Saturday, May 16, 2020

ओबामा ने महामारी को लेकर ट्रम्प प्रशासन की आलोचना की, कहा- इस संकट ने देश के नेतृत्व में विफलताओं को उजागर किया May 16, 2020 at 07:16PM

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कोरोनावायरस से निपटने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के तौर-तरीकों की आलोचना की है। उन्होंने ग्रेजुएट्स छात्रों के दीक्षांत समारोह में शनिवार को कहा कि ट्रम्प प्रशासन के कई अधिकारी तो ढोंग करने के बहाने भी जिम्मेदारी उठाते नजर नहीं आए।

हाल के दिनों में यह दूसरी बार है जब ओबामा ने ट्रम्प पर निशाना साधा है। पिछले हफ्ते भी उन्होंने एक लीक वीडियो कॉन्फ्रेंस में कहा था कि यह एक पूर्ण रूप से अराजक आपदा है।

कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित करते हुए ओबामा नेछात्रों से कहा कि कोरोनावायरस महामारी ने देश के नेतृत्व में विफलताओं को उजागर किया है। इस संकट ने एक बात तो साफ कर दी है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग जान गए हैं कि वे क्या कर रहे हैं। इनमें कई लोग दिखावा भी नहीं कर रहे कि वे किस चीज के लिए जिम्मेदार हैं।

जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक, अमेरिका में 24 घंटे में 1200 से ज्यादा लोगों की जान गई है। वहीं देश में अब तक 90 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। यह आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा है।

काले लोग ज्यादा प्रभावित

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका में महामारी से सबसे ज्यादा काले लोग प्रभावित हुए हैं। काले लोगों पर बीमारी का जिस तरह से प्रभाव पड़ा है, उसने अमेरिकी व्यवस्थाओं की कमियों को उजागर कर दिया है। इस तरह की महामारी देश में पहले से मौजूद असमानताओं को उजागर करती है। काले लोगों को ऐतिहासिक रूप से जिन हालात का सामना करना पड़ता है, उसका बोझ अलग है।

दुनिया के बेहतरी आप पर निर्भर’

उन्होंने अपने संबोधन के दौरान अहमुद अर्बे की हत्या का भी उल्लेख किया। निहत्थे काले जॉगर की फरवरी में दो गोरे लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। उन्होंने छात्रों से कहा कि अगर दुनिया बेहतर होने जा रही है, तो यह सब आपके ऊपर निर्भर है।

ट्रम्प-ओबामा आमने-सामने

2017 में पद छोड़ने के बाद से ओबामा ट्रम्प के बारे में शायद ही कभी बात की हो। लेकिन हाल के दिनों में दोनों आमने-सामने नजर आ रहे हैं। हाल में ट्रम्प ने भी ओबामा और उनके प्रशासन पर उनके कार्यकाल के दौरान आपराधिक गतिविधियों से जुड़े होने का आरोप लगाया था। राष्ट्रपति ने लिखा था- अमेरिकी इतिहास का अब तक सबसे बड़ा राजनीतिक अपराध।



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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने महामारी से निपटने के ट्रम्प प्रशासन के तौर-तरीकों की आलोचना की। (फाइल फोटो)

ट्रम्प ने ‘इंडिपेंडेंस डे’ का ए़डिट किया वीडियो ट्वीट किया, लोगों से मतभेद भुलाकर एकजुट होने की अपील की May 16, 2020 at 06:30PM

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को 1996 में आई फिल्म इंडिपेंडेंस डे का एक मोटिवेशनल वीडियो क्लीप ट्वीट किया। इसमें उन्होंने खुद को अभिनेता बिल पुलमैन के कैरेक्टर में दिखाया है, जोअपने सथियों से मतभेदभुलाकर एकजुट होने की अपील कर रहे हैं।इसमें पुलमैन की जगह ट्रम्प का चेहरा मर्फ किया हुआ है। ‘द हिल’ के मुताबिक, इस वीडियो में ‘टर्निंग प्वाइंट यूएसए’ से टकर कार्लसन, ‘फॉक्स न्यूज’ से सीन हैनिटी और कई अन्य रिपब्लिकन सहयोगियों को ट्रम्प के ‘भाषण’ पर गौर करते देखा जा सकता है। इन सभी का चेहरा भी एडिट किया हुआ है।
यह समय अपने छोटे-छोटे मतभेदों में उलझने का नहीं
इस वीडियो में ट्रम्प यह कहते नजर आ रहे हैं, ‘‘आज सभी के लिए मानवता शब्द के मायने बदल गए हैं। अब हमें अपने छोटे-छोटे मतभेदों में उलझने का समय नहीं है। हमें सबके हितों के लिए एकजुट होना होगा। शायद यह नियती है कि आज 4 जुलाई है और हम फिर से आजादी की लड़ाई के लिए एकजुट हुए हैं।’’

वे कहते हैं, ‘‘यह लड़ाई अत्याचार या उत्पीड़न के खिलाफ नहीं, बल्कि विनाश के खिलाफ है। हम अपने अधिकार के लिए, जिंदा रहने के लिए और अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं। अगर हम इस लड़ाई को जीत जाते हैं, तो आज के दिन को केवल अमेरिका का स्वतंत्रता दिवस नहीं बल्कि उस दिन के रूप में याद किया जाएगा जब पुरी दुनिया ने एक सूर में कहा था कि हम इस अंधेरे में शांत नहीं रहने वाले। बिना लड़े हम घुटने नहीं टेकने वाले।’’

वीडियो को ट्विटर मेम अकाउंट मैड लिबरल्स ने बनाया

इस वीडियो पर पुलमैन ने द हॉलीवुड रिपोर्टर को बताया, ‘‘इसमेंआवाज मेरी है किसी और की नहींऔर मैं राष्ट्रपति पद के लिए नहीं लड़ रहा हूं।’’ इस फिल्म मेंमुख्य भूमिका में हॉलीवुड अभिनेता विल स्मिथ हैं। पुलमैन ने अमेरिकी राष्ट्रपति थॉमस जे. व्हाइटमोर की भूमिका निभाई है। यह वीडियो ट्विटर मेम अकाउंट मैड लिबरल्स ने बनाया गया है। यह ट्रम्प और अन्य जीओपी सहयोगियों के लिए मेम बनाता रहता है।



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फिल्म इंडिपेंटेंस डे के वीडियो में हॉलीवुड अभिनेता बिल पुलमैन की जगह ट्रम्प सहयोगियों का उत्साह बढ़ाते नजर आए। यह वीडियो एडिट की हुई है।

Journalist killed in Mexico, third this year: official May 16, 2020 at 05:30PM

Mexican journalist Jorge Armenta was killed Saturday in Ciudad Obregon in the country's north, making him the third journalist slain in Mexico so far this year, authorities said.

