Wednesday, October 14, 2020

ट्रम्प का शुक्रिया; उनके दौर में चीन बेहतर होता गया, अमेरिका कमजोर होता चला गया October 14, 2020 at 03:40PM

मैंने डोनाल्ड ट्रम्प और डेमोक्रेट कैंडिडेट जो बाइडेन के बीच पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट देखी। इस दौरान एक कल्पना मेरी आंखों के आगे सामने आ गई। मेरी तरह चीन के पोलितब्यूरो के सदस्य भी यह डिबेट देखने जुटे होंगे। जब भी ट्रम्प ने कोई मूर्खतापूर्ण बात कही होगी या तर्क रखा होगा तो चीनी पोलितब्यूरो के सदस्य भी मुस्कराए होंगे। अपने तरीके से इसका लुत्फ उठाया होगा। सिर्फ आधे घंटे में पोलितब्यूरो के 25 मेंबर नशे में चूर हो गए होंगे।
ये पहले तो नहीं देखा होगा
और अगर वे नशे में चूर हुए तो क्या गलत है? होना भी चाहिए। क्योंकि, ये सब उन्होंने पहले नहीं देखा होगा। एक अमेरिकी राष्ट्रपति जिसका खुद पर कोई काबू नहीं है। एक ऐसा ‌व्यक्ति जो प्रेसिडेंट बने रहने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। क्योंकि, अगर वो इस काम में नाकाम रहता है तो उसे कानूनी मसलों और बेइज्जती का सामना करना पड़ेगा।
चीन को दोष देना सही
चीन को दोष क्यों नहीं दिया जाए। कोरोनावायरस उसके ही शहर वुहान से शुरू हुआ। और फिलहाल वहां इस पर काबू पाया जा चुका है। लेकिन, हमारे देश अमेरिका में यह इकोनॉमी और नागरिकों को बर्बाद कर रहा है। इसके बावजूद हम कुछ भी कर पाने में कामयाब होते नजर नहीं आते।
कोरोना को मैं चीन के चेर्नोबिल की तरह देखता हूं। या इसकी तुलना पश्चिम के वॉटरलू से कर लीजिए। इसका जिक्र जॉन मिकेलवेट और एड्रियन वुड्रिग ने अपनी किताब ‘द वेकअप कॉल’ में किया है। इसमें बताया गया है कि कोरोना ने कैसे पश्चिमी देशों की कमजोरियों को उजागर किया है और इस पर कैसे काबू पाया जा सकता है।
आंकड़ों की बात
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के कोरोना ट्रैकर की मानें तो अमेरिका में हर एक लाख पर 65.74 लोगों की मौत हुई। कुल मिलाकर 2 लाख 16 हजार लोग महामारी के चलते जान गंवा चुके हैं। चीन में हर एक लाख पर यह आंकड़ा महज 0.34 है। वहां अब तक कुल 4750 लोगों की मौत हुई है। चलिए, मान लेते हैं कि चीन के आंकड़ों में झोल है, कुछ गड़बड़ है। इसलिए इसे चार गुना मान लेते हैं। इसके बावजूद यह मानना पड़ेगा कि चीन ने अपने नागरिकों की रक्षा महामारी के दौरान अमेरिका से ज्यादा बेहतर तरीके से की है।
चीन और अमेरिका के हालात में फर्क
इस महीने की शुरुआत ने ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में एक प्रोग्राम किया। ये सुपरस्प्रेडर इवेंट साबित हुआ। लाखों अमेरिकी बच्चों को स्कूल भेजने में डर रहे हैं। दूसरी तरफ, चीन में लोकल ट्रांसमिशन के मामले लगभग खत्म हो चुके हैं। वहां बस और ट्रेन स्टेशन्स और एयरपोर्ट्स के देख लीजिए। लाखों लोग सफर कर रहे हैं। नेशनल हॉलीडे मनाए जा रहे हैं। 1 अक्टूबर को ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में बताया गया कि बारह साल में पहली बार चीन की करंसी ने किसी तिमाही में सबसे अच्छी रेटिंग पाई। सितंबर में इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट दोनों बेहतर हुए।
