भारत और चीन के बीच एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर तनाव कम करने की कोशिश जारी है। दोनों देशों में एक बार फिर से जल्द सेनाएं पीछे हटाने और शांति बनाने पर सहमति बनी है। इसमें तेजी लाने के लिए सीनियर मिलिट्री कमांडरों की जल्द ही एक और बैठक हो सकती है। इससे पहले खबर आई थी चीन पीछे हटने को राजी नहीं है और उसने 40 हजार जवानों की तैनाती भी कर दी है।
डब्ल्यूएमसीसी की 17वीं मीटिंग हुई
दोनों देशों के बीच शुक्रवार को वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कांसुलेशन एंड कॉर्डिनेशन (डब्ल्यूएमसीसी) की 17वीं मीटिंग में हुई। इस मीटिंग में भारतीय डेलिगेशन की अध्यक्षता विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने की। मीटिंग में दोनों देशों के बीच मिलिट्री कमांडरों की एक और मीटिंग कराने पर सहमति बनी। डब्ल्यूएमसीसी की 16वीं मीटिंग इसी महीने की शुरुआत में हुई थी। 2012 में डब्ल्यूएमसीसी को दोनों देशों के बीच सीमा से जुड़े विवाद सुलझाने के लिए बनाया गया था।
हथियारबंद जवान, बख्तरबंद वाहन अभी भी मौजूद
इससे पहले न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया था कि पूर्वी लद्दाख सेक्टर के विवाद वाले इलाकों से चीन की सेना पीछे नहीं हट रही है। चीन इन इलाकों में करीब 40 हजार सैनिकों की तैनाती कर रहा है। यहां चीन का एयर डिफेंस सिस्टम, बख्तरबंद गाड़ियां, बड़े हथियार और लंबी दूरी तक मार करने वाली तोपें मौजूद हैं।
रक्षा मंत्री ने वायुसेना से तैयार रहने को कहा था
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को एयरफोर्स की बैठक में चीन से सीमा विवाद के मुद्दे पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा था कि वायुसेना हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहे। पूर्वी लद्दाख में वायुसेना की तैनाती से विरोधियों में कड़ा संदेश गया है। राजनाथ सिंह ने कहा था कि वायुसेना ने पिछले कुछ महीनों में अपनी क्षमताओं को बढ़ाया है। हम देश की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हैं। देश की जनता को भी सेना पर पूरा भरोसा है।
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