Saturday, December 21, 2019

अमेरिका के फेशियल रिकग्निशन सिस्टम नस्लभेदी, अश्वेतों की पहचान में ज्यादा गलतियां करते हैं December 21, 2019 at 06:14PM

केड मेट्ज (नताशा सिंगर). अमेरिका में इस्तेमाल किए जा रहे ज्यादातर फेशियल रिकग्निशन सॉफ्टवेयर नस्लभेदी हैं। इनकी पहचान प्रणालियों में पूर्वाग्रह झलकता है। यह दावा अमेरिका की फेडरल एजेंसी की जांच में किया गया है। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल संदिग्ध अपराधियों की पहचान करने के लिए पुलिस और जांच एजेंसियां करती हैं।नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने स्टडी में बताया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर गोरे लोगों को पहचानने में 10 बार गलती करता है, तो अफ्रीकी-अमेरिकी (अश्वेतों) और एशियाई की पहचान में 100 बार गलतियां करता है।

स्टडी के अनुसार, अमेरिकी मूल के लोगों की पहचान के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली तस्वीरों के डेटाबेस में भयानक गलतियां पाई गईं। इस टेक्नोलॉजी में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को पहचानने में ज्यादा समस्या देखी गई। वहीं, युवाओं के मुकाबले अधेड़ लोगों को पहचानने में भी गलतियां ज्यादा हुईं।

फिलहाल ये आतंकियों की पहचानने के लिए महत्वपूर्ण टूल है
अमेरिकी सांसद और नागरिक अधिकार संस्थाएं इस पर लंबे समय से चिंता जता रही थी, स्टडी ने उनकी इस चिंता पर मुहर लगा दी है। समर्थक इसे अपराधियों और आतंकियों की पहचानने के लिए महत्वपूर्ण टूल के तौर पर देखते हैं। टेक कंपनियों ने इसे लोगों की सुविधा के लिए स्मार्टफोन में भी लॉन्च किया, ताकि लोग इसे पासवर्ड के रूप में या फोन अनलॉक करने के लिए इस्तेमाल कर सकें।

तकनीक का इस्तेमाल ट्रैकिंग के लिए होता है
नागरिक स्वतंत्रता विशेषज्ञ पहले से ही चेतावनी देते हैं कि इस टेक्नोलॉजी के नुकसान भी हैं। इसका इस्तेमाल लोगों की जानकारी बिना उन्हें ट्रैक करने में होता है। उन पर कहीं भी-कभी भी नजर रखी जाती है। इसी कारण सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया और मैसाचुसेट्स की दो काउंटी ने इस साल इसे बैन कर दिया। पॉलिसी एनालिस्ट जे स्टेनले कहते हैं कि एक गलत पहचान लोगों की फ्लाइट मिस करवा सकती है, लंबी पूछताछ, तनाव पैदा कर सकती है। गलत गिरफ्तारी भी हो सकती है। इसलिए इसमें सुधार की जरूरत है।

85 लाख लोगों के 1.8 करोड़ फोटो की जांच की गई
अमेरिका में इस मामले में यह अब तक की सबसे बड़ी स्टडी है। शोधकर्ताओं ने इस दौरान अमेरिका के 85 लाख लोगों के मग शॉट, वीसा आवेदन पर लगे फोटो और बॉर्डर क्रॉसिंग डेटाबेस के करीब 1.8 करोड़ फोटो की जांच की। साथ ही 99 डेवलपर के 189 फेशियल रिकॉग्निशन अल्गोरिदम को भी जांचा गया। इसमें माइक्रोसॉफ्ट, कॉग्निटेक जैसी कंपनियों के सॉफ्टवेयर भी टेस्ट किए गए।



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इस टेक्नोलॉजी में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को पहचानने में ज्यादा समस्या देखी गई।

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