पाकिस्तान की राजधानी से मंगलवार को अगवा और 11 घंटे बाद रिहा किए गए पत्रकार मतीउल्लाह जेन ने बिना नाम लिए इमरान सरकार और फौज पर निशाना साधा। जेन के मुताबिक, उन्हें मुल्क के उन लोगों ने अगवा किया था, जो लोकतंत्र के दुश्मन हैं। जो नहीं चाहते कि कोई आवाज उनकी गलत हरकतों के खिलाफ उठे।
जेन को मंगलवार सुबह इस्लामाबाद के एक सरकारी स्कूल के कैम्पस से अगवा किया गया था। जब बवाल हुआ तो दबाव में आकर किडनैपर्स ने 11 घंटे बाद उन्हें छोड़ दिया।
किडनैपर्स कौन थे, नहीं बताया
मतीउल्लाह साफ तौर पर दबाव में नजर आ रहे हैं। सुरक्षित रिहाई के दो दिन बाद भी उन्होंने अब तक किडनैपिंग को लेकर साफ तौर पर कुछ नहीं कहा है। कुछ इशारे जरूर किए हैं, लेकिन किसी का नाम नहीं लिया। गुरुवार रात जेन ने कहा- मुझे किडनैप उन्हीं लोगों ने किया जो मुल्क में जम्हूरियत यानी लोकतंत्र नहीं चाहते। न वो संविधान को मानते हैं और न संसद को। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि वो पुलिस की वर्दी में हैं या फौज की। कपड़े तो बदले जा सकते हैं। लेकिन, ये सबको नजर आता है कि ये लोग एकजुट हैं।
दबाव में है जेन
जेन ने फौज, आईएसआई, पुलिस या इमरान खान सरकार का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा किस तरफ है? ये सब समझते हैं। अगवा किए जाने वाले दिन ही उन्हें सुप्रीम कोर्ट में गवाही देनी थी। यह मामला सरकार के खिलाफ था। सुप्रीम कोर्ट और इमरान सरकार के बीच शुरुआत से ही रिश्ते खराब रहे हैं। लिहाजा, सरकार नहीं चाहती थी कि मतीउल्लाह गवाही के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचें। उन्हें अगवा किया गया। बहरहाल, जेन किडनैपर्स को जानते हुए भी अगर चुप हैं तो यह साफ हो जाता है कि वे खासे दबाव में हैं।
इस मामले पर तवज्जो क्यों
जेन को अगवा और फिर रिहा क्यों किया गया? इसको लेकर अलग-अलग दावे हैं। लेकिन, दो पर फोकस ज्यादा है। पहला केस जस्टिस ईसा से जुड़ा है। उन्होंने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी से शिकायत में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की कुछ अंदरूनी बातें लीक की जा रही हैं, उनकी इमेज खराब की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के बाद जेन को कोर्ट की अवमानना का आरोपी बनाया। जस्टिस ईसा के कुछ फैसलों पर इमरान सरकार ने नाखुशी जाहिर की थी। जेन को इसी मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में गवाही के लिए पेश होना था।
सरकार और फौज से दुश्मनी
सोशल मीडिया पर इस तरह की खबरें हैं कि फौज और सरकार से जुड़ी कुछ खास जानकारियां मतीउल्लाह के पास थीं। किडनैपिंग के वक्त उन्होंने अपना मोबाइल फेंक दिया था। लेकिन, एक किडनैपर ने इसे फौरन उठा लिया। इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने होम सेक्रेटरी और तमाम आला अधिकारियों से कहा था- जर्नलिस्ट जल्द और सुरक्षित रिहा होना चाहिए। वरना आपको नतीजे भुगतने होंगे।
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