खुली जगहों पर डिसइन्फेक्टेंट छिड़कने से कोरोनावायरस नहीं मरता, ऐसा करना लोगों की सेहत के लिए खतरनाक May 16, 2020 at 05:27PM

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी दी है कि खुले में कीटाणुनाशक (डिसइन्फेक्टेंट) छिड़कने से कोरोनावायरस नहीं मरता, बल्कि ऐसा करना लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।डब्ल्यूएचओ ने शनिवार को यह चेतावनी जारी की।

डब्ल्यूएचओ ने बताया कि गलियों और बाजारों में डिसइन्फेक्टेंट के स्प्रे या फ्यूमिगेशन से फायदा इसलिए नहीं होता, क्योंकि धूल और गंदगी की वजह से वह निष्क्रिय हो जाता है। यह भी जरूरी नहीं कि केमिकल स्प्रे से सभी सतह कवर हो जाएं और इसका असर उनती देर रह पाए जितना रोगाणु को खत्म करने के लिए जरूरी होता है।

सीधे किसी व्यक्ति पर स्प्रे करने से गंभीर बीमारियां हो सकती हैं

डब्ल्यूएओ का कहना है कि किसी व्यक्ति पर डिसइन्फेक्टेंट का स्प्रे किसी भी सूरत में नहीं करना चाहिए। इससे शारीरिक और मानसिक नुकसान हो सकते हैं। ऐसा करने से संक्रमित व्यक्ति के जरिए वायरस फैलने का खतरा भी कम नहीं होता। क्लोरीन और दूसरे जहरीले केमिकल से लोगों को आंखों और स्किन से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। सांस लेने में दिक्कत और पेट-आंत से जुड़ी बीमारियां भी हो सकती हैं।

डिसइन्फेक्टेंट में भीगे कपड़े से सफाई करनी चाहिए

इनडोर एरिया में भी स्प्रे और फ्यूमिगेशन सीधे नहीं करना चाहिए, बल्कि इसमें कपड़े या वाइप को भिगोकर सफाई करनी चाहिए। कोरोनावायरस अलग-अलग वस्तुओं और कामकाज वाली जगहों की सतह पर हो सकता है। यह किस सतह पर कितनी देर टिक सकता है, इस बारे में सटीक जानकारी नहीं है।



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ये तस्वीर गुवाहाटी की है, जहां म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के कर्मचारी सड़कों पर डिसइन्फेक्टेंट का छिड़काव कर रहे हैं।

China vulnerable to another Covid-19 wave due to lack of immunity, says top health advisor May 16, 2020 at 05:16PM

China still faces an enormous challenge of a potential second wave of Covid-19 infections, with a lack of immunity among a majority of Chinese, a top medical advisor of the country has warned.

Canada approves first clinical trial for potential Covid-19 vaccine May 16, 2020 at 04:53PM

The first Canadian clinical trial for a potential Covid-19 vaccine has been officially approved, according to Canadian Prime Minister Justin Trudeau.

Trump says US reopening, 'vaccine or no vaccine' May 16, 2020 at 04:46PM

US President Donald Trump says the US will reopen, "vaccine or no vaccine", as he announced an objective to deliver a coronavirus vaccine by year end.

अब तक 47.19 लाख संक्रमित और 3.13 लाख मौतें: नेपाल में पहली मौत हुई; ब्राजील पांचवा सबसे प्रभावित देश, यहां 2.33 लाख मरीज May 16, 2020 at 04:14PM

दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 47 लाख 19 हजार 812 लोग संक्रमित हो चुके हैं। 18 लाख 11 हजार 611 ठीक हुएहैं। वहीं, मौतों का आंकड़ा 3 लाख 13 हजार 215 हो गया है। नेपाल में शनिवार को महामारी से पहली मौत हुई। यहां एक 29 साल की महिला की जान चली गई। उधर, अमेरिका, स्पेन, रूस और ब्रिटेन के बाद पांचवा सबसे ज्यादा प्रभावित दश ब्राजील हो गया है। यहां अब तक 2.33 लाख मरीज मिल चुके हैं।

कोरोनावायरस : 10 सबसे ज्यादा प्रभावित देश

देश कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 15,07,773 90,113 3,39,232
स्पेन 2,76,505 27,563 1,92,253
रूस 2,72,043 2,537 58,226
ब्रिटेन 2,40,161 34,466 उपलब्ध नहीं
ब्राजील 2,33,511 15,662 89,672
इटली 2,24,760 31,763 1,22,810
फ्रांस 1,79,365 27,625 61,066
जर्मनी 1,76,247 8,027 1,52,600
तुर्की 1,48,067 4,096 1,08,137
ईरान 1,18,392 6,937 93,147

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अमेरिका: एक दिन में 1237 जान गई
अमेरिका में 24 घंटे में 1237 लोगों की मौत हुई है। यहां मरने वालों की संख्या 90 हजार 113 हो गई है, जबकि संक्रमण के 15 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य न्यूयॉर्क में शनिवार को 157 लोगों की मौत हुई है। छह दिनों से यहां मौतों की संख्या 200 के नीचे है। राज्य में अब तक 28 हजार लोगों की जान जा चुकी है।

ब्रिटेन: 19 लोग गिरफ्तार
लंदन में शनिवार को लोगों ने लॉकडाउन के खिलाफ प्रदर्शन किया। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का भी उल्लंघन किया। पुलिस ने इस दौरान 19 लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस के मुताबिक लोग लॉकडाउन के नियमों के खिलाफ हाइड पार्क में प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान लोगों का एक समूह काफी नजदीक आ गया। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। 10 लोगों पर जुर्माना भी लगाया गया है। ब्रिटेन में 13 मई से लॉकडाउन के नियमों में कुछ ढील देते हुए लोगों को पार्कों में जाने की इजाजत दी गई थी।

