नेपाल की सियासत में कुछ दिन की शांति के बाद फिर घमासान शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की इस्तीफे की मांग पर अड़े मुख्य विरोधी पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने माना है कि सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में टूट का खतरा बढ़ रहा है। प्रचंड के मुताबिक, ओली इस जिद पर अड़े हुए हैं कि वे पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री पद में से किसी पद से इस्तीफा नहीं देंगे। यही विवाद की सबसे बड़ी जड़ है।
दो हिस्से में बंट सकती है पार्टी
नेपाल में सियासी घमासान करीब दो महीने से जारी है। लेकिन, पिछले हफ्ते इस तरह के संकेत मिले थे कि प्रचंड और ओली समझौते के करीब हैं। ये भी साफ है कि दोनों नेताओं पर समझौते का दबाव है। लेकिन, शनिवार को प्रचंड के बयान से साफ हो जाता है कि दोनों नेता अलग राह पर चल रहे हैं। यही वजह है कि पार्टी में फूट का खतरा अब करीब दिखने लगा है।
प्रचंड का बड़ा आरोप
पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड ने ओली पर गंभीर आरोप लगाया। इसके सबूत भी दिखाए। प्रचंड ने कहा- एक तरफ तो प्रधानमंत्री सबको साथ लेकर चलने की बात करते हैं, दूसरी तरफ वो अलग पार्टी बनाने की तैयारी कर रहे हैं। हम इसे कामयाब नहीं होने देंगे। ओली ने कुछ लोगों को साथ लेकर सीपीएन- यूएमएल नाम से नेशनल इलेक्शन कमीशन में एक नई पार्टी रजिस्टर करा ली है।
देश का नुकसान
प्रचंड ने आगे कहा- यह किस तरह की सियासत है। नई पार्टी बनाने की हरकत तब की गई जब ओली से मेरी बातचीत चल रही थी। क्या इससे ये साफ नहीं हो जाता कि एक तरफ तो वे समझौते की बात करते हैं, दूसरी तरफ सत्ता में बने रहने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे सिर्फ पार्टी नहीं बल्कि देश का भी काफी नुकसान हो रहा है। देश के विकास के लिए राजनीतिक स्थिरता सबसे जरूरी है। हमें लोगों के भरोसे को कायम रखना होगा।
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