Monday, June 1, 2020

यह 6 साल में सबसे बड़ा प्रदर्शन, 2013-19 के बीच में पुलिस की हिंसा में 7666 लोगों की जान गई, इनमें 24% अश्वेत June 01, 2020 at 02:48AM

अमेरिका में लगातार आठवें दिन 40 से ज्यादा राज्यों और 140 शहरो में दंगा पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष हुआ। इसके चलते 21 शहरों में नेशनल गार्ड के जवान तैनात किए गए हैं। हालात ऐसे हैं कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की शांति और धमकी भरी अपीलें भी काम नहीं आ रही हैं।
एक तरफ कोरोनावायरस के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था पहले से ही मुश्किल में है। और अब जॉर्ज फ्लायड की मौत से अमेरिका में नस्लीय अशांति फैल गई है। लोग बेहद डरे हुए हैं, वे अनिश्चितता के माहौल में और गुस्से में भी हैं।

राष्ट्रपति ट्रम्प मुश्किलों में उलझ गए हैं। उनके लिए मौजूदा संकट से निकलने का रास्ता आसान भी नहीं दिखता। खुद व्हाइट हाउस के बंकर में छिपना पड़ा है। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी ऐसी ही मुश्किल हालात से गुजर चुके हैं। ओबामा किसी भी मामले को शांतिपूर्ण तरीके से निपटने के लिए जाने जाते थे, लेकिन 2014 में अश्वेत युवक माइकल ब्राउन की हत्या के मामले को लेकर भड़की आग ने उन्हें काफी परेशान किया था। इसके बाद अब देश में नस्लीय हिंसा के खिलाफ सबसे बड़ा आंदोलन चल रहा है।

2013 और 2019 के बीच पुलिस के द्वारा हुई 99% हत्याओं के मामले में कोई आरोप दर्ज नहीं हुए

  • पुलिस द्वारा की गई हिंसा के मामलों पर नजर रखने वाली वेबसाइट mappingpoliceviolence.org के अनुसार, "साल 2013 से 2019 के बीच पुलिस के हाथों हुई 99 फीसदी हत्याओं के मामले में अधिकारियों पर कोई आरोप नहीं लगाए गए।
  • 2013 और 2019 के बीच अमेरिका में पुलिस की गोलीबारी में 7666 लोगों की जान गई है। इनमें 24% अश्वेत लोग हैं।
  • 2019 में पुलिस हिंसा में 1099 लोगों की जान गई। इस सिर्फ 27 दिन ऐसे रहे, जब पुलिस की हिंसा में लोगों की जान नहीं गई।
  • अमेरिका की कुल आबादी 32.82 करोड़ है, इसमें करीब 13% लोग अश्वेत हैं। लेकिन पुलिस द्वारा उनके मारे जाने की संभावना ढाई गुना ज्यादा है।
  • पिछले 6 सालों में अमेरिका के तीन राज्यों कैलिफोर्निया, टेक्सास और फ्लोरिडा में पुलिस के द्वारा सबसे ज्यादा अश्वेतों की हत्या हुई है।
  • ऊटा में अश्वेत कुल आबादी का सिर्फ 1.06% हैंं, लेकिन पिछले 6 साल में यहां पुलिस की हिंसा में मारे गए लोगों में 10% अश्वेत थे। यहां अश्वेतों के मारे जाने की संभावना लगभग 9.21 गुना ज्यादा है।
  • मिनेसोटा में अश्वेत कुल आबादी का सिर्फ 5% हैं, लेकिन पुलिस हिंसा में मारे जाने वालों में 20% अश्वेत हैं। यहां अश्वेतों को मारे जाने की संभावना चार गुना ज्यादा है।

लॉकडाउन के बाद हुई 3 बड़ी घटनाओं नें गुस्से को भड़काने का काम किया है
पूरे अमेरिका में हो रहे प्रदर्शन के पीछे केवल जॉर्ज फ्लायड की हत्या ही वजह नहीं है। यह गुस्सा वह बारूद का ढेर है, जो धीरे-धीरे सुलग रहा था और अब उसमें विस्फोट हुआ है। अमेरिका में कोरोना संक्रमण को देखते हुए, जब से देश में आंशिक लॉकडाउन लगाया गया। तब से तीन अश्वेतों की हत्या हो चुकी है। दो की हत्या तो पुलिस ने ही की, जबकि एक की हत्या में दो श्वेत नागरिक शामिल रहे।

  • 23 फरवरी- जॉर्जिया में 25 साल के अश्वेत की गोली मारकर हत्या कर दी गई

सबसे पहले 23 फरवरी को जॉर्जिया में 25 साल के अश्वेत अहद अर्बरी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद कई विरोध-प्रदर्शन हुए। करीब दो महीने बाद दो आरोपी 64 साल के ग्रेगरी मैककिमल और उसके 34 साल के बेटे ट्रैविस मैककिमल को गिरफ्तार किया गया। जांच अभी जारी है।

  • 13 मार्च- लुइस विले में पुलिस ने एक अश्वेत महिला की हत्या कर दी

13 मार्च को लुइस विले में पुलिस ने एक अश्वेत महिला ब्रेओना टेलर की हत्या कर दी। 26 साल की ब्रेओना मेडिकल टेक्नीशियन थीं। मादक पदार्थ की तस्करी के आरोप में पुलिस ने उसके घर छापा मारा। मेन गेट को तोड़ने के दौरान ब्रेओना के ब्वॉयफ्रेंड ने पुलिस पर फायर कर दिया। जवाब में पुलिस ने ब्रेओना को आठ गोलियां मारीं। हालांकि, बाद में ब्रेओना के घर से तलाशी में कोई मादक पदार्थ नहीं मिला।

  • 25 मई- जब जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या हुई, वीडियो सामने आने के बाद शुरू हुई हिंसा
पुलिस की गिरफ्त में जॉर्ज फ्लायड। यह उसकी आखिरी तस्वीर है।

अमेरिका के मिनेसोटा राज्य के मिनेपोलिस शहर की पुलिस ने जॉर्ज फ्लायड नाम के अश्वेत युवक को गिरफ्तार किया। जॉर्ज पर 20 डॉलर के नकली नोट से सिगरेट खरीदने का अरोप था। पुलिस ने जॉर्ज को हथकड़ी लगाने के बाद जमीन पर उल्टा लिटा दिया। इसके बाद एक अफसर ने जॉर्ज की गर्दन को घुटने से दबा दिया। इस दौरान जॉर्ज बार-बार पुलिस से घुटना हटाने को कहता रहा। वह कहता रहा कि उसे सांस नहीं आ रही। इसके बावजूद पुलिस ने अनसुना किया और जॉर्ज की मौत हो गई। इसका वीडियो वायरल होने के बाद हिंसा का दौर शुरू हुआ।



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