Tuesday, December 17, 2019

मुशर्रफ को फांसी पाकिस्तानी न्याय व्यवस्था की सेना को चुनौती, सजा में चीफ जस्टिस की भूमिका अहम December 17, 2019 at 02:08AM

इस्लामाबाद. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ को मंगलवार को पाकिस्तान की विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई। उन्होंने 2007 में इमरजेंसी लगाकर असंवैधानिक रूप से अपना कार्यकाल बढ़ाने की कोशिश की थी। इसी को लेकर मुशर्रफ पर देशद्रोह का केस चल रहा था। करीब 6 साल तक चले इस मामले में आखिरकार फैसला आया। मुशर्रफ को सजा दिलाने में चीफ जस्टिस (सीजेपी) आसिफ सईद खान खोसा की अहम भूमिका रही। एक वरिष्ठ वकील ने नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा कि कानूनी बिरादरी मानती है कि एक सैन्य शासक को सजा दिलाने में चीफ जस्टिस खोसा की भूमिका की वजह से उन्हें इतिहास याद रखेगा।

दो संस्थानों के बीच लड़ाई उजागर
पाकिस्तान के 72 साल के इतिहास में पहली बार है जब एक पूर्व तानाशाह को देशद्रोह के मामले में मौत की सजा सुनाई गई। सूत्रों के मुताबिक, चीफ जस्टिस खोसा की वजह से इसे पाकिस्तानी न्याय व्यवस्था की ओर से सेना को चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है। हाल ही में खोसा ने आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल पर सवाल खड़ा करते हुए इसे 3 साल से घटाकर 6 महीने कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि सेवा विस्तार का नोटिफिकेशन राष्ट्रपति जारी करता है, तो सरकार ने बाजवा का कार्यकाल बढ़ाने का फैसला कैसे कर लिया? इस फैसले से पाकिस्तानी सेना खासी नाराज थी। रिटायर्ड जनरल अमजद शोएब ने इसे पूरी फौज की बेइज्जती करार दिया था।

2013 से 2016 तक मुशर्रफ के खिलाफ विशेष अदालत में देशद्रोह का मामला लगातार आगे बढ़ रहा था। सूत्रों के मुताबिक, मुशर्रफ के खिलाफ सुनवाई में बार-बार देरी से सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस खोसा काफी नाराज थे। हाईकोर्ट ने मुशर्रफ के खिलाफ कई बार केस रोका। फरवरी 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अदालत को आदेश दिया कि वह तय समय में मुशर्रफ के खिलाफ सुनवाई पूरी करे। हालांकि, तब तक मुशर्रफ पाकिस्तान छोड़कर दुबई भाग निकले।

इस साल जनवरी में पाकिस्तान का चीफ जस्टिस बनने के बाद खोसा ने मुशर्रफ के खिलाफ सुनवाई में देरी के मुद्दे को गंभीरता से लिया। 25 मार्च को उन्होंने कहा था कि एक आरोपी जानबूझकर कोर्ट के सामने पेश नहीं हो रहा और दिखा रहा है कि कोर्ट कितनी मजबूर है। अप्रैल में खोसा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने आदेश जारी किया था कि अगर आरोपी (मुशर्रफ) पेश नहीं हुआ, तो वह खुद की बात रखने का अधिकार खो देगा। इस फैसले के बाद विशेष अदालत ने कार्यवाही तेज की और 8 महीने बाद फैसला सुना दिया।

इमरान खुद देखेंगे मुशर्रफ की सजा की जमीनी हकीकत: सूचना मंत्री
मुशर्रफ की सजा के बाद सरकार की तरफ से खुद सूचना मंत्री डॉ. फिरदौस अवान मीडिया के सामने आईं। उन्होंने कहा कि सरकार मौत की सजा की खुद विस्तार से समीक्षा करेगी। सरकार जनरल बाजवा के कार्यकाल बढ़ाने का मामला भी देखेगी। विशेषज्ञ सभी कानूनी और राजनीतिक पहलुओं को जांचने के साथ इन मामलों के देश पर पड़ने वाले प्रभाव को भी देखेंगे। फिरदौस ने बताया कि प्रधानमंत्री इमरान खान गुरुवार को जेनेवा से लौटेंगे। इसके बाद वे दोनों मामलों में जमीनी हकीकत और कानूनी तंत्र को जानेंगे। इसके बाद दोनों मामलों में फैसला लिया जाएगा।

इमरान को भी हद में रहने की नसीहत दे चुके हैं चीफ जस्टिस
आर्मी चीफ के कार्यकाल विवाद पर इमरान सरकार ने अपने कानून मंत्री को हटा दिया था। खोसा सरकार को आड़े हाथों लेने के लिए भी जाने जाते हैं। चीफ जस्टिसने पिछले महीने नवाज शरीफ से जुड़े मामले में प्रधानमंत्री इमरान खान पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि नवाज सरकार की मर्जी से विदेश गए न कि न्यायालय की। उन्होंने सरकार को एक तरह से हद में रहने की नसीहत दी। खोसा ने प्रधानमंत्री का नाम लिए बिना कहा- आप न्यायपालिका पर तंज न कसें। यह 2009 के पहले वाली ज्युशियरी नहीं है, अब वक्त बदल चुका है। अदालतों के सामने कोई शक्तिशाली नहीं होता।



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Pervez Musharraf: Dainik Bhaskar News Report Updates From Islamabad On Former Pakistan President Pervez Musharraf Death Sentences In Treason Case

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