नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और सरकार संकट में है। ओली को चीन का करीबी माना जाता रहा है। यह एक बार फिर साबित भी हो गया है। ओली सरकार को बचाने में बीजिंग अपनी काठमांडू एम्बेसी के जरिए काफी एक्टिव नजर आ रहा है। यहां होउ यांगकी चीनी एम्बेसेडर हैं। रविवार को उन्होंने पूरा दिन सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं से मुलाकात की। शुक्रवार को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से मिली थीं।
मई में भी ओली सरकार गिरने का खतरा था। तब भी होउ यांगकी ने विरोधी गुट के नेताओं से मुलाकात कर सरकार बचाने में अहम रोल अदा किया था।
दो बड़े नेताओं से मुलाकात
ऐसे वक्त में जबकि चीन और भारत के बीच तनाव जारी है। चीन के लिए नेपाल में अपनी पसंदीदा सरकार होना काफी मायने रखता है। यही वजह है कि होउ यांगकी बहुत एक्टिव नजर आ रही हैं। शुक्रवार को उन्होंने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से मुलाकात की थी। भंडारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की नेता रह चुकी हैं। रविवार को यांगकी पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल से मिलने उनके घर पहुंचीं।
माधव और भंडारी इसलिए खास
विद्या देवी भंडारी भले ही राष्ट्रपति हों लेकिन पार्टी में उनकी राय को तवज्जो दी जाती है। वहीं, माधव कुमार प्रधानमंत्री ओली के कट्टर विरोधी माने जाते हैं। यांगकी इन दोनों नेताओं को मनाकर ओली की कुर्सी बचाना चाहती हैं। नेपाल की सियासत में चीन के दखल का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यांगकी से इन नेताओं की बातचीत को छिपाया नहीं गया। सीनियर लीडर्स ने माना कि नेपाल मामले को हल करने की कोशिश कर रहा है। माधव कुमार ओली सरकार के विदेश मामलों को भी देखते हैं।
मई में भी बचाई थी ओली सरकार
मई के पहले हफ्ते में भी ओली की कुर्सी जाने वाली थी। तब भी होउ यांगकी एक्टिव हुईं। उन्होंने ओली के मुख्य विरोधी पुष्प कमल दहल प्रचंड से मुलाकात की थी। कई और नेताओं से भी मिलीं। किसी तरह ओली की सरकार तब बच गई थी। इस बार परेशानी ज्यादा है। इसकी वजह ये है कि स्टैंडिंग कमेटी के 40 में 30 मेंबर प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
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