हुए। इसमें उन्होंने कहा कि मेरे भाई की मारने-पीटने के बाद उसकी हत्या कर दी गई। जैसा कि देखा गया वह अफसर को रुकने के लिए कहता रहा, लेकिन हम अश्वेतों को वही पुराना सबक सिखाया गया। अमेरिका में अश्वेतों की जिंदगी मायने नहीं रखती। ऐसे में अफ्रीकी अमेरिकी लोगों की रक्षा की जाए।

जॉर्ज फ्लॉयड को 25 मई को हिरासत में लिया गया था। इसके बाद एक श्वेत पुलिस अफसर ने करीब 9 मिनट तक उसकी गर्दन घुटने से दबाए रखा था। बाद में उसकी मौत हो गई। इसके बाद से दुनिया भर में अश्वेतों के समर्थन मेंप्रदर्शन शुरु हो गए। यूएन ने बुधवार को नस्लभेद पर अर्जेंट चर्चा की।

फिलोनिस ने स्वतंत्र आयोग गठित करने की मांग की

फिलोनिस ने कहा, यूएन में ताकत है कि मेरे भाई फ्लॉयड को इंसाफ दिला सके। मैं आपसे मेरे भाई, मुझे और अमेरिका में रह रहे अश्वेतलोगों की मदद करने की अपील करता हूं। उन्होंने फ्लॉयड की मौत के लिए एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय आयोग गठित करने की मांग भी की।

यूएन ने कहा- प्रदर्शन पीढ़ियों के दर्द का नतीजा
यूएन मानवाधिकार परिषद की हाई कमिश्नर मिशेल बैशलेट ने कहा कि फ्लॉयड की बिना वजह पुलिस हिरासत में मौत हुई।फ्लॉयड की मौत नेदशकाें से नजरअंदाज किए गएलोगों की बातों को सामने ला दिया है। इसके बाद शुरू हुआ प्रदर्शनकई पीढ़ियों के दर्द का नतीजा है।मिशेल ने यूएन सदस्य देशों से गुलामी और सामंतवाद की प्रथा को खत्म कर सुधार लाने की अपील की।



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अमेरिका में पुलिस हिरासत में मारे गए अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड के भाई फिलोनिस फ्लॉयड ने संयुक्त राष्ट्र में वीडियो लिंक के जरिए अपनी बात रखी।

Trump says US will not lock down again amid rising coronavirus cases June 17, 2020 at 04:38PM

"We won't be closing the country again. We won't have to do that," Trump said in an interview. Trump's comments come after White House economic adviser Larry Kudlow and treasury secretary Steven Mnuchin both said the United States could not shut down the economy again.

Trump signs bill pressuring China over repression of Uighur Muslims June 17, 2020 at 04:23PM

The bill, which Congress passed with only one "no" vote, was intended to send China a strong message on human rights by mandating sanctions against those responsible for oppression of members of China's Muslim minority.

अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा मौतें ब्राजील में, यहां 46 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई; दुनिया में अब तक 83.98 लोग संक्रमित June 17, 2020 at 04:51PM

दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 4 लाख 51 हजार 237 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमितों का आंकड़ा 83 लाख 98 हजार 683 हो गया है। अब तक 44 लाख 14 हजार 700 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। उधर, ब्राजील में एक दिन में 1269 लोगों ने दम तोड़ा है, जबकि 32 हजार से ज्यादा संक्रमित मिले हैं। यहां अब तक 46,510 लोगों की जान जा चुकी है। अमेरिका (1.19 लाख) के बाद यहां सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं।

10 देश जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा

देश

कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 22,34,471 1,19,941 9,18,796
ब्राजील 9,60,309 46,665 5,03,507
रूस 5,53,301 7,478 3,04,342
भारत 3,67,264 12,262 1,94,438
ब्रिटेन 3,00,717 42,153 उपलब्ध नहीं
स्पेन 2,91,763 27,136 उपलब्ध नहीं
पेरू 2,40,908 7,257 1,28,622
इटली 2,37,828 34,448 1,79,455
ईरान 1,95,051 9,185 1,54,812
जर्मनी 1,90,179 8,927 1,73,600

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अमेरिका: 26 हजार से ज्यादा नए संक्रमित
अमेरिका में 24 घंटे में 809 लोगों की जान गई है, जबकि 26 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। देश में कोरोना का एपिसेंटर रहे न्यूयॉर्क में 16 जून को 17 लोगों की जान गई, जो अब तक सबसे कम आंकड़ा है। वहीं, देश के कुछ राज्यों में केस बढ़े भी हैं। इसका कारण अर्थव्यवस्था का खोला जाना और देश में जारी प्रदर्शन हो सकता है। अमेरिकी हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि अमेरिका अभी कोरोना के पहली लहर की चपेट में है। यहां दूसरी लहर आना अभी बाकी है।

अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में महामारी के कारण ऑनलाइन ग्रेजुएशन सेनेमनी में भाग लेती छात्रा।

ब्रिटेन: 3 लाख से ज्यादा संक्रमित
ब्रिटेन में संक्रमितों का आंकड़ा 3 लाख 717 हो गया है। यहां 42,153 लोगों की मौत हुई है। अमेरिका और ब्राजील के बाद यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। यहां अब तक 71 लाख से ज्यादा लोगों के टेस्ट किए जा चुके हैं।

फ्रांस: 29,575 लोगों की मौत
फ्रांस में संक्रमण से 24 घंटे में 28 लोगों की मौत हुई है। यहां मृतकों की संख्या 29,575 हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि संक्रमण के 458 नए मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही संक्रमितों की संख्या 1.94 लाख हो गए हैं। देश में 19,118 मरीजों की मौत अस्पतालों में हुई है। फ्रांस में कोरोना के 772 मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई।



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यह फोटो साओ पाउलो के एक अस्पताल की है, जहां कोरोना से संक्रमित एक मरीज आईसीयू में भर्ती है।

चीन में उइगर मुसलमानों, तिब्बतियों की ट्रैकिंग, 70 करोड़ लोगों का डीएनए टेस्ट हो रहा ताकि सबसे बड़ा जेनेटिक मैप बन सके June 17, 2020 at 02:12PM

चीन में पुलिस की मदद से 70 कराेड़ पुरुषाें और बच्चाें के खून के सैंपल इकट्ठे किए जा रहे हैं। इसका मकसद दुनिया का सबसे बड़ा जेनेटिक मैप बनाना है। इसे चीन की सरकार के लिए लाेगाें पर खुफिया नजर रखने का ताकतवर हथियार माना जा रहा है। इस ताकत का इस्तेमाल वह देश में रहने वाले उइगर मुसलमान, तिब्बती मूल के अल्पसंख्यकों और कुछ खास समूहों को ट्रैक करने के लिए कर रहा है।

चीन में 2017 से चल रहे इस अभियान में पुलिस पुरुषों के खून, लार और अन्य जेनेटिक मटेरियल से सैंपल इकट्‌ठे कर रही है। इस काम में अमेरिकी कंपनी थर्माे फिशर मदद कर रही है। यह कंपनी चीन को टेस्टिंग किट बनाकर बेच रही है, जो चीन की जरूरतों को देखते हुए बनाई गई है। अमेरिका के सांसदों ने कंपनी का जमकर विरोध किया है। इस प्रोजेक्ट से चीन का अपने ही लोगों पर जेनेटिक नियंत्रण बढ़ गया है।

लोगों को ट्रेस करने के लिए चीनी पुलिस ने नेटवर्क तैयार किया

देशभर में कैमरा, फेशियल रिकाॅग्निशन और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए चीन की पुलिस ने ऐसा नेटवर्क तैयार कर लिया है, जिससे लोगों को आसानी से ट्रेस किया जा सकता है। हालांकि, पुलिस का कहना है कि इस डेटाबेस का इस्तेमाल अपराधियों को पकड़ने में किया जा रहा है। वहीं, चीन के कुछ अधिकारी और चीन के बाहर के मानवाधिकार संगठन आशंका जता रहे हैं कि इससे लोगों की निजता खतरे में पड़ेगी।

लोगों के विरोध के बावजूद चीन ने अभियान तेज कर दिया है

सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों और परिवारों का दमन होगा। चीन में लोगों के विरोध के बावजूद अभियान तेज कर दिया गया है। पुलिस टीमें स्कूलों से ही बच्चों के सैंपल ले रही हैं। उत्तरी चीन के कम्प्यूूटर इंजीनियर जियांग हाओलिन ने कहा- ‘मुझे ब्लड सैंपल देना पड़ा, क्योंकि मेरे पास दूसरा विकल्प ही नहीं था। पुलिस ने मुझे धमकाया कि सैंपल नहीं दिया तो मेरा घर ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।’

डीएनए जांच के नाम पर लिए गए नमूनों से लोगों को फंसाया जा सकता है
मानवाधिकार कार्यकर्ता ली वेई का कहना है कि डीएनए के नमूने का दुरुपयोग आसानी से किया जा सकता है। इन नमूनों को कभी भी अपराध वाली जगह पर रखकर फंसाया जा सकता है, भले ही आप वहां मौजूद न हों। जेनेटिक साइंस चीनी पुलिस अधिकारियों को उन लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने की असीमित ताकत देता है, जिन्हें वे पसंद नहीं करते।



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जानकारी के मुताबिक, जेनेटिक साइंस चीनी पुलिस अधिकारियों को उन लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने की असीमित ताकत देता है, जिन्हें वे पसंद नहीं करते।

Norway says its salmon did not cause virus at Beijing market June 17, 2020 at 05:24AM

Chinese and Norwegian authorities have concluded salmon from Norway was not the source of the coronavirus found on cutting boards at a Beijing wholesale food market, Norway's fisheries and seafood minister said on Wednesday. "We can clear away uncertainty," Odd Emil Ingebrigtsen told a video conference. Chinese and Norwegian officials had decided on Tuesday the source of the outbreak did not originate in fish from Norway, he added.

