Friday, May 15, 2020

गिलगित-बाल्टिस्तान में बांध बनाने पर भारत के विरोध के बाद कहा- इस परियोजना से सबको लाभ होगा May 15, 2020 at 03:31AM

चीन और पाकिस्तान मिलकर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के गिलगित-बाल्टिस्तान में सिंधु नदी पर दियामर बाशा बांध बना रहे हैं। गुरुवार कोभारत ने इसे लेकर कड़ा विरोध जताया। इस मामले पर चीन ने सफाई देते हुए कहा है कि इससे स्थानीय लोगों को लाभ मिलेगा। यह परियोजना सभी के हित में है।

चीन की कंपनी के साथ पाकिस्तान ने कॉन्ट्रैक्ट किया
पाकिस्तान की सरकार ने बुधवार को 444 अरब (पाकिस्तानी रुपए) का कॉन्ट्रैक्ट चीनी फर्म चाइना पॉवर और फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन (एफडब्ल्यूओ)के साथ साइन किया। बता दें एफडब्ल्यूओ पाकिस्तानी सेना की कमर्शियल विंग है, जो बांध आदि का निर्माण करती है। भारत ने गुरुवार को गिलगित-बाल्टिस्तान में बांध बनाने के लिए पाकिस्तान के इस मेगा-कॉन्ट्रैक्ट का विरोध करते हुए कहा था कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र में इस तरह की परियोजनाएं ठीक नहीं हैं।

चीने के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा, ‘‘कश्मीर मुद्दे पर चीन की स्थितिस्थिर है। चीन और पाकिस्तान आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों की भलाई के लिए आर्थिक सहयोग कर रहे हैं। यह सबके लिए फायदे का सौदा है।’’चीन और पाकिस्तान लगभग 60 अरब डॉलर (चार हजार 572 करोड़ रुपये) की लागत से चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपेक) भी बना रहे हैं। यह कॉरिडोर भी पीओके से होकर ही गुजरता है। भारत ने इस पर भी आपत्ति जताई है।

भारत ने कहा था-पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग
गुरुवार को भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि हमारी स्थिति एकदम स्पष्ट है।जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग रहे हैं और रहेंगे। हमने पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले भारतीय क्षेत्रों में ऐसी सभी परियोजनाओं पर पाकिस्तान और चीन दोनों के साथ अपना विरोध जताते रहेंगे।

2010 से चल रही है बांध बनाने की कोशिश
पाकिस्तान इस बांध को बनाने की कोशिश 2010 से कर रहा है, लेकिन हर बार रुपयों की तंगी आ जाने की वजह से उसे पीछे हटना पड़ा था। अब चीन इसमें पार्टनर बन गया है, जिससे रुपयों की किल्लत खत्म हो गई। इसमें चीन की चाइना पॉवर की 70 प्रतिशत हिस्सेदारी, जबिक पाकिस्तान की फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है।



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पाकिस्तान दियामर बाशा बांध को बनाने की कोशिश 2010 से कर रहा है, लेकिन हर बार रुपयों की तंगी आ जाने की वजह से उसे पीछे हटना पड़ता था। -प्रतीकात्मक फोटो

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