Friday, December 25, 2020

जनवरी से तलाक के लिए पति-पत्नी को एक माह और साथ रहना होगा, इसलिए जोड़ों में तलाक की होड़ December 25, 2020 at 03:23PM

दिसंबर की सर्द दोपहर में भी शंघाई के हुआंगपु जिले के मैरिज रजिस्ट्रेशन ब्यूरो में जबर्दस्त भीड़ है। तलाक लेने आने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है। आम दिनों में रोज औसतन 20 दंपती पहुंचते थे, लेकिन अब 40 से 50 आने लगे हैं। ग्वांगझू और शेंनझेन प्रांतों में भी तलाक के अपॉइंटमेंट के लिए स्लॉट भर चुके हैं। कई जिलों में सुबह से लंबी कतारें लग रही हैं। वजह, ये सभी लोग 31 दिसंबर तक तलाक की प्रक्रिया पूरी कर लेना चाहते हैं।

अभी आवेदन वाले दिन ही तलाक मिल जाता है
दरअसल, चीन में 1 जनवरी 2021 से पहला सिविल कोड लागू हो रहा है। इसे इसी साल मई में चीन की संसद ने मंजूरी दी थी। बढ़ते तलाक के मामलों को देखते हुए इसमें नया नियम जोड़ा गया है। अब अगले साल से आवेदक दंपतियों को एक माह कूल-ऑफ पीरियड बिताना होगा। इस बीच पति-पत्नी में से किसी एक का मन बदलता है तो आवेदन रद्द कर दिया जाएगा। मौजूदा व्यवस्था में दंपती के आवेदन करने के दिन ही तलाक मिल जाता है। इसलिए इस नियम से लोगों में नाराजगी भी है। उनका मानना है कि इससे लोगों की तलाक लेने की आजादी खत्म होगी।

नए नियम से गुस्से में तलाक देने के मामले कम होने की उम्मीद
चीन में दरकते रिश्तों को सहेजने की पहल पर देश की शीर्ष पॉलिटिकल एडवाइजरी बोर्ड की पूर्व सदस्य शांग शाओहुआ कहती हैं, ‘नए नियम का उद्देश्य आवेश में लिए तलाक कम करना है। खासकर युवा दंपतियों के तलाक, जो देश की एक बच्चा नीति के तहत जन्मे हैं। कई युवा एक रात झगड़ते हैं। अगली सुबह तलाक ले लेते हैं। दोपहर तक उन्हें इस पर पश्चाताप होने लगता है।’

शांग ने ही 2010 में सबसे पहले कूलिंग-ऑफ पीरियड का प्रस्ताव दिया था। वहीं चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज में सोशियोलॉजी के प्रो. वु झिओयिंग कहते हैं, ‘2015 में आधिकारिक रूप से एक बच्चा नीति को खत्म करने के बावजूद देश में जन्म दर नहीं बढ़ रही है। इसका कारण परिवार टूटना भी है। इसलिए सरकार अब परिवार सहेज रही है।

पिछले साल 47 लाख ने लिया तलाक, महिलाओं ने अधिक पहल की

चीन में 2003 के बाद से तलाक बढ़े। 2019 में 47 लाख दंपतियों ने तलाक लिया। 74% केस में पहल महिलाओं ने की। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसकी वजह महिलाओं का आजाद ख्याल होना और शादी के प्रति नजरिया बदलना है। चिंता यह है कि 2019 में ही जन्मदर गिरकर सात दशक के न्यूनतम स्तर पर रही है।



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चीन में 1 जनवरी 2021 से पहला सिविल कोड लागू हो रहा है। इसे इसी साल मई में चीन की संसद ने मंजूरी दी थी।

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