WHO halts trial of hydroxychloroquine in Covid-19 patients June 17, 2020 at 06:34AM

George Floyd's brother urges UN to probe police killings of black Americans June 17, 2020 at 05:16AM

The brother of George Floyd called on the United Nations on Wednesday to set up an independent commission to investigate the killings of African Americans by police. ​​"I am my brother's keeper," said Philonise Floyd, whose brother was killed by a white police officer in Minneapolis, Minnesota, on May 25.

Trump administration seeks 'reset' of WTO: Official June 17, 2020 at 05:37AM

US President Donald Trump is pursuing a "reset" of the World Trade Organization which he believes has treated American interests unfairly, US Trade Representative Robert Lighthizer said Wednesday. ​​​​In the latest US attack on the global trade referee, Lighthizer said the WTO "has effectively treated one of the world's freest and most open economies - with an enormous trade deficit - as the world's greatest trade abuser."

यूएस आर्मी के रिटायर्ड कर्नल ने लगाया 'जय हिंद' का नारा, बोले- इंडियन आर्मी ने चीन की सेना को ऐसा सबक सिखाया है, जो वह भूला नहीं पाएगी June 17, 2020 at 05:47AM

लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई झड़प पर अब दुनिया की नजर है। अतंरराष्ट्रीय मीडिया में यह मुद्दा छाया हुआ है। कई एक्सपर्ट के भी इस विवाद को लेकर अपने-अपने मत हैं। विदेश के कुछ मीडिया समूह और रक्षा विशेषज्ञ इस पूरे घटनाक्रम को भारत की जीत के तौर पर देख रहे हैं। यूएस आर्मी के रिटायर्ड कर्नल लॉरेंस सलीन ने तो भारत का पक्ष लेते हुए 'जय हिंद' का नारा लगा दिया है।

लॉरेंस सलीन ने अपने एक ट्वीट में लिखा है, "भारतीय इलाके में घुसकर उसके सैनिकों पर हमला करने वाली चीन की सेना को इंडियन आर्मी ने ऐसा सबक सिखाया है जो जल्द भुलाया न जा सकेगा। जय हिंद।" अपने इस ट्वीट के साथ रिटायर्ड कर्नल ने एक खबर भी शेयर की है, जिसमें यूएस इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के हवाले से चीन के 35 सैनिकों के हताहत होने की खबरें हैं।

इससे ठीक पहले उन्होंने अपने ट्वीट में भारत की मदद के लिए अमेरिका को आगे आने की जरुरत भी बताई है। रिटायर्ड कर्नल ने लिखा है, "चीन दूसरों का उत्पीड़न करने वाला देश है। उसने अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त भारतीय इलाके में अवैध घुसपैठ की है। और इसके बाद भारतीय सैनिकों पर हमला भी किया। अमेरिका को भारत की मदद करनी चाहिए और भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाना चाहिए।"

विदेश और रक्षा मामलों के एक्सपर्ट माइकल कुगलमन ने इस पर लिखा है, "भारत और चीन किसी भी तरह के युद्ध को अफोर्ड नहीं करेंगे। संभवतः इसे नजरअंदाज कर दिया जाएगा। लेकिन एक बात साफ है- इतनी संख्या में सैनिकों के मारे जाने के बाद दोनों देशों के बीच चमत्कारीक रूप से शांति हो जाए, यह बहुत मुश्किल है। अभी यह संकट इतनी जल्दी खत्म होने वाला नहीं है।"

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इन सब के बीच चीन के पड़ोसी देश ताइवान के एक न्यूज पोर्टल ने एक ट्वीटर यूजर के बनाए ग्राफिक्स को फोटो ऑफ द डे बताया है। इस फोटो के जरिए चीन पर तंज कसा गया है। फोटो में भगवान राम एक ड्रैगन को तीर मारते नजर आ रहे हैं। फोटो में लिखा गया है- हम जीतेंगे, हम मारेंगे।



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पूर्वी लद्दाख में गलवान इलाके से चीन ने सेना और बख्तरबंद गाड़ियां ढाई किमी पीछे बुलाईं, भारत ने भी जवान कम किए June 17, 2020 at 12:47AM

