Tuesday, May 5, 2020

अमेरिकी वैज्ञानिक का दावा- भारत से मिल रही कम गुणवत्ता वाली मलेरिया की दवा, ट्रम्प प्रशासन के अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज किया May 05, 2020 at 06:05PM

अमेरिका के एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि ट्रम्प प्रशासन ने कोरोना से जुड़ी चेतावनियों को नजरअंदाज किया। वैज्ञानिक डॉ. रिक ब्राइट ने मंगलवार को अमेरिका के विशेष काउंसल ऑफिस इसे लेकर शिकायत दर्ज कराई। इसमें कहा गया है कि ट्रम्प प्रशासन के स्वास्थ्य अधिकारियों को पाकिस्तान और भारत से मिल रही कम गुणवत्ता वाली मलेरिया की दवाओं को लेकर आगाह किया गया। खास कर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीनको लेकर चिंता जाहिर की गई। पीपीई किट की गुणवत्ता अच्छी नहीं होने के बारे में भी बताया गया। हालांकि, अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया गया।
डॉ ब्राइट फिलहाल सेवा से हटा दिए जा चुके हैं। इससे पहले वे बायोमेडिकल एडवांस्ड रिसर्च डेवलपमेंट अथॉरिटी के प्रमुख थे। यह अमेरिका के हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज (एचएचएस) विभाग की देखरेख में काम करने वाली शोध एजेंसी है।

‘दवा भेजने वाली कंपनियों का नहीं हुआ निरीक्षण’
ब्राइट ने अपनी शिकायत में कहा है कि फेडरल ड्रग एसोसिएशन (एफडीए) ने भारत और पाकिस्तान की दवा बनाने वाली कंपनियों का निरीक्षण नहीं किया है। ऐसे में वहां से आ रही दवाओं को लेकर चिंता है। ऐसी कंपनियों की दवा संक्रमित हो सकती है। इनमें समुचित डोज का अभाव हो सकता है। अगर गुणवत्ताहीन दवा किसी को दी जाती है तो उसे नुकसान हो सकता है। इन सभी खतरों को जानते हुए भी ट्रम्प प्रशासन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने अमेरिका के बाजार में बड़े पैमान पर यह दवाएं उतार दी।

भारत ने अमेरिका को दी है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा

भारत ने कोरोना संक्रमण के बाद अमेरिका को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवाएं उपलब्ध करवाई है। भारत ने देश में इस दवा की उपलब्धता बनाए रखने के लिए इसके निर्यात पर रोक लगा रखी थी। हालांकि, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रम्प ने भारत से दवा उपलब्ध करवाने की मांग की। इसके बाद बाद भारत ने निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाया। दो जहाजों से दवा अमेरिका भेजी गई थी। इसके बाद ट्रम्प ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मदद के लिए धन्यवाद दिया था। भारत अमेरिका के साथ ही दुनिया के कई और देशों को यह दवा भेज चुका है।




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यह तस्वीर वॉशिंगटन के एक चैरिटी सेंटर में मंगलवार को जांच करवाने आए लोगों और स्वास्थ्यकर्मियों की है। अमेरिका में कोरोना संक्रमितों के इलाज में भारत से भेजी गई मलेरिया की दवा का भी इस्तेमाल हो रहा है।

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