Thursday, December 19, 2019

भारत में पहली बार नागरिकता को धर्म से जोड़ा, मोदी की कट्टर छवि और स्पष्ट हुई December 19, 2019 at 04:21AM

नई दिल्ली. नागरिकता कानून पर देशभर में जारी प्रदर्शन पर वर्ल्ड मीडिया ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। हिंसक प्रदर्शन और कानून को लेकर वर्ल्डने कहा कि इस कानून से मोदी की कट्टर छवि सामने आई। इसने भारतीय लोकतंत्र के मूल सिद्धांत को कमजोर किया। यह पहला ऐसा कदम है, जिसने नागरिकता को धर्म से जोड़ा है। मोदी ने बहुमत से सरकार बनाई, लेकिन उनकी सरकार में यह अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन है,जो लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

न्यूयॉर्क टाइम्स

इस कानून से मोदी की कट्टर छवि स्पष्ट रूप से सामने आई। नागरिकता बिल पहला कदम है, जिसने भारतीयलोकतंत्र के मूल सिद्धांत को कमजोर किया। मानवाधिकार समूहों और कई देशों की सरकारों ने इस कानून की आलोचना भीकी। अमेरिकी विदेश विभाग नेभारत से अपील की है कि वह लोकतांत्रिक मूल्यों को ध्यान में रखकर अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करे। विरोध ने जाहिर कर दिया है कि भारत के लोग हिंदू-राष्ट्रवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं देंगे। इसकानून को सुप्रीम कोर्ट में रोका जा सकता है। इस मामले में जनवरी में सुनवाई होनी है। यह कानून भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा है।

सीएनएन

मोदी को भारत में व्यापक समर्थन मिला और वे इसका भरपूर लुत्फ उठा रहे हैं। नागरिकता कानून की पहल सेनागरिकों को काफी नुकसान हुआ। अर्थव्यवस्था डगमगा गईहै। अगस्त में जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाकर कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शाषित प्रदेश में बांटा गया था, तब भी कुछ लोग सड़कों पर उतरे थे। यह समझा जा सकता है कि सरकार नागरिकता बिल के संभावित परिणामों का अनुमान लगाने में क्यों विफल रही। मोदी ने सोमवार को जनता को आश्वस्त करने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा था कि किसी भी भारतीय को चिंता करने की जरूरत नहीं है। लेकिन, इसका प्रभाव नजर नहीं आया।

गार्जियन

भारत विविधताओं वालादेश है। पिछले 6 सालों से मोदी काकिसी न किसी योजना या नीति को लेकर विरोध होता रहा है। अब उनके कार्यकाल में सबसे बड़ा प्रदर्शन हो रहा है। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में मोदी-विरोधी ताकतें दिख रही हैं,जो अपने मतभेदों को एक तरफ रखकर साथ खड़ी हैं।सरकार का तर्क है कि गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक अक्सर बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का सामना करते हैं। सताए गए मुसलमानों के पास एशिया में जाने के लिए कई जगहें हैं, जैसे कि मलेशिया या इंडोनेशिया। हिंदुओं के पास केवल भारत है और इसलिए उन्हें और अन्य अल्पसंख्यकों को नागरिकता के लिए प्राथमिकता मिलनी चाहिए। उधर, मोदी आलोचकों का कहना है कि यह कानून भारत के हिंदू राष्ट्र होने के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

बीबीसी

सरकार का कहना है कि इस कानून से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होने वाले लोगों को भारत में शरण मिलेगी। आलोचकों का कहना है कि इसका वास्तविक एजेंडा भारत के अल्पसंख्यक मुस्लिमों को कम करना है। सरकार की योजना है कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का प्रयोग कर सभी घुसपैठियों को 2024 तक देश से बाहर कर दिया जाएगा। एनआरसी पहले ही उत्तर-पूर्वी राज्य असम में लागू किया जा चुका है। इसकी लिस्ट में असम के करीब 19 लाख लोगों के नाम नहीं हैं। आलोचक यह भी कहते हैं कि यह कानून भारत के संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।



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Citizen Amendment Act : How the World Media Presented It and How Foreign Media Covered The Protests US, NYT, BBC, England

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