पूर्वी लद्दाख में गलवान क्षेत्र पर भारत और चीन के बीच अब तनाव घटने के संकेत मिल रहे हैं। न्यूज एजेंसी के मुताबिक,चीन ने गलवानमें तैनातअपने सैनिक और बख्तरबंद गाड़ियां ढाई किलोमीटर पीछे बुला ली हैं। भारत ने भी इस इलाके में तैनात अपने जवानों की तादाद कम की है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक,सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि सैनिकों को वापस लेने की प्रक्रिया रविवार देर रात और सुबह जल्दी शुरू हो गई थी।

मई की शुरुआत में ही सेना ने पीएम को जानकारी दी थी

4 मई को जब चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास अपनी सेना और गतिविधियां बढ़ानी शुरू की थीं,तभी भारतीय सेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कैबिनेट के सदस्यों को इस बारे में जानकारी दी थी। न्यूज एजेंसी एएनआई को सूत्रों ने बताया कि जब से चीन ने सीमा के पास अपनी ताकत बढ़ानी शुरू की तभी से भारतीय सेना ने भी उसे जवाब देने के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर दिया था।

छह जून को दोनों देशों के सैन्य कमांडरों की बैठक हुई थी
पूर्वी लद्दाख में सेनाओं के बीच तनाव खत्म करने पर भारत और चीन के बीच शनिवार को लेफ्टिनेंट जनरल लेवल के सैन्य कमांडरों के बीच चर्चा हुई थी। विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी देते हुए बताया था कि चीन शांति से पूरे विवाद को सुलझाने के लिए तैयार है। मंत्रालय ने कहा था कि बातचीत बेहद शांतिपूर्ण और गर्मजोशी से भरे माहौल में हुई। इस बात पर सहमति बनी कि मसले का जल्‍द हल निकलने से रिश्‍ते आगे बढ़ेंगे।

सोमवार को एलएसी पर नजर आए चीनी हेलीकॉप्टर
दोनों सेनाओं के कमांडरों के बीच बातचीत के महज दो दिन बाद सोमवार को ही लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के पास चीन के हेलिकॉप्टर नजर आए।न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि बीते 7-8 दिनों में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के हवाई बेड़े की गतिविधियां ज्यादा बढ़ गई हैं और उसके हेलिकॉप्टर लगातार नजर आ रहे हैं। हो सकता है कि सीमा के करीब कई इलाकों में तैनात चीन के सैनिकों को मदद पहुंचाने के लिए ये हेलिकॉप्टर उड़ान भर रहे हों।

मई में दोनों सेनाओं के बीच तीन बार झड़प हुई
भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) की लंबाई 3488 किलोमीटर की है। इसी पर दोनों देशों में विवाद है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है। इसके साथ ही कई जगहों पर सीमा विवाद है।
भारत और चीन के सैनिकों के बीच मई में तीन बार झड़प हो चुकी है। इन घटनाओं पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारतीय सैनिक अपनी सीमा में ही गतिविधियों को अंजाम देते हैं। भारतीय सेना की लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के पार एक्टिविटीज की बातें सही नहीं हैं। वास्तव में यह चीन की हरकतें हैं, जिनकी वजह से हमारी रेगुलर पेट्रोलिंग में रुकावट आती है।



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China India Border Dispute | China India Tension In Eastern Ladakh News Today Updates; People’s Liberation Army moved back By 2.5 km in Galwan area

सीएनएन ने कहा- मोदी पर जवाब देने का दबाव बढ़ा; गार्डियन ने लिखा- ऐसी झड़पें बढ़ने की आशंका, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलेगा June 17, 2020 at 12:16AM

भारत और चीन के सैनिकों के बीच सोमवार रात लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई। हमारे 20 जवान शहीद हुए। चीन के 43 सैनिकों के मारे जाने या घायल होने की खबर है। वर्ल्ड मीडिया ने भी इस घटना पर नजरिया पेश किया। सीएनएन के मुताबिक, अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चीन को जवाब देने का दबाव बढ़ेगा। वहीं, ब्रिटिश अखबार द गार्डियन ने आशंका जताई है कि भविष्य में इस तरह की झड़पें बढ़ सकती हैं।


सीएनएन : मुश्किल वक्त
सीएनएन के मुताबिक, भारत के 20 सैनिकों की जान गई। दोनों देशों की कोशिश है कि तनाव कम किया जाए। लेकिन, भारत में कुछ लोग चीन को दमदार जवाब देने की मांग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी पर दबाव बढ़ रहा है। भारत, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया की विशेषज्ञ एलिसा एयर्स ने कहा, “कुल मिलाकर यह मुश्किल वक्त है। भारत आर्थिक तौर पर दबाव में था। लॉकडाउन से दिक्कत ज्यादा बढ़ गई। इसी दौरान भारत का तीन देशों पाकिस्तान, चीन और नेपाल से सीमा विवाद जारी है।” मोदी और जिनपिंग दोनों राष्ट्रवाद और देश को महान बनाने के वादे के साथ सत्ता में आए। दोनों देशों के लोगों का रुख आक्रामक है, उन्हें जवाब चाहिए।

