Thursday, February 20, 2020

विदेशी इमामों और मुस्लिम टीचर्स पर प्रतिबंध; राष्ट्रपति मैक्रों बोले- ये कट्टरता और नफरत फैलाते हैं February 19, 2020 at 09:00PM

पेरिस. फ्रांस सरकार ने विदेशी इमामों के देश आने पर रोक लगा दी। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के मुताबिक, सरकार ने यह फैसला कट्टरपंथ और अलगाववाद रोकने के लिए किया है। राष्ट्रपति ने बुधवार को ये भी साफ कर दिया कि फ्रांस में जो इमाम मौजूद हैं उन्हें स्थानीय भाषा यानी फ्रेंच सीखना जरूरी होगा। उन्होंने आगाह किया कि फ्रांस में रहने वालों को यहां के कानून का सख्ती से पालन करना होगा।
2019 में फ्रांस की कुल जनसंख्या करीब 6.7 करोड़ थी। इसमें करीब 65 लाख मुस्लिम हैं। फ्रांस का 4 देशों से समझौता है। इसके मुताबिक ये देश अपने इमाम और इस्लामिक टीचर्स और स्कॉलर फ्रांस भेज सकते हैं। 2020 के बाद समझौता खत्म हो जाएगा।

विदेशी दखलंदाजी पर सख्त मैक्रों
राष्ट्रपति मैक्रों ने बुधवार को पूर्वी शहर मुलहाउस का दौरा किया। यहां मुस्लिमों की बड़ी तादाद है। मीडिया से बातचीत में राष्ट्रपति ने कहा, “हम विदेशी इमामों और मुस्लिम टीचर्स के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। इनकी वजह से देश में कट्टरपंथ और अलगाववाद का खतरा है। इसके अलावा विदेशी दखलंदाजी भी नजर आती है। दिक्कत तब होती है जब मजहब के नाम पर कुछ लोग खुद को अलग समझने लगते हैं और देश के कानून का सम्मान नहीं करते।”

43 साल पुराना कार्यक्रम
1977 में यानी 43 साल पहले फ्रांस ने 4 देशों से एक समझौता किया। करार के मुताबिक, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, मोरक्को और तुर्की अपने इमाम यहां भेज सकते हैं। समझौते में यह भी शर्त थी कि फ्रांस में अधिकारी इन इमामों या टीचर्स के काम की निगरानी नहीं करेंगे। हर साल 300 इमाम फ्रांस आते थे। ये करीब 80 हजार छात्रों को शिक्षा देते थे। 2020 के बाद यह सिलसिला थम जाएगा। सरकार ने फ्रेंच मुस्लिम काउंसिल को आदेश दिया है कि वो इमामों को स्थानीय भाषा सिखाए और किसी पर इस्लामिक विचार न थोपे जाएं।

देश के कानून का सम्मान करें
मैक्रों ने एक सवाल के जवाब में कहा, “फ्रांस सरकार के पास अब ज्यादा अधिकार हैं। हम इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ हैं। बच्चों की शिक्षा, मस्जिदों को मिलने वाली आर्थिक मदद और इमामों की ट्रेनिंग पर ध्यान देंगे। इससे विदेशी प्रभाव कम होगा। हम सुनिश्चित करना चाहेंगे कि यहां रहने वाला हर व्यक्ति फ्रांस के कानून का पालन और सम्मान करे। फ्रांस में तुर्की का कानून नहीं चल सकता।”



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फ्रांस के मुलहाउस शहर में बुधवार को मीडिया से बातचीत करते फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों।

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