इजरायल: 2 नए मामले
इजरायल में 24 घंटे के दौरान संक्रमण के केवल दो नए मामले सामने आए हैं और एक व्यक्ति की मौत हुई है। यहां शनिवार से स्कूल दोबारा खोल दिए गए हैं। यहां संक्रमण के 16,608 मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 268 लोगों की मौत हुई है। स्कूलों में कक्षाएं छोटे-छोटे समूहों में आयोजित की जा रही हैं। सभी छात्रों को परिजन के हस्ताक्षर वाला हेल्थ सर्टिफिकेट भी दिखाना होगा। मास्क पहनना भी अनिवार्य होगा। बच्चों को एक-दूसरे से 6.5 फीट की दूरी बनाए रखनी होगी। 20 मई से लोगबीच पर जा सकेंगे। वहीं, 50 से ज्यादा लोगों के एक स्थान पर जमा होने पर पाबंदी जारी रहेगी।

जर्मनी: लोगों का प्रदर्शन
जर्मनी में लोग शनिवार को लॉकडाउन के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। खास बात ये है कि जर्मनी में ज्यादातर पाबंदियां हटाई जा चुकी हैं। चांसलर एंजेला मर्केल पहले ही कह चुकी हैं कि संक्रमण से बचने के लिए कुछ बंदिशें जारी रखना सरकार की मजबूरी है। यहां अब तक आठ हजार लोग मारे जा चुके हैं, जबकि एक लाख 76 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं।



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तस्वीर ब्राजील के मनौस शहर की है। इस पोस्टर में स्वास्थ्यकर्मी लोगों से घर में रहने की अपील कर रहे हैं।

China reopens more schools, revives flights May 16, 2020 at 04:29PM

China on Sunday reported five new cases of the coronavirus, as the commercial hub of Shanghai announced the restart of some classes and airlines revive flights.​

न्यूजीलैंड के कैफे में पीएम जसिंदा को प्रवेश से रोका गया, मैनेजर ने कहा- सॉरी, जगह नहीं है May 16, 2020 at 02:46PM

ऐसा कम ही होता है जब किसी देश का प्रधानमंत्री रेस्तरां में सार्वजनिक रूप से कॉफी और स्नैक्स के लिए जाए। और तोऔर ऐसा शायद ही कभी हुआ होगा कि कोई रेस्तरां देश के पीएम को बाहर ही खड़ा कर दे। पर न्यूजीलैंड में ऐसा हुआ। प्रधानमंत्री जसिंदा अर्डर्न अपने पार्टनर क्लॉर्क ग्रेफोर्ड के साथ वेलिंगटन के मशहूर कैफे ओलिव में पहुंची थी। मैनेजर ने उन्हें यह कह कर रोक दिया कि रेस्तरां में बैठने की जगह नहीं है।

दरअसल, कोरोना के दौर में सोशल डिस्टेंसिंग के सख्त नियमों की वजह से उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। हालांकि, करीब पौन घंटे बाद उनके बैठने की व्यवस्था हो गई। द गार्डियन के मुताबिक, एक शख्स जॉय ने ट्विटर पर इस घटना की जानकारी दी। उसने लिखा कि ‘ओएमजी, न्यूजीलैंड की पीएम को ऑलिव रेस्टोरेंट में जगह नहीं होने से वापस लौटा दिया गया।’

यूजर के लिए ये बहुत हैरानी वाली बात इसलिए भी थी क्योंकि सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के तहत रेस्टोरेंट में 100 लोगों को इजाजत है और 1 मीटर की दूरी पर समूहों के बैठने की सहूलियत है। इसके बावजूद रेस्तरां पीएम के बैठने की व्यवस्था नहीं कर सका।

इस गड़बड़ी के लिए पीएम अर्डर्न के पार्टनर ने खुद को जिम्मेदार बताया
हालांकि, इस गड़बड़ी के लिए पीएम अर्डर्न के पार्टनर ने खुद को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा किवो पहले से टेबल बुक नहीं कर सके थे। न्यूजीलैंड में लॉकडाउन हट गया है। पर सोशल डिस्टेंसिंग का ऐहतियात बरतना जारी है। यही वजह रही कि कैफे ने पीएम को बाहर ही रोक दिया।

हालांकि, करीब 45 मिनट के इंतजार के बाद पीएम के बैठने केलिए कैफे में व्यवस्था हो गई। मैनेजर खुद ही भाग कर पीएम जसिंदा को बुलाने के लिए बाहर तक गया। इस दौरान, पीएम जसिंदा भी बाकी ग्राहकों की तरह ही टेबल खाली होने का इंतजार करती रहीं।



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इस गड़बड़ी के लिए पीएम अर्डर्न के पार्टनर ने खुद को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि वो पहले से टेबल बुक नहीं कर सके थे। -फाइल फोटो

आला अफसर ने कहा- चीन की लैब्स ने कोरोनावायरस के शुरुआती मरीजों के सैंपल नष्ट कर दिए थे May 16, 2020 at 02:46PM

दिसंबर 2019 में चीन की कई लैब्स ने कोरोना के शुरुआती मरीजों के सैंपल नष्ट कर दिए थे। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के मेडिकल अफसर लियू डेनफेंग ने यह जानकारी दी है। उन्होंने तर्क दिया कि बायोसेफ्टी कारणों से ऐसा करना जरूरी था।

उन्होंने बताया कि देश के कानून के अनुसार कई लैब संक्रामक रोगों के सैंपल्स को संभालने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐेसे संक्रामक रोगों से जुड़े सैंपल्स के स्टोरेज, स्टडी और उन्हें नष्ट करने के सख्त मानक रखे गए हैं। इसलिए या तो उन्हें पेशेवर संस्थानों को सुपुर्द किया जाता है अथवा नष्ट कर दिया जाता है।

शुरुआत में लैब्स ने इसे दूसरी श्रेणी का निमोनिया माना था

शुरुआत में आए इन मामलों को दूसरी श्रेणी का निमोनिया मानकर इलाज का प्रबंध करने का फैसला लिया गया था। फरवरी में ही सरकार ने सैंपल लेने वाली लैब्स को आदेश दिया था कि वे बिना अनुमति के सैंपल किसी भी शोध संस्थान या उन्नत लैब्स को नहीं सौंपेंगे। ये अनाधिकृत लैब्स सैंपल लेकर उन्हें अपने स्तर पर नष्ट कर देतीं थी या नगर पालिकाओं को स्टोरेज के लिए भेज देती थीं।