द गार्डियन : तनाव बढ़ने की आशंका
ब्रिटिश अखबार द गार्डियन के मुताबिक, हिमालय क्षेत्र में 1975 के बाद दोनों देशों का टकराव हुआ। 1967 के बाद यह सबसे हिंसक झड़प है। अब दोनों देशों के लोग भी एकजुट हो जाएंगे। वहां पहले ही राष्ट्रवाद के जुनूनी नारे बुलंद थे। एक चीज तो साफ है कि इस तरह की और झड़पों की आशंका है। इनकी दिशा भी साफ नहीं है। दोनों देश अपनी-अपनी तरह से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) तय करना चाहेंगे। एक बात तो साफ है कि भारतीय इस घटना के बाद सदमे और बेहद गुस्से में हैं।

वॉशिंगटन पोस्ट : चीन का रवैया बदल गया
अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, चीन की घुसपैठ का जवाब देने के लिए भारत के पास सीमित विकल्प हैं। मामूली झड़प बड़ी जंग में तब्दील हो सकती है। भारत की कोशिश है कि बातचीत के जरिए चीन को पीछे हटाया जाए और भविष्य में ऐसी किसी घटना से बचा जाए।

चीन से कई देश चिंतित
वॉशिंगटन पोस्ट आगे लिखता है- इसी महीने चीन सेना ने एक ड्रिल की थी। इसका प्रोपेगंडा भी किया था। चीन यह मैसेज देना चाहता था कि भारतीय सीमा पर वह तेजी से फौज तैनात कर सकता है। और उसकी सेना कम तापमान और कम ऑक्सीजन वाले हालात में भी लड़ सकती है। भारतीय विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन आक्रामक तेवर दिखा रहा है। वहां राजदूत रह चुकीं निरूपमा राव कहती हैं- चीन का यह नया रवैया है। वो दुनिया में अपने हित साधने के लिए आक्रामक तरीके अपना रहा है। यह कई देशों के लिए चिंता की बात है।

न्यूयॉर्क पोस्ट : जंग की आशंका नहीं
न्यूयॉर्क पोस्ट में दक्षिण एशियाई विशेषज्ञ माइकल कुग्लीमैन ने लिखा- दोनों देशों के बीच जंग मुश्किल है। दोनों ही इसका भार सहन करने के लिए तैयार नहीं हैं। लेकिन, एक बात साफ है- यह तनाव किसी जादू से और जल्द खत्म नहीं होगा। क्योंकि, दोनों देशों को काफी नुकसान हुआ है।
भारत के पूर्व डिप्लोमैट विवेक काटजू ने कहा- 40 साल से चली आ रही स्थिति और हालात अचानक हिंसा में बदल गए। झड़पें पहले भी होतीं थीं। लेकिन, किसी की जान नहीं जाती थी। सरकार और सेना को भविष्य के बारे में बेहद गंभीरता से विचार करना होगा।

आक्रामक होता चीन
न्यूयॉर्क पोस्ट ने आगे लिखा- गलवान वैली में जो कुछ हुआ, वो बताता है कि चीन क्या और किन तरीकों से हासिल करना चाहता है। ये आप गलवान की घटना के जरिए भी देख सकते हैं और दक्षिण चीन सागर में भी। एलएसी पर चीन कई दशकों से तैयारी कर रहा है। उसने वहां बंकर और सड़कें बनाईं। कुछ साल से भारत भी एक्टिव हुआ। उसने भी बराबरी की तैयारी शुरू की। दौलत बेग ओल्डी (डीओबी) तक सड़क बनाई। चीन हर हाल में भारत को रोकना चाहता है।

वॉशिंगटन एग्जामिनर : चीन ने भारत को उकसाया है
वॉशिंगटन एग्जामिनर के जर्नलिस्ट टॉम रोगन ने लिखा- चीनी सेना ने भारत के राष्ट्रवादी शेर को उकसा दिया है। भारत के 20 सैनिक मारे गए हैं। चीन लद्दाख की पुरानी स्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है। अब मोदी पर दवाब होगा कि वो चीन को वैसा ही जवाब दें, जो उन्होंने फरवरी 2019 में पाकिस्तान को दिया था।

