Monday, February 17, 2020

अंतरिक्ष में जिंदा रहने के तरीके सीख रहे गगनयान के पायलट, –30 डिग्री में तुरंत फैसला लेने की ट्रेनिंग ले रहे February 17, 2020 at 10:37AM

माॅस्काे.अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के लिए भारतीय वायुसेना के चार पायलटों की रूस में कड़ी ट्रेनिंग जारी है। गागरिन रिसर्च एंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में अंतरिक्ष यात्रियों को इस गोपनीय ट्रेनिंग के दौरान जान भी जोखिम में डालनी पड़ रही है। सेंटर के प्रमुख पाॅवेल व्लेसोव ने कहा कि एक साल के विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम में इन्हें माइनस 30 डिग्री सेल्सियस में न सिर्फ जिंदा रहने के तरीके सिखाए जा रहे हैं, बल्कि समुद्र और पहाड़ी दर्रों में कृत्रिम सांस लेना और तुरंत फैसला लेना भी सिखाया जा रहा है।

मॉस्को में जंगल और दलदल के बीच समय बिता रहे

अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए ये चंद बुनियादी बातें हैं, जिन्हें ‘द राइट स्टफ’ कहा जाता है। उन्हें बताया जा रहा है कि अंतरिक्ष से लौटते वक्त कुछ गड़बड़ी होने पर क्या करें। फिलहाल, ये अंतरिक्ष यात्री माॅस्को में जंगल और दलदल के बीच समय बिता रहे हैं, जहां खूंखार जंगली जानवर ही उनके साथी हैं। क्लास रूम में ट्रेनिंग के बाद उन्हें दो दलों में 3 दिन और 2 रात के लिए मुश्किल हालात मंे जिंदा रहने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इस दौरान डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी करेगी। इसी सेंटर में भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा और रवीश मल्होत्रा ने भी ट्रेनिंग ली थी। पाॅवेल व्लेसोव ने बताया कि धरती से दूर अंतरिक्ष में रहने वाले कृत्रिम सांसों के सहारे जीते हैं। उन्हें ब्रह्मांड में मौजूद रेडिएशन झेलना पड़ता है। इसका सीधा असर उनकी सेहत पर पड़ता है। शरीर कमजोर पड़ने लगता है।

रूसी भाषा भी सीख रहे हैं, क्याेंकि यान में निर्देश इसी भाषा में लिखे हैं
भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को रूसी भाषा सीखनी पड़ रही है। क्योंकि, सोयूज अंतरिक्ष यान के अंदर सभी दस्तावेज और निर्देश रूसी भाषा में हैं। सभी प्रशिक्षक रूसी के साथ-साथ अंग्रेजी भी अच्छे से बोल लेते हैं। हालांकि, रूस के नियमों के मुताबिक प्रशिक्षण रूसी भाषा में ही दिया जा रहा है। भारतीय पायलटाें काे खाना भी शाकाहारी दिया जा रहा है, क्योंकि उन्होंने बीफ खाने से इनकार कर दिया है।



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मॉस्को: गागरिन रिसर्च एंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर ।

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