Friday, January 31, 2020

यूरोपीय यूनियन से अलग होने वाला पहला देश बना ब्रिटेन, 47 साल का नाता खत्म January 31, 2020 at 03:39PM

लंदन. ब्रिटेन आधिकारिक तौर पर शनिवार को यूरोपीय संघ (ईयू) से अलग हो गया। 47 साल के बाद ईयू से अलग होने वाला ब्रिटेन पहला देश बन गया। ईयू संसद ने ब्रेग्जिट समझौते को अपनी मंजूरी दे दी है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ब्रेक्सिट से ठीक पहले राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में ब्रिटेन के लिए एक नए युग की शुरुआत के रूप में इस क्षण कोऐतिहासिक बताया।

भारतीय समय के अनुसार ब्रिटेन शनिवार सुबह 4.30 बजे ईयू से अलग हुआ। ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के मुख्यालय से ब्रिटेन का झंडा हटा दिया गया है।

‘यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं देश के सभी लोगों को साथ लेकर चलूं’

इस मौके पर जॉनसन ने कहा- 2016 में जिन लोगों ने इस अभियान का नेतृत्व किया, उनके लिए आज नई सुबह है। बहुत सारे लोगों के लिए यह उम्मीद का एक आश्चर्यजनक क्षण है, जिन्होंने इस बारे में कभी नहीं सोचा था। बहुत सारे ऐसे समूह थे, जिन्हें लगता था कि यह राजनीतिक गतिरोध कभी खत्म नहीं होगा। बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जो नुकसान जैसा महसूस कर रहे हैं। मैं उन सभी की भावनाओं को समझता हूं। यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं देश के सभी लोगों को साथ लेकर चलूं।

ब्रिटेन 2020 के आखिर तक ईयू की आर्थिक व्यवस्था में बना रहेगा
शिन्हुआ न्यूज एजेंसी के मुताबिक, ईयू से अलग होने के बाद अब ब्रिटेन के लिएअब ट्रांजीशन अवधि शुरू हो गई है,जो इस साल के अंत तक चलेगी। इस दौरान बदलाव के बाद भी कई पुराने कानून पहले की तरह ही रहेंगे। जैसे दिसंबर तक लोगों की आवाजाही बनी रहेगी। इस दौरान ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार व्यवस्था बनाने की कोशिश की जाएगी।ब्रिटेन 2020 के आखिर तक ईयू की आर्थिक व्यवस्था में बना रहेगा, लेकिन उसका नीतिगत मामलों में कोई दखल नहीं होगा।

क्या है ब्रेग्जिट?

ब्रिटेन के ईयू से बाहर होने को ही ब्रेग्जिट कहा गया। ईयू में 28 यूरोपीय देशों की आर्थिक और राजनीतिक भागीदारी है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए ईयू बना था। सोच यह थी कि जो देश साथ में व्यापार करेंगे, वो आपस में युद्ध से बचेंगे। ईयू की अपनी मुद्रा यूरो है, 19 सदस्य देश इसका इस्तेमाल करते हैं। ब्रिटेन 1973 में ईयू से जुड़ा था।

जरूरत क्यों?

ब्रिटेन की यूरोपियन यूनियन में कभी चली ही नहीं। इसके उलट ब्रिटेन के लोगों की जिंदगियों पर ईयू का नियंत्रण ज्यादा है। वह व्यापार के लिए ब्रिटेन पर कई शर्तें लगाता है। ब्रिटेन के राजनीतिक दलों को लगता है कि अरबों पाउंड सालाना सदस्यता फीस देने के बाद भी ब्रिटेन को इससे बहुत फायदा नहीं होता। इसलिए ब्रेग्जिट की मांग उठी थी।

पारंपरिक गीत के साथ विदाई

ईयू की संसद में ब्रेग्जिट के लिए मतदान के दौरान भावुक करने वाला माहौल रहा। मतदान के बाद सांसदों ने ब्रिटेन के लिए पारंपरिक गीत गाया। ईयू प्रेसिडेंट उर्सुला वॉन ने ब्रिटेन के चर्चित लेखक जॉर्ज इलियट की पंक्तियां दोहराते हुए कहा- ‘‘अलग होने के दुख में ही हम अपने प्रेम की गहराई को देखते हैं।’’ ब्रिटिश सांसदों ने कहा कि हम इस टीम में वापस आएंगे, लॉन्ग लिव यूरोप। वहीं कहीं-कहीं पर ब्रेग्जिट पूरा होने की खुशी भी दिखी।

असर

ब्रिटेन पर: प्रति व्यक्ति बोझ 68 हजार रुपए
ब्रेग्जिट से ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को हर साल 53 हजार करोड़ रु. का नुकसान होगा। थिंक टैंक रैंड यूरोप और जर्मनी के बैर्टेल्समन फाउंडेशन के ताजा शोध में बताया गया है कि ईयू से बाहर होने पर ब्रिटेन में वस्तु और सेवाओं पर टैक्स लगेगा। इससे ये महंगी होंगी। लोगों के खर्च बढ़ेंगे। उनकी आय में कमी होगी। इससे लोगों को 45 हजार करोड़ का नुकसान होगा। ब्रिटेन में इसका प्रति व्यक्ति बोझ 68 हजार रु. आएगा। कुछ दिन पहले ही ब्लूमबर्ग ने रिपोर्ट में 2016 से 2020 तक 18.9 लाख करोड़ के नुकसान का अनुमान जताया है। फिलहाल यह 12 लाख करोड़ रु. तक पहुंचा है।

दुनिया पर: जर्मनी-फ्रांस की जीडीपी बढ़ेगी
ब्रिटेन के अलह होने से यूरोपियन यूनियन की अर्थव्यवस्था पर भी असर होगा। फिलहाल वैश्विक अर्थव्यवस्था में ईयू की हिस्सेदारी 22% है। ब्रिटेन के हटने पर 18% रह जाएगी। ईयू की आबादी में भी 13% की गिरावट आएगी। वहीं ईयू में जर्मनी की जीडीपी 20% से बढ़कर 25% वहीं फ्रांस की 15 से बढ़कर 18% हो जाएगी। अमेरिका भी फायदे में रहेगा। ब्रिटेन ईयू की अर्थव्यवस्था में 1.50 लाख करोड़ रुपए का योगदान देता है। ईयू अब ब्रिटेन को रियायतें भी नहीं देगा।

भारत पर: एफटीए होने से बड़ा बाजार मिलेगा

  • ब्रिटेन में निवेश करने वाला भारत तीसरा बड़ा देश है। ब्रिटेन में 800 से ज्यादा भारतीय कंपनियां हैं, जो 1.10 लाख लोगों को रोजगार देती हैं। ब्रिटिश मुद्रा पाउंड की कीमत घटने से इनके मुनाफे पर असर होगा।
  • यूरोप ने नए नियम बनाए तो भारतीय कंपनियों को नए करार करने होंगे। इससे खर्च बढ़ेगा और अलग-अलग देशों के नियम-कानूनों से जूझना होगा।
  • ब्रिटेन से मुक्त व्यापार समझौता हो सकता है। इससे भारत का निर्यात बढ़ने का अनुमान है। ईयू से इस मामले में सहमति नहीं बनी थी।
  • ब्रिटेन सेंट्रल मार्केट है। पुर्तगाल, ग्रीस जैसे कई देश वहां से सामान ले जाते हैं। ब्रिटेन के साथ एफटीए होने से भारत को विशाल बाजार मिलेगा।


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