अल जजीरा : अमेरिकी समर्थन चाहेंगे मोदी
अल जजीरा के मुताबिक, हालात एक खतरनाक मंजर की तरफ इशारा कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी अमेरिका से मदद और समर्थन चाहेंगे। चीन और अमेरिकी रिश्ते बुरे दौर से गुजर रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि ट्रम्प के रूप में मोदी के पास ताकतवर मददगार मौजूद है। अगर दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच अगले कदम पर कोई बातचीत हुई है तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए। चीन की इस हरकत के खिलाफ भारतीय अपने प्रधानमंत्री के साथ खड़े हो जाएंगे। मीडिया भी इसका समर्थन करेगी। अगर भारत पर हमला होता है तो इसका जवाब दिया जाएगा। वो छोड़ने वाले नहीं हैं।

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बुधवार को लद्दाख की तरफ जाने वाली एक सड़क पर तैनात भारतीय सैनिक। सोमवार रात लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी।

58 साल में चौथी बार एलएसी पर भारतीय जवान शहीद हुए, 70 साल में बतौर पीएम मोदी सबसे ज्यादा 5 बार चीन गए June 16, 2020 at 11:27PM

भारत और चीन के बीच विवाद का इतिहास जमे हुए पानी की तरह है, जिस पर बस उम्मीद फिसलती है, नतीजे नहीं। चीन ने 58 साल में चौथी बार भारत के साथ बड़ा विश्वासघात किया है। वजह- फिर वही सीमा विवाद, जो 4056 किमी लंबी है और यह हिमालय रेंज में पश्चिम से पूरब की ओर जाती है। दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित है। जहां सबसे मुश्किल हालातों में सैनिक तैनात रहते हैं। जहां कई जगहों पर सालभर तापमन शून्य से नीचे रहता है।

यह दुनिया की ऐसी सबसे बड़ी सीमा भी मानी जाती है, जिसकी पूरी तरह से मैपिंग नहीं हो सकी है। भारत मैकमाहोन लाइन को वास्तविक सीमा मानता है, जबकि चीन इसे सीमा नहीं मानता। इसी लाइन को लेकर 1962 में भारत और चीन के बीच जंग भी हुई थी। क्योंकि चीन ने लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश समेत कई जगहों पर भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया था। हालांकि चीन का यह कब्जा 58 साल बाद आज भी कायम है। जहां तक चीन का कब्जा है, वहां तक की सीमा लाइन ऑफ ऐक्चुअलकंट्रोल(एलएसी) या वास्तविक नियंत्रण रेखा के नाम से जाना जाता है।

गालवन कीस्थिति क्या है?

1962 में भी चीन ने यहां गोरखा पोस्ट पर हमला किया था

भारत के 20 सैनिक जिस इलाके में शहीद हुए हैं, वह इलाका लद्दाख में है। नाम- गालवन घाटी है। गालवन घाटी अक्साई चिन क्षेत्र में आताहै। इसके पश्चिम इलाके पर 1956 से चीन अपने कब्जे का दावा करता आ रहा है।

1960 में अचानक गालवन नदी के पश्चिमी इलाके, आसपास की पहाड़ियों और श्योक नदी घाटी पर चीन अपना दावा करने लगा। लेकिन भारत लगातार कहता रहा है कि अक्साई चिन उसका इलाका है। इसके बाद ही 1962 में भारत-चीन के बीच युद्ध हुआ। तब भी चीन ने यहां गोरखा पोस्ट पर हमला किया था।

दरअसल, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने इस गालवन पोस्ट पर भारी गोलीबारी और बमबारी के लिए एक बटालियन को भेजा था। इस दौरान यहां 33 भारतीय मारे गए थे, कई कंपनी कमांडर और अन्य लोगों को चीनी सेना ने बंदी बना लिया। इसके बाद से चीन ने अक्साई-चिन पर अपने दावों वाले पूरे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।

मौजूद विवाद के पीछे की दो बड़ी वजहें क्या हैं?

  • आर्थिक वजह

दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं 5 महीनों से कोरोनावायरस के बाद से मंदी के दौर से गुजर रही हैं। चीन, अमेरिका, भारत, यूरोपीय देशों की जीडीपी गिरी है। एक्सपर्ट्स की इस दौर की तुलना 1930 के 'द ग्रेट डिप्रेशन' से भी कर रहे हैं। इस सब के बीच 17 अप्रैल को भारत सरकार ने एक चौंकाने वाला फैसला लिया। सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई के नियमों को पड़ोसियों के लिए और सख्त कर दिया। इसका सबसे सबसे ज्यादा चीन पर असर हुआ है।

  • कोरोनावायरस

हाल ही में 194 सदस्य देशों वाली वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में एक प्रस्ताव पेश किया गया कि कोरोना मामले की जांच होनी चाहिए। दुनिया भर में नुकसान पहुंचाने वाला कोरोनावायरस कहां से शुरू हुआ। ये असेंबली विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की प्रमुख प्रमुख विंग है। भारत ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।


भारत-चीन के बीच1962 में जंग की वजह क्या थी?