विशेषज्ञ मानते हैं कि इसी कारण संक्रमण फैला

एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसी वजह से संक्रमण बेतहाशा फैला। पर चीन के मेडिकल अफसर इस बात को नहीं मानते। हालांकि, इस कबूलनामे में डेनफेंग ने इन अनाधिकृत लैब्स और उन्होंने सैंपल कैसे लिए इसकी जानकारी साझा नहीं की।



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चीन में ऐेसे संक्रामक रोगों से जुड़े सैंपल्स के स्टोरेज, स्टडी और उन्हें नष्ट करने के सख्त मानक रखे गए हैं। -फाइल फोटो

चीन की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी का डाटा लीक, देश में 84 हजार नहीं, 6.4 लाख मरीज थे May 16, 2020 at 02:46PM

चीन कोरोनावायरस के मामलों की असल संख्या छिपा रहा है, यह सवाल पिछले दो-तीन महीनों में कई बार उठा है, पर इसे लेकर कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले थे। अब एक ताजा खुलासे में कहा गया है कि चीन में 84 हजार नहीं बल्कि 6.4 लाख लोग कोरोना से संक्रमित थे। यह जानकारी मिलिट्री के नेतृत्व में चलने वाली नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी से लीक हुई है।

इस डाटा के मुताबिक, चीन में कोरोना के चरम के दौरान मरीजों की संख्या 6.4 लाख तक थी। हालांकि, चीन ने आधिकारिक रूप से 84 हजार 29 मामलों की बात ही स्वीकारी है। इस लीक डेटा में देश के 230 शहरों के 6.4 लाख लोगों की जानकारी मौजूद है। हर एंट्री में कन्फर्म केस, तारीख और स्थान दर्ज हैं, जो कि फरवरी की शुरुआत से लेकर अप्रैल अंत तक के हैं।

लोकेशन में अस्पताल, रिहायशी अपार्टमेंट, होटल, सुपरमार्केट, रेलवे स्टेशन, रेस्तरां, स्कूल और यहां तक कि फास्टफूड चेन की ब्रांच तक शामिल हैं। माना जा रहा है कि हर एंट्री कम से कम एक केस से जुड़ी हुई है, जिसका साफ मतलब है कि देश में कम से कम 6.4 लाख लोग कोरोना से संक्रमित थे।

चूंकि इसमें नाम दर्ज नहीं हैं, तो केस की पुष्टि मुश्किल है
सार्वजनिक संसाधनों से जुटाया गया डाटा, संख्या ज्यादा भी हो सकती हैयह दावा किया जा रहा है कि संख्या 6.4 लाख से ज्यादा और कम भी हो सकती है। यूनिवर्सिटी की साइट पर लिखा गया है कि डाटा जुटाने में विभिन्न सार्वजनिक संसाधनों का इस्तेमाल किया है। चूंकि इसमें नाम दर्ज नहीं हैं, तो केस की पुष्टि मुश्किल है।

इससे पहले चीन के खिलाफ इससे जुड़े आरोप लग रहे हैं।उस पर कोरोना मरीजों की संख्या दबाने के आरोप हैं। वहीं, चीन का दावा है कि वह कोरोना से निपटने में कामयाब रहा। समय रहते उसने जरूरी किट और दवाई खरीद ली, ताकि संक्रमण को रोका जा सके।

फरवरी से अप्रैल अंत तक के मरीजों की सूची में जीपीएस कोडिंग भी दर्ज

चीन में कोरोनासे निपटने में देश की सेना की बड़ी भूमिका है। सेना ने क्वारैंटाइन सेंटर, ट्रांसपोर्ट सप्लाई और मरीजों को ठीक करने में बहुत मदद की है। ऐसे में चीन के सैन्य अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा डाटा काफी विश्वसनीय कहा जा सकता है। इस डेटा से यह भी खुलासा हुआ है कि संक्रमण की जद में 230 शहर थे। इसमें फरवरी से लेकर अप्रैल अंत तक संक्रमित लोगों की सूची है। जबकि संक्रमित मरीजों के मिलने के स्थान की जीपीएस कोडिंग भी दर्ज है।



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वुहान में शनिवार को भी बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों की टेस्टिंग की गई। 

1994 में नरसंहार का दोषी 25 साल बाद फ्रांस में गिरफ्तार, पहचान छुपाकर रह रहा था May 16, 2020 at 06:11AM

मध्य-पूर्व अफ़्रीका स्थितरवांडा में नरसंहार केदोषी फेलिसिएन काबुगा को फ्रांस की राजधानी पेरिस के पास से गिरफ्तार कर लिया गया है। फ्रांस की जस्टिस मिनिस्ट्री ने इसकी जानकारी दी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, काबुगा को पुलिस ने असनियरेस-सुर-सीन से गिरफ्तार कियाहै। यहां वह फेक पहचान बनाकर रह रहा था। काबुगा 1994 में रवांडा में हुए नरसंहार का दोषी है। 1997 में यूएन की इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल ने उसे दोषी ठहराया था।

काबुगा की गिरफ्तारी पर यूएन के इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल के चीफ प्रोसिक्यूटर सर्ज ब्रामर्ट्ज ने कहा कि कितने भी साल बीत जाएं नरसंहार के लिए जिम्मेदार किसी भी शख्स को नहीं छोड़ा जाएगा। फ्रांसीसी कानून की सभी प्रक्रियाएं पूरी होने के बादकाबुगा को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ हेग में पेश किया जाएगा, जहां उसे ट्रायल पर भेजा जाएगा।
रवांडा का बिजनेस मैन था काबुगा
काबुगा एक समय में रवांडा का अमीर बिजनेसमैन था। उस पर रवांडा नरसंहार में साथ देने, नरसंहार के लिए उकसाने और फंडिंग करनेका आरोप लगाया गया था। कई देशों ने उस पर ईनाम घोषित कर रखा था। अमेरिका ने भी उस पर 50 लाख डॉलर ( करीब 38 करोड़ रुपये) का ईनाम रखा था।

