एना गोल्डफर्ब. वायरस से बचने के लिए लोग मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग और हाईजीन जैसे कई उपाय कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी कोरोनावायरस के मामलों में इजाफा हो रहा है। ऐसे में लोग डर के साए में जी रहे हैं। उन्हें इस घातक वायरस की चपेट में आने के साथ-साथ कई और चिंताओं ने भी घेर लिया है। अब जब लोग परेशान हैं तो वे अपनी मन की बात बताने के लिए दूसरेलोगों से बात करने की कोशिश करते हैं। सवाल उठता है कि अगर आपके पास कोई आकर अपना डर जाहिर करता है तो आपकी प्रतिक्रिया क्या होनी चाहिए?
एक सहानुभूति भरा जवाब दूसरे व्यक्ति को भरोसा दिलाता है कि आप उनकी परेशानी को उन्हीं के नजरिए से देख रहे हैं और साझा कर रहे हैं। किसी से यह कह देना कि "सब कुछ ठीक हो जाएगा" का मतलब यह नहीं है कि ऐसा सच में होने वाला है। क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट अयाना अब्राम कहती हैं कि दुनिया ऐसे काम नहीं करती, ऐसे हमारा शरीर काम नहीं करता, ऐसे हमारा दिमाग काम नहीं करता।
कोविड 19 से जुड़े डर बहुतजटिल हो सकते हैं।एक्सपर्ट्स बता रहे हैं कि आपको परेशान लोगों से बातचीत के दौरान क्या कहना चाहिए और क्या नहीं।
1. किसी के डर को कम न करें
- "तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है" इस तरह से बात करना चिंता को गायब नहीं करता है। अगर कोई कोरोनावायरस को लेकर डर जाहिर कर रहा है तो उन्हें रिकवरी रेट के बारे में बताने से कोई मदद नहीं होगी। डॉक्टर अब्राम के मुताबिक, ऐसे माहौल में यह कहना "काफी संक्रमित लोग ठीक हो रहे हैं" परेशान व्यक्ति की मदद नहीं करता है।
2. समाधान देने से बचें
- साइकोथैरेपिस्ट निकोल ओसेक्वेडा के मुताबिक, किसी भी तरह का समाधान देना ठीक नहीं है। उन्होंने बताया कि उनकी परेशानियों को सुलझाने के तरीके बताना स्वास्थ्य, आर्थिक और सुरक्षा के डर को कम नहीं करता है।
3. बिना मांगे सलाह न दें
- आपको परेशान व्यक्ति को तब तक सलाह नहीं देना चाहिए, जब तक वो आपसे इसकी मांग नहीं करता। डॉक्टर अब्राम ने कहती हैं किकुछ लोग केवल सुने जाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि कोई उनसे कोई मिले और इसके बाद वे खुद परेशानी को सुलझाएं।
4. "चाहिए" जैसे शब्दों का इस्तेमाल न करें
- ऐसे वाक्य जिनमें "चाहिए" शब्द शामिल होता है, यह सुनने में मददगार लग सकते हैं, लेकिन होते नहीं हैं। मैरिज और फैमिली थैरेपिस्ट सोनिया फ्रेगोसो बताती हैं कि इसलिए हम लोगों से कहते हैं कि क्या करें या कैसे महसूस करें। इस तरह की काउंसिलिंगजिनमें कहा जाता है "आपको नकारात्मक नहीं होना चाहिए" मददगार नहीं होते हैं।
- फ्रेगोसो कहती हैं "मुझे लगता है कि यह सलाह दूसरे व्यक्ति के लिए चिंता से आती है, लेकिन हम यह नहीं जानते कि इसे व्यक्ति कैसे करना है। हमें यह डर होता है कि हम उस व्यक्ति की परेशानयां बढ़ा देंगे।"
5. गंभीरता, समर्थन और जिज्ञासा जताएं
- फ्रेगोसो बताती हैं कि अपनी चिंता को ठीक तरह से व्यक्ति करने का तरीका है,परेशान व्यक्ति की बातों को गंभीरता से लेना, समर्थन जताना और जिज्ञासा बनाए रखना। परेशान लोगों को यह एहसास दिलाएं कि महामारी के दौरान ऐसा सोचना सामान्य है।
- कई लोगों को अपनी सेलिब्रेशन या ट्रिप्स को कैंसिल करना पड़ा है और इसे लेकर दुखी होना सामान्य है। साइकोथैरेपिस्ट व्हिट्नी गुडमैन कहती हैं कि लोग किसी भी चीज की प्लानिंग में अपनी काफी एनर्जी, पैसा और समय खर्च करते हैं। उनका दुखी होना जरूरी है।" वेलिडेशन (मान्य) की मदद से आप उन्हें यह एहसास दिला सकते हैं कि आप उनके दुख से सहमत हैं।
- फ्रेगोसो के अनुसार हमें इस बात को लेकर उत्सुक होना चाहिए कि दूसरे व्यक्ति को डर, चिंता और दुख दूर करने के लिए क्या चाहिए। यह न समझें कि आप सब जानते हैं। यह पक्का कर कि परेशान व्यक्ति को यह महसूस हो कि उसे सुना जा रहा है।
6. अगर कुछ गलत कह दिया है तो उसे सुधार सकते हैं
अगर आपने कुछ गलत कह दिया है तो उसे सुधारा जा सकता है। परेशान व्यक्ति से कहें कि मैंने महसूस किया कि हम जब पहले बात कर रहे थे तो तुम मुझसे जुड़ाव महसूस नहीं कर रहे थे। क्या हम फिर से कोशिश कर सकते हैं।
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