  • चीन ने 20 अक्टूबर 1962 को भारत हमला बोल दिया था। बहाना- विवादित हिमालय सीमा ही थी। लेकिन, मुख्य वजह कुछ और मुद्दे भी थे, जिनमें सबसे प्रमुख 1959 में तिब्बती विद्रोह के बाद दलाई लामा को शरण देना था।
  • चीन ने लद्दाख के चुशूल में रेजांग-ला और अरुणाचल के तवांग में भारतीय जमीनों पर अवैध कब्जा कर लिया था। इसके साथ ही चीन ने भारत पर चार मोर्चों पर एक साथ हमला किया। यह मोर्चे- लद्दाख, हिमाचल, उत्तराखंड और अरुणाचल थे।
  • इस जंग में चीन को जीत मिली थी। हालांकि, तब भारत युद्ध के लिए तैयार ही नहीं था। चीन ने एक महीने बाद 20 नवम्बर 1962 को युद्ध विराम की घोषणा कर दी।

एलएसी पर कितने सालबाद सैनिक शहीद हुए?

  • दोनों देशों की सेनाएं पिछले महीने की शुरुआत से ही लद्दाख में आमने-सामने हैं। पिछले महीने दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग और सिक्किम के नाकुला में हाथापाई हुई थी।
  • इससे पहले भारत-चीन सीमा पर 1975 में यानी 45 साल पहले किसी सैनिक की एलएसी पर जान गई थी। तब भारतीय सेना के गश्ती दल पर अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना ने हमला किया था।

1962 के बाद दोनों देशों में कौन से बड़ेविवाद हुए?

  • 1967- नाथु ला दर्रे के पास टकराव हुआ

1967 का टकराव तब शुरू हुआ, जब भारत ने नाथु ला से सेबू ला तक तार लगाकर बॉर्डर की मैपिंग कर डाली। 14,200 फीट पर स्थित नाथु ला दर्रा तिब्बत-सिक्किम सीमा पर है, जिससे होकर पुराना गैंगटोक-यातुंग-ल्हासा सड़क गुजरती है।
1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान चीन ने भारत को नाथु ला और जेलेप ला दर्रे खाली करने को कहा। भारत ने जेलेप ला तो खाली कर दिया, लेकिन नाथु ला दर्रे पर स्थिति पहले जैसी ही रही। इसके बाद से ही नाथु ला विवाद का केंद्र बन गया।
भारतीय सीमा पर चीन ने आपत्ति की और फिर सेनाओं के बीच हाथापाई व टकराव की नौबत आ गई। कुछ दिन बाद चीन ने मशीन गन से भारतीय सैनिकों पर हमला किया और भारत ने इसका जवाब दिया। कई दिनों तक ये लड़ाई चलती रही और भारत ने अपने जवानों की पोजिशन बचाकर रखी।
चीनी सेना ने बीस दिन बाद फिर से भारतीय इलाके में आगे बढ़ने की कोशिश की। अक्टूबर 1967 में सिक्किम तिब्बत बॉर्डर के चो ला के पास भारत ने चीन को करारा जवाब दिया। उस समय भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन के 300 से 400 सैनिक मारे गए थे।

  • 1975- चीन ने अरुणाचल के तुलुंग में हमला किया

1967 की शिकस्त चीन कभी हजम नहीं कर पाया और लगातार सीमा पर टेंशन बढ़ाने की कोशिश करता रहा। ऐसा ही एक मौका 1975 में आया। अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में असम राइफल्स के जवानों की पेट्रोलिंग टीम पर अटैक किया गया।

इस हमले में चार भारतीय जवान शहीद हो गए। भारत ने कहा कि चीन ने एलएसी पर भारतीय सेना पर हमला किया। लेकिन चीन ने भारत के दावे को नकार दिया।