रवांडा में 100 दिनों तक चला था नरसंहार
रवांडा में 1994 में अप्रैल से लेकर जून तक 100 दिनों के भीतर 8 लाख लोगों की हत्या हुई थी। नरसंहार की शुरुआत रवांडा के तब के राष्ट्रपति जुवेनल हाबयारिमाना की हत्या के बाद हुई थी। जुवेनल अप्रैल 1994 को बुरुंडी के राष्ट्रपति केपरियल नतारयामिरा के साथ प्लेन से जा रहे थे, जिसे रवांडा केकिगाली में मार गिराया गया था। राष्ट्रपति जुवेनल हूतू समुदाय से थे, जो रवांडा में बहुसंख्यक थे। हूतू समुदाय के लोगों ने वहां तुत्सी समुदाय को हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया और हत्याओं का दौर शुरू हो गया।

रवांडा में हूतू और तुत्सी का इतिहास जानिए
रवांडा की कुल आबादी में 85 प्रतिशत लोग हूतू समुदाय से हैं, लेकिन काफी लंबे समय से तुत्सी अल्पसंख्यकों ने देश पर राज किया। 1959 में हूतू ने तुत्सी शासन को खत्म कर दिया। इसके बाद हजारों तुत्सी लोग युगांडा समेत दूसरे देशों में भाग गए। इसके बाद एक तुत्सी समूह ने विद्रोही संगठन रवांडा पैट्रिएक फ्रंट (आरपीएफ) की स्थापना की। यह संगठन 1990 में रवांडा आया और संघर्ष शुरू हुआ। हालांकि, 1993 में हूतू और तुत्सी में शांति समझौता हुआ, जिसके बाद सब शांत हो गया। एक साल बाद ही हूतू राष्ट्रपति की हत्या के बाद नरसंहार शुरू हो गया।



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यह दोषी फेलिसिएन काबुगा है। रवांडा में नरसंहार के दिनों में किसको मारा जाना है, इसका रेडियो में प्रसारण होता था। कहा जाता था- तिलचट्‌टों को साफ करो।

न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखा, कहा- एजेंसियां उन्हें कैद करके रख रहीं हैं, कहीं नहीं जा सकता May 16, 2020 at 04:12AM

पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के आर्किटेक्ट अब्दुल कादिर खान ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा हैकि पाकिस्तानी सरकार उन्हें कैद करके रखरहीहै। उन्हें अपनी मर्जी से कहीं जाने की इजाजत नहीं है। कोर्ट ने सरकार से कादिर के पत्र पर जवाब मांगा है।

2004 में सुर्खियों में आए थे
पाकिस्तान के परमाणु हथियार प्रोग्राम के आर्किटेक्ट रहे खान ने 1998 में पाकिस्तान में पहले परमाणु बम का परीक्षण किया था। यह परीक्षण भारत के परीक्षण के जवाब में किया गया था। अब्दुल कादिर 2004 में तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने सार्वजनिक रूप से माना था कि उन्होंने दुनिया के कई देशों को परमाणु तकनीक और सामग्री उपलब्ध करवाई है।

उन्होंने ईरान, उत्तर कोरिया औरलीबिया को भी परमाणु हथियार बनाने के लिए आवश्यक सामग्री और डिजाइन देने की बात कबूल की थी। इसके बाद ही सरकार ने उन्हें पद से बर्खास्त कर दिया था, लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने बाद में उन्हें क्षमादान दे दिया था। तब से वह इस्लामाबाद के पास ही किसी जगह पर भारी पहरे में अकेले जीवन बिता रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा कारणों से उन्हें अलग रखा गया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कादिर ने हाथ से लिखाहुआपत्र अपने वकील के जरिए सुप्रीम कोर्ट में भेजा है। उन्होंने शीर्ष अदालत ने विनती की है कि उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा की जाए और उनकी पीड़ा सुनी जाए। उन्होंने लिखा, ‘‘मुझे कैदियों की तरह रखा जा रहा है, मैं कहीं नहीं जा सकता, किसी से नहीं मिल सकता हूं।’’

एजेंसियां कोर्ट में पेश नहीं होने देतीं
कादिर ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें कहा था कि कोर्ट ने पहले आदेश दिए थे कि कुछ सहमति के साथ उन्हें स्वतंत्र रहने की आजादी है। इसके बावजूद उन्हें जबरन अकेले रखा जा रहा है। बीते गुरुवार को उन्होंने जजों को एक पत्र लिखा। उन्होंने कहा कि एक दिन पहले मुझे कोर्ट में पेश होना था। ‘स्ट्रैटजिक प्लांस डिवीजन (एसपीडी)’ के एजेंट उन्हें सुप्रीम कोर्ट की बिल्डिंग में ले गए थे, लेकिन वे उन्हें कोर्टरूम नहीं ले गए। मालूम हो कि एसपीडी न्यूक्लियर वीपंस प्रोग्राम को हैंडल करती है और पाकिस्तानी सेना के अंडर में आती है।

इस काम में कादिर अकेले नहीं थे
पश्चिमी देशों के राजनयिकों ने संदेह जताया था कि परमाणु बम की डिजाइन और आवश्यक सामग्री दूसरे देशों कोदेनेमें अकेले अब्दुल कादिर खान का हाथ नहीं था। गार्डियन न्यूजपेपर से 2008 में बात करते हुए कादिरने कहा था कि उनके हाथ में केवल कबूलनामा थमा दिया गया था।



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यह फोटो 2011 की है, जब अब्दुल कादिर खान अपने भाई अब्दुल राऊफ खान के निधन पर शामिल होने आए थे। - फाइल फोटो

Pakistan anti-graft body approves filing of 2 more corruption cases against former PM Nawaz Sharif May 15, 2020 at 11:17PM

ट्रम्प ने लांच किया अमेरिकी स्पेस फोर्स का झंडा, आवाज से पांच गुना तेज हाइपरसोनिक हथियार भी बनाए जा रहे May 15, 2020 at 11:08PM

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी स्पेस फोर्स का झंडा लांच किया है। स्पेस फोर्स अमेरिकी ऑर्म्ड फोर्सेस की छठी और सबसे नई विंग है। ट्रम्प ने शुक्रवार को ओवल ऑफिस में एक समारोह में कहा कि स्पेस हमारा भविष्य है, इसकी सुरक्षा जरूरी है, यहां कुछ भी हो सकता है। इसके चलते स्पेस फोर्स यहां निगरानी रखेगी और अंतरिक्ष जगत में देश का दबदबा बढ़ाएगी।

