Friday, May 15, 2020

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन में भाग लेने के लिए चीन की शर्त ठुकराई, कहा- जो है ही नहीं, उसे कैसे मान लें May 15, 2020 at 01:43AM

ताइवान ने वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन में भाग लेने के चीन की शर्त को ठुकरा दिया है। चीन ने शर्त रखी थी कि ताइवान पहले यह माने की वह चीन का हिस्सा है, तभी वह डब्ल्यूएचओ की मीटिंग में हिस्सा ले सकता है। ताइवान अभी तक डब्ल्यूएचओ का सदस्य नहीं है और वह अगले हफ्ते होने वाली वर्ल्ड हेल्थ असेंबली (वर्ल्ड हेल्थ असेंबली) में पर्यवेक्षक के तौर पर भाग लेने के लिए कोशिश कर रहा है।
चीन ने इस पर आपत्ति जताई है, क्योंकि चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है। चीन का कहना है कि ताइवान केवल वन चाइना पॉलिसी के तहत ही भाग ले सकता है, इसका मतलब यह है कि ताइवान चीन का एक हिस्सा है। चीन के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि ताइवान की सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और इसलिए ताइवान के पास डब्ल्यूएचओमें भागीदारी लेने का कोई भी पॉलिटिकल आधार मौजूद नहीं है।

आगे भी कोशिश जारी रखेगा ताइवान
ताइवान के स्वास्थ्य मंत्री चेन शिह-चुंग ने ताइपेई में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘‘ताइवान चीन की शर्त को कभी नहीं मानेगा। उस बात को कैसे मान लिया जाए जो है ही नहीं।’’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ताइवान वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में भाग लेने के लिए कोशिश करता रहेगा, भले ही उसे वहां से कोई इंविटेशन न मिले। ताइवान ने कहा कि कोरोनावायरस महामारी की वजह से यह जरूरी हो गया है कि ताइवान कीडब्ल्यूएचओ तक पहुंच हो।

ताइवान ने कहा- हमारी सरकार ही हमारी अवाज उठा सकती है
चीन का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर ताइवान का प्रतिनिधित्व करने का चीन के पास अधिकार है। वहीं, ताइवान का कहना है कि केवल उसकी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार देश के 2.3 करोड़ लोगों की आवाज उठा सकती है। ताइवान के उप विदेश मंत्र केली हैश ने उसी प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘‘हम अपने लोगों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। हम आशा करते हैं कि डब्ल्यूएचओ अपने राजनीतिक विचार किनारे रख तटस्थ और पेशेवर बनेगा। ’’

2009 से 2016 तक ताइवान डब्ल्यूएचए में शामिल रहा है
ताइवान साल 2009-16 तक डब्ल्यूएचए में एक ऑब्जर्वर के तौर पर शामिल रहा है। इस दौरान ताइपेई और बीजिंग के रिश्ते बहुत ठीक थे, लेकिन ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के चुने जाने के बाद चीन ने उसे आगे भाग लेने से रोक दिया था। चीन साई इंग-वेन को अलगाववादी मानता है। इस पूरे मामले में डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली के मेंबर ही यह तय कर सकते हैं कि किस देश को शामिल करना है और ताइवान के पक्ष में कोई जनादेश नहीं है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन। चीन इनको अलगाववादी मानता है और लगातार दबाव बनाता है कि ताइवान वन चाइना पॉलिसी को मान ले।

No comments:

Post a Comment