वो हमारे जैसे हो चुके हैं
हम चीन की तुलना पश्चिमी देशों से करते हैं। 1960 की दशक की बात की जाती है। कहा जाता है कि अमेरिका ने जब पहला आदमी चांद पर भेजा था, तब चीन में लाखों लोग भूख से मर रहे थे। ब्लूमबर्ग के एडिटर इन चीफ मिकेलवेट ने मुझे बताया- यह वो वक्त था जब 75 फीसदी अमेरिकी अपनी सरकार का समर्थन करते थे। लेकिन, द इकोनॉमिस्ट के पॉलिटिकल एडिटर वुलड्रिज कहते हैं- पांच सौ साल का इतिहास अब बदल गया है। चीन अब आगे है। हम पुरानी चीजों को भूल गए। चीन नहीं भूला। अगर हम अब भी नहीं जागे तो क्या होगा।
फिर क्या किया जाए
अमेरिका को वापसी करनी जरूरी है। कोविड-19 से निपटने के लिए चीन जैसा नेशनल प्लान बनाना होगा। वायरस को कंट्रोल करने के लिए कदम उठाने होंगे और इसके लिए राजनीतिक तौर पर एकराय कायम करनी होगी। चीन के फेशियल रिकग्निेशन तकनीक बहुत अच्छी है। मास्क उतारने की भी जरूरत नहीं होती। आंखें और नाक का ऊपरी हिस्सा ही संक्रमण की जानकारी दे देता है। अमेरिका में चीन जैसी सरकार और प्रशासन संभव नहीं है। हम तानाशाही चाहते भी नहीं। लेकिन, ये भी सही है कि हम लोकतांत्रिक तरीके से यह काम नहीं कर पाए। जापान और जर्मनी ने सेकंड वर्ल्ड वॉर और नॉर्थ कोरिया के अलावा रूस ने कोल्ड वॉर के दौरान यही किया। अमेरिका इसलिए आगे रहा क्योंकि उसने इसके लिए तैयारी की थी।
ये देश तो कामयाब रहे
28 मार्च को ट्रम्प ने कहा था- हम एक ऐसे दुश्मन से जंग लड़ रहे हैं जो दिखाई नहीं देता। सबको साथ मिलकर इससे लड़ना होगा। साउथ कोरिया, जापान, ताइवान और न्यूजीलैंड ने दिखा दिया कि लोकतंत्र होते हुए भी महामारी जैसी चुनौतियों का कामयाबी से मुकाबला किया जा सकता है। वहां राज्य और केंद्र सरकारों के बीच तालमेल है। हमारे यहां भरोसे और सच्चाई की कमी है। सबसे बड़ी बात ये है कि हमारे पास एक ऐसा राष्ट्रपति है जो दोबारा चुनाव जीतने के लिए हमें बांट रहा है। मास्क जरूरी है, लेकिन ट्रम्प इसका मजाक उड़ाते हैं। हमारे बीच भरोसे की कमी हो गई है।
बाइडेन से उम्मीद
मुझे लगता है कि बाइडेन के पास चुनाव जीतने का सही मौका है। क्योंकि, अमेरिकी यह मानने लगे हैं कि बाइडेन ही हमें बंटवारे से फिर एकजुट या एकता की ओर ले जा सकते हैं। लेकिन, सिर्फ बाइडेन की जीत ही पर्याप्त नहीं। लेकिन, यह जरूरी तो बिल्कुल है। फिलहाल, चीन और रूस से यह अपील है कि हमारे मामले में दखल न दें। क्योंकि, हम फिलहाल वैसे नहीं हैं, जैसे हुआ करते थे।



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Donald Trump Vs China Coronavirus; Here's Latest US Election 2020 Opinion From The New York Times (NYT)

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