इस तरह का है झंडा
अमेरिकी स्पेस फोर्स का झंडा गहरे नीले रंग का है। स्पेस फोर्स का सिग्नेचर डेल्टा विंग का निशान बीच में बना हुआ है। इसके साथ ही एक ऑर्बिट बनाया गया है और आसपास तीन बड़े स्टार है। शिन्हुआ न्यूज एजेंसी के अनुसार यह झंडा ओवल ऑफिस में सेना की अन्य विंग के झंडो के साथ ही लगाया जाएगा।

दिसंबर 2019 में हुआ था गठन
अमेरिका की स्पेस फोर्स का आधिकारिक तौर पर दिसंबर 2019 में स्वतंत्र मिलिट्री सर्विस के तौर पर गठन किया गया था। व्हाइट हाउस की ओर से शुक्रवार को जारी एक घोषणा के अनुसार लगभग 16 हजार कर्मचारी इसमें शामिल हैं। इसमें मिलिट्री के जवानों और आम नागरिकोंकी भी भर्ती की गई है।

हाइपरसोनिक हथियार भी बन रहे
अमेरिका हाइपरसोनिक हथियार बनाने में जुटा है। स्पेस फोर्स के झंडे की लांचिंग के दौरान ट्रम्प ने यह भी कहा कि अमेरिका अभी अविश्वसनीय मिलिट्री एक्विपमेंट बना रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसे सुपर डुपर मिसाइल कहता हूं, हमारे पास अभी जो मिसाइले मौजूद हैं ये उससे 17 गुना तेज हैं।’’ अमेरिका के रक्षा मंत्रालय के प्रेस सेक्रेटरी जोनाथन हॉफमैन ने भी इसे ट्वीट किया है। अमेरिका के डिफेंस कांट्रैक्टर रेथियॉन टेक्नोलॉजीस के अनुसार हाइपरसोनिक हथियार की स्पीड आवाज से भी पांच गुना तेज होगी।



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ओवल ऑफिस में अमेरिकी स्पेस फोर्स के झंडे की प्रजेंटेशन के दौरान मौजूद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प। अमेरिका ने दिसंबर 2019 में स्पेस फोर्स का गठन किया था।

ब्रिटेन में डॉग्स की मदद से संक्रमित लोगों की पहचान होगी, ट्रायल में लेब्राडोर और कॉकर स्पेनियल की ट्रेनिंग शुरू May 15, 2020 at 10:31PM

ब्रिटेन में इस संभावना को हकीकत बनाने के लिए ट्रायल शुरू हो गया है कि क्या स्निफर डॉग्स कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों को पहचान सकते हैं? बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन के स्पेशलिस्ट मेडिकल स्निफर डॉग्स इस काम के लिए उपयुक्त बताए गए हैं।इस ट्रायल को सरकार की तरफ से पांच लाख पाउंड की फंडिंग मिली है।

यहां के विशेषज्ञोंका मानना है की कुत्तों के अंदर सूंघने की तीव्र और खास क्षमता होती है और वे सार्वजनिक स्थानों पर कोरोना से संक्रमित लोगों को पहचान सकते हैं।दुनिया के कई देशों में इस तरह के स्निफर डॉग्स को कैंसर, मलेरिया और पार्किंसन जैसी बीमारियों से पीड़ितों की पहचान करने और उनकी मदद करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।

लैब्राडोर और कॉकर स्पेनियल प्रजाति चुनी

इस ट्रायल में यह भी पता लगाया जाएगा की की क्या लैब्राडोर और कॉकर स्पेनियल प्रजाति के डॉग्स को कोविड-19 संक्रमितों की गंध सूंघने में सक्षम बनाया जा सकता है। साथ में, इस बात की भी खोज की जाएगी यह क्या यह डॉग्स लक्षण दिखने से पहले ही इंसान में वायरस का पता लगा सकते हैं।इस तरह का पहला ट्रायल लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में शुरू हुआ है और इसके लिए चैरिटी और डरहम यूनिवर्सिटी की मदद ली जा रही है।

मेडिकल डिक्टेशन डॉग को इस तरह से अलग-अलग गंध सुंघा कर प्रशिक्षण दिया जाता है।

एकडॉगहर घंटे में 22 स्क्रीनिंग कर सकता है

ब्रिटेन के मंत्री लॉर्ड बेथेल ने कहा कि यह ट्रायल सरकार की ओर से अपनी टेस्टिंग स्ट्रेटजी को तेज करने की कोशिश का एक हिस्सा है। उन्हें उम्मीद है है कि ये डॉग्स मशीन की तुलना में ज्यादा तेजी से नतीजे दे सकते हैं। एक बायो डिटेक्शन डॉगहर घंटे में करीब 22 लोगों को स्क्रीन कर सकते हैं और इसीलिए उन्हें भी भविष्य में कोविड-19 संक्रमितों की पहचान के काम में लगाया जाएगा।

पहले फेज में गंध के नमूने और डॉग ट्रेनिंग

पहले फेज के ट्रायल में एनएचएस स्टाफ लंदन के अस्पतालों में ऐसे लोगों कीगंध के नमूने लेगा जो कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और ऐसे लोगों की भी गंध के नमूने जमा किए जाएंगे जो अभी तक बचे हुए हैं। इसके बाद इन दो प्रजातियों के 6 डॉग्स को सैंपल से सूंघ कर वायरस की पहचान करने की काम की ट्रेनिंग दी जाएगी

10 साल की रिसर्च में डॉग की क्षमता पता चली

इस काम में सहयागी द चैरिटी के को फाउंडर और चीफ एग्जीक्यूटिव डॉक्टर क्लैरी गेस्ट का कहना है कि, हम इस बात को लेकर काफी उम्मीद से भरे हैं कि डॉग्स कोविड-19 संक्रमितो की पहचान सूंघ कर कर सकते हैं। बीते 10 साल की रिसर्च से सामने आया है प्रशिक्षित मेडिकल डिटेक्शन डॉग्स ठीक उसी तरह बीमारी की गंध सूंघ करउसी तरह पहचान सकते हैं, जैसे दो ओलंपिक साइज के स्विमिंग पूल पानी से भरे हों और उसके अंदर किसी नेएक चम्मच चीनी घोल दी हो और उसका पता लगाना हो।

जर्मन शेफर्ड और लेब्राडोर प्रजाति के डॉग्स सूंघ कर बीमारी का पता लगाने के लिए बहुत उपयुक्त माने जाते हैं।

