Sunday, January 19, 2020

इंटरनेट का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले स्टूडेंट फिसड्डी होते हैं; वे पढ़ाई से तालमेल नहीं बैठा पाते, अकेलेपन से घिर जाते हैं January 19, 2020 at 01:39PM

लंदन/ नई दिल्ली .जो छात्र डिजिटल तकनीक का अधिकतम उपयोग करते हैं, वे पढ़ाई के साथ पूरी तरह नहीं जुड़ पाते और फिसड्डी साबित होते हैं। ज्यादा इंटरनेट के इस्तेमाल से उन्हें अपेक्षित परिणाम नहीं मिलता अाैर उनमें अकेलेपन की भावना घर कर जाती है। ब्रिटेन की स्वानसी और इटली की मिलान यूनिवर्सिटी ने संयुक्त अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है। डिग्री काेर्स में सेहत संबंधी अध्ययन के लिए दुनियाभर की 285 यूनिवर्सिटी के छात्रों से उनके डिजिटल उपयोग, पढ़ाई और रिजल्ट के बारे में जानकारी ली गई थी। अध्ययन में 25% छात्रों ने बताया कि उन्होंने दिनभर में 4 घंटे ऑनलाइन बिताए जबकि 70% ने एक से तीन घंटे तक इंटरनेट का इस्तेमाल किया। इनमें 40% छात्रों ने सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल किया जबकि 30% ने सूचना के लिए इसका इस्तेमाल किया।


मुख्य अध्ययनकर्ता ब्रिटेन के फिल रीड ने कहा- ‘इंटरनेट की लत और पढ़ाई के लिए प्रेरणा के बीच एक नकारात्मक संबंध पाया गया। अधिक इंटरनेट की लत रखने वाले छात्र पढ़ाई के दौरान तालमेल नहीं बना पाए और ज्यादा चिंतित दिखे। इन छात्रों ने पढ़ाई के लिए इंटरनेट सर्फिंग के दौरान ज्यादातर समय सोशल मीडिया, मेल और अन्य बिना काम के पेजेस देखने में किया। इससे वे अपनी मूल पढ़ाई में ध्यान नहीं दे पाए।’ कंप्यूटर असिस्टेड लर्निंग के जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि उच्च शिक्षा और अकादमिक जीवन के बीच सकारात्मक भावना की बड़ी भूमिका होती है।

इंटरनेट से दूरी बनाने वाले अखिल, पार्थ और हंसिका ने टॉप किया

इधर, देश में जेईईमेंस की पहली परीक्षा में 100 एनटीए स्कोर करने वाले कोटा के अखिल जैन और भरतपुर के पार्थ द्विवेदी ने कहा कि वे इंटरनेट से दूर रहे। इसी तरह 2019 सीबीएसई 12वीं टॉपर हंसिका शुक्ला ने कहा कि नो सोशल मीडिया पॉलिसी ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
मुख्य अध्ययनकर्ता ब्रिटेन के फिल रीड ने कहा- ‘इंटरनेट की लत और पढ़ाई के लिए प्रेरणा के बीच एक नकारात्मक संबंध पाया गया।

No comments:

Post a Comment