चीन के साथ विवाद में अमेरिका भारत के साथ रहेगा। व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ मार्क मिडोस ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा संदेश स्पष्ट है। चाहे भारत और चीन के बीच विवाद हो या और कोई मामला, हमारी सेना मजबूती से खड़ी रहेगी। अमेरिकी सेना ताकतवर है और ऐसी ही बनी रहेगी। कोई भी देश सबसे ताकतवर बनने की कोशिश करेगा तो हम बेकार नहीं बैठेंगे। चाहे यह दक्षिण चीन सागर में हो या यहांअमेरिका में।’’
दक्षिण चीन सागर में अमेरिका ने अपने दो वॉरशिप रोनाल्ड रीगन और निमिट्ज की तैनाती की है। इसके बारे में उन्होंने कहा कि इन पोतों को तैनात करने का हमारा मकसद दुनिया को यह दिखाना है कि हमारे पास अब भी दुनिया की बेहतरीन फोर्स है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने सेना को मजबूत करने के लिए काफी निवेश किया। न सिर्फ हथियार बल्कि जान देने के लिए तैयार रहने वाली सैन्य बल तैयार की है। वे ऐसा करते रहेंगे।
डोनाल्ड ट्रम्प चीन के खिलाफ कुछ एक्सक्यूटिव आर्डर साइन कर सकते हैं
मीडोस ने कहा कि अमेरिका चीन की विस्तारवादी नीतियों से निपटने की कोशिश में है। अमेरिकी राष्ट्रपति आने वाले दिनों में चीन से जुड़े एक्सक्यूटिव आर्डर साइन कर सकते हैं। हम कई मुद्दों पर गौर कर रहे हैं। इनमें चीनी नागरिकों के इमिग्रेशन, हमारे स्वास्थ्यकर्मियों को मेडिकल इक्विपमेंट्स दिलाने और दवाओं की कीमत कम करने से जुड़े मुद्दे शामिल हैं।
अमेरिकी सांसद ने कहा- चीन के पड़ोस में कोई भी देश सुरक्षित नहीं
अमेरिकी सांसद टॉम कॉटन ने कहा कि ताइवान या दूसरे किसी देश पर चीन के हमले को अमेरिका नाकाम करेगा। इसके लिए ही इसने अपने दो पोत दक्षिण चीन सागर में भेजे हैं। चीन की दबंगई से इसके पड़ोस का कोई भी देश सुरक्षित नहीं है। ये सभी देश अमेरिका के साथ अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं। चीन ने जरूर बीते कुछ हफ्तों में भारत पर चढ़ाई की है और उसके सैनिकों की हत्या की है।
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