दूसरे फेज में ग्राउंड जीरो पर उतारेंगे

लंदन स्कूल ऑफ़ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के प्रोफेसर जैम्स लोगन ने बताया कि, हमारे अनुभव से यह पता चला है कि मलेरिया से पीड़ित लोगों में एक विशेष प्रकार की गंध आती है और मेडिकल डिटेक्शन डॉग्स उसे सूंघ सकते हैं। हमने इसी के आधार पर डॉग्स को मलेरिया रोगियोंका पता लगाने के लिए सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया था।
इस अनुभव और इस नई जानकारियों के आधार पर पर फेफड़ों से संबंधित बीमारियों में भी शरीर से एक खास किस्म की गंध आती है। हमें उम्मीद है की मेडिकल डॉग्स कोविड-19 संक्रमित की पहचान कर सकते हैं।

अगर पहले ट्रायल में डॉग्स अच्छे नतीजे देते हैं तो फिर उन्हें दूसरी फेस में ले जाया जाएगा जहां उन्हें सचमुच ग्राउंड जीरो पर उतारा जाएगा और वे लोगों की पहचान करेंगे।इसके बाद हमारी योजना है कि हम अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम करें ताकि इन डॉग्स को सचमुच मोर्चे पर तैनात किया जा सके।



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Coronavirus: Trial begins to see if dogs can 'sniff out' virus | In Britain, the help of dogs will identify infected people, Labrador and Cocker Spaniel started training in trial

चीन ने कहा- अमेरिका यूएन में अपना बकाया चुकता करें, उस पर 151 अरब रुपये से ज्यादा का बकाया May 15, 2020 at 10:04PM

चीन ने शुक्रवार को यूनाइटेड नेशंस के मेंबर देशों से अपना बकाया चुकाने को कहा है। उसने खासकर अमेरिका का नाम लेते हुए कि उस पर 2 अरब डॉलर ( 151 अरब 75 करोड़ रुपये) से ज्यादा का बकाया है।
चीन ने यूएन के सेक्रेटरी जनरल ऑफिस की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा,‘‘14 मई तक यूएन के नियमित बजट का 1.63 अरब डॉलर और पीसकीपिंग बजट का 2.14 अरब डॉलर बकाया है।’’ चीन ने कहा कि इसमें कई देशों के कई सालों का बकाया शामिल है। अमेरिका के ऊपर सबसे ज्यादा बकाया है। उसे नियमित बजट में 1.165 अरब और पीसकीपिंग बजट में 1.332 अरब डॉलर का भुगतान करना है। चीन के इस बयान पर अमेरिका ने पलटवार करते हुए कहा है कि चीन कोविड-19 पर अपनी लापरवाही से दुनिया का ध्यान हटाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा है। यह भी उसी का हिस्सा है।अमेरिका ने कहा- हमनेहाल ही में पीसकीपिंग बजट के लिए 72.6 करोड डॉलर दिए हैंऔर साल के अंत में बाकीभुगतान किया जाएगा।

यूएन के पीसकीपिंग मिशन में जब सदस्य देश फंड देने में देरी करते हैं तो इसका सीधा असर उन देशों पर पड़ता है, जहां के सैनिक यूएन के मिशन में तैनात होते हैं। ऐसे में यूएन उन देशों को सैनिकों की तैनाती के बदले में भुगतान नहीं कर पाता है। 11 मई की एक रिपोर्ट में सेक्रेटर जनरल एंतोनियो गुतेरस ने भी इस बारे में चेताया था।
अमेरिका सबसे ज्यादा हिस्सेदारी देता है
यूएन के टोटल बजट में सबसे बड़ा हिस्सा अमेरिका ही देता है। अमेरिका यूएन की वार्षिक लागत का 22 प्रतिशत (तीन अरब डॉलर) भुगतान करता है। इसके साथ ही यूएन के पीसकीपिंग मिशन में अमेरिका 25 प्रतिशत (6 अरब डालर) की हिस्सेदारी देता है। हालांकि, पहले अमेरिका पीसकीपिंग बजट में 27.89 प्रतिशत की हिस्सेदारी देता था, लेकिन 2017 में अमेरिकी कांग्रेस ने इसमें कटौती का फैसला लिया था। इसके चलते यह घटकर 25 प्रतिशत हो गया है। इससे अब अमेरिका को साल में 20 करोड़ डॉलर कम देने पड़ते हैं।

अमेरिका के बाद चीन का नंबर आता है
गुरुवार को यूएन के 193 में से करीब 50 देशों ने पूरे बकाए का भुगतान कर दिया है।, इसमें चीन भी शामिल है। अमेरिका के बाद चीन सबसे ज्यादा हिस्सेदारी देता है। हालांकि, अमेरिका की तुलना में उसकी हिस्सेदारी बहुत कम है। यह यूएन की लागत का करीब 12 प्रतिशत और पीसकीपिंग बजट की करीब 15 प्रतिशत हिस्सेदारी चुकाता है।

डब्ल्यूएचओ को चीन जितनी फंडिंग देगा अमेरिका

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का प्रशासन वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेसन की फंडिंग बहाल करने के लिए तैयार है। फॉक्स न्यूज ने मुताबिक अमेरिका अब उतनी ही फंडिंग देगा, जितनी चीन देता है। अमेरिका डब्ल्यूएचओ में सबसे ज्यादा फंडिंग देता है। अगर अमेरिका चीन के जितनी फंडिंग देगा तो यह उसकी पहले दी जाने वाली फंडिंग का मात्र 10 प्रतिशत होगा। 14 अप्रैल को ट्रम्प ने कोविड-19 को लेकर डब्ल्यूएचओ पर फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए फंडिंग रोक दी थी। अमेरिका हर साल 40 करोड़ डॉलर की फंडिंग करता रहा है।



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चीन समेत 50 देशों ने गुरुवार को यूएन के पूरे बकाए का भुगतान कर दिया। यूएन में 193 देश मेंबर हैं।

Mike Pompeo fires State department watchdog critical of Trump moves May 15, 2020 at 09:42PM

Secretary of state Mike Pompeo has fired the State Department's inspector general, an Obama administration appointee whose office was critical of alleged political bias in the agency's management. ​​​The ouster is the latest in a series of moves against independent executive branch watchdogs who have found fault with the Trump administration.