  • 1987-तवांग में दोनों देशों के बीच टकराव हुआ

1987 में भी भारत-चीन के बीच टकराव देखने को मिला, ये टकराव तवांग के उत्तर में समदोरांग चू इलाके में हुआ। भारतीय फौज नामका चू के दक्षिण में ठहरी थीं, लेकिन एक आईबी टीम समदोरांग चू में पहुंच गई, ये जगह नयामजंग चू के दूसरे किनारे पर है। समदोरंग चू और नामका चू दोनों नाले नयामजंग चू नदी में गिरते हैं।
1985 में भारतीय फौज पूरी गर्मी में यहां डटी रही, लेकिन 1986 की गर्मियों में पहुंची तो यहां चीनी फौजें मौजूद थीं। समदोरांग चू के भारतीय इलाके में चीन अपने तंबू गाड़ चुका था, भारत ने चीन को अपने सीमा में लौट जाने के लिए कहा, लेकिन चीन मानने को तैयार नहीं था।
भारतीय सेना ने ऑपरेशन फाल्कन चलाया और जवानों को विवादित जगह एयरलैंड किया गया। जवानों ने हाथुंग ला पहाड़ी पर पोजीशन संभाली, जहां से समदोई चू के साथ ही तीन और पहाड़ी इलाकों पर नजर रखी जा सकती थी। लद्दाख से लेकर सिक्किम तक भारतीय सेना तैनात हो गई। हालात काबू में आ गए और जल्द ही दोनों देशों के बीच बातचीत के जरिए मामला शांत हो गया। हालांकि, 1987 में हिंसा नहीं हुई, न ही किसी की जान गई।

  • 2017- डोकलाम में 75 दिन तक सेनाएं आमने-सामने डटी रहीं

डोकलाम की स्थिति भारत, भूटान और चीन के ट्राई-जंक्शन जैसी है। डोकलाम एक विवादित पहाड़ी इलाका है, जिस पर चीन और भूटान दोनों ही अपना दावा जताते हैं।डोकलाम पर भूटान के दावे का भारत समर्थन करता है।

जून, 2017 में जब चीन ने यहां सड़क निर्माण का काम शुरू किया तो भारतीय सैनिकों ने उसे रोक दिया था। यहीं से दोनों पक्षों के बीच डोकलाम को लेकर विवाद शुरू हुआ था भारत की दलील थी कि चीन जिस सड़का का निर्माण करना चाहता है, उससे सुरक्षा समीकरण बदल सकते हैं।

चीनी सैनिक डोकलाम का इस्तेमाल भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर कब्जे के लिए कर सकते हैं। दोनों देशों के सीमाएं 75 दिन से ज्यादा वक्त तक आमने-सामने डटी रहीं, लेकिन कोई हिंसा नहीं हुई थी।

चीन ने 27 साल बाद कौन सा समझौता तोड़ा है?

1993 में भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरिता को बनाए रखने के लिए समझौता हुआ था। इस फॉर्मल समझौते पर भारत के तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री आरएल भाटिया और चीन उप विदेश मंत्री तांग जिसुयान ने हस्ताक्षर किए थे। इसमें 5 प्रिंसिपल्स शामिल किए गए थे।


3 दशक में भारत-चीन के बीच बड़े कूटनीतिक कदम कौन से रहे?

  • 1993 के बाद से दोनों देशों के बीच कई द्विपक्षीय समझौते और प्रोटोकॉल को लेकर बात शुरू हुई, ताकि सीमा पर शांति बनी रहे। चीन के साथ 90 के दशक में रिश्तों की बुनियाद 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के चीन दौरे से रखी गई।
  • 1993 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसमिम्हा राव चीन दौर पर गए थे और इसी दौरान उन्होंने चीनी प्रीमियर ली पेंग के साथ मेंटनेंस ऑफ पीस एंड ट्रैंक्विलिटी समझौते पर हस्ताक्षर किया था। यह समझौता एलएसी पर शांति बहाल रखने के लिए था।
  • चीनी राष्ट्रपति जियांग जेमिन 1996 में भारत के दौरे पर आए एलएसी को लेकर एक और समझौता हुआ। तब तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किया था।
  • 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने सीमा विवाद को लेकर स्पेशल रिप्रजेंटेटिव स्तर का मेकेनिजम तैयार किया।
  • मनमोहन सिंह ने 2005, 2012 और 2013 में चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर बातचीत बढ़ाने पर तीन समझौते किए थे। तब वर्तमान विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन में भारत के राजदूत हुआ करते थे।
  • मोदी ने पीएम बनने के बाद जिनपिंग को अहमदाबाद बुलाया। फिर 2018 में वुहान में जिनपिंग के साथ इन्फॉर्मल समिट की शुरुआत की। इसी सिलसिले में 2019 में दोनों नेताओं की महाबलिपुरम में मुलाकात हुई।

मोदी-जिनपिंग के बीचकूटनीति कदम?

पांच बार चीन गए, 6 साल में जिनपिंग से 18 बार मिले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सत्ता में आने के बाद चीन के साथ संबंधों की शुरुआत गर्मजोशी से की थी। इसके बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मोदी की 18 बार मुलाकात हो चुकी है।इनमें वन-टू-वन मीटिंग के अलावा दूसरे देशों में दोनों नेताओं के बीच अलग से हुई मुलाकातें भी शामिल हैं। मोदी पांच बार चीन के दौरे पर गए हैं। पिछले 70 सालों में किसी भी एक प्रधानमंत्री का चीन का यह सबसे ज्यादा बार चीन दौरा है।

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