नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे पर सस्पेंस बना हुआ है। आज लगातार पांचवे दिन वो पार्टी में अपने मुख्य विरोधी पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड से मुलाकात करेंगे। आज ही स्टैंडिंग कमेटी की मीटिंग भी होने वाली है। इसे सोमवार को दो दिन के ऐन वक्त पर टाल दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक, प्रचंड और ओली पर पार्टी के अंदर और बाहर से समझौते का दबाव है। हालांकि, प्रचंड झुकने को तैयार नहीं हैं।
हर कोशिश बेनतीजा
ओली और प्रचंड के बीच बातचीत के चार दौर हो चुके हैं। लेकिन, अब तक न तो सरकार बचाने पर समझौता हुआ और न ही ये साफ हो सका है कि ओली इस्तीफा देंगे। लिहाजा, असमंजस की स्थिती है। आज जब प्रचंड और ओली मिलेंगे तो किसी फैसले की उम्मीद रहेगी। ओली की मुश्किल यह है कि विरोधी खेमा इस्तीफे की मांग से पीछे हटने तैयार नहीं है।
स्टैंडिग कमेटी की मीटिंग बढ़ाएगी ओली की मुश्किल
स्टैंडिंग कमेटी सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की सबसे अहम कमेटी है। पार्टी से जुड़े सभी जरूरी फैसले यही कमेटी लेती है। ओली न सिर्फ प्रधानमंत्री हैं बल्कि पार्टी अध्यक्ष भी हैं। पार्टी में इसको लेकर शुरू से नाराजगी रही है। सोमवार को ऐन वक्त पर इस कमेटी की बैठक टाल दी गई। आज यह बैठक हो पाएगी, यह तय नहीं है। लेकिन, पार्टी सूत्र बता रहे हैं कि मीटिंग होगी।
पार्टी में टूट का भी खतरा
माना जा रहा कि अगर ओली ने इस्तीफे से इनकार किया तो पार्टी टूट जाएगी। एक गुट ओली और दूसरा प्रचंड के साथ चला जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, रविवार को प्रचंड ने ओली से पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने को कहा ताकि सरकार बचाई जा सके।
ओली पर नाकामी के आरोप
पार्टी नेता कई मुद्दों पर ओली से नाराज हैं। प्रधानमंत्री कोविड-19 से निपटने में नाकाम साबित हुए। भष्टाचार के आरोपों पर कार्रवाई नहीं की। एक बेहद अहम मुद्दा भारत से जुड़ा है। पार्टी नेता मानते हैं कि सीमा विवाद पर उन्होंने भारत से बातचीत नहीं की। वैसे भी ओली पार्टी के तीनों प्लेफॉर्म्स पर कमजोर हैं। सेक्रेटेरिएट, स्टैंडिंग कमेटी और सेंट्रल कमेटी में उनको समर्थन नहीं हैं। पार्टी के नियमों के मुताबिक, अगर इन तीन प्लेटफॉर्म पर नेता कमजोर होता है तो उसका जाना तय है।
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