कोरोना और लॉकडाउन के चलते बच्चों में तनाव बढ़ रहा है, इससे उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को खतरा May 15, 2020 at 07:50PM

स्टेसी स्टाइनबर्ग. कोरोनावायरस से लड़ने के लिए इन समय दुनियाभर के तमाम देशों में लॉकडाउन चल रहा है। लोग अपने घरों में बंद हैं। हर घर में बस कोरोनावायरस को लेकर ही बातें हो रही हैं। ऐसे में बच्चों के मन में नकारात्मक विचार आना स्वाभाविक है। धीरे-धीरे यह तनाव गहरे अवसाद का रूप ले सकता है। बच्चे अलग-अलग तरह की एक्टिविटीज करने लगते हैं। इसे आमतौर पर पैरेंट्स समझ नहीं पाते हैं।

तनाव के चलते हार्मोन में बदलाव होता है

कैलिफोर्निया के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नादिन बर्क हैरिस कहते हैं कि तनाव के चलते हार्मोन में बदलाव होता है। कुछ बच्चों में डेली रूटीन में बदलाव के चलते भी इसका असर देखा जा रहा है। लेकिन कुछ मामलों में तनावपूर्ण घटनाओं को देखने और सुनने के कारण बच्चों में तनाव बढ़ रहा है। साथ ही कोई दिनचर्या नहीं है, माता-पिता की नौकरी जा रही है और आर्थिक तंगी ऊपर से है। परिवार के किसी सदस्य के बीमार होने या मौत होने से बच्चों को गहरा आघात लगता है।
बच्चों को डराने के बजाय पॉजिटिव रखें
डॉ. हैरिस कहते हैं कि कोविड-19 महामारी बच्चों के मानसिक, शारीरिक स्वास्थ्य और व्यवहार को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने के लिए तूफान की तरह काम कर रहा है। ऐसेपरिस्थिति में बच्चों के तनाव को कम करने और नकारात्मकता को दूर करने के लिए किस तरह बचाव करें? उन्हें मानसिक आघात न पहुंचे, इसके लिए एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों को डराने के बजाय उन्हें नए अवसरों को बताने पर जोर दिया जाना चाहिए।

बच्चों में तनाव को गहरे अवसाद में बदलने से रोकने के लिए इन बातों का ध्यान रखना होगा-

बच्चों को करीब से जानने की कोशिश करें-

  • बच्चे के मन की बातों को जानने के लिए आप उनसे बात करें। यह जानने की कोशिश करें कि उन्हें कौन सी बातें परेशान कर रही हैं। शायद, ऐसा करने से उन्हें मदद मिल सके।
  • अपने बच्चे में आत्मसम्मान की भावनाएं बनाएं। उसे प्रोत्साहन और स्नेह दें। ऐसी परिस्थितियों में अपने बच्चे को उन चीजों में शामिल करें जहां वह सफल हो सकता है। सजा के बदले उसे पुरस्कार दें।
  • डॉ. नादिन बर्क हैरिस के मुताबिक, यदि आप बच्चे में तनाव देखते हैं और वह सामान्य नहीं है तो डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। इस वक्त आपको टेलीमेडिसिन के माध्यम से परामर्श लेना चाहिए।

बच्चों पर विपरीत परिस्थितियों के प्रभाव को समझें

  • कई बच्चे इस समय तनावपूर्ण स्थिति का सामना कर रहे हैं। जो बच्चे बचपन से ही पॉजिटिव माहौल में रहे हैं, उनके सामने इस समय कोरोना संकट एक भयानक नकारात्मक घटना है।
  • इस तरह की घटनाओं से बच्चों में हमेशा तनाव पैदा होने का खतरा बना रहता है। डॉ. बर्क हैरिस कहते हैं यह जानकर कि कोविड-19 के चलते तनाव खतरा ज्यादा है, ऐसे में बच्चों पर पड़ रहे प्रभाव को समझना जरूरी है।
  • पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रोफेसर यो जैक्सन, जो चाइल्ड माल्ट्रीटमेंट सॉल्यूशंस नेटवर्क के एसोसिएट डायरेक्टर के रूप में भी काम करते हैं। उनका कहना है कि ज्यादा जोखिम वाले घरों के बच्चे अभी अधिक पीड़ित हैं। फिलहाल उपलब्ध संसाधनों की कमी के कारण भी बच्चों में तनाव पैदा हो रहे हैं।

किसी भी तरह की धारणा बनाने से बचें

  • इस समय जब स्कूल बंद हैं, बच्चे घरों में बंद हैं। ऐसे समय में उनके दिमाग में कई तरह की धारणाएं बनती हैं। पैरेंट्स को इस पर नजर रखना चाहिए। पैरेंट्स के लिए अपने बच्चे को अधिक विश्वास दिलाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है एक अच्छा श्रोता बन जाना।
  • पैरेंट्स को बच्चों की बातों और आशंकाओं काे सुनना चाहिए, लेकिन उनकी आलोचना नहीं करनी चाहिए। आप उन्हें बिना किसी दखल के ज्यादा से ज्यादा सुनें। इससे उनमें एक भावना का विकास होगा कि उन्हें सुना जा रहा है, फिर वे अपने मन की हर बात व्यक्त कर पाएंगे।

तनाव की वजह पता करने की कोशिश करें

  • डॉ. हैरिस कहते हैं कि नींद, व्यायाम और हेल्दी फूड भी बच्चों में तनाव को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकते हैं। पैरेंट्स को बच्चों से महामारी के बारे में बात करने से बचना चाहिए।
  • डॉ. हैरिस पैरेंट्स को सलाह देते हैं कि वे अपने बच्चों को उनके दोस्तों से जोड़े रखें। यह वीडियो चैट, फोन कॉल और लेटर के माध्यम से किया जा सकता है। बच्चों की एक दिनचर्या बनाएं। उनके लिए खेलने का समय, स्वच्छता, फूड, पढ़ाई, व्यायाम का समय तय करें।


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तस्वीर अमेरिका के ब्रुकलिन शहर स्थित डोमिनो पार्क की है। यहां पैरेंट्स और बच्चों को पार्क में जाने की छूट दी गई है। लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के लिए निश्चित दूरी पर गोले बनाए गए हैं।

Pakistani doctor planning to carry out 'lone wolf' terror attacks in US indicted May 15, 